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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे खुद मोदी जी ने बताए


IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे 
Himalayan Berry Benefits in Hindi


हिमालयन बेरी जूस के फायदे खुद मोदी जी ने बताए





रामायण काल में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी बेहोश हुए तो हनुमान जी जिस "संजीवनी बूटी" को लाने हिमालय पर्वत पर गये थे वो दरअसल हिमालयन बेरी ही है जो की लेह-लद्दाख में पायी जाती है।

Himalayan Berry को अंग्रेजी में Sea Buckthorn कहा जाता है। यह एक प्रकार की औषधि है जिसके बारे में यह माना गया है की यह धरती पर लगभग 30 अरब वर्षों से मौजूद है।

खट्टे स्वाद वाला यह रसीला फल खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है इसके साथ ही इसके फल, फूल, पत्तियां और बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।

सी बकथोर्न (हिमालयन बेरी) में 428 प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं और इसीलिए इसे "पोषण तत्वों का खजाना" कहा गया है।



हिमालयन बेरी में क्या-क्या पाया जाता है?
इसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे:
  • विटामिन - सी
  • विटामिन - ए
  • विटामिन - इ
  • फोलिक एसिड
  • ओमेगा 3,6 और 9
  • 18 प्रकार के एमिनो एसिड
  • 24 प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं   
हिमालयन बेरी में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन पाया जाता है इसलिए लेह-लद्दाख और सिन्धु नदी के आसापास के लोग ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

IMC Himalayan Berry Juice के बारे में

आप IMC company के बारे में जानते ही होंगे, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित कंपनी है जो की organic products बनाती और हर्बल के क्षेत्र में इसका बहुत बड़ा नाम है।

IMC company के products बहुत ही असरदार होते हैं। यह कंपनी स्वाथ्य और रोजगार के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम कर रही है।

यदि आप हिमालयन बेरी जूस का उपयोग करना चाहते हैं तो आप आईएमसी की हिमालयन बेरी जूस का ही उपयोग करें।

IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे | Himalayan Berry Benefits in Hindi 

  1. यह हर उम्र के लोगों के लिए लाभप्रद है।
  2. यह एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट, एंटीएजिंग और एंटी डिसीस है।
  3. इसमें एंटी-कैंसर के गुण भी पाए जाते हैं।
  4. यह हार्ट-अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।
  5. सर्दी-जुकाम और श्वास रोगों को ठीक करता है।
  6. त्वचा के रोगों के लिए बेहद लाभकारी है।
  7. कील-मुहासे, एक्जिमा, शुष्क त्वचा को ठीक करता है।
  8. त्वचा को निखारता है।
  9. यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
  10. संसार के जितने भी विटामिन -सी वाले फल हैं उनके मुकाबले हिमालयन बेरी में 4 से 100 गुना अधिक विटामिन -सी पाया जाता है।
  11. यह रक्तचाप को सुधारने का काम करता है।
  12. गैस्ट्रिक और पेट की समस्याओं को ठीक करता है।
  13. यह शरीर के बुरे कोलेस्ट्रोल (bad cholesterol) को खत्म करता है।
  14. यह ब्लड-शुगर और उच्च-रक्तचाप को नियंत्रित करने का अच्छा स्त्रोत है।
  15. इसका उपयोग गठिया के रोगों के लिए भी होता है।
  16. संक्रामक बीमारियों से त्वचा में पड़े चकतों को भी ठीक करता है।
  17. अल्सर में फायदेमंद है।
  18. अस्थमा, छाती दर्द में लाभकारी है। 
  19. शरीर के फ्री रेडिकल्स को बेअसर करता है।
  20. रोगाणुओं और विषाणुओं को मारता है।
  21. घावों के संक्रमण को रोकता है।
  22. एंटी-इन्फ्लेमेटेरी गुणों की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द ठीक करता है।
  23. बुढापे की प्रक्रिया को कम करता है।
  24. कई लोग इसे सन स्क्रीन की तरह उपयोग करते हैं।
  25. मानसिक और यौन कमजोरी को भी दूर करता है।
  26. वजन कम करने में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है।
  27. इसमें कैरोटीनॉइड नाम का महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है जो की नजर को सुरक्षित रखने में लाभकारी है।

IMC Himalayan Berry का उपयोग कैसे करें?

हिमालयन बेरी जूस का dose कितना होना चाहिए? आप इसे दिन में दो बार ले सकते हैं। 10ml जूस को 250ml पानी में मिलाकर एक बार सुबह और एक बार रात को खाने से पहले लेवें।


नोट: इन जानकारियां कंपनी के द्वारा जारी किताबों और ट्रेनिंग videos आदि से ली गयी हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर ले लेवे।

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15 अगस्त को 2 बजे लॉंच हो रही है ओला ई-स्कूटर

ओला ई-स्कूटर
दुनिया की सबसे बड़ी ई-स्कूटर मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी।
प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन (1 करोड़) स्कूटर प्रोडक्शन।
जो विश्व का 15% अकेले कवर करेगा।
सबसे बड़े कैम्पस में से एक। 500 एकड़ कैम्पस।
इस प्लांट में 10,000 वर्कर्स के साथ काम करने लिए 3,000 से ज्यादा रोबोट भी इस्तेमाल किए जाएंगे। ओला फैक्ट्री की छत को सोलर पैनलों से ढंका जाएगा, जिससे कंपनी को अपनी खुद की बिजली का उत्पादन करने में मदद मिलेगी।
कंपनी के फाउंडर और सीईओ है भाविश अग्रवाल।
इस ई-स्कूटर का अब तक का सबसे बड़ा क्रेज देखा गया इंडियन मार्केट में।
प्रीबुकिंग ओपन होते ही 24 घण्टे के अंदर ही 1 लाख से ज्यादा बुक हो गए जो कि वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम हो गया।

इसके पीछे क्रेज होने का कारण है इसके फीचर्स ...!
पहला कि इसमें 'हाइपर-चार्जर' है जो कि सबसे फास्टेस्ट चार्जिंग नेटवर्क है।
दूसरा ये कि ये सिंगल चार्ज में 150 किलोमीटर दौड़ेगा।
तीसरा ये कि केवल 18 मिनट के चार्जिंग में ये 50% चार्ज हो जाएगा। मतलब कि मात्र 18 मिनट चार्ज करिये और 75 किलोमीटर तक दौड़िये।
चौथा ये कि इसकी स्पीड। अभी रिवॉल्ट ई-बाइक का क्रेज है गुजरात में जिसकी मैग्जिम्म स्पीड 85 KMPH है.. वहीं इस स्कूटर की स्पीड 100 KMPH है। दैट्स रियली अमेजिंग। इतना तो नॉर्मल पेट्रोल वाले बाइक/स्कूटर में भी मुश्किल हो जाता है। मतलब 60-70 तक की स्पीड में प्रॉब्लम न होनी है इसमें।
पाँचवा ये कि इसमें रिवर्स सिस्टम है। मने फोरव्हीलर जैसा। मतलब आपके पीछे खींचना नहीं है स्कूटर बस बटन प्रेस करना है।
छठा ये कि ये मोबाइल से कनेक्ट होता है।
सातवाँ ये कि इसकी बैटरी स्वैपेबल है। मतलब बैटरी उसमें से निकाल के कहीं बाहर चार्ज कर सकते हैं।

और इस प्रकार कई और फीचर्स हैं.. फिलहाल जो ऊपर है वो एक आम इंडियन चाहता है! बेहतर चार्जिंग स्पीड, लांग डिस्टेंस और स्पीड।
जो इसमें पूरा कम्बाइंड है।
कीमत सवा लाख के आस पास रहनी है... जिसमें कि मोदी बाबा के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत मने पेट्रोल पे निर्भरता खत्म करने की परियोजना के अंतर्गत सब्सिडी मिलनी है जो 50 हजार तक हो सकती है। मने आपको ये स्कूटर 70-75 हजार में आ जानी है।
और का चाहिए ??
पयोरली मेड इन इंडिया है। मालिक भी इंडियन है।
और गल्फ कंट्रीज की बजानी भी है तो बढ़िया विकल्प है ☺️  
और लॉंच 15 अगस्त को हो रही है 2 बजे तो इसमें शायद कुछ बरनोल मोमेंट्स हो सकते हैं। 😎

 बाकी लाख रुपये की पेट्रोल बाइक खरीद कर वो भी मैग्जिम्म दहेज में और पेट्रोल के लिए मोदिया को दहंजने से अच्छा है कि पर्यावरण को बचाते हुए हवा से बात करो बिंदास।
वैसे भी बिजली तो सरकार फिरिये करवा देगी 😎

मंगलवार, 10 अगस्त 2021

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है ।।



वह क्षत्रिय जिनकी 18 साल से ऊपर की नस्ल ही एक समय जिंदा रहनी बन्द हो गयी ।। देश के लिए इतने सिर कटाएँ । कहावते तक बन गयी ..

" बारह बरस कुकुर जियें, तेरह लो जियें सियार

बरस अठारह क्षत्रिय जीवें, ज़्यादा जीवें तो धिक्कार "

अर्थात देश के लिए सिर कटाने को जो अपनी शान समझते हो, उस जाति का अपमान करना, क्या वेदों और मानवता का अपमान करना नही है ??

काशी में जब सल्तनत काल शुरू हो गया था । तो ब्राह्मणो में अपने घर मे ही गुरुकुल खोल लिए थे । चोरी छुपे बच्चो को पढ़ाया करते थे । वेदों जो जब जलाया गया, तो ब्राह्मणो ने वेदों को कण्ठस्थ कर लिया ।।
एक बार तो घर मे गुरुकुल जलाने के आरोप में एक ब्राह्मण को दिल्ली के सुल्तान ने उनकी लकड़ी की मूर्ति के साथ ही जलाकर मार डाला । ब्राह्मण के सामने शर्त रखी गयी, की इस्लाम स्वीकार कर, या इस्लाम की पशुता में जलने को तैयार हो जा । ब्राह्मण ने कहा, भस्म होना स्वीकार है, मेरी राख भी मुस्लमान नही हो सकती । ऐसे धर्मभक्त जाति का अपमान करना, वेदों तथा मानवता का अपमान करना नही है ??
ब्राह्मणो के कारण ही आज वेद सुरक्षित है ।

वैश्यों ओर राजाओ की अनबन किस बात पर होती थी, क्या आप जानते है ..??
मंदिर बनाने को लेकर, दान करने को लेकर,
राजा कहता था, मंदिर का खर्च मेरा,
सेठ राजा से नाराज होता था, की आप राजा है तो क्या अपनी मनमर्जी करेंगे ?
इस मंदिर में तो धन वैश्यों का लगेगा,
यही बात दान दक्षिणा के समय लागू होती थी ।।

यह एक शतरंज के खेल की तरह था, जिसमे कभी राजा जीतता, तो कभी बनिया ।
बणियो की बनाई लाखो धर्मशालायें करोड़ो हिंदुओ को सुख दे रही है ??

क्या ऐसे धर्मभक्तो का अपमान करना, राष्ट्र वेद मानवता का अपमान करना नही है ??

आज हम जितने भी प्राचीन मंदिर आदि देखते है, यह किसने बनवाये ?

कौन था इंजीनियर ?

अगर वह इंजीनियर/ मजदूर/कारीगर देश से प्यार नही करता,

तो क्या इतने सुंदर मंदिर बन पाते,

इन्ही मंदिरो , कलाकृतियों के कारण ही तो हम सीना चौड़ा करके घूमते है । याद रहे, शुद्र सनातन धर्म की नींव है, अगर नींव ढह गई, तो कुछ शेष नही बचेगा । शुद्र रक्षा ही सनातन धर्म की रक्षा है ।।

ऐसे शूद्रों का अपमान करना, क्या वेदों का अपमान करना नही ह

मृत्यु के चौदह प्रकार

श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने मृत्यु को मरण ही नहीं माना अपितु जीवित व्यक्ति में जीवन रहते हुए भी वह तब मृत हो जाता है जब उसके अन्दर यह भाव उत्पन्न हो जाता है जिस भाव, स्वभाव का वर्णन अंगद के द्वारा रावण को समझाया जाता है। जय हो रामचरित मानस की। जय हो सनातन धर्म की।। जय हो मर्यादा पुरुषोत्तम राम की।। जय रामलला हनुमान की*

*राम और रावण का युद्ध चल रहा था, तब अंगद रावण को बोले- तू तो मरा हुआ है, तुझे मारने से क्या फायदा?*

*रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?*

अंगद बोले सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते- साँस तो लुहार का भाता भी लेता है.तब अंगद ने 14 प्रकार की मृत्यु बतलाई.

अंगद द्वारा रावण को बतलाई गई, ये बातें आज के दौर में भी लागू होती है

यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है !

लंका काण्ड में यह प्रसंग अत्यंत सारगर्भक और शिक्षणीय :

कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा !

अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा !!

सदारोगबस संतत क्रोधी !

विष्णु विमूख श्रुति संत विरोधी !

तनुपोषक निंदक अघखानी !

जिवत शव सम चौदह प्रानी !!

1) कामवश:-जो व्यक्ति अत्यन्त भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है; जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है; वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है !!

2) वाम मार्गी:-जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है; ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं !!

3) कंजूस:-अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृत समान ही है !!

4) अति दरिद्र:-गरीबी सबसे बड़ा श्राप है; जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वो भी मृत ही है; अत्यन्त दरिद्र भी मरा हुआ है, दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है, गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए !!

5) विमूढ़:-अत्यन्त मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जिसके पास विवेक, बुद्धि नहीं हो, जो खुद निर्णय ना ले सके यानि हर काम को समझने या निर्णय को लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृत के समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को समझता नहीं है !!

6) अजसि:-जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है; जो घर, परिवार, कुटुंब, समाज, नगर या राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता है, वह व्यक्ति मृत समान ही होता है !!

7) सदा रोगवश:-जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है; स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है, नकारात्मकता हावी हो जाती है, व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है, जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है !!

8) अति बूढ़ा:-अत्यन्त वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है; शरीर और बुद्धि, दोनों असक्षम हो जाते हैं, ऐसे में कई बार स्वयं वह और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके !

9) सतत क्रोधी:-24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृत समान ही है; हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना, ऐसे लोगों का काम होता है, क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं, जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है; पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है, क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरक गामी होता है !!*

10) अघ खानी:-जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है; उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं, हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए, पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है !!

11) तनु पोषक:-ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना ना हो, तो ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है; जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकि किसी अन्य को मिले ना मिले, वे मृत समान होते हैं, ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं; शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है !!

12) निंदक:-अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नज़र आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी ना किसी की बुराई ही करें, वह इंसान मृत समान होता है, परनिंदा करने से नीच गोत्र का बन्ध होता है !!

13) परमात्म विमुख:-जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है; जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता है, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है !!

14) श्रुति, संत विरोधी:-जो संत, ग्रंथ, पुराण का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है; श्रुत और सन्त ब्रेक का काम करते हैं, अगर गाड़ी में ब्रेक ना हो तो वह कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है; वैसे ही समाज को सन्त के जैसे ब्रेक की जरूरत है नहीं तो समाज में अनाचार फैलेगा !

।। 🌹🌹जै श्री राधे राधे जी ।

गोबर गणेश मुहावरे का मतलब

ऐसा प्रतीत होता है सनातन धर्म को अधिकाधिक जानने की आवश्यकता है क्योंकि इसी प्रकार ये क्रम चलता रहा तो सभी एकसाथ इस धर्म के विषय मे अनर्गल प्रलाप करते रहेंगे, सहिष्णु होने का अर्थ सभी कुछ सहन करना नही है ,

आपको इस मुहावरे को नकारत्मक अर्थ अधिक प्रिय लगता है क्योंकि इसमें सनातन धर्म का अपमान दॄष्टिगत होता है, परन्तु आज आपको इसका वास्तविक अर्थ ज्ञात होने का समय आ गया है।

  • गोबर गणेश मुहावरे का संदर्भ पुराणों से जुड़ा है,

प्रथम कथा के अनुसार

  • देवों-दानवों में हुए अमृतमंथन के दौरान नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला पांच कामधेनुएं भी निकली थीं। देवों को दानवों के संत्रास से मुक्ति दिलाने के लिए आदिशक्ति दुर्गा ने सुरभि गाय के गोबर से गणेशजी की रचना की। उन्हें शक्तियां प्रदान कर स्वयं का वाहन सिंह प्रदान किया, गोबर से गणेश की रचना एक महान उद्धेश्य के निमित हुई, देवी दुर्गा ने अपनी शक्तियों का संचार कर उसे समर्थ बनाया। गणेशजी ने दानवों का संहार किया और गणनायक या गणपति की उपाधि प्राप्त की।

द्वितीय कथा के अनुसार

  • हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है उसके वर्णन को लिपिबद्ध करना उनके वश का नहीं था। अतः उन्हें एक लेखक की आवश्यकता थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे. क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी. अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की, गणेश जी ने कहा कि मैं महाभारत लिख तो दूंगा। आपको अनवरत कथा बताते रहना होगा, यदि आपकी कथा रुकी तो मेरी लेखनी तो रुकेगी ही साथ ही मैं लेखन का कार्य भी छोड़ दूंगा, आपकी कथा पूर्ण हो या अपूर्ण। व्यासजी ने इसे मान लिया और गणेशजी से अनुरोध किया कि वे भी मात्र अर्थपूर्ण और सत्य बातें, समझ कर लिखें। इसके पीछे उनकी धारणा यह थी कि महाभारत और गीता सनातन धर्म के सबसे प्रामाणिक पाठ के रूप में स्थापित हो  गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, परन्तु उन्हें जल पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर गोबर और मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। ऐसा माना जाता है कि व्यासजी जो भी श्लोक बोलते थे, गणेशजी उसे शीघ्रतापूर्वक लिख लेते थे। अतः व्यासजी ने गणेशजी की गति को मंद करने के लिए सरल श्लोकों के पश्चात एक कठिन श्लोक बोलते थे। महाभारत का लेखन कार्य गणेश चतुर्थी को आरम्भ हुआ और अनन्त चतुर्दशी को सम्पन्न हुआ था। उस दिन गणेश जी के शरीर के तापमान को अल्प करने के लिए और उनके लेप को हटाने के लिए जल अर्पण किया । समीप के एक जलकुंड में उन्हें बैठाया अतः उस दिन से गणेश विसर्जन का आरम्भ माना जाता है।

गोबर गणेश के प्रचलित नकारत्मक अर्थ

  • गोबरगणेश मुहावरे में यह संदर्भ दॄष्टिगत नही हो पाता है परन्तु नकारत्मक अर्थवत्ता पूर्णतया दिख रही है।
  • लौकिक अर्थों में किसी व्यक्ति को गोबरगणेश कहने के पीछे यही आशय है कि वह मूर्ख है और पौराणिक गोबरगणेश की तरह उसमें अलौकिक क्षमता नहीं हैं, वह निरा मिट्टी का माधौ है।
  • कुछ मूर्ख देसी गौ के गोबर में उभरी रेखाओं में नजर आती विभिन्न आकृतियों में भी गणेश का रूपाकार देखते हुए गोबरगणेश को इससे जोड़ते हैं।
  • धन्यवाद

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