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गुरुवार, 29 जून 2023

सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है

 

सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू

लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है

घटना त्रिवेन्द्रम स्थित Kalyan Jewellers की है!

एक पिता नें 29/11/2013 को अपनी बेटी की शादी के लिए एक नेकलेस खरीदा जिसका कुल वजन 49.580 ग्राम था

तथा डिजाइनर स्टोन का वजन घटाने के बाद लगभग 43.500 ग्राम ,,,

कुछ दिनों पहले 17/03/2018 को वो इस नेकलेस को बैंक के पास गिरवी रखने के लिए गये तो उन्हें झटका लगा

जब बैंक के मुल्यांकनकर्ता (bank appraiser) नें जाँच के बाद बताया कि नेकलेस में सिर्फ 12 ग्राम के लगभग

सोना है क्योंकि मोतियों के अंदर बाकी #वैक्स भरा गया है।

जब वो इस बात को लेकर

वापस कल्याण ज्वेलर्स के पास गये तो वहां के ब्रांच मेनेजर नें कहा कि

ये सही है कि ये वैक्स भरा जाता है

और ये बात सभी को पता होती है।

जरा सोचिये...

अगर पता हो तो कौन मूर्ख

मोम को सोने के भाव खरीदेगा.....???

पिता द्वारा विरोध जताने पर मेनेजर बोला कि चलिए हम ये नेकलेस वापस ले लेंगे तथा आपको आज के सोने के भाव पर आपको पैसे वापिस कर देंगे

(जितना सोना है).

लेकिन परिवार नहीं माना और बोला कि उन्हें वो वास्तविक रकम चाहिये जो उनसे खरीदते समय ली गई थी और उन्होंने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कर दी.

21/03/2018 को कल्याण ज्वेलर्स के स्टाफ का एक सदस्य समझौता करने के लिए पुलिस स्टेशन आया और बोला कि हम ग्राहक की मांग अनुसार इन्हें इस नेकलेस की वही कीमत लौटा देंगे

जो इनसे ली गई थी!

90 % लोग सोना खरीदने के बाद बेचते नही है वो सोच रहे है हमारे पास इतना सोना पड़ा है पर हकीकत में वो गलत फहमी के शिकार है सोने का पैसा देकर वैक्स खरीद कर रखा हुआ है ।

गहने जितने भी है सब मे 50% खोट है!

एक बार अपने आभूषणों व सोने की जांच अवष्य दूसरे जगह करवाएं!

Wall- pushpendra ji

🙏

वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।


एक भक्त थे। उन्होंने भगवान का नाम जपते हुए जीवन बिता दिया, पर भगवान से कभी कुछ नहीं माँगा।

एक दिन वे भक्त बाँके बिहारी मंदिर गए। पर यह क्या, वहाँ उन्हें भगवान नहीं दिखे। वे आसपास के अन्य भक्तों से पूछने लगे कि आज भगवान कहाँ चले गए?

सब उनकी ओर हैरानी से देखते हुए कहने लगे- भगवान तो ये रहे। सामने ही तो हैं। तुझे नहीं दिखते? तूं अंधा है क्या?

उन भक्त ने सोचा कि सब को दिख रहे हैं, मुझे क्यों नहीं दिख रहे? मुझे ये सब दिख रहे हैं, भगवान ही क्यों नहीं दिख रहे?

ऐसा विचार कर उनका अंतःकरण ग्लानि से भर गया। वे सोचने लगे- लगता है कि मेरे सिर पर पाप बहुत चढ़ गया है, इसीलिए मुझे भगवान नहीं दिखते। मैं इस शरीर का अन्त कर दूंगा। आखिर ऐसे शरीर का क्या लाभ? जिससे भगवान ही न दिखते हों।

ऐसा सोच कर वे यमुना में डूबने चले।

इधर अंतर्यामी भगवान एक ब्राह्मण का वेष बना कर, एक कोढ़ी के पास पहुँचे और कहा कि ऐसे ऐसे एक भक्त यमुना को जा रहे हैं, उनके आशीर्वाद में बहुत बल है। यदि वे तुझे आशीर्वाद दे दें, तो तेरा कोढ़ तुरंत ठीक हो जाए।

यह सुन कर कोढ़ी यमुना की ओर दौड़ा। उन भक्त को पहचान कर, उनका रास्ता रोक लिया। और उनके पैर पकड़कर, उनसे आशीर्वाद माँगने लगा।

भक्त कहने लगे- भाई! मैं तो पापी हूँ, मेरे आशीर्वाद से क्या होगा?

पर जब बार बार समझाने पर भी कोढ़ी ने पैर न छोड़े, तो उन भक्त ने अनमने भाव से कह ही दिया- भगवान तेरी इच्छा पूरी करें।

ऐसा कहते ही कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया। पर वे भक्त हैरान हो गए कि यह चमत्कार कैसे हो गया? वे अभी वहीं स्तब्ध खड़े ही थे कि साक्षात भगवान सामने आ खड़े हुए।

उन भक्त ने भगवान को देखा तो अपने को संभाल न सके और रोते हुए, भगवान के चरणों में गिर गए। भगवान ने उठाया।

वे भगवान से पूछने लगे- भगवान! यह आपकी कैसी लीला है? पहले तो आप मंदिर में भी दिखाई न दिए, और अब अनायास आपका दर्शन ही प्राप्त हो रहा है।

भगवान ने कहा- भक्तराज! आपने जीवन भर जप किया, पर कभी कुछ माँगा नहीं। आपका मुझ पर बहुत ॠण चढ़ गया था, मैं आपका ॠणी हो गया था, इसीलिए पहले मुझे आपके सामने आने में संकोच हो रहा था। आज आपने उस कोढ़ी को आशीर्वाद देकर, अपने पुण्यपुञ्ज में से कुछ माँग लिया। जिससे अब मैं कुछ ॠण मुक्त हो सका हूँ। इसीलिए मैं आपके सामने प्रकट होने की हिम्मत कर पाया हूँ।

मेरे भाई बहन, वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।

जिनके भगवान भी ॠणी हैं, ऐसे भक्तों के चरणों में लोकेशानन्द अपना माथा टिकाता है।

डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल..


डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल....

मुगली अकबर का सबसे खतरनाक वाला एक सेना नायक हुआ . . . नाम - बहलोल खां . . . . कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका . . . और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं . . . ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था . . . . बशर्ते वो हिन्दू का हो . . . . . एक भी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल खां ॥

काफी लम्बा था, 7 फुट 8 इंच की हाइट थी, कहा जाता है की घोडा उसने सामने छोटा लगता था ॥ बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां, अकबर को बहलोल खां पर खूब नाज था, लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी ॥

फिर हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने सामने थी, अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था इसलिए वो खुद इस युद्ध से दूर रहा ॥

अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से . . . . . लड़ाई पूरे जोर पर और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से ॥

अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत शुरू. . . कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ . . . .

और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से एक ही वार में घोड़े सहित . . हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया . . . ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा ॥

ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने..

जय जय महाराणा

1.

मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय


 

  1. चूहा अधिकतर इंसान की उंगलियों को सोते वक्त ज्यादा काटता है।
  • एक पुरानी बात है, जिसे बचपन में सुना था कि- यदि चूहा ज्यादा हो रहे हैं तो घर या दुकान के कर्मचारी चोरी कर रहे हैं और ओर यदि चूहा नुकसान करे या कोई चीज कुतरे, तो समझो परिवार के सदस्य चोरी कर रहे हैं। हमारे इन उपेप्न से सतर्क होकर चोरी पकड़ लेते थे।
  • हमने इसे कभी नहीं आजमाया। हो सकता है कि बुजुर्गों ली बात में दम हो।
  • आयुर्वेद की एक बहुत दुर्लभ ग्रन्थ चिकित्सा चंद्रोदय में मूषक या चूहों को भगाने एवं मारने का प्रयोगों के वर्णन है। इससे बहुत लाभ होगा।
  • चूहों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह जहरीले भी होते हैं। कटने पर त्वचा रोग उत्पन्न करते हैं। चूहे के शरीर में 5 जगह विष पाया जाता है-
  1. चूहे के वीर्य में
  2. मूषक की पेशाब में
  3. चूहे के पखाने में
  4. चूहे के नाखूनों में
  5. चूहे की दाढ़ में।
  6. चूहों को मखाने सर्वाधिक पसंद होते हैं। इसे बंद कंटेनर में रखें।
  7. प्रधान विष पेशाब तथा वीर्य में होता है।
  • चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।
  • नीतिकारों ने संस्कृत का एक श्लोक में लिखा है कि-

मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय

  1. घर में अगर चूहे ज्यादा हों, तो सभी सदस्य जल में कपूर मिलाकर स्नान करें।
  2. फिटकरी का पॉवडर बनाकर बिल में डाल दो।
  3. एक चूहा पकड़कर उसे कपड़े धोने वाली नील में गीला करके छोड़ दो। नीला चूहा देखकर सारे चूहे तुरन्त भाग जाते हैं।
  4. घर - दुकान, फेक्ट्री में अगर चूहे अधिक हों, तो कपड़े हमेशा रोज बदले यानी धुले हुए ही पहिने।
  5. उपरोक्तानुसार उपाय करने से मूषक भाग जाएंगे।
  • चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।

मकड़ी का मकड़जाल

  • मकड़ी अपने ही बनाये मकड़जाल में फंस जाती है और जो जल बुनेगा, उसके पास जहर ही एकत्रित होगा।
  • विशेष बात यह कि मकड़ी के जाले में जहर नही होता परन्तु मकड़ी की लार जिसे लग जाये उसके शरीर में बहुत बारीक फुंसिया पनपने लगती है तथा भयंकर जलन होती है। इसे मकड़ी का फरना कहते हैं।
  • आयुर्वेद के देशी उपचारों के अंतर्गत मकड़ी, कुत्ता, कनखजूरा, ततैया, मधुमक्खी, चूहा, बिच्छू, जहरीला नाग आदि के द्वारा काटने के बाद इसके इलाज का वर्णन उपलब्ध है।
  • अगर कभी मकड़ी की वजह से त्वचा में जलन या फुंसी हों, तो नींबू में चुना मिलाकर लगाएं अथवा अमचूर पाउडर में तनिक सी हल्दी मिलाकर लेप करें।
  • जब कभी मधु मक्खी काटे, तो लोहा घिसकर लगाने से राहत मिलती है।
  • एक गंदा उपाय यह भी है कि जब कभी कोई जीव काटे, तब उसकी विष्ठा लगा देंवें।
  • बाकी के उपाय इस पुरानी किताब के चित्र से जाने…

प्राचीन किताबों में 118 तरह के कीट काटने के उल्लेख ओर उपचार बताया है। हम संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं।

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अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों

 अच्छा लगता है...
🙏🙏🙏🙏





अच्छा लगता है जब देश के प्रधानमंत्री अमेरिका जाते हैं और न्यूयार्क के आसमान के हेलिकॉप्टर से उनकी तस्वीर वाला ध्वज घण्टों लहराया और घुमाया जाता है।
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अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों और उनके लिए लिखे गए संदेशों से न्यूयार्क का टाइम्स स्क्वायर पट जाता है।
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अच्छा लगता है जब अमेरिकी संसद के सारे सदस्य भारतीय प्रधानमंत्री को ऑटोग्राफ लेने और सेल्फी खिंचाने के लिए देर तक घेरे रहते हैं, और हाथ मिलाने के लिए लाइन में लगते हैं। अमेरिकी संसद में मोदी-मोदी के नारे मोदी से अधिक भारत और भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। अमेरिकी सांसदों के बीच से "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों का उठना कितना आनन्ददायक है, यह किसी राजनैतिक व्यक्ति से अधिक भारत का आम नागरिक समझता है।
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अच्छा लगता है, जब हमेशा भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाली अमेरिकी मीडिया मोदी के आगे नतमस्तक दिखती है, और हर अखबार के मुख्य पृष्ठ पर केवल मोदी ही मोदी छा जाते हैं। तालिबानी मानसिकता के कुछ सदस्यों द्वारा साम्प्रदायिक भावना तहत बहिस्कार की नौटंकी का उत्तर अमरीकी सांसद ही देते हैं, और पूरे भाषण के बीच चौदह बार खड़े होकर तालियां बजाते हैं। स्टैंडिंग ओवेशन... अच्छा लगता है।
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और सबसे ज्यादा अच्छा तब लगता है जब भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका के सांसदों से कहते हैं कि हमारे यहाँ लगभग दो हजार पार्टियां हैं, देश के अलग अलग राज्यों में लगभग 20 दल शासन चला रहे हैं, फिर भी हम एक हैं। भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के प्रधान का विश्व के समक्ष यही भाषा, यही भाव होना चाहिये।
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अमेरिका में कितने समझौते हुए, कितनी कम्पनियों ने यहां निवेश करने की योजना बनाई, कितना धन आया, यह अर्थशास्त्रियों का विषय है। और भारत-अमेरिका के सुदृढ होते सम्बन्धों के क्या दूरगामी परिणाम होंगे यह कूटनीतिज्ञ जानें। पर अमेरिका से वापस लौट रहे मोदी को उपहार की तरह भारत से चोरी हुई सौ कलाकृतियों को लौटाते अमेरिका का मित्रभाव अच्छा लगा। एक सामान्य नागरिक के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।
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प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी संसद को दो बार सम्बोधित करने वाले मोदी जी पहले भारतीय हैं। उनकी इस व्यक्तिगत उपलब्धि को भी मैं भारत की उपलब्धि मानता हूँ कि अमेरिका ने आठ वर्षों में दो बार भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। यह राजकीय यात्रा भी थी, अर्थात अमेरिका की विशेष यात्रा, जिसका समूचा खर्च अमेरिकी राष्ट्रपति उठाते हैं। मोदीजी भारत के केवल दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें अमेरिका ने राजकीय यात्रा पर बुलाया है। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल में केवल तीन देशों के प्रमुख को राजकीय अतिथि बना कर बुलाया है, उनमें से एक भारतीय प्रधानमंत्री हैं। अमेरिका समझ रहा है भारत की शक्ति को...
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अच्छा लगता है देश के प्रधान को चमकते हुए देखना! क्योंकि यह किसी व्यक्ति की चमक नहीं, इस राष्ट्र की चमक है।


पीएम मोदी के दौरे से भारत-अमेरिका - रेलवे से लेकर अंतरिक्ष तक हुए 8 अहम समझौते

 

पीएम मोदी के दौरे से भारत-अमेरिका  - रेलवे से लेकर अंतरिक्ष तक हुए 8 अहम समझौते


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान कई बड़े समझौते किए गए हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक में जिन समझौतों पर मुहर लगाई गई वो दोनों देशों के बीच दोस्ती को नई ऊंचाई देने वाली है। इससे दोनों देशों के बीच संबंध में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। इस दौरान जो महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं उनमें सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे, तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और अंतरिक्ष सेक्टर शामिल हैं। इन करार का असर आने वाले सालों में देखने को मिलेगा। भारत और अमेरिका के बीच कुछ ऐसे भी समझौते किए गए हैं, जिनसे भारत आने वाले सालों में ग्लोबल मैन्यूफैक्चर हब में बदल जाएगा। इसके अलावा पीएम मोदी के दौरे से कुछ और उपलब्धियां हासिल हुई हैं इनमें बाइडन प्रशासन ने एच-1बी वीजा में ढील देने का फैसला किया है और साथ ही 6 व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों के CEO के साथ मिलकर उन्हें भारत में इन्वेस्टमेंट का न्योता दिया है।

आइए जानते हैं इस दौरे में भारत-अमेरिका के बीच हुईं 8 सबसे बड़ी डील में क्या है।

1. फाइटर जेट्स इंजन प्लांट
अब भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के जेट इंजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे का सबसे बड़ा फायदा रक्षा मामलों में हुआ है। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बीच लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए भारत में प्लांट लगाने की डील फाइनल हुई है। अब अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के सहयोग से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत में ही लड़ाकू विमानों के लिए जीई-एफ 414 इंजन बनाएगी, जिससे भारत के फाइटर जेट्स को आधुनिक इंजन मिल जाएंगे। अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जीई और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एफ414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने तेजस विमानों के लिए जीई-414 इंजन खरीदे थे और भारत में ही इसके बनने से आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है।

2. प्रीडेटर ड्रोन (एमक्यू-9 रीपर)
हिंद महासागर, चीनी सीमा पर निगरानी करेगा यह ड्रोन
भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की खरीद पर भी मुहर लगी है। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की नेशनल सिक्युरिटी के लिए बेहद अहम है। ये ड्रोन हिंद महासागर के अलावा चीनी सीमा के साथ दूसरे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की निगरानी में लगाया जाएगा। 29 हजार करोड़ रुपए के इस सौदे में भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन दिए जाएंगे। दोनों देशों के इस समझौते से चीन काफी बौखलाया हुआ है। फिलहाल, भारत को यह ड्रोन पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिए जाएंगे, इसके बाद तीनों सेनाओं से फीडबैक मिलने के बाद इनका निर्माण भी भारत में किया जाएगा।


3. गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट

इस प्लांट से 5,000 नई नौकरियां तुरंत पैदा होंगी
अमेरिका की सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन (Micron) गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग प्लांट स्थापित करेगी। इसमें कुल 2.7 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट होगा। इस समझौते के तहत अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी को 1.34 अरब डॉलर के प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) का भी फायदा मिलेगा। कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी और भारत नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर बनाएंगे। इसके लिए कंपनी की ओर से 2.75 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इस समझौते के तहत 50 प्रतिशत निवेश भारत सरकार की तरफ से किया जाएगा, जबकि 20 प्रतिशत का निवेश गुजरात सरकार की तरफ से किया जाएगा। माइक्रोन टेक्नोलॉजी कंपनी ने कहा है कि इस निवेश से 5,000 नई नौकरियां तुरंत पैदा होंगी।


4. भारतीय रेलवे और अमेरिका के बीच करार

मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन और संघर्ष प्रबंधन पर होगा काम
भारतीय रेलवे और अमेरिकी सरकार की एक स्वतंत्र एजेंसी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट/इंडिया (यूएसएआईडी/इंडिया) ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते में कहा गया है, कि USAID/India आर्थिक विकास, कृषि क्षेत्रों, व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, वैश्विक स्वास्थ्य, लोकतंत्र, मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों और संघर्ष प्रबंधन में सहायता करके अंतर्राष्ट्रीय विकास का समर्थन करता है। वहीं मिशन नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए भारतीय रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने का प्रयास किया गया है। रेल मंत्रालय ने बताया है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ अनिल कुमार लाहोटी की उपस्थिति में भारतीय रेलवे के रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक) नवीन गुलाटी और यूएसएआईडी के उप प्रशासक इसाबेल कोलमैन ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।

5. अर्टेमिस एकॉर्ड्स समझौता
इसरो और नासा ज्वॉइंट मिशन पर काम करेंगे
भारत और अमेरिका के बीच होने वाले एक अहम समझौते में ‘आर्टेमिस एकॉर्ड्स’ शामिल है। इसके जरिए समान विचारधारा वाले देशों के नागरिकों को अंतरिक्ष खोज वाले मुद्दे पर एक साथ लाने का काम किया जाएगा। साल 2024 में नासा और इसरो एक साथ मिलकर संयुक्त मिशन करने पर सहमत हुए हैं। इस मिशन के पूरा होने के बाद भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो अंतरिक्ष में अमेरिका का सहयोगी है। अगले साल नासा के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की भी यात्रा करेंगे। मतलब नासा और इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक ज्वॉइंट मिशन पर काम करेंगे। इस समझौते का मकसद भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देना है।

6. iCET की शुरुआत
दोनों देश जटिल तकनीक बाटेंगे और उसको सुरक्षित रखेंगे
भारत और अमेरिका के बीच इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) की शुरुआत भी की गई है। वैसे, इसकी शुरुआत जनवरी, 2023 में ही हो गई थी, लेकिन औपचारक ऐलान पीएम मोदी के अमेरिका दौरे में ही किया गया। इसके साथ ही दोनों देशों ने आपस में समझौता किया है कि वो आपस में जटिल तकनीक बाटेंगे और उसको सुरक्षित रखेंगे।

7. इंडस-एक्स की शुरुआत
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए डिफेंस निर्माण के क्षेत्र में खुलेंगे द्वार
भारत-अमेरिका मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) शुरू करने पर भी राजी हो गए हैं। इस नेटवर्क के जरिए दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, उद्योग और थिंक टैंक्स शामिल होंगे। इस करार के बाद दोनों देशों के बीच डिफेंस टेक्नोलॉजी से जुड़े नए इनोवेशन होंगे। इसके तहत एक नेटवर्क की स्थापना की जाएगी। इस नेटवर्क में दोनों देशों के स्टार्टअप्स, यूनिवर्सिटीज, इंडस्ट्री और अलग स्टार्ट्स अप्स से जुड़े थिंट टैंक शामिल होंगे। इसके जरिए दोनों देशों के बीच संयुक्त तौर पर डिफेंस टेक्नोलॉजी के विस्तार पर ध्यान दिया जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को ये होने वाला है कि इस नेटवर्क से जुड़कर भारत के स्टार्टअप्स डिफेंस निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं, जैसा कि इजरायल में होता है। ऐसे ही स्टार्ट्सअप्स के जरिए इजरायली रक्षा क्षेत्र में दर्जनों निजी कंपनियां खुल गईं, जो दुनियाभर में हथियारों की सप्लाई करते हैं।

8. भारत में अमेरिकी दूतावास
भारत में अमेरिका के दो नए दूतावास, भारत सिएटल में खोलेगा दूतावास
अमेरिका ने भारत के दो शहरों बेंगलुरु और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्यिक दूतावास खोलने का भी ऐलान किया। भारत के हैदराबाद और बेंगलुरु में अमेरिका ने दो नए दूतावास स्थापित करने का ऐलान किया है। देश की राजधानी में स्थापित अमेरिकी दूतावास विश्व के सबसे बड़े दूतावासों में से एक है। यह अमेरिकी दूतावास मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद में चार वाणिज्य दूतावासों के साथ समन्वय करता है और यह सुनिश्चित करता है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों में किसी तरह का तनाव न आए। साथ ही दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूतर करने और बढ़ावा देने के लिए भारत ने अमेरिका के सिएटल शहर में एक मिशन शुरू करने की घोषणा की है।

पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से कई और उपलब्धियां हुई हैं, इन्हीं में कुछ पर एक नजर-

हजारों भारतीयों के लिए खुशखबरी! H-1B वीजा नियमों में ढील
अमेरिका सरकार के H-1B वीजा नियमों में ढील देने से हजारों भारतीयों को फायदा होने वाला है। अमेरिका ने अब भारतीयों के लिए अमेरिका में रहना और काम करना आसान बना दिया है। बाइडन प्रशासन देश में नवीकरणीय एच-1बी वीजा पेश करने के लिए तैयार है, जिसके तहत अब भारतीय नागरिक और अन्य विदेशी कर्मचारी स्वदेश जाए बिना अमेरिका में ही एच1बी वीजा को रिन्यू करा सकेंगे। भारतीय नागरिक अब तक यूएस एच1-बी वीजा के सबसे सक्रिय उपयोगकर्ता रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 442000 ने एच1-बी वीजा का उपयोग किया, जिनमें से 73 प्रतिशत भारतीय नागरिक थे।

6 व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने पर सहमति
व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में चल रहे 6 व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके तहत नई दिल्ली 28 अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क को हटा लेगा। ये सीमा शुल्क भारत ने टिट फॉर टैट के तहत लगाया था, जब अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने की संभावना है और भारतीय निर्यातकों को प्रमुख कर लाभ प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। अमेरिका ने 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बनाकर पर कुछ स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों पर क्रमशः 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आयात टैक्स लगा दिया था। जवाबी कार्रवाई में, भारत ने जून 2019 में चना, दाल, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक उत्पादों सहित 28 अमेरिकी उत्पादों पर भारी सीमा शुल्क लगा दिया था और उसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक विवाद शुरू हो गये थे, जो अब खत्म हो गए हैं।


आज देव-शयनी एकादशी है। #हरिशयनी_एकादशी

 #हरिशयनी_एकादशी


सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।
 
आज देव-शयनी एकादशी है। मान्यता अनुसार जगत के पालनहार लोककल्याणार्थ के लिए श्रीमन्नारायण अर्थात भगवान विष्णु चार माह के लिये सृष्टि के सारे कार्यभार भगवान शंकर को सौंप कर क्षीर सागर में शेषशय्या पर शयन करेंगे, यानी तब तक सारे कार्य हमारे महादेव संभालेंगे.....💓💓💓

हरिशयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी का नाम पद्मा है। इससे जुडी़ एक पौराणिक कथा है। जरा मन लगाकर सुने। सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा हुआ है, जो सत्यवादी और महान प्रतापी था। वह अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन किया करता था। उसकी सारी प्रजा धनधान्य से भरपूर और सुखी थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था। एक समय उस राजा के राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और अकाल पड़ गया। प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यंत दुखी हो गई। अन्न के न होने से राज्य में यज्ञादि भी बंद हो गए। एक दिन प्रजा राजा के पास जाकर कहने लगी कि हे राजा! सारी प्रजा त्राहि-त्राहि पुकार रही है, क्योंकि समस्त विश्व की सृष्टि का कारण वर्षा है। वर्षा के अभाव से अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है। इसलिए हे राजन! कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे प्रजा का कष्ट दूर हो। राजा मांधाता कहने लगे कि आप लोग ठीक कह रहे हैं, वर्षा से ही अन्न उत्पन्न होता है और आप लोग वर्षा न होने से अत्यंत दुखी हो गए हैं। मैं आप लोगों के दुखों को समझता हूं। ऐसा कहकर राजा कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल दिया। वह अनेक ऋषियों के आश्रम में भ्रमण करता हुआ अंत में ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वहां राजा ने घोड़े से उतरकर अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया। मुनि ने राजा को आशीर्वाद देकर कुशलक्षेम के पश्चात उनसे आश्रम में आने का कारण पूछा। राजा ने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा कि हे भगवन! सब प्रकार से धर्म पालन करने पर भी मेरे राज्य में अकाल पड़ गया है। इससे प्रजा अत्यंत दुखी है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा है। जब मैं धर्मानुसार राज्य करता हूं तो मेरे राज्य में अकाल कैसे पड़ गया? इसके कारण का पता मुझको अभी तक नहीं चल सका। अब मैं आपके पास इसी संदेह को निवृत्त कराने के लिए आया हूं। कृपा करके मेरे इस संदेह को दूर कीजिए। साथ ही प्रजा के कष्ट को दूर करने का कोई उपाय बताइए। इतनी बात सुनकर ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यह सतयुग सब युगों में उत्तम है। इसमें धर्म को चारों चरण सम्मिलित हैं अर्थात इस युग में धर्म की सबसे अधिक उन्नति है। लोग ब्रह्म की उपासना करते हैं और केवल ब्राह्मणों को ही वेद पढ़ने का अधिकार है। ब्राह्मण ही तपस्या करने का अधिकार रख सकते हैं, परंतु आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। इसलिए यदि आप प्रजा का भला चाहते हो तो उस शूद्र का वध कर दो। इस पर राजा कहने लगा कि महाराज मैं उस निरपराध तपस्या करने वाले शूद्र को किस तरह मार सकता हूं। आप इस दोष से छूटने का कोई दूसरा उपाय बताइए। तब ऋषि कहने लगे कि हे राजन! यदि तुम अन्य उपाय जानना चाहते हो तो सुनो।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पद्मा नाम की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा सुख प्राप्त करेगी क्योंकि इस एकादशी का व्रत सब सिद्धियों को देने वाला है और समस्त उपद्रवों को नाश करने वाला है। इस एकादशी का व्रत तुम प्रजा, सेवक तथा मंत्रियों सहित करो। मुनि के इस वचन को सुनकर राजा अपने नगर को वापस आया और उसने विधिपूर्वक पद्मा एकादशी का व्रत किया। उस व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई और प्रजा को सुख पहुंचा। अत: इस मास की एकादशी का व्रत सब मनुष्यों को करना चाहिए। यह व्रत इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति को देने वाला है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से मनुष्य के समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।

आप सभी को देवशयनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं। त्रिलोक स्वामी, जगत पालक भगवान श्री हरि विष्णु जी की कृपा आप और आपके पूरे परिवार पर सदैव बनी रहें....!!!🙏

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)


 🕉️🚩_समान नागरिक संहिता,


🚩देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर बहस छिड़ी हुई है। भाजपा शासित कई राज्यों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। यह देश के लिए अनिवार्य है। समान नागरिक संहिता के अभाव में हर धर्म के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ के तहत न्यायिक प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। इसके कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं पर्सनल लॉ से होने वाली 15 प्रमुख परेशानियाँ:-
 
🚩मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहु-विवाह करने की छूट है, लेकिन अन्य धर्मों में ‘एक पति-एक पत्नी’ का नियम बहुत कड़ाई से लागू है। बांझपन या नपुंसकता जैसे उचित और व्यावहारिक कारण होने पर भी हिंदू, ईसाई, पारसी के लिए दूसरा विवाह करना एक गंभीर अपराध है और भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में बहुविवाह के लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसीलिए कई लोग दूसरा विवाह करने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लेते हैं। भारत जैसे सेक्युलर देश में मौज-मस्ती के लिए भी चार निकाह जायज है, जबकि इस्लामी देश पाकिस्तान में पहली बीवी की इजाजत के बिना शौहर दूसरा निकाह नहीं कर सकता हैं। मानव इतिहास में ‘एक पति-एक पत्नी’ का नियम सर्वप्रथम भगवान श्रीराम ने लागू किया था और यह किसी भी प्रकार से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू डिग्निटी’ का मामला है। इसलिए यह जेंडर न्यूट्रल और रिलीजन न्यूट्रल होना चाहिए।


🚩कहने को तो भारत में संविधान अर्थात समान विधान है, लेकिन विवाह की न्यूनतम उम्र भी सबके लिए समान नहीं है। मुस्लिम लड़कियों की वयस्कता की उम्र निर्धारित नहीं है और माहवारी शुरू होने पर लड़की को निकाह योग्य मान लिया जाता है। इसलिए 9 वर्ष की उम्र में लड़कियों का निकाह कर दिया जाता है, जबकि अन्य धर्मों मे लड़कियों की विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है।

🚩 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कई बार कह चुका कि 20 वर्ष से पहले लड़की शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होती है और 20 वर्ष से पहले गर्भधारण करना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए अत्यधिक हानिकारक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लड़का हो या लड़की 21 वर्ष से पहले दोनों ही मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते हैं। 21 वर्ष से पहले तो बच्चे ग्रेजुएशन भी नहीं कर पाते हैं और आर्थिक रूप से माता-पिता पर निर्भर होते हैं। इसलिए विवाह की न्यूनतम उम्र सबके लिए एक समान ’21 वर्ष’ करना नितांत आवश्यक है। ‘विवाह की न्यूनतम उम्र’ किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू हेल्थ’ का मामला है इसलिए यह जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और 21 वर्ष होना चाहिए।

🚩तीन तलाक अवैध घोषित होने के बावजूद अन्य प्रकार के मौखिक तलाक (तलाक-ए-हसन एवं तलाक-ए-अहसन) आज भी मान्य है। इसमें भी तलाक का आधार बताने की बाध्यता नहीं है। केवल 3 महीने तक प्रतीक्षा करना है। वहीं अन्य धर्मों में केवल न्यायालय के माध्यम से ही विवाह-विच्छेद हो सकता है। हिंदू, ईसाई, पारसी दंपति आपसी सहमति से भी मौखिक विवाह-विच्छेद की सुविधा से वंचित हैं। मुस्लिमों में प्रचलित मौखिक तलाक का न्यायपालिका के प्रति जवाबदेही नहीं होने के कारण मुस्लिम बेटियों और उनके माता-पिता, भाई-बहन और बच्चों को हमेशा भय के वातावरण में रहना पड़ता है। तुर्की जैसे मुस्लिम बाहुल्य देश में भी अब किसी तरह का मौखिक तलाक मान्य नहीं है। इसलिए तलाक लेने का तरीका जेंडर न्यूट्रल,रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए।


🚩मुस्लिम कानून में मौखिक वसीयत एवं दान मान्य है, लेकिन अन्य धर्मों में केवल पंजीकृत वसीयत एवं दान ही मान्य है। मुस्लिम कानून में एक-तिहाई से अधिक संपत्ति का वसीयत नहीं किया जा सकता है, जबकि अन्य धर्मों में शत-प्रतिशत संपत्ति का वसीयत किया जा सकता है। वसीयत और दान किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लिबर्टी’ का मामला है। इसलिए यह जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए।

🚩मुस्लिम कानून में ‘उत्तराधिकार’ की व्यवस्था अत्यधिक जटिल है। पैतृक संपत्ति में पुत्र एवं पुत्रियों के अधिकार में अत्यधिक भेदभाव है। अन्य धर्मों में भी विवाहोपरान्त अर्जित संपत्ति में पत्नी के अधिकार अपरिभाषित हैं। उत्तराधिकार के कानून बहुत जटिल हैं। विवाह के बाद पुत्रियों के पैतृक संपत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं है। ‘उत्तराधिकार’ किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए।

🚩विवाह विच्छेद (तलाक) का आधार भी सबके लिए एक समान नहीं है। व्यभिचार के आधार पर मुस्लिम शौहर अपनी बीबी को तलाक दे सकता है, लेकिन बीवी अपने शौहर को तलाक नहीं दे सकती है। हिंदू, पारसी और ईसाई धर्म में तो व्यभिचार तलाक का ग्राउंड ही नहीं है। कोढ़ जैसी बीमारी के आधार पर हिंदू और ईसाई धर्म में तलाक हो सकता है, लेकिन पारसी और मुस्लिम धर्म में नहीं। कम उम्र में विवाह के आधार पर हिंदू धर्म में विवाह विच्छेद हो सकता है, लेकिन पारसी, ईसाई और मुस्लिम में यह संभव नहीं है। ‘विवाह विच्छेद’ किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी पूर्णतः जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए।


🚩गोद लेने और भरण-पोषण करने का नियम भी हिंदू, मुस्लिम, पारसी और ईसाई के लिए अलग-अलग हैं। मुस्लिम महिला गोद नहीं ले सकती है और अन्य धर्मों में भी पुरुष प्रधानता के साथ गोद लेने की व्यवस्था लागू है। ‘गोद लेने का अधिकार’ किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी पूर्णतः जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए।

🚩विवाह-विच्छेद के बाद हिंदू बेटियों को तो गुजारा-भत्ता मिलता है, लेकिन तलाक के बाद मुस्लिम बेटियों को गुजारा भत्ता नहीं मिलता है। गुजारा-भत्ता किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं है, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी पूर्णतः जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए। ‘भारतीय दंड संहिता’ की तर्ज पर सभी नागरिकों के लिए एक समग्र, समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से विवाह विच्छेद के बाद सभी बहन बेटियों को गुजारा भत्ता मिलेगा, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, पारसी हो या ईसाई। इससे धर्म, जाति, क्षेत्र और लिंग आधारित विसंगतियाँ समाप्त होंगी।

🚩पैतृक संपत्ति में पुत्र-पुत्री तथा बेटा-बहू को समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। इसमें धर्म, क्षेत्र और लिंग आधारित बहुत सी विसंगतियाँ व्याप्त हैं। विरासत, वसीयत और संपत्ति का अधिकार किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी पूर्णतः जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए। ‘भारतीय दंड संहिता’ की तर्ज पर सभी नागरिकों के लिए एक समग्र, समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से धर्म, क्षेत्र और लिंग आधारित विसंगतियाँ समाप्त होंगी। विरासत, वसीयत तथा संपत्ति का अधिकार सबके लिए एक समान होगा। चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, पारसी हो या ईसाई।

🚩अलग-अलग पर्सनल लॉ लागू होने के कारण विवाह-विच्छेद की स्थिति में विवाहोपरांत अर्जित संपत्ति में पति-पत्नी को समान अधिकार नहीं है, जबकि यह किसी भी तरह से धार्मिक या मजहबी विषय नहीं, बल्कि ‘सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ’ का मामला है। इसलिए यह भी पूर्णतः जेंडर न्यूट्रल, रिलीजन न्यूट्रल और सबके लिए यूनिफॉर्म होना चाहिए। ‘भारतीय दंड संहिता’ की तर्ज पर सभी नागरिकों के लिए एक समग्र, समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से धर्म, क्षेत्र, लिंग आधारित विसंगतियाँ समाप्त होंगी और विवाहोपरांत अर्जित संपत्ति का अधिकार सबके लिए एक समान होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, पारसी हो या ईसाई।

🚩अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ लागू होने के कारण मुकदमों की सुनवाई में अत्यधिक समय लगता है। भारतीय दंड संहिता की तरह सभी नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र समावेशी एवं एकीकृत भारतीय नागरिक संहिता लागू होने से न्यायालय का बहुमूल्य समय बचेगा और नागरिकों को त्वरित न्याय मिलेगा।

🚩अलग-अलग संप्रदाय के लिए लागू अलग-अलग ब्रिटिश कानूनों से नागरिकों के मन में गुलामी की हीनभावना व्याप्त है। भारतीय दंड संहिता की तर्ज पर देश के सभी नागरिकों के लिए एक समग्र समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से समाज को सैकड़ों जटिल, बेकार और पुराने कानूनों से मुक्ति ही नहीं, बल्कि गुलामी की हीनभावना से भी मुक्ति मिलेगी।


🚩अलग-अलग पर्सनल लॉ लागू होने के कारण अलगाववादी और कट्टरपंथी मानसिकता बढ़ रही है और हम एक अखण्ड राष्ट्र के निर्माण की दिशा में त्वरित गति से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। भारतीय दंड संहिता की तरह सभी नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र, समावेशी एवं एकीकृत भारतीय नागरिक संहिता लागू होने से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार होगा।

🚩हिंदू मैरिज एक्ट में तो महिला-पुरुष को लगभग एक समान अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन मुस्लिम और पारसी पर्सनल लॉ में बेटियों के अधिकारों में अत्यधिक भेदभाव है। भारतीय दंड संहिता की तरह सभी नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र, समावेशी एवं एकीकृत भारतीय नागरिक संहिता का सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिम और पारसी बेटियों को मिलेगा, क्योंकि उन्हें पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है।

🚩अलग-अलग पर्सनल लॉ के कारण रूढ़िवाद, कट्टरवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद बढ़ रहा है। देश के सभी नागरिकों के लिए एक समग्र, समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से रूढ़िवाद, कट्टरवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद ही समाप्त नहीं होगा, बल्कि वैज्ञानिक और तार्किक सोच भी विकसित होगी।

🚩आर्टिकल 14 के अनुसार देश के सभी नागरिक एक समान हैं। आर्टिकल 15 जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। आर्टिकल 16 सबको समान अवसर उपलब्ध कराता है। आर्टिकल 19 देश मे कहीं पर भी जाकर पढ़ने, रहने, बसने, रोजगार करने का अधिकार देता है। आर्टिकल 21 सबको सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार देता है। आर्टिकल 25 धर्म पालन का अधिकार देता है, लेकिन अधर्म पालन का नहीं। रीतियों को पालन करने का अधिकार देता है, लेकिन कुरीतियों को नहीं। प्रथा को पालन करने का अधिकार देता है, लेकिन कुप्रथा को नहीं।

🚩देश के सभी नागरिकों के लिए एक समग्र, समावेशी और एकीकृत ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू होने से आर्टिकल 25 के अंतर्गत प्राप्त मूलभूत धार्मिक अधिकार जैसे पूजा, नमाज या प्रार्थना करने, व्रत या रोजा रखने तथा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा का प्रबंधन करने या धार्मिक स्कूल खोलने, धार्मिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करने या विवाह-निकाह की कोई भी पद्धति अपनाने या मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार के लिए कोई भी तरीका अपनाने में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होगा।

🚩विवाह की न्यूनतम उम्र, विवाह विच्छेद (तलाक) का आधार, गुजारा भत्ता, गोद लेने का नियम, विरासत और वसीयत का नियम तथा संपत्ति का अधिकार सहित उपरोक्त सभी विषय “सिविल राइट, ह्यूमन राइट, जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और राइट टू लाइफ” से सम्बन्धित हैं। इनका न तो मजहब से किसी तरह का संबंध है और न तो इन्हें धार्मिक या मजहबी व्यवहार कहा जा सकता है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी धर्म या मजहब के नाम पर महिला-पुरुष में भेदभाव जारी है।

🚩हमारे संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 44 के माध्यम से ‘समान नागरिक संहिता’ की कल्पना किया था, ताकि सबको समान अधिकार और समान अवसर मिले और देश की एकता, अखंडता मजबूत हो। लेकिन, वोट बैंक राजनीति के कारण आज तक ‘समान नागरिक संहिता या भारतीय नागरिक संहिता’ का एक ड्राफ्ट भी नहीं बनाया गया। जिस दिन ‘भारतीय नागरिक संहिता’ का ड्राफ्ट बनाकर सार्वजनिक कर दिया जाएगा और आम जनता विशेषकर बहन-बेटियों को इसके लाभ के बारे में पता चल जाएगा, उस दिन कोई भी इसका विरोध नहीं करेगा। सच तो यह है कि जो लोग समान नागरिक संहिता के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, वे ही इसका विरोध कर रहे हैं।


🚩आर्टिकल 37 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करना सरकार की फंडामेंटल ड्यूटी है। जिस प्रकार संविधान का पालन करना सभी नागरिकों की फंडामेंटल ड्यूटी है, उसी प्रकार संविधान को शत-प्रतिशत लागू करना सरकार की फंडामेंटल ड्यूटी है। किसी भी सेक्युलर देश में धार्मिक आधार पर अलग-अलग कानून नहीं है, लेकिन हमारे यहाँ आज भी हिंदू मैरिज एक्ट, पारसी मैरिज एक्ट और ईसाई मैरिज एक्ट लागू है। जब तक भारतीय नागरिक संहिता लागू नहीं होगी, तब तक भारत को सेक्युलर कहना सेक्युलर शब्द को गाली देना है। यदि गोवा के सभी नागरिकों के लिए एक ‘समान नागरिक संहिता’ लागू हो सकती है तो देश के सभी नागरिकों के लिए एक ‘भारतीय नागरिक संहिता’ क्यों नहीं लागू हो सकती है ?

🚩जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र और लिंग आधारित अलग-अलग कानून 1947 के विभाजन की बुझ चुकी आग में सुलगते हुए धुएँ की तरह हैं, जो विस्फोटक होकर देश की एकता को कभी भी खण्डित कर सकते हैं। इसलिए इन्हें समाप्त कर एक ‘भारतीय नागरिक संहिता’ लागू करना न केवल धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए, बल्कि देश की एकता-अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए भी अति आवश्यक है।

🚩दुर्भाग्य से ‘भारतीय नागरिक संहिता’ को हमेशा तुष्टीकरण के चश्मे से देखा जाता रहा है। जब तक भारतीय नागरिक संहिता का ड्राफ्ट प्रकाशित नहीं होगा, तब तक केवल हवा में ही चर्चा होगी और समान नागरिक संहिता के बारे में सब लोग अपने-अपने तरीके से व्याख्या करेंगे और भ्रम फैलाएँगे। इसलिए विकसित देशों में लागू ‘समान नागरिक संहिता’ और गोवा में लागू ‘गोवा नागरिक संहिता’ का अध्ययन करने और ‘भारतीय नागरिक संहिता’ का ड्राफ्ट बनाने के लिए तत्काल एक ज्यूडिशियल कमीशन या एक्सपर्ट कमेटी बनाना नितांत आवश्यक है।

बुधवार, 28 जून 2023

क्या आप जानते हैं मणिपुर हिंसा का तथ्य यदि नही तो ये तथ्य पढ़कर अपडेट हो।

क्या आप जानते हैं मणिपुर हिंसा का तथ्य यदि नही तो ये तथ्य पढ़कर अपडेट हो।


अब मणिपुर करते है की बात मणिपुर हिंसा पर क्यों दुखी है। विपक्षी दल इसका एक स्पष्ट कारण जान लीजिए। मणिपुर के मूल निवासी है मैती आदिवासी। स्वतंत्रता के पहले मणिपुर के राजाओं के बीच में आपस में जमकर युद्ध होते थे, अनेक कमजोर मैती राजाओं ने युद्ध में अपनी सेना में पड़ोसी देश म्यांमार से बड़ी संख्या में कुकी और रोहिंग्या हमलावरों को  भारत में बुलाया और विदेशी रोहिंग्या तथा कुकी से मिलकर आपस में युद्ध किया। धीरे-धीरे कुकी हमलावरों ने मणिपुर में अपना निवास बनाना शुरू किया और परिवार बढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते कुकी जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी। बेहद आक्रामक और हमलावर कुकियो ने मणिपुर की ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया। और मैती आदिवासियों को वहां से भगा दिया। मैती आदिवासी भागकर मणिपुर के मैदानी इलाकों में आकर रहने लगे। विदेशी कुकी और रोहिंग्या ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती आरंभ कर दी। मणिपुर की सीमा चीन और म्यांमार से लगी है। चीन ने मणिपुर पर नजरें डालना शुरू किया और भारत विरोधी दलों को सहायता देना शुरू किया। पाकिस्तान ने भी म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों के माध्यम से मणिपुर में घुसपैठ शुरू कर दी और बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को धकेल दिया गया। 
लेकिन सबसे बड़ा षड्यंत्र रचा क्रिश्चियन मिशनरीज ने । मिशनरी ने मणिपुर के पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में 2000 से अधिक चर्च बनाए और क्रिश्चियन मिशनरीज ने बेहद तेजी से धर्म परिवर्तन शुरू कर दिया। जिसमें सबसे ज्यादा मैती आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चन बना दिया गया। मणिपुर में निरंतर हिस्सा हो रही थी। वर्ष 1981 में भीषण हिंसा हुई तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। 10,000 से अधिक मैती आदिवासी मारे गए। उसके बाद इंदिरा गांधी जागी और सेना को भेजा गया तथा शांति करवाई गई। शांति समझौते में मैती मैदान में रहेंगे और कुकी ऊपर पहाड़ियों पर रहेंगे ऐसा निर्णय हुआ। इस कारण शांति बनी। जिसमें मूल निवासी मैती का बहुत नुकसान हो गया। धीरे-धीरे कुकी, रोहिंग्या और नगा समाजों ने मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की बेशुमार खेती करनी शुरू कर दी। हजारों खेत में अफीम की खेती शुरू हो गई, खरबों रुपए का व्यापार होने लगा इस कारण नशीले पदार्थ का माफिया और आतंकवादी संगठन सक्रिय हो गए तथा जमकर हथियारों की आपूर्ति कर दी गई। वर्ष 2008 में फिर जोरदार गृह युद्ध शुरू हो गया। तब सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने कुकी तथा परिवर्तित क्रिश्चनओं के साथ मिलकर मैती आदिवासियों के साथ समझौता किया और मणिपुर की ऊंची पहाड़ियों पर अफीम की खेती को अधिकृत मान्यता देकर पुलिस कार्रवाई ना करने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर से पूरे भारत देश में तेजी से नशीले पदार्थों को भेजा जाने लगा। मणिपुर नशीले पदार्थों का गोल्डन ट्राईंगल बन गया। चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार से तेजी से आर्थिक मदद कर मणिपुर से उगाई गई अफीम को भारत के अन्य राज्यों में भेजकर पंजाब आदि राज्यों को नशीले बनाना शुरू कर दिया। लेकिन वर्ष 2014 केन्द्र में सरकार बदली। केंद्र सरकार की नजरें पूरे भारत पर थी। जहां जहां धर्म परिवर्तन हो रहे थे जहां पर हिंदू खतरे में दिखाई दे रहे थे। जो राज्य भारत से अलग होने की फिराक में हो रहे थे। केंद्र सरकार ने उन राज्यों को पहचान कर वहां पर धीरे-धीरे कार्रवाई शुरू कर दी। उनमें एक राज्य मणिपुर भी था l वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार मणिपुर में सफलता मिली और कांग्रेस से बीजेपी में आए वीरेंद्र सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया। मैती समाज के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह 30 वर्षों से मणिपुर में राजनीति कर रहे हैं और उन्हें मणिपुर की मूल समस्या मालूम थी। वीरेंद्र सिंह खुद ही मैती समाज से आते हैं। जो कि आदिवासी संकट को जानते थे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने वीरेंद्र सिंह को अफीम की खेती नष्ट करने के निर्देश दिए। जिसके बाद मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने अफीम की खेती पर हमला बोल दिया और हजारों एकड़ खेती में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया। इससे कुकी और क्रिश्चियन मिशनरी, रोहिंग्या के साथ साथ  चीन तथा पाकिस्तान में खलबली मच गई। वे किसी तरह मणिपुर में दोबारा अफीम की खेती आरंभ करना चाहते हैं। आजादी के पहले से ही मैती समाज को आदिवासी समाज का दर्जा हासिल था। और वह एसटी वर्ग में आते थे। लेकिन आजादी के बाद, चीन की चमची तत्कालीन केंद्र सरकार ने मैती समाज से एसटी वर्ग से निकाल लिया। और क्रिश्चियन मिशनरी तथा कुकी समुदाय को एसटी बना दिया। इस बात से मैती नाराज हो गए और निरंतर आक्रोश प्रदर्शन करने लगे। जिस कारण बार-बार मणिपुर में हिंसा हो रही थी। मैती समाज ने वर्ष 2010 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एसटी वर्ग में शामिल करने की मांग की। वर्ष 2023 में हाईकोर्ट ने मैती समाज के दावे को मंजूर किया और मैती समाज को दुबारा आदिवासी वर्ग में शामिल करने के आदेश जारी किए। चूंकि क्रिश्चियन और कुकी हमलावर अफीम की खेती बंद करने से तथा मिशनरीज के धर्म प्रसार को रोके जाने से नाराज थे। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा फायदा उठाया और मणिपुर में आग लगा दी। आज मणिपुर जो हिंसा दिखाई दे रही है वह भारत के लिए लाभदायक ही है क्योंकि मैती समाज ने क्रिश्चियन मिशनरीज के लगभग 300 चर्च तोड़कर नष्ट कर दिए हैं। क्रिश्चियन मिशनरी पर हमले हो रहे हैं और कुकियो को भगाया जा रहा है। आज जो कुछ भी मणिपुर में हो रहा है वह भारत के लिए फायदेमंद है। अन्यथा मणिपुर जल्द ही एक नया देश बनने की राह पर था। वर्ष 2014 में सरकार नहीं बनती तो चीन धीरे-धीरे मणिपुर पर कब्जा कर लेता। लेकिन बेहद ही चालाकी से केंद्र सरकार ने मणिपुर में मूल भारतीयों को उनका अधिकार दिलाना शुरू कर दिया। यह बात विरोधी दलो को खल गई। पिछले 70 सालों से मणिपुर पर कांग्रेस का कब्जा था। अपने हाथ से मणिपुर जाने के बाद तथा क्रिश्चियन मिशनरीज का काम रुकवाने से नाराज सभी विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार की बदनामी कर रहे हैं।  आप इन तथ्यों  से अवगत होने चाहिए ताकि लोगों को मालूम पड़े कि मणिपुर हिंसा की असली वजह क्या है। 🙏🕉️🇮🇳🚩🚩

शुक्रवार, 23 जून 2023

वृन्दावन के चींटें

*((( वृन्दावन के चींटें ))))*



एक सच्ची घटना सुनिए एक संत की
वे एक बार वृन्दावन गए वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए
जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा भगवान् को भोग लगा कर कुछ प्रसाद लेता चलूँ..
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संत ने रामदाने के कुछ लड्डू ख़रीदे मंदिर गए.. प्रसाद चढ़ाया और आश्रम में आकर सो गए.. सुबह ट्रेन पकड़नी थी
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अगले दिन ट्रेन से चले.. सुबह वृन्दावन से चली ट्रेन को मुगलसराय स्टेशन तक आने में शाम हो गयी..

संत ने सोचा.. अभी पटना तक जाने में तीन चार घंटे और लगेंगे.. भूख लग रही है.. मुगलसराय में ट्रेन आधे घंटे रूकती है.. 
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चलो हाथ पैर धोकर संध्या वंदन करके कुछ पा लिया जाय..
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संत ने हाथ पैर धोया और लड्डू खाने के लिए डिब्बा खोला..
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उन्होंने देखा लड्डू में चींटे लगे हुए थे.. उन्होंने चींटों को हटाकर एक दो लड्डू खा लिए
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बाकी बचे लड्डू प्रसाद बाँट दूंगा ये सोच कर छोड़ दिए
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पर कहते हैं न संत ह्रदय नवनीत समाना

बेचारे को लड्डुओं से अधिक उन चींटों की चिंता सताने लगी..
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सोचने लगे.. ये चींटें वृन्दावन से इस मिठाई के डिब्बे में आए हैं..
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बेचारे इतनी दूर तक ट्रेन में मुगलसराय तक आ गए
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कितने भाग्यशाली थे.. इनका जन्म वृन्दावन में हुआ था, 
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अब इतनी दूर से पता नहीं कितने दिन या कितने जन्म लग जाएँगे इनको वापस पहुंचने में..!
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पता नहीं ब्रज की धूल इनको फिर कभी मिल भी पाएगी या नहीं..!!
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मैंने कितना बड़ा पाप कर दिया.. इनका वृन्दावन छुड़वा दिया
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नहीं मुझे वापस जाना होगा..
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और संत ने उन चींटों को वापस उसी मिठाई के डिब्बे में सावधानी से रखा.. और वृन्दावन की ट्रेन पकड़ ली।
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उसी मिठाई की दूकान के पास गए डिब्बा धरती पर रखा.. और हाथ जोड़ लिए
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मेरे भाग्य में नहीं कि तेरे ब्रज में रह सकूँ तो मुझे कोई अधिकार भी नहीं कि जिसके भाग्य में ब्रज की धूल लिखी है उसे दूर कर सकूँ
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दूकानदार ने देखा तो आया..
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महाराज चीटें लग गए तो कोई बात नहीं आप दूसरी मिठाई तौलवा लो..
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संत ने कहा.. भईया मिठाई में कोई कमी नहीं थी
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इन हाथों से पाप होते होते रह गया उसी का प्रायश्चित कर रहा हूँ..!
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दुकानदार ने जब सारी बात जानी तो उस संत के पैरों के पास बैठ गया.. भावुक हो गया
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इधर दुकानदार रो रहा था... उधर संत की आँखें गीली हो रही थीं!!
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बात भाव की है.. बात उस निर्मल मन की है.. बात ब्रज की है.. बात मेरे वृन्दावन की है.. 
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बात मेरे नटवर नागर और उनकी राधारानी की है.. बात मेरे कृष्ण की राजधानी की है।

बूझो तो बहुत कुछ है.. नहीं तो बस पागलपन है.. बस एक कहानी

          घर से जब भी बाहर जाये
 तो घर में विराजमान अपने प्रभु से जरूर   
                 मिलकर जाएं
                       और
 जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले
                    क्योंकि
 उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार     
                    रहता है
*"घर" में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर कहें* 
               "प्रभु चलिए..
        आपको साथ में रहना हैं"..!
     *ऐसा बोल कर ही घर से निकले*
           *क्यूँकिआप भले ही*
"लाखों की घड़ी" हाथ में क्यूँ ना पहने हो        
                      पर
  *"समय" तो "प्रभु के ही हाथ" में हैं न*
 *_🌸 जय श्री राधे  🌸_*
       *_-:~ प्रस्तुतिकरण -:~_*
        *कैलाश चंद्र लढ़ा 
        *_।।जय जय श्री राम।। _*
        *_ ।।हर हर महादेव।।  _*

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