टनल में फंसे मजदूर बाहर आ गए।
मूर्खों की फौज की छाती पर सांप लोट रहा होगा लेकिन बाकी देश खुशी से झूम रहा है।
अपने आप में अभूतपूर्व रहा है ये रेस्क्यू ऑपरेशन। हर राहतकर्मी को बहुत बधाई उनकी कठोर मेहनत और सफलता के लिए।
केंद्र सरकार और उनकी टीम ने जिस तरह से घोड़े खोल दिए थे गरीब मजदूरों को बचाने के लिए उससे इस देश के हर गरीब को ये मेसेज भी गया है कि उसके भी जान की कीमत है, उसकी भी परवाह करनेवाला पीएम है
वरना इत्तेफाक देखिए कि अभी ही नेटफ्लिक्स पर द रेलवे मेन करके वेबसीरीज़ आ रही है 1984 के भोपाल गैस कांड पर जिसको देखकर समझ आता है कि लोगों को मरता छोड़ देने वाली सरकारें भी देखी हैं इस देश ने। एक भारतीय होने के नाते गर्व से सीना चौड़ा हो गया है देश की इस कामयाबी पर।
कांग्रेस वामपंथी शिवसेना यानी पूरा विपक्ष यही कामना कर रहा था कि कश मजदूर सुरंग में से बाहर ना निकल सके उनका मौत हो जाए और हम इसे मोदी को बदनाम करने के लिए एक बड़े मुद्दे के तौर पर देश में उठा सकें
मजदूरों के निकलने से सबसे बड़ा दुख भारत के विपक्ष को हो रहा है
इनका दुख ये भी था कि मजदूरों को बचाने मोदी जी गेती फावड़ा लेकर सुरंग में क्यों नहीं जा रहे है..
मनमोहन सिंह PM होते तो कब का ही सुरंग में जाकर मजदूरों को निकाल लाते …जिनको निकलने में कई सप्ताह लग गए।
और आज अगर चिच्चा होते, तो मजदूर 16 दिन पहले ही बाहर निकाल लेते, क्योंकि चिच्चा खुदाई में कितने माहिर थे, सारी दुनिया जानती है।
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