आज हिन्दुराष्ट्र भारत में आयोडीन के नाम पर जो महंगा नमक बेचा जा रहा है...
वह आयोडीन केवल हम खरीदते हैं...वह हमारे भोजन में पहुंचता ही नहीं...!!
हमारे देश की रसोई में रोज खाना बनाने की परंपरा है
हमारे देश की बहू बेटियां प्रतिदिन हमें ताजा खाना बनाकर ...गरमा गरम खाना परोसती हैं
जबकि विदेशों में बाजार से खरीदा हुआ ठंडा बासी खाना जो फ्रिज में हफ़्तों पड़ा रहा हो ... वह भी खाने की परंपरा है.
आयोडीन एक अत्यंत वाष्पशील पदार्थ है और यह हलकी सी गर्मी से ही बाष्प बनके उड़ जाता है.
अपनी सब्जी, दाल, कढ़ी में जिस आयोडीन नमक को हम डालते हैं... वह हलकी सी गर्मी भी नहीं झेल सकता और यह वाष्प बनके तुरंत उड़ जाता है.
आपकी रसोई में रखा हुआ नमक का पैकेट भी अगर गर्म है और खुला हुआ है तो आयोडीन उसमें है ही नहीं.. जाँच करके देख लीजिये.
आप थोडा सा स्टार्च या चावल या मक्का या गेंहू का आटा लीजिये..
या अमरुद को काट लीजिये
रिवाईटल तो घर में होगा... कपड़ों में डालने वाला
इनमें से किसी भी वस्तु पर आप जिस ब्रांड के आयोडीन नमक को डालना चाहें... डालिए...
अगर रंग बदल के हल्का काला या नीला हो जाय तो इसका अर्थ है... उस नमक में आयोडीन है.
अब उस एक चम्मच नमक को हल्का सा ही गर्म कीजिये
या नमक को पानी में घोल लीजिये और गर्म कीजिये
और पुनः डालके देखिये...
अब रंग नहीं बदलेगा ...
इसका अर्थ है... आयोडीन हवा में वाष्प बन के उड़ गया.!!
हम जिस स्टाईल में सब्जी, दाल, कढ़ी बनाते समय पहले नमक डाल के देर तक भूनते है.. या दो चार सीटी लगा के उबाल उबाल के दाल या कढ़ी बनाते हैं ...
उसके बाद एक अणु आयोडीन भी उस भोजन में बचता ही नहीं.
लेकिन चिंता मत कीजिये...
इस आयोडीन की आपको जरूरत भी नहीं है...
इसलिए..कम्पनियाँ इसको केवल बेचती हैं...
आपको खाने नहीं देती...
नहीं तो आप अधिक आयोडीन खाने से बौने रह जायेंगे.
हा हा हा
नमक में जिस आयोडीन की बात कर कर के इस देश में करोड़ों का नमक का बाजार बनाया गया ...वह इस देश के गरीबों के साथ धोखा है... और कुछ नहीं.
आज नमक जो कभी एक रुपये का पांच किलो मिलता था अब दूध के भाव १५ -१६ रुपये किलो बिक रहा है और बड़ी बड़ी कम्पनियाँ आयोडीन का भय दिखा दिखा के करोड़ों लूट रही हैं...!!
जिस देश के पास हजारों किलोमीटर लम्बा समुद्र तट हो और जहाँ नहाने पर भी मुंह, कान, नाक में रेट के साथ फ्री का नमक भर जाय
वहां नमक भी बाजार का ब्रांड बन गया ...!
स्टेटस सिम्बल है... अब आयोडीन नमक...
आज लोगों की आँखों न पानी हैं न नमक ...मगर इसकी चिंता कोई नहीं करता !!
यह बाजारवाद की संस्कृति हमारे गलें में घेघा ठीक करे न करें... घेंघा का डर दिखाने वाले रिसर्च की फंब्डिंग जरूर करती है...!
पहले झूठ मूठ के रिसर्च करो...
फिर बाजार में विकल्प के नाम पर कूड़ा बेचो...!!
अधिक आयोडीन खाने से ही दसों बीमारियाँ होती हैं...भाई
अपनी गर्दन को घेंघा से नहीं .. इन बाजार में बैठे डकैतों से... बचाईये...
सोचिये जरा ...!
वह आयोडीन केवल हम खरीदते हैं...वह हमारे भोजन में पहुंचता ही नहीं...!!
हमारे देश की रसोई में रोज खाना बनाने की परंपरा है
हमारे देश की बहू बेटियां प्रतिदिन हमें ताजा खाना बनाकर ...गरमा गरम खाना परोसती हैं
जबकि विदेशों में बाजार से खरीदा हुआ ठंडा बासी खाना जो फ्रिज में हफ़्तों पड़ा रहा हो ... वह भी खाने की परंपरा है.
आयोडीन एक अत्यंत वाष्पशील पदार्थ है और यह हलकी सी गर्मी से ही बाष्प बनके उड़ जाता है.
अपनी सब्जी, दाल, कढ़ी में जिस आयोडीन नमक को हम डालते हैं... वह हलकी सी गर्मी भी नहीं झेल सकता और यह वाष्प बनके तुरंत उड़ जाता है.
आपकी रसोई में रखा हुआ नमक का पैकेट भी अगर गर्म है और खुला हुआ है तो आयोडीन उसमें है ही नहीं.. जाँच करके देख लीजिये.
आप थोडा सा स्टार्च या चावल या मक्का या गेंहू का आटा लीजिये..
या अमरुद को काट लीजिये
रिवाईटल तो घर में होगा... कपड़ों में डालने वाला
इनमें से किसी भी वस्तु पर आप जिस ब्रांड के आयोडीन नमक को डालना चाहें... डालिए...
अगर रंग बदल के हल्का काला या नीला हो जाय तो इसका अर्थ है... उस नमक में आयोडीन है.
अब उस एक चम्मच नमक को हल्का सा ही गर्म कीजिये
या नमक को पानी में घोल लीजिये और गर्म कीजिये
और पुनः डालके देखिये...
अब रंग नहीं बदलेगा ...
इसका अर्थ है... आयोडीन हवा में वाष्प बन के उड़ गया.!!
हम जिस स्टाईल में सब्जी, दाल, कढ़ी बनाते समय पहले नमक डाल के देर तक भूनते है.. या दो चार सीटी लगा के उबाल उबाल के दाल या कढ़ी बनाते हैं ...
उसके बाद एक अणु आयोडीन भी उस भोजन में बचता ही नहीं.
लेकिन चिंता मत कीजिये...
इस आयोडीन की आपको जरूरत भी नहीं है...
इसलिए..कम्पनियाँ इसको केवल बेचती हैं...
आपको खाने नहीं देती...
नहीं तो आप अधिक आयोडीन खाने से बौने रह जायेंगे.
हा हा हा
नमक में जिस आयोडीन की बात कर कर के इस देश में करोड़ों का नमक का बाजार बनाया गया ...वह इस देश के गरीबों के साथ धोखा है... और कुछ नहीं.
आज नमक जो कभी एक रुपये का पांच किलो मिलता था अब दूध के भाव १५ -१६ रुपये किलो बिक रहा है और बड़ी बड़ी कम्पनियाँ आयोडीन का भय दिखा दिखा के करोड़ों लूट रही हैं...!!
जिस देश के पास हजारों किलोमीटर लम्बा समुद्र तट हो और जहाँ नहाने पर भी मुंह, कान, नाक में रेट के साथ फ्री का नमक भर जाय
वहां नमक भी बाजार का ब्रांड बन गया ...!
स्टेटस सिम्बल है... अब आयोडीन नमक...
आज लोगों की आँखों न पानी हैं न नमक ...मगर इसकी चिंता कोई नहीं करता !!
यह बाजारवाद की संस्कृति हमारे गलें में घेघा ठीक करे न करें... घेंघा का डर दिखाने वाले रिसर्च की फंब्डिंग जरूर करती है...!
पहले झूठ मूठ के रिसर्च करो...
फिर बाजार में विकल्प के नाम पर कूड़ा बेचो...!!
अधिक आयोडीन खाने से ही दसों बीमारियाँ होती हैं...भाई
अपनी गर्दन को घेंघा से नहीं .. इन बाजार में बैठे डकैतों से... बचाईये...
सोचिये जरा ...!
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