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बुधवार, 29 नवंबर 2023

ये है आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले विश्व के महान भारतीय गणितज्ञ डॉ . वशिष्ठ नारायण सिंह

 

एक बूढ़ा आदमी हाथ में पेंसिल लेकर यूं ही पूरे घर में चक्कर काट रहा था, कभी अख़बार, कभी कॉपी, कभी दीवार, कभी घर की रेलिंग, जहां भी उनका मन करता, वहां कुछ लिखते, कुछ बुदबुदाते हुए।।घर वाले भी उन्हें देखते रहते हैं, कभी आंखों में आंसू तो कभी चेहरे पर मुस्कराहट ओढ़े।

77 साल का 'पगला सा' यह आदमी अपने जवानी में 'वैज्ञानिक जी' के नाम से मशहूर था। मिलिए…... ये है आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले विश्व के महान भारतीय गणितज्ञ डॉ . वशिष्ठ नारायण सिंह जो छात्र के रूप में एक किंवदंती बन चुके है।

लेकिन ये इस देश का दुर्भाग्य ही है कि 47 साल से मानसिक बीमारी सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित वशिष्ठ नारायण सिंह बेहतर इलाज के अभाव में पटना के एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे हैं।

इनके बारे में मेरे द्वारा लिखा जाना सूर्य को दीयां दिखाने के समान होगा। लेकिन आपकी जानकारी के लिए उनकी कुछ उपलब्धियों का जिक्र जरूर करना चाहूंगा। जिसके बारे में जानकर विकृत हो जाएगी सारी दुनिया विशेषकर महानतम भारत देश और यह समाज…

  • श्री वशिष्ठ का जन्म 2 अप्रैल 1942 में भारत के बिहार में भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में लाल बहादुर सिंह और लाहसो देवी के यहाँ हुआ था।
  • प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा नेतरहाट आवासीय विद्यालय से प्राप्त की और परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाया।
  • श्री वशिष्ठ के लिए पटना विश्वविद्यालय के कानून बदलाव किये। जिसमे श्री वशिष्ठ को B..Sc. के तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के स्थान पर दो वर्षीय पाठ्यक्रम में उपस्थित होने की अनुमति दी गई और पटना साइंस कॉलेज से B. Sc.आनर्स में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
  • श्री वशिष्ठ की इस प्रतिभा को हमारे देश का कोई भी बुद्धजीवी पहचान नही सका बल्कि सात समंदर पार कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नज़र उन पर पड़ी और उनकी प्रतिभा को पहचाना। 1965 में श्री वशिष्ठ नारायण अमरीका चले गए। वहाँ उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में मैथमेटिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। 1969 में "द पीस आफ स्पेस थ्योरी" विषयक पर उनके शोध पत्र ने दुनिया मे तहलका मचा दिया और बर्कले यूनिवर्सिटी ने उन्हें " जीनियसों का जीनियस " कहा।
  • अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA में काम करते हुए विदेशी धरती पर जब श्री वशिष्ठ का मन नही लगा तो, 1971 में देश सेवा का प्रण लिए वतन वापसी की और IIT कानपुर, फिर टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च, बंबई और फिर Indian Statistical Institute, कोलकाता में नौकरी की और 2014 में, उन्हें मधेपुरा में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बी.एन.एम.यू.) में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। डॉ० वशिष्ठ के बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक समान था।

बीमारी और सदमा

खुद को कमरे में बंद करके दिन-दिन भर पढ़ते रहना, रात भर जागना डॉ० वशिष्ठ के व्यवहार में शामिल था। वह कुछ दवाइयां भी खाते थे लेकिन वे किस बीमीरी की थीं, इस सवाल को टाल दिया करते थे। उनके इस व्यवहार से उनकी पत्नी जल्द परेशान हो गईं और तलाक़ ले लिया। यह डॉ० वशिष्ठ के लिए बड़ा सदमा था। तक़रीबन यही वह वक्त था जब वह आई.एस.आई. कोलकाता में अपने सहयोगियों के बर्ताव से भी वशिष्ठ परेशान थे क्योंकि कई वरिष्ठ प्रोफ़ेसर्स उनके शोध को अपने नाम से छपवा लिया करते थे और यह बात उनको बहुत परेशान करती थी।

इसे के चलते 1974 में उन्हें पहला दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें 1976 में रांची के मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करवाया गया। सरकार द्वारा इलाज के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद बहुत ही कम होने के कारण उचित इलाज नही हो सका।

श्री वशिष्ठ का परिवार भी शायद अब उनके इलाज को लेकर नाउम्मीद हो चुका है। लेकिन उनके किताबों से भरे बक्से, दीवारों पर श्री वशिष्ठ की लिखी हुई बातें, उनकी लिखी कॉपियां अब उनको भी डराती होंगी। डर इस बात का कि क्या वशिष्ठ बाबू के बाद ये सब रद्दी की तरह बिक जाएगा।

बहुत ही मामूली आदमी का बेटा श्री वशिष्ठ से आखिर क्या गलती हुई कि आज वह इस स्थिति में हैं ? सिर्फ और सिर्फ यही कि देशप्रेम में उन्होंने अमेरिका में न जाने कितने ऑफर ठुकरा दिए और अपनी मातृभूमि की सेवा करने चले आए। लेकिन भारत माता की छाती पर पहले से बैठे सु० ( कु० ) पुत्रों ने उनको पागल बना कर वशिष्ठ पागल की उपाधि से नवाजा। जिस वशिष्ठ का एक जमाना था जिसे गणित में आर्यभट्ट व रामानुजम का विस्तार माना जाता था, वही वशिष्ठ , जिनके चलते पटना विश्वविद्यालय को अपना कानून बदलना पड़ा था । इस चमकीले तारे के खाक बनने की लम्बी दास्तान है। खैर , उन तमाम लोगों को बहुत - बहुत धन्यवाद , जो अपने को अनाम / गुमनाम रखते हुए , डॉ वशिष्ठ के भोजन , पटना में उनके रहने का इंतजाम , दवाई आदि का प्रबंध किए हुए हैं ।

इस देश में एक मिनिस्टर का कुत्ता बीमार पड़ जाए तो डॉक्टरों की लाइन लग जाती है, लेकिन डॉ० वशिष्ठ जैसे सपूतों को इस समाज ने मानसिक रोगी बना दिया। डॉ०वशिष्ठ का क्या गया ? गया तो इस देश - समाज का , जो उनका उपयोग नहीं कर पाया ।

स्रोत: गूगल, विकिपीडिया, बीबीसी

कांग्रेस वामपंथी शिवसेना यानी पूरा विपक्ष यही कामना कर रहा था कि कश मजदूर सुरंग में से बाहर ना निकल सके उनका मौत हो जाए और हम इसे मोदी को बदनाम करने के लिए एक बड़े मुद्दे के तौर पर देश में उठा सकें

 

टनल में फंसे मजदूर बाहर आ गए।

मूर्खों की फौज की छाती पर सांप लोट रहा होगा लेकिन बाकी देश खुशी से झूम रहा है।

अपने आप में अभूतपूर्व रहा है ये रेस्क्यू ऑपरेशन। हर राहतकर्मी को बहुत बधाई उनकी कठोर मेहनत और सफलता के लिए।

केंद्र सरकार और उनकी टीम ने जिस तरह से घोड़े खोल दिए थे गरीब मजदूरों को बचाने के लिए उससे इस देश के हर गरीब को ये मेसेज भी गया है कि उसके भी जान की कीमत है, उसकी भी परवाह करनेवाला पीएम है

वरना इत्तेफाक देखिए कि अभी ही नेटफ्लिक्स पर द रेलवे मेन करके वेबसीरीज़ आ रही है 1984 के भोपाल गैस कांड पर जिसको देखकर समझ आता है कि लोगों को मरता छोड़ देने वाली सरकारें भी देखी हैं इस देश ने। एक भारतीय होने के नाते गर्व से सीना चौड़ा हो गया है देश की इस कामयाबी पर।

कांग्रेस वामपंथी शिवसेना यानी पूरा विपक्ष यही कामना कर रहा था कि कश मजदूर सुरंग में से बाहर ना निकल सके उनका मौत हो जाए और हम इसे मोदी को बदनाम करने के लिए एक बड़े मुद्दे के तौर पर देश में उठा सकें

मजदूरों के निकलने से सबसे बड़ा दुख भारत के विपक्ष को हो रहा है

इनका दुख ये भी था कि मजदूरों को बचाने मोदी जी गेती फावड़ा लेकर सुरंग में क्यों नहीं जा रहे है..

मनमोहन सिंह PM होते तो कब का ही सुरंग में जाकर मजदूरों को निकाल लाते …जिनको निकलने में कई सप्ताह लग गए।

और आज अगर चिच्चा होते, तो मजदूर 16 दिन पहले ही बाहर निकाल लेते, क्योंकि चिच्चा खुदाई में कितने माहिर थे, सारी दुनिया जानती है।

प्राचीन समय में लकड़ी के इस यंत्र से ऋषि-मुनि यज्ञ के लिए करते थे अग्नि उत्पन्न, आज भी होता है इसका उपयोग

 

प्राचीन समय में लकड़ी के इस यंत्र से ऋषि-मुनि यज्ञ के लिए करते थे अग्नि उत्पन्न, आज भी होता है इसका उपयोग


हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इनमें से कुछ का पालन आज भी किया जाता है। ऐसी ही एक परंपरा है यज्ञ। पुरातन काल से ही हमारे ऋषि मुनि जनकल्याण के लिए यज्ञ करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यज्ञ करने से देवता प्रसन्न होते हैं और मनोकामना भी पूरी करते हैं।

धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रेतायुग और द्वापर युग में राजा-महाराज अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए यज्ञ करते थे। यज्ञ करवाने के लिए सिद्धि मुनियों को बुलवाया जाता था। लेकिन यहां एक बात अचंभित करने वाली है कि उस समय माचिस या ऐसी कोई चीज नहीं होती थी, जिससे कि आग जलाई जा सके तो फिर ऋषि-मुनि किस प्रकार अग्नि प्रज्वलित करते थे। आज हम आपको इससे जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

अरणी मंथन से उत्पन्न की जाती थी अग्नि
शमी को शास्त्रों में अग्नि का स्वरूप कहा गया है जबकि पीपल को भगवान का। इन दोनों की वृक्षों की लकड़ी से अरणी मंथन काष्ठ बनता है। उसमें अग्रि विद्यमान होती है, ऐसा हमारे शास्त्रों में उल्लेख है। इन लकड़ियों का विशेष प्रकार से उपयोग करने पर अग्नि उत्पन्न की जा सकती है। साथ ही इसके लिए विशेष मंत्र भी बोलकर अग्नि देवता का आवाहन भी किया जाता है।

कैसे करते हैं इसका उपयोग?
अरणी शमी की लकड़ी का एक तख्ता होता है जिसमें एक छिछला छेद रहता है। इस छेद पर पीपल की लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह तेजी से चलाया जाता है। इससे तख्ते में चिंगारी उत्पन्न होने लगती है, फिर हवा देकर इस आग को बढ़ाया जाता है और यज्ञ में इसका उपयोग किया जाता है। भारत में पुराने समय में हर काम के लिए आग जलाने के लिए यही तरीका अपनाया जाता था। अरणी में छड़ी के टुकड़े को उत्तरा और तख्ते को अधरा कहा जाता है।

अग्नि देवता का करते हैं आवाहन
अरणी मंथन का उपयोग कर यज्ञ के लिए अग्नि उत्पन्न करना पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीका है, लेकिन इसके साथ-साथ ऋषि-मनि विशेष मंत्रों के माध्यम से अग्नि देवता का आवाहन भी करते थे। ऐसी मान्यता है कि उन मंत्रों से प्रभावित होकर अग्नि देवता स्वयं यज्ञ कुंड में प्रकट होते थे और समिधा आदि को ग्रहण करते हैं।

माता सती से जुड़े 51 शक्तिपीठ,,,,,, जो आज वर्तमान के पूरे भारतीय उपमहाद्वीपयथा भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश में स्थित हैं,,

माता सती से जुड़े 51 शक्तिपीठ,,,,,, 

जो आज वर्तमान के पूरे भारतीय उपमहाद्वीप
यथा भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश में स्थित हैं,,, 

1.-हिंगलाज,,,,
🚩कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) का ऊपरी भाग गिरा था.
इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है व भैरव को भीम लोचन कहते हैं।

2.-शर्कररे,,,,
🚩पाक के कराची के पास यह शक्तिपीठ स्थित है.
यहां माता की आंख गिरी थी.
इसकी शक्ति- महिषासुरमर्दिनी व भैरव को क्रोधिश कहते हैं।
 
3.-सुगंधा...
🚩बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है.

माता की नासिका गिरी थी यहां.
इसकी शक्ति सुनंदा है व भैरव को त्र्यंबक कहते हैं.

4.-महामाया...
🚩भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था.
इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं.

5:-ज्वालाजी...
🚩हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी. 

इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं.
इसकी शक्ति है सिद्धिदा (अंबिका) व भैरव को उन्मत्त कहते हैं।

6.-त्रिपुरमालिनी...
🚩पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था.
इसकी शक्ति है त्रिपुरमालिनी व भैरव को भीषण कहते हैं.

7.-वैद्यनाथ..
🚩झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथधाम जहां माता का हृदय गिरा था.
इसकी शक्ति है जय दुर्गा और भैरव को वैद्यनाथ कहते हैं.

8.-महामाया...
🚩नेपाल में गुजरेश्वरी मंदिर, जहां माता के दोनों घुटने (जानु) गिरे थे.

इसकी शक्ति है महशिरा (महामाया) और भैरव को कपाली कहते हैं.

9.-दाक्षायणी...
🚩तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था. 

इसकी शक्ति है दाक्षायणी और भैरव अमर.
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10.-विरजा...
🚩ओडिशा के विराज में उत्कल में यह शक्तिपीठ स्थित है.
यहां माता की नाभि गिरी थी.
इसकी शक्ति विमला है व भैरव को जगन्नाथ कहते हैं.

11.-गंडकी..
🚩नेपाल में मुक्ति नाथ मंदिर, जहां माता का मस्तक या गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी.
इसकी शक्ति है गंडकी चंडी व भैरव चक्रपाणि हैं.

12.-बहुला..
🚩प. बंगाल के अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था.
इसकी शक्ति है देवी बाहुला व भैरव को भीरुक कहते हैं.
 
13.-उज्जयिनी...
🚩प. बंगाल के उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी.
इसकी शक्ति है मंगल चंद्रिका और भैरव को कपिलांबर कहते हैं.

14.-त्रिपुर सुंदरी..
🚩त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव के माता बाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था.
इसकी शक्ति है त्रिपुर सुंदरी व भैरव को त्रिपुरेश कहते हैं.

15.-भवानी..
🚩बांग्लादेश चंद्रनाथ पर्वत पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दाईं भुजा गिरी थी.
भवानी इसकी शक्ति हैं व भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं.

16.-भ्रामरी..
🚩प. बंगाल के जलपाइगुड़ी के त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था.
इसकी शक्ति है भ्रामरी और भैरव को अंबर और भैरवेश्वर कहते हैं.
 
17.-कामाख्या...
🚩असम के कामगिरि में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था.
कामाख्या इसकी शक्ति है व भैरव को उमानंद कहते हैं.

18.-प्रयाग..
🚩उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (प्रयाग) के संगम तट पर माता के हाथ की अंगुली गिरी थी.
इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं.

19.-जयंती...
🚩बांग्लादेश के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर, जहां माता की बाईं जंघा गिरी थी.
इसकी शक्ति है जयंती और भैरव को क्रमदीश्वर कहते हैं.

20.-युगाद्या...
🚩प. बंगाल के युगाद्या स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था.

इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं.

21.-कालीपीठ...
🚩कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था.

इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं.

22.-किरीट...
🚩प. बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था.

इसकी शक्ति है विमला व भैरव को संवत्र्त कहते हैं.

23.-विशालाक्षी..
🚩यूपी के काशी में मणिकर्णिका घाट पर माता के कान के मणिजडि़त कुंडल गिरे थे.

शक्ति है विशालाक्षी मणिकर्णी व भैरव को काल भैरव कहते हैं.

24.-कन्याश्रम...
🚩कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था.

इसकी शक्ति है सर्वाणी और भैरव को निमिष कहते हैं.

25.-सावित्री..
🚩हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी.

इसकी शक्ति है सावित्री और भैरव को स्थाणु कहते हैं।

26.-गायत्री...
🚩अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे.

इसकी शक्ति है गायत्री और भैरव को सर्वानंद कहते हैं.

27.-श्रीशैल..
🚩बांग्लादेश केशैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था.

इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं.

28.-देवगर्भा...
🚩प. बंगाल के कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी.

इसकी शक्ति है देवगर्भा और भैरव को रुरु कहते हैं.

29.-कालमाधव...
🚩मध्यप्रदेश के शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था जहां एक गुफा है.

इसकी शक्ति है काली और भैरव को असितांग कहते हैं।

30.-शोणदेश...
🚩मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था.

इसकी शक्ति है नर्मदा और भैरव को भद्रसेन कहते हैं.

31.-शिवानी...
🚩यूपी के चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था.
इसकी शक्ति है शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं.

32.-वृंदावन...
🚩मथुरा के निकट वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे.

इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं।

33 नारायणी...
🚩कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है, जहां पर माता के दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे.
 
शक्तिनारायणी और भैरव संहार हैं.

34 वाराही...
🚩पंचसागर (अज्ञात स्थान) में माता की निचले दंत (अधोदंत) गिरे थे.

इसकी शक्ति है वराही और भैरव को महारुद्र कहते हैं.

35.-अपर्णा...
🚩बांग्लादेश के भवानीपुर गांव के पास करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी.

इसकी शक्ति अर्पणा और भैरव को वामन कहते हैं.

36.-श्रीसुंदरी...
🚩लद्दाख के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी.

इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और भैरव को सुंदरानंद कहते हैं.

37.-कपालिनी...
🚩पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बायीं एड़ी गिरी थी.

इसकी शक्ति है कपालिनी (भीमरूप) और भैरव को शर्वानंद कहते हैं।

38.-चंद्रभागा...
🚩गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता का उदर गिरा था.

इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं.

39.-अवंती...
🚩उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ओष्ठ गिरे थे.

इसकी शक्ति है अवंति और भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं.

40.-भ्रामरी...
🚩महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी.

शक्ति है भ्रामरी और भैरव है विकृताक्ष.

41.-सर्वशैल स्थान
🚩आंध्रप्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे.

इसकी शक्ति है राकिनी और भैरव को वत्सनाभम कहते हैंं.

42.-गोदावरीतीर...
🚩यहां माता के दक्षिण गंड गिरे थे.

इसकी शक्ति है विश्वेश्वरी और भैरव को दंडपाणि कहते हैं.

43.-कुमारी..
🚩बंगाल के हुगली जिले के रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था.

इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं.

44.-उमा महादेवी..
🚩भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था.

इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं।

45.-कालिका...
🚩पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी.

इसकी शक्ति है कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं.

46.-जयदुर्गा..
🚩कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे.

इसकी शक्ति है जयदुर्गा और भैरव को अभिरु कहते हैं.

47.-महिषमर्दिनी..
🚩पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रुमध्य (मन:) गिरा था.

शक्ति है महिषमर्दिनी व भैरव वक्रनाथ हैं.

48.-यशोरेश्वरी...
🚩बांग्लादेश के खुलना जिला में माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे.

इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं.

49.-फुल्लरा...
🚩पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे.

इसकी शक्ति है फुल्लरा और भैरव को विश्वेश कहते हैं.

50.-नंदिनी...
🚩पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नंदीपुर स्थित बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था.
शक्ति नंदिनी व भैरव नंदीकेश्वर हैं.

51.-इंद्राक्षी...
🚩श्रीलंका में संभवत: त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी. 
इसकी शक्ति है इंद्राक्षी और भैरव को राक्षसेश्वर कहते हैं.

जय माँ...!!🚩🚩

जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

विदेशी टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स जितने बार भी टनल के अंदर गए और बाहर निकले, उतनी बार पास वापस स्थापित पूजा स्थल के आगे घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़े और आंख बंद करके अरदास किया।
इन्हीं अमेरिकी एक्सपर्ट ने आते ही टनल के मुहाने से हटाए गए पूजा स्थल को वापस रखवाया था। कहा था कि हिमालय ने गुस्सा दिखाया है। उन्होंने मजदूरों को बंधक बनाया है। अब हिमालय ही जब चाहेगा, तब उनको छोड़ेगा।
 
 हुआ भी ऐसा ही। अमेरिकी मशीन आगर भी पहली बार किसी मिशन पर टूट गया और दरवाजे तक पहुंचकर भी सारे एक्सपर्ट लाचार हो गए थे।

 अमेरिकी टनल विशेषज्ञ ने कहा था कि उन्होंने मां काली से एक डील की है। शायद अब वे उस आध्यात्म अनुभव को साझा करेंगे।

आज भी अर्नाल्ड उस छोटे से चबूतरे वाले मंदिर के में देवी, भोलेनाथ और बाबा बौखनाथ की पूजा की और बहुत देर तक वहीं बैठे रहे।

 सबसे अजूबा तब हुआ, जब इसी पूजा स्थल के पीछे चट्टान पर पानी की धारा निकल गई। और उससे बाबा भोलेनाथ की आकृति सी बन गई। मौसम अचानक साफ हो गया। जबकि बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने बता रखा था। उसे देखकर अर्नाल्ड ने कहा कि आज हिमालय और यहां के बाबा भोलेनाथ खुशखबरी देने वाले हैं। 

 एक दूसरे धर्म के प्रख्यात इंजीनियर द्वारा हिंदू धर्म की मान्यताओं को इस स्तर तक समझना और इज्जत देना काफी कुछ कह जाता है।

 जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

 ये बात बड़े बड़े वैज्ञानिक ओर अर्नाल्ड डिक्स जैसे लोग तो समझते है लेकिन भारत मे ही कुछ अधकचरे वामी नही समझते।
साभार

मंगलवार, 28 नवंबर 2023

कौन सा ज्ञान आपके जीवन को बचा सकता है।

 

1. यदि आप बलात्कार के कगार पर हैं, तो उसके अंडकोष को जितना हो सके जोर से मारें और देखें कि वह कैसे नीचे गिरेगा और यदि वे समूह में हैं, तो इस बहादुर स्टंट को न करें बल्कि उन्हें बताएं कि आपको एचआईवी है।

2. बाईस्टैंडर प्रभाव। यदि आप इस परिणाम से अनजान हैं, तो इसके बारे में जानने से आपकी जान बच सकती है। बाईस्टैंडर प्रभाव दर्शकों के बीच दोष के फैलाव को दर्शाता है। जब कोई डकैती या लड़ाई के किनारे खड़ा होता है, तो वे हस्तक्षेप नहीं करेंगे क्योंकि वे दूसरों की सहायता करने की आशा करते हैं।

जब आप लड़ाई में हों, लूटे जा रहे हों, या इससे भी बदतर हो, तो दूसरों से आपकी मदद की उम्मीद न करें। वे इससे बचना चाहेंगे। इसके बजाय, उन्हें आंखों में देखें, उनकी मदद मांगें, विशेष रूप से उन्हें निर्देशित करें। यह किसी और की मदद करने में सक्षम होने की भावना को हटा देता है जैसा आपने उनसे विशेष रूप से पूछा था।

3. चाकू के घाव से चीजों को हटाने से खून की कमी अधिक होती है, जिससे पीड़ित के मरने की संभावना बढ़ जाती है। उस वस्तु को अकेला छोड़ देना चाहिए। इससे छुटकारा पाने की कोशिश मत करो।

4. प्लेन से उतरने से पहले अपनी लाइफ जैकेट को फुलाएं नहीं। आपातकालीन जल लैंडिंग के मामले में, अपने फुलाए हुए जीवन जैकेट के साथ तैयार रहना एक अच्छा विचार नहीं है। कई एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसा करने से आपके लिए हालात और खराब ही होंगे।

यह इस तथ्य के कारण है कि जैसे ही विमान डूबना शुरू होता है, केबिन के अंदर का पानी आपको छत तक धकेल देगा। आप वहां से सहायता के बिना आगे बढ़ने में सक्षम नहीं होंगे। इसलिए अपनी लाइफ जैकेट पहनें और विमान से बाहर निकलने के बाद ही इसे फुलाएं।

5. जानें कि अपने खुद के टायर कैसे बदलें और सुनिश्चित करें कि आप एक पूर्ण आकार के अतिरिक्त और आपके लिए आवश्यक सभी टूल्स से लैस हैं।

6. किसी को बताएं कि आप कहां होंगे - जब आप अकेले रहते हैं या यहां तक ​​कि जब आप रात के लिए बाहर जाते हैं, तो एक दोस्त को बताएं कि आप कहां होंगे।

यह मुश्किल से आपकी ओर से कोई प्रयास करता है, और अगर कुछ गलत हो जाता है या आप सुबह वापस नहीं आते हैं, तो किसी को पता चल जाएगा कि कहां से शुरू करना है अगर उन्हें आपकी तलाश करनी है।

7. अपनी जेब में हाथ डालकर सीढ़ियों से नीचे न उतरें। आपको अपने सिर की रक्षा करने या अपने गिरने को रोकने के लिए अपने हाथों की आवश्यकता है।

8. ज्यादातर गलतियां इसलिए होती हैं क्योंकि हम तेज होना चाहते हैं। हम दूसरी जगहों पर जाना चाहते हैं, जल्दी में हैं और भाग खड़े हुए हैं। ऐसे ही बहुत हादसे होते हैं। कोई जल्दी में है और पर्याप्त ध्यान नहीं देता है।

9. यदि आप रेगिस्तान, या किसी निर्जन क्षेत्र में खो गए हैं, तो आपके पाए जाने की संभावना को बढ़ाने के लिए आप जो महत्वपूर्ण चीज ले सकते हैं वह एक छोटा परावर्तक दर्पण है।

जब भी कोई विमान ऊपर की ओर उड़ता है तो आप उसकी ओर प्रकाश को प्रतिबिंबित कर सकते हैं और आपके मिलने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। यह गंभीरता से आपके साथ अधिक पानी ले जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

10. जब आपको लगे कि आप जल्दी में हैं तो इसे याद रखें: 5 मिनट की देरी से आपकी जान बच सकती है। क्या उन 5 मिनट को बचाना वाकई इसके लायक है? कभी-कभी ऐसा हो सकता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो एक गहरी सांस लें और धीमी गति से चलें।

11. उस डूबती गाड़ी से बाहर निकलना। यह महत्वपूर्ण है कि आप जितनी जल्दी हो सके एक दरवाजा खोल दें, इससे पहले कि पानी का दबाव असंभव बना दे।

यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो एक खिड़की तोड़ दें। यदि इनमें से कोई भी विफल हो जाता है तो शांत रहें और कार में पानी के बहने की प्रतीक्षा करें। एक बार पर्याप्त आने पर दबाव बराबर हो जाएगा और दरवाजा खुल जाना चाहिए।

12. अगर आप पानी में गिर जाते हैं, तो घबराएं नहीं। आपको तैरने में सक्षम होने की आवश्यकता नहीं है; आपको बस तैरना है। अपनी सांस रोककर रखें और अपने आप को सतह पर आने दें।

लाल बहादुर शास्त्री ने भारत को क्या योगदान दिया?

 

11 जनवरी को "जय जवान जय किसान" का नारा देने वाले हमारे देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि मनाई जाती है। पद के रहते हुए भी साधारण जीवन जीने वाले जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए भी खेती करना नहीं छोड़ा।🙏

शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भी व्यक्तिगत उपयोग के लिए बैंक से लोन पर कार ली। उनके निधन के बाद बैंक ने शास्त्री जी की पत्नि से कार का लोन चुकाने का कहा जिसे उन्होंने फैमिली पैंशन के पैसे से चुकाया ।

कहा जाता है कि निधन के समय शास्त्री जी के नाम पर कोई मकान भी नहीं था।

साधारण जीवन जीने वाले विशाल व्यक्तित्व के स्वामी शास्त्री जी की मृत्यु कैसे हुई , इस बात का पता आजतक नहीं चल पाया है लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि शास्त्रीजी राजनीति दांवपेंच की भेंट चढ़ गए।

शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर एक लेख पढ़ा था उसी को साझा कर रही हूं।


देश क्या चाहता था...क्या हो गया...

एक मोड़ जहां से आकाश को चढ़ता देश डगमगा गया...वह मोड़ "शास्त्री" जी का जाना ही तो था, वह नेतृत्व के आदर्शों का हमसे मुंह मोड़ लेना ही तो था!

आज ग्यारह जनवरी को वह कमी जो हमें नित सालती है, ताशकंद में पड़ी वह खाई जो शायद अब तक हम पाट नहीं पाए है...उस पीड़ा ,उस कमी को ये शब्द कहने का प्रयास कर रहे है...जो हमने उनके बाद के युग मे समय समय पर महसूस की है...

हालांकि एक हौसला लेकर ये शब्द निकले है, कि शास्त्री मरेंगे नहीं... वे सदा ज़िंदा रहेंगे हममें, देशप्रथम और नैतिकता के प्रखर आदर्श के रूप में...

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ओ गुदड़ी के लाल...ए कर्म बहादुर...

क्यों गए कंत...क्यों गए कंत

धरती पलक बिछाए बैठी ...

बाट जोहती रही तुम्हारी

कई करोड़ आंखों से ताके ...

जिस तलक दिगन्त...

क्यों गए कंत...

तुम गए तो देखों क्या गया हमारा...

कहें ये कैसे क्या रहा हमारा...

काले दिन हिस्से में आए...

बंध गए हाथ...कैद, शब्द... छंद

क्यों गए कंत....

धागे उधड़े...लोग भी उजड़े..

कई दरख़्त निज जड़ों से उखड़े...

दहशत ख़ूनी....मंडल...अंधजड़

हम हुए नैन संग अंध..

क्यों गए कंत...

देश बिछाए...बैठे आसन पर

जवान किसान को रख ताक़न पर

अगड़े पिछड़े ,हरे केसरी...

बने बस वोट... करें तिरंगा तंग

क्यों गए कंत...

अब खादी का बस रंग ही उजला

उस दिमाग में बसे रुपैया...

जन गण मन की आग लगाकर

जीते सत्ता की जंग...

क्यों गए कंत...

अब अपने ही अपनों को खाए...

देसी रंग ज्यो फिरंगी आए..

इस ठाठ बाट ओ राज पाट में

हुए फ़िर हम परतंत्र...

क्यों गए कंत...

उस ग्यारह को उम्मीदों का

वो गीत कहीं हमने था खोया...

तुम होते जो लाल बहादुर

क्यो होती खादी सत्तातुर

मज़बूती से ताना बाना

रख चलते देश तुम संग..

क्यों चले गए तुम कंत...🙏

~

स्रोत - व्हाट्सएप पोस्ट से प्राप्त

लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏😊

चौसठ योगिनी का उल्लेख पुराणों में मिलता है जिनकी अलग अलग कहानियां है । इनको आदिशक्ति मां काली का अवतार बताया है

 

चौसठ योगिनी का उल्लेख पुराणों में मिलता है जिनकी अलग अलग कहानियां है । इनको आदिशक्ति मां काली का अवतार बताया है

कहा जाता है घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। यह भी माना जाता है कि ये सभी माता पर्वती की सखियां हैं।

ब्रह्म वैवर्त पुराण में भी इन योगिनियों का वर्णन है लेकिन इस पुराण के अनुसार ये ६४ योगिनी कृष्ण की नासिका के छेद से ये प्रगट हुई है। इनकी संख्या 64 होने के पीछे भी कुछ तथ्य हैं । स्त्री के बिना पुरूष अधूरा है, वही पुरुष के बिना स्त्री अधूरी है । एक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओ से युक्त होता है वही एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओ से युक्त होती है , दोनों के मिलन से बनते है 32 + 32 = 64, तो ये माना जा सकता है 64 योगिनी शिव और शक्ति जो सम्पूर्ण कलाओ से युक्त हैं उनके मिलन से प्रगट हुई हैं ।

चौसठ योगिनियों की पूजा करने से सभी देवियों की पूजा हो जाती है। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतार रूप हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।

हर दिशा में 8 योगिनी फ़ैली हुई है, हर योगिनी के लिए एक सहायक योगिनी है, हिसाब से हर दिशा में 16 योगिनी हुई तो 4 दिशाओ में 16 × 4 = 64 योगिनी हुई । ६४ योगिनी ६४ तन्त्र की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है। एक देवी की भी कृपा हो जाये तो उससे संबंधित तन्त्र की सिद्धी मानी जाती है।

नवरात्र के समय इन योगिनियों की पूजा बहुत ही फलदायी होती है। तंत्र तथा योग से जुड़े होने के कारण आप इनकी पूजा किसी जानकार से पूरी जानकारी लेकर ही करे।

समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न हैं तथा इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं

1. सुर-सुंदरी योगिनी 2. मनोहरा योगिनी

3. कनकवती योगिनी 4. कामेश्वरी योगिनी

5. रति सुंदरी योगिनी 6. पद्मिनी योगिनी

7. नटिनी योगिनी 8. मधुमती योगिनी

सभी चौंसठ योगिनियों के नाम 👇

इन चौंसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार हैं – 1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली।

चित्र - गूगल से

धन्यवाद🙏💕|

पुलिस ने ऐसा मामला सुलझाया जिसमे न मरने वाले का कोई पता था और ना ही कोई सबूत था

 

जी हाँ एक केस है मेरी नजर मे जिसे मैं यहाँ वर्णित करना पसंद करूंगा । यह घटना है केरल के कोच्चि शहर की ।

7 जनवरी 2018 को कुछ लोग सरोवर के किनारे मछ्ली पकड़ने गए थे । वहाँ पर उनको एक प्लास्टिक का ड्रम दिखा जिसमे से अजीब सी बदबू आ रही थी । किसी अनहोनी के डर से लोगो ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी । जब पुलिस ने ड्रम को देखा तो ड्रम सीमेंट और कंक्रीट से पूरी तरह पैक था । दुर्गंध का पता लगाने के लिए पुलिस ने ड्रम को तोड़ा ।

ड्रम तोड़ने पर उसमे से कुछ टूटी फूटी मानव अस्थियाँ , रस्सी की टुकड़ा , तीन नोट ( एक 100 और दो 500 के ) कपड़ो के चिथड़े और कुछ बालो के गुच्छे निकले ।

यह केश समाचार पत्रों मे छा गया था । इसके पेचीदेपन को देखते हुए इसे केरल के सेरलोक होम्स कहे जाने वाले इंस्पेक्टर सीबी टॉम को सौंपा गया ।

हड्डियों को जब ध्यान से देखा गया तो उसमे एक स्क्रू फंसा हुआ मिला ।

पुलिस को एक राहत की सांस मिली । स्क्रू के अलावा पुलिस को कुछ भी ऐसा नहीं मिला था जिससे की मृतक का पता किया जा सके । यहाँ तक की यह भी बताना मुश्किल था की मृतक नर था या मादा । हालांकि बालो की लंबाई से यह अंदाजा लगाया जा रहा था की मृतक कोई महिला थी परंतु समस्या यह थी की आजकल लंबे बालो का शौक लड़को को भी है तो हो सकता है की मरने वाला कोई नर रहा हो ।

चूंकि ड्रम मे मिली हुई नोट 500 के पूराने नोट थे जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था की यह हत्या 8 नवंबर 2016 (जिस दिन नोटेबन्दी की घोषणा हुई थी ) उसके पहले हुई होगी । 2 वर्ष पुरानी लाश के बारे मे पता करना पुलिस के लिए बहुत मुश्किल था और तो और लाश का लिंग भी नहीं पता था की मरने वाला नर है या मादा ।

हड्डी मे मिले स्क्रू को जब बहुत ध्यान से एक उच्चस्तर के कैमरा से देखा गया तब उस स्क्रू पर PITKAR लिखा हुआ दिखा । नेट पर सर्च करने पर पता चला की यह पूणे की कंपनी है ,जो पूरे देश मे इस तरह के स्क्रू का निर्यात करती है । पुलिस ने जब इस कंपनी से पता किया तो पता चला की साल 2016 मे इस तरह के कुल 161 स्क्रू पूरे देश मे भेजे गए थे जिसमे से केवल 6 केरल मे भेजे गए थे । पुलिस ने काफी जांच करने के बाद केरल के उन 6 मरीजो के नाम और पता , पता लगा लिया जिनहे 2016 मे यह स्क्रू लगाया गया था ।

5 मरीज तो पुलिस को मिल गए लेकिन एक शकुंतला नाम की महिला का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा था । अस्पताल मे जब सकुन्तला से मिलने आने वालों की लिस्ट निकाली गई तो उसमे से एक नाम था अस्वती दामोदरन । जब पुलिस अस्वती के घर पहुंची तो पता चला की शकुंतला अस्वती की माता थी । अस्वती ने बताया की उसे अपनी माँ को देखे हुए 2 बर्ष हो गए ।

अस्वती ने बताया की उसकी माँ की स्कूटी एक ट्रक से टकरा गई थी जिससे उसकी मा की बाएँ पैर मे फ्रेक्चर हो गया था और उसके बाएँ पैर मे एक स्क्रू लगाया गया था । इस बात से पुलिस को यह पता चल गया की मरने वाली महिला ही थी और उसका नाम शकुंतला था । अब पुलिस के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह था की शकुंतला की हत्या किसने और क्यूँ की ।

इसके लिए पुलिस ने अस्वती की कुंडली खंगलनी शुरू कर दी । फिर पुलिस को पता चला की अस्वती और उसका प्रेमी सुजीत , शकुंतला के साथ ही रहा करते थे । अस्वती ने अपने प्रेमी सुजीत के बारे मे पुलिस को पहले कुछ भी नहीं बताया था । पुलिस को समझ मे नहीं आ रहा था की प्रेमी वाली बात अस्वती ने क्यूँ छुपा रखी थी । पुलिस ने फिर से अस्वती को थाने बुलाकर पूछ ताछ शुरू की ।

पुलिस -" तुमने अपने प्रेमी सुजीत के बारे मे क्यूँ नहीं बताया ?"

अस्वती -" साहब क्या बताती वो तो 20 दिन पहले 9 जनवरी 2018 को ही आत्महत्या कर लिया है । "

पुलिस को आश्चर्य हुआ क्यूंकी 7 जनवरी को ड्रम मे लाश मिलने की खबर पूरे समाचार पत्रो मे छपी थी और 9 जनवरी को ही सुजीत ने आत्महत्या कर लिया । कहीं सुजीत तो ही हत्यारा नहीं था । अब इस बात का खुलासा केवल अस्वती ही कर सकती थी अतः पुलिस ने उससे सख्ती से पूछ ताछ शुरू कर दी ।

अस्वती ने कुछ ऐसी कहानी सुनाई ।

अस्वती - " साहब जब माँ अस्पताल से घर आई उसके कुछ दिन ही बाद माँ को चेचक हो गया था अतः मैं अपने बच्चे के साथ बगल के एक लॉज मे जाकर रहने लगी थी । एक सप्ताह बाद जब वापस आई तो माँ नहीं थी लेकिन वहाँ सुजीत था । उसने कहा की तुम्हारी माँ एक ईसाई मिसनरी के साथ दिल्ली चली गईं हैं और यह कहकर गईं है की अब उसिके साथ रहेंगी । साहब मेरी माँ और मेरे बीच संबंध अच्छे नहीं थे मेरी माँ मेरे और सुजीत के रिश्ते जो लेकर किचकिच करती रहती थी अतः मुझे खुशी हुई की अब कोई किचकिच करने वाला नहीं है । "

पुलिस ने अस्वती से यह जानकारी लेकर सुजीत की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी । सुजीत का एक खास दोस्त था सुरेश जो ऑटो चलाता था । लोगो ने बताया की जिस दिन शकुंतला गायब हुई थी उस दिन सुजीत के साथ उसका दोस्त सुरेश भी शकुंतला के घर के आस पास दिखाई दिया था । रात के 2 बजे सुरेश और सुजीत ऑटो से कोई भारी समान ले जाते हुए भी देखे गए थे ।

पुलिस ने सुरेश को पकड़ कर जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारे राज उगल दिएँ ।

सुरेश -" साहब , सुजीत शादी शुदा होते हुए भी अस्वती से संबंध बनाए हुए था । उसके शादी की खबर अस्वती को तो नहीं थी लेकिन शकुंतला को हो गई थी । शकुंतला यह सच्चाई बताकर अपने बेटी का दिल नहीं तोड़ना चाहती थी अतः वह सुरेश पर ही दबाव बना रही थी की वह उसके बेटी के जिंदगी से कहीं दूर चला जाये । शकुंतल ने यह धम्की भी दी की अगर उसने ऐसा नहीं किया तो यह राज वह अपनी बेटी को भी बता देगी । सुजीत काफी परेशान हो गया था और तब उसने शकुंतला को ही राश्ते से हटाने का तय कर लिया । चेचक के समय जब अस्वती घर से दूर रहने लगी तब सुजीत को मौका मिल गया । उसने गला दबाकर शकुंतला की हत्या कर दी और लाश को प्लास्टिक ड्रम मे भर कर उसके ऊपर से कंक्रीट डाल कर पाक कर दिया । उसके बाद मैंने और सुजीत ने रात को ऑटो से ड्रम ले जाकर पानी के अंदर डूबा दिया । "

आखिरकार पुलिस ने ऐसा मामला सुलझाया जिसमे न मरने वाले का कोई पता था और ना ही कोई सबूत था । मेरी नजर मे पुलिस द्वारा सुलझाया गया यह एक अद्भुत मामला था ।

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