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मंगलवार, 15 जनवरी 2013

गुरु मंत्र

गुरूजी ने अपने सर्वप्रिय शिष्य को गुरु मंत्र देते हुए कहा - " शिष्य इसे गोपनीय रखना, क्योंकि यह मन्त्र लोक मंगल और परमपद प्राप्ति की संजीवनी है। इसके पाठ से लोक-परलोक दोनों संवर जायेंगे। "


एक दिन गुरूजी ने देखा उनका वही सर्व प्रिय शिष्य उनके दिए गुरु मंत्र का अन्य विद्यार्थियों के साथ सामूहिक पाठ कर रहा था।यह देख गुरूजी ने क्रोधित हो कर कहा -
" यह क्या अनर्थ कर दिया ? गोपनीय मंत्र को उजागर करके तुमने पाप किया है। तुम नरक के भागी बनोगे। "

" ठीक है, लेकिन जिन्होंने इस मंत्र का पाठ किया है, उनका क्या होगा गुरुदेव, क्या वह सब भी नरक के भागी होंगे ? " शिष्य ने विनम्रता पूर्वक पूछा.
" नहीं वत्स, वे सब निसंदेह परमपद के अधिकारी होंगे। " गुरूजी ने बताया .
" गुरूजी, यदि मेरे कारण इतने व्यक्तियों को मोक्ष प्राप्त होगा, तब मुझे सहस्त्रों वर्ष तक नर्क में रहना सहर्ष स्वीकार है।" शिष्य ने प्रसन्नता पूर्वक कहा .

" मुझे तुम पर गर्व है वत्स। यदि तुम्हारे मन में ऐसी भावना है, तब तुम तो मोक्ष प्राप्ति के सर्वोच्च अधिकारी हो। " गुरूजी ने आनंद निमग्न होते हुए कहा।

बाल कहानी : हर जीव का मोल

बाल कहानी : हर जीव का मोल

एक राजा था, उन्होंने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाए कि कौन से जीव-जंतुओं का उपयोग नहीं है।
बहुत खोजबीन करने के बाद उन्हें जानकारी मिली कि संसार में दो जीव 'जंगली मक्खी' और 'मकड़ी' बिल्कुल बेकार हैं।
राजा ने सोचा- क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को खत्म कर दिया जाए। इसी बीच राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया। युद्ध में राजा की हार हुई और जान बचाने के लिए उन्हें राजपाट छोड़कर जंगल में जाना पड़ा।
शत्रु के सैनिक उनका पीछा करने लगे। काफी दौड़भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गए। तभी एक जंगली मक्खीने उनकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई।
FILE उन्हें ख्याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं है और वे एक गुफा में जा छिपे। राजा के गुफा में जाने के बाद मकड़ियोंने गुफा के द्वार पर जाला बुन दिया।
शत्रु के सैनिक उन्हें यहां-वहां ढूंढते हुए गुफा के नजदीक पहुंचे। द्वार पर घना जाला देखकर आपस में कहने लगे, 'अरे चलो आगे, इस गुफा में राजा आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।'
भगवान की बनाई दुनिया में हर जीव का मोल है, कब कहां किसकी जरूरत पड़ जाए।
गुफा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए।
उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होती तो उसकी जान न बचपाती।

शनिवार, 12 जनवरी 2013

आज स्वामी विवेकानन्द का 150 वां जन्मदिवस है।

दोस्तों आज स्वामी विवेकानन्द का 150 वां जन्मदिवस है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। उन्होनें पुरे विश्व में भारतीय संस्कृति को पहचान दिलाइ।


उन्होने कहा था-
① उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते।
② जब मृत्यु निश्चत है तो सच्चे और ईमानदार उद्देश्य के लिए देह त्याग करना ही बेहतर है।
③ सत्य मेरा ईश्वर है, सनग्र जगत मेरा देश है।
④ मैं कायरता से घृणा करता हुँ।
⑤ संसार में स्वार्थशुन्य सहानुभूति विरल है।
⑥ मैं मन-कर्म-वचन से पवित्र, निस्वार्थ और निश्चल हो सकुं।
⑦ सांसारिक उन्नति के लिए मधूरभाषी होना कितना अच्छा होता है, यह मैं बखुबी जानता हूँ।
⑧ अच्छा काम बिना बाधा के संपन्न नहीं होता।
⑨ अनुभव ही एक मात्र शिक्षक है।
⑩ जो मैं नहीं हुँ, वह होने का नाटक मैंनें कभी नहीं किया।
“आप को अपने भीतर से ही विकास करना होता है। कोई आपको सीखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपको सिखाने वाला और कोई नहीं, सिर्फ आपकी आत्मा ही है।”
- स्वामी विवेकानंद

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