यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 29 नवंबर 2023

जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

विदेशी टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स जितने बार भी टनल के अंदर गए और बाहर निकले, उतनी बार पास वापस स्थापित पूजा स्थल के आगे घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़े और आंख बंद करके अरदास किया।
इन्हीं अमेरिकी एक्सपर्ट ने आते ही टनल के मुहाने से हटाए गए पूजा स्थल को वापस रखवाया था। कहा था कि हिमालय ने गुस्सा दिखाया है। उन्होंने मजदूरों को बंधक बनाया है। अब हिमालय ही जब चाहेगा, तब उनको छोड़ेगा।
 
 हुआ भी ऐसा ही। अमेरिकी मशीन आगर भी पहली बार किसी मिशन पर टूट गया और दरवाजे तक पहुंचकर भी सारे एक्सपर्ट लाचार हो गए थे।

 अमेरिकी टनल विशेषज्ञ ने कहा था कि उन्होंने मां काली से एक डील की है। शायद अब वे उस आध्यात्म अनुभव को साझा करेंगे।

आज भी अर्नाल्ड उस छोटे से चबूतरे वाले मंदिर के में देवी, भोलेनाथ और बाबा बौखनाथ की पूजा की और बहुत देर तक वहीं बैठे रहे।

 सबसे अजूबा तब हुआ, जब इसी पूजा स्थल के पीछे चट्टान पर पानी की धारा निकल गई। और उससे बाबा भोलेनाथ की आकृति सी बन गई। मौसम अचानक साफ हो गया। जबकि बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने बता रखा था। उसे देखकर अर्नाल्ड ने कहा कि आज हिमालय और यहां के बाबा भोलेनाथ खुशखबरी देने वाले हैं। 

 एक दूसरे धर्म के प्रख्यात इंजीनियर द्वारा हिंदू धर्म की मान्यताओं को इस स्तर तक समझना और इज्जत देना काफी कुछ कह जाता है।

 जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

 ये बात बड़े बड़े वैज्ञानिक ओर अर्नाल्ड डिक्स जैसे लोग तो समझते है लेकिन भारत मे ही कुछ अधकचरे वामी नही समझते।
साभार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya