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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

मोदी जी ने अपने ट्वीट में इस फोटो के साथ महानायक श्यामजी कृष्ण वर्मा को याद किया

4 अक्टूबर को मोदी जी ने एक फोटो शेयर किया था जिसमें वे हाथ में किसी का अस्थि कलश लिए हुए हैं। उनके साथ कुछ विदेशी भी हैं। साथ ही मोदी जी ने अपने ट्वीट में इस फोटो के साथ महानायक श्यामजी कृष्ण वर्मा को याद किया हैं।


कौन थे श्याम जी कृष्ण वर्मा...?
और उनकी अस्थियों से पीएम मोदी का क्या नाता हैं...?
पीएम मोदी ने पिछली 'मन की बात' में कहा था कि देश की आजादी की 75वीं सालगिरह पर उन गुमनाम नायकों को याद करने की जरूरत हैं। जिनकी वजह से देश आजाद हुआ... 
समझ लीजिए श्यामजी कृष्ण वर्मा उन्हीं उपेक्षित नायकों में से एक हैं वो नायक नहीं बल्कि महानायक हैं।

श्याम जी कृष्ण वर्मा ने 30 मार्च 1930 को आखिरी सांस ली:-
तारीख थी 30 मार्च 1930. वक्त था रात के 11.30 बजे.
 जेनेवा के एक हॉस्पिटल में भारत मां के इस सच्चे सपूत ने आखिरी सांस ली और उसकी मौत पर लाहौर की जेल में भगत सिंह और उसके साथियों ने शोक सभा रखी, जबकि वो खुद भी कुछ ही दिनों के मेहमान थे. श्यामजी कृष्ण वर्मा की अस्थियां जेनेवा की सेण्ट जॉर्जसीमेट्री में सुरक्षित रख दी गईं. बाद में उनकी पत्नी का जब निधन हो गया तो उनकी अस्थियां भी उसी सीमेट्री में रख दी गईं. उस व्यक्ति ने अपनी मौत से पहले ही उस अस्थि बैंक से ये कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ था कि उनकी व पत्नी की अस्थियां वो 100 साल तक सुरक्षित रखेंगे,जब भारत आजाद होगा तो कोई भारत मां का सपूत आएगा और उन्हें विसर्जन के लिए ले जाएगा...

श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत लाने में नेहरू ने नहीं दिखाई रुचि:- 

इस घटना को 17 साल गुजर गए, 1947 में देश आजाद हो गया, किसी को याद नहीं था कि उनकी अस्थियों को भारत वापस लाना है. यूं ही पचपन साल और गुजर गए, पीढियां बदल गईं. लेकिन कोई नहीं आया जबकि देश के पहले प्रधानमंत्री को भी इसकी जानकारी थी. पंडित नेहरू ने तो अपनी आत्मकथा में श्याम जी और उनकी पत्नी का जिक्र किया है,और साथ ये बताया है कि उनसे श्याम जी ने कुछ मदद मांगी थी,लेकिन उन्होंने नहीं की...

भारतीय बच्चों के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी:-
नेहरू ने लिखा है कि वो जब 1927 में जेनेवा में अपनी पत्नी और बहन कृष्णा के साथ छुट्टियां मनाने गए थे,तब श्यामजी कृष्ण वर्मा से उनकी मुलाकात हुई थी. उनके पास बहुत पैसा था,लेकिन ट्राम के पैसे भी बचाने के लिए पैदल चलना पसंद करते थे और काफी शक्की थे. श्यामजी ने उनसे कहा था कि मेरी सारी संपत्ति से एक ट्रस्ट बना दीजिए,आप ट्रस्टी बन जाइए और जो भारतीय बच्चे विदेश में पढ़ना चाहते हैं, उनकी उससे मदद हो. श्यामजी की पत्नी के बारे में भी उन्होंने लिखा है कि कैसे वो महिलाओं की मदद के लिए काफी पैसा देना चाहती थीं...

नेहरू ने श्याम जी कृष्ण वर्मा की संपत्तियों का ट्र्स्ट बनाने का आग्रह नहीं माना:-

पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू ने ये बताया है कि उनको काफी शक होता था कि ब्रिटेन के जासूस उनके पीछे लगे हैं,तो उन्हें ये डर था कि कहीं उनके ट्रस्ट में उन पर पैसों की गड़बड़ी का आरोप ना लग जाए, इसलिए उन्होंने उनकी कोई मदद नहीं की. लेकिन नेहरू ने ना उनकी मौत के बाद और ना ही 17 साल तक देश का पीएम बने रहने के बाद,उनकी अस्थियों को लाने की कोई पहल की. सभी को पता था कि उनकी अस्थियां स्विटरलैंड की अस्थि बैंक में रखी हैं...

22 मई 2003 को श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को गुजरात लाए मोदी:-

आजादी के 55 साल बाद इस गुजराती क्रांतिकारी की अस्थियों की सुध ली एक दूसरे गुजराती ने. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने. 22 अगस्त 2003 को गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी ने ये एक बड़ा काम किया. जेनेवा की धरती से श्यामजी और उनकी पत्नी भानुमति की अस्थियां लेकर भारत आए. उसी समय की अस्थि कलश के साथ की तस्वीर आज ट्वीट में उन्होंने शेयर की है. मोदी मुंबई से श्यामजी कृष्ण वर्मा के जन्म स्थान मांडवी तक भव्य जुलूस के साथ उनका अस्थि कलश राजकीय सम्मान के साथ लेकर आए थे. इतना ही नहीं, वर्मा के जन्म स्थान पर भव्य स्मारक क्रांति-तीर्थ बनाया, जिसकी वेबसाइट का लिंक उन्होंने ट्वीट में शेयर भी किया है. उसी क्रांति तीर्थ के परिसर के श्यामजी कृष्ण वर्मा कक्ष में उनकी अस्थियों को सुरक्षित रखा गया. मोदी ने क्रांति तीर्थ को भी हूबहू बिलकुल वैसा ही बनाने की कोशिश की, जैसा कि श्याम जी कृष्ण वर्मा का लंदन में ‘इंडिया हाउस’ होता था,उसके बाहर पति पत्नी की मूर्तियां भी लगवाई...

भारत की आजादी की लड़ाई के लिए लंदन में खोला इंडिया हाउस:-

आखिर क्या था ये इंडिया हाउस...?  विदशी सरजमीं पर सक्रिय रहे भारतीय क्रांतिकारियों की चर्चा करते ही इंडिया हाउस की चर्चा जरूर होती हैं। लंदन के मंहगे इलाके में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इंडिया हाउस खोला और उसमें 25 भारतीय स्टूडेंट्स के लिए रहने-पढ़ने की व्यवस्था की, ताकि वो वहां रहकर लंदन में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. इसके लिए श्याम जी कृष्ण वर्मा ने बाकायदा कई फेलोशिप भी शुरू कीं. ऐसी ही एक शिवाजी फेलोशिप के जरिये वीर सावरकर भी लंदन हाउस में रहने आए. इसी लंदन हाउस में सावरकर ने क्रांतिकारी मदन लाल धींगरा को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी, जिसने बाद में अंग्रेज अधिकारी वाइली की लंदन में ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. साफ है कि इंडिया हाउस युवा क्रांतिकारियों का गढ़ बनता चला गया।
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विकिपीडिया से प्राप्त और अतिरिक्त जानकारी :-
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी सेनानी, एक भारतीय देशभक्त, वकील और पत्रकार थे जिन्होंने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी, इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट की स्थापना की।  बालिओल कॉलेज के स्नातक, कृष्ण वर्मा संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के एक प्रसिद्ध विद्वान थे।
 जन्म: 4 अक्टूबर 1857, मांडवी...
 निधन: 30 मार्च 1930, जिनेवा, स्विट्जरलैंड ।

ऐसे महानायक को महेंद्र चांडक का कोटि कोटि नमन...🌹🌹🌹🙏🙏🙏

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