यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

मंगलवार को करें ये 8 काम, हनुमानजी चमका देंगे भाग्य

मंगलवार को करें ये 8 काम, हनुमानजी चमका देंगे भाग्य

तंत्र शास्त्र के अनुसार यदि सावन के मंगलवार के दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो कुछ ही समय में आपकी किस्मत बदल सकती है। ये खास उपाय आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं।
1- मंगलवार की शाम को किसी हनुमान मंदिर में जाएं और एक सरसौं के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी की कृपा पाने का ये एक अचूक उपाय है।
2- मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी पीपल के पेड़ के नीचे सरसौं के तेल का दिया जलाएं। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके तुलसी की माला से राम नाम का जप करें। कम से कम 11 माला जप अवश्य करें।
3- अगर आप शनि दोष से पीडि़त हैं तो मंगलवार को काली उड़द व कोयले की एक पोटली बनाएं। इसमें एक रुपए का सिक्का रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उसार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जप करें इससे शनि दोष का प्रभाव कम हो जाएगा।

4- मंगलवार को किसी हनुमानजी के मंदिर जाएं और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद हनुमानजी को गुड और चने का भोग लगाएं। जीवन में यदि कोई समस्या है तो उसका निवारण करने के लिए प्रार्थना करें।
5- मंगलवार के दिन तांत्रिक हनुमान यंत्र की स्थापना अपने पूजन स्थान पर करें। प्रतिदिन इस यंत्र की पूजा विधि-विधान से करें तो शीघ्र ही इसका शुभ फल प्राप्त होने लगता है।
6- मंगलवार की सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ स्वच्छ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी के सामने रखें और इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें। अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा।

7- मंगलवार को पास ही स्थित हनुमानजी के किसी मंदिर में जाएं और उन्हें उन्हें सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें। इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
8- मंगलवार को शाम के समय हनुमानजी को केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमानजी को प्रसन्न करने का ये बहुत ही अचूक उपाय है। इस उपाय से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

रामजी ने इस खास कारण से किया था एक स्त्री का वध

रामजी ने इस खास कारण से किया था एक स्त्री का वध

रामायण में अब तक आपने पढ़ा.....सोते समय असावधानी की अवस्था में भी राक्षस तुम पर आक्रमण नहीं कर पाएंगे। बला और अतिबला का अभ्यास करने से तीनों लोकों में तुम्हारे समानता करने वाला कोई न होगा। किसी के प्रश्र का उत्तर देने में भी कोई तुम्हारी तुलना नहीं कर सकेगा। इन दोनों विद्याओं के प्राप्त हो जाने पर कोई तुम्हारी समानता नहीं कर सकेगा। इन दोनों विद्याओं का अध्ययन कर लेने पर इस भूतल पर तुम्हारे यश का विस्तार होगा। ये दोनों विद्याएं ब्रह्माजी की तेजस्वी पुत्रियां है। मैंने इन दोनों को तुम्हे देने का विचार किया अब आगे.....
उसके बाद जब विश्वामित्र आगे बढ़े तो उन्होंने ताटका नामक राक्षसी के बारे में बताया तब श्रीराम ने कहा कि मुनि में तो एक क्षत्रिय हूं तो स्त्री का वध कै से कर सकता हूं।यह बात सुनकर विश्वामित्र मुस्कुराए और उन्होंने श्रीराम को विरोचन की पुत्री मंथरा की कथा सुनाई। उनकी कथा सुनकर रामजी ने कहा अयोध्या मेरे पिता महामना महाराज दशरथ ने अन्य गुरुजनों के बीच मुझे यह उपदेश दिया था कि बेटा:
तुम पिता के कहने से पिता के वचनों का गौरव रखने के लिए कुशिकनंदन विश्वामित्र की आज्ञा का निशक्त होकर पालन करना। कभी भी उनकी बात की अवहेलना न करना। इसलिए मैं पिताजी के उपदेश को सुनकर आप ब्रह्मावादी महात्मा की आज्ञा से ताटकावध संबंधी कार्य को उत्तम मानकर करूंगा- इसमें संदेह नहीं। गौ, ब्राह्मण तथा समूचे देश का हित करने के लिए मैं आप जैसे अनुपम प्रभावशाली महात्मा के आदेश का पालन करने को सब प्रकार से तैयार हूं।

function disabled

Old Post from Sanwariya