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मंगलवार, 10 अगस्त 2021

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है ।।



वह क्षत्रिय जिनकी 18 साल से ऊपर की नस्ल ही एक समय जिंदा रहनी बन्द हो गयी ।। देश के लिए इतने सिर कटाएँ । कहावते तक बन गयी ..

" बारह बरस कुकुर जियें, तेरह लो जियें सियार

बरस अठारह क्षत्रिय जीवें, ज़्यादा जीवें तो धिक्कार "

अर्थात देश के लिए सिर कटाने को जो अपनी शान समझते हो, उस जाति का अपमान करना, क्या वेदों और मानवता का अपमान करना नही है ??

काशी में जब सल्तनत काल शुरू हो गया था । तो ब्राह्मणो में अपने घर मे ही गुरुकुल खोल लिए थे । चोरी छुपे बच्चो को पढ़ाया करते थे । वेदों जो जब जलाया गया, तो ब्राह्मणो ने वेदों को कण्ठस्थ कर लिया ।।
एक बार तो घर मे गुरुकुल जलाने के आरोप में एक ब्राह्मण को दिल्ली के सुल्तान ने उनकी लकड़ी की मूर्ति के साथ ही जलाकर मार डाला । ब्राह्मण के सामने शर्त रखी गयी, की इस्लाम स्वीकार कर, या इस्लाम की पशुता में जलने को तैयार हो जा । ब्राह्मण ने कहा, भस्म होना स्वीकार है, मेरी राख भी मुस्लमान नही हो सकती । ऐसे धर्मभक्त जाति का अपमान करना, वेदों तथा मानवता का अपमान करना नही है ??
ब्राह्मणो के कारण ही आज वेद सुरक्षित है ।

वैश्यों ओर राजाओ की अनबन किस बात पर होती थी, क्या आप जानते है ..??
मंदिर बनाने को लेकर, दान करने को लेकर,
राजा कहता था, मंदिर का खर्च मेरा,
सेठ राजा से नाराज होता था, की आप राजा है तो क्या अपनी मनमर्जी करेंगे ?
इस मंदिर में तो धन वैश्यों का लगेगा,
यही बात दान दक्षिणा के समय लागू होती थी ।।

यह एक शतरंज के खेल की तरह था, जिसमे कभी राजा जीतता, तो कभी बनिया ।
बणियो की बनाई लाखो धर्मशालायें करोड़ो हिंदुओ को सुख दे रही है ??

क्या ऐसे धर्मभक्तो का अपमान करना, राष्ट्र वेद मानवता का अपमान करना नही है ??

आज हम जितने भी प्राचीन मंदिर आदि देखते है, यह किसने बनवाये ?

कौन था इंजीनियर ?

अगर वह इंजीनियर/ मजदूर/कारीगर देश से प्यार नही करता,

तो क्या इतने सुंदर मंदिर बन पाते,

इन्ही मंदिरो , कलाकृतियों के कारण ही तो हम सीना चौड़ा करके घूमते है । याद रहे, शुद्र सनातन धर्म की नींव है, अगर नींव ढह गई, तो कुछ शेष नही बचेगा । शुद्र रक्षा ही सनातन धर्म की रक्षा है ।।

ऐसे शूद्रों का अपमान करना, क्या वेदों का अपमान करना नही ह

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