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शनिवार, 26 सितंबर 2020

सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ

सहजन जिसे मोरिंगा नाम से जाना जाता है। यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं। इसीलिए सप्ताह में कम से कम 2 बार सहजन के पराठे का सेवन जरूर करते हैं। जानिए आखिर *सहजन खाने के क्या-क्या है लाभ-*

*सहजन में पोषक तत्वों जैसे- प्रोटीन, ऑयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटीमिन ए, सी और बी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल जैसे गुण पाए जाते हैं। वहीं इसकी पत्तियां भी काफी फायदेमंद होती है। सहजन की पत्तियों में संतरे और नींबू की तुलना में 6 गुना अधिक विटामिन-सी होता है। इसके साथ ही दूध में 4 गुना अधिक कैल्शियम,  गाजर की तुलना में 4 गुना अधिक विटामिन ए,  केले की तुलना में 3 गुना अधिक पोटेशियम पाया जाता है। इतना ही नहीं सहजन की पत्तियां भी पानी में आर्सेनिक छोड़ती हैं।* 


*सहजन खाने के मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ*

*हाई ब्लड प्रेशर करे कम*
सहजन में भरपूर मात्रा में पोटैशियम, विटामिन्स पाए जाते हैं। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। 

*वजन कम करने में करे मदद*
शरीर में बढ़ी हुई चर्बी को कम करने में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है। इसमें अधिक मात्रा में फास्फोरस पाया जाता है। जो वसा कम करने में मदद करता है। इसलिए आप मोरिंगा की पत्तियों का रस का सेवन करे। इससे आपको लाभ मिलेगा।

*डायबिटीज को कंट्रोल*
अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो सहजन का सेवन करें। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा। दरअसल सहजन में राइबोफ्लेविन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके चलते यह ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करने से बचे। 

*इम्यूनिटी करें मजबूत*
सहजन में भरपूर मात्रा में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। जिससे किसी भी तरह की संक्रामक बीमारी आपसे कोसों दूर रहती हैं। इसके साथ ही आपकी हड्डियां भी मजबूत होती है। 

*सिर दर्द से दिलाए निजात*
सहजन के पत्तों के रस को काली मिर्च के साथ पीस लें। इसके बाद इस पेस्ट को सिर माथे पर लगा लें। इससे आपको लाभ मिलेगा। 

*स्किन को रखें जवां*
सहजन में भरपूर मात्रा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो आपको स्किन संबंधी हर समस्या से छुटकारा दिला देता है। इसके साथ ही इसमें विटामिन  पाया जाता है। जो आप आपकी स्किन को जवां रखने में मदद करता है। 

*एनीमिया से दिलाए निजात*
शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया की शिकायत हो जाती है। ऐसे में सहजन काफी कारगर साबित हो सकता है।  सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। जिसका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती हैं।
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कोरोना के कारण छूटी है अगर आपकी नौकरी तो मोदी सरकार दे रही 50फीसदी सेलेरी करे इस तरह आवेदन

📌 *_कोरोना के कारण छूटी है अगर आपकी नौकरी तो मोदी सरकार दे रही 50फीसदी सेलेरी करे इस तरह आवेदन_*

 मोदी सरकार ने हाल ही में एम्प्लॉई स्टेट इंश्योरेंस एक्ट (ESIC Act.) के तहत 'अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना' की अवधि को 30 जून 2021 के लिए बढ़ाने का ऐलान किया है. इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने पेमेंट को भी नोटिफाई कर दिया है. इसके बाद 31 दिसंबर 2020 तक कुछ ढील के साथ सब्सक्राइबर्स को 50 फीसदी बेरोजगारी लाभ दिया जाएगा. यह फायदा उन कामगारों को मिलेगा जिनकी 31 दिसंबर के पहले नौकरी चली गई हो.

*31 दिसंबर 2020 के बाद इस स्कीम के तहत नियमों में ढील को समाप्त कर दिया जाएगा*

. 1 जनवरी 2021 से 30 जून 2021 के बीच ओरिजनल क्राइटेरिया के आधार पर ही सब्सक्राइबर्स को लाभ मिल सकेगा. इस अवधि में बरोजगारी लाभ 50 फीसदी की जगह 25 फीसदी ही मिलेगी.

इस स्कीम का लाभ संगठित क्षेत्र के वही कर्मचारी उठा सकते हैं जो ESIC से बीमित हैं और दो साल से अधिक समय नौकरी कर चुके हों. इसके अलावा आधार और बैंक अकाउंट डेटा बेस से जुड़ा होना जरूरी है.

*आइए जानते हैं इस स्कीम के बारे में...*

>> इस स्कीम का लाभ लेने के बीमित व्यक्ति को बेरोजगार होना चाहिए और इसी दौरान उन्हें बेरोजगारी लाभ के लिए क्लेम करना होगा..

>> बीमित व्यक्ति के लिए एक शर्त होगी कि बेरोजगारी से पहले कम से कम उन्होंने 2 साल तक रोजगार कर रहा हो.

>> इस संबंध में योगदान नियोक्ता द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए या देय होना चाहिए.

>> अगर किसी व्यक्ति को किसी प्रकार के दुर्व्यवहार, पेंशन प्रोग्रमा या स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने वाले लोगों को इस स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा.

>> बीमित व्यक्ति का आधार कार्ड और बैंक अकाउंट डिटेल उनके डेटाबेस से लिंक होना चाहिए.

>> बेरोजगारी व्यक्ति खुद ही यह क्लेम कर सकता है.

>> नौकरी जाने के 30 दिन से लेकर 90 दिन के बीच क्लेम करना होगा.

>> क्लेम को ऑनलाइन सबमिट करना होगा, जिसके बाद बीमित व्यक्ति के बैंक अकाउंट में क्लेम की रकम पेमेंट कर दी गई हो. क्लेम वेरिफाई होने के 15 दिन के अंदर यह पेमेंट कर दिया जाएगा.

*अटल बीमित कल्याण योजना के तहत पात्रता, मानदंड में भी रियायत दी गई है जो निम्नलिखित है:*

अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी के लिए 24 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक पहले के 25 प्रतिशत की जगह अब औसत मजदूरी देय के 50 प्रतिशत का राहत भुगतान कर दिया गया है।

राहत के बेरोजगारी के 90 दिनों के बाद देय होने की जगह, यह 30 दिनों के बाद भुगतान के लिए देय हो जाएगा।

बीमित व्यक्ति सीधे ईएसआईसी शाखा कार्यालय के पास दावा जमा करा सकता है। भुगतान सीधे बीमित व्यक्ति के बैंक खाते में किया जाएगा।

बीमित व्यक्ति को उसकी बेरोजगारी से पूर्व कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए बीमा योग्य रोजगार होना चाहिए। (यानि की लाभार्थी को पिछले 2 साल से ESIC से जुड़ा होना चाहिए। )

लाभार्थी का बेरोजगारी से ठीक पहले की योगदान अवधि में 78 दिनों से कम का योगदान नहीं होना चाहिए।

एवं बेरोजगारी से 02 वर्ष पहले की शेष तीन योगदान अवधियों में से, एक में न्यूनतम 78 दिनों का योगदान होना चाहिए।

*अटल बीमित कल्याण योजना के तहत 50% वेतन के लिए आप पात्रता रखते है तो इस तरह से आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।*

कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति

📌 *_कांग्रेस क्यो जला रही सरकारी संपत्ति,करे कोर्ट में अपील हो अगर कोई आपत्ति,किसान का फायदा देखने की नही है चाहत, तो मिट जाएगी विपक्ष की संतति_*

केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लाए गए कृषि बिल (Farm Bill) के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. कृषि बिल के खिलाफ पंजाब में किसान समिति ने 3 दिवसीय रेल रोको अभियान की शुरुआत कर दी है. इस दौरान पंजाब आने-जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है. 

*यदि किसानों के लागत मूल्यों के कानून का बिल किसान विरोधी है तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों नहीं कर रहा है*

 माइक तोड़ने, बिल फाड़ने, झुंठा विरोध करने से किसानों के लागत मूल्य मिल जाएंगे? कभी नहीं ? यदि सरकार गलत कर रही है तो विपक्ष याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाता है क्या विपक्ष के पास बकीलों की कमी है ? जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो ? किसानों को उनके हक और लागत मूल्यों का सच्चा न्याय मिले । *कुछ तो दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है* यदि विपक्ष किसानों को वास्तविकता में लागत मूल्य दिलाना चाहता है तो विपक्ष को एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देनी चाहिए थी जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने का सच सामने आएगा ? सुप्रीम कोर्ट न्याय देने के लिए बनाया है  विस्तार से व्याख्या करेगा, किसानों का भ्रम दूर हो जाएगा कोन सही है कोंन गलत है माइक तोड़ने, सड़क और संसद में झुंठ बोलने से किसानों को मूल्य नहीं मिलने वाले हैं देश में हर वस्तु मंहगी है लेकिन पार्टियों और सरकारों को विपक्ष में बैठने के बाद किसानों की फसलों के मूल्य मंहगे खासकर आलू, प्याज और टमाटर मंहगे दिखाई देते हैं शराब और ड्रग्स बहुत मंहगे होते जा रहे है गरीब और अमीर दोनों बिना सरकारी सहायता के पी रहे हैं केबल किसानों के आटा और दाल मंहगे दिखाई देते हैं विपक्ष और सरकारों ने ड्रग्स और शराब को कभी मुद्दा नहीं बनाया क्योंकि उनसे मोटा कमीसन और वोट बैंक मिलता है *जबकि विपक्ष और सरकार मंडियों के कमीसन खोरो को इधर उधर करके नूरा कुस्ती करते दिखाई देते हैं लेकिन किसानों को फसल पर लागत मूल्य देने से परहेज़ करते हैं पहले किसानों की फसलों को विपक्ष और सरकार को सड़कों पर फिकबाना छोड़कर मिलकर गावों, शहरों, मंडियों देश या विदेश में बिकबाना चाहिए  फिर राजनीति करनी चाहिए ?* 
यदि किसानों के लिए कानून गलत है और सरकार विपक्ष की नहीं सुन रही है तो विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एनआरसी के विरोध के समय विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया, और भी अनेक उदाहरण हैं एक बार किसानों के हक के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर देखो, जिससे किसानों को पता चले किसानों की सच्ची लड़ाई कोन लड़ रहा है ? किसानों को बेवकूफ बनाते बनाते ७० साल गुजार दिए लेकिन उनका हक देने में और दिलाने में सभी बोट बैंक खोजते हैं और धोखा देते हैं किसानों के लागत मूल्यों में अभी तक कोई भी पार्टी या नेता दूध का धुला हुआ नहीं निकला है जिसे किसान नेता चौधरी चरण सिंह और सर छोटूराम कहा जा सके !!! मोदी ने कुछ तो किया है पूरा नहीं तो आधा ? *अभी तक किसानों को लागत मूल्यों में किसानों को सिर्फ धोखा मिला है उनका वास्तविक हक नहीं ।।

*Farm Bill 2020: फसल बुवाई के समय मिलेगी उपज के दाम की गारंटी, कॉन्ट्रेक्ट तोड़ने पर भी नहीं होगी कोई कार्रवाई*

कृषि के 3 बिलों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि इन बिल को लेकर राजनीति की जा रही है. विपक्षी दल कृषि बिल को लेकर किसानों को आधारहीन बातों पर गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि कृषि बिल आने से न कृषि उपज मंडियां (APMC) खत्म होने वाली हैं और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त होगी.

 मौजूदा व्यवस्था में किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए वाध्य होना पड़ता था. इसके साथ ही मंडी में बैठे कुछ 25 से 30 आढ़तिया बोली लगाते थे और किसान की उपज के दाम  तय करते थे. इसके अलावा किसानों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए किसान को मजबूर होकर मंडी में उपज बेचनी पड़ती थी. मगर अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकता हैं. इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज का भाव भी मर्जी हिसाब से मिलेगा. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने MSP को लेकर कहा है कि कभी भी MSP किसी कानून का हिस्सा नहीं रहा है. यह पहले भी प्रशासनिक फैसला होता था और आज भी प्रशासनिक फैसला है.

*फसल के दाम की गारंटी*

कृषि बिल से किसान को उनकी फसल के दाम की गारंटी बुवाई के समय मिल जाएगी. इसके लिए किसान और के बीच कॉन्ट्रेक्ट होगा, जिसमें केवल कृषि उत्पाद की खरीद फरोख्त होगी. बता दें कि इसमें जमीन से खरीदार का कोई लेना-देना नहीं होता है. अगर किसान कांट्रेक्ट तोड़ते हैं, तो उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. खास बात है कि खरीदार कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ सकता है. 

*APMC*
पहले की तरह ही कृषि उपज मंडियां काम करती रहेंगी, क्योंकि वे राज्य सरकार के अधीन होती हैं. सरकार ने केवल किसान की कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचने की वाध्यता खत्म की है. किसान चाहे, तो अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में बेच सकते हैं. अगर उनको उपज का दाम बाहर अच्छा मिल रहा है, तो वह  उपज बाहर बेच सकते हैं. बता दें कि किसानों को उपज मंडियों में बेचने पर टैक्स भी देना पड़ता था, लेकिन उपज बाहर बेचने पर किसी भी तरह की टैक्स नहीं देना होगा

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*एडवोकेट प्रताप सिंह सुवाणा*
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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है

बेवजह घर से निकलने की जरूरत क्या है 
मौत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है

सब को मालूम है बाहर की हवा कातिल है 
यूंही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है

ज़िन्दगी एक वरदान है उसे संभाल के रखो
कब्रगाहों को सजाने की जरूरत क्या है

दिल बहलाने के लिए घर में वजह काफी है
यूंही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है

किसी राजनेता को किसानों के लिए कोई संवेदना या जिम्मेदारी नहीं है लेकिन किसान सबकी राजनीति का हिस्सा जरूर हैं ।

भारत में किसान हर मौसम में जी तोड़ मेहनत करके हर तरह की खाने पीने की वस्तुएं पैदा करके हम आम लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं लेकिन आजकल परिस्थितियां कुछ ऐसी हो गयी हैं कि सबसे ज्यादा तकलीफ किसानों के जीवन में ही नज़र आती हैं । 
पूरी साल मेहनत करके भी वो लोग ना तो अपने दम पर बिना कर्ज लिए अपने परिवार की जरूरतें ही पूरा कर पाते हैं और ना ही लिये हुए कर्ज को उतार पाते हैं और ये दोनों ही तकलीफें हर साल हजारों किसानों की जान ले लेती हैं । 
और सालों साल तमाम नई नई सरकारी नीतियों , वादों और योजनाओं के बाद भी किसान की स्थिति जस की तस बनी हुई है बल्कि और ज्यादा तकलीफदेय होती जा रही है और ऐसा महसूस भी नहीं होता कि किसी राजनेता को किसानों के लिए कोई संवेदना या जिम्मेदारी है लेकिन किसान सबकी राजनीति का हिस्सा जरूर हैं । 
 तो ये तो तय है कि अभी तो किसानों को अपनी समस्याओं के हल खुद ही करने होंगे लेकिन अगर हम आम लोग अपनी क्षमता से किसानों का सहयोग कर दें तो भारत के सभी किसानों और गांवो को बहुत जल्दी खुशहाल बनाया जा सकता है । तो यहाँ बहुत संक्षिप्त में कुछ ऐसे काम बताए  जा रहे हैं जिन्हें जो भी किसान भाई करेगा वो खुशहाल होना शुरू हो जाएगा और अगर देश के सभी किसान भाइयों ने ये काम करना शुरू कर दिया तो भारत का हर गाँव और पूरा भारत देश ही खुशहाल और मजबूत हो जाएगा -- 
(1) अपने गाँव में जो भी जितनी भी जमीन खाली पड़ी हो उस पर पीपल , बरगद , नीम या अशोक के पेड़ लगाते रहें क्योंकि इससे एक तो प्रदूषण खत्म होकर पर्यावरण शुद्ध होगा , दूसरा गाँव में रोगियों की संख्या कम होती जाएगी , तीसरा पर्यावरण शुद्ध होने से फसल अच्छी होने लगेंगी । इसके साथ ही गाँव की बंजर जमीन पर खसखस और निम्बूघास के पौधे लगाएं क्योंकि ये दोनों ही बंजर जमीन को उपजाऊ बनाते हैं । 
(2) खेती में केमिकल वाले खाद और कीटनाशक का प्रयोग करना  बिल्कुल बन्द करें , क्योंकि एक तो इनकी वजह से जमीन बंजर होती जा रही है और दूसरा इनकी कीमतें हर साल बढ़ती जा रही हैं , तीसरा मिट्टी के बंजर होते जाने के कारण इनकी खपत बढ़ने से खर्चा बढ़ रहा है , चौथा खाद लेने के लिए हर बार खाद गोदामों पर धक्के खाने पड़ते हैं। जो विनाश ला रही है
(3) खेती में जैविक खाद और कीटनाशक का उपयोग  करना शुरू करें(  वैसे किटनाशको की भी कोई जरूर नही )क्योंकि तमाम कृषि वैज्ञानिकों के शोधों में यह बात सिद्ध हुई है कि जानवरों के गोबर और मूत्र से बने खाद में मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले पदार्थ बहुतायत में होते हैं और जानवरों में भी देशी गाय के गोबर और गौमूत्र से बना खाद तथा गाय के गौमूत्र से बना कीटनाशक खेती और किसानों के लिए वरदान है । लेकिन बस सही प्रक्रिया से बनाया गया हो । 
(4) गांव में जहां भी नल लगे हों उनके पास सोखता गड्ढे जरूर बनाएं , क्योंकि ये अपने आप ही water level को बढ़ाते रहते हैं ।
(5) CSIR प्रयोगशाला नागपुर , FICCI प्रयोगशाला नई दिल्ली , SIGMA प्रयोगशाला , ITRI प्रयोगशाला लंदन तथा रूसी वैज्ञानिक शिरोविच आदि ने अपने शोधों में इस बात को सिद्ध किया है कि अगर कुछ तय पदार्थ एक निश्चित मात्रा में गाय के घी के साथ अग्नि में हवन किये जायें तो उससे ऐसे गैसीय रसायन पैदा होते हैं जो जल , वायु और मिट्टी के प्रदूषण को खत्म कर इन्हें शुद्ध करते हैं , तो किसानों के लिए तो यज्ञ वरदान है । इसीलिए अगर हर गाँव में हर घर में हर किसान परिवार द्वारा अगर हर रोज यज्ञ ना हो पाए तो सप्ताह में एक बार सबको एक जगह एक साथ बैठकर बड़ा यज्ञ कर लेना चाहिए । इससे पर्यावरण शुद्ध होगा , फसल भी अच्छी होंगी , रोग कम होंगे और आपसी मेलजोल भी बढ़ेगा । 
(6) अपने पूरे गाँव को एक परिवार मानते हुए , गांव के हर व्यक्ति को परिवार का सदस्य मानते हुए बिना जातपात देखे सबके साथ मिलजुलकर रहें । क्योंकि दुख तकलीफ आने पर आपके गाँव वाले ही आपके साथ खड़े होंगे । इसलिए  जातिवाद , ऊंचनीच और छुआछूत के जहर को हर गाँव से खत्म करें और सबके साथ अच्छा व्यवहार रखें । साफ सुधरे रहें , गांव को साफ सुथरा रखें , सबके साथ मित्रता रखें , अपने बच्चों को गांव के किसी भी बच्चे के साथ खेलने से ना रोकें । 
७ चेकडेम न हो तो जरूर बनाये ये खेत की जान है
अगर बस इतना कर लिया जाए तो हर गाँव और हर किसान परिवार और शायद पूरा भारत देश ही बहुत जल्द खुशहाल हो जाएंगे ।

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