यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

थायरायड ग्रंथि : रोग और उपचार

थायरायड ग्रंथि : रोग और उपचार
मानव शरीर में दो प्रकार की ग्रंथियां होती हैं, एक वे जो हार्मोन्स को नलिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न अवयवों तक पहुंचाती हैं| दूसरी वे ग्रंथियां हैं जिनके हार्मोन सीधे रक्त के साथ मिलकर शरीर के आन्तरिक अवयवों तक पहुंचकर विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियमन एवं
संचालन करते हैं | इन्हें अन्तःस्रावी ग्रंथि कहा जाता है |

****** अन्तःस्रावी ग्रंथियों का कार्य *******
जिस प्रकार किसी रासायनिक क्रिया में किसी उत्प्रेरक [ CATALYST ] को मिला दिया जाये तो उसकी प्रतिक्रिया तुरंत व् आसान हो जाती है;
ठीक उसी प्रकार अन्तःस्रावी ग्रंथियों से जो हार्मोन निकलते हैं वे सीधे रक्त में मिलकर ‘ उत्प्रेरक ‘ का कार्य करते हैं तथा शरीर में होने वाली
रासायनिक क्रियाओं को बेहद आसान बना देते हैं |
हमारे शरीर में निम्न अन्तःस्रावी ग्रंथियां होती हैं —-
१- पियुष [ PITUITARY ]
२- अवटुका [ THYROID ]
३- परावटुका [ PARATHYROID ]
४- अधिवृक्क [ ADRENAL ]
५- बाल ग्रंथि [ THYMUS GLAND ]
६- क्लोम की द्वीपिका [ ISLETS OF LANGERHANS ]
७- अंड ग्रंथि [ TESTES ] पुरुषों में
८- डिम्ब ग्रंथि [ OVARY ] स्त्रियों में

******* अन्तःस्रावी ग्रंथियों का महत्व ********
मनुष्य के पुरे जीवन काल में अन्तःस्रावी ग्रंथियां बहुत ही सीमित मात्रा में हार्मोन स्रवित करती हैं, परन्तु यह हमारे जीवन के लिए बहुत ही
महत्वपूर्ण तथा आवश्यक हैं | उदहारणस्वरुप एक सामान्य स्त्री की ” डिम्ब ग्रंथि ” से जीवन पर्यंत – एक डाक टिकट जितना आकार के कागज के भार के बराबर हार्मोन निकलता है , परन्तु यही हार्मोन एक बालिका को स्त्री एवं स्त्री को माँ बनाने के लिए जिम्मेदार होता है | इसी प्रकार -” थायरायड ग्रंथि “ से जीवन भर में मात्र चाय के एक चम्मच जितना हार्मोन निकलता है, परन्तु इसकी कमी या अधिकता – बौनापन या अत्यधिक लम्बाई के साथ ही शरीर में अन्य अनेक परेशानियाँ उत्पन्न कर देता है |इस लेख में हम थायरायडग्रंथि एवं इस से उत्पन्न रोगों की प्राकृतिक,योग एवं एक्युप्रेशर चिकित्सा की जानकारी दे रहे हैं —-

******* थायरायड/पैराथायरायड ग्रंथियां ********
थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है | एक स्वस्थ्य मनुष्य में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है | यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन का उत्पादन करती है | पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर एवं मध्य भाग की ओर एक-एक जोड़े [ कुल चार ] में होती हैं | यह ” पैराथारमोन ” हार्मोन का उत्पादन करती हैं | इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं-

******* थायरायड ग्रंथि के कार्य ******
थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है | थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्यों में -
• बालक के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान है |
• यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है |
• शरीर के ताप नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है |
• शरीर का विजातीय द्रव्य [ विष ] को बाहर निकालने में सहायता करती है |

थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं –

अल्प स्राव [ HYPO THYRODISM ]

थायरायड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बन ने की अवस्था को ” हायपोथायराडिज्म ” कहते हैं, इस से निम्न रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं -
• शारीरिक व् मानसिक वृद्धि मंद हो जाती है |
• बच्चों में इसकी कमी से CRETINISM नामक रोग हो जाता है |
• १२ से १४ वर्ष के बच्चे की शारीरिक वृद्धि ४ से ६ वर्ष के बच्चे जितनी ही रह जाती है |
• ह्रदय स्पंदन एवं श्वास की गति मंद हो जाती है |
• हड्डियों की वृद्धि रुक जाती है और वे झुकने लगती हैं |
• मेटाबालिज्म की क्रिया मंद हो जाती हैं |
• शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सुजन भी आ जाती है |
• सोचने व् बोलने ki क्रिया मंद पड़ जाती है |
• त्वचा रुखी हो जाती है तथा त्वचा के नीचे अधिक मात्रा में वसा एकत्र हो जाने के कारण आँख की पलकों में सुजन आ जाती है |
• शरीर का ताप कम हो जाता है, बल झड़ने लगते हैं तथा ” गंजापन ” की स्थिति आ जाती है |

थायरायड ग्रंथि का अतिस्राव
इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है | इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं —-
• शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
• ह्रदय की धड़कन व् श्वास की गति बढ़ जाती है |
• अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
• शरीर का वजन कम होने लगता है |
• कई लोगों की हाँथ-पैर की उँगलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है |
• गर्मी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है |
• मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है |
• घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है |
• शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है |

पैराथायरायड ग्रंथियों के असंतुलन से उत्पन्न होने वाले रोग
जैसा कि पीछे बताया है कि पैराथायरायड ग्रंथियां ” पैराथार्मोन “ हार्मोन स्रवित करती हैं | यह हार्मोन रक्त और हड्डियों में कैल्शियम व् फास्फोरस की मात्रा को संतुलित रखता है | इस हार्मोन की कमी से – हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं, जोड़ों के रोग भी उत्पन्न हो जाते हैं | पैराथार्मोन की अधिकता से – रक्त में, हड्डियों का कैल्शियम तेजी से मिलने लगता है,फलस्वरूप हड्डियाँ अपना आकार खोने लगती हैं तथा रक्त में अधिक कैल्शियम पहुँचने से गुर्दे की पथरी भी होनी प्रारंभ हो जाती है |

विशेष :-
थायरायड के कई टेस्ट जैसे - T -3 , T -4 , FTI , तथा TSH द्वारा थायरायड ग्रंथि की स्थिति का पता चल जाता है | कई बार थायरायड ग्रंथि में कोई विकार नहीं होता परन्तु पियुष ग्रंथि के ठीक प्रकार से कार्य न करने के कारण थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाले हार्मोन -TSH [ Thyroid Stimulating hormone ] ठीक प्रकार नहीं बनते और थायरायड से होने वाले रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |

थायरायड की प्राकृतिक चिकित्सा :-
1 – गले की गर्म-ठंडी सेंक

साधन :– गर्म पानी की रबड़ की थैली, गर्म पानी, एक छोटा तौलिया, एक भगौने में ठण्डा पानी |
विधि :— सर्वप्रथम रबड़ की थैली में गर्म पानी भर लें | ठण्डे पानी के भगौने में छोटा तौलिया डाल लें | गर्म सेंक बोतल से एवं ठण्डी सेंक तौलिया को ठण्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर निम्न क्रम से गले के ऊपर गर्म-ठण्डी सेंक करें -
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– ३ मिनट ठण्डी
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक यह उपचार करें | इसे दिन में दो बार – प्रातः – सांय कर सकते हैं |
2- गले की पट्टी लपेट :-

साधन :- १- सूती मार्किन का कपडा, लगभग ४ इंच चौड़ा एवं इतना लम्बा कि गर्दन पर तीन लपेटे लग जाएँ |
२- इतनी ही लम्बी एवं ५-६ इंच चौड़ी गर्म कपडे की पट्टी |
विधि :- सर्वप्रथम सूती कपडे को ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें, तत्पश्चात गले में लपेट दें इसके ऊपर से गर्म कपडे की पट्टी को इस तरह से लपेटें कि नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह से ढक जाये | इस प्रयोग को रात्रि सोने से पहले ४५ मिनट के लिए करें |
3 -गले पर मिटटी कि पट्टी:-

साधन :- १- जमीन से लगभग तीन फिट नीचे की साफ मिटटी |
२- एक गर्म कपडे का टुकड़ा |
विधि :- लगभग चार इंच लम्बी व् तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच मोटी मिटटी की पट्टी को बनाकर गले पर रखें तथा गर्म कपडे से मिटटी की पट्टी को पूरी तरह से ढक दें | इस प्रयोग को दोपहर को ४५ मिनट के लिए करें |
विशेष :- मिटटी को ६-७ घंटे पहले पानी में भिगो दें, तत्पश्चात उसकी लुगदी जैसी बनाकर पट्टी बनायें |
4 – मेहन स्नान

विधि :-
एक बड़े टब में खूब ठण्डा पानी भर कर उसमें एक बैठने की चौकी रख लें | ध्यान रहे कि टब में पानी इतना न भरें कि चौकी डूब जाये | अब उस टब के अन्दर चौकी पर बैठ जाएँ | पैर टब के बाहर एवं सूखे रहें | एक सूती कपडे की डेढ़ – दो फिट लम्बी पट्टी लेकर अपनी जननेंद्रिय के अग्रभाग पर लपेट दें एवं बाकी बची पट्टी को टब में इस प्रकार डालें कि उसका कुछ हिस्सा पानी में डूबा रहे | अब इस पट्टी/ जननेंद्रिय पर टब से पानी ले-लेकर लगातार भिगोते रहें | इस प्रयोग को ५-१० मिनट करें, तत्पश्चात शरीर में गर्मी लाने के लिए १०-१५ मिनट तेजी से टहलें |

आहार चिकित्सा ***
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी,मौसमी फल, तजि हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |

परहेज :-
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें |

योग चिकित्सा ***

उज्जायी प्राणायाम :-
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें | अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |
प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें |
थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा
एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं
थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं [ घडी की सुई की उलटी दिशा में ] देना चाहिए | इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए |
विशेष :-
प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें |
पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग मैथेड [ पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें ] से प्रेशर देना चाहिए |

(डॉ. कैलाश द्विवेदी)

गाजर का सेवन लाभकारी है

गाजर

गाजर को उसके प्राकृतिक रूप यानी कच्चा खाना लाभदायक होता है। भीतर का पीलापन भाग नहीं खाना चाहिए। क्योंकि, वह अत्यघिक गरम होता है। इससे छाती में जलन होती है।

- शिवरात्री तक गाजर का सेवन लाभकारी है।

- गाजर के रस का एक गिलास पूर्ण भोजन है। इसके सेवन से रक्त में वृद्धि होती है।

- यह पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। इसका सेवन ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर ) और पेट के कैंसर में भी लाभदायक है। इसके सेवन से कोषों और धमनियों को संजीवन मिलता है। गाजर में बिटा-केरोटिन नामक औषधीय तत्व होता है, जो कैंसर पर नियंत्रण करने में उपयोगी है।

- गाजर ह्दय के लिए लाभकारी, रक्तको शुद्ध करने वाली, वातदोषनाशक, पुष्टिवर्द्धक तथा दिमाग और नस-नाडि़यों के लिए बलवर्घक, बवासीर, पेट के रोगों, सूजन, पथरी तथा दुर्बलता का नाश करने वाली है।

- गाजर के बीज गरम होते हैं। अत: गर्भवती महिलाओं को उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

- कैल्शियम और केरोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारण छोटे बच्चों के लिए यह उत्तम आहार है। गाजर से आंतों के हानिकारक कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

- इसमें विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता है। यह नेत्र रोगों में लाभदायक है।

- गाजर रक्तको शुद्ध करने वाली होती है। 10-15 दिन गाजर का रस पीने से रक्तविकार, गांठ, सूजन और त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है इसमें लौहतत्व भी अत्यघिक मात्रा में पाया जाता है। गाजर खूब चबा-चबा कर खाने से दांत भी मजबूत, स्वच्छ और चमकीले होते हैं। मसूढ़े मजबूत होते हैं।

- रोजाना गाजर का रस पीने से दिमागी कमजोरी दूर होती है।

- गाजर को कद्दूकस करके नमक मिलाकर खाने से खाज-खुजली में फायदा होता है।

- गाजर के रस में नमक, घनिया पत्ती, जीरा, काली मिर्च, नीबू का रस डालकर पीने से पाचन संबंघी गड़बड़ी दूर होती है।

- ह्दय की कमजोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है।

- गर्मी में गाजर का मुरब्बा दिमाग के लिए फायदेमंद होता है।

लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !!

Heart attack // लोकी का जूस पीयों // रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !
Meri request hai ki aapke ghar me kisiko bhi hriday aghat ho ya mahsus ho to kripa doctor ke paas na jakar use lauki ka juice pilaye ( try at least for 3 month ) !!!! ishwar aapki raksha karey !!! It can use by normal people also.

अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको !

और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !

तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
______________________
हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
_____________________
तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!
_________________

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
_______________

इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
_____

कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!
__________________

आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!

function disabled

Old Post from Sanwariya