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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

मुझे अपने 12 साल के बच्चे को किस coding language की सलाह देनी चाहिए जो प्रोग्रामिंग में रूचि रखता हैं?


प्रोग्रामिंग बहुत विस्तारित क्षेत्र है। 6-12 साल की उम्र में प्रोग्रामिंग के मूलभूत व सामान्य नियम / सिद्धांत सीखना उपयुक्त है। इसका मुख्य कारण यह है कि किसी भी छोटे से लेकर बड़े प्रोग्राम तक में भी मूलभूत नियम में गलती, सम्पूर्ण प्रोग्राम को त्रुटिमय बना देती है फलस्वरूप प्रोग्राम कम्पाइल नही हो पाता। साथ ही अन्य उच्च स्तरीय प्रोग्राम भी इन्ही सिद्धांतों से शुरू किए जाते है।

शुरुआत में सी ++ एवं एचटीएमएल (C++ and HTML) सीखने की सलाह दी जाती है क्योंकि C++ से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के प्रोग्राम बनाये जाते है जबकि HTML से वेब डवलपमेंट के प्रयोग बनाये जाते है। दोनो ही अपने क्षेत्र में मूलभूत आधार तैयार करने के लिए उत्तम है।

बाद में यदि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में विस्तारपूर्वक एवं गहराई से अध्ययन करना हो तो Python, Rubi, Java, C#, SQL इत्यादि का अध्ययन किया जा सकता है। तथा यदि वेब डवलपमेंट में विस्तारपूर्वक एवं गहराई से अध्ययन करना हो तो PHP, CSS, JavaScript, Advance Java इत्यादि का अध्ययन किया जा सकता है।

आप उसे एंड्रॉयड प्रोग्रामिंग सीखा सकते हैं।
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Ankur kumar

मेरी बात मानो, उसे Android Studio सिखाओ।

इसके दो फायदे हैं।

पहला, इसकी मदद से Android के apps बनते हैं। WhatsApp, Hotstar, Evernote, ShareIT आदि जैसे अनेक apps Android Studio पर ही बने हैं। इससे एक बात तो साफ है - C++ या HTML का जिस तरह scope खत्म हो रहा है, भविष्य में Android Studio का scope खत्म नहीं होगा।

और दूसरा, इसमे काम करने के दो तरीके हैं — कोड लिखना…

…और मेरा मनपसंद, सीधा बटन, textbox आदि उठा उठाकर स्क्रीन पर डाल देना!

तो ये आसान भी है। इसलिए ही तो सब इसका इस्तमाल करते हैं।

महिलाओं को घर से ही काम करके अच्छी कमाई करने का अवसर दे रही है #WhiteHatJr


इस कठिन समय में जब लोग अपनी नौकरी खो रहे हैं, वेतन में कटौती का सामना कर रहे हैं और अपने काम से जुड़ना मुश्किल हो रहा है, तो एक ख्याल दिमाग में आता है ...।

"काश मेरे पास आय का एक वैकल्पिक स्रोत होता।"

हम सभी जानते हैं कि बदलते समय के साथ , हम लोगों को असामान्य मांगों के साथ खुद को समायोजित करना मुश्किल लगता है। अभी के इन मुश्किल हालात में लोगों को काम के लिए घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है, विशेष रूप से महिलाओं को, क्योंकि बच्चे स्कूल बंद होने के कारण घर पर हैं और किसी को उनकी देखभाल के लिए घर पर रहना पड़ता है।

लेकिन एक ऐसी कम्पनी है , जो महिलाओं को अपनी सुविधानुसार पसंद के समय में घर से ही काम करके अच्छी कमाई करने का अवसर दे रही है।

बच्चों के खाली समय में घर से कोडिंग सीखने का एक नया चलन है। और व्हाइटहैट जूनियर अपनी विश्व स्तर की विशेषज्ञता के साथ एक ऐसी अग्रणी कंपनी है, जो बच्चों को घर से सीखने और महिलाओं को बिना किसी पूर्व अनुभव के कोडिंग सिखाने का अवसर प्रदान करती है।

वास्तव में वे शिक्षिकाओं को प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें प्रमाण पत्र के साथ ही सुनिश्चित वेतन भी देते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि इसके लिए आपको घर से ही एक कठिन तीन स्तरीय स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और चयन होने के बाद भी कड़ी मेहनत से सीखना और सीखाना पड़ता है।

इसके लिए आपको इन सब की आवश्यकता है:

  1. एक ग्रेजुएट डीग्री,
  2. अंग्रेजी बोलना आना,
  3. एक लैपटॉप / कंप्यूटर,
  4. एक वाईफाई कनेक्शन और
  5. कड़ी मेहनत की इच्छा ।

स्क्रीनिंग प्रक्रिया के लिए निम्न लिंक में पंजीकरण कर सकते हैं:

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इस लेख को आगे बढ़ाकर अपने मित्रों और संबंधियों को इस कठिन समय में कमाई करने में मदद करें।

धन्यवाद्। 🙏


आजकल तो बच्चे भी कोडिंग सिख रहे है और ऐप्प बना रहे है | बच्चो को कोडिंग सिखाना चाहते है चाहे वो क्लास 1 में हो या क्लास 10 में या +2 में आप सिखा सकते है whitehat.jr जूनियर वेबसाइट पर | यहाँ पर कोडिंग के लिए free ट्रायल मिल जायेगा | यहाँ कोडिंग सिखाया जाता है  ये एक इंडियन वेबसाइट है | यहाँ पर कोडिंग कोर्स कर सकते है |

कोडिंग सिख कर app बना कर playstore पर डाल सकते है | और आप कमाई भी कर पाएंगे

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सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।


*अपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं*

 1।  एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिरदर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। एक बार उन्होंने कहना शुरू किया कि उन्हें कलकत्ता में रहने पर एक बूढ़े व्यक्ति ने ,जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था,सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।

 2।  एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। फिर उसने कहा कि एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ और स्वस्थ हो गई।

 3।  एक सज्जन जो एक व्यापारी हैं, ने लिखा है कि मैं अवकाश के लिए चित्राल गया था। मैं वहाँ एक होटल में सोया था। मैं सो नहीं सका। मैं बाहर घूमने लगा। रात में बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने मुझसे पूछना शुरू किया, "क्या बात है?"  मैंने कहा नींद नहीं आ रही है!  वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" मैंने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया। अब मैं सामान्य हो गया हूं।

 4।  मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर इस तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।

 5।  मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।

 6।  वास्तव में!  इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश की। इस प्रक्रिया ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।

 7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं।

 8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।

 9।  मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। मैंने रात को सोने जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।

 10  रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।

 1 1।  बड़ी अदभुत बात है।  यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।

 12  मेरे दादाजी के पैरों के तलवों में जलन होती थी और सिरदर्द होता था। जब से उन्होंने अपने तलवों पर कद्दू का तेल लगाना शुरू किया, दर्द दूर हो गया।

 13. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में बिस्तर पर जाने से पहले पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।

 14।  मेरे पैर सुन रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। एक बड़ा अंतर है।

 15. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था।  उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा।  मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है।  खर्राटों को रोकता है।

 16।  पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है।

 17।  तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।

 18. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था।  जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।

 19. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।

 *रहस्य इस प्रकार है:*

 रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है। *किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर तलवों पर तीन मिनट के लिए और दाहिने पैर के तलवे पर तीन मिनट के लिए।* रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं।  क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए।

 *प्राचीन चीनी चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं।  उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।*

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भगवान् किसको मिलते है ?


भगवान् किसको मिलते है ?


निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥

जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल-छिद्र नहीं सुहाते।


वृंदावन में एक भक्त रहते थे जो स्वाभाव से बहुत ही भोले थे । उनमे छल ,कपट ,चालाकी बिलकुल नहीं थी । बचपन से ही वे भक्त जी वृंदावन में रहते थे , श्री कृष्ण स्वरुप में उनकी अनन्य निष्ठा थी और वे भगवान् को अपना सखा मानते थे । बहुत शुद्ध आत्मा वाले थे , जो मन में आता है वही भगवान से बोल देते है ।वो भक्त कभी वृंदावन से बहार गए नहीं थी ।एक दीन भोले भक्त जी को कुछ लोग जगन्नाथ पुरी में भगवान् के दर्शन करने लग गए । पुराने दिनों में बहुत भीड़ नहीं होती थी अतः वे सब लोग जगन्नाथ भगवान् के बहुत पास दर्शन करने गए । भोले भक्त जी ने जगन्नाथ जी का स्वरुप कभी देखा नहीं था , उसे अटपटा लगा ।

उसने पूछा – ये कौनसे भगवान् है ? ऐसे डरावने क्यों लग रहे है ? सब पण्डा पूजारी लोग कहने लगे – ये भगवान् श्री कृष्ण ही है , प्रेम भाव में इनकी ऐसी दशा हो गयी है । जैसे ही उसने सुना – वो जोर जोर से रोने लग गया और ऊपर जहां भगवान् विराजमान है वहाँ जाकर चढ़ गया । सब पण्डा पुजारी देखकर भागे और उससे कहने लगे की निचे उतरो परंतु वह निचे नहीं उतरा । उसने भगवान् को आलिंगन देकर कहा – अरे कन्हैया ! ये क्या हालात बना र खी है तूने ? ये चेहरा कैसे फूल गया है तेरा , तेरे पेट की क्या हालात होंगयी है । यहां तेरे खाने पिने का ध्यान नहीं रखा जाता क्या ? मैं प्रर्थना करता हूं ,तू मेरे साथ अपने ब्रिज में वापस चल । मै दूध, दही ,मखान खिलाकर तुझे बढ़िया पहले जैसा बना दूंगा ,सब ठीक हो जायेगा तू चल ।

पण्डा पुजारी उन भक्त जी को निचे उतारने का प्रयास करने लगे , कुछ तो निचे से पीटने भी लगे परंतु वह रो रो कर बार बार यही कह रहा था की कन्हैया , तू मेरे साथ ब्रज में चल , मै तेरा अच्छी तरह ख्याल करूँगा । तेरी ऐसी हालात मुझसे देखी नहीं जा रही । अब वहाँ गड़बड़ मच गयी तो भगवान् ने अपने माधुर्य श्रीकृष्ण रूप के उसे दर्शन करवाये और कहा – भक्तो के प्रेम में बंध कर मैंने कई अलग अलग रूप धारण किये है , तुम चिंता मत करो । जो जिस रूप में मुझे प्रेम करता है मेरा दर्शन उसे उसी रूप में होता है , मै तो सर्वत्र विराजमान हूँ । उसे जगन्नाथ जी ने समझा बुझाकर आलिंगन वरदान किया और आशीर्वाद देकर वृंदावन वापस भेज दिया । इस लीला से स्पष्ट है की जिसमे छल कपट नहीं है ,जो शुद्ध हृदय वाला भोला भक्त है उसे भगवान् सहज मिल जाते है ।

मेवाड़ वीर राणा पुंजा भील की जन्म जयंती पर विशेष 05 Oct 2020


राणा पुंजा भील की जन्म जयंती पर विशेष
05 Oct 2020
*मेवाड़ वीर राणा पूंजा भील-एक समग्र परिचय*

विश्व की सबसे प्राचीन अरावली पर्वत श्रृंखला में वाकल, सोम व साबरमती नदियों के उद्गम स्थलों के संधीय भोमट के पठार  में जन्मा भारतीय संस्कृति का एक जनजाति रक्षक-राणा पूंजा भील ने महाराणा प्रताप के साथ मिलकर  क्षात्रधर्मी पथ का राष्ट्र व संस्कृति सेवा के रूप में अपने धर्म का वरण किया। पंडित नरेंद्र मिश्र के शब्दों में- *संकट में धरती पुत्रों का माता ने जब आह्वान किया।* *तब एकलव्य की निष्ठा से पूजा ने शर-संधान किया ।।*

आत्मविश्वास और स्वाभिमान के धनी भील जनजातियों के इस नायक ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का मित्र, संकटमोचक वह आत्मिक सहयोगी की भूमिकाओं का निर्वहन करते हुए ऐतिहासिक गौरव का सम्मान प्राप्त किया है।

आरंभिक जीवन- राणा पूंजा भील का जन्म 5 अक्टूबर को भीलों की होलकी (सोलंकी) गोत्र में पिता खेता दूल्हा और माता केहरी के पुत्र के रूप में हुआ। यह सपूत मात्र 13 वर्ष की आयु में मेवाड़ की मेरपुर रियासत की गद्दी पर आसीन हुआ जो आधुनिक गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित भील व गरासिया बाहुल्य क्षेत्र है। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में संगठनात्मक शक्ति, स्वामीभक्ति, राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता, प्रतिभा और कर्तव्य के प्रति समर्पण को देखते हुए महाराणा उदय सिंह ने उन्हें *राणा* की उपाधि से सम्मानित किया।

भोमट का राजा- मेवाड़ की पश्चिम भाग में स्थित दुर्गम पहाड़ी रियासत के कम वय में भूमिया सरदार के रूप में कवियों का निर्वहन करते हुए राणा पूंजा ने जनजातियों को एक सेना के रूप में संगठित, प्रशिक्षित और प्रतिबद्ध किया जो सर्वधर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए विरोचित गुणों से सुसज्जित किया । क्षेत्र की भौगोलिक एकाकीपन को एक प्राकृतिक किले के रूप में विकसित किया। किसी भी संकट के समय रक्षा के निमित्त क्षेत्र के सभी प्रवेश वाले मार्गों को नियंत्रण में लिया।

राजनीतिक परिवेश-11-12वीं सदी में इस्लामिक आक्रमणों के कारण भारतवर्ष की उत्तर पश्चिमी सीमा पर राजनीतिक स्थिरता आ गई थी। दिल्ली पर आरंभ में सल्तनत और बाद में मुगलों के कब्जे के कारण दक्षिणी भारत के अभियानों का मार्ग राजस्थान से गुजरता था। इस कारण राजस्थान के अधिकांश राजपूत शासकों को अपने आश्रय में लेकर मुगल बादशाह अकबर मेवाड़ पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा था। इस कठिन समय में राणा पूंजा अपनी भील सेना के साथ महाराणा प्रताप की साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक अथक-अंतहीन संघर्ष के लिए खड़े थे।

उपलब्धियां- मेवाड़ की कमान अपने हाथ में लेने के साथ ही कठिन राजनीतिक परिवेश में महाराणा प्रताप ने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए अनवर अनवरत संघर्ष का मार्ग चुना। इस दौरान उनके राज्याभिषेक में राणा पूंजा भील अपने वीर सैनिकों सहित कुंभलगढ़ में उपस्थित रहे। मुगलों के संभावित आक्रमण को देखते हुए आगे की रणनीति के लिए राणा पूंजा ने अपने उपयोगी सुझाव दिए एवं चेन्नई कार्यों की तैयारी से संबंधित उत्तरदायित्व अपने कंधों पर उठाने का संकल्प लिया। सन् 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में भील पदातियों के साथ राणा पूंजा ने तीर-कमान, छोटी तलवारों और गोफन जैसे परंपरागत हथियारों के साथ युद्ध स्थल के दाएं ओर का मोर्चा संभालते हुए दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। इस युद्ध के बाद की क्रमिक घटनाओं में भील सेना द्वारा आविष्कृत छापामार प्रणाली से आक्रमण करते हुए मुगल सेना को भील सैनिकों ने खूब छकाया । रक्त तलाई की लड़ाई में यह छापामार प्रणाली के बहुत अनुकूल परिणाम रहे। युद्ध काल में हल्दीघाटी के पास मुहाने की पहाड़ी पर महाराणा प्रताप की रक्षा करने का जिम्मा भी इस सेना ने उठाया। एक निश्चित रणनीति के स्थान पर दुर्गम पहाड़ियों में गतिशीलता के साथ आक्रमण करना और पीछे हट जाने की रणनीति ने मेवाड़ी सरदार की शान बढ़ाई। महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली गोगुंदा कस्बे की सुरक्षा और यहां आई मुगल सेना को आक्रामक ढंग से घेरकर सबको चकित कर दिया था। भोमट के क्षेत्र में मुगल सेना के संभावित आक्रमण को देखते हुए सभी दिशाओं में नाकाबंदी का कार्य भील सेना ने संभाला था। संकट के समय में राजकोष की सुरक्षा के साथ ही राज परिवार की स्त्रियोंऔर बच्चों की जिम्मेदारी भील सेना को दिया जाना, इस बात का अमिट साक्ष्य है कि मेवाड़ का राजपरिवार जनजातियों के निष्ठावान गुणों का कितना विश्वास करता था। इस संदर्भ में दुर्गम स्थान पर आपात राजधानी के रूप में आवरगढ़ किले की योजना, निर्माण, सुरक्षा और आपात प्रबंध की पूरी व्यवस्था राणा पूंजा की भील सेना द्वारा की गई।

ऐतिहासिक महत्व- जो दृढ़ राखे धर्म को ताहि राखे करतार...की नीति पर चलने वाले महाराणा प्रताप ने जब धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा का जो प्रण लिया तब एक स्वाभाविक राष्ट्र आराधना के निमित्त भीलों ने राणा पूंजा के नेतृत्व में मुगलों की विस्तारवादी नीति के विरुद्ध स्वयं को एक अभेद्य जीवंत प्राचीर के रूप में खड़ा कर दिया। छापामार युद्ध प्रणाली द्वारा हल्दीघाटी के युद्ध के उपरांत संकट काल में संचार, कोष और राज परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करते हुए सबसे महत्व के कार्य किए। मेवाड़ की जनजातियों ने सैनिक व संस्कृति रक्षक के रूप में अपने स्वाभाविक कर्तव्यों द्वारा अपूर्व योगदान दिया जिसके परिणामस्वरूप जग प्रसिद्ध मेवाड़ी संस्कृति में 'राणी जायो, भीली जायो-भाई भाई' का भाव आज भी लोगों की जुबान पर है। राणा पूंजा भील ने अपनी  सेना के साथ वीरोचित कार्यों को मेवाड़ के राज्य चिन्ह को भी जीवंत कर दिया जिसमें एक ओर महाराणा और दूसरी ओर भील सैनिक, सरदार रूप में, प्रदर्शित किया गया है। यह गाथा इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने योग्य एवं जनमानस के पटल पर अंकित है कि आन बान शान की रक्षा के लिए जनजातियां सदा ही अपने स्वाभाविक क्षात्र धर्म का निर्वहन करते हुए जन इतिहास को युगों युगों के लिए अविस्मरणीय करती है।

राणा पूंजा भील-गीत दोहा-- बेरी उबो थरथर कापे सुन राणा री हुणकार । तीर कामड़ी गोपण लेकिन उबा भील वीर सरदार ।।

गीत.. राणा थारी आण रे मां बांधी भीला पाल रे । राणा थारी आण रे मां बांधी भीला पाल रे। आयो रे बेरिया रो अब, आयो रे बेरिया रो अब काल रे मेवाड़ी राणा थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी भीला टोल रे। नील गगन सूं आओ रणधीरा-2 भीला ने आसिस दीजो रणधीरा।। जय एकलिंग गढ़ जय एकलिंग गढ़ बोर रे मेवाड़ी राणा थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी भीला टोल रे।।

तीर कबाण राणा थारी रे तलवारा-2 बल पे रिजो रे राणा बैरिया ने ललकारा बैरी कोई खोले पट ना बैरी कोई खोले पट ना पाट रे थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी पूंजा टोल रे।।

अंगरखी पगरखी नी चावे खणदण रे-2 हिवड़ा सू प्यारी माणे राणा थारी आण रे। लड़ाला-मरांला लड़ाला-मरांला पण खा चण बोर रे । थारे पाछे उबी भीला टोल रे। थारे पाछे उबी पूंजा टोल रे।।

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