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शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

रोज गाय को ग्रास (यानी भोजन से पहले उसका कुछ हिस्सा गाय को) खिलाना एक जरूरी धार्मिक परंपरा है।

सनातन धर्म में हर रोज गाय को ग्रास (यानी भोजन से पहले उसका कुछ हिस्सा गाय को) खिलाना एक जरूरी धार्मिक परंपरा है। क्योंकि गाय पवित्र और देव प्राणी के रूप में पूजनीय है। समुद्र मंथन से निकली कामधेनु की महिमा व गाय में करोड़ों देवी-देवताओं का वास होने की धार्मिक मान्यता भी इस परंपरा से जुड़ी हैं।

शास्त्रों के मुताबिक भूतयज्ञ के अंतर्गत गाय को भोजन देना घर-परिवार के सारे दोष दूर करने वाला माना गया है। खासतौर पर हिन्दू धर्म में पितृऋण व दोष से मुक्ति के विशेष काल श्राद्धपक्ष में ऐसा करना खुशहाल बनाने वाला माना गया है। इसलिए यह यह परंपरा संस्कार, मर्यादाओं और भावनाओं और जीवन मूल्यों से ओतप्रोत है। यही वजह है कि हर रोज खासतौर पर श्राद्धपक्ष में गाय को ग्रास देना सिर्फ धार्मिक परंपरा ही नहीं है, बल्कि इसके जरिए व्यक्ति, परिवार और समाज के लिए एक कई अहम जीवन सूत्र है।

दरअसल, व्यावहारिक व वैज्ञानिक रूप से भी गाय के दूध से लेकर मूत्र तक शरीर को निरोगी रखने वाले साबित हुए हैं। गौर करें तो पावनता ही गाय का सबसे विशेष गुण है। इस तहर गोग्रास भी गाय की तरह कर्म, स्वभाव, चरित्र और आचरण की पवित्रता का अहम सबक देता है। यही नहीं, गाय स्वभाव से अहिंसक प्राणी है। इससे सीख मिलती है कि स्वभाव से भद्र बने। भद्र यानी विनम्र, निडर, खुले और सीधी सोच का इंसान, जिसकी संगति हर कोई पसंद करता है। इस तरह सार यही है कि गोग्रास से चरित्र और स्वभाव की पावनता का सूत्र अपनाएं। इससे मिला यशस्वी और सफल जीवन आपके साथ पूर्वजों का मान-सम्मान भी बरकरार रखेगा और अगली पुश्तों को भी प्रेरणा देगा। वैसे ही जैसे गाय और उसकी देह का हर अंश अपेक्षित और पूजनीय है।.....................................................

पीपल के पेड़ से हमें क्या क्या लाभ मिलता है-

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पीपल के पेड़ की हिन्दू बहुत मनोयोग से पूजा करता है और इसको देव वृक्ष समझता है| इसको काटना घोर अपराध माना गया है अब तो वैज्ञानिको ने भी इस पेड़ को प्रकृति और आयुर्वेदिक दवाओ के लिए लाभकारी सिद्ध कर दिया है भगवान् श्री कृष्ण कहते है

ऊर्ध्वमूलमध:शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ।।1।।

अर्थात:-आदि पुरुष परमेश्वर रूप मूल वाले और ब्रह्म रूप मुख्य शाखा वाले जिस संसार रूप पीपल के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं; तथा वेद जिसके पत्ते कहे गये हैं- उस संसार रूप वृक्ष को जो पुरुष मूल सहित तत्त्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है ।।1।।

आइये हम भी जाने की पीपल के पेड़ से हमें क्या क्या लाभ मिलता है-

यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है .
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है .भगवत गीता अध्याय 26
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है .
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है .
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए .
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है .
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा .
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है .
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे .
- कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है .
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है .
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है .
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है .
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है

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