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मंगलवार, 11 जुलाई 2023

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार

*Ancestral Property*

*सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पैतृक संपत्ति में बेटियों का होगा इतना अधिकार*

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पिता के पैतृक की संपत्ति में बेटी का बेटे के बराबर हक है, थोड़ा सा भी कम नहीं। उसने कहा कि बेटी जन्म के साथ ही पिता की संपत्ति में बराबर का हकददार हो जाती है। देश की सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की पीठ ने आज स्पष्ट कर दिया कि भले ही पिता की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू होने से पहले हो गई हो, फिर भी बेटियों को माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा ।

*बेटी की मृत्यु हुई तो उसके बच्चे हकदार*

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी को अपने भाई से थोड़ा भी कम हक नहीं है। उसने कहा कि अगर बेटी की मृत्यु भी 9 सितंबर, 2005 से पहले हो जाए तो भी पिता की पैतृक संपत्ति में उसका हक बना रहता है। इसका मतलब यह है कि अगर बेटी के बच्चे चाहें कि वो अपनी मां के पिता (नाना) की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी लें तो वो इसका दावा ठोक सकते हैं, उन्हें अपनी मां के अधिकार के तौर पर नाना की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिलेगी।

*क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ?*

देश में 9 सितंबर, 2005 से हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 लागू हुआ है। इसका मतलब है कि अगर पिता की मृत्यु 9 सितंबर, 2005 से पहले हो गई हो तो भी बेटियों को पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा। जस्टिस अरुण मिश्री की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। जस्टिस मिश्रा ने फैसला पढ़ते हुए कहा, 'बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार देना हो होगा क्योंकि बेटी पूरी जिंदगी दिल के करीब रहती है। बेटी आजीवन हमवारिस ही रहेगी, भले ही पिता जिंदा हों या नहीं।'

*पहले क्या था नियम ?*

हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया। इसके तहत, बेटी तभी अपने पिता की संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर सकती है जब पिता 9 सितंबर, 2005 को जिंदा रहे हों। अगर पिता की मृत्यु इस तारीख से पहले हो गई हो तो बेटी का पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा।

अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे बदलते हुए कहा कि पिता की मृत्यु से इसका कोई लेन-देन नहीं है। अगर पिता 9 सितंबर, 2005 को जिंदा नहीं थे, तो भी बेटी को उनकी पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा। यानी, 9 सितंबर, 2005 से पहले पिता की मृत्यु के बावजूद बेटी का हमवारिस (Coparecenor) होने का अधिकार नहीं छिनेगा।

*HUF फैमिली और हमवारिस*

हमवारिस या समान उत्तराधिकारी वे होते/होती हैं जिनका अपने से पहले की चार पीढ़ियों की अविभाजित संपत्तियों पर हक होता है। 2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियां सिर्फ हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की सदस्य मानी जाती थीं, हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी नहीं।

हालांकि, बेटी का विवाह हो जाने पर उसे हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का भी हिस्सा नहीं माना जाता है। 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है। यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है।

इसके तहत महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर अधिकार दे दिया गया और तमाम भेदभाव को खत्म कर दिया गया। बेटी को पैतृक संपत्ति में जन्म से ही साझीदार बना दिया गया। बेटी और बेटे जन्म से पिता और पैतृक संपत्ति में बराबर के अधिकारी बना दिए गए। इसके तहत बेटियों को इस बात का भी अधिकार दिया गया कि वह कृषि भूमि का बंटवारा करवा सकती है।

साथ ही शादी टूटने की स्थिति में वह पिता के घर जाकर बेटे के समान बराबरी का दर्जा पाते हुए रह सकती है यानी पिता के घर में भी उसका उतना ही अधिकार होगा जिनता बेटे को है। बेटे और बेटी दोनों को जन्म से ही बराबरी का दर्जा दे दिया गया ।

*बेटी कब पैदा हुई, कोई फर्क नहीं*

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 कहता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता है कि बेटी का जन्म 9 सितंबर, 2005 से पहले हुआ है या बाद में, पिता की संपत्ति में उसका हिस्सा भाई के बराबर ही होगा। वह संपत्ति चाहे पैतृक हो या फिर पिता की अपनी कमाई से अर्जित। हिंदू लॉ में संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा गया है- पैतृक और स्वअर्जित। पैतृक संपत्ति में चार पीढ़ी पहले तक पुरुषों की वैसी अर्जित संपत्तियां आती हैं जिनका कभी बंटवारा नहीं हुआ हो।

ऐसी संपत्तियों पर संतानों का, वह चाहे बेटा हो या बेटी, जन्मसिद्ध अधिकार होता है। 2005 से पहले ऐसी संपत्तियों पर सिर्फ बेटों को अधिकार होता था, लेकिन संशोधन के बाद पिता ऐसी संपत्तियों का बंटवारा मनमर्जी से नहीं कर सकता। यानी, वह बेटी को हिस्सा देने से इनकार नहीं कर सकता। कानून बेटी के जन्म लेते ही, उसका पैतृक संपत्ति पर अधिकार हो जाता है।

*पिता की स्वअर्जित संपत्ति*

स्वअर्जित संपत्ति के मामले में बेटी का पक्ष कमजोर होता है। अगर पिता ने अपने पैसे से जमीन खरीदी है, मकान बनवाया है या खरीदा है तो वह जिसे चाहे यह संपत्ति दे सकता है। स्वअर्जित संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी देना पिता का कानूनी अधिकार है। यानी, अगर पिता ने बेटी को खुद की संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार कर दिया तो बेटी कुछ नहीं कर सकती है।

*अगर वसीयत लिखे बिना पिता की मौत हो जाती है*

अगर वसीयत लिखने से पहले पिता की मौत हो जाती है तो सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति पर समान अधिकार होगा। हिंदू उत्तराधिकार कानून में पुरुष उत्तराधिकारियों का चार श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है और पिता की संपत्ति पर पहला हक पहली श्रेणी के उत्तराधिकारियों का होता है। इनमें विधवा, बेटियां और बेटों के साथ-साथ अन्य लोग आते हैं। हरेक उत्तराधिकारी का संपत्ति पर समान अधिकार होता है। इसका मतलब है कि बेटी के रूप में आपको अपने पिता की संपत्ति पर पूरा हक है ।

*अगर बेटी विवाहित हो*

2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियां सिर्फ हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की सदस्य मानी जाती थीं, हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी नहीं। हमवारिस या समान उत्तराधिकारी वे होते/होती हैं जिनका अपने से पहले की चार पीढ़ियों की अविभाजित संपत्तियों पर हक होता है।

हालांकि, बेटी का विवाह हो जाने पर उसे हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का भी हिस्सा नहीं माना जाता है। 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है। यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है ।

सोमवार, 10 जुलाई 2023

लोग कहते है की #रेप_क्यों_होते_है....??

 

लोग कहते है की #रेप_क्यों_होते_है....??

मैं इसका जवाब दो लाइन में देना चाहूँगा l
अगर आपको अच्छा लगे तो कमेंट्स और शेयर कीजिये।

एक 8 साल के लड़के ने एक थियेटर में राजा हरिश्चंद्र का नाटक देखा और उस नाटक का उस बच्चे के कोमल मन में ऐसा प्रभाव पड़ा की उसने कसम खा ली की मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा .

ये लड़का आगे चलकर #स्वामीविवेकानंद के नाम से विख्यात हुआ.

आज 6 साल की उम्र से ही मासूम बच्चे टीवी में #नंगापन देखते है

क्योंकि उसके पापा भी देखते है।

पड़ोस में रहने वाली #सविता_भाभी भी छोटे कपडे पहनती है।

सड़क में #अर्धनग्न_अप्सराये बच्चों को आसानी से दिख जाती है

और जब तक बच्चा 18 साल का होता है

तब तक हज़ारो रेप और सेक्स के सीन फ़िल्म टीवी व मोबाइल के माध्यम से देख चुका होता है।

और इन सब को आज का #नंगा_समाज गलत भी नहीं मानता ..

.

तब क्या ये बच्चा साधू या #महापुरुष बनेगा या #बलात्कारी बनेगा?

दोस्तो बात सच है इसलिए #कडवी जरूर लगी होगी बलात्कार के लिये काफी हद तक वच्चो की #परवरिश और हमारे चारो ओर का #माहौल भी काफी हद तक जिम्मेदार है।


5G और 4G में कितना अंतर है?

 

अगर हम मात्र भारत की ही बात करें तो आपको बता देते हैं कि भारत में रिलायंस जियो के बाजार में आने के बाद से लोगों ने असल मायने में 4G क्षमता को देखा है। इसके अलावा सस्ते इन्टरनेट की शुरुआत भी उसी दिन से हुई थी। हालाँकि अब यह दौर बदल गया है, और आज हम देख रहे हैं कि लगभग सभी टेलीकॉम कंपनियों की ओर से अपने टैरिफ प्लान्स की कीमत में बढ़ोत्तरी की है। एक दौर था जब हम मात्र 2G नेटवर्क पर ही नेट का इस्तेमाल किया करते थे, इसके बाद 3G ने अपनी जगह बाजार में बनाई और इसके बाद 4G ने अपनी एक अलग ही जगह बनाई है। अब सुनने में आ रहा है कि 5G को भी दुनियाभर में लाया जाने वाला है, आपको बता देते हैं कि US में कई कैरियर की ओर से 5G को पेश कर दिया गया है, हालाँकि भारत में और कई देशों में इसे आने में अभी भी समय लगने वाला है। अगर हम असल चीजों पर गौर करें तो ऐसा हो सकता है कि भारत में 5G को आने में लगभग 2 और साल का समय लगे। हमें इस बारे में जरुर पता होना चाहिए कि आखिर 5G और 4G के बीच बड़ा क्या अंतर है, जिसके माध्यम से यह दोनों ही नेटवर्क एक दूसरे से बिलकुल ही अलग नजर आते हैं। आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले है कि आखिर 4G और 5G के बीच क्या अंतर हैं?

5G आखिर क्या है?

5G को एक इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड के तौर पर देखा जा सकता है जो वर्तमान में चल रहे 4G LTE स्टैण्डर्ड से कुछ आगे बढ़कर सामने आने वाला है। जैसे कि 3G के स्थान पर 4G ने अपनी जगह बनाई थी वैसे ही ऐसा माना जा रहा है यह fifth generation के स्थान पर 5G नाम से आने वाला है। इसका मतलब है कि यह इस स्टैण्डर्ड का पांचवां standard है।

इसे अभी वर्तमान में चल रहे 4G LTE तकनीकी से भी तेज़ गति से चलने के लिए निर्मित किया गया है। हालाँकि इसे मात्र स्मार्टफोन में इन्टरनेट की स्पीड को बढ़ाने को लेकर ही नहीं देखा जा रहा है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इसके साथ फास्टर वायरलेस इन्टरनेट को सभी जगह सभी के लिए पहुँचाया जा सकता है। इसके माध्यम से कार्स को कनेक्ट किया जा सकता है। यह आप आसानी से स्मार्टफोंस के साथ कर सकते हैं। ऐसा भी कहा जा सकता है कि भविष्य में आपके स्मार्टफोन के साथ अन्य सेलुलर कनेक्टिविटी वाले डिवाइस जो आपके पास हैं। वह सब 4G LTE तकनीकी के स्थान पर 5G का इस्तेमाल उसी तरह से करने वाले हैं, जैसा कि आज हम 4G का कर रहे हैं।

क्या होता है 4G?

इसे सीधे शब्दों में कहें, तो 4G को मोबाइल प्रौद्योगिकी की चौथी पीढ़ी के रूप में परिभाषित किया गया है जो 2G और 3G नेटवर्क के बाद सामने आई है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि जो 2G और 3G का अनुसरण करती है। इसे कभी-कभी 4G एलटीई भी कहा जाता है, लेकिन यह तकनीकी रूप से सही नहीं है क्योंकि एलटीई केवल एक प्रकार का 4G है। वर्तमान में यह सबसे उन्नत तकनीक है जिसे अधिकांश मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाताओं द्वारा अपनाया जा रहा है। जब यह शुरू में बाजार में आया तो 4G ने दुनिया में एक बड़ा बदलाव किया, हम मोबाइल इंटरनेट का उपयोग कैसे करते हैं, इसे भी 4G ने पूरी तरह से बदलकर रख दिया। जबकि 3G नेटवर्क अपेक्षाकृत तेज़ है, और इसमें कोई भी दोराय नहीं है, लेकिन 4G नेटवर्क कनेक्शन ने उपयोगकर्ताओं को वेब ब्राउज़ करने और मोबाइल उपकरणों पर एचडी वीडियो स्ट्रीम करने की आज़ादी दी, जिसके बाद स्मार्टफोंस आधुनिक युग के कंप्यूटरों में बदल गए।इसी कारण आप वह सभी काम जो लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर पर स्मार्टफोन या टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों पर कर सकते हैं। इन्हें करने में 4G नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि आपको कितने भी डाटा की आवश्यकता हो, आप लगभग हर जगह स्थिर गति पा सकते हैं।

कितना फ़ास्ट होने वाला है 5G नेटवर्क?

टेक कंपनियां 5G से काफी आशाजनक हैं। जबकि सैद्धांतिक 100 मेगाबिट्स प्रति सेकंड (एमबीपीएस) में 4G टॉप पर है, हालाँकि 5G के मामले में यह टॉप 10 गीगाबिट्स प्रति सेकंड (जीपीएस) होने वाला है। इसका मतलब है कि 5G वर्तमान 4G तकनीक की तुलना में सौ गुना तेज होने वाला है।उदाहरण के लिए, उपभोक्ता प्रौद्योगिकी एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में ऐसा भी सामने आ चुका है कि इस गति से, आप 5G पर केवल 3.6 सेकंड में, 4G पर 6 मिनट बनाम 3G पर 26 घंटे में दो घंटे की फिल्म डाउनलोड कर सकते हैं।यह सिर्फ कहने वाली बात नहीं है, 5G में विलंबता को कम करने का वादा किया गया है, जिसका अर्थ है कि इंटरनेट पर कुछ भी करने के दौरान तेजी से लोड समय और बेहतर जवाबदेही बनने वाली है। विशेष रूप से, विनिर्देश आज 4G LTE पर 5G बनाम 20ms पर 4ms की वादा करता है।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

कंगना के घर के मलबे का बोझ उठाना शिवसेना को कैसे भारी पड़ेगा?

 
कंगना के घर के मलबे का बोझ उठाना शिवसेना को कैसे भारी पड़ेगा?

जब पूरी सरकार किसी एक व्यक्ति के खिलाफ हो जाये तो सरकार का ही नुकसान होता है।

कंगना ने उद्धव ठाकरे को "तू" बोल दिया अब घर भी गिरा कर इज़्ज़त नही आने वाली। bjp ने उसको Y कैटेगरी की सुरक्षा दे ही दी है। जनता में तो कंगना हीरोइन बन ही गई।

राजनीति सत्ता का खेल है। पिछले बिहार चुनाव में bjp और नीतीश ने एक दूसरे को भर-भर के गालियां दी । इनके समर्थक आपस मे जम के लड़ लिए, 2 साल बाद इन दोनों ने हाथ मिला लिया।

हो सकता है 6 महीने बाद bjp- सेना एक साथ हो जाएं और कंगना को साइड में कर दें। बड़े नेता पावर के लिए ईगो छोटा कर लेते हैं।

अभी के लिए तो कंगना ने महाराष्ट्र सरकार को शह और मात दे दी।

ये भी मुम्बई के हाल हैं,BMC इस पर काम करे तो ज्यादा अच्छा हो।


जीवन में गुरु का क्या महत्व है ?

 

चींटी कितनी छोटी

उसको यदि हरिद्वार से ऋषिकेश यात्रा करना हो तो लगभग तीन-चार जन्म लेना पड़ेगा लेकिन यही चींटी हरिद्वार जाने वाले व्यक्ति के कपड़े पर चढ़ जाए तो सहज यही तीन-चार घंटे में ऋषिकेश पहुंच जाएगी।

ठीक इसी प्रकार अपने प्रयास से भवसागर पार करना कितना कठिन पता नहीं कई जन्म लग सकते हैं इसकी अपेक्षा यदि हम गुरु का हाथ पकड़ ले और उनके बताए सन्मार्ग पर श्रद्धा पूर्वक चलें तो आसानी से आपको भवसागर पार करा सकते हैं। मैंने ज्योतिष शास्त्र अपने गुरुदेव ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय प्रयागराज से सीखा जिसके कारण कोरा पर मेरे इतने सारे फॉलोअर हो गए

यह सारा श्रेय उनके द्वारा सिखाई गई ज्योतिष विद्या एवं मेरे द्वारा मेहनत करके लिखी गई ज्योतिष पर उत्तर को जाता है यानी कि भाग्य प्लस कर्म मिलकर सफलता दिलाता है यही इस उत्तर का मूल स्रोत है ।चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

रिपब्लिक भारत के एंकर विकास शर्मा की मृत्यु अचानक कैसे हुई?


 

किसी भी इंसान की मौत बीमारी के वजह से कम होतो है,, लेकिन धोका के वजह से ज्यादा होता है!और विकास शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है!

स्वर्गीय विकास शर्मा जी के बारे में कुछ ऐसी बातें पता चली जिसे जानकर में चौक गया की स्क्रीन पर अपनी बुलंद आवाज में रिपोर्टिंग करता यह व्यक्ति अंदर ही अंदर कितना घुट रहा था और कितना बुरी तरह से टूट चुका था

विकास शर्मा जी कानपुर देहात के छोटे से गांव के थे और पत्रकारिता की डिग्री ली और कई चैनलों में काम करते हुए रिपब्लिक तक पहुंचे

उन्होंने एक लड़की से प्रेम विवाह किया था उस लड़की को प्राथमिक स्कूल में टीचर की सरकारी नौकरी मिल गई उसके बाद उसके चाल चलन और आदतें व्यवहार बदल गया

विकास शर्मा जी की पत्नी ने इनके ऊपर दहेज उत्पीड़न से लेकर इनके बुजुर्ग पिताजी के ऊपर मॉलेस्टेशन का केस दर्ज करवा दिया था जिससे विकास शर्मा जी बुरी तरह टूट चुके थे विकास शर्मा जी अपने मां-बाप के इकलौते लड़के थे इनकी दो बहने थी बड़ी बहन की शादी विकास शर्मा जी ने बहुत धूमधाम से की थी लेकिन किसी कारणों से विकास शर्मा जी की बड़ी बहन का घर भी टूट गया और वह अपने पति से अलग हो गई

विकास शर्मा के एक सहकर्मी ने कि यह व्यक्ति इतना टूट चुका था कि रविवार को भी घर नहीं जाता था कि मैं घर जाऊंगा फिर खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत हो गई इसलिए वह ऑफिस में काम करता रहता था सब लोग शिफ्ट पूरी होने के बाद अपने घर चले जाते थे लेकिन विकास शर्मा जब तक नींद नहीं आए तब तक ऑफिस में काम करते रहते थे क्योंकि विकास शर्मा यह सोचते थे कि जब घर पर कोई है ही नहीं तो फिर घर जाकर क्या फायदा

कोर्ट कचहरी पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा लगा कर थक चुके थे

अंदर ही अंदर घुट रहे विकास शर्मा जी को पहले कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद उन्हें हार्ट अटैक आया और मात्र 36 साल की उम्र में वह ईश्वर के प्यारे हो गए

दरअसल सच्चाई यह है भारत के दो कानून काले कानून है लेकिन पता नहीं क्यों लोग उन्हें काला कानून नहीं कहते एक दहेज उत्पीड़न एक्ट और दूसरा दलित उत्पीड़न एक्ट यह दोनों कानून सिर्फ दुरुपयोग के लिए बने हैं और इन दोनों कानूनों ने न जाने कितने लोगों की हत्या की है

यह post है Rupay के बारे में.


2014 में Rupay Card launch हुआ था... तब इसे एक जुमला माना गया था...... इसे जनधन account के साथ जोड़ा गया था, जिसे एक और जुमला समझा जा रहा था..... ऐसा बताया जा रहा था, कि ये योजनाएं फुस्स हो जाएंगी.

हालांकि सरकार ने यह सब Plan करके ही किया था. आज इन योजनाओ को शुरू हुए 9 साल हो गए हैं.... जनधन एक बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ है.



लेकिन यह post है Rupay के बारे में.
मात्र 9 सालों में ही 70 करोड़ से ज्यादा Rupay Debit Card activate हो चुके हैं.

वहीं अगर credit card की बात की जाए, तो लगभग 9 करोड़ Rupay Credit Cards के साथ यह Credit Card market का 20% से थोड़ा ज्यादा market पर कब्ज़ा कर चुका है.

इसके अलावा Rupay अब 30 देशों में पहुंच चुका है.. और ऊपर बताये Figures एकदम से बढ़ने वाले हैं.

Rupay कितना बड़ा Game खेल रहा है.. यह समझने के लिए दुनिया के 2 सबसे बड़े Payment Systems और Card Services Visa और Mastercard के बारे में जानते हैं.


Visa बना 1958 में बना, और आज इसके 290 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास users हैं.
Mastercard बना 1966 में... और आज इसके 150 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास Users हैं.

वहीं Rupay card मात्र 9 साल में 80 करोड़ से ऊपर Users वाला system बन गया है. Rupay की Transactions fees सबसे कम है, यह UPI के साथ Integrated है, ढेरों Payment Options में इस्तेमाल किया जा सकता है.

यही कारण है कि Rupay का Usage अब बढ़ता जा रहा है... और इससे घबराई Visa और Mastercard ने अमेरिकी सरकार को request भी की थी, कि वह भारत सरकार से इस बारे में बात करे....लेकिन भारतीय सरकार ने इस पर कुछ नहीं सुना.

क्यूंकि उन्हें तो Visa और Mastercard के एकाधिकार को तोडना है...... और अब तो RBI ने Card Change करना भी allow कर दिया है...अब Rupay के figures और बढ़ेंगे.

आप भी अब Rupay Card ले सकते हैं... और देसी Payment System को मजबूत बना सकते

बुधवार, 5 जुलाई 2023

लिवर का इलाज़


- लिवर का इलाज़ :-

ये अपने शरीर का ऐसा हिस्सा हे क कभी भी ठीक नही हो सकता अगर एक बार बिगड़ गया तो।आधुनिक जगत के डॉक्टर हैयर ट्रांसप्लांट ,हार्ट ट्रांसप्लांट।किडनी ट्रांसप्लांट बोने ट्रांसप्लानेट ,आइ (आँख ) ट्रांसप्लांट आदि आदि ट्रांसप्लांट करने मे सफल हुए हे लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट मे कोई सफल नही हुए हे अगर हुए भी हे तो मरीज को मुर्दा जीवन दे क चोर देती हे इसकी इलाज़ से कोई पूर्णतया ठीक नही हुआ हे और आधुनिक जगत के वैज्ञानिक लगे पड़े हे इलाज़ ढूंढने मे अभी भी॥कभी बकरी का लिवर लगेंगे कभबी बंदर का कभी बैल का कभी किसका लेकिन कोई बच नही पाया ॥अपने आयुर्वेद मे ऐसे ऐसे अद्भुत पददती और नुस्खे हे जो लगते बड़े आसान हे ,अचंभे कर देंगे लेकिन परिणाम कारक इलाज़ कर देंगे ।

ये लेख को हम जंबुज कर दे रहे हे ताकि इस अद्भुत बात की सब को खबर मिले । खट्टे आम क आचार , ये लिवर का सब से बड़ा दुश्मन हे इससे तो परहीज ही रखना चाहिए । आचार खाना ही पड़े तो नींबू या आंवले का ठीक हे लेकिन कच्चे कैर्री का तो तौबा करा देगा।घुटनो क दर्द से पीड़ित को तो आचार से रिस्ता ही तोड़ देना चाइए। वर्ण किसी दिन ये लाइलाज हो जाएगी बीमारी।

:- लिवर का इलाज़ :-
सुबह सुबह खाली पेट सबूत चावल के दाने को एक चुटकी जितना लेकर निगल ले पनि से ।ध्यान रहे क चावल क दाने टूटे हुए न लें और फिर उसके आधे घंटे बाद कुछ कहये ।आपकी लिवर को नयी ज़िदगी मिलेगी इस प्रयोग से।

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

शिव का सावन

शिव का सावन
#शिव का सावन #समुद्र-मंथन #विनाशकारी रत्न हलाहल #कंठ #पवित्र गंगा #प्रकृति के ही देवता #जय श्री राम
आज सावन का आरंभ हो गया है। सावन को भगवान शिव का महीना कहा गया है। इस मान्यता के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के संयुक्त प्रयास से समुद्र-मंथन का अभियान सावन में ही चला था। अभियान में मिले ज्यादातर रत्नों का बंटवारा तो देवों और असुरों ने आपस में कर लिया लेकिन एक विनाशकारी रत्न हलाहल का कोई दावेदार नहीं था। सृष्टि को इस विष के घातक प्रभाव से बचाने के लिए शिव ने उसे स्वयं पीना स्वीकार किया। यह नीला जहर उनके कंठ में एकत्र हो गया जिसके कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला। उनके शरीर में विष का ताप कम करने के लिए देवों ने दूर-दूर से गंगाजल लाकर उनका अभिषेक किया। तब से शिवभक्तों द्वारा सावन के महीने में पवित्र गंगा से जल लेकर भारत के विभिन्न ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। यह कथा तो खैर कथा ही है, वरना जिस शिव की जटा में ही गंगा का वास है उनके लिए कहीं दूर से गंगाजल ढोकर लाने की क्या आवश्यकता थी ?

मेरी समझ से शिव और सावन का रिश्ता यह है कि सावन में प्रकृति अपने को नए सिरे से गढ़ती है और शिव प्रकृति के ही देवता हैं। प्रकृति के एक विराट रूपक। पर्वत उनका आवास है। वन उनकी क्रीड़ाभूमि। सांप, बैल, मोर, चूहा उनके परिवार के सदस्य हैं। उनके पुत्र गणेश का सर हाथी का है। उनकी पत्नी पार्वती के एक रूप दुर्गा का वाहन सिंह है। नदी उनकी जटाओं से निकलती है। योग से वे वायु को नियंत्रित करते हैं। उनकी तीसरी आंख में अग्नि का तेज और माथे पर चंद्रमा की शीतलता है। उनका त्रिशूल प्रकृति के तीन गुणों – रज, तम और सत का प्रतीक है। उनके डमरू के स्वर में प्रकृति का संगीत है। उनके तांडव में प्रकृति का आक्रोश। उनकी पूजा दुर्लभ और महंगी पूजन सामग्रियों से नहीं, प्रकृति में बहुतायत से उपलब्ध बेलपत्र, भांग की पत्तियों, धतूरे और कनैल के फूलों से होती है। शिव निश्छल, भोले, कल्याणकारी हैं। एकदम प्रकृति की तरह। शिव का जीवन इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर जीवन में सुख-शांति, सरलता, सादगी, शौर्य, योग, अध्यात्म सहित कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। शिव का सावन प्रकृति के साथ साहचर्य का संदेश है। यह चेतावनी भी कि प्रकृति के साथ अनाचार का नतीजा अंततः प्रलयंकारी तांडव के सिवा कुछ नहीं होने वाला है।

आप सबको सावन की असीम शुभकामनाएं !

जय श्री राम

इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग

आज से शुरू होगा सावन मास
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इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग
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सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना 2 महीने का रहने वाला है। 

कब से शुरू हो रहा है सावन 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। कहा जाता है कि यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।

दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। यानी इस बार सावन में भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

बता दें कि वैदिन पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है। और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिकमास कहा जाता है। इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 8 सोमवार मिलेंगे।

सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब ०२ महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में ०८ सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना ०२ महीने का रहने वाला है। 


सावन सोमवार का महत्व
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कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

०४ जुलाई २०२३ से शुरु हो रहा है सावन का
पवित्र महीना, कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?
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देवों के देव महादेव अपने भक्त की थोड़ी सी भक्ति पर भी प्रसन्न हो जाते हैं और उसको उसका मनवांछित फल दे देते हैं, तभी तो उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं। आप अगर जीवन में हर तरफ से संकटों से घिर जाते हो तो महादेव की आराधना ही आपको सभी कष्टों से दूर करती है। पर भगवान भोलेनाथ की आराधना भक्त के सभी संकट दूर करती हैं।

सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। कहते हैं कि सावन का ये महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है और शास्त्रों में भी इसे पवित्र महीना माना गया है। शिव भक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार यानि ०४ जुलाई से इस पवित्र महीने की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से वो प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी मान्यता हैं कि जो भक्त सावन मास के सोमवार की पूजा करता है या व्रत रखता है तो भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सभी देवी देवताओं में भगवान शिव ही अकेले ऐसे देवता है, जिन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। याद रखें कि इस दौरान भगवान शिव का मंत्रोचारण जरुर करें, महामृत्युञ्जय मंत्र उनका प्रिय मंत्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से काल के भय से छुटकारा मिल जाता है। ये मंत्र है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्‌॥

ॐ नमः शिवाय.

सोमवार के दिन कैसे करें भगवान शिव की पूजा?

-सावन में सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें।

-इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

-साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।

-पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।

-शिवलिंग पर धतूरा, भांग, चंदन चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं।

-प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।

-धूप और दीप से गणेश जी की आरती करें।

-आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

मान्यता है कि सावन महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से शिव भक्तों पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

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