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रविवार, 17 मार्च 2013

पथरी ----इसका उपचार है-

पथरी ----

शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़ जाती है .

धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय पर गर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।

कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचार है-

उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध व पानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दो दिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।

- गोक्षुर के फलों का चूर्ण शहद के साथ 3 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम दिया जाता है । महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।

- गोमूत्र के सेवन से भी पथरी टूट कर निकल जाती है .

- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।

- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|

- खूब पानी पिए .

- कपालभाती प्राणायाम करें .

- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय ,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट , मांसाहार कम ले .

- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .

- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .

- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .

- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१ दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।

- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बाद ले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवन से लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .

- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .

- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।

- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

- पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।

- बथुआ की सब्जी खाए .

- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।

- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।

- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।

- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जाती है। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा।

आयुर्वेद जो आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होंगे.

आयुर्वेद तो जीवन का सौन्दर्य हैं, इस श्रंखला में हम आपको कुछ सरल उपयोगी उपाय आपके सामने रखते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होंगे.
1. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि पानी के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन कम करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
2. यदि शहद दो /तीन चमच्च यदि दूध के साथ सोने से पहले ली जाये तो यह शरीर का वजन बढ़ाने करने केलिए बहुत अच्छा उपाय हैं पर या किसी भी हाल में २ / ३ महीने से ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए .
3. प्याज ओर शहद का बराबर मात्रा में लिया गया मिश्रण कफ नष्ट करता हैं
4. नारियल के तेल से किसी भी मौसम में मालिश करना अच्छा रहता हैं .
5. एक/दो चम्मच अश्वगंधा का चूर्ण खाने के बाद एक गिलास मीठा दूध पी लेना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता हैं .
6. यदि आप थके हुए हैं तो दो/तीन बूँद शहद की एक गिलास पानी में डाल कर पी लीजिये तुरंत शक्ति अनुभव होगी .
7. यदि अर्जुन पेड़ की छाल को चाय की पत्ती की तरह , चाय बनाने मेंप्रयोग करे तो यह ह्रदय के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं
8. यदि खाना खाने के बाद ३ ग्राम अर्जुन पेड़ की छाल को पानी के साथ लिया जाये तो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं .
9. रात्रि काल में दही या खट्टी चीजे नहीं खाना चाहिए
10. हल्दी ओर प्याज को मिक्स करके हल्का सा गर्म करके जहाँ पर दर्द हो रहा हो एक लेप की तरह लगाये यह मोच ओर इन्टरनल पैन के लिए अच्छा होता हैं ( पर यदि कोई muscular pain स्टार्ट हुआ हैं तो पहले दो दिन तो उस जगह पर बर्फ किसी कपडे में लपेट कर हल्का हल्का लगाये .)

आपका चश्मा उतर सकता है।

ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

लौंग के औषधीय प्रयोग

लौंग के औषधीय प्रयोग
लौंग भले ही छोटी है, मगर उसके प्रभाव बड़े गुणकारी हैं। साथ ही लौंग का तेल भी काफी लाभकारी होता है।लौंग को वैसे तो मसाले के रूप में सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन किचन में उपस्थित इस मसाले के अमूल्य औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम बताने जा रहे हैं लौंग के कुछ ऐसे ही औषधीय प्रयोगों के बारे में.....
लौंग में कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, वसा जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा लौंग में खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन सी और ए भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं तीखी लोंग के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

- खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से एसीडिटी ठीक हो जाती है।

-15 ग्राम हरे आंवलों का रस, पांच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएं इससे एसीडिटी ठीक हो जाता है।

- लौंग को गरम कर जल में घिसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द गायब हो जाता है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- लौंग सेंककर मुंह में रखने से गले की सूजन व सूखे कफ का नाश होता है।

- सिर दर्द, दांत दर्द व गठिया में लौंग के तेल का लेप करने से शीघ्र लाभ मिलता है।

- गर्भवती स्त्री को अगर ज्यादा उल्टियां हो रही हों तो लौंग का चूर्ण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।

- लौंग का तेल मिश्री पर डालकर सेवन करने से पेटदर्द में लाभ होता है।

- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फांक लें। इस तरह तीन बार लेने से सामान्य बुखार दूर हो जाएगा।

- लौंग दमा रोगियों के लिए विशेषरूप से लाभदायक है। लौंग नेत्रों के लिए हितकारी, क्षय रोग का नाश करने वाली है।

संक्रमण::
एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में भी काफी उपयोगी होता है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है लेकिन संवेदनशाल त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए।

तनाव::
अपने विशिष्ट गुण के कारण यह मानसिक दबाव और थकान को कम करने का काम करता है। यह अनिद्रा के मरीजों और मानसिक बीमारियों जैसे कम होती याददाश्त, अवसाद और तनाव में उपयोगी होता है।

- लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।

- चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने से बुखार ठीक हो जाती है।

डायबिटीज::
खून की सफाई के साथ-साथ लौंग का तेल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार होता है।

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