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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

आंवले का उपयोग -

आंवले का उपयोग -
इन दिनों बहुत आंवले मिल रहे है। ये तो हम जानते ही है की आंवले का सेवन सेहत के लिए बहुत अच्छा है। इसे किस तरह उपयोग में लाया जा सकता है , आइये देखते है---
- आंवला केंडी - आंवले को धो कर डीप फ्रीज़र में रख दे 2 दिन बाद निकाल कर बाहर रख दे।जब आंवले सामान्य तापमान पर आ जाए तो वह नरम हो जायेंगे। उसकी कलियाँ निकाल ले और पानी अलग रख ले। अब एक आंवले में 2 चम्मच के हिसाब से शकर मिला ले।फिर इसे कड़ी धुप में रख दे।आंवला केंडी तैयार है। आंवले से निकले पानी को थोड़ा थोड़ा कर सुबह उठते ही कुनकुने पानी के साथ पी ले।
- आंवले को धो कर सुखा ले। उसे घिस कर शकर मिला कर कांच की बोतल में भर के रख दे। कुछ ही दिन में स्वादिष्ट मुरब्बा तैयार हो जाएगा। इसे धुप में भी रख सकते है।इसे शहद के साथ भी मिलाकर रख सकते है।
- आंवले को घिसकर , उसमे सेंधा नमक , थोड़ा अदरक , अजवाइन आदि मिलाकर कड़ी धुप में सुखा ले।स्वादिष्ट आंवले की सुपारी तैयार है।
- आंवले को पानी में उबाल ले।अब इसकी कलियाँ निकाल कर उसे मैश कर ले।इसमें थोड़ा जीरा पावडर , अदरक , सेंधा नमक , अजवाइन आदि मिला कर छोटी छोटी बड़ियाँ तोड़ कर धुप में सुखा ले।
- आंवले को काटकर या घिसकर धुप में सुखा ले। अब इसको मिक्सी में चलाकर पावडर बना कर रख ले। इस चूर्ण को रोज़ सुबह कुनकुने पानी के साथ ले सकते है। मेहंदी के साथ इस्तेमाल कर बालों में लगा सकते है।
- आंवले का अचार , शरबत बना कर रख सकते है।

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू नुस्खे

हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू नुस्खे

हाई ब्लड प्रेशर आजकल सामान्य हो चला है। इसकी बड़ी वजह अनियमित दिनचर्या और आधुनिक जीवन शैली है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी लोग अधिक तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं। हाई ब्लड प्रेशर में चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है। रोगी का किसी काम में मन नहीं लगता। उसमें शारीरिक काम करने की क्षमता नहीं रहती और रोगी अनिद्रा का शिकार रहता है। इस रोग का घरेलू उपचार भी संभव है, जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना दवाई लिए इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरत है संयमपूर्वक नियम पालन की।
1) नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। इसलिए यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि हाई बी पी वालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।
2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू उपाय है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
3) एक बडा चम्मच आंवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गर्म पानी में काली मिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही करने का बढिया उपचार है।
5) तरबूज के बीज की गिरि तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। एक चम्मच मात्रा में प्रतिदिन खाली पेट पानी के साथ लें।
6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
7) पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में लाभ नजर आने लगेगा।
8) हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।
9) नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
10) सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
11) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें, लाभ होगा।
12) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
13) गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।
14) ब्राउन चावल उपयोग में लाए। इसमें नमक, कोलेस्टरोल और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है।
15) प्याज और लहसुन की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्शियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
16) तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने से लाभ मालूम होता है।

डिस्क्लेमर उपलब्ध सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी मुहैया कराना मात्र है। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है

माखन के औषधीय प्रयोग

माखन के औषधीय प्रयोग
बच्चों के ब्रम्हचर्य की रक्षा के लिए सबसे उत्तम है मक्खन।आजकल लोग बच्चों को च्यवनप्राश खिलाते है। च्यवनप्राश का सेवन तो च्यवन ऋषि ने वृद्धावस्था में पुनः यौवन प्राप्त कर बच्चें पैदा करने के लिए किया था।बच्चों को समय से पहले यौवन नहीं देना है।वो तो आज का दूषित माहौल पहले से ही कर रहा है।आज ज़रुरत है इनके ब्रम्हचर्य को बचाने की।
मक्खन के लिए देशी गाय के दूध की मलाई इकट्ठा कर उसे दही लगा दीजिये।अब उस दही को मथे ताकि उसमे प्राण शक्ति आ जाये। इसे मथते समय बाल कृष्ण का ध्यान करे तो और भी उत्तम है।
गाय के दूध से निकाला हुआ मक्खन हितकारी, वृष्य, वर्ण को उत्तम करने वाला, बलकारी, अग्नि प्रदीपक, ग्राही और वातपित्त, रक्त विकार, क्षय, बवासीर, लकवा तथा खाँसी को नष्ट करता है।भैंस के दूध का मक्खन वात तथा कफ कारक, भारी और दाह, पित्त तथा थकावट को दूर करने वाला है और मेद तथा वीर्य बढ़ाने वाला होता है।
मक्खन बालक और वृद्ध के लिए हितकारी है। बच्चों के लिए तो मक्खन अमृत की तरह है।ताजा मक्खन मधुर, ग्राही, शीतल, हलका, नेत्रों को हितकारी, रक्त पित्त नाशक, तनिक कसैला और तनिक अम्ल रसयुक्त (खट्टा) होता है।मक्खन का उपयोग किसी खाद्य पदार्थ पर लगाकर खाने में किया जाता है या आयुर्वेदिक औषधियों में वाजीकारक और उष्ण प्रकृति की औषधियों के विकल्प के रूप में किया जाता है।
ताजे मक्खन के शिशु के शरीर पर मालिश करके आधा घण्टा सुबह की धूप में लिटाने से उसे सूखा रोग नहीं होता।

मुख पर रोजाना मक्खन लगाकर मालिश करने और आधे घण्टे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो डालने से चेहरे की त्वचा का रंग साफ होता है, फुंसी मुँहासे या झाइयाँ हो गई हों तो ठीक हो जाती हैं।

दुबले बच्चों, युवक-युवतियों को प्रतिदिन मक्खन-मिश्री 1-1 चम्मच या अपनी पाचन शक्ति के अनुसार सुबह खाली पेट खाना चाहिए। देर का रखा हुआ, खट्टा और दुर्गन्धित मक्खन सेवन योग्य नहीं होता।

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