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शनिवार, 21 अगस्त 2021

मोदी सरकार की एक और सौगात, मासिक पेंशन हुई 10 हजार

मोदी सरकार की एक और सौगात, मासिक पेंशन हुई 10 हजार


60 साल की उम्र तक आते-आते लोग अपनी जमा पूंजी किसी सेफ और सिक्योर स्कीम में लगाकर बेहतर रिटर्न की जुगत में रहते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (Pradhan Mantri Vaya Vandana Yojana) ऐसे बुजुर्गों के लिए रामबाण साबित हो रही है। इस योजना की खास बात ये है कि 60 की उम्र वाला एक मुश्त राशि जमा करता है तो तुरंत पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। 10 साल बाद उसे मूलधन वापस कर दिया जाता है।

ये पेंशन भी आपको 10 साल तक ही लगातार मिलती है। इसमें ब्याज दर एफडी के मुकाबले ज्यादा दिया जाता है जिसकारण से ये योजना काफी पापुलर हो रही है।

इस योजना का लाभ इसलिए भी है कि 10 साल बाद यदि आप पैसा किसी दूसरे मद में लगाना चाहते हैं तो आप स्वतंत्र हैं। इस योजना की अवधि खत्म हो गई थी जिसे सरकार ने बढ़ाकर अब 31 मार्च 2023 तक कर दिया है। यानी 31 मार्च 2023 तक निवेश करने पर इस योजना का लाभ अगले 10 के लिए लिया जा सकता है। इस योजना में मूलधन सेफ रहता है। इस निवेश करने पर इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है। हालांकि मिलने वाला रिटर्न छूट के दायरे से बाहर है। फिलहाल इसमें ब्याज दर 7.4 फीसदी है।

जानिए कैसे मिलेंगे हर माह 10 हजार रुपए:
इस योजना में आप यदि अपनी गढ़ी कमाई से होने वाली सेविंग्स के 15 लाख निवेश करते हैं तो आपको हर माह 10 हजार रुपए पेंशन के रूप में मिलते हैं। वहीं आपका 15 लाख रुपए अकाउंट में सेफ रहता है। यदि पति-पत्नी दोनों ने मिलकर निवेश किया है और निवेश की रकम 30 लाख रुपए है तो पति-पत्नी दोनों का मिलाकर 20 हजार रुपए प्रति माह मिलेंगे। इस पॉलिसी की अवधि 10 साल की है।

ये जानकारी भी बेहद जरूरी:
इस योजना में 10 साल बाद आपको मूलधन वापस मिल जाता है। यदि पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति की मृत्यु इन 10 सालों के भीतर हो जाती है तो मूलधन नॉमिनी के खते में चला जाता है। योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी चाहिए तो फोन नंबर पर 022-67819281 या 022-67819290 पर कॉल कर सकते हैं। एलआईसी ने इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है।
1800-227-717 नंबर पर फोन करके इस योजना से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं। इस योजना पर लोन भी ले सकते हैं: इस पॉलिसी के माध्यम से खरीद मूल्य पर 75% तक का लोन भी प्राप्त किया जा सकता है। यह लोन सुविधा पॉलिसी अवधि के 3 वर्ष पूरा होने के बाद ही प्राप्त की जा सकती है। इस योजना से खरीद मूल्य का 98% तक की किसी इमरजेंसी के लिए निकासी भी की जा सकती है।

औषधीय पौधों की खेती, रोजगार को आसान बनाये जुड़े इन संस्थानों से ,ये दे रहे अवसर

 औषधीय पौधों की खेती, रोजगार को आसान बनाये जुड़े इन संस्थानों से ,ये दे रहे अवसर

कोरोनाकाल में प्रदूषण और कई गंभीर ​बीमारियों से बचने के लिए नैचुरल प्रोडक्ट्स (Natural Products) और मेडिसीन का बाजार लगातार तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही इनमें लगने वाले नैचुरल प्रोडक्ट्स की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. इसमें लागत तो कम है ही और लंबे समय तक कमाई भी सुनिश्चित होती है.
मेडिसिनल प्‍लांट (Medicinal Plant) की खेती के लिए न तो लंबे-चौड़े फार्म की जरूरत है और न ही इन्‍वेस्‍टमेंट की. इस फार्मिंग के लिए अपने खेत बोने की भी जरूरत नहीं है. इसे आप कॉन्ट्रैक्ट पर भी ले सकते हैं. आजकल कई कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर औषधियों की खेती करा रही है. इनकी खेती शुरू करने के लिए आपको कुछ हजार रुपए ही खर्च करने की जरूरत है, लेकिन कमाई लाखों में होती है.

ये कंपनियां करा रही हैं कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग
तुलसी की खेती भी पतंजलि, डाबर, वैद्यनाथ आदि आयुर्वेद दवाएं बनाने वाली कंपनियां कांट्रेक्‍ट फार्मिंग करा रही हैं. जो फसल को अपने माध्‍यम से ही खरीदती हैं. तुलसी के बीज और तेल का बड़ा बाजार है. हर दिन नए रेट पर तेल और तुलसी बीज बेचे जाते हैं.

जरूरी है ट्रेनिंग
मेडिसिनल प्‍लांट की खेती के लिए जरूरी है कि आपके पास अच्‍छी ट्रेनिंग हो जिससे कि आप भविष्‍य में धोखा न खाएं. लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्‍लांट (सीमैप) इन पौधों की खेती के लिए ट्रेनिंग देता है.

सीमैप के माध्‍यम से ही दवा कंपनियां आपसे कांट्रेक्‍ट साइन भी करती हैं, इससे आपको इधर-उधर नहीं जाना पड़ेगा.
कुछ पौधों को छोटे-छोटे गमलों में उगाए जा सकते हैं

ज्‍यादातर हर्बल प्‍लांट (Herbal Plants) जैसे तुलसी, आर्टीमीसिया एन्‍नुआ, मुलैठी, एलोवेरा आदि बहुत कम समय में तैयार हो जाते हैं. इनमें से कुछ पौधों को छोटे-छोटे गमलों में भी उगाए जा सकते हैं.

इनकी खेती शुरू करने के लिए आपको कुछ हजार रुपए ही खर्च करने की जरूरत है, लेकिन कमाई लाखों में होती है. इन दिनों कई ऐसी दवा कंपनियां देश में है जो फसल खरीदने तक का कांट्रेक्‍ट करती हैं, जिससे कमाई सुनिश्चित हो जाती है.

3 लाख की होगी कमाई
आमतौर पर तुलसी को धार्मिक मामलों से जोड़कर देखा जाता है लेकिन, मेडिसिनल गुण वाली तुलसी की खेती से कमाई की जा सकती है. तुलसी के कई प्रकार होते हैं, जिनसे यूजीनोल और मिथाईल सिनामेट होता है. इनके इस्‍तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं बनाई जाती हैं. 1 हेक्‍टेयर पर तुलसी उगाने में केवल 15 हजार रुपए खर्च होते हैं लेकिन, 3 महीने बाद ही यह फसल लगभग 3 लाख रुपए तक बिक जाती है.

अब ऋण लेने हुआ आसान, कम ब्याज त्वरित कार्यवाही से 5 लाख तक के ऋण प्रदान कर रहे ये बैंक


 अब ऋण लेने हुआ आसान, कम ब्याज त्वरित कार्यवाही से 5 लाख तक के ऋण प्रदान कर रहे ये बैंक

 कोरोना महामारी के बीच कई सरकारी के बैंकों ने घोषणा की थी कि वे 5 लाख रुपये तक के कोलैटरल फ्री पर्सनल लोन (Personal Loans) प्रदान करेंगे. यह लोगों को कोविड-19 से संबंधित इलाज के लिए मेडिकल खर्चों में मदद करने के लिए पेश किया गया था. यह मई की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा घोषित कोविड -19 राहत उपायों (Covid-19 Relief Measures) का भी हिस्सा था. इस लोन योजना के तहत 25 हजार से 5 लाख रुपये की पेशकश की जा रही है. लोन को चुकाने की अवधि पांच साल है और बैंक इसके लिए कोई
प्रोसेसिंग फीस नहीं लेंगे.
तीन से छह महीने का लोन मोराटोरियम
अलग-अलग बैंकों में तीन से छह महीने का लोन मोराटोरियम भी है.

लोन एक रियायती दर पर आता है जो वेतनभोगी, गैर-वेतनभोगी व्यक्तियों और यहां तक ​​कि पेंशनभोगियों के लिए 6.85 फीसदी से शुरू होता है. यह लोन कोलैटरल फ्री है यानी कि बिना किसी गवाह या सिक्योरिटी के लोन दिया जाएगा. इसका उपयोग स्वयं या परिवार के सदस्यों के लिए किया जा सकता है.

किसे मिलेगा यह लोन
इस लोन का फायदा उठाने के लिए कुछ शर्तें भी हैं. बैंक को आपकी कोविड -19 स्टेट्स के प्रमाण की आवश्यकता होगी जो बताए कि आपका टेस्ट पॉजिटिव हुआ है. आपको पैसे के उपयोग के लिए एक अंडरटेकिंग भी देना होगा कि यह वास्तव में कोविड-19 इलाज के लिए है. बैंक के वे ग्राहक इसका लाभ उठा सकते हैं जिन्होंने पिछले 12 महीनों से वेतन प्राप्त किया है. बैंक से रिटेल लोन लेने वाले भी इस लोन के लिए योग्य हो सकते हैं. गैर-वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए नियमित रूप से दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न के साथ बैंक के साथ एक सेविंग या करंट अकाउंट बनाए रखना होगा.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
स्टेट बैंक की लोन स्कीम के तहत 25 हजार से 5 लाख रुपये तक का लोन मिलेगा. लोन पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज लगेगा. लोन को चुकाने की अवधि 5 साल है.

पंजाब नेशनल बैंक
पंजाब नेशनल बैंक 'PNB Sahyog RIN COVID' के ब्रांड बैनर के तहत कोविड-19 के इलाज के लिए लोन प्रदान करता है. यह लोन केवल बैंक के साथ वेतनभोगी व्यक्तियों को पेश किया जाता है, जिन्हें पिछले 12 महीनों से वेतन मिल रहा हो. लोन पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज लगेगा. अधिकतम छह महीने के वेतन के औसत से छह गुना लोन मिल सकेगा. हलांकि यह 3 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगी.

बैंक ऑफ बड़ौदा
जिन लोगों ने पहले बैंक से लोन लिया है वे इस लोन के लिए आवेदन करने के पात्र हैं. ऐसे ग्राहक जो कम से कम छह महीने से बैंक के साथ रिलेशनशिप हैं या पिछले 3 महीनों से नियमित इंस्टॉलमेंट दे रहे हों, वे भी पात्र हैं.

बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ इंडिया भी केवल बैंक के मौजूदा ग्राहकों और उन लोगों को लोन प्रदान करता है जिनके पास बैंक के साथ मौजूदा पर्सनल या हाउसिंग लोन हो. लोन पर 6.85 फीसदी की दर से ब्याज लगेगा. छह महीने की लोन मोराटोरियम साथ लोन को चुकाने की अवधि 3 साल है.

यूनियन बैंक
बैंक ग्राहकों को 8.5 फीसदी ब्याज दर के साथ अधिकतम पांच साल की अवधि के लिए लोन की पेशकश कर रहा है.

केनरा बैंक
यह बैंक 'Suraksha Personal Loan' के नाम से लोन प्रदान करता है. यह कोविड -19 मेडिकल लोन के समान कार्य करता है. इसके तहत 25 हजार से लेकर अधिकतम 5 लाख रुपये का लोन मुहैया कराया जाएगा. इसमें छह महीने की लोन मोराटोरियम भी है.

आजकल माताये बहने फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है पुरा पढें


 🕉️ स्त्रियों के बाल सुंदरता और सौभाग्य का प्रतीक वही खुले बाल , शोक और अशुद्दि की निशानी

यत्र नार्येषु पूजतः रमन्ते तत्र देवताः

आजकल माताये बहने फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है पुरा पढें
     
रामायण में बताया गया है, जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता सुनयना ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।

बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।

ये सौभाग्य की निशानी है ,  
एकांत में केवळ अपने पति के लिए इन्हें खोलना।

हजारो लाखो वर्ष पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने शोध कर यह अनुभव किया कि सिर के काले बाल को पिरामिड नुमा बनाकर सिर के उपरी ओर या शिखा के उपर रखने से वह सूर्य से निकली किरणो को अवशोषित  करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है। जिससे चेहरे की आभा चमकदार , शरीर सुडौल व बलवान होता है।

यही कारण है कि गुरुनानक देव व अन्य सिक्ख गुरूओ ने बाल रक्षा के असाधारण महत्त्व को समझकर धर्म का एक अंग ही बना लिया। लेकिन वे कभी भी बाल को खोलकर नही रखे ,

ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा। भारतीय आचार्यो ने बाल रक्षा का प्रयोग , साधना काल में ही किया इसलिय आज भी किसी लंबे अनुष्ठान , नवरात्री पर्व , श्रावण मास , तथा श्राद्ध पर्व आदि में नियम पूर्वक बाल रक्षा कर शक्ति अर्जन किया जाता है।

महिलाओं के लिए केश सवांरना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाळ अमंगलकारी कहे गए है। -  कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना और अयोध्या का अमंगल होना।

पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है --- जैसे अशोक वाटिका में सीता

रजस्वला स्त्री , खुले बाल रखती है ,जैसे ---
चीर हरण से पूर्व द्रोपदी , उस वक्त द्रोपदी रजस्वला थी ,जब दुःशासन खींचकर लाया
तब द्रोपदी ने प्रतीज्ञा की थी कि-- मैं अपने बाल तब बाँधुंगी जब दुःसासन के रक्त से धोऊँगी ---

जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है।  अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।

महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।

कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।

कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।।

सौभाग्यवती स्त्री के बालों  को सम्मान की निशानी कही गयी है।
दक्षिण भारतीय की कुछ महिलाएं मनन्त - संकल्प आदि के चलते बाळा जी  में केश मुंडन करवा लेती हैं ।

लेकिन भारत के अन्य क्षेत्रो में ऐसी कोई प्रथा नहीं है । कोई महिला जब विधवा हो जाती हैं तभी उनके बाल छोटे करवा दिए जाते हैं। या जो विधवा महिलाये  अपने पति के अस्थि विसर्जन को तीर्थ जाती है। वे ही बाल मुंडन करवाती है अर्थात विधवा ही मुण्डन करवाती हैं , सौभाग्यवती नहीं।

गरुड पुराण के अनुसार बालों में काम का वास रहता है |  बालों का बार बार स्पर्श करना दोष कारक बताया गया है। क्योकि बालों को अशुध्दी माना गया है इसलिय कोई भी जप अनुष्ठान ,चूड़ाकरण , यज्ञोपवीत, आदि-२ शुभाशुभ कृत्यों में क्षौर कर्म कराया जाता है  तथा शिखाबन्धन कर पश्चात हस्त प्रक्षालन कर शुद्ध किया जाता है।

दैनिक दिनचर्या में भी स्नान पश्चात बालों में तेल लगाने के बाद उसी हाथ से शरीर के किसी भी अंग में तेल न लगाएं हाथों को धो लें।

भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।

 मुण्डन या बाळ कटाने के बाद शुद्ध स्नान आवश्यक बताया गया है। बडे यज्ञ अनुष्ठान आदि में मुंडन तथा हर शुद्धिकर्म में सभी बालो (शिरस्, मुख और कक्ष) के मुण्डन का विधान हैं ।

बालों के द्वारा बहुत सा तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या... ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत बाधा का योग बन जायेगा.।।

वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहते हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा।भारतीय महिलाओ में भी इस फैशन रुपी कुप्रथा का प्रवाह शुरु हो चुका है।

अनेक वैज्ञानिको  जैसे इंग्लैंड के डॉ स्टैनले हैल , अमेरिका के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ गिलार्ड थॉमस आदि ने पश्चिम देश के महिलाओ  की बडी संख्या पर निरीक्षण के आधार पर लिखा कि केवल 4 प्रतिशत महिलाय ही शारीरिक रूप से पत्नी व माँ बनने के योग्य है शेष 96 प्रतिशत स्त्रिया , बाल कटाने के कारण पुरुष भाव को ग्रहण कर लेने के कारण माँ बनने के लिये अयोग्य है  

हिन्दू ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक आविष्कार


 हिन्दू ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक आविष्कार

हिन्दू धर्म कितना पुराना हैं ये तो किसी को भी ज्ञात नहीं पर यह ज़रूर कहा जाता हैं कि सबसे सनातन धर्म हैं और कई सदियों से चले आ रहे इस धर्म को मानने वाले कई ऐसे व्यकित भी हुए जिन्हें हम ऋषि-मुनि कहते हैं ।
आज की ज़ुबान में इन ऋषि-मुनियों को वैज्ञानिक कहा जाता हैं ।

इन ऋषियों के द्वारा पुरातन काल में कई ऐसे अविष्कार हुए जो दुनिया में पहले किसी ने नहीं किये ।

आज हम ऐसे ही हिन्दू ऋषियों द्वारा किये वैज्ञानिक अविष्कार के बारे में बात करेंगे ।

1. ऋषि पतंजलि-

हम सब ने पतंजलि का नाम ज़रूर सुना हैं । बाबा रामदेव द्वारा चलाई जाने वाली एक योग संस्था जो कि हरिद्वार में स्थित हैं । लेकिन ये पतंजलि वह संस्था नही बल्कि ऋषि पतंजलि हैं जिन्होंने ने “योगशास्त्र” लिखा था । आज पुरे विश्व में जिस योग की क्रांति हुई है, वह ऋषि पतंजलि का ही अविष्कार हैं ।

2. आचार्य चरक-

आचार्य चरक के द्वारा ही “चरकसंहिता” लिखी गयी थी । चरक संहिता को “आयुर्वेदग्रन्थ” के नाम से भी जाना जाता हैं ।

3. महर्षि सुश्रुत-

महर्षि सुश्रुत को शल्यचिकित्सा का आविष्कारक माना जाता हैं । शल्य चिकित्सा को सर्जरी भी कहा जाता हैं । महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखे गए “सुश्रुतसंहिता” में उन्होंने करीब 300 तरह की शल्य क्रिया का उल्लेख किया हैं । उनके द्वारा ही सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और उन के उपयोग की विधि महर्षि सुश्रुत द्वारा ही लिखी गयी थी ।

4. आचार्य कणाद-

आचार्य कणाद को “परमाणुशास्त्र” का रचयिता माना जाता हैं । इनके द्वारा ये पता लगाया गया था कि द्रव्य यानि लिक्विड के भी परमाणु होते हैं ।

5. आचार्य विश्वामित्र-

वैसे तो आचार्य विश्वामित्र अपने मेनका प्रसंग के लिय बहुचर्चित हैं पर इनके द्वारा प्रक्षेपात्र यानि मिसाइल का अविष्कार किया गया था । आचार्य विश्वामित्र ने यह विद्या भगवान् शिव से प्राप्त की थी ।

6. आचार्य भारद्वाज-

हवाई जहाज के अविष्कार की बात जब भी हो तो राईट बंधू का नाम लिया जाता हैं । लेकिन विमान निर्माण के पीछे के पूरी खोज आचार्य भारद्वाज द्वारा लिखे गए “विमानशास्त्र” में कई सदी पहले ही कर दी गयी थी ।

7. गर्ग मुनि-

जब ग्रह-नक्षत्रों की बात आती हैं तो हम ज्योतिषियों के पास जाते हैं पर इस पूरी विद्या के पीछे गर्ग मुनि द्वारा लिखे गए नक्क्षत्र विद्या का शास्त्र हैं । जिसे स्वयं गर्ग मुनि ने लिखा था ।

8. भास्कराचार्य-

आप ने “सिद्धांत शिरोमणि” सुना हैं? शायद ही सुना होगा । लेकिन गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत ज़रूर सुना होगा जिसे न्यूटन के सिद्धांत के नाम से ज्यादा जाना जाता हैं । लेकिन “सिद्धांत शिरोमणि” में भास्कराचार्य ने पहले ही इस सिद्धांत की व्याख्या कर दी थी जिसमें कहा गया था कि “आकाश से प्रथ्वी की ओर आने वाली कोई भी वस्तु गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे ही आएगी” इस सिद्धांत को स्वयं आचार्य ने लिखा था ।

9. बौद्ध्यन ऋषि-

बौद्ध्यन ऋषि ने त्रिकोणमिति का सिद्धांत का अविष्कार किया था । जिसे आज पईथागोरस प्रमेय के नाम से ज्यादा जाना जाता हैं ।

10. आचार्य चाणक्य-

चाणक्य को हम सभी अखंड भारत के रचियता के रूप में पहले से जानते हैं लेकिन आज हम जिस ‘अर्थशास्त्र” को पढ़ते हैं उसकी रचना स्वयं आचार्य चाणक्य ने की ।

हम WhatsApp पर बिना किसी का नंबर सेव कर के भी मैसेज कर सकते हैं

 

हम WhatsApp पर बिना किसी का नंबर सेव कर के भी मैसेज कर सकते हैं

हां बिल्कुल कर सकते हैं मैं जो लिंक दे रहा हूं इस लिंक में मेरा मोबाइल नंबर हटाके उसका नंबर डाल दो जिससे चैट करनी है। बिना सेव किए ही ये नंबर तुम्हें उस व्हाट्सएप पर ले जायेगा:

https://wa.me/message/MGAXBXAZ7MHOG1

कैसे पता करें कि मोबाइल सर्विलांस पर लगा है?

आज के युग में सर्विलांस की इतनी नई नई तकनीक आ गई है के पता करना मुश्किल हो जाता है लेकिन फिर भी कुछ सामान्य से लक्षण है जो सर्विलांस को बता देते है।

1 मोबाइल की बैटरी : सर्विलांस करने वाली अप्लिकेशन को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और इस वजह से वो बैटरी भी बहुत प्रयोग करती है। अगर आपको ऐसा लगे के अचानक आपका मोबाइल जल्दी डिस्चार्ज होने लगा है तो समझ जाइए के कोई अप्लिकेशन अपना काम अंजाम दे रही है।

2 मोबाइल डाटा : जैसा की मोबाइल की बैटरी के साथ होता है वैसा ही डाटा के साथ होता है और सर्विलांस वाली एप्लीकेशन डाटा का प्रयोग बहुत ज्यादा करती है इसलिए अपने मोबाइल में डाटा मीटर इंस्टाल करे जो आपकी खपत के बारे में जानकारी देगा।

3 फोन का अजीब व्यवहार करना : जब भी ऐसी कोई अप्लिकेशन चलेगी तो उसकी वजह से बाकी अपलिकेधन को चलने में समस्या होगी इसलिए फोन अजीब तरह से काम करने लगेगा और हल्का हल्का से लेग मिलेगा जिससे समझ जाना चाहिए के कुछ गडबड है।

क्या ब्लूटूथ इयरफ़ोन हमारी जान ले सकते हैं?

जी हाँ|

ब्लूटूथ हेडफोन के कान में फटने से जयपुर के व्यक्ति की मौत: पुलिस

ब्लूटूथ हेडफ़ोन विस्फोट: जयपुर जिले के निवासी राकेश कुमार नागर "अपने ब्लूटूथ हेडफ़ोन डिवाइस का उपयोग कर रहे थे, जबकि इसे एक विद्युत आउटलेट में प्लग किया गया था,"। अस्पताल में उसकी चोटों से मौत हो गई|

चार्ज होने के दौरान उसके कानों में ब्लूटूथ हेडफोन फटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई (प्रतिनिधि)

जयपुर: जयपुर पुलिस ने आज कहा कि एक 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई, जब उसका ब्लूटूथ हेडफोन डिवाइस उसके कानों में विस्फोट हो गया, जब वह अपनी पढ़ाई के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा था, जयपुर पुलिस ने आज कहा।

पुलिस ने बताया कि घटना जयपुर जिले के चोमू कस्बे के उदयपुरिया गांव में शुक्रवार को हुई जब राकेश कुमार नागर अपने आवास पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।

पुलिस ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को बताया, "वह अपने ब्लूटूथ हेडफ़ोन डिवाइस का उपयोग कर रहा था, जबकि इसे बिजली के आउटलेट में प्लग किया गया था।"

अचानक उसके कान में उपकरण फट गया जिससे वह बेहोश हो गया। उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, उन्होंने कहा कि उनके दोनों कानों में गंभीर चोटें आई हैं।

सिद्धिविनायक अस्पताल के डॉक्टर एलएन रुंडला ने कहा कि व्यक्ति को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, डॉ रुंडला ने पुष्टि की।

शनि की कष्टकारी साढ़े साती का अचूक उपाय

शनि की कष्टकारी साढ़े साती का अचूक उपाय क्या है?

जब शनि साढ़ेसाती या ढैय्या शारीरिक मानसिक कष्टदायक हो रही हो तो निम्नवत अचूक उपायो से तत्काल राहत मिलेगी जो कि अपनाने मे अत्यन्त सरल है -


● शनि की शाडेसाती के कष्ट शान्ति हेतु अचूक उपाय शनिवार को शनि के होरा मे पंचामृत( दूध, दही , घी , शहद , मीठा ) मे काले तिल मिलाकर भोलेनाथ को अर्पित करे और उनसे कष्ट मुक्ति की प्रार्थना करे निश्चित लाभ मिलेगा ।

● शनिवार को किसी बूढे व्यक्ति को तली हुई ( तैल युक्त) खाद्य पदार्थ भोजन दान करे शनिदेव की अवश्य कृपा प्राप्त होगी ।

● शनिदेव अत्याधिक कष्टदायी हो रहे हो तो सरसो के तेल मे अपना चेहरा देखकर ( छाया दान) किसी जरूरतमंद को दान करने से शनिदेव की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है सिद्ध प्रयोग है ।

● किसी विकलांग विशेष रूप से ( लंगड़े ) किसी सज्जन को काले रंग के वस्त्र , काला कम्बल, काले रंग के ऊनी कपडे दान शनिवार को करने से शनिदेव अति प्रसन्न होकर दया द्रष्टि प्रदान करते है ।

● शनिवार को किसी गरीब बूढे व्यक्ति को चरण पादुका ( जूता ,चप्पल ) प्रदान करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है ।

● किसी जरूरतमंद को काले उडद , काले तिल, सरसो का तेल, काले फल , काले रंग की वस्तुऐ प्रदान करने से शनि पीड़ा से तत्काल राहत मिलती है ।

शनिदेव के निमित्त दान शनिवार को , शनि के होरा मे , शनि के नक्षत्र मे , मध्यान्ह काल मे करने से शीघ्रता से विशेष प्रभावी लाभ की प्राप्ति होती है ।


इमेज स्रोत गूगल

हनुमानजी को धतूरे की माला क्यों पहनाते हैं?

 हनुमानजी को धतूरे की माला क्यों पहनाते हैं?


जय श्री राम 🙏

हनुमान जी को धतूरा नही चढ़ाते , मदार का पत्ता और फूल अर्पण किया जाता है।

देवता को जो वस्तु भाती है, वही उन्हें पूजा में अर्पण की जाती है । उदाहरण के रूप में गणपति को लाल फूल, शिवजी को बेल, विष्णु को तुलसी इत्यादि । वास्तव में उच्च देवताओं की रुचि-अरुचि नहीं होती । विशिष्ट वस्तु अर्पण करने के पीछे अध्यात्मशास्त्रीय कारण होता है । पूजा का उद्देश्य है, मूर्ति में चैतन्य निर्माण होकर पूजक को उसका लाभ हो । यह चैतन्य निर्माण होने के लिए विशिष्ट देवता को विशिष्ट वस्तु अर्पित की जाती है, जैसे हनुमानजी को तेल, सिंदूर एवं मदार के फूल तथा पत्ते । इन वस्तुओं में हनुमानजी के महालोकतक के देवता के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण, जिन्हें पवित्रक कहते हैं, उन्हें आकृष्ट करने की क्षमता होती है । अन्य वस्तुओं में ये पवित्रक आकृष्ट करने की क्षमता अल्प होती है । इसी कारण हनुमानजी को तेल, सिंदूर एवं मदार के पुष्प-पत्र इत्यादि अर्पण करते हैं ।

इसके संबंधित एक कथा बहुत प्रचलित है। एक दिन मां सीता अपनी मांग में सिंदूर भर रही थीं । यह देखकर हनुमानजी ने उनसे पूछा, ‘सीतामैय्या, आप प्रतिदिन यह सिंदूर क्यों लगाती हैं ? तब सीताजी ने बताया, ‘इससे आपके स्वामी श्रीरामजी की आयु बढती है । इसलिए मैं यह सिंदूर लगाती हूं ।’ यह सुनने के बाद हनुमानजी को लगा कि, केवल मांग में सिंदूर भरने से श्रीरामजी की आयु बढती हैं, तो मैं अपने पूर्ण शरीरपर सिंदूर लगाऊंगा । फिर हनुमानजी ने अपने संपूर्ण शरीरपर सिंदूर लगा लिया । उसी समय से हनुमानजी का रंग सिंदूरी हो गया ।

२. हनुमानजी की पूजा में प्रयुक्त मदार के पत्ते का सूक्ष्म-चित्र


ब्रह्मांड-मंडल से चैतन्य का प्रवाह पत्ते की ओर आकृष्ट होता है । इस के कारण मदार के पत्ते में चैतन्य का वलय निर्माण होता है । इस चैतन्य के वलयद्वारा पत्ते में चैतन्य के प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं । मदार के पत्ते में हनुमानतत्त्व आकृष्ट करने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए हनुमानतत्त्व-स्वरूप शक्ति का प्रवाह ब्रह्मांड-मंडल से मदार के पत्ते में आकृष्ट होता है । इसके कारण पत्ते में हनुमानतत्त्व-स्वरूप शक्ति का वलय निर्माण होता है । इस वलय से कार्यरत शक्ति के वलय निर्माण होते हैं । शक्ति के वलय से पत्ते के हरितद्रव्य अर्थात chlorophyll में शक्ति के कण संग्रहित होते हैं । पत्ते के डंठल के निकट भाग में डंठल से प्रवाहित शक्ति का वलय निर्माण होता है । पत्ते की शिराओं में शक्ति तरंगें प्रवाहित होती हैं । मदार के पत्ते में तारक शक्ति के वलय कार्यरत रूप में घूमते रहते हैं । मदार के पत्ते के चारों ओर हनुमानतत्त्व का कवच निर्माण होता है । इस सूक्ष्म-चित्रद्वारा आपको यह स्पष्ट हुआ होगा कि, मदार के पत्ते की ओर हनुमानजी की तत्त्वतरंगें किस प्रकार आकृष्ट होती हैं, एवं किस प्रकार मदारपत्र के माध्यम से उनका प्रक्षेपण होता है । मदार के पत्तोंद्वारा आकृष्ट चैतन्य, शक्ति आदी का प्रक्षेपण सूक्ष्म स्तरपर अर्थात आध्यात्मिक स्तर की प्रक्रिया है । इसका परिणाम विविध प्रकार से होता है । इनमें से एक है, वातावरण में विद्यमान रज-तम प्रधान तत्त्वों का प्रभाव अल्प होना । मदार के पत्तोंद्वारा प्रक्षेपित पवित्रकों के कारण वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों को कष्ट होता है । उनकी तमप्रधान काली शक्ति कम होती है, या नष्ट होती है । संक्षेप में कहा जाए, तो मदार के पत्ते हनुमानजी की तत्त्वतरंगों को प्रक्षेपित कर वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों के साथ एक प्रकार से युद्ध ही करते हैं । जब अनिष्ट शक्तियों से पीडित व्यक्ति का मदार के पत्तों से संपर्क होता है, तो उसे कष्ट होने लगता है ।

३. अनिष्ट शक्तियों से पीडित साधिका पर मदार के पत्ते का परिणाम

पत्ते में हनुमानतत्त्व से आकृष्ट चैतन्य का वलय निर्माण होता है । इस वलय से व्यक्ति की ओर चैतन्य का प्रवाह प्रक्षेपित होता है एवं उसके देह में चैतन्य का वलय निर्माण होता है । पत्ते में हनुमानतत्त्व से आकृष्ट शक्ति का वलय निर्माण होता है । वातावरण में इस शक्ति के वलयों का प्रक्षेपण होता है । शक्ति के वलय से शक्ति का प्रवाह पीडित व्यक्ति की दिशा में प्रक्षेपित होता है । बडी अनिष्टशक्ती नेत्रों के माध्यम से काली शक्ति प्रक्षेपित करता है एवं वह पत्ते से प्रक्षेपित हनुमानतत्त्व की शक्ति के प्रवाह से लडता रहता है । हनुमानतत्त्व की शक्ति के प्रवाह से व्यक्ति के देह में इसके अनेक प्रवाह प्रक्षेपित होते हैं । इस मारक शक्ति का वलय व्यक्ति के देह में कार्यरत रूप में घूमता रहता है एवं उनका अनिष्टशक्तीद्वारा सप्तचक्रों पर निर्माण किए गए काले शक्ति के स्थान से युद्ध होता है । सप्तचक्रों पर हनुमानतत्त्व की शक्ति के वलय निर्माण होते हैं । अनिष्ट शक्तियों की पीडा के कारण व्यक्ति के देह के चारों ओर काली शक्ति का घना आवरण रहता है । काले आवरण में शक्ति के कण संचारित होते हैं एवं शक्ति के कणों का काले आवरण के साथ युद्ध होता है । व्यक्ति के देहपर बने काला आवरणका विघटन होता है ।

४. हनुमानजीको चढाए जानेवाले मदारके फूल

हनुमानजी की पूजा में मदार के फूलों का प्रयोग किया जाता है । फूल चढाते समय फूलों के डंठल हनुमानजी की प्रतिमा के ओर होते हैं । कहते हैं, हनुमानजी को मदारके फूल अच्छे लगते हैं; परंतु यह मानसिक स्तर का विश्लेषण हुआ । इसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण यह है कि, मदार के फूलों में हनुमानजी की तत्त्वतरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट होती हैं तथा फूलों से पवित्रकों के रूप में प्रक्षेपित भी होती हैं ।

चित्र गूगल से प्राप्त।

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