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रविवार, 30 दिसंबर 2012

झाड़ू रखने के नियम

 














 
झाड़ू रखने के नियम
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झाड़ू के महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र द्वारा कई नियम बताए गए हैं।
- जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।

- झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए।

- ध्यान रहे झाड़ू पर जाने-अनजाने पैर नहीं लगने चाहिए, इससे महालक्ष्मी का अपमान होता है।

- झाड़ू हमेशा साफ रखें।

- ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।

- झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए।

- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।

- शनिवार के दिन घर में विशेष साफ-सफाई करनी चाहिए।

- घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

फटी एड़ियो का उपचार::

Specialy hamari Bahno ke liye - - -
फटी एड़ियो का उपचार::


शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाने, नंगे पैर चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की एड़ियां फट जाती हैं।

यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है- जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।

घरेलू इलाज

* अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।

* त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।

चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।

* गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।

* रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं। —

अनन्नास के औषधीय प्रयोग

अनन्नास के औषधीय प्रयोग :

21 कामला (पीलियां):-*हल्दी चूर्ण 2 ग्राम और मिश्री तीन ग्राम मिलाकर सेवन करने से कामला रोग में लाभ होता है।
*अनन्नास का रस पीलिया रोग को दूर करता है।"
22 मासिक-धर्म की रुकावट होने पर:-*अनन्नास के कच्चे फलों के 10 ग्राम रस में, पीपल की छाल का चूर्ण और गुड़ 1-1 ग्राम मिलाकर सेवन करने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।
*अनन्नास के पत्तों का काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पीने से भी मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।"

23 कृमि रोग:-पके अनन्नास के रस में छुहारा खुरासानी अजवायन और बायविडंग का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर, थोडे़ से शहद के साथ 5-10 ग्राम की मात्रा में चटाने से बालकों के कृमि रोग नष्ट होते हैं।
अनन्नास के पत्तों के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोज 2 ग्राम से 10 ग्राम तक सेवन करने कृमि रोग नष्ट होता है।"

24 बुखार:-अनन्नास फलों का रस देने से अथवा 20 ग्राम रस में शहद मिलाकर पिलाने से, पसीना आता है, मूत्र खुलकर आता है और बुखार का वेग कम हो जाता है।

25 पित्त के लिए:-*इसके पके फलों के टुकड़े करके एक दिन चूने के पानी में रखकर, सुखाकर, शक्कर की चासनी में डालकर मुरब्बा बना लें। यह पित्त का शमन और चित्त को प्रसन्न करता है।
*अनन्नास का शर्बत या रस 10 ग्राम और चाशनी 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पित्त शांत और हृदय शक्तिशाली होता है।"

26 दांतों का दर्द:-पके हुए अनन्नास का रस निकालकर उसके रस को रूई में भिगोकर मसूढ़ों पर लगाने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।

27 कब्ज:-अनन्नास के कच्चे फल का रस 40 ग्राम से लेकर 80 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।

28 कैन्सर (कर्कट) रोग:-अनन्नास का रस 1 गिलास रोजाना सुबह-शाम पीने से शरीर के अंदर के एक-एक अस्वस्थ तन्तु स्वस्थ हो जाते हैं तथा शरीर हर तरह से रोगों से मुक्त हो जाता है।

29 गर्भपात (गर्भ का न ठहरना):-कच्चे अनन्नास का रस बार-बार अधिक मात्रा में पीने से गर्भपात हो जाता है।

30 अग्निमान्द्यता (अपच):-* अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़ों में सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण के रूप में डालकर खाने से अपच, अजीर्ण और मंदाग्नि में लाभ होता है।
*अनन्नास के ताजे फल को काटकर सेंधानमक और कालीमिर्च के साथ देने लाभ होता है।"
31 पेट के कीड़ों के लिए:-*अनन्नास के 20 ग्राम रस में अजवायन 2 ग्राम, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम को मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अनन्नास के फल का 1 गिलास रस रोजाना पीने से लाभ होता हैं।
*अनन्नास को खाली पेट खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
*अनन्नास के फल का रस सुबह 7 दिन तक खुराक के रूप में पिलाने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं। ध्यान रहे कि इसका रस गर्भवती महिलाओं को पीने नहीं देना चाहिए।"

32 पेट में दर्द:-अनन्नास के 10 ग्राम रस में अदरक का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, भुनी हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को मिलाकर पीने से पेट में होने वाले दर्द में आराम मिलता है।

33 मूत्ररोग:-अनन्नास का रस व शर्बत पीने से पेशाब में जलन की विकृति खत्म होती है

34 एलर्जी:-अनन्नास का रस एलर्जी वाले स्थान पर लगाने और पीने से लाभ होता है।

35 हृदय के रोग:-अनन्नास में कई ऐसे रस पाए जाते हैं जो पाचक रस (एंजाइम) के रूप में कार्य करते हैं। इसके नियमित सेवन से हृदय सम्बन्धी सामान्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका अम्लीय गुण शरीर में बनने वाले अनावश्यक पदार्थों को बाहर निकाल देता है और शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।
एक कप अनन्नास का रस रोजाना पीने से दिल की बीमारी से निजात मिलती है|"

36 तुंडिका शोथ (टांसिल):-अनन्नास का रस पीने से टांसिलों की सूजन का दर्द समाप्त होता है।

37 घमौरियों के होने पर:-अनन्नास का गूदा घमौरियों पर लगाने से लाभ होता है।

38 कंठ रोहिणी के लिए:-अनन्नास का रस पीने से कंठ रोहिणी (डिप्थीरिया) की झिल्ली कट जाती है और गला साफ हो जाता है। यह इस रोग की प्रमुख औषधि है। ताजे अनन्नास में `पेप्सिन´ (पित्त का प्रधान अंश) होता है। इससे गले की खराश में बहुत आराम आता है।

39 टांसिल का बढ़ना:-टांसिल के बढ़ जाने पर अनन्नास का जूस गर्म करके पीना चाहिए।

40 गले के रोग में:-*अनन्नास का रस पीने से गले की सूजन और तालुमूल प्रदाह (तालु की जलन) समाप्त हो जाती है।
*गले के अलग-अलग रोगों में अनन्नास का रस पीने से बहुत लाभ मिलता है|"

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