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मंगलवार, 4 जुलाई 2023

शिव का सावन

शिव का सावन
#शिव का सावन #समुद्र-मंथन #विनाशकारी रत्न हलाहल #कंठ #पवित्र गंगा #प्रकृति के ही देवता #जय श्री राम
आज सावन का आरंभ हो गया है। सावन को भगवान शिव का महीना कहा गया है। इस मान्यता के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के संयुक्त प्रयास से समुद्र-मंथन का अभियान सावन में ही चला था। अभियान में मिले ज्यादातर रत्नों का बंटवारा तो देवों और असुरों ने आपस में कर लिया लेकिन एक विनाशकारी रत्न हलाहल का कोई दावेदार नहीं था। सृष्टि को इस विष के घातक प्रभाव से बचाने के लिए शिव ने उसे स्वयं पीना स्वीकार किया। यह नीला जहर उनके कंठ में एकत्र हो गया जिसके कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला। उनके शरीर में विष का ताप कम करने के लिए देवों ने दूर-दूर से गंगाजल लाकर उनका अभिषेक किया। तब से शिवभक्तों द्वारा सावन के महीने में पवित्र गंगा से जल लेकर भारत के विभिन्न ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। यह कथा तो खैर कथा ही है, वरना जिस शिव की जटा में ही गंगा का वास है उनके लिए कहीं दूर से गंगाजल ढोकर लाने की क्या आवश्यकता थी ?

मेरी समझ से शिव और सावन का रिश्ता यह है कि सावन में प्रकृति अपने को नए सिरे से गढ़ती है और शिव प्रकृति के ही देवता हैं। प्रकृति के एक विराट रूपक। पर्वत उनका आवास है। वन उनकी क्रीड़ाभूमि। सांप, बैल, मोर, चूहा उनके परिवार के सदस्य हैं। उनके पुत्र गणेश का सर हाथी का है। उनकी पत्नी पार्वती के एक रूप दुर्गा का वाहन सिंह है। नदी उनकी जटाओं से निकलती है। योग से वे वायु को नियंत्रित करते हैं। उनकी तीसरी आंख में अग्नि का तेज और माथे पर चंद्रमा की शीतलता है। उनका त्रिशूल प्रकृति के तीन गुणों – रज, तम और सत का प्रतीक है। उनके डमरू के स्वर में प्रकृति का संगीत है। उनके तांडव में प्रकृति का आक्रोश। उनकी पूजा दुर्लभ और महंगी पूजन सामग्रियों से नहीं, प्रकृति में बहुतायत से उपलब्ध बेलपत्र, भांग की पत्तियों, धतूरे और कनैल के फूलों से होती है। शिव निश्छल, भोले, कल्याणकारी हैं। एकदम प्रकृति की तरह। शिव का जीवन इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर जीवन में सुख-शांति, सरलता, सादगी, शौर्य, योग, अध्यात्म सहित कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। शिव का सावन प्रकृति के साथ साहचर्य का संदेश है। यह चेतावनी भी कि प्रकृति के साथ अनाचार का नतीजा अंततः प्रलयंकारी तांडव के सिवा कुछ नहीं होने वाला है।

आप सबको सावन की असीम शुभकामनाएं !

जय श्री राम

इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग

आज से शुरू होगा सावन मास
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इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग
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सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना 2 महीने का रहने वाला है। 

कब से शुरू हो रहा है सावन 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। कहा जाता है कि यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।

दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। यानी इस बार सावन में भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

बता दें कि वैदिन पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है। और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिकमास कहा जाता है। इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 8 सोमवार मिलेंगे।

सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब ०२ महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में ०८ सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना ०२ महीने का रहने वाला है। 


सावन सोमवार का महत्व
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कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

०४ जुलाई २०२३ से शुरु हो रहा है सावन का
पवित्र महीना, कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?
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देवों के देव महादेव अपने भक्त की थोड़ी सी भक्ति पर भी प्रसन्न हो जाते हैं और उसको उसका मनवांछित फल दे देते हैं, तभी तो उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं। आप अगर जीवन में हर तरफ से संकटों से घिर जाते हो तो महादेव की आराधना ही आपको सभी कष्टों से दूर करती है। पर भगवान भोलेनाथ की आराधना भक्त के सभी संकट दूर करती हैं।

सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। कहते हैं कि सावन का ये महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है और शास्त्रों में भी इसे पवित्र महीना माना गया है। शिव भक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार यानि ०४ जुलाई से इस पवित्र महीने की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से वो प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी मान्यता हैं कि जो भक्त सावन मास के सोमवार की पूजा करता है या व्रत रखता है तो भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सभी देवी देवताओं में भगवान शिव ही अकेले ऐसे देवता है, जिन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। याद रखें कि इस दौरान भगवान शिव का मंत्रोचारण जरुर करें, महामृत्युञ्जय मंत्र उनका प्रिय मंत्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से काल के भय से छुटकारा मिल जाता है। ये मंत्र है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्‌॥

ॐ नमः शिवाय.

सोमवार के दिन कैसे करें भगवान शिव की पूजा?

-सावन में सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें।

-इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

-साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।

-पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।

-शिवलिंग पर धतूरा, भांग, चंदन चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं।

-प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।

-धूप और दीप से गणेश जी की आरती करें।

-आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

मान्यता है कि सावन महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से शिव भक्तों पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

शनिवार, 1 जुलाई 2023

20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

जनोपयोगी नुस्खे
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20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।
1👉 प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

2👉 प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।

3👉 टमाटर के सेवन से चिढ़ चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर कर मस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है। इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।

4👉 तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से सर्दी, जुखाम व खांसी दूर होती है।

5👉 चाय की पत्ती  की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम, छींके आना, नाक बहना ,जलन व सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।

6👉 रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।

7👉 पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में 3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।

8👉 पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने से पेट के घाव व अल्सर में आराम मिलता है।

9👉 मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।

10👉  भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।

11👉 भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।

12👉  दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

13👉  हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।

14👉  मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।

15👉  अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।

16👉 आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवं शराब पीने की इच्छा नहीं होती।

17👉  नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें, इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।

18👉  प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।

19👉  20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व शरीर पुष्ट होता है।

20👉 अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।
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गुरुवार, 29 जून 2023

100 करोड़ लोगों के रोजगार की योजना


*100 करोड़ लोगों के रोजगार की योजना* 

जी हां , स्वतंत्र रोजगार ! नौकरी नहीं ! अपना स्वयं का रोजगार, वह भी हजारों पीढ़ियों तक आनंद के साथ प्राप्त होने वाला रोजगार.....। *परिणाम* - राष्ट्र की सभी समस्याओं का समाधान। जी हां , रोजगार के साथ-साथ राष्ट्र की सभी की सभी समस्याओं का समाधान।
राष्ट्र के शहरों में मेक इन इंडिया की मशीनों से दी जाने वाली रोजगार योजना कुछ हजार लोगों को अमीर बना कर करोड़ों - करोड़ों लोगों को गरीब मात्र गरीब बनाने वाली योजना है। यह मशीन के उद्योगों की व्यवस्था भारत की आबादी की शक्ति के लिए बेरोजगारी बढ़ाकर भारतीय प्रजा के प्राण समान संस्कृति के लिए विनाश ही विनाश लाने वाली योजना (व्यवस्था) है।
भारत में विकास लाने वाली,भारतीय प्रजा में वास्तविक विकास लाने वाली एकमात्र व्यवस्था है। वह है गोचर भूमि और जल की व्यवस्था स्थापित करना। जो इस प्रकार हैं....( *1* ) भारत के हर गांव के बाहर जो गोचर भूमि होती है। उस पर षड्यंत्र के तहत उगाएं गए अंग्रेजी बबूल को हटाना।
गोचर भूमि से अंग्रेजी बबूल हटाकर गोचर भूमि की बाउंड्री पर चारों और छोटे छोटे तालाब खोदना। गोचर में घास के बीज की बुवाई करके कुछ बड़े वृक्षों का रोपण करना। फुआरा सिस्टम से घास को पानी पिला कर हम प्रतिवर्ष    खरबों टन चारा प्राप्त कर पाएंगे। प्राचीन रोजगार के प्राण समान गोवंश को एक बार की इस व्यवस्था से हजारों वर्षों तक चारा प्राप्त होता रहेगा। (सूचना - विकसित करने की कार्य पद्धति में परिवर्तन संभावित है) ( *2* ) भरपूर मात्रा में गोवंश की हत्या करने के पश्चात गोवंश के उपलों के इंधन की कमी हुई। इंधन की पूर्ति के लिए लोगों ने वृक्ष काटे। वृक्ष कटने से मिट्टी बह कर नदियों में चली गई। परिणामत: नदियों में पानी रुकना व जमीन में उतरना बंद हो गया।अतः सभी नदियों में से 10 से 40 फीट मिट्टी निकाल लेनी चाहिए। मिट्टी पुनः नदी में ना जाए इसलिए नदी की पाल पर और संपूर्ण गांव में गहराई की जड़ों वाले वृक्षों का रोपण करना होगा। तथा नदी की पाल पर और गांव की खाली जगहों पर घास उगानी होगी।
भारत में 6 लाख 50 हजार गांव है। जहां उपरोक्त यह दोनों प्रकार की व्यवस्था करने मात्र से ही 100 करोड़ लोगों को बिल्कुल सरलता पूर्वक रोजगार(व्यवसाय) उपलब्ध कराने के मार्ग खुल जाते हैं। मात्र 3 वर्षो की मेहनत से राष्ट्र को आर्थिक मजबूती के साथ अजेय शक्ति के रूप में निश्चित ही खड़ा कर सकते हैं। यह सभी व्यवसाय एक दूसरे की पूरक हैं। एक दूसरे की रक्षक हैं। एक दूसरे की पोषक हैं। अर्थात सभी मिलजुल कर ही यह सभी व्यवसाय(अर्थ पुरुषार्थ) कर सकते हैं। हर हाथ को काम देने वाली यह व्यवस्था जीवित रखकर एक गांव में 1500 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं । इस हिसाब से संपूर्ण भारत में 100 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। आइए इसे हम विस्तार से देखते हैं....।
[ *सूत्र* :-- एक गांव में..... परिवार (5 सदस्य) के हिसाब से ...... लोगो को रोजगार प्राप्त होगा। संपूर्ण भारत (650000 गांव) मैं...... करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।]
*✓ *कृषि* - कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण गोबर के खाद की ओर पानी की उपरोक्त व्यवस्था होने से एक गांव में 200 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 65 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।(200×5=1000×650000 = 65 करोड) *परिणाम* - धरती माता को बिना जहर का नुकसान पहुंचाए , लोगों को कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से मुक्ति मिलेगी। किसान लगभग बिना पैसे लगाए आज की अपेक्षा कई गुना अधिक उत्पादन कर पाएंगे। युद्ध काल में अन्न भंडार, औद्योगिक क्षेत्र , जल भंडार (डेम) पर बम वर्षा कर दे तो उससे कई गांव व शहर बर्बाद हो सकते हैं। किंतु उससे अधिक नुकसान सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से होता है। अंततःभूखे मर रही जनता में विद्रोह होने की संभावना रहती है।
 जिसे प्राचीन नदी, तालाब जैसी व्यवस्था से रोक सकते हैं। युद्ध के समय महंगे बमो की वर्षा शहरों पर ही होती है। किसी भी बम के सामने बम डाले जा सकते हैं। किंतु रक्षा के लिए गोमूत्र , गो दूध , घी से रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने की आवश्यकता होगी । गोबर के यज्ञ की ,घर ऑफिस में गोबर के लिंपन की , खेत, जल भंडारों पर गोबर , गोमूत्र के भरपूर छिड़काव की आवश्यकता होगी।
*✓  *बैल घानी -* एक गांव में 2 बैल घानी के चलने से 2 परिवार के हिसाब से और शहरों में चलाई जाने वाली बैल घानी के हिसाब से संपूर्ण भारत में 1 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। घानी बनाने वालों के रोजगार अलग से। *परिणाम* - कोलस्ट्रोल बढ़ाने वाले केमिकल तेल से मुक्ति पाकर लाखों लोगों का जीवन हार्ट अटैक से बचेगा।
*✓ *चर्म उद्योग* - गोचर की व्यवस्था और पारंपरिक जल की व्यवस्था होगी तो भरपूर मात्रा में गोवंश होगा। इन गोवंश मैं कुदरती मृत्यु पाने वाले गोवंश से चमड़ा प्राप्त होगा। इस चमड़े से अनेक वस्तुएं बनाई जा सकती है। हर गांव में 10
 दलित परिवार को यह रोजगार प्राप्त होगा। उसके हिसाब से 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - रोजगार प्राप्त होने से नशे से दूर रहेंगे। कोई उनकी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगे।
*✓ *गुरुकुल* - पर्याप्त जगह के साथ प्राचीन पद्धति से शारीरिक व बौद्धिक शिक्षा देने वाले गुरुकुल हर गांव में 2 शुरू करें तो उससे 20 परिवार को रोजगार प्राप्त होगा उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - 64 और 72 कलाएं सीख कर जीवन की संपूर्ण योग्यता प्राप्त करेंगे। संस्कार युक्त शिक्षा पाकर राष्ट्र,धर्म और संस्कृति के रक्षक बनेंगे। मोक्षलक्षी शिक्षा पाकर मनुष्य जन्म को सार्थक करेंगे। 
*✓ *बैल गाड़ी* - जल्दी पहुंचने की अंधी दौड़ में गाड़ी चलाने हेतु विदेशों से पेट्रोल मंगाया जाता है। मांस के बदले पेट्रोल खरीदने के लिए राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार रूप गोवंश के लहू की नदियां बहाकर राष्ट्र को पीछे धकेला जाता है। इसकी अपेक्षा गांव के हर घर में अपनी स्वयं की बैल गाड़ी का उपयोग करके अर्थव्यवस्था मजबूत कर सकते हैं। बैलगाड़ी (घोड़ा गाड़ी, ऊंट गाड़ी) से रोजगार प्राप्त करने वाले हर गांव से 10 परिवार हो तो भारत भर में 65 लाख परिवार होते हैं और यही रोजगार की व्यवस्था शहरों में की जाए तो 35 लाख परिवार होते हैं। कुल हुए 1 करोड़ परिवार अर्थात 5 करोड लोगों को बैलगाड़ी से रोजगार प्राप्त हो सकता है। बैल गाड़ियां बनाने वालो को रोजगार अलग से। *परिणाम* - युद्ध , विश्व युद्ध के समय में रेलवे लाइनों और सड़कों के टूटने की संभावना रहती है। और वाहनों को चलाने के लिए पेट्रोल का आना भी बंद हो जाता है। उस समय में गांव के कच्चे रास्तों से बैल गाड़ीया ही प्रजा की और प्रजा के सामग्री को पहुंचाने के लिए बेड़ा पार कराती है। इसी कमी के कारण कई राष्ट्रों ने भूतकाल में पराजय प्राप्त की है। इस व्यवस्था से हम ही हमारी सेना को बचा सकते है। सभी को स्वयं के गांव में ही रोजगार मिल जाएगा तो अंधी दौड़ के द्वारा अरबों खरबों रुपए डीजल तेल के द्वारा विदेशों में जा रहे हैं। उस पर रोक लग जाएगी। पैसों में बचत होगी जीडीपी में सुधार होगा। 
*✓ *सफेद सोना* - गोवंश का पालन पोषण होने से सफेद सोने का अर्थात घी का बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन करना सरल हो जाएगा। एक गांव में 20 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - नपुंसक बनाने वाला, खराब कोलस्ट्रोल से हार्ट अटैक लाने वाला डालडा व नकली घी के नाम पर धोखा देना बंद हो जाएगा।
*✓ *जुलाहा* -चरखा चलाकर मुख्यतः दलित बंधुओं के परिवार की महिलाओ द्वारा घर में ही सूत (धागा) बनाया जाए तो हर गांव से 20 परिवार संपूर्ण भारत से 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -अहिंसक भाव मे वृद्धि होगी । हिंदू समाज में एकता बढ़ेगी।
*✓ *हथकरघा* - एक समय विदेशो में सोने के भाव कपड़ा बिकता था। हाथों से कपड़ा बनाने वालों को घर में ही रोजगार प्राप्त करा कर एक गांव से 20 परिवार संपूर्ण भारत से 6.5  करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - शरीर ढकने के लिए किसी को अर्धनग्न नहीं रहना पड़ेगा। इस कपड़ा व्यवसाय को विदेशों में फैलाने का सुवर्ण अवसर प्राप्त होगा।
*✓ *जड़ी बूटि* - इस व्यवस्था से संपूर्ण भारत में जड़ी बूटि बहुत बड़ी मात्रा में उगेगी। विश्व में कहीं प्राप्त न होने वाली जड़ी बूटियां हमारे भारत में हैं। जिसे पहचान कर हर गांव से 
10 परिवार संपूर्ण भारत से 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। हर गांव से 2 वैद्य राज के परिवार को रोजगार मिलेगा वह अलग से। *परिणाम* - कुदरत के इस प्रसाद का उपयोग करवाकर संपूर्ण विश्व को रोगमुक्त बनाने का सुवर्ण अवसर प्राप्त होगा।
*✓ *कुंभार* - घर बनाने के नाम पर गांव के लोगों से सीमेंट और लोहे की फैक्ट्री वाले करोड़ों अरबों रुपए ले जाते हैं। उस की अपेक्षा सभी को प्राप्त हो सके उस तरह के गोबर, चुना, गार, मिट्टी,मुढ के मकान बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिए। यह घर बहुत ही कम कीमत में बना सकते हैं।ठंडी में गर्मी देने वाले और गर्मी में ठंडक देने वाले कुदरत के अनुकूल होते हैं। यह घर 200 से 500 वर्ष का आयुष्य रखने वाले होते हैं। भूकंप से रक्षा करने वाले होते हैं। इसके साथ रसोई में काम आने वाले मिट्टी के सारे बर्तन, छत पर लगने वाले केलुड़े, खिलौने इत्यादि का निर्माण कर सकेंगे। 1 गांव से 15 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -किसी को भी मानव भंगार बनकर झुपड़पट्टी में नहीं रहना पड़ेगा।
*✓ *कंसारा* - रसोई में काम आने वाले सभी तांबा,पीतल, कांसा जेसी धातु के बर्तन हाथों से बनाकर रोजगार प्राप्त करने वाले एक गांव से 10 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
 *परिणाम* -इन बर्तनों के उपयोग से स्वास्थ्य में बहुत लाभ होता है। इन बर्तनों में लगाए हुए पैसे एक इन्वेस्ट के रूप में उपयोगी होंगे।
*✓ *लोहार* - घर में, कृषि में, युद्ध केऔजार,गांव के हर एक के व्यापार में जो लोहे की सामग्री लगती है। इत्यादि। उसे अपने घर की भट्टी में लोहे को पिघलाने से लेकर सभी सामग्री को हाथों से बनाने का व्यवसाय करने वाले एक गांव मे 10 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत मे 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - यह व्यवसाय करने वाले बंधुओं के शरीर लोहे जैसे मजबूत बन जाते हैं।
*✓ *हैंडमेड पेपर* -स्कूल,कॉलेज,ऑफिस,अखबार इत्यादि में काम आने वाले पेपर वृक्ष के वेस्ट पत्तों से कम पानी का उपयोग करके बना सकते हैं। मशीन का उपयोग किए बिना हाथों से यह पेपर तैयार कर सकते हैं। यह रोजगार एक गांव से 10 परिवार उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - कुदरत के अनुकूल और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बनाए जा सकेंगे।
*✓ *गुड़ शक्कर* -भयंकर बीमारियों से बचने के लिए बिना जहर से उत्पादन करने वाले गृह उद्योग से एक गांव में 10 परिवार तो उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -  बहुत ही अच्छी क्वालिटी के गुड़, शक्कर की सभी सामग्रियों का उत्पादन करवा सकेंगे। 
*✓ *ऊन* - जल व गोचर की व्यवस्था से भरपूर मात्रा में भेड़ बकरियां होगी उनके शरीर पर जो बाल होते हैं। यह असली ऊन कहलाती है। जिसके वस्त्र व अन्य सामग्रियां तैयार करने वाले हर गांव से 20 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - ठंडी से मर रहे लोगों की रक्षा होगी। चमड़ी के रोग उत्पन्न करने वाले नकली ऊन से रक्षा होगी।
*✓ *नमक* - संपूर्ण भारत के समुद्री किनारे पर रहने वाले 2 करोड़ लोगों से प्राचीन पद्धति के अनुसार नमक तैयार करवाकर इन्हें मच्छीमारी के हिंसक कार्य से छुटकारा दीला सकते हैं। *परिणाम* - हल्के , केमिकल वाले , लूटने वाली कंपनियों से प्रजा को छुटकारा मिलेगा। 
*✓ *अन्य* - बढ़ई (लकड़ी का कार्य) , सोनी(सोना ,चांदी का कार्य) , दर्जी(कपड़ा सिलाई कार्य) , मोची(जूता चप्पल कार्य) , नाई(बाल काटना) , पेंटर(कलरकार्य) , सराफा(पैसों की लेनदेन) , चरवाहा(गोवंश चराना) , कंदोई(मिठाई व रसोई कार्य) , भामभी(प्रचार कार्य) , ढोली(ढोल बजाना कार्य) *परिणाम* - यह सभी और अन्य कई तरह के रोजगार के संभावना की सूची बनाएंगे तो 200 करोड़ के ऊपर जाएगी।
*✓ *विकेंद्रित व्यवस्था ही चक्रव्यूह से निकाल सकती है...।* 
लुप्त की गई उपरोक्त रोजगार की जानकारी संपूर्ण नहीं है।
 जो समय पर सामने आ जाएगी। रोजगार की यह संख्या
 कहीं कम अधिक हो सकती है। किंतु कुल संख्या का अंदाज यही है। यह सभी व्यवसाय जहां आवश्यकता हो वहीं उत्पादन होने से ट्रांसपोर्टिंग के खर्च से व प्रदूषण से रक्षा होगी। राष्ट्र को अनावश्यक खरबो रुपयों के तेल के नुकसान से बचत होगी।
मुस्लिम और अंग्रेज आक्रांताओं ने जो लूटा उससे अनेकों गुना अधिक यंत्र उद्योगों से कुछ हजार लोगों द्वारा लूटा जा रहा है। यह उद्योग राष्ट्र को आर्थिक कमजोर करते हुए भयंकर बेरोजगारी और हमेशा की गुलामी की खाई में धकेल रहे हैं। ऐसा विकास किस काम का जो हम 99% भाई बंधुओं का शोषण करके, पीछे धकेल कर, गरीब बना कर, उनकी रोजी-रोटी छीन कर करोड़पति बन जाए। इससे बनावटी सुखी बन सकते हैं । वास्तविक शांति नहीं पा सकते।
राष्ट्र की रक्षा प्राचीन उद्योगों को प्रोत्साहन देकर ही कर सकते हैं। अनाज, घी, दूध, इंधन, पानी की कमी, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, हिंसा, रोटी, कपड़ा, मकान इत्यादि इन सभी समस्याओं के चक्रव्यूह से उपरोक्त गोचर और पानी की व्यवस्था स्थापित करके ही निकल सकते हैं । यही विकेंद्रित व्यवस्था भारत माता को पुनः परम वैभव के शिखर पर बिराजमान कर सकती है।

*पूरे देश और हिंदू समाज को संगठित करने का आसान और सटीक सूत्र

*पूरे देश और हिंदू समाज को संगठित करने का आसान और सटीक सूत्र*
 *देश को विश्व गुरु बनाने का दायित्व हिंदू समाज पर ही निर्भर है। हमें एक ही कार्य करना होंगा कि, पूरे देश के सभी मंदिरों को एकदुसरे से जोड़ना होंगा। और राम मंदिर को इन सभी मंदिरों का मुख्य कार्यालय बनाना होंगा।*
 *और वही से देश के सभी मंदिरों को. WhatsApp se 1lac groups bana k चलाना होंगा और देश के सभी कमज़ोर हिंदुओं को इन्ही मंदिरों द्वारा सहायता पहुंचाना होंगा। जिनके पास काम नहीं है उन्हें रोजगार देना होंगा।*

 *पूरे देश में कही भी, कोई भी विधर्मी हमारे हिंदू भाई बहन पे अत्याचार करने पर, सबसे पहले हमें वहां के पास के मंदिर को तुरंत सूचित करना होंगा और वो मंदिर हमारे मुख्य मंदिर राम मंदिर को सूचना दे और उस मुख्य मंदिर का कार्य होंगा की वह वहा के आसपास के हिंदू संगठन को सूचित करे और कुछ ही मिनटों में वो संगठन उनकी सहायता के लिए पहुंच जाएगा।*
 *इस से फायदा यह होंगा की, कुछ ही दिनों में कोई भी विधर्मी, हिंदू भाई पे अत्याचार करना बंद कर देगा। क्यों की संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है। हर हिंदू भाई को कर्मठ बनाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। समाज में जो भी बंधु कमज़ोर है पिछड़ गए हैं, हमारा दायित्व है कि हम उन्हें सबल और समर्थ बनाए। हर सन्डे को देश के सभी मंदिरों में एक घंटे की पूजा रखनी होंगी। और उसमे वहां के आसपास के सभी सनातनी हिंदू को मंदिर में आना जरूरी और अनिवार्य होंगा।(जैसे मुस्लिम और ईसाई लोग मस्जिद और चर्च में करते है) हनुमान चालीसा या कोई भी गीता या रामायण के पाठ के बाद हमारे संस्कृति संस्कार के बारे में आपस में चर्चाएं करनी होंगी और हर सनातनी हिंदू को हमारे संस्कृति संस्कार के बारे में जागरूक करना होंगा। हर हिंदू को अपने आसपास के मंदिर में आना अनिवार्य ही नहीं जरूरी होंगा। उनकी बॉइमेट्रिक फिंगर प्रिंट्स अटेंडेंस लेनी होंगी। और देश के हर हिंदू भाई को उस मंदिर से उसकी जरूरत की हर सहायता पहुंचानी होंगी। तभी देश में राम राज्य स्थापित हो पाएगा। और हिंदू राष्ट्र तो अपने आप स्थापित हो जायेगा।* 

*और ये कार्य हमे आने वाले साल में मोदीजी के रहते हुए ही पूर्ण करना होंगा।*

*इसके फायदे जाने:* 

1.*हिंदू हमेशा संगठित रहेगा।*
2. *सनातन धर्म का प्रचार प्रसार हो जायेगा।*
3. *सनातन धर्म के प्रचार से पूरे देश में पर्यावरण संतुलन होना शुरू हो जायेगा।*
4. *पूरे देश में राष्ट्रवाद, देशभक्ति, देश के प्रति अपना कर्तव्य जागने लगेंगा।*
5. *चुनाव में हिंदू का मतदान प्रतिशत अपने आप अधिक हो जायेगा।*
3. *आने वाले हर चुनाव में देश के हर कोने में हिंदूवादी पार्टी ही जीतेगी।*
4. *हिंदू पे कोई भी अत्याचार नहीं करेगा।*
5. *देश का हर हिंदू भाई कर्मठ हो जायेगा।*
6. *हर हिंदू अपने संस्कार संस्कृति के प्रति जागरूक होंगा।*
7. *दुनिया की कोई भी ताकत हिंदू का धर्मांतरण नही कर पाएगी।*
8. *जिनका भी धर्मांतरण हुआ है, उनकी घर वापसी खुद ब खुद होने लगेगी।*
9. *देश के किसी भी कोने में सनातनी हिंदू के साथ कोई अत्याचार नहीं कर पाएगा।*
10. *राम राज्य की स्थापना हो जायेगी।*
11. *हिंदू भाई जैसे जैसे अपने संस्कार संस्कृति की और आने लगेगा, वैसे वैसे देश में भ्रष्टाचार चोरी डकैती अत्याचार लालच सब खत्म होने लगेंगा।*
12. *गौ माता राष्ट्र माता ही नहीं, विश्व की माता हो जायेगी।*
13. *हिंदू संगठित होंगा तो भारत देश विश्व गुरु तो अपने आप हो जायेगा।*

*मैने अपना काम किया है, बस आपका काम है इस संदेश को देश के हर हिंदू घर में पहुंचाना।*

*हर एक हिन्दु भाई को 10 लोगों तक यह मैसेज भेजना होगा जिस भी हिन्दु भाई के पास यह मैसेज पहुंचे, वो 10 को भेजे हम सभी को मिलकर लोगों को जगाना होगा।*

*जय श्री राम*
*जय सनातन*

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सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है

 

सोच रहा हू कौन सी ईंट भेजे में मारू

लोहा चांदी पीतल हीरा क्योकि सोने की ईंट से भरोसा उठ गया है

घटना त्रिवेन्द्रम स्थित Kalyan Jewellers की है!

एक पिता नें 29/11/2013 को अपनी बेटी की शादी के लिए एक नेकलेस खरीदा जिसका कुल वजन 49.580 ग्राम था

तथा डिजाइनर स्टोन का वजन घटाने के बाद लगभग 43.500 ग्राम ,,,

कुछ दिनों पहले 17/03/2018 को वो इस नेकलेस को बैंक के पास गिरवी रखने के लिए गये तो उन्हें झटका लगा

जब बैंक के मुल्यांकनकर्ता (bank appraiser) नें जाँच के बाद बताया कि नेकलेस में सिर्फ 12 ग्राम के लगभग

सोना है क्योंकि मोतियों के अंदर बाकी #वैक्स भरा गया है।

जब वो इस बात को लेकर

वापस कल्याण ज्वेलर्स के पास गये तो वहां के ब्रांच मेनेजर नें कहा कि

ये सही है कि ये वैक्स भरा जाता है

और ये बात सभी को पता होती है।

जरा सोचिये...

अगर पता हो तो कौन मूर्ख

मोम को सोने के भाव खरीदेगा.....???

पिता द्वारा विरोध जताने पर मेनेजर बोला कि चलिए हम ये नेकलेस वापस ले लेंगे तथा आपको आज के सोने के भाव पर आपको पैसे वापिस कर देंगे

(जितना सोना है).

लेकिन परिवार नहीं माना और बोला कि उन्हें वो वास्तविक रकम चाहिये जो उनसे खरीदते समय ली गई थी और उन्होंने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कर दी.

21/03/2018 को कल्याण ज्वेलर्स के स्टाफ का एक सदस्य समझौता करने के लिए पुलिस स्टेशन आया और बोला कि हम ग्राहक की मांग अनुसार इन्हें इस नेकलेस की वही कीमत लौटा देंगे

जो इनसे ली गई थी!

90 % लोग सोना खरीदने के बाद बेचते नही है वो सोच रहे है हमारे पास इतना सोना पड़ा है पर हकीकत में वो गलत फहमी के शिकार है सोने का पैसा देकर वैक्स खरीद कर रखा हुआ है ।

गहने जितने भी है सब मे 50% खोट है!

एक बार अपने आभूषणों व सोने की जांच अवष्य दूसरे जगह करवाएं!

Wall- pushpendra ji

🙏

वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।


एक भक्त थे। उन्होंने भगवान का नाम जपते हुए जीवन बिता दिया, पर भगवान से कभी कुछ नहीं माँगा।

एक दिन वे भक्त बाँके बिहारी मंदिर गए। पर यह क्या, वहाँ उन्हें भगवान नहीं दिखे। वे आसपास के अन्य भक्तों से पूछने लगे कि आज भगवान कहाँ चले गए?

सब उनकी ओर हैरानी से देखते हुए कहने लगे- भगवान तो ये रहे। सामने ही तो हैं। तुझे नहीं दिखते? तूं अंधा है क्या?

उन भक्त ने सोचा कि सब को दिख रहे हैं, मुझे क्यों नहीं दिख रहे? मुझे ये सब दिख रहे हैं, भगवान ही क्यों नहीं दिख रहे?

ऐसा विचार कर उनका अंतःकरण ग्लानि से भर गया। वे सोचने लगे- लगता है कि मेरे सिर पर पाप बहुत चढ़ गया है, इसीलिए मुझे भगवान नहीं दिखते। मैं इस शरीर का अन्त कर दूंगा। आखिर ऐसे शरीर का क्या लाभ? जिससे भगवान ही न दिखते हों।

ऐसा सोच कर वे यमुना में डूबने चले।

इधर अंतर्यामी भगवान एक ब्राह्मण का वेष बना कर, एक कोढ़ी के पास पहुँचे और कहा कि ऐसे ऐसे एक भक्त यमुना को जा रहे हैं, उनके आशीर्वाद में बहुत बल है। यदि वे तुझे आशीर्वाद दे दें, तो तेरा कोढ़ तुरंत ठीक हो जाए।

यह सुन कर कोढ़ी यमुना की ओर दौड़ा। उन भक्त को पहचान कर, उनका रास्ता रोक लिया। और उनके पैर पकड़कर, उनसे आशीर्वाद माँगने लगा।

भक्त कहने लगे- भाई! मैं तो पापी हूँ, मेरे आशीर्वाद से क्या होगा?

पर जब बार बार समझाने पर भी कोढ़ी ने पैर न छोड़े, तो उन भक्त ने अनमने भाव से कह ही दिया- भगवान तेरी इच्छा पूरी करें।

ऐसा कहते ही कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया। पर वे भक्त हैरान हो गए कि यह चमत्कार कैसे हो गया? वे अभी वहीं स्तब्ध खड़े ही थे कि साक्षात भगवान सामने आ खड़े हुए।

उन भक्त ने भगवान को देखा तो अपने को संभाल न सके और रोते हुए, भगवान के चरणों में गिर गए। भगवान ने उठाया।

वे भगवान से पूछने लगे- भगवान! यह आपकी कैसी लीला है? पहले तो आप मंदिर में भी दिखाई न दिए, और अब अनायास आपका दर्शन ही प्राप्त हो रहा है।

भगवान ने कहा- भक्तराज! आपने जीवन भर जप किया, पर कभी कुछ माँगा नहीं। आपका मुझ पर बहुत ॠण चढ़ गया था, मैं आपका ॠणी हो गया था, इसीलिए पहले मुझे आपके सामने आने में संकोच हो रहा था। आज आपने उस कोढ़ी को आशीर्वाद देकर, अपने पुण्यपुञ्ज में से कुछ माँग लिया। जिससे अब मैं कुछ ॠण मुक्त हो सका हूँ। इसीलिए मैं आपके सामने प्रकट होने की हिम्मत कर पाया हूँ।

मेरे भाई बहन, वे भक्त धन्य हैं जो भगवान का नाम तो जपते हैं, पर बदले में भगवान से कभी कुछ नहीं माँगते।

जिनके भगवान भी ॠणी हैं, ऐसे भक्तों के चरणों में लोकेशानन्द अपना माथा टिकाता है।

डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल..


डरपोक अकबर ने 7 फ़ीट 8 इंची बहलोल खान को भेजा था महाराणा प्रताप का सर लाने, कभी नहीं हारा था बहलोल....

मुगली अकबर का सबसे खतरनाक वाला एक सेना नायक हुआ . . . नाम - बहलोल खां . . . . कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका . . . और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं . . . ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार देता था . . . . बशर्ते वो हिन्दू का हो . . . . . एक भी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल खां ॥

काफी लम्बा था, 7 फुट 8 इंच की हाइट थी, कहा जाता है की घोडा उसने सामने छोटा लगता था ॥ बहुत चौड़ा और ताकतवर था बहलोल खां, अकबर को बहलोल खां पर खूब नाज था, लूटी हुई औरतों में से बहुत सी बहलोल खां को दे दी जाती थी ॥

फिर हल्दीघाटी का युद्ध हुआ, अकबर और महाराणा प्रताप की सेनाएं आमने सामने थी, अकबर महाराणा प्रताप से बहुत डरता था इसलिए वो खुद इस युद्ध से दूर रहा ॥

अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से . . . . . लड़ाई पूरे जोर पर और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल खां का आमना-सामना हो गया अपने प्रताप से ॥

अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं और जबरदस्त भिडंत शुरू. . . कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ . . . .

और फिर गुस्से में आ के अपनी तलवार से एक ही वार में घोड़े सहित . . हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया . . . ऐसा फाड़ा कि बहलोल खां का आधा शरीर इस तरफ और आधा उस तरफ गिरा ॥

ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने..

जय जय महाराणा

1.

मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय


 

  1. चूहा अधिकतर इंसान की उंगलियों को सोते वक्त ज्यादा काटता है।
  • एक पुरानी बात है, जिसे बचपन में सुना था कि- यदि चूहा ज्यादा हो रहे हैं तो घर या दुकान के कर्मचारी चोरी कर रहे हैं और ओर यदि चूहा नुकसान करे या कोई चीज कुतरे, तो समझो परिवार के सदस्य चोरी कर रहे हैं। हमारे इन उपेप्न से सतर्क होकर चोरी पकड़ लेते थे।
  • हमने इसे कभी नहीं आजमाया। हो सकता है कि बुजुर्गों ली बात में दम हो।
  • आयुर्वेद की एक बहुत दुर्लभ ग्रन्थ चिकित्सा चंद्रोदय में मूषक या चूहों को भगाने एवं मारने का प्रयोगों के वर्णन है। इससे बहुत लाभ होगा।
  • चूहों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह जहरीले भी होते हैं। कटने पर त्वचा रोग उत्पन्न करते हैं। चूहे के शरीर में 5 जगह विष पाया जाता है-
  1. चूहे के वीर्य में
  2. मूषक की पेशाब में
  3. चूहे के पखाने में
  4. चूहे के नाखूनों में
  5. चूहे की दाढ़ में।
  6. चूहों को मखाने सर्वाधिक पसंद होते हैं। इसे बंद कंटेनर में रखें।
  7. प्रधान विष पेशाब तथा वीर्य में होता है।
  • चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।
  • नीतिकारों ने संस्कृत का एक श्लोक में लिखा है कि-

मारे बिना चूहा भगाने के सरल उपाय

  1. घर में अगर चूहे ज्यादा हों, तो सभी सदस्य जल में कपूर मिलाकर स्नान करें।
  2. फिटकरी का पॉवडर बनाकर बिल में डाल दो।
  3. एक चूहा पकड़कर उसे कपड़े धोने वाली नील में गीला करके छोड़ दो। नीला चूहा देखकर सारे चूहे तुरन्त भाग जाते हैं।
  4. घर - दुकान, फेक्ट्री में अगर चूहे अधिक हों, तो कपड़े हमेशा रोज बदले यानी धुले हुए ही पहिने।
  5. उपरोक्तानुसार उपाय करने से मूषक भाग जाएंगे।
  • चूहे के जहर से वातरक्त, त्वचारोग, उपदंश आदि रोग पैदा होते हैं। चमड़ी पर चकत्ते होने लगते हैं। यह तुरन्त कोप नहीं करता।

मकड़ी का मकड़जाल

  • मकड़ी अपने ही बनाये मकड़जाल में फंस जाती है और जो जल बुनेगा, उसके पास जहर ही एकत्रित होगा।
  • विशेष बात यह कि मकड़ी के जाले में जहर नही होता परन्तु मकड़ी की लार जिसे लग जाये उसके शरीर में बहुत बारीक फुंसिया पनपने लगती है तथा भयंकर जलन होती है। इसे मकड़ी का फरना कहते हैं।
  • आयुर्वेद के देशी उपचारों के अंतर्गत मकड़ी, कुत्ता, कनखजूरा, ततैया, मधुमक्खी, चूहा, बिच्छू, जहरीला नाग आदि के द्वारा काटने के बाद इसके इलाज का वर्णन उपलब्ध है।
  • अगर कभी मकड़ी की वजह से त्वचा में जलन या फुंसी हों, तो नींबू में चुना मिलाकर लगाएं अथवा अमचूर पाउडर में तनिक सी हल्दी मिलाकर लेप करें।
  • जब कभी मधु मक्खी काटे, तो लोहा घिसकर लगाने से राहत मिलती है।
  • एक गंदा उपाय यह भी है कि जब कभी कोई जीव काटे, तब उसकी विष्ठा लगा देंवें।
  • बाकी के उपाय इस पुरानी किताब के चित्र से जाने…

प्राचीन किताबों में 118 तरह के कीट काटने के उल्लेख ओर उपचार बताया है। हम संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं।

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अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों

 अच्छा लगता है...
🙏🙏🙏🙏





अच्छा लगता है जब देश के प्रधानमंत्री अमेरिका जाते हैं और न्यूयार्क के आसमान के हेलिकॉप्टर से उनकी तस्वीर वाला ध्वज घण्टों लहराया और घुमाया जाता है।
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अच्छा लगता है जब भारतीय प्रधानमंत्री की तस्वीरों और उनके लिए लिखे गए संदेशों से न्यूयार्क का टाइम्स स्क्वायर पट जाता है।
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अच्छा लगता है जब अमेरिकी संसद के सारे सदस्य भारतीय प्रधानमंत्री को ऑटोग्राफ लेने और सेल्फी खिंचाने के लिए देर तक घेरे रहते हैं, और हाथ मिलाने के लिए लाइन में लगते हैं। अमेरिकी संसद में मोदी-मोदी के नारे मोदी से अधिक भारत और भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। अमेरिकी सांसदों के बीच से "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारों का उठना कितना आनन्ददायक है, यह किसी राजनैतिक व्यक्ति से अधिक भारत का आम नागरिक समझता है।
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अच्छा लगता है, जब हमेशा भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाली अमेरिकी मीडिया मोदी के आगे नतमस्तक दिखती है, और हर अखबार के मुख्य पृष्ठ पर केवल मोदी ही मोदी छा जाते हैं। तालिबानी मानसिकता के कुछ सदस्यों द्वारा साम्प्रदायिक भावना तहत बहिस्कार की नौटंकी का उत्तर अमरीकी सांसद ही देते हैं, और पूरे भाषण के बीच चौदह बार खड़े होकर तालियां बजाते हैं। स्टैंडिंग ओवेशन... अच्छा लगता है।
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और सबसे ज्यादा अच्छा तब लगता है जब भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका के सांसदों से कहते हैं कि हमारे यहाँ लगभग दो हजार पार्टियां हैं, देश के अलग अलग राज्यों में लगभग 20 दल शासन चला रहे हैं, फिर भी हम एक हैं। भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के प्रधान का विश्व के समक्ष यही भाषा, यही भाव होना चाहिये।
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अमेरिका में कितने समझौते हुए, कितनी कम्पनियों ने यहां निवेश करने की योजना बनाई, कितना धन आया, यह अर्थशास्त्रियों का विषय है। और भारत-अमेरिका के सुदृढ होते सम्बन्धों के क्या दूरगामी परिणाम होंगे यह कूटनीतिज्ञ जानें। पर अमेरिका से वापस लौट रहे मोदी को उपहार की तरह भारत से चोरी हुई सौ कलाकृतियों को लौटाते अमेरिका का मित्रभाव अच्छा लगा। एक सामान्य नागरिक के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।
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प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी संसद को दो बार सम्बोधित करने वाले मोदी जी पहले भारतीय हैं। उनकी इस व्यक्तिगत उपलब्धि को भी मैं भारत की उपलब्धि मानता हूँ कि अमेरिका ने आठ वर्षों में दो बार भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। यह राजकीय यात्रा भी थी, अर्थात अमेरिका की विशेष यात्रा, जिसका समूचा खर्च अमेरिकी राष्ट्रपति उठाते हैं। मोदीजी भारत के केवल दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें अमेरिका ने राजकीय यात्रा पर बुलाया है। यही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल में केवल तीन देशों के प्रमुख को राजकीय अतिथि बना कर बुलाया है, उनमें से एक भारतीय प्रधानमंत्री हैं। अमेरिका समझ रहा है भारत की शक्ति को...
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अच्छा लगता है देश के प्रधान को चमकते हुए देखना! क्योंकि यह किसी व्यक्ति की चमक नहीं, इस राष्ट्र की चमक है।


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