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शनिवार, 16 मार्च 2013

16 मार्च 2013 का राशिफल पंचांग:

16 मार्च 2013 का राशिफल पंचांग:

विक्रम संवत 2069। शक संवत 1934। मास फाल्गुन । पक्ष शुक्ल पक्ष। तिथि पंचमी 28.40। नक्षत्र भरिणी 17.05। योग वैधृति 19.32। करण बालव 28.40। सूर्य राशि मीन । चन्द्र राशि मेष । राहुकाल 09.00-10.30। अभिजीतमुहूर्त 12:11- 12.59। सूर्योदय 06:38। सूर्यास्त 18.32। चंद्रोदय 09.18। तिथि विशेष----- शुभ कार्य तकनीकी शिक्षा प्रारंभ, खनन, भूमि, लकडी़, क्रय- विक्रय, तेल आदि कार्य। वर्ज्य पूर्व, उतर तथा ईशान दिशा में यात्रा।

मेष- आपके हरेक कार्य में उत्साह और उमंग छलकता हुआ प्रतीत होगा। तन-मन में स्फूर्ति और ताजगी का अनुभव करेंगे। पारिवारिक वातावरण खुशहाल रहेगा। मित्रों और स्नेहीजनों के साथ आनंद में समय व्यतीत होगा। माता की तरफ से लाभ होगा। यात्रा का योग है। धन लाभ, उत्तम भोजन और भेंट-उपहार मिलने से आपके आनंद में वृद्धि होगी।

वृषभ- क्रोध और हताशा की भावना आपके मन पर छाई रहेगी। शारीरिक स्वास्थ्य भी साथ नहीं देगा। घर-परिवार की चिंता के साथ खर्च के मामले में भी आज चिंतित होंगे। आपकी उग्रवाणी किसी के साथ मनमुटाव और झगड़ा का कारण बनेगा। परिश्रम व्यर्थ होता हुआ प्रतीत होगा। गलतफहमी से बचने की सलाह है।

मिथुन- परिवार में खुशी और आनंद का माहौल रहेगा। नौकरी-धंधे में आपको लाभ का समाचार मिलेगा। उच्च पदाधिकारीगण आपके कार्यों की प्रशंसा करेंगे। वैवाहिक योग है। स्त्री मित्रों से विशेष लाभ होगा। आय वृद्धि की संभावना देख रहे हैं। दांपत्य जीवन में माधुर्य का आनंद लेंगे। संतानों की तरफ से शुभ समाचार मिलेगा।

कर्क- घर की साज-सजावट पर विशेष ध्यान देंगे। नए घरेलू सामान खरीदने की संभावना है। व्यापारियों और नौकरी करनेवाले लाभ तथा पदोन्नति की आशा रख सकते हैं। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। सरकारी लाभ मिलेगा। आपकी मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आर्थिक लाभ होगा। आज सभी कार्य स्वस्थता और सरलतापूर्वक पूरे हो सकेंगे।

सिंह- स्वभाव में उग्रता और क्रोध रहने के कारण आपको काम करने में मन नहीं लगेगा। वाद-विवाद में अपने अहम के कारण किसी की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा। उतावली में निर्णय लेने या कदम उठाने से नुकसान होने की संभावना है। नौकरी धंधा के क्षेत्र में अवरोध आने से निर्धारित कार्य पूरे नहीं कर सकेंगे। धार्मिक यात्रा का आयोजन होगा।

कन्या- आज नए कार्य हाथ में लेना हितकर नहीं है। बाह्य खाद्य पदार्थ खाने से तबीयत खराब होने की संभावना है। क्रोध को नियंत्रण में रखने के लिए मौन का शस्त्र अधिक कारगर साबित होगा। धन खर्च अधिक होगा। हितशत्रु आपका अहित न करें इसका ध्यान रखें। आग और पानी से बचें। सरकार विरोधी या अनैतिक प्रवृत्तियां आफत खड़ी न करें इसका ध्यान रखें। आग और पानी से बचें। सरकार विरोधी या अनैतिक प्रवृत्तियां आफत खड़ी करेंगी।

तुला- प्रणय, रोमांस, मनोरंजन और मौज-मस्ती से भरपूर आज का दिन है। सार्वजनिक जीवन में आप महत्ता प्राप्त करेंगे। यश और कीर्ति में वृद्धि होगी। भागीदारों के साथ लाभ की बात होगी। सुंदर वस्त्र या वस्त्राभूषणों की खरीदारी करेंगे। दांपत्य सुख और वाहनसुख उत्तम मिलेगा। तंदुरुस्ती और मानसिक स्वस्थता बनी रहेगी। मित्रों के साथ पर्यटन होगा।

वृश्चिक- आज आप अनिश्चिंतता और सुखशांति के साथ घर में समय व्यतीत करेंगे। शारीरिक तथा मानसिक प्रसन्नता कार्य करने में उत्साह प्रदान करेगी। ऑफिस में स्टाफ की मदद पाकर बहुत से कार्य पूरे कर सकेंगे। अधूरे कार्य पूरे होंगे। लक्ष्मी देवी की कृपा से आपका यथोचित खर्च आपके टेन्शन नहीं बढ़ाएंगे,

धनु- यात्रा-प्रवास का आयोजन स्थगित रखने की सलाह है। कार्य निष्फलता हताशा पैदा करेगी और आपको क्रोधित करेगी। परंतु क्रोध को नियंत्रण में रखने से बात अधिक नहीं बिगड़ेगी। पेट सम्बंधी बीमारियों से परेशानी होगी। वाद-विवाद या चर्चा में पड़ने से समस्या पैदा होगी। संतानों के मामले में चिंता पैदा होगी, परंतु प्रेमियों को रोमांस के लिए और धन-प्राप्ति के लिए अनुकूल दिन है।

मकर- । कौटुंबिक क्लेश आपके मन को व्यथित करेंगे। माता का स्वास्थ्य चिंता पैदा कर सकता है। सार्वजनिक जीवन में अपयश या अपकीर्ति आपकी मान-प्रतिष्ठा को हानि पहुचाएंगे। पर्याप्त आराम और नींद न मिलने से स्वास्थ्य खराब होगा। ताजगी तथा स्फूर्ति का अभाव रहेगा। स्त्री वर्ग से नुकसान होने का भय है।

कुंभ- आपका मन बहुत राहत महसूस करेगा। शारीरिक स्वस्थता आपके उत्साह में वृद्धि करेगा। पड़ोसियों और भाई बहनों के साथ अधिक मेल-मिलाप रहेगा। घर में मित्रों और स्नेहियों का आगमन आनंददायी बनेगा। प्रवास होने की संभावना है। प्रिय व्यक्ति का साथ और भाग्य वृद्धि का योग है।

मीन- आपके खर्च के अतिरिक्त क्रोध और जीभ पर संयम रखने की सलाह देते हैं। किसी के साथ तकरार होने की संभावना है। आर्थिक मामले या लेन-देन में सावधानी रखें। पारिवारिक सदस्यों के साथ झगड़े होंगे। नकारात्मक विचार मन पर छाए रहेंगे उन्हें पूरा करने के लिए प्रयत्न करने पड़ेंगे। खाने-पीने में लापरवाही से स्वास्थ्य खराब होने की संभावना है।

प्रेम के प्रकार

प्रेम के प्रकार

१. सात्विक
इस प्रेम में केवल देना ही देना स्वभाव बन जाता है
उसका सुख, उसकी अनुकूलता ,उसके लिए सब कुछ

भक्ति यद्यपि त्रिगुणातीत है लेकीन इसे भी भक्ति या शुद्ध प्रेम कह सकते है

२. राजसिक
इस प्रेम में लेना व देना दोनों चलते है
मैने तुमको इतना प्रेम किया - बदले में तुमने मुझे क्या दिया ?
बस यह दिया ? यही सिला दिया मेरे प्यार का ?

३. तामसिक
प्रेम के कारण जान देने या लेने को उतारू हो जाना
जेसे कि आतंक वादी
उसे भी कुछ न कुछ प्रेम हो जाता है की वह उसके लिए
दुसरे की जान लेने और अपनी जान देने को तैयार रहता है

सर्वोत्तम : प्रेम - भक्ति
और इन तीनों से परे श्री कृष्ण की अनुकुलतामयी
स्वसुख गंध लेश शून्य जो क्रिया है -वह है भक्ति

सेल फोन के अति उपयोग से होनेवाली हानिया और उससे बचने के उपाय:

सेल फोन के अति उपयोग से होनेवाली हानिया और उससे बचने के उपाय:
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१. हो सके तो सन्देश भेजकर ही बात करे:
> सन्देश से वार्तालाप करने से फोन आपके मस्तिष्क से दूर रहेगा जिस से रेडिएसन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

२. सेल फोन का उपयोग कम करे:
> विश्व स्वास्थ संस्था(who) के अनुसार अगर दिन के ३० मिनट के दर से दस वर्ष तक बाते की जाए तो ब्रेन केंसर की संभावना सबसे अधिक रहती है।

३. बात लम्बी चलनेवाली हो तो सेल फोन से बारी बारी दाए-बाए कान से बात करे:
> सेल फोन के ज्यादा उपयोग से श्रवन इन्द्रिय को हानि पहुच सकती है और 'टिनिटस' नामका रोग हो सकता है की जिसमे रिंग-टोन का आवाज़ कान में गूंजता रहता है।

४. सिग्नल न मिलने की स्थिति में सेल फोन का उपयोग न करे:
> सिग्नल पाने के लिए सेल फ़ोन अपनेआप पावर आउट-पुट बढ़ा देता है।

५. चलती गाड़ी में सेल फोन का प्रयोग न करे:
> एक टावर से दुसरे टावर के प्रभाव में आते ही सेल फोन पावर आउट-पुट बढ़ा देता है जिससे विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र में रेडिएसन बढ़ जाता है।

६. बात करते समय हो सके उतना सेल फोन को कान से दूर रखे:
> फोन कान से सिर्फ ५से.मी दूर रखने से रेडिएसन की मात्रा में ७५% जितनी कमी होती है।

७. सामान्य इअर-फोन का प्रयोग न करे:
> इअर-फोन खुद टावर के माइक्रोवेव प्राप्त करते है जो सीधे कान में जाते है.इससे रेडिएसन की मात्रा ३००% बढ़ जाती है।

८. एयर-ट्यूब इअर-फोन का प्रयोग करे:
> एयर-ट्यूब इअर फोन में वाहक धातु न होने के कारन वह रेडिएसन प्राप्त नहीं करता है।

९. चाइनिस फोन का प्रयोग न करे:
> सबसे ज्यादा रेडिएसन चाइनिस फोन से होता है.इसमे SAR(स्पेसिफिक अएब्सोप्सर्न रेट) के अंक गल़त लिखे हुवे पाए गए है।

जय हिन्द जय भारत

गुरुवार, 14 मार्च 2013

क्यों करते हैं नमस्कार ..? नमस्कार से लाभ :-

क्यों करते हैं नमस्कार ..? नमस्कार से लाभ :- जय सिया राम
भारतीय धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब हम किसी को प्रणाम करते हैं, तो हम अवश्य ही आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और पुण्य अर्जित करते हैं।

मनु ने तो प्रणाम करने के कई लाभ गिनाए हैं।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपि सेविन:, तस्य चत्वारि वर्धन्ते, आयु: विद्या यशो बलं।

अर्थात-प्रणाम करने वाले और बुजुर्गों की सेवा करने वाले व्यक्ति की आयु, विद्या, यश और बल चार चीजें अपने आप बढ़ जाती हैं। यह समाज की विडंबना ही है कि बहुत से लोग प्रणाम करने की बात तो दूर, प्रणाम का जवाब देने से भी कतराते हैं। इस बात को एक शेर में बहुत ही अच्छे ढंग से कहा गया है।

इस सन्दर्भ में गोस्वामी तुलसीदास ने तो गजब का आदर्श प्रस्तुत किया है।
सीय राममय सब जग जानी, करउं प्रनाम जोरि जुग पानी।
बन्दउं सन्त असज्जन चरना, दुखप्रद उभय बीच कछु बरना।

मतलब यह कि वह सभी को प्रणाम करने का सन्देश देते हैं। उनके अनुसार सम्पूर्ण संसार में भगवान व्याप्त है, इसलिए सभी को प्रणाम किया जाना चाहिए। उन्होंने तो सन्त और असज्जन सभी की वन्दना की है।
यही नहीं, श्रीरामचरित मानस में तो दुश्मन को भी प्रणाम करने का उदाहरण है। हनुमान जी को सुरसा निगल जाना चाहती है, फिर भी हनुमान जी ने उसे प्रणाम किया। चौपाई है-
बदन पैठि पुनि बाहर आवा, मांगी बिदा ताहि सिर नावा। एक बात और, किसी को प्रणाम न करने से अनजाने में ही सही, उसका अपमान हो जाता है। शकुन्तला ने दुर्बासा ऋषि को प्रणाम नहीं किया, तो उन्होंने क्रोधित हो कर शकुन्तला को श्राप दे डाला।
दरअसल, प्रणाम कोई साधारण आचार या व्यवहार नहीं है। इसमें बहुत बड़ा विज्ञान छिपा है। साधारण तौर पर उसका अर्थ है, हृदय से प्रस्तुत हूं।
प्रणाम करने में प्राय: भगवान के नाम का उच्चारण किया जाता है, जिसका अलग ही पुण्य होता है। बहुत से मामलों में तो प्रणाम भी बाहरी तौर पर किया जाता है और हृदय को उससे दूर ही रखा जाता है।
शायद इसी सन्दर्भ में कहावत प्रचलित हुई-मुख पर राम बगल में छूरी। इस तरह का प्रणाम करने से अच्छा है न ही किया जाए। प्रणाम एक ऐसी व्यवस्था है, जो समाज को प्रेम के सूत्र में बांध कर रखती है। इसके महत्व को समझा जाए, तो समाज से कटुता अवश्य दूर होगी। ऐसी मान्यता है कि यदि आप किसी साधक को प्रणाम करते हैं, तो उसकी साधना का फल आपको बिना कोई साधना किए मिल जाता है। प्रणाम करने से अहंकार भी तिरोहित होता है। अहंकार के तिरोहित होने से परमार्थ की दिशा में कदम आगे बढ़ता है। प्रणाम को निष्काम कर्म के रूप में लिया जाना चाहिए। वेदों में ईश्वर को प्रणाम करने की व्यवस्था है, जिसे प्रार्थना कहा गया है। यह कोई याचना नहीं, निष्काम कर्म ही है, जो परमार्थ के लिए प्रमुख साधन है। श्रीरामचरित मानस में कहा गया है, हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम ते प्रकट होइ मैं जाना। ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, जो प्रेम के वशीभूत हो कर प्रकट हो जाता है। इसलिए चेतन ही नहीं, जड़ वस्तुओं को भी प्रणाम किया जाए, तो वह ईश्वर को ही प्रणाम है, क्योंकि कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां ईश्वर नहीं है।
एक बात और, प्रणाम सद्भाव से ही किया जाना चाहिए, भले ही वह मानसिक क्यों न हो। शास्त्रों में इसके भी उदाहरण मिलते हैं। श्रीरामचरित मानस का सन्दर्भ लें, तो स्वयंबर के मौके पर श्रीराम ने अपने गुरु को मन में ही प्रणाम किया था।
गुरहि प्रनामु मनहि मन कीन्हा, अति लाघव उठाइ धनु लीन्हा।
अर्थात-उन्होंने मन-ही-मन गुरु को प्रणाम किया और बड़ी फुर्ती से धनुश उठा लिया। इस प्रकार प्रणाम के रहस्य को समझ कर उसे जीवन में लागू किया जाए, तो अनेक रहस्यपूर्ण अनुभव होंगे, इसमें कोई सन्देह नहीं।

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