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रविवार, 14 अक्तूबर 2012

विदेशी भारतीय संस्कार अपना रहे है और हम पश्चिमी संस्कार....जागो भारतीयो जागो

आप कहा जा रहे हो ये सब मेहमान अपने हिंदुस्तान आ रहे है भारत माता को देखने तो माता के दर्द को करुणा,ममता ,दया से मिटा दो .....

विदेशी भारतीय संस्कार अपना रहे है और हम पश्चिमी संस्कार....जागो भारतीयो जागो

खड़े होकर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए::

भोजन से ही हमारे शरीर को कार्य करने की ऊर्जा मिलती है। हमारे देश में हर छोटे से छोटे या बड़े से बड़े कार्य से जुड़ी कुछ परंपराए बनाई गई हैं।
वैसे ही भोजन करने से जुड़ी हुई भी कुछ मान्यताएं हैं। भोजन हमारे जीवन की सबसे आवश्यक जरुरतों में से एक है। खाना ही हमारे शरीर को जीने की शक्ति प्रदान करता है।हमारे पूर्वजो ने जो भी परंपरा बनाई थी उसके पीछे कोई गहरी सोच थी।
ऐसी ही एक परंपरा है खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर भोजन ना करने की क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खड़े होकर भोजन करने से कब्ज की समस्या होती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं। और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है।
इसीलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई गई। हम जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फूर्तिवान बना सकते हैं।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं।बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों होती हैं।

आज हिन्दुराष्ट्र भारत में आयोडीन के नाम पर जो महंगा नमक बेचा जा रहा है... वह आयोडीन केवल हम खरीदते हैं...वह हमारे भोजन में पहुंचता ही नहीं...!!

आज हिन्दुराष्ट्र भारत में आयोडीन के नाम पर जो महंगा नमक बेचा जा रहा है...
वह आयोडीन केवल हम खरीदते हैं...वह हमारे भोजन में पहुंचता ही नहीं...!!

हमारे देश की रसोई में रोज खाना बनाने की परंपरा है
हमारे देश की बहू बेटियां प्रतिदिन हमें ताजा खाना बनाकर ...गरमा गरम खाना परोसती हैं
जबकि विदेशों में बाजार से खरीदा हुआ ठंडा बासी खाना जो फ्रिज में हफ़्तों पड़ा रहा हो ... वह भी खाने की परंपरा है.

आयोडीन एक अत्यंत वाष्पशील पदार्थ है और यह हलकी सी गर्मी से ही बाष्प बनके उड़ जाता है.
अपनी सब्जी, दाल, कढ़ी में जिस आयोडीन नमक को हम डालते हैं... वह हलकी सी गर्मी भी नहीं झेल सकता और यह वाष्प बनके तुरंत उड़ जाता है.
आपकी रसोई में रखा हुआ नमक का पैकेट भी अगर गर्म है और खुला हुआ है तो आयोडीन उसमें है ही नहीं.. जाँच करके देख लीजिये.

आप थोडा सा स्टार्च या चावल या मक्का या गेंहू का आटा लीजिये..
या अमरुद को काट लीजिये
रिवाईटल तो घर में होगा... कपड़ों में डालने वाला

इनमें से किसी भी वस्तु पर आप जिस ब्रांड के आयोडीन नमक को डालना चाहें... डालिए...
अगर रंग बदल के हल्का काला या नीला हो जाय तो इसका अर्थ है... उस नमक में आयोडीन है.

अब उस एक चम्मच नमक को हल्का सा ही गर्म कीजिये
या नमक को पानी में घोल लीजिये और गर्म कीजिये
और पुनः डालके देखिये...
अब रंग नहीं बदलेगा ...
इसका अर्थ है... आयोडीन हवा में वाष्प बन के उड़ गया.!!

हम जिस स्टाईल में सब्जी, दाल, कढ़ी बनाते समय पहले नमक डाल के देर तक भूनते है.. या दो चार सीटी लगा के उबाल उबाल के दाल या कढ़ी बनाते हैं ...
उसके बाद एक अणु आयोडीन भी उस भोजन में बचता ही नहीं.
लेकिन चिंता मत कीजिये...
इस आयोडीन की आपको जरूरत भी नहीं है...
इसलिए..कम्पनियाँ इसको केवल बेचती हैं...
आपको खाने नहीं देती...
नहीं तो आप अधिक आयोडीन खाने से बौने रह जायेंगे.
हा हा हा

नमक में जिस आयोडीन की बात कर कर के इस देश में करोड़ों का नमक का बाजार बनाया गया ...वह इस देश के गरीबों के साथ धोखा है... और कुछ नहीं.
आज नमक जो कभी एक रुपये का पांच किलो मिलता था अब दूध के भाव १५ -१६ रुपये किलो बिक रहा है और बड़ी बड़ी कम्पनियाँ आयोडीन का भय दिखा दिखा के करोड़ों लूट रही हैं...!!

जिस देश के पास हजारों किलोमीटर लम्बा समुद्र तट हो और जहाँ नहाने पर भी मुंह, कान, नाक में रेट के साथ फ्री का नमक भर जाय
वहां नमक भी बाजार का ब्रांड बन गया ...!
स्टेटस सिम्बल है... अब आयोडीन नमक...
आज लोगों की आँखों न पानी हैं न नमक ...मगर इसकी चिंता कोई नहीं करता !!

यह बाजारवाद की संस्कृति हमारे गलें में घेघा ठीक करे न करें... घेंघा का डर दिखाने वाले रिसर्च की फंब्डिंग जरूर करती है...!
पहले झूठ मूठ के रिसर्च करो...
फिर बाजार में विकल्प के नाम पर कूड़ा बेचो...!!

अधिक आयोडीन खाने से ही दसों बीमारियाँ होती हैं...भाई
अपनी गर्दन को घेंघा से नहीं .. इन बाजार में बैठे डकैतों से... बचाईये...

सोचिये जरा ...!

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