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बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

नया स्मार्टफोन लेते समय यह 7 बाते आवश्य याद रखिये

 

1)प्रोसेसर

आजकल स्मार्टफोन एडवांस होते जा रहे हैं. प्रॉसेसर एक बहुत महत्वपूर्ण पार्ट है स्मार्टफोन का. आपका बजट के नुसार प्रोसेसर चुनाना बहुत जरूरी है.

Low budget phone मे - snapdragon 400 series

Midrange मे - snapdragon 600 series

Upper mid-range मे - snapdragon 700 series

Flagship budget मे - snapdragon 800 series

का चुनाव करे एसके साथ mediatek or exenos के प्रोसेसर

की तरफ़ आप देख सकते हैं. मेरे सूजाव से आप snapdragon का processor चुनाव करे.

2)कैमरा क्वालिटी

नया फोन खरीदते समय उसका कैमरा जरूर चेक करें. अभी फोन में डबल, ट्रिपल और क्वाड कैमरे आ रहे हैं. कैमरे का मेगा पिक्सल देखाने का जगह उसकी इमेज quality देखें. नंबर्स के पीछे मत भागीये.

3)RAM और Storage

RAM और स्टोरेज के बारे में भी सही से जानकारी रखे. फोन में RAM लेते समय कमसे कम. 4gb ram or 64rom का चुनाव करे. आप के बजट के अनुसार आप स्टोरेज option कम ज्यादा कर सकते है.

4)डिस्प्ले क्वालिटी

नया फोन लेते समय डिस्प्ले रिजॉल्यूशन जरूर देखें.

अगर आपका बजट कम हैं तो फिर भी आप Fhd+ का चुनाव करे और बजट जादा हो तो आप Amoled + डिस्प्ले का चुनाव करे. और डिस्प्ले protection के लीये gorilla glass का चुनाव करे.

5)डिजाइन

फोन का पहला लुक डिजाइन होता है . आपके फोन का डिजाइन अच्छा होगा होनाही चाहिए. आप अच्छी डिज़ाइन के लीए ग्लास back के तरफ जा सकते हैं. और भी option मोजूद है.

6) बैटरी

फोन में दमदार बैटरी होनी चाहिए. नया फोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो battery पर विशेष ध्यान दे. क्यू की फ़ोन की battery ही फोन का साथ निभाती है.

7)चार्जिंग स्पीड

Battery के साथ चार्जिंग स्पीड भी जरुरी है. आप फास्ट चार्जर वाला ही फोन ले. मार्केट मे fast charge, vooc charge, wrap charge, dash charge यह‍ ऑप्शन अविलैबल है.

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

किन बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने शादी के बाद अपना करियर खत्म किया?

 

1. आसिन थोट्टुमकल

1. ASIN ने 2016 में भारत के सीईओ राहुल शर्मा के साथ विवाह बंधन में बंधे। उसके बाद, उसने कोई नया सत्यापन नहीं किया। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, "मेरे सभी मीडिया मित्रों के लिए, जिन्हें अभी भी संदेश नहीं मिला है, मैं एक बार फिर से दोहरा रही हूं कि मैंने कोई भी संशोधन लेना बंद कर दिया है और अपनी शादी से पहले की सभी प्रतिबद्धताओं को। अपने ब्रांड एंडोर्समेंट सहित खुद ही लपेट लिया है। लोगों से अनुरोध करें कि वे मेरे स्पष्टीकरण के बारे में धारणा बनाना बंद कर दें और इस स्तर पर काम न करें। शादी से पहले ही यह घोषणा की गई थी। "

2. ट्विंकल खन्ना

इन दिनों वह श्रीमती फनीबोन्स के नाम से लोकप्रिय हैं। उन्होंने 2001 में अक्षय कुमार से शादी करने के बाद सिल्वर स्क्रीन छोड़ दी। उन्होंने खुद को एक इंटीरियर डिजाइनर और एक लेखक के रूप में स्थापित किया है।

3. बबिता

4. अमृता अरोड़ा

उनकी शादी 2009 में एक बिजनेसमैन शकील लदाक से हुई। तब से वह अपने वैवाहिक आनंद का आनंद ले रही है। वह अब दो अज़ान और रयान की माँ है।

5.मंदाकिनी

90 के दशक के लोग केवल उस जादू के बारे में जानते हैं जो उसने दर्शकों पर डाला था। उन्होंने 1990 में एक बौद्ध भिक्षु से शादी की। वह अपने परिवार के साथ मुंबई में रहती हैं और योग कक्षाएं संचालित करती हैं।

6.नम्रता शिरोडकर

वह फिर से 90 के दशक की एक बहुत प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। हमने उसे वास्तु, दुल्हन और पक्षपात आदि जैसी लोकप्रिय फिल्मों में देखा, उसने 2005 में टॉलीवुड अभिनेता महेश बाबू से शादी की और उद्योग छोड़ दिया। उन्होंने 1993 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता।

7.मीनाक्षी शेषाद्री

उन्होंने 80 के दशक के अंत में बॉक्स ऑफिस पर राज किया। उसने एक निवेश बैंकर हरीश मैसूर से शादी की और अमरीका चली गई। वह अपने परिवार के साथ खुश है और भारतीय नृत्य रूपों को सिखाती है।

8. भाग्यश्री

वह एक चीनी सिरप है। वह 90 के दशक के हर दूसरे आदमी का क्रश था। मेन प्यार किया में अपनी पहली भूमिका करने के बाद वह सुर्खियों में आईं। उन्होंने 19 वर्ष की आयु में अभिनेता हिमालय से शादी कर ली। उसने कहा था कि उसने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के लिए अपना करियर बलिदान किया।

9. सोनाली बेंद्रे

सोनाली एक दिवा, मजाकिया और फैशनेबल है। उन्होंने कई सुपर हिट फिल्मों में काम किया। उन्होंने 2002 में गोल्डी बहल से शादी की। उनकी शादी के बाद, उन्हें केवल कुछ फिल्मों में अतिथि के रूप में देखा गया

10. सायरा बानो

उसने अपने आकर्षण और कौशल से भारतीयों का दिल जीत लिया। उन्होंने 1966 में दिलीप कुमार से शादी की। उन्होंने अपने करियर का बलिदान दिया ताकि वह दिलीप के साथ एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जी सकें क्योंकि वह अपने समय के बहुत प्रसिद्ध अभिनेता थे।

छवि स्रोत ; गूगल तस्वीरें

भगवान काल भैरव कौन हैं?

 

भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव भगवान शिव के गण और माता पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।

उल्लेख है कि शिव के रूधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव।

मुख्यतः दो भैरवों की पूजा का प्रचलन है, एक काल भैरव और दूसरे बटुक भैरव। पुराणों में भगवान भैरव को असितांग, रुद्र, चंड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है।

भगवान शिव के पांचवें अवतार भैरव को भैरवनाथ भी कहा जाता है। नाथ संप्रदाय में इनकी पूजा का विशेष महत्व है।

भैरव के चरित्र का भयावह चित्रण कर तथा घिनौनी तांत्रिक क्रियाएं कर लोगों में उनके प्रति एक डर और उपेक्षा का भाव भरने वाले तांत्रिकों और अन्य पूजकों को भगवान भैरव माफ करें। दरअसल भैरव वैसे नहीं है जैसा कि उनका चित्रण किया गया है। वे मांस और मदिरा से दूर रहने वाले शिव और दुर्गा के भक्त हैं। उनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक है।

उनका कार्य है शिव की नगरी काशी की सुरक्षा करना और समाज के अपराधियों को पकड़ कर दंड के लिए प्रस्तुत करना। जैसे कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिसके पास जासूसी कुत्ता होता है। उक्त अधिकारी का जो कार्य होता है वही भगवान भैरव का कार्य है।

🙏🔱#_जय_बाबा_काल_भैरव_जी🔱🚩

मंदिरों में मौजूद देवता के अंदर प्राण प्रतिष्ठा वास्तव में काम करती है?

 

निम्न लिखित फोटो वाला मंदिर नाड़ी गणपति के नाम से जाना जाता है, इसके नाम के पीछे एक कारण है।

एक बार पूजनीय एवम् आदरणीय श्री मौनस्वामी ( नीचे उनकी छवि है) को सिद्धि विनायक की एक बड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, इसलिए वह आवश्यक अनुष्ठान कर रहे थे और उन्हें प्राण प्रतिष्ठा करनी थी, यह अश्व विनायक के तहत सिद्धि विनायक की एक बड़ी मूर्ति है।

जब पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने प्राणप्रतिष्ठा प्रक्रिया शुरू की, तो कुछ नास्तिकों ने यह कहते हुए मज़ाक करना शुरू कर दिया कि कोई कैसे पत्थर की मूर्ति में जान डाल सकता है। तब पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने उन्हें कहा कि वे डॉक्टर को जाँच के लिए बुलाएँ।

सर आर्चबल्ड एडवर्ड नी ब्रिटिश गवर्नर थे जो इस कार्यक्रम में वीआईपी के रूप में आए थे और वह भी यह सब सुन रहे थे और देख रहे थे।

इन नास्तिकों ने एक ब्रिटिश चिकित्सक को एक नाड़ी के लिए मूर्ति का परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। तब इस ब्रिटिश डॉक्टर ने किसी भी नाड़ी के लिए मूर्ति की जाँच की और कोई नाड़ी नहीं थी। तब पूज्य एवं आदरणीयश्री मौनस्वामी ने कहा, अब मैं प्राणप्रतिष्ठा प्रक्रिया करूँगा और फिर आप फिर से जाँच कर सकते हैं।

स्थापना समारोह के बाद, आरती के समय, यह भक्तों के विस्मय में पाया गया, कि मूर्ति मूर्त थी और मूर्ति की चाल भी दिखाई दे रही थी। इसके अलावा, मनुष्यों की तरह, मूर्ति (नाड़ी) के पल्स के साथ दिल की धड़कन भी स्पष्ट रूप से देखी गई थी। ब्रिटिश चिकित्सक और यहां तक ​​कि नास्तिकों ने अच्छी तरह से जांच की और नाड़ी को उनके स्टेथोस्कोप के माध्यम से स्पष्ट रूप से पाया। तिरुनेलवेली जिले से आए भूवैज्ञानिकों ने मूर्ति का परीक्षण किया और अजीब घटना की पुष्टि की। यह पल्स कुछ घंटों तक बना रहा और फिर पूज्य एवं आदरणीय श्री मौनस्वामी ने बताया कि यह अब बंद हो जाएगा और यह बंद हो गया।

कोई भी चिकित्सक या नास्तिक जिन्होंने मूर्ति का परीक्षण नहीं किया, वे इसे समझा सकते थे, उन्होंने इसे विज्ञान से परे स्वीकार किया।

एक पाठक की टिपण्णी::: स्वामी मठ, कोर्टालम, तेनकासी, तमिलनाडु में है। यह एक खूबसूरत जगह है जिसमें बहुत सारे झरने हैं। मुझे पता है कि वहां एक नाडी गणपति मंदिर है जिसे सिद्धेश्वरा गणपति मंदिर भी कहा जाता है।

मुझे लगता है कि लेखक ... प्रशांत द्वारा। … इस नाडी गणपति का जिक्र है…

अनुवाद सौजन्य : कोरा लेखक ::प्रशांत. के

मोदी जी ने अपने ट्वीट में इस फोटो के साथ महानायक श्यामजी कृष्ण वर्मा को याद किया

4 अक्टूबर को मोदी जी ने एक फोटो शेयर किया था जिसमें वे हाथ में किसी का अस्थि कलश लिए हुए हैं। उनके साथ कुछ विदेशी भी हैं। साथ ही मोदी जी ने अपने ट्वीट में इस फोटो के साथ महानायक श्यामजी कृष्ण वर्मा को याद किया हैं।


कौन थे श्याम जी कृष्ण वर्मा...?
और उनकी अस्थियों से पीएम मोदी का क्या नाता हैं...?
पीएम मोदी ने पिछली 'मन की बात' में कहा था कि देश की आजादी की 75वीं सालगिरह पर उन गुमनाम नायकों को याद करने की जरूरत हैं। जिनकी वजह से देश आजाद हुआ... 
समझ लीजिए श्यामजी कृष्ण वर्मा उन्हीं उपेक्षित नायकों में से एक हैं वो नायक नहीं बल्कि महानायक हैं।

श्याम जी कृष्ण वर्मा ने 30 मार्च 1930 को आखिरी सांस ली:-
तारीख थी 30 मार्च 1930. वक्त था रात के 11.30 बजे.
 जेनेवा के एक हॉस्पिटल में भारत मां के इस सच्चे सपूत ने आखिरी सांस ली और उसकी मौत पर लाहौर की जेल में भगत सिंह और उसके साथियों ने शोक सभा रखी, जबकि वो खुद भी कुछ ही दिनों के मेहमान थे. श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां जेनेवा की सेण्ट जॉर्जसीमेट्री में सुरक्षित रख दी गईं. बाद में उनकी पत्नी का जब निधन हो गया तो उनकी अस्थियां भी उसी सीमेट्री में रख दी गईं. उस व्यक्ति ने अपनी मौत से पहले ही उस अस्थि बैंक से ये कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ था कि उनकी व पत्नी की अस्थियां वो 100 साल तक सुरक्षित रखेंगे,जब भारत आजाद होगा तो कोई भारत मां का सपूत आएगा और उन्हें विसर्जन के लिए ले जाएगा...

श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत लाने में नेहरू ने नहीं दिखाई रुचि:- 

इस घटना को 17 साल गुजर गए, 1947 में देश आजाद हो गया, किसी को याद नहीं था कि उनकी अस्थियों को भारत वापस लाना है. यूं ही पचपन साल और गुजर गए, पीढियां बदल गईं. लेकिन कोई नहीं आया जबकि देश के पहले प्रधानमंत्री को भी इसकी जानकारी थी. पंडित नेहरू ने तो अपनी आत्मकथा में श्याम जी और उनकी पत्नी का जिक्र किया है,और साथ ये बताया है कि उनसे श्याम जी ने कुछ मदद मांगी थी,लेकिन उन्होंने नहीं की...

भारतीय बच्चों के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी:-
नेहरू ने लिखा है कि वो जब 1927 में जेनेवा में अपनी पत्नी और बहन कृष्णा के साथ छुट्टियां मनाने गए थे,तब श्यामजी कृष्ण वर्मा से उनकी मुलाकात हुई थी. उनके पास बहुत पैसा था,लेकिन ट्राम के पैसे भी बचाने के लिए पैदल चलना पसंद करते थे और काफी शक्की थे. श्यामजी ने उनसे कहा था कि मेरी सारी संपत्ति से एक ट्रस्ट बना दीजिए,आप ट्रस्टी बन जाइए और जो भारतीय बच्चे विदेश में पढ़ना चाहते हैं, उनकी उससे मदद हो. श्यामजी की पत्नी के बारे में भी उन्होंने लिखा है कि कैसे वो महिलाओं की मदद के लिए काफी पैसा देना चाहती थीं...

नेहरू ने श्याम जी कृष्ण वर्मा की संपत्तियों का ट्र्स्ट बनाने का आग्रह नहीं माना:-

पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने ये बताया है कि उनको काफी शक होता था कि ब्रिटेन के जासूस उनके पीछे लगे हैं,तो उन्हें ये डर था कि कहीं उनके ट्रस्ट में उन पर पैसों की गड़बड़ी का आरोप ना लग जाए, इसलिए उन्होंने उनकी कोई मदद नहीं की. लेकिन नेहरू ने ना उनकी मौत के बाद और ना ही 17 साल तक देश का पीएम बने रहने के बाद,उनकी अस्थियों को लाने की कोई पहल की. सभी को पता था कि उनकी अस्थियां स्विटरलैंड की अस्थि बैंक में रखी हैं...

22 मई 2003 को श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को गुजरात लाए मोदी:-

आजादी के 55 साल बाद इस गुजराती क्रांतिकारी की अस्थियों की सुध ली एक दूसरे गुजराती ने. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने. 22 अगस्त 2003 को गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी ने ये एक बड़ा काम किया. जेनेवा की धरती से श्यामजी और उनकी पत्नी भानुमति की अस्थियां लेकर भारत आए. उसी समय की अस्थि कलश के साथ की तस्वीर आज ट्वीट में उन्होंने शेयर की है. मोदी मुंबई से श्यामजी कृष्ण वर्मा के जन्म स्थान मांडवी तक भव्य जुलूस के साथ उनका अस्थि कलश राजकीय सम्मान के साथ लेकर आए थे. इतना ही नहीं, वर्मा के जन्म स्थान पर भव्य स्मारक क्रांति-तीर्थ बनाया, जिसकी वेबसाइट का लिंक उन्होंने ट्वीट में शेयर भी किया है. उसी क्रांति तीर्थ के परिसर के श्यामजी कृष्ण वर्मा कक्ष में उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखा गया. मोदी ने क्रांति तीर्थ को भी हूबहू बिलकुल वैसा ही बनाने की कोशिश की, जैसा कि श्याम जी कृष्ण वर्मा का लंदन में ‘इंडिया हाउस’ होता था,उसके बाहर पति पत्नी की मूर्तियां भी लगवाई...

भारत की आजादी की लड़ाई के लिए लंदन में खोला इंडिया हाउस:-

आखिर क्या था ये इंडिया हाउस...?  विदशी सरजमीं पर सक्रिय रहे भारतीय क्रांतिकारियों की चर्चा करते ही इंडिया हाउस की चर्चा जरूर होती हैं। लंदन के मंहगे इलाके में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इंडिया हाउस खोला और उसमें 25 भारतीय स्टूडेंट्स के लिए रहने-पढ़ने की व्यवस्था की, ताकि वो वहां रहकर लंदन में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. इसके लिए श्याम जी कृष्ण वर्मा ने बाकायदा कई फेलोशिप भी शुरू कीं. ऐसी ही एक शिवाजी फेलोशिप के जरिये वीर सावरकर भी लंदन हाउस में रहने आए. इसी लंदन हाउस में सावरकर ने क्रांतिकारी मदन लाल धींगरा को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी, जिसने बाद में अंग्रेज अधिकारी वाइली की लंदन में ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. साफ है कि इंडिया हाउस युवा क्रांतिकारियों का गढ़ बनता चला गया।
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विकिपीडिया से प्राप्त और अतिरिक्त जानकारी :-
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी सेनानी, एक भारतीय देशभक्त, वकील और पत्रकार थे जिन्होंने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी, इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट की स्थापना की।  बालिओल कॉलेज के स्नातक, कृष्ण वर्मा संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के एक प्रसिद्ध विद्वान थे।
 जन्म: 4 अक्टूबर 1857, मांडवी...
 निधन: 30 मार्च 1930, जिनेवा, स्विट्जरलैंड ।

ऐसे महानायक को महेंद्र चांडक का कोटि कोटि नमन...🌹🌹🌹🙏🙏🙏

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