महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा
- सम्राट मिहिर भोज के राष्ट्रवादी मार्ग पर चले... नमाजवादियों को नहीं... भगवाप्रेमियों को चुनें
- 836 ईस्वी से 885 ईस्वी तक सम्राट मिहिर भोज का शासन रहा... इस कालखंड में बगदाद के अंदर 8 खलीफा आए और गए और हर खलीफा यही ख्वाब देखते देखते अल्लाह को प्यारा हो गया कि महान हिंदू सम्राट मिहिर भोज को किसी तरह हिंदुस्तान की जमीन से हटा दें... लेकिन मां भारती के महान सुपुत्र सम्राट मिहिर भोज का प्रताप इतनी तेजी से फैला कि अफगानिस्तान से लेकर बगदाद तक फैली अरब के खलीफाओं की सत्ता हिल गई... खलीफाओं के खिलाफ ही विद्रोह हो गए
-खौफ के मारे अरब के यात्री सुलेमान ने अपनी किताब सिलसिला-उत-तारिका में लिखा कि सम्राट मिहिरभोज के पास उंटों, घोड़ों और हाथियों की बड़ी विशाल और सर्वश्रेष्ठ सेना है... उनके राज्य में व्यापार सोने और चांदी के सिक्कों से होता है. .. और इनके शासन में चोरों डाकुओं का भय नहीं है
-सम्राट मिहिर भोज के कालखंड में आए अब्बासी 8 खलीफाओं के नाम निम्नलिखित हैं...
1- मौतसिम (833 से 842 ई०)
2- वासिक (842 से 847 ई०)
3- मुतवक्कल (847 से 861 ई०)
4- मुन्तशिर (861 से 862 ई०)
5- मुस्तईन (862 से 866 ई०)
6- मुहताज (866 से 869 ई०)
7- मुहतदी (869 से 870 ई०)
8- मौतमिद (870 से 892 ई०)
- ये 8 खलीफा अपने संपूर्ण शासन काल में महाप्रतापी सम्राट मिहिर भोज से सीधे शत्रुता मानते रहे । 672 ईस्वी में अरब सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध की जमीन पर अरब मुसलमानों की जड़ें जमा दी थीं... लेकिन मिहिर भोज सिंध को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले आए
-सिंध के आगे खलीफा के पांव भारत के अंदर नहीं जम पा रहे थे क्योंकि भारत में तब उत्तर भारत के विशाल हिस्से पर सम्राट मिहिर भोज का शासन था
- सम्राट की सेनाओं ने सिंध में कई युद्ध करके अरब की इस्लामी सेनाओं को पछाड़ दिया और सिंध नदी के पश्चिमी क्षेत्रों पर भी अधिकार स्थापित किया
- धौलपुर के सामन्त चन्द्र महासेन चौहान के 842 ई० के एक लेख में ये स्पष्ट किया गया है कि सम्राट मिहिर भोज ने म्लेच्छों को अपने आधीन करके अर्थात उन पर अपना नियन्त्रण स्थापित करके उनसे कर वसूल किया था ।
(नोट- कई मित्रों ने 9990521782 मोबाइल नंबर दिलीप नाम से सेव किया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की... लेख के लिए मिस्ड कॉल और नंबर सेव... दोनों काम करने होंगे क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से मैसेज भेजता हूं जिन्होंने नंबर सेव नहीं किया होगा उनको लेख नहीं मिलते होंगे.. जिनको लेख मिलते हैं वो मिस्डकॉल ना करें प्रार्थना)
-उस वक्त तक अफगानिस्तान में हिंदू ब्राह्मण राजाओं का शासन था.. लेकिन तब खलीफाओं ने उनको गुलाम बना लिया था... जब सिंध से मिहिर भोज का प्रताप फैला और अफगान हिंदू राजाओं को सपोर्ट मिला तो अफगान के हिंदू राजा ललिया देव (850-870) ने विद्रोह कर दिया और अरब के खलीफा से मुक्ति हासिल की
- सम्राट मिहिर भोज के सहयोग से निरन्तर हिंदू राजाओं ने अरब आक्रान्ताओं को देश से बाहर खदेड़ दिया
-सम्राट मिहिर भोज विष्णु के अनन्य भक्त थे इसीलिए उन्होने आदिवराह की उपाधि ली थी उनकी तलवार धरती पर बोझ बने अरब मलेच्छों के लिए साक्षात मृत्यु थी
-लेख के माध्यम से मेरी अपील है कि सम्राट मिहिर भोज के आदर्शों पर चलते हुए नमाजवादियों को नहीं राष्ट्रवादियों को चुनें
धन्यवाद
भारत माता की जय
वंदेमातरम
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जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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रविवार, 6 फ़रवरी 2022
महान सनातन योद्धा सम्राट मिहिर भोज.... जिनसे खौफ खाते थे अरब के 8 मुस्लिम खलीफा
शनिवार, 5 फ़रवरी 2022
बिल्व_वृक्ष_विशेष_पंचपत्रबिल्व_दर्शनम्
प्रिय असंतुष्ट मध्यम वर्ग के मतदाता..
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022
दुनिया की सबसे पहली फोर व्हीलर गाड़ी
ये थी दुनिया की पहली कार, इसकी स्पीड जानकर आपके होश उड़ जाएंगे …!!
आज के समय में इंसान के लिए कार बहुत ज्यादा जरूरी बन गई है, क्योंकि इसकी मदद से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत ही आसानी के साथ कम समय में पहुंचा जा सकता है। देश और दुनिया की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनियां एक से बढ़कर एक बेहतरीन कारें लॉन्च करती रहती हैं और अब कारों का डिजाइन शानदार और फीचर्स हाइटेक होते जा रहे हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली मोटरकार कैसी थी और उसके फीचर्स कैसे थे। आज हम आपको यहां ये बताएंगे कि दुनिया की पहली कार कैसी थी।
कगनोट फर्डियर Cugnot Fardier थी दुनिया की पहली कार...
फ्रांस के निकोलस जोसफ कगनोट ने आर्मी की मांग पर 1769 में दुनिया की पहली कार का आविष्कार किया था। दिखने में ये कार काफी शानदार लग रही है, दुनिया की ये पहली कार वैसी नहीं है जैसी आज की कारें होती हैं। इस कार को 1769 में लोगों के सामने पेश किया था। फ्रांस में इस कार का निर्माण सिर्फ आर्मी के लिए किया गया था। ये एक भाप से चलने वाली कार थी, जिसे सड़कों पर बिना किसी अन्य मदद के चलने लायक बनाया गया था।
इस कार को मिलिटरी के लिए तैयार किया गया था, ताकि इस पर रखकर वो खुद एक जगह से दूसरी जगह जा सकें और अपना सामान जैसा हथियार, बम और गोले एक जगह से दूसरी जगह लेकर जा सकें। स्पीड की बात की जाए तो ये कार 4.82 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती थी। इस गाड़ी को इतना मजबूत बनाया गया था कि इस पर 5 टन का वजन ले जाया जा सकता था। ये कार लगातार 1 घंटे 15 मिनट तक बिना रुके चल सकती थी। इस कार को वर्तमान में फ्रांस की राजधानी पेरिस के Musee Des Arts Et Metiers म्यूजियम में रखा हुआ है।
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