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बुधवार, 13 अगस्त 2014

Janmashtami vishesh sri maheshwari times ujjain

मुश्किल में फंसे ' हिंदुओं के लिए हेल्पलाइन खोला है VHP ने...

आखिर किसी ने कुछ तो शुरू किया
...'मुश्किल में फंसे ' हिंदुओं के लिए हेल्पलाइन खोला है VHP
ने...
पहले ही दिन 85000 कॉल्स आये हैं....
यदि किसी हिंदू लड़की को कोई 'मुस्लिम लड़का' परेशान कर
रहा है, तो उसे कैसे बचाएं...
इसकी जानकारी भी दी जा रही है..
करीब तीस हजार कार्यकर्ताओं की टीम किसी भी हिंदू
की मदद के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहती है।
प्रवीण तोगड़िया का कहना है, "हिंदुओं के बीच
भाईचारा बढ़ाने के मकसद से इस हेल्पलाइन की शुरुआत
की गई थी।
हिंदुत्व के बारे में जानकारी देना और साथ ही किसी अनजान
शहर में मुश्किल में फंसे हिंदुओं को कानूनी और अन्य मदद
देना इसका मकसद है।
हम कॉलर को तुरंत मदद पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
"नई दिल्ली की हिंदू हेल्पाइन के कॉर्डिनेटर दीपक कुमार
का कहना है,
"यहां आने वाली सभी कॉल्स अहम होती हैं।
गुड़गांव के एक कॉलर ने अपनी बेटी को मुस्लिम युवकों से
बचाने के लिए मदद मांगी।
उनका कहना था कि मुस्लिम लड़कों का एक समूह
उनकी बेटी को परेशान कर रहा है।
"प्रवीन तोगड़िया जी आपने हिन्दुओं के लिए जमीनी स्तर
पर कुछ नया करने का साहस किया ..
इसके लिए धन्यवाद
दोस्तों नंबर नोट कीजिये और हिन्दू भाई बहनों में बांटिये ..
020 668 03300
075 886 82181

ये भारतीय मिडिया आखिर चल किस दिशा में रहा है...??

कोई हिन्दू एक मुस्लिम के मुहं में रोटी भी डाले तो आसमान टूट जाता है !!
मुस्लिम मदरसे पर हिन्दू लड़की से बलात्कार कर, धर्म परिवर्तन करे तो सन्नाटा !!
मेरठ में जो मदरसे में हुआ अगर वो किसी हिन्दू आश्रम में हुआ होता तो उस पर Seculars और भारतीय भांड मिडिया अभी अपने चैनल में कुछ चोरो को बैठाल कर विलाप कर रहे होते,
ये वही मिडिया है जो आसाराम मामले में कई दिन नहीं सोया ना सोने दिया किसीको, ठीक है जो गलत है,जो दोषी है उसे दिखाना अच्छी बात है, पर जब बात शांतिप्रिय समाज के कारनामों पर आती है, तब ये मिडिया मौन क्यों हो जाता है,
ये भारतीय मिडिया आखिर चल किस दिशा में रहा है...?? और सेकुलरो से तो हमे उम्मीद ही नहीं है..
किसी ने सही कहा है-
हंगामा है क्यों बरपा हिँदुओँ की लड़की है
रोज़ा तो नही टूटा इज्ज़त ही तो लुटी है ।।
हिँदुओँ सोते रहो तबतक जबतक पिताजी आकर ये खबर न दें कि तुम्हारी बहन भी गायब है।

१५ अगस्त खुशी का नहीं - शर्म का दिन है|

URL http://www.aryavrt.com/muj14w32a-15agst_upnivesh_divas से...
१५ अगस्त खुशी का नहीं - शर्म का दिन है| पाकिस्तान बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी की लाश पर बन रहा था| गांधी के अतिरिक्त मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ पटेल, वीर सावरकर और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर में एक समानता थी| सभी बैरिस्टर थे| सभी को भारतीय स्वतंत्रता (उपनिवेश) अधिनियम १९४७ का पूरा ज्ञान था| आक्रांता अंग्रेजों ने इस अधिनियम को हॉउस ऑफ कामन्स में सत्ता के हस्तांतरण के पूर्व १८ जुलाई १९४७ को पास किया था, जिसके अनुसार ब्रिटेन शासित इंडिया का दो उपनिवेशों (इंडिया तथा पाकिस्तान) में विभाजन किया गया और १५ अगस्त १९४७ को इंडिया बंट गया। १९४७ में हमें राष्ट्रहंता-पाकपिता धूर्त गांधी ने हमारी ही भूमि ९९ वर्ष के लिए किराए पर दिलवा दिया| जो राज्य अंग्रेजों के अधीन नहीं थे वे भी इसके अंतर्गत अब अंग्रेजों के अधीन हो गए | खूनियों को रोका| इंडिया का संविधान अभी भी ब्रिटेन के अधीन है| ब्रिटिश नागरिकता अधिनियम १९४८ के अंतर्गत हर इंडियन, चाहे मुसलमान या ईसाई ही क्यों न हो, बर्तानियों की प्रजा है| भारतीय संविधान के अनुच्छेदों ३६६,३७१,३७२ व ३९५ मे परिवर्तन की क्षमता संसद में नहीं है | गोपनीय समझौते, जिसका खुलासा आज तक नहीं किया जाता, के तहत वार्षिक १० अरब रूपये पेंशन व ३० हजार टन गौ मांस ब्रिटेन को दिया जाएगा| [यही गोपनीयता है, जिसकी नमो ने भी शपथ ली है] अनुच्छेद ३४८ के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय व संसद की कार्यवाही आंग्ल में होगी| गांधी ने पाकिस्तान भी बनवाया| पाकिस्तान को कश्मीर पर आक्रमण के बदले में ५५ करोड़ रु० दिलाये| माउंटबेटन से मिलकर गांधी मुसलमानों और हिंदुओं को उजड़वाता, लुट्वाता, कत्ल कराता और नारियों का बलात्कार कराता रहा| १५ अगस्त को प्रत्येक वर्ष मूर्ख हिंदू और मुसलमान उसी मानवता के संहार और नारी के बलात्कार का जश्न मनाते हैं. दोनों को लज्जा भी नहीं आती. ओ३म्|
http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/10-11/30
URL http://www.aryavrt.com/muj14w33-smjhauta से...
गांधी २०वीं सदी का मीरजाफर ...
सन १७५७ में राबर्ट क्लाइव, मीरजाफर, नवाब के तीन सेनानायक, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि थे और १५ अगस्त १९४७ को पाकपिता - राष्ट्रहंता बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी, बैरिस्टर जिन्ना, बैरिस्टर जवाहरलाल नेहरु, बैरिस्टर सरदार वल्लभभाई पटेल, बैरिस्टर अम्बेडकर और यहाँ तक कि विपक्ष के बैरिस्टर वीर सावरकर और तब से आज तक तमाम न्यायविद पैदा हुए और मर गए, लेकिन किसी ने भी भारतीय स्वतंत्रता (उपनिवेश) अधिनियम, १९४७, भारतीय संविधान के अनुच्छेदों २९(१), ३९(ग) आदि का विरोध नहीं किया| ...
नमो ने जिस भारतीय संविधान के तीसरी अनुसूची के प्रारूप के अनुसार भारतीय संविधान में आस्था और निष्ठा की शपथ ली है, उसके अनुच्छेद २९(१) ने वैदिक सनातन संस्कृति की रीढ़ तोड़ दी है| वीर्यरक्षा के केंद्र निःशुल्क गुरुकुलों में शिक्षा देने के बारे में कोई सोच ही नहीं सकता| गौ हत्या जारी है| गंगा गंदा नाला बन गई है| वेदमाता गायत्री तिरस्कृत है| उपनिवेश से मुक्ति के बारे में चर्चा करते ही आप आतंकित हो जाते हैं| भारतीय संविधान का अनुच्छेद २९(१) किसी मनुष्य को जीने का अधिकार नहीं देता| यहाँ तक कि ईसाई मुसलमान की हत्या करने का असीमित मौलिक मजहबी अधिकार रखता है और मुसलमान ईसाई की| आत्मरक्षा हेतु क्या आप के पास हमारा सहयोग करने का साहस है? एक पत्थर नहीं फेंक सकते, तो पत्थर फेंकने वालों को सहयोग तो दीजिए. खुल कर नहीं तो गुप्त रूप से ही सही. अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी. (सू० स०) Aug. 11, 14y
Registration Number is : DARPG/E/2014/04822
http://pgportal.gov.in
यह सार्वजनिक अभिलेख है| कोई भी व्यक्ति इस पर हुई कार्यवाही का उपरोक्त न० द्वारा ज्ञान प्राप्त कर सकता है| इस लेख को आप जैसे भी चाहें, यहाँ तक कि अपने नाम से भी प्रकाशित कर सकते हैं|
भवदीय:-
अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी (सूचना सचिव)
आर्यावर्त सरकार,
७७ खेड़ा खुर्द, दिल्लीः ११० ०८२.
चल दूरभाष: (+९१) ९८६८३२४०२५/९१५२५७९०४१
ईमेल : aryavrt39@gmail.com
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■गुरुत्वाकर्षण के असली खोजकर्ता कौन ? ●भास्कराचार्य या न्यूटन ?

■गुरुत्वाकर्षण के असली खोजकर्ता कौन ? ●भास्कराचार्य या न्यूटन ?


 आइये जाने भारत के असली वैज्ञानिक को.......
गुरुत्वाकर्षण की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। माना जाता है की सन 1666 में गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने की | तो क्या गरूत्वाकर्षण जैसी मामूली चीज़ की खोज मात्र 350 साल पहले ही हुई है? ...नहीं।
हम सभी विद्यालयों में पढ़ते हैं की न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज की थी परन्तु मह्रिषी भाष्कराचार्य ने न्यूटन से लगभग 500 वर्ष पूर्व ही पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था |
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे। इनका जन्म 1114 ई0 में हुआ था। भास्कराचार्य उज्जैन में स्थित वेधशाला के प्रमुख थे। यह वेधशाला प्राचीन भारत में गणित और खगोल शास्त्र का अग्रणी केंद्र था।
जब इन्होंने "सिद्धान्त शिरोमणि" नामक ग्रन्थ लिखा तब वें मात्र 36 वर्ष के थे। "सिद्धान्त शिरोमणि" एक विशाल ग्रन्थ है।
जिसके चार भाग हैं
(1) लीलावती
(2) बीजगणित
(3) गोलाध्याय और
(4) ग्रह गणिताध्याय।
लीलावती भास्कराचार्य की पुत्री का नाम था। अपनी पुत्री के नाम पर ही उन्होंने पुस्तक का नाम लीलावती रखा। यह पुस्तक पिता-पुत्री संवाद के रूप में लिखी गयी है। लीलावती में बड़े ही सरल और काव्यात्मक तरीके से गणित और खगोल शास्त्र के सूत्रों को समझाया गया है।
भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
"मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो,
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।"
सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
आगे कहते हैं-
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं।
ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण भी उपलब्ध हैं !
तथा इसके अतिरिक एक और बात मैं जोड़ना चाहूँगा की निश्चित रूप से गुरुत्वाकर्षण की खोज हजारों वर्षों पूर्व ही की जा चुकी थी जैसा की महर्षि भारद्वाज रचित 'विमान शास्त्र ' के बारे में बताया था ।
विमान शास्त्र की रचना करने वाले वैज्ञानिक को गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बारे में पता न हो ये हो ही नही सकता क्योंकि किसी भी वस्तु को उड़ाने के लिए पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का विरोध करना अनिवार्य है। जब तक कोई व्यक्ति गुरुत्वाकर्षण को पूरी तरह नही जान ले उसके लिए विमान शास्त्र जैसे ग्रन्थ का निर्माण करना संभव ही नही |
अतएव गुरुत्वाकर्षण की खोज कई हजारों वर्षो पूर्व ही की जा चुकी थी।
हमे गर्व है भारत के गौरवशाली ज्ञान और विज्ञान पर। अब आवश्यकता है इसको विश्व मंच पर स्थापित करने की।

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