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रविवार, 17 मार्च 2013

आयुर्वेद की उपयोगि कुछ बाते आप सभी के लिए .

आयुर्वेद की उपयोगि कुछ बाते आप सभी के लिए .
कोई भी आज आयुर्वेद की उपयोगिता से मुख नहीं मोड़ सकता हैं आज लोगों का रुझान इस ओर बढ़ता जा रहा हैं चिकित्सा की हर पद्धति के फायदे ओर नुक्सान हैं ओर यह भी बात ध्यान रखने योग्य हैं की हर पद्धति अपने विशेग्य के हाँथ में श्रेष्ठ होतीहैं .
सदगुरुदेव जी ने अ पनी पुस्तक "मूलाधार से सहस्रार तक में". आयुर्वेद के विभिन्न कल्प जड़ी बूटियों ओर अन्य विषय पर मन्त्र के माध्यम से विषद चर्चा की हैं .हमें इस ओर भी उतना ध्यान देना चाहिए जितना की हंम साधना पक्ष के ओर देते हैं . जीवन में संतुलित ता जरुरिहैन यदिशरित का एक भाग मजबूत हो तथा दूसरा भाग कमजोर हो तो वह स्वास्थ्य नहीं कह जायेगा . तंत्र क्षेत्र में रूचि ठीक हैं पर इस विज्ञानं के प्रतिभी अपना लगाव रखना चाहिए ही.
आप कहेगे की इसका तंत्र से क्या सम्बन्ध :
यदि कोई भी व्यक्ति जो कर्ण पिशाचनी जैसी साधना करना चाहता हैं तो वह यदि ग्वारपाठा के रस को अपने पैरों के तलिए में लग कर साधनकरने बैठे तो साधन काल के दौरान होने वाले भयंकर द्रश्यों में कमी आ जाती हैं "( इस तरह के अन्य प्रयोग हम किसी अगले पोस्ट में आपकेसामने रखंगे )
दूसरा उदहारण ले किसी को कुष्ठ तोग या सफ़ेद दाग हो गया हो वह ग्वारपाठा के गुदे को निकल कर बिछा ले उस पर नंगे पैर उस पर तबतक चलता रहे जबतक की उसका मुख का स्वाद कड़वा न हो जाये . प्रतिदिन नए गुदे के साथ यह प्रक्रिया करे आशातीत लाभ मिलेगा . जहाँ तंत्रअआपके जीवन कप अर्थ ओर उच्चता दे सकता हैं तो आयुर्वेद इस जीवन को सुदर ओर मजबूत निरोगी शरीर दे सकता हैं ,इसलिए हमें सब पर एकसंतुलित दृष्टी रखना होगी .
कुछ बाते आप सभी के लिए ..
1. यदि एक या दो चुटकी गुग्गल को पानी या दूध के साथ दिन में दो बार लिया जाये तो शरीर में यदि कोई हड्डी टु टी हो तो जल्द लाभ मिलताहैं .
2. १ या २ ग्राम हल्दी लो भुन्नकर चूर्ण बना कर दिन में चार बार ले तो काली खांसी जल्दी से ठीक होती हैं.
3. यदि आपने केले ज्यादा खा लिए हो तो आप एक या दो इलायची जरुर खां ले पाचन में आराम होगा.
4. यदि प्याज का रस रात को सोते समय बालों में लगा ले ओर प्रातः काल उठ कर बाल धोले तो केशो के अ समय गिरने से छुटकारा पायाजा सकता हैं .
5. यदि नीबू के रस को लहसुन के रस के साथ मिलकर बालों में लगाये तो जू की तकलीफ समाप्त हो जाती हैं .
6. दो लौंग के साथ एक दो तुलसी की पत्ती को चाय बनाते समय मिला लिया जाये तो जुकाम में लाभ होता हैं .
7. यदि आमले का मुरब्बा सुबह खाली पेट खाया जाये तो यह याद दश्त बढ़ने में उपयोगी होता हैं .
आज के लिए बस इतना ही

रुद्राक्ष के गुण

 
रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50 से लेकर 200 फीट तक पाए जाते हैं तथा इसके पत्ते आकार में लंबे होते हैं. रुद्राक्ष के फूलों का रंग सफेद होता है तथा इस पर लगने वाला फल गोल आकार का होता है जिसके अंदर से गुठली रुप में रुद्राक्ष प्राप्त होता है.

रुद्राक्ष का फल खाने में अधिक स्वादिष्ट नहीं होता इसके फलों का स्वाद कुछ खटा या फिर कसैला सा होता है. इसके हरे फल पकने के पश्चात स्वयं ही गिर जाते हैं और जब उनका आवरण हटता है तो एक उसमे से अमूल्य रुद्राक्ष निकलते हैं. यह इन फलों की गुठली ही होती है. रुद्राक्ष में धारियां सी बनी होती है जो इनके मुखों का निर्धारण करती हैं. रुद्राक्ष को अनेक प्रकार की महीन सफाई प्रक्रिया द्वारा उपयोग में लाने के लिए तैयार किया जाता है जिसे उपयोग में लाकर सभी लाभ उठाते हैं.

भारत के विभिन्न प्रदेशों में रुद्राक्ष |


रुद्राक्ष भारत, के हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं. इसके अतिरिक्त असम, मध्य प्रदेश, उतरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में यह रुद्राक्ष पाए जाते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि और मैसूर में तथा कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं. रामेश्वरम में भी रुद्राक्ष पाया जाता है यहां का रुद्राक्ष काजु की भांति होता है. गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं.

नेपाल और इंडोनेशिया से प्राप्त रुद्राक्ष |

नेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि प्रमुख रूप से रुद्राक्ष के बहुत बड़े उत्पादक रहे हैं और भारत सबसे बडा़ ख़रीदार रहा है. नेपाल में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में काफी बडे़ होते हैं, लेकिन इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाने वाले रुद्राक्ष आकार में छोटे होते हैं. भारत में रुद्राक्ष भारी मात्रा में नेपाल और इंडोनेशिया से मंगाए जाते हैं और रुद्राक्ष का कारोबार अरबों में होता है. सिक्के के आकार का रुद्राक्ष, जो ‘इलयोकैरपस जेनीट्रस’ प्रजाति का होता है, बेहद दुर्लभ होता जो नेपाल से प्राप्त होता है.

विश्व के अनेक देशों में रुद्राक्ष |

भारत के अतिरिक्त विश्व के अनेक देशों में रुद्राक्ष की खेती की जाती है तथा इसके वृक्ष पाए जाते हैं. नेपाल, जावा, इंडोनेशिया, मलाया जैसे देशों में रुद्राक्ष उत्पन्न होता है. नेपाल ओर इंनेशिया में मिलने वाले रुद्राक्ष भारत में मिलने वाले रुद्राक्षों से अलग होते हैं. नेपाल में बहुत बडे़ आकार का रुद्राक्ष पाया जाता है तथा यहां पर मिलने वाले रुद्राक्ष की किस्में भी बहुत अच्छी मानी गई हैं. नेपाल में एक मुखी रुद्राक्ष बेहतरीन किस्म का होता है.

रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रुप में बेचते हैं. भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते.

माना जाता है कि भारत में बिकने वाले 80 फीसदी रुद्राक्ष फर्जी होते हैं और उन्हें तराश कर बनाया जाता है. इसलिए रुद्राक्ष को खरीदने से पहले इसके गुणवत्ता को देखना बेहद आवश्यक है. अपने औषधीय और आध्यात्मिक गुणों के कारण रुद्राक्ष का प्रचलन बहुत है. रुद्राक्ष के गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं.

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