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शनिवार, 2 सितंबर 2023

जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"

बात उन दिनों की है जब हम कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्र थे!
दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली हमारे कॉलेज में आई!


उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया!

उन्होंने पूछा, "जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"

प्रश्न पर सन्नाटा छा गया, क्यों कि उस समय कोई सोशियल मीडिया तो था नहीं, स्मार्ट फोन भी नहीं थे! किसी को कुछ नहीं पता! तब, सन्नाटा चीरते हुए, हममें से ही एक हाथ, प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा!

हमने बताया कि "दीपावली उत्सव दो युग "सतयुग" और "त्रेता युग" से जुड़ा हुआ है!"

"सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए "लक्ष्मी पूजन" होता है!

भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है!

इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!*

*हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा, क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं!* 

*खैर कुछ देर बीद। सभीने खूब तालियां बजाई!*

*उसके बाद, एक  समाचारपत्र ने हमारा साक्षात्कार (इंटरव्यू) भी किया!* 

*उस समय समाचारपत्र का साक्षात्कार करना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी!*

*बाद में पता चला, कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार "लिबरर्ल्स" (वामपंथियों) की थी, जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी, कि "लक्ष्मी पूजन" का औचित्य क्या है, जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है?" कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी!* 

*लेकिन हमारे उत्तर के बाद, वह टोली गायब हो गई!*

*एक और प्रश्न भी था, कि लक्ष्मी और। श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है?*

*और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?* 

*सही उत्तर है :*

*लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं, और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया!*

*कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए!*

*माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी!*

*उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि "तुम मैनेजर बदल लो!"*

*माँ लक्ष्मी बोली, "यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!"*

*तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!* 

*माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को "धन का डिस्ट्रीब्यूटर" बनने को कहा!*

*श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, "माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!*

*अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे!*

*कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए!*
 
*गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!*

*दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को!*

*माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है!*
🙏🌹🙏
(यह कैसी विडंबना है, कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है? औऱ जो वर्णन है, वह अधूरा है!)

*इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !

चारणों का उद्भवन कैसे और कब हुआ,

 चारण एक जाति है को सिंध, राजस्थान और गुजरात में निवास करती है।







राजस्थान की एक जाति-विशेष, जिस के महापुरुषो ने अनेक रजवाडो के राजदरबारों में अपने ओजपूर्ण काव्य के द्वारा राज्य की रक्षा के लिए राजा और सेना की भुजाओं में फौलाद भरने का काम किया करते थे,और खुद युद्वभुमी मे विरता दीखा कर नीडर होकर क्षत्रियधर्म नीभाते थे । युद्ध-विषयक काव्य-लेखन,कवित्व शक्ति,और युद्धभुमी मे विरता दीखाने से बहोत से रजवाडो मे ईन्हे बडी बडी जागीरे और दरबार मे सन्मानीय स्थान प्राप्त हुआ। ये अर्वाचीन काल से युद्ध आदी वीषयो मे नीपुण रहे है,अपीतु चारण क्षत्रिय वर्णस्थ माने जाते है।ईन्हे जागीरदार और ठाकुर कहा जाता है।



चारणों का उद्भवन कैसे और कब हुआ, वे इस देश में कैसे फैले और उनका मूल रूप क्या था, आदि प्रश्नों के संबंध में प्रामाणिक सामग्री का अभाव है परंतु जो कुछ भी सामग्री है, उसके अनुसार विचार करने पर उस संबंध में अनेक तथ्य उपलब्ध होते हैं।



चारणों की उत्पत्ति दैवी कही गई है। ये पहले मृत्युलोक के पुरुष न होकर स्वर्ग के देवताओं में से थे (श्रीमद्भावद्गीता 3। 10। 27-28)। सृष्टिनिर्माण के विभिन्न सृजनों से चारण भी एक उत्पाद्य तत्व रहे हैं। भागवत के टीकाकार श्रीधर ने इनका विभाजन विबुधा, पितृ, असुर, गंधर्व, भूत-प्रेत-पिशाच, सिद्धचारण, विद्याधर और किंनर किंपुरुष आदि आठ सृष्टियां के अंतर्गत किया है। ब्रह्मा ने चारणों का कार्य देवताओं की स्तुति करना निर्धारित किया। मत्स्य पुराण (249.35) में चारणों का उल्लेख स्तुतिवाचकों के रूप में है। चारणों ने सुमेर छोड़कर आर्यावर्त के हिमालय प्रदेश को अपना तपक्षेत्र बनाया, इस प्रसंग में उनकी भेंट अनेक देवताओं और महापुरुषां से हुई। इसके कई प्रसंग प्राप्त होते हैं। वाल्मीकि रामायण- (बाल. 17.9, 75.18 अरण्य. 54.10 सुंदर. 55.29 उत्तर. 4.4) महाभारत - (आदि. 1202.1, 126.111 वन 82.5 उद्योग. 123.4.5 भीष्म. 20। 16 द्रोण. 124.10 शांति. 192.7-8) तथा ब्रह्मपुराण-(36.66) में तपस्वी चारणों के प्रसंग मिल जाते हैं। ब्रह्मपुराण का प्रसंग तो स्पष्ट करता है कि चारणों को भूमि पर बसानेवाले महाराज पृथु थे। उन्होंने चारणों को तैलंग देश का शासक बनाया और ईन्होने तैलंग देश पर राज कीया। यहीं से चारण सब जगह फैले। महाभारत के बाद भारत में कई स्थानों पर चारण वंश नष्ट हो गया। केवल राजस्थान, गुजरात, कच्छ तथा मालवे में बच रहे। इस प्रकार महाराज पृथु ने देवता चारणों को मानुष चारण बना दिया। यही नहीं जैन धर्म सूत्रग्रंथ (महावीर स्वामी कृत पन्नवणा सूत्र) में मनुष्य चारण का प्रसंग मिलता है।



चारणों का निवास क्षेत्र एवं सामाजिकता

इन प्रसंगों द्वारा चारणों की प्राचीनता उनका कार्य तथा उनका सम्मान और पवित्र कर्तव्य स्पष्ट होता है। कर्नल टाड ने लिखा है : इन क्षेत्रों में चारण मान्य जाति के रूप में प्रतिष्ठित हैं। 1901 के जनगणना विवरण में कैप्टन बेनरमेन ने चारणों के लिये लिखा है:

चारण पवित्र और बहुत पुरानी जाति मानी जाती है। इसका वर्णन रामायण और महाभारत में है। ये और राजपूत एक शरीर के दो अंग हैं। ये अपनी उत्पत्ति देवताओं से होने का दावा करते हैं। राजपूत इनसे सदैव सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं। ये बड़े विश्वासपात्र समझे जाते हैं। इनका दर्जा ऊँचा है। ये अक्सर बारहट के नाम से पुकारे जाते हैं।

मारवाड़ में रहनेवाले चारण मारू तथा कच्छ के काछेला कहलाते हैं। उपर्युक्त उद्धरणों के अनुसार चारण जाति देवता जाति थी, पवित्र थी, जिसको सुमेर से हिमालय पर और हिमालय से भारत में लाने का श्रेय महाराज पृथु को है। यहीं से ये सब राजाओं के यहाँ फैल गए। चारण भारत में पृथु के समय से ही प्रतिष्ठित रहे हैं। ईस बात के प्रमाण हमे वेद और पुराणो मे देखने को मीलते है।

#चारण #जाति का #इतिहास #charan #jati ka #itihas #gadhvi #deviputra #karni #mata


सोमवार, 28 अगस्त 2023

अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ।


जामुन की लकड़ी 

अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ।
आपको जामुन की लकड़ी को घर लाना है अच्छी तरह साफ सफाई कर कर पानी की टंकी में डाल देना है। इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई की जरूरत नहीं पड़ेगी।

*नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है:-*

भारत की विभिन्न नदियों में चलने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है।
जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनाने वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है।
*नदियों का पानी पीने योग्य कैसे बना रहता है:-*
बहुत कम लोग जानते हैं कि जामुन की लकड़ी एक चमत्कारी लकड़ी है। यह पानी के अंदर रहते हुए सड़कर खराब नहीं होती बल्कि इसमें एक चमत्कारी गुण होता है। यदि इसे पानी में डूबा दिया जाए तो यह पानी का शुद्धिकरण करती है और पानी में कचरा जमा होने से रोकती है।
कितना आश्चर्यजनक है कि हम जिन पूर्वजों को अनपढ़ मानते हैं उन्होंने नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और नाव को मजबूत बनाए रखने का कितना असरकारी समाधान निकाला।

*बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई:-*
जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। *देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख श्री केएन श्रीवास्तव ने बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।*

*आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग:-*
यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी।
700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा।
यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।
*कृपया हमेशा याद रखिएगा कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं, जामुन की लकड़ी के बने गिलास में पानी पीते हैं।*

😀☘️☘️😀

ये आंवले का वृत्ताकार छल्ला हमारे प्राचीन पूर्वजों द्वारा सौंपी गई समृद्ध विरासत का हिस्सा है। आंवले से बने अंगूठी के आकार के इस को जो आंवले की लकड़ी से बनी होती है को कुएं के सबसे निचले हिस्से में 2 या 4 डुबाते हैं...

क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार आंवले की लकड़ी उत्कृष्ट जल शोधक है। ये कुएं के पानी को मीठा भी बनाता है। अब कुएं विलुप्त हो रहे हैं तो शायद यह विधा भी खत्म हो जाए। पर आवले की लकड़ी के इन गुणों को ग्रहण करना या समझना आवश्यक है प्रकृति के प्राकृतिक रूप को अंगीकार करने के लिए....

हमारा भारत सबसे प्यारा भारत । जय हिंद 🚩

आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है?

आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है?

 क्या आपका कोई अच्छा या बुरा अनुभव है जो आप साझा करना चाहेंगे?
मेरे पास तो कम से कम 20 से 25 बार काॅल आ चुके हैं धोखाधड़ी के लिए। लेकिन हर बार मैं अपनी समझदारी के कारण बच गया हूँ और फ्राड काॅलर अपना सिर धुनते रह गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है।

मैं एक ग्राफिक डिज़ाईनर हूँ और पिछले 20 सालों से मैं कम्प्यूटर/आनलाइन कार्य करता हूँ और काफी जानकारी भी एकत्रित करता रहता हूँ इस कारण धोखेबाज़ों के जाल में नहीं फंसा।

इस प्रश्न के उत्तर में अपना अनुभव आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ, ताकि और लोग भी सचेत हो सके।

मेरे पास किस तरह के फ्राड काॅल आते हैं उनके बारे विस्तार से लिख रहा हूँ -

बैंक एटीएम की जानकारी के लिए - धोखेबाज़ कई बार फोन करके एटीएम नंबर और पिन माँग चुके हैं। एक अनुभव साझा करता हूँ - मेरे पास एक काॅल आया, ‘आप अलाउदिन अंसारी बोल रहे हैं। मैं एसबीआई/इंडिया बैंक से फलाना मैनेजर बोल रहा हूँ। आपका एटीएम कार्ड ब्लाॅक होने वाला है एक-दो दिन में। आप अगर वेरिफिकेशन करवा लेते हैं तो आपका एटीएम बंद नहीं होगा।’’ (अपना नाम और बैंक के बारे सुनकर आम लोग सोचते हैं कि बैंक से ही फोन होगा, जबकि सच्चाई यह है कि आपका सारा डाटा आनलाइन चोर मार्केट में मिल सकता है, 1 रूपये से भी कम में।) उसने मुझे भरोसे में लेने के लिए कहा कि हम आपसे कार्ड का नंबर और खूफिया जानकारी नहीं मांगेंगे। मुझे तो समझ आ गया कि यह एक फ्राड काल है।

मैंने कहा बताइए कैसे वेरिफिकेशन करेंगे। तो काॅलर ने मुझसे पूछा आपका कार्ड वीसा कंपनी का है या मास्टर कार्ड का। मैंने बताया कि वीसा कंपनी का। तो उसके कहा मैं आपको नंबर कंफर्म करा रहा हूँ, और उसने मेरे कार्ड के 16 नंबरों में से शुरूआती 4 नंबर बता दिए और फिर मुझसे बाकी के नंबर पूछने चाहे। मैंने मना कर दिया। क्यों? क्योंकि वीज़ा/अमेरिकन एक्सप्रेस/मास्टर कार्ड सबके शुरूआती नंबर कंपनी के हिसाब एक ही होते हैं। इन शुरूआती 4 डिज़िट से ही कार्ड किस कंपनी द्वारा जारी किया गया है पता चलता है। इस कारण मैंने उसको साफ मना कर दिया। काफी देर तक उसने मुझपर दबाव डाला तब मैंने कहा कि "भाई साहब मैं साइबर सेल में हूँ और आपसे इसलिए इतनी देर से बात कर रहा कि आपका काल ट्रेस हो सके।" बस इतना सुनना था कि सामने वाले का काल कट गया।

अब इतनी आदत हो गई है कि 5 सेकेंड में पता चल जाता है काॅल फ्राड है कि सही। कई बार मैं आफिस में होता हूँ और ज्यादा बात करने का समय नहीं होता तो साफ बोल देता हूँ तुम फ्राड कालर हो और फोन कट जाता है।

सुझाव-

याद रखें बैंक वाले कभी भी आपसे आपका पिन या कार्ड नंबर नहीं मांगेंगे। अगर उन्हें ज़रूरत भी होगी तो आपको ही ब्रांच में बुलाएंगे। आप कभी भी अपना पिन या फिर मोबाईल पर आया हुआ ओटीपी किसी को न बताएँ। क्योंकि धोखेबाज़ों के आप आप की अधिकतर जानकारी होती है, कार्ड नंबर, सीवीवी कोड और मोबाइल नंबर तक उनको पता होता है। बस लेनदेन के लिए जो ओटीपी आता है वो आपके मोबाइल पर ही आयेगा इसलिए धोखोबाज आपको फोन पर पहले ही फंसा लेते है और जब उनको लगता है कि आप ओटीपी बता देंगे तो वो आॅनलाइन किसी चीज़ का भुगतान करते हैं (आपके कार्ड की डिटेल्स से)। आप जैसे ही ओटीपी बतायेंगे तो आपके बैंक से कट जाएंगे।

कृपया ऐसे फोन काॅल से सावधान रहें।

नौकरी के झांसे वाले काॅल - एक बार नौकरी.काॅम से ई-मेल आया था। जिसमें एक अच्छे पैकेज का आफर था। उन्होंने रिज्यूमे माँगा और 10 मिनट बाद ही मुझे फोन आया कि आपको सेलेक्ट कर लिया गया है। चूंकि मेल नौकरी.काॅम की मेल सर्विस से आया था तो मैंने फ्राड काॅल नहीं समझा। कुछ देर बाद मुझे फिर से एक काॅल आया कि 5000/- रूपये रजिस्ट्रेशन फीस जमा करो तो आपको कल ही ज्वाईनिंग लेटर भेज दिया जाएगा और सैलरी भी लगभग 40 हजार के आस-पास फाइनल हो गई है।

बस यहीं मेरे दिमाग की बत्ती जली। फिर मैंने ईमेल एड्रेस, जिससे मेल आया था उसको ध्यान से पढ़ा तो पता चला कि सिर्फ एक अक्षर का अंतर था कंपनी और फ्राड ईमेल एड्रेस में।

बस इस जरा सी सावधानी से मैं एक बार फिर बच गया। मेरा एक पड़ोसी जो इंजीनिरिंग कर चुका था उसने ऐसे ही फ्राड ईमेल के झांसे में आकर धीरे-धीरे 60-70 हज़ार रूपये गंवा दिए थे। इसका मुझे बाद में पता चला।

सुझाव -

नौकरी के ऐसे आफर की सत्यता की जाँच कंपनी के आफिशियल वेबसाईट पर करें। किसी की भी चिकनी-चुपड़ी बातों में आसानी से न आएँ, दो-तीन लोगों से सलाह लें जो इंटरनेट के अच्छे जानकार हों और सबसे जरूरी वक्त लें थोड़ा, जल्दबाजी न करें।

लकी नंबर वाला फ्राॅड - मेरे पास कई ऐसे फोन भी आए हैं जिनमें कहा गया कि आपका आयडिया का नंबर लकी नंबर के रूप में चुना गया है। आपको मोबाईल/बाईक/कार/घर ईनाम के रूप में मिलेगा। बस आपको सिक्यूरिटी के रूप में 10/20/30/40 हज़ार रूपये जमा करने पड़ेंगे। अब जाहिर सी बात है कोई जबरन में आपको काॅल करके क्यों गिफ्ट देगा वो भी आपके बिना भाग लिए हुए। सोचने वाली बात है।

सुझाव-

कृपया लालच न करें। यह कलयुग है, सतयुग नहीं। कोई भी आपको अपनी जेब से गिफ्ट नहीं देगा, वो भी जबरदस्ती। ऐसे काॅल को महत्त्व न दें।

आनलाईन खरीदी के बाद वाला फ्राॅड काल- यह नया-नया फ्राॅड है। मेरे साथ 2 बार हो चुका है। मैंने फ्लिपकार्ट से एक सामान आर्डर किया। दूसरे ही दिन मेरे पास काॅल आया कि आपने फ्लिपकार्ट से अमुक समान खरीदा है, इतने रूपये का और आपके इस एड्रेस पर डिलीवरी होनी है। (इतने में आम लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि कंपनी से ही काॅल आया होगा) मेरे हाँ में जवाब देने पर काॅलर ने कहा ‘‘बधाई हो आप एक बाईक जीत गए हैं, फिलिपकार्ट पर शाॅपिंग करने के लिए’’। बस मेरे लिए इतना ही काफी था फेक अलार्म पकड़ने के लिए। मैंने उसे साफ मना कर दिया मैं कोई पैसा नहीं दूँगा आपको तो सामने वाले काॅल कट कर दिया।
होम शाॅप 18 से भी खरीदी करने पर भी मेरे साथ एक बार यही चीज़ हो चुकी है।

सुझाव-

आनलाईन कंपनियाँ जो भी डिस्काउंट या ईनाम देती हैं अपनी वेबसाईट या जो सामान आप खरीद रहे हैं वहीं पर बता देते है। आपकी खरीदारी के बाद नहीं बताती कि आपने यह ईनाम जीता है।

आपका एड्रेस और खरीदारी का अमाउंट धोखेबाज़ कुरियर कंपनी से खरीद लेते हैं इसलिए आप भ्रमित न हों। लोगों से सलाह लें।

आनलाईन जाॅब पोर्टल - एक बहुत बड़ी जाॅब प्रोवाईडर कंपनी है, मैं नाम नहीं लूंगा। इनके काॅल सेंटर से काॅल आया। अच्छी जाॅब दिलाने के बहाने मुझसे रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया। बहुत मनाने के बाद मैंने 3000 रूपये में रजिस्ट्रेशन इस शर्त पर किया की इसके बाद मुझे एक भी रूपये नहीं देने पड़ेंगे और जाॅब के नोटीफिकेशन आने लगेंगे। पर जैसे ही मैंने रजिस्ट्रेशन फीस जमा की उन्होंने और पैसे की माँग की अलग-अलग बहाने से। मैंने मना कर दिया और आनलाईन कंप्लेंट करके बड़ी मुश्किल से अपने पैसे वापस पाए। आप इनको व्हाईट काॅलर धोखेबाज़ बोल सकते हैं।

सुझाव -

किसी भी जाॅब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले सारे तथ्य एवं शुल्क की जाँच कर लें। साथ ही कंपनी के बारे में आनलाइन रिव्यू एवं फीडबैक भी पढ़ लें।

एम्स में गरीबों के इलाज के लिए - एक बार मेरे पास एक काॅल आया जिसमें कहा गया कि एक गरीब बच्चे के टीबी के इलाज के लिए 1 लाख रूपये चाहिए। 60 हजार रूपये आप जैसे लोगों से एकत्रित हो गए हैं, बस 40 हज़ार की और जरूरत है। आपसे जितनी मदद हो सके कर दीजिए कम से कम 1 रूपये से आप कितना भी अमाउंट आप पेटीएम कर सकते हैं।
अब चूंकि मैं काफी संवेदनशील हूँ तो मैंने सोचा थोड़ी बहुत मदद तो मैं कर ही सकता हूँ। फिर भी मैंने सोचा की एक बार कंफर्म तो करना चाहिए ताकि पैसा सही जगह पहुँच जाए। तो काॅलर ने बच्चे का एम्स का एडमिट कार्ड और रसीदें व्हट्सअप पर दिखाई और कहा कि आप एम्स की वेबसाइट पर लाॅगइन करके देख सकते हैं।

मैंने रसीदें चेक की वो तो असली थी, लेकिन उस पर जो तारीख़ लिखी थी उसपर मुझे संदेह हुआ। मुझे फोटोशाॅप की अच्छी जानकारी है मुझे पता है कि तारीख बदलना तो कितना मामूली काम है। इसलिए उस जानकारी से एम्स की वेबसाईट पर लाॅगइन किया तो कोई डिटेल्स नहीं मिली। वह केस शायद बंद हो गया था। यह बात मैंने काॅलर को बताई तो उसने मुझे बरगलाने की कोशिश की, लेकिन फिर मैंने काॅल कट कर दिया। उसके बाद उसके कई काॅल आए अलग-अलग नंबर से धमकाते हुए और कहते हुए कि मेरा समय बर्बाद कर दिया और पैसे भी नहीं भेजे। लेकिन मुझे ऐसे फ्राड लोगों पर पैसे खर्च करने का न तो कोई शौक है और नही लुटाने के लिए पैसे। जब भी मुझे लगता है मैं खुद से ज़रूरतमंदों की मदद कर देता हूँ।

सुझाव -

आम लोग काफी संवेदनशील होते हैं और फ्राड आपके इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा कर इस तरह से आपसे पैसों की माँग करते हैं। हम और आप दान या मदद करने की भावना से पैसे भेज भी देते हैं। मगर हमको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मेहनत से कमाए पैसे सही जगह पहुँचे।

उम्मीद है कि आप सुझावों पर अमल करेंगे।
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रविवार, 27 अगस्त 2023

पवित्रा एकादशी का व्रत आज

पवित्रा एकादशी का व्रत आज
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी के रुप में मनाया जाता हैं। इस एकादशी का अपना विशेष महत्व है। पवित्रा एकादशी को पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। इस बार पवित्रा एकादशी 27 अगस्त दिन बुधवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से सारे कष्ट दूर हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पवित्रा एकादशी व्रत की कथा सुनने से वाजपेयी यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। पवित्रा एकादशी व्रत के कथा का श्रवण और पठन करने से मनुष्य को किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को विधानपूर्वक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए, इस व्रत के प्रभाव से इस लोक में समस्त भौतिक सुख और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पवित्रा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, उसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिल जाती है और पूर्वजों के आशीर्वाद से उसके घर किलकारियां गूंजती हैं। सावन पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत कर रात्रि जागरण करना चाहिए और फिर अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए।

कब होगा व्रत का प्रारंभ
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी के रुप में मनाया जाता हैं। इस साल पवित्रा एकादशी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 27 अगस्त 2023, प्रात: 12 बजकर 08 मिनट पर होगी और इसी दिन रात्रि 09 बजकर 32 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए, साथ ही इस व्रत को एकादशी से लेकर दशमी तक रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को फूल, फल, मिठाई, आवला इत्यादि सामर्थ्य अनुसार चढ़ाए।

पवित्रा एकादशी की पूजा विधि
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इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करना चाहिए। सबसे पहले धूप-दीप आदि से भगवान नारायण की अर्चना की जाती है, उसके बाद  फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान नारायण को अर्पित करते हैं।

पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार किया जाता है इस दिन दीप दान करने का महत्व है। इस दिन भगवन विष्णु का ध्यान एवं व्रत करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम का जप एवं एकादशी कथा का श्रवण एवं पठन करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

पवित्रा एकादशी व्रत की कथा 
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प्राचीन काल में एक नगर में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। राज के कोई संतान नहीं थी इस बात को लेकर वह सदैव चिन्ताग्रस्त रहते थे। एक दिन राजा सुकेतुमान वन की ओर चल दिए। वन में चलते हुए वह अत्यन्त घने वन में चले गए। वन में चलते-चलते राजा को बहुत प्यास लगने लगी। वह जल की तलाश में वन में और अंदर की ओर चले गए जहाँ उन्हें एक सरोवर दिखाई दिया। राजा ने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी बने हुए है और बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे हैं।

राजा ने सभी मुनियों को बारी-बारी से सादर प्रणाम किया। ऋषियों ने राजा को आशीर्वाद दिया, राजा ने ऋषियों से उनके एकत्रित होने का कारण पूछा। मुनि ने कहा कि वह विश्वेदेव हैं और सरोवर के निकट स्नान के लिए आये हैं। आज से पाँचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है।

राजा ने यह सुनते ही कहा हे विश्वेदेवगण यदि आप सभी मुझ पर प्रसन्न हैं तब आप मुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दें। मुनि बोले हे राजन आज पुत्रदा एकादशी का व्रत है। आप आज इस व्रत को रखें और भगवान नारायण की आराधना करें। राजा ने मुनि के कहे अनुसार विधिवत तरीके से पवित्र एकादशी का व्रत रखा और अनुष्ठान किया। व्रत के शुभ फलों द्वारा राजा को संतान की प्राप्ति हुई। इस प्रकार जो व्यक्ति इस व्रत को रखते हैं उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। संतान होने में यदि बाधाएं आती हैं तो इस व्रत के रखने से वह दूर हो जाती हैं। जो मनुष्य इस व्रत के महात्म्य को सुनता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पवित्रा एकादशी व्रत का महत्व 
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इस व्रत के नाम के अनुसार ही इसका फल है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती है अथवा जो व्यक्ति पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं उनके लिए पवित्र एकादशी का व्रत बहुत ही शुभफलदायक होता है  इसलिए संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को व्यक्ति विशेष को अवश्य रखना चाहिए, जिससे उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सके।

मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी
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पवित्रा एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर व्रत करने से जीवन से सभी नकारात्मक प्रभाव व सभी बाधा दूर होती हैं। पवित्रा एकादशी का स्वयं अर्थ है पवित्र करने वाली, जो कोई मनुष्य इस विशेष दिन पर सच्चे मन से भगवान विष्णु की उपासना करते हैं उन्हें पापों से मुक्ति मिलती हैं और इस विशेष दिन पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन अपनी इच्छा अनुसार दान करना चाहिए और साधु संतों को भोजन आदि करवाना चाहिए।

नेहरू जी दुनिया छोड़ गए 1962 और ISRO बना 1969 में, बस इतना बताना काफी है।

नेहरू की “दूरदर्शिता” का ढोल पीटना बंद करो खड़गे जी। मीठा मीठा गप कड़वा कड़वा थू। ये नहीं चलेगा। वैज्ञानिकों की मौतों की जांच के आदेश दे सरकार तो अच्छा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दिमाग का फितूर देखिये कि चंद्रयान-3 की सफलता पर “नेहरू राग” अलापते हुए कहा। “ये उपलब्धियां पंडित जवाहर लाल नेहरू की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैज्ञानिक सोच ही एक स्वतंत्र राष्ट्र के विकास की भावना को आगे बढ़ा सकता है”।

नेहरू जी दुनिया छोड़ गए 1962 और ISRO बना 1969 में, बस इतना बताना काफी है।

मतलब सारा श्रेय दुनिया छोड़ चुके “नेहरू” को दे दिया और आज का प्रधानमंत्री मोदी तो जैसे  “घुईयाँ” छील रहा है और वैज्ञानिक सोच को दबा रहा है। खड़गे जी, पागलपन की भी एक सीमा होती है और आप उस सीमा को लाँघ रहे हो। चंद्रयान 2 के विफल होने पर फिर आपने “नेहरू” की दूरदर्शिता को दोष न देकर मोदी को जिम्मेदार कैसे ठहरा दिया था।
मीठा मीठा गप कड़वा कड़वा थू, ये नहीं चलेगा, खड़गे जी। आपको फिर हर असफलता और बुरे परिणामों के लिए भी नेहरू की “दूरदर्शिता” को दोष देना होगा। नेहरू की “दूरदर्शिता” पर इन बातों से प्रश्नचिन्ह लगते हैं।

- कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया गया जिसे POK कहते हैं और कश्मीर नेहरू की दूरदर्शिता की वजह से समस्या बना रहा है;

- नेहरू ने अपनी “दूरदर्शिता” से 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि चीन को दे दी, वीटो पावर UN में चीन को दिलवा दिया,  इसके अलावा और न जाने कितने इलाके कांग्रेस ने चीन के हवाले कर दिए;

- जाने माने न्यूक्लियर वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की 24 जनवरी, 1966 को हवाई दुर्घटना में रहस्यपूर्ण  मृत्यु हुई;

- ISRO के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई की भी 30 दिसंबर, 1971 को रहस्यमय मृत्यु हुई;

- ISRO के चीफ क्रायोजेनिक इंजन बनाने वाले  नंबी नारायणन को 30 नवंबर, 1994 को कांग्रेस सरकार ने जासूसी के फर्जी आरोप में गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अपनी बेगुनाही साबित करने में 25 साल लग गए, ये था नेहरू की दूरदर्शिता का प्रमाण;

- वर्ष 1995 से 2010 तक ISRO की ही सूचना के अनुसार 684 वैज्ञानिकों और स्टाफ सदस्यों की मौत हुई; 197 वैज्ञानिकों ने आत्महत्या की 15 साल में;

- सरकार ने RTI में जानकारी दी थी कि वर्ष 2009 से 2013 तक UPA के कार्यकाल में 11 न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की “अप्राकृतिक मौतें” हुई हैं।

खड़गे जी, हिम्मत कीजिए और कहिए कि इस सभी सभी अशुभ घटनाओं के लिए भी “नेहरू” की “दूरदर्शिता” जिम्मेदार है। लेकिन आप मोदी विरोध में इस कदर अंधे हो चुके हो कि हर वक्त बस “नेहरू” की याद में खोए रहते हो।

खड़गे आपने कहा था नरेंद्र मोदी अगले वर्ष 15 अगस्त को तिरंगा अपने घर से फहराएंगे। चंद्रयान की सफलता के बाद ऐसा न हो, 15 अगस्त, 2024 को मोदी जी कहीं तिरंगा “चंद्रमा” पर ही न फहरा दें।

अपने राहुल को लॉन्च करने में “नेहरू” की “दूरदर्शिता” काम क्यों नहीं आ रही। चलिए ISRO से कहिए वो ही राहुल को लॉन्च कर दे या फिर POK के लॉन्चिंग पैड्स से लॉन्च करा लीजिए।

हमारा विपक्ष भी एकदम दिशा हीन है... कुढ़ा हुआ है...नकारात्मक हो चुका है....इसलिए उन्हें समझ नहीं आता कि किस बात का विरोध करना है, किसका समर्थन करना है... किस मुद्दे को उठाना है, और कहाँ चुप रहना है.

हमारा विपक्ष भी एकदम दिशा हीन है... कुढ़ा हुआ है...नकारात्मक हो चुका है....इसलिए उन्हें समझ नहीं आता कि किस बात का विरोध करना है, किसका समर्थन करना है... किस मुद्दे को उठाना है, और कहाँ चुप रहना है.

अब चंद्रयान-3 को ही लीजिये.

यह किसी पार्टी या किसी ख़ास धर्म की उपलब्धि नहीं थी... पूरे देश या पूरे विश्व की उपलब्धि है.. जिसका साझेदार हर भारतीय तो है ही....साथ ने हर मानव इससे कहीं ना कहीं प्रेरणा ले सकता है.

चंद्रयान-3 के land होते ही दुनियाभर में ख़ुशी मनाई गई....सभी Space Agencies ने बधाई दी... कई देशों के राष्ट्रध्यक्षो ने हमारे देश और प्रधानमंत्री को शुभकामनायें दी.

वहीं हमारा विपक्ष इस पूरे मामले में जलता कुढ़ता ही दिखा.... विपक्ष से मेरा आशय है कांग्रेस, मीडिया का एक ख़ास वर्ग, और कुछ कथित Famous Personalities....जिनकी जीवन यापन गाली खा कर ही होता है.

इनकी बातें भी सुनिए.
1. मोदी को landing के समय ISRO के office में नहीं होना चाहिए.
2. अच्छा है मोदी G-20 के लिए South Africa में हैं... इनकी वजह से चंद्रयान-2 crash हुआ था.


जैसे ही चंद्रयान-3 land हुआ.... उसके बाद इनकी बाते बदल गई... अब ये कहने लगे
1. अरे ये तो Animation दिखा दिया... फर्जी landing है जी
2. अरे मोदी ने आधी screen घेर ली
3. अरे मोदी ने तो वैज्ञानिकों को बोलने ही नहीं दिया
4. मोदी को चंद्रयान-4 का क्रेडिट नहीं मिलना चाहिए.
5. क्रेडिट तो नेहरू को जाना चाहिए... वो ना होते तो भारतीयों को सांस लेने के लिए हवा भी नहीं मिलती (ऐसा सच में कहा गया है)

आज प्रधानमंत्री वापस आ गए, और सीधा बंगलौर गए ISRO के office.. वैज्ञानिकों से मिले, उन्हें सम्बोधित किया.. कुछ घोषणायें की 

यहाँ भी विपक्ष वालों को दर्द उभर गया... अब यह कह रहे हैं.
1. मोदी को कोई हक़ नहीं है, Chandrayan-3 के लैंडिंग Point का नाम 'शिव शक्ति' और चंद्रयान-2 के crash point का नाम 'तिरंगा' रखने का. जबकि इन्ही लोगों ने चंद्रयान-1 के crash point का नाम जवाहर point रखा था... तब किससे पूछा था भाई?
2. यह लोग इसमें भी secularism ले आये... कि secular देश है... नाम भी secular होना चाहिए था.. शिव शक्ति और तिरंगा तो हिन्दू शब्द हैं जी.

इसी बीच मुजफ्फरनगर में एक घटना घट गई.. एक मुस्लिम बच्चे को थप्पड़ मारने की.... और अब सारा मुद्दा ही हिन्दू मुस्लिम कर दिया इन्होंने..... पिछले 12 घंटो से इनके लिए चंद्रयान गायब हो गया है.. और अब बस मुज़फ्फरनगर ही limelight में रह गया है...

यहाँ तक कि राहुल गाँधी की लद्दाख यात्रा की coverage भी कम कर दी है... वो बेचारा वहाँ बीहड़ में धूल फांक रहा है.. कम से कम उसे ही cover कर लो 😀🤣

इन्हे लगता है कि ऐसी नकारात्मक बातें करके यह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का देंगे... लेकिन ऐसा होता नहीं है... नकारात्मकता से सिर्फ नकारात्मक परिणाम ही आते हैं... और वह चुनाव में दिख भी जाएंगे.

सोचिये देश में कितना सकारात्मक माहौल होता.. अगर विपक्ष भी इस महान घटना पर सकारात्मक रहता... देश वासियो के साथ खुशियां मनाता..... ऐसा करते तो लोगों के मन में भी विपक्ष के प्रति दृष्टिकोण बदलता...... लेकिन इन्हे कौन समझाये... जब अपने पैर को ही कुल्हाड़ी पर मारने का मन बना लिया इन्होने.. तो भला कौन रोक पायेगा इन्हे.

शनिवार, 26 अगस्त 2023

जिन महिलाओं के होते हैं बाल पतले, वे पाती हैं अच्छा वेतन और पद


जिन महिलाओं के होते हैं बाल पतले, वे पाती हैं अच्छा वेतन और पद
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सिर के बाल जहां आपकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं वहीं ये आपकी किस्मत को भी प्रभावित करते हैं। क्योंकि सिर के बालों का संबंध ग्रहों से भी है। बालों की स्थिति से आपके भविष्य को जाना जा सकता है, इनसे ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभाव जुड़े हैं।

सिर के बालों से ग्रहों के संबंध जानने पर यकायक विश्वास न हों पर यह सच है। ज्योतिष, ग्रहों की प्रभावित स्थितियों के अध्ययन से इस सच को जाना गया तो लंदन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से इनकी सत्यता पर अपनी पुष्टी की है। यदि सिर के बालों से गलत छेड़छाड़ की जा रही है, कांटा-छांटा जा रहा है तो इससे मानसिक अशांति, कभी उद्विग्नता, कभी असमंजस, कभी अप्रियता, उपेक्षिता आदि कुछ न कुछ ऐसे वैसे प्रभाव होते जाना होगा। बाहर से खुशमिजाज दिखना अलग बात है तो भीतर से कभी असहज होना दूसरी बात है।

बालों को लेकर रिसर्च क्या कहती है?
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लंदन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से हाल ही में यह सिद्ध किया है कि बालों की सूक्ष्मता व्यक्ति की बुद्धि से सीधा संबंध रखती है। अपने शोध के प्रथम चरण में शोधकर्मियों ने कुछ सौ महिलाओं के बालों के नमूनों से उनके स्वभाव, चरित्र, तथा क्षमताओं का पता लगाया। उन्होंने निष्कर्ष निकालें कि जिन महिलाओं के बाल अपेक्षाकृत सूक्ष्म अर्थात पतले होते हैं, वे अधिक महत्वपूर्ण या अधिक वेतन के पदों पर कार्यरत होती हैं।

बालों को लेकर ज्योतिष क्या कहता है?
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जो स्त्रियां गृहणियां होती हैं वे सामाजिक तथा दूसरे सृजनात्मक कार्यों में सक्रिय होती हैं। इसके विपरीत मोटे बालों वाली स्त्रियां अवसरवादी तथा अस्थिर चित्त की होती हैं। भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्ष पहले ही उक्त तथ्य का पता लगा लिया था। सामुद्रिक शास्त्र में लिखा हैं कि पतले बालों की स्त्री रानी सदृश्य होती हैं। उसी प्रकार वराहमिहिर ने वृहत्संहिता में लिखा हैं कि मोटे तथा घने बालों वाले लोग निर्धन होते हैं।
 
बालों का ग्रहों से है सीधा संबंध
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ग्रहों की दो श्रेणियां हैं। एक श्रेणी में वे ग्रह हैं, जो मस्तिष्क को निरंतर ऊर्जावान रखते हैं। सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र तथा राहु इसी श्रेणी के ग्रह हैं जो मस्तिष्क की उर्वरता को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत मंगल, बुध, शनि तथा केतु हमेशा यथास्थिति बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। स्थूल तथा रूखे बाल हों तो जातक मंगल, बुध, शनि तथा केतु जैसे विघटनकारी एवं विलंबकारी ग्रहों से प्रभावित होता है। सूक्ष्म, स्निग्ध तथा कोमल बाल सूर्य, चंद्र, गुरु, शुक्र तथा राहु का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य यश, चंद्र मानसिक शक्ति, बृहस्पति विवेकशीलता एवं बुद्धि, शुक्र सौंदर्य तथा राहु अच्छे अवसरों का प्रतीक है।
 
गंजेपन की शिकायत कब होती है?
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बृहस्पति श्रेष्ठ ग्रह है क्योंकि यह विवेकशीलता तथा मस्तिष्क की क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करता है। मस्तिष्क की क्षमताओं का सही दिशा में उपयोग करने की कला भी बृहस्पति ही सिखाता है। नेतृत्व क्षमता भी बृहस्पति के कारण ही आ पाती है। इन सब गुणों या विशेषताओं के बावजूद बृहस्पति का एक नकारात्मक पक्ष है कि वह सिर पर बालों की कमी करता है। एक दृष्टि से यह हमारे लिए सकारात्मक स्थिति भी है कि हम बृहस्पति प्रधान व्यक्ति की पहचान तुरंत कर सकते हैं  जिस परिवार में गंजापन वंशानुगत नहीं हो किंतु उसका कोई सदस्य बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के गंजा हो तो यह गुरु के प्रभाव का ही द्योतक है। ऐसा जातक नेतृत्व क्षमता से संपन्न तथा विवेकशील होता है। जन्मांग में यदि लग्नगत गुरु हो तो सिर में गंजेपन की शिकायत हो सकती है।

इन डेट को जन्म लेने वाले बच्चों के बाल कम होते हैं
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अंक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति का अंक 3 है. प्रायः देखा जाता है कि अंग्रेजी के तीसरे, छठे, नौवें तथा 12वें मास की 3, 12, 21 तथा 30 तारीख को जन्म लेने वाले शिशुओं के बाल आरंभ में बहुत कम होते हैं। इनके सिर के बालों की वृद्धि अपेक्षाकृत विलंब से होती है। इसका कारण गुरु के अंक तीन का जातक पर अत्यधिक प्रभाव होना है। विवेकशीलता के गुणों के कारण बृहस्पति प्रधान जातकों का कोई भी कार्य लापरवाहीपूर्ण नहीं होता है। इन विशेषताओं के कारण जातक की कार्य के प्रति सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि होती है। मस्तिष्क की शक्ति पुष्ट होती है, लेकिन सिर के बाल गिरने लगते हैं। हमेशा ऐसा नहीं होता है कि ऐसे सभी लोगों के सिर के बाल एक ही स्थान से झड़ें। भिन्न मामलों में सिर के बालों के झड़ने के स्थान अलग-अलग होते हैं।

गंजापन किस बात का संकेत है? 
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मस्तिष्क के अगले भाग में दोनों तरफ गंजापन होना उत्तम माना गया है। ऐसे लोग विचारशील तथा व्यावहारिक होते हैं। वे प्रायः प्रोढ़ावस्था के आते-आते अपने लक्ष्य के करीब तक पहुंच चुके होते हैं। इनमें बौद्धिक क्षमता पर्याप्त होती है, जो इन्हें लगातार सक्रिय रखती हैं। ये सृजनात्मक कार्यों में ज्यादा रूचि लेते देखे गए हैं।

ऐसे लोगों को करना पड़ता है संघर्ष
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मस्तिष्क के ठीक पीछे शिखा के पास बाल न होना संघर्ष करवाता है। प्रायः ऐसे लोगों को उनका भाग्य साथ नहीं देता है। वे लगातार संघर्ष करते हैं तथा अपने कल्पना लोक में विचरण करते रहते हैं। उनमें कार्य की शुरूआत करने की क्षमता का अभाव पाया जाता हैं यद्यपि वे श्रेष्ठ नेतृत्वकर्त्ता सिद्ध हो सकते हैं, लेकिन ऐसा तभी संभव है जब उन्हें व्यवसाय के आरंभ में आर्थिक के साथ-साथ मानसिक सहयोग भी प्राप्त हो।
 
बाल और रोग
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बहुत से लोगों के सिर पर बाल होते ही नहीं। ऐसा किसी रोग विशेष के कारण भी हो सकता है। यदि इस गंजेपन का संबंध व्यक्ति के क्रियाकलापों से हो तो वह हमेशा नकारात्मक फलों को देने वाला होना चाहिए। ऐसे जातक की सफलता संदिग्ध होती है। वह चाहे बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर भी ले, लेकिन कार्य दूसरों के अधीन रह कर ही करता है। उसमें आत्मविश्वास का अभाव होता है।


शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए

इतिहास ज्ञात होना चाहिए -: 
अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए और देखिए। कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ? बहुत किया, लेकिन मुसलमानों के लिए ? • पाकिस्तान बनाया, मुसलमानों के लिए, • बांग्लादेश बना,  मुसलमानों के लिए, • धारा ३७० लागू हुई, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक बिल आया, मुसलमानों के लिए। • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक मंत्रालय बना, मुसलमानों के लिए। • वक़्फ़ बोर्ड बनाया, मुसलमानों के लिए। • अल्पसंख्यंक विश्वविद्यालय बना, मुसलमानों के लिए। • देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ, मुसलमानों के लिए। • Places of worship Act लाये,  मुसलमानों के लिए। • Anti communal violence bill दो बारी संसद में पेश किया परंतु BJP ने पास नहीं होने दिया,  वो बिल भी मुसलमानों के लिए और कहीं अगर यह बिल पास हो जाता तो हिंदुओं को ख़त्म होने में मात्र 10 साल लगते ?  यदि किसी को कोई शक हो तो google पर जाकर पढ़ सकता है। • देश को चुपचाप इस्लामिक देश बनाने की तैयारी कांग्रेस ने की थी, और हिंदूओं के लिए सिर्फ आरक्षण दिया, ताकि हिंदू समाज सदा आपस मे लड़ता रहे और कभी गजवा-ए-हिन्द को समझ ही न पाये । हिंदूओं को दुय्यम, दोयम ( second rate citizen) नागरिक बनाने के लिए - हिंदू कोड बिल लाये, तो वो भी मुसलमानों के लिए, कभी - कभी मन करता है कि पोस्ट ही ना करूं ?  फिर ख्याल आता है कि पढेगा भारत, तभी तो कांग्रेसियों की छाती पे चढ़ेगा भारत ? इस पोस्ट को पढ़कर कुछ समझ आया तो अधिक से अधिक लोगों तक क्या पोस्ट पहुंचने में सहयोग करें। जय श्री राम राधे राधे गोविन्दा ❣️🙏🚩

अनंत काबरा की कलम से....🎇🎇 इंडिया नही‌ भारत कहो


अनंत काबरा की कलम से....

🎇🎇 इंडिया नही‌ भारत कहो 🎇🎇

सभी को शुभकामनाएं... भारत का चंद्रयान 3, चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला पहला राष्ट्र बन गया!*

साफ है... जहां एक और कुछ नकली पार्टियों के दलाल नेता, अभिनेता, तनखैय्या बुद्धिजीवी खिसिया कर *राजीव गांधी चांद योजना... का विज्ञापन देने की सोच रहे होंगे* या फिर *मुफ्त में कुछ और...* ताकि *हिंदुस्तान* टाइप अखबार *विज्ञापन से खरीदें जा सकें...* वहीं भारत को दुनिया भर के शीर्ष पर पहुंचाने का उत्साह दिखाने वाले अपने काम में लगे हुए हैं... 

*परिवारवाद से राष्ट्रवाद की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ा चुके अग्रिम पंक्ति के नेताओं को हालांकि अभी भी इंडिया वहम ने जकड़ रखा है...* जल्दी ही वो भी *#भारत_चैलेंज* अपनाएंगे... अन्य कोई विकल्प है ही नहीं... न उनके पास न हमारे पास... धरती की कक्षा से निकल कर चांद पर पहुंचे चंद्रयान 3 की सफलता के साथ ही *इंडिया* की मानसिकता से निकलेगा भारत...

क्योंकि आज भारतीय जनता ने दुनिया को बता दिया... *चांद पर झण्डा होना और झंडे पर चांद होने का मतलब, चांद तारों वाली दुनिया को बता दिया भारत ने...* 

पाकिस्तान जैसे झंड पतंग देशों को भी... जिन्हें बस केवल कब्जा, धर्मांतरण आता है, खालिस्तान के आतंकियों को भी जिन्हें भारतीय ध्वज का अपमान करने के अलावा *कनाडाई* होने का कुछ विकल्प नजर नहीं आता... 

*अब पूरी दुनिया को अंतरिक्ष तकनीक भी बेचेगा भारत!* 

और यहां कुछ नालायक, धूर्त लोग अभी भी अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत को जातियों में तोड़कर उसका धर्मांतरण करने वाले I-N-D-I-A वालों के चक्कर में पड़े हैं... 

*इसलिए आपका जानना अब बहुत जरूरी है कि...*

*प्रयागराज से हरिशंकर गुप्ता* ने चंद्रयान के सतह पर सुरक्षित उतरने के लिए हेजार्डस मैकेनिज्म बनाया!

*मिर्जापुर से आलोक पांडेय* ने लैंडिंग और कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी को संभाला!

*उन्नाव के युवा वैज्ञानिक आशीष मिश्रा* ने  लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग के नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक्स और थ्रोटलिंग वाल्व के विकास पर कार्य किया, वो 14 साल से इसरो में हैं! 

*मुरादाबाद के वैज्ञानिकों मेघ भटनागर* ने चंद्रयान 3 का ब्रेन ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर की क्वालिटी कंट्रोलिंग, *अनीश रमन सक्सेना* चंद्रयान वन से इसमें जुड़े हैं, और *रजत प्रताप* सिंह चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट कंट्रोलिंग मिशन का हिस्सा हैं!

*फतेहपुर के सुमित कुमार और उनकी टीम* ने यान के लैंडर और रोवर में लगे अत्याधुनिक कैमरों का डिजाइन किया! 

*प्रतापगढ़ के रवि केसरवानी* ने *शेप* डिजाइन किया ताकि चंद्रयान अब सीधे धरती से जुड़कर प्रकाश ले ना की चंद्रमा से रिफ्लेक्ट होकर मिलने वाला प्रकाश! 

*रांची की हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन ने होरीजोंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफॉर्म, विल बोगी जैसे उपकरणों को बनाया!*

*फिरोजाबाद के टिकरी गांव के किसान के बेटे धर्मेंद्र प्रताप यादव* इसरो में 2011 से वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर हैं जिन्होंने मंगलयान से लेकर, चंद्रयान-1, चंद्रयान-2, मिशन में भी भाग लिया अब चंद्रयान-3 में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं!

लेकिन *इसमें एक भी कन्वर्ट, परवर्ट, रावण की पत्थरबाज सेना नहीं है,* क्योंकि वो सभी तो *इंडिया* को बेचने वाले पप्पुओं, भैयाजियों, बहनजियों, दीदियों, इटालियन मेमों के दलालों के जूते सफाई कार्यक्रम में शामिल हैं!

लगे हुए हैं, साम दाम दण्ड भेद से भारत को बर्बाद करने के *इंडिया* कार्यक्रम में, हत्या, लूट, बलात्कार, आगजनी, तोड़फोड़ के खूनी खेला में, जिसकी शुरुआत से अभी तक, इनका एजेंडा है *किसी भी तरह भारत को ईस्ट इंडिया कम्पनी* के लिए *महा-ठग-बंधन* का *इंडिया* बनाए रखा जाए, विदेशी धन से संचालित ये *बड़ा खेला है, धर्मांतरण का!?* 

इस बड़े खेला में *पाकिस्तानी, खालिस्तानी, मुफ्तखोर जेलिंस्की टाइप कितने ही जोकर हैं...* जो भारत के लगभग सभी राज्यों में हैं! 

दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक, पंजाब से राजस्थान तक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ ही नहीं पूर्वोत्तर भारत से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लगभग सभी राज्यों में, खास तरीके से, *मुफ्त पानी, बिजली, चावल, गेंहू, लैपटॉप, राशन, एक पर एक फ्री शराब की बोतल के अलावा सीधे अकाउंट में नोट डलवा* भारतीय जनता को *भारत को टुकड़ों टुकड़ों में बांटकर, भारत को विधर्मी बनाने की साजिश में लगे हुए हैं!?*

इसलिए चंद्रयान तो ठीक है, चांद के बाद मंगल, सूरज तक पहुंच जाओगे, पर असुरों से, रावणों से, इस धरती को कौन बचाएगा, कैसे पूछता है भारत!??? जो जल्लाद बन देश को कुतरने में लगे हुए हैं, दु:ख तो इस बात का है, एक भी कांग्रेसी, एक भी वामपंथी, एक भी मजहबी मौलाना/मौलवी, एक भी  फिल्मकार ने‌ बधाई संदेश तक प्रेषित नहीं किया उल्टा मनोबल गिराने‌ का सांस्कृतिक कार्यक्रम किया.. दूसरी ओर चंद्रयान को चांद पर भेजने से पहले सभी वैज्ञानिकों ने तिरुपति बालाजी के दर्शन किए और मन्नत मांगी और‌ लैंडिंग से पूर्व सभी सनातनियों ने यज्ञ, मंत्र जाप और‌ प्रार्थनाएं की..

आज से इंडिया बोलना और लिखना बंद, जब अमरीका, चीन, यहां तक पाकिस्तान समेत, दुनिया भर के सभी देशों का नाम उनकी भाषा में भी वही होता तो भारत को अंग्रेजी में इंडिया कहने वालों के लिए एक चुनौती *#Bharat_Challenge* आज से इंडिया न बोलेंगे, न लिखेंगे बस *भारत* बोलेंगे और भारत लिखेंगे, और अन्य से भी यही निवेदन करेंगे, अंग्रेज चले गए, अब अंग्रेजी गुलामी की मानसिकता से निकलो बाहर!

*गर्व से कहो, हम भारतीय हैं... इंडियन नही... भारत अब धीरे धीरे अपनी रक्षा के लिए स्वदेशी हथियार बना निर्यात करने‌ के लिए संकल्पबद्ध हो‌ चुका है..
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डॉ.अनंत काबरा
जय मां भारती और वंदे मातरम
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