गिलोय- अमृत बेल
गिलोय (Tinospora cordifolia) को अमृता भी कहा जाता है .
*यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये
नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये ।
************************** *************
1-अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये ।
2- पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम कि मात्र में शहद के साथ खाएं ।
3-इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।
4-गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है।
5-इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं . उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है
डंडी को ऐसे भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें . हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी
6-इससे पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव , त्वचा की बीमारी , liver की बीमारी हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं .
7-शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री मिलाकर पी लें .
8-अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .
9-यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं .
10-सामान्य जुकाम: गिलोय का ५ इंच तना लेकर इसको अच्छी तरह से कुट कर एक कप पानी मे उबाले , जब अधा कप पानी रह जाए तो इसकी चाय बनाकर और इसमे ३ काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पी जाये। एकदम असर करेगा।
11- जीर्ण ज्वर : आधे गिलास पानी मे ६ इन्च गिलोय का तना कुट कर अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी कि हाण्डी मे रात के लिये रख दे, सुबुह होने पर छान कर इसको पी जाए। ऎसा ६ दिनो. तक लगातार करे।
12- बच्चों के सामान्य जुकाम नजला, खांसी, बुखार पर: गिलोय के पत्तों का रस निकाल कर उसको शहद मे मिलाकर दो तीन बार चटा दे। एक दम असर करेगा
***********************
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं .
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकतेl —
गिलोय (Tinospora cordifolia) को अमृता भी कहा जाता है .
*यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये
नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये ।
**************************
1-अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये ।
2- पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम कि मात्र में शहद के साथ खाएं ।
3-इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।
4-गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है।
5-इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं ; पत्तों का नहीं . उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है
डंडी को ऐसे भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें . हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी
6-इससे पेट की बीमारी , दस्त ,पेचिश, आंव , त्वचा की बीमारी , liver की बीमारी हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं .
7-शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री मिलाकर पी लें .
8-अगर platelets बहुत कम हो गए हैं , तो चिंता की बात नहीं , aloe vera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं .
9-यह त्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं .
10-सामान्य जुकाम: गिलोय का ५ इंच तना लेकर इसको अच्छी तरह से कुट कर एक कप पानी मे उबाले , जब अधा कप पानी रह जाए तो इसकी चाय बनाकर और इसमे ३ काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम गरम पी जाये। एकदम असर करेगा।
11- जीर्ण ज्वर : आधे गिलास पानी मे ६ इन्च गिलोय का तना कुट कर अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी कि हाण्डी मे रात के लिये रख दे, सुबुह होने पर छान कर इसको पी जाए। ऎसा ६ दिनो. तक लगातार करे।
12- बच्चों के सामान्य जुकाम नजला, खांसी, बुखार पर: गिलोय के पत्तों का रस निकाल कर उसको शहद मे मिलाकर दो तीन बार चटा दे। एक दम असर करेगा
***********************
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है . इसे गिलोय सत कहते हैं .
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं . अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकतेl —
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.