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शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

जलने पर अपनाएं तुरंत यह उपचार

जलने पर अपनाएं तुरंत यह उपचार
जब भी कभी हाथ या शरीर का कोई भी हिस्सा जल जाए, तो परेशान ना हों। इसके लिये घर पर मौजूद कुछ ऐसे समानों का प्रयोग करें, जिससे व्यक्ति को तुरंत ही राहत मिल जाए। बाद में आप डॉक्टर के पास जा कर इसका इलाज करवा सकते हैं। आइये जानते हैं कि क्या हैं वे सामग्री जिसे आप जलने पर तुरंत ही प्रयोग कर सकती हैं।

1. टमाटर- इसमें कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिसको तुरंत लगाने से जले हुए भाग को आराम मिल जाता है। हाथ जल जाने पर एक टमाटर का स्लाइस काटे और वह जब तक सूख ना जाए तब तक उसे जले हुए भाग पर लगाए रखें। आप हैरान रह जाएंगे कि आपका हाथ कितनी जल्दी सही हो चुका होगा।

2. अंडे की सफेदी- जब स्किन जल जाती है तो उसमें बड़ी ही तेजी से जलन होने लगती है। इसी जलन को मिटाने के लिये अंडे़ का सफेद भाग लगाइये और उसे कुछ देर के लिये सूखने दीजिये। इसको कई बार तक लगाना पडे़गा जिससे दर्द चला जाए और दाग ना पडे़।

3. हल्दी पेस्ट- हल्दी में लाजवाब शक्ति होती है, वह दर्द को पल भर में सोख लेती है। हल्दी को जले हुए भाग पर लगाइये और सूखने दीजिये। जब यह सूख जाए तब इसे धोइये और दुबारा से पेस्ट लगाइये। ऐसा बार-बार करने से आपका दर्द तुरंत दूर हो जाएगा।

4. एलो वेरा- यह एक जादुई पौधा है जो कि कई समस्याओं में महत्वपूर्ण हिस्सा अदा करता है। अगर आपके घर पर एलो वेरा का पौधा है तो उसके पत्ते को काट कर अपने जले हुए हिस्से पर तुरंत लगा लीजिये। यह आपको जलन से तुरंत ही राहत दिलायेगा क्योंकि यह बहुत ठंडा होता है।

5. टूथपेस्ट- यह दर्द को बहुत ही अच्छी प्रकार से दूर कर देता है। किसी भी जले हुए स्थान पर सफेद टूथपेस्ट लगा दीजिये और सूखने दीजिये। जरुरत पडने पर आप इसे एक समय में 2-3 बार लगा सकते हैं।

बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार

छोटे बर्न्स (पहली और दूसरी डिग्री के बर्न्स) जिनका क्षेत्रफल 3 इंच व्यास से कम का है उनका इलाज घर पर किया जा सकता है। मामूली बर्न्स के लिए प्राथमिक उपचार में ये शामिल हैं
• बर्न को ठंडा करें: बर्न को 10-15 मिनट के लिए या दर्द कम होने तक नल के नीचे ठंडे पानी में भिगोएं। यदि नल के नीचे भिगोना संभव नहीं है तो बर्न को ठंडे पानी में डुबो दें या इसे कोल्ड कम्प्रैसेस (ठंडी पट्टी) से ठंडा करें। जलने पर बर्फ न लगाएं।
• पट्टी लगाएं: जीवाणुरहित पट्टी से जले क्षेत्र को सुरक्षित करें। ढकने के लिए रुई का इस्तेमाल न करें इससे जलन हो सकती है। पट्टी को हलके से लगाएं जिससे जली त्वचा पर अनुचित दबाव न पड़े। जले क्षेत्र पर पट्टी करने से दर्द को कम करने में मदद मिलती है और फफोले पड़ी त्वचा सुरक्षित रहती है।

आपको क्या नहीं करना चाहिए?
• जले क्षेत्र पर बर्फ न लगाएं।
• जले पर मक्खन या मलहम न लगाएं।
• फफोले न फोड़ें क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
व्यापक या तीसरे डिग्री बर्न का घर पर इलाज न करें।Ayurveda

किसी भी प्रकार से प्रमुख रुप से जलने पर अपने बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाएं। अस्पताल पहुंचने तक इन चरणों का पालन करें
• जली हुई जगह से चिपके किसी भी कपड़े को न उतारें।
• गंभीर रुप से जले क्षेत्रों को पानी में न भिगोएं या कोई मरहम न लगाएं। जीवाणुरहित पट्टी या साफ कपड़े से जली सतह को ठकें।
• सांस लेने, खांसने या गतिविधि की जांच करें। यदि बच्चा सांस नहीं ले रहा है या परिसंचलन के अन्य लक्षण अनुपस्थित हैं तो कार्डियोपल्मोनरी रेसुसिटेशन (सीपीआर) शुरू करें।
यदि संभव हो तो शरीर के जले हिस्से दिल के स्तर से ऊपर उठाएं।

रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद

जायफल ---

रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है।
आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस  बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है,
जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते  हैं। इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से  गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है।
पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी केसाथ लेने से आराम मिलता है।
- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल  को पानी में घिस कर लगाएं।
- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल  को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये।
यह शरीर की स्वाभाविक  गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग  रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन  भी अच्छे तरीके से पचेगा।
- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर  जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए,दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने  की संभावना देखी गयी है।
- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।
- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत  होता है। पेट भी ठीक रहता है।
- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है,  तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।
- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल  को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से  आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और  धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
- यह शक्ति भी बढाता है।
- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है।
- जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर  मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे  जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण  और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से  भी निजात मिलेगी।
- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते  समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और  इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल  का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर  लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।

- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई  बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें।जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं  रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल  किया जा सकता है।
- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में  टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।
- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह  के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।
- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में  मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है,
चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।
- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद  सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।
- दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर  यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।

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