■गुरुत्वाकर्षण के असली खोजकर्ता कौन ? ●भास्कराचार्य या न्यूटन ?
आइये जाने भारत के असली वैज्ञानिक को.......
गुरुत्वाकर्षण की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। माना जाता है की
सन 1666 में गुरुत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने की | तो क्या गरूत्वाकर्षण
जैसी मामूली चीज़ की खोज मात्र 350 साल पहले ही हुई है? ...नहीं।
हम
सभी विद्यालयों में पढ़ते हैं की न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज की थी
परन्तु मह्रिषी भाष्कराचार्य ने न्यूटन से लगभग 500 वर्ष पूर्व ही पृथ्वी
की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था |
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री थे।
इनका जन्म 1114 ई0 में हुआ था। भास्कराचार्य उज्जैन में स्थित वेधशाला के
प्रमुख थे। यह वेधशाला प्राचीन भारत में गणित और खगोल शास्त्र का अग्रणी
केंद्र था।
जब इन्होंने "सिद्धान्त शिरोमणि" नामक ग्रन्थ लिखा तब वें मात्र 36 वर्ष के थे। "सिद्धान्त शिरोमणि" एक विशाल ग्रन्थ है।
जिसके चार भाग हैं
जिसके चार भाग हैं
(1) लीलावती
(2) बीजगणित
(3) गोलाध्याय और
(4) ग्रह गणिताध्याय।
(2) बीजगणित
(3) गोलाध्याय और
(4) ग्रह गणिताध्याय।
लीलावती भास्कराचार्य की पुत्री का नाम था। अपनी पुत्री के नाम पर ही
उन्होंने पुस्तक का नाम लीलावती रखा। यह पुस्तक पिता-पुत्री संवाद के रूप
में लिखी गयी है। लीलावती में बड़े ही सरल और काव्यात्मक तरीके से गणित और
खगोल शास्त्र के सूत्रों को समझाया गया है।
भास्कराचार्य सिद्धान्त की बात कहते हैं कि वस्तुओं की शक्ति बड़ी विचित्र है।
"मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो,
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।"
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:।।"
सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
आगे कहते हैं-
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
"आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं,
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति,
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।।"
- सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय - भुवनकोश
अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी
पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर
जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश
में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ
संतुलन बनाए रखती हैं।
ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे
आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण भी उपलब्ध हैं !
तथा
इसके अतिरिक एक और बात मैं जोड़ना चाहूँगा की निश्चित रूप से गुरुत्वाकर्षण
की खोज हजारों वर्षों पूर्व ही की जा चुकी थी जैसा की महर्षि भारद्वाज
रचित 'विमान शास्त्र ' के बारे में बताया था ।
विमान शास्त्र की
रचना करने वाले वैज्ञानिक को गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बारे में पता न
हो ये हो ही नही सकता क्योंकि किसी भी वस्तु को उड़ाने के लिए पृथ्वी की
गुरुत्वाकर्षण शक्ति का विरोध करना अनिवार्य है। जब तक कोई व्यक्ति
गुरुत्वाकर्षण को पूरी तरह नही जान ले उसके लिए विमान शास्त्र जैसे ग्रन्थ
का निर्माण करना संभव ही नही |
अतएव गुरुत्वाकर्षण की खोज कई हजारों वर्षो पूर्व ही की जा चुकी थी।
हमे गर्व है भारत के गौरवशाली ज्ञान और विज्ञान पर। अब आवश्यकता है इसको विश्व मंच पर स्थापित करने की।
हमे गर्व है भारत के गौरवशाली ज्ञान और विज्ञान पर। अब आवश्यकता है इसको विश्व मंच पर स्थापित करने की।
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