आयुर्वेद की उपयोगि कुछ बाते आप सभी के लिए .
कोई
भी आज आयुर्वेद की उपयोगिता से मुख नहीं मोड़ सकता हैं आज लोगों का
रुझान इस ओर बढ़ता जा रहा हैं चिकित्सा की हर पद्धति के फायदे ओर
नुक्सान हैं ओर यह भी बात ध्यान रखने योग्य हैं की हर पद्धति अपने
विशेग्य के हाँथ में श्रेष्ठ होतीहैं .
सदगुरुदेव जी ने अ पनी पुस्तक "मूलाधार से सहस्रार तक में". आयुर्वेद के विभिन्न कल्प जड़ी बूटियों ओर अन्य विषय पर मन्त्र के माध्यम से विषद चर्चा की हैं .हमें इस ओर भी उतना ध्यान देना चाहिए जितना की हंम साधना पक्ष के ओर देते हैं . जीवन में संतुलित ता जरुरिहैन यदिशरित का एक भाग मजबूत हो तथा दूसरा भाग कमजोर हो तो वह स्वास्थ्य नहीं कह जायेगा . तंत्र क्षेत्र में रूचि ठीक हैं पर इस विज्ञानं के प्रतिभी अपना लगाव रखना चाहिए ही.
आप कहेगे की इसका तंत्र से क्या सम्बन्ध :
यदि कोई भी व्यक्ति जो कर्ण पिशाचनी जैसी साधना करना चाहता हैं तो वह यदि ग्वारपाठा के रस को अपने पैरों के तलिए में लग कर साधनकरने बैठे तो साधन काल के दौरान होने वाले भयंकर द्रश्यों में कमी आ जाती हैं "( इस तरह के अन्य प्रयोग हम किसी अगले पोस्ट में आपकेसामने रखंगे )
दूसरा उदहारण ले किसी को कुष्ठ तोग या सफ़ेद दाग हो गया हो वह ग्वारपाठा के गुदे को निकल कर बिछा ले उस पर नंगे पैर उस पर तबतक चलता रहे जबतक की उसका मुख का स्वाद कड़वा न हो जाये . प्रतिदिन नए गुदे के साथ यह प्रक्रिया करे आशातीत लाभ मिलेगा . जहाँ तंत्रअआपके जीवन कप अर्थ ओर उच्चता दे सकता हैं तो आयुर्वेद इस जीवन को सुदर ओर मजबूत निरोगी शरीर दे सकता हैं ,इसलिए हमें सब पर एकसंतुलित दृष्टी रखना होगी .
कुछ बाते आप सभी के लिए ..
1. यदि एक या दो चुटकी गुग्गल को पानी या दूध के साथ दिन में दो बार लिया जाये तो शरीर में यदि कोई हड्डी टु टी हो तो जल्द लाभ मिलताहैं .
2. १ या २ ग्राम हल्दी लो भुन्नकर चूर्ण बना कर दिन में चार बार ले तो काली खांसी जल्दी से ठीक होती हैं.
3. यदि आपने केले ज्यादा खा लिए हो तो आप एक या दो इलायची जरुर खां ले पाचन में आराम होगा.
4. यदि प्याज का रस रात को सोते समय बालों में लगा ले ओर प्रातः काल उठ कर बाल धोले तो केशो के अ समय गिरने से छुटकारा पायाजा सकता हैं .
5. यदि नीबू के रस को लहसुन के रस के साथ मिलकर बालों में लगाये तो जू की तकलीफ समाप्त हो जाती हैं .
6. दो लौंग के साथ एक दो तुलसी की पत्ती को चाय बनाते समय मिला लिया जाये तो जुकाम में लाभ होता हैं .
7. यदि आमले का मुरब्बा सुबह खाली पेट खाया जाये तो यह याद दश्त बढ़ने में उपयोगी होता हैं .
आज के लिए बस इतना ही
सदगुरुदेव जी ने अ पनी पुस्तक "मूलाधार से सहस्रार तक में". आयुर्वेद के विभिन्न कल्प जड़ी बूटियों ओर अन्य विषय पर मन्त्र के माध्यम से विषद चर्चा की हैं .हमें इस ओर भी उतना ध्यान देना चाहिए जितना की हंम साधना पक्ष के ओर देते हैं . जीवन में संतुलित ता जरुरिहैन यदिशरित का एक भाग मजबूत हो तथा दूसरा भाग कमजोर हो तो वह स्वास्थ्य नहीं कह जायेगा . तंत्र क्षेत्र में रूचि ठीक हैं पर इस विज्ञानं के प्रतिभी अपना लगाव रखना चाहिए ही.
आप कहेगे की इसका तंत्र से क्या सम्बन्ध :
यदि कोई भी व्यक्ति जो कर्ण पिशाचनी जैसी साधना करना चाहता हैं तो वह यदि ग्वारपाठा के रस को अपने पैरों के तलिए में लग कर साधनकरने बैठे तो साधन काल के दौरान होने वाले भयंकर द्रश्यों में कमी आ जाती हैं "( इस तरह के अन्य प्रयोग हम किसी अगले पोस्ट में आपकेसामने रखंगे )
दूसरा उदहारण ले किसी को कुष्ठ तोग या सफ़ेद दाग हो गया हो वह ग्वारपाठा के गुदे को निकल कर बिछा ले उस पर नंगे पैर उस पर तबतक चलता रहे जबतक की उसका मुख का स्वाद कड़वा न हो जाये . प्रतिदिन नए गुदे के साथ यह प्रक्रिया करे आशातीत लाभ मिलेगा . जहाँ तंत्रअआपके जीवन कप अर्थ ओर उच्चता दे सकता हैं तो आयुर्वेद इस जीवन को सुदर ओर मजबूत निरोगी शरीर दे सकता हैं ,इसलिए हमें सब पर एकसंतुलित दृष्टी रखना होगी .
कुछ बाते आप सभी के लिए ..
1. यदि एक या दो चुटकी गुग्गल को पानी या दूध के साथ दिन में दो बार लिया जाये तो शरीर में यदि कोई हड्डी टु टी हो तो जल्द लाभ मिलताहैं .
2. १ या २ ग्राम हल्दी लो भुन्नकर चूर्ण बना कर दिन में चार बार ले तो काली खांसी जल्दी से ठीक होती हैं.
3. यदि आपने केले ज्यादा खा लिए हो तो आप एक या दो इलायची जरुर खां ले पाचन में आराम होगा.
4. यदि प्याज का रस रात को सोते समय बालों में लगा ले ओर प्रातः काल उठ कर बाल धोले तो केशो के अ समय गिरने से छुटकारा पायाजा सकता हैं .
5. यदि नीबू के रस को लहसुन के रस के साथ मिलकर बालों में लगाये तो जू की तकलीफ समाप्त हो जाती हैं .
6. दो लौंग के साथ एक दो तुलसी की पत्ती को चाय बनाते समय मिला लिया जाये तो जुकाम में लाभ होता हैं .
7. यदि आमले का मुरब्बा सुबह खाली पेट खाया जाये तो यह याद दश्त बढ़ने में उपयोगी होता हैं .
आज के लिए बस इतना ही
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