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शनिवार, 29 मई 2021

आयुर्वेद और भारत की पहचान

अंग्रेजी दवा के नाम पर लूट और सेहत से खिलवाड़ क्या आयुर्वेद नहीं है हमारी पहचान

अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनियों का बेखौफ झूट*

*आयुर्वेद और भारत की पहचान*

जब दुनिया में कोई पैथी नहीं थीं, तब भी भारत में आयुर्वेद था

जब दुनिया में कोई कपड़े  पहनना नहीं जानते थे, तब हमारे यहां खादी के कपड़े व रेशम का उत्पादन था।

जब दुनिया पढ़ना लिखना नहीं जानतीं तब हमारे पास बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीयां थीं , जो बाद  में विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा बर्बाद की गयी 

जब दुनिया जीडीपी नहीं जानती थी तब हमारे पास महान अर्थशास्त्री हुआ करते थें जिनको आज भी दुनिया मान्यता देती आ रही है 

जब MBBS नहीं थें तब हमारे यहाँ सफलतम सर्जरी हुआ करती थीं, 

सबसे बड़ी बात जब दुनिया में कोई पंथ सम्प्रदाय नहीं था तो सत्य सनातन ही था 

भगवान द्वारा रचित कई ग्रन्थ महाग्रंथ हमारे जीवन का मार्गदर्शन करतें थे,  

*आज के हालत*
"आयुर्वेद को हर कदम पर अग्नि परीक्षा के लिए कहा जाता है। लेकिन एलोपैथी को सौ गलतियाँ माफ।" ये एक फैक्ट है, या सिर्फ मेरे दिमाग का भ्रम... कहना मुश्किल है।
ताज़ा वायरस के मामले में... पहले *हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन* को अचूक माना... दुनिया में भगदड़ मची उसको लेने की। फिर उसका नाम हटा लिया, कहा कि वो प्रभावी नहीं।
 *सैनिटाइजर* को हर वक़्त जेब में रखने की सलाह के बाद उसके ज़्यादा उपयोग के खतरे भी चुपके से बता दिए गए। 



फिर बारी आई *प्लाज़्मा थैरेपी* की। पूरा माहौल बनाया, रिसर्च रिपोर्ट्स आईं, लोग फिर उसमें जी जान से जुट गए। लेने, अरेंज और मैनेज करने और प्लाज़्मा डोनेट करने में भी। और फिर बहुत सफाई से हाथ झाड़ लिया, ये कहते हुए... कि भाई ये इफेक्टिव नहीं है।

*स्टेरॉयड थैरेपी* तो क्या कमाल थी भाई साहब। कोई और विकल्प ही नहीं था। कई अवतार मार्केट में पैदा हुए। कालाबाज़ारी हो गई, बेचारी जनता ने भाग दौड़ करते हुए, मुंहमांगे पैसे दे कर किसी तरह उनका इंतज़ाम किया। अब कहा गया कि ब्लैक फंगस तो स्टेरॉयड के मनमाने प्रयोग का नतीजा है।

*रेमडेसीवीर इंजेक्शन* तो 'जीवनरक्षक' अलंकार के साथ मार्केट में अवतरित हुआ। इसको ले कर जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक फ्रंट पर युद्ध लड़े जाते उनकी महिमा तो मीडिया में लगभग हर दिन गायी जाती। लेकिन अरबों-खरबों बेचने के बाद अब उसको भी 'अप्रभावी' कह कर चुपचाप साइड में बैठा दिया।

दूसरी तरफ 400 रुपये के मासिक खर्च वाले कोरोनिल, 20 रुपए के काढ़े और 10 रुपए की अमृतधारा को हर दिन कठघरे में जा कर अपने सच्चे और काम की वस्तु होने का प्रमाण देना पड़ता है।

*क्लीनिकल रिसर्च ही अगर आधार है तो फिर इतने यू टर्न क्यों? टेस्ट अगर जनता पर ही करने हैं तो फिर हिमालयन जड़ी बूटी वाला खानदानी शफाखाना क्या बुरा है!*

जनता का फॉर्मूला शायद बहुत सीधा है: "महंगा है, अंग्रेज़ी नाम है... तो असर ज़रूर करेगा। साइड इफ़ेक्ट? वो तो हर चीज़ में होते हैं।" 

आयुर्वेद मे अगर किसी दिन संजीवनी बूटी आई तो उसको भी लोग नकार देंगे। समझे ना...?

इसलिए अपनें मूल को पहचानों और कसकर पकड़ो लौटो अपनें जड़ो की तरफ और हाँ ये कौन लोग थे कहाँ थे ये हमसे ना पूछो खुद सर्च करो सब कुछ उपलब्ध है, इस डिजिटल लाइफ में कब तक दिमागी रूप से पिछड़े रहोगें और रोते रहोगें  आज जब दुनिया बेबस है कोरोना के आगे तो यही हमारा आयर्वेद रास्ता दिखा रहा है , आज हम हीं उस पर प्रश्नचिन्ह लगा रहें हैं, क्या हमें हमारा इतिहास किसी दूसरों से समझना हैं क्या ? जरा सोचो !!!!
                  

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

शष्टकर्म धौति क्रियाएँ शरीर शुद्धि क्रियाओ का द्वितीय भाग

शष्टकर्म धौति क्रियाएँ शरीर शुद्धि क्रियाओ का द्वितीय भाग


पिछले अंक में हमने षष्ठ कर्म क्रियाओं का  प्रथम अद्द्याय जल नेति क्रिया को समझा। आज इन्ही षष्ठ क्रियाओं का द्वितीय सोपान धौति क्रियाओं को जानने का प्रयास कर रहे है

कृपया विशेष ध्यान दीजियेगा की ये सभी क्रियाए अत्यंत ही नाजुक, कठिन और संवेदनशील क्रियाए है अतः इन क्रियाओं को विशेषज्ञ की सलाह और सानिध्य के बिना नही की जानी चाहिए

धौति क्रिया शरीर के अंदरूनी पेट, भोजन नलिका की सफाई और शुद्धि के लिए की जाती है। इन क्रियाओं से आंतरिक शुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है

धौति क्रियाए दो प्रकार की है
जल धौति
वस्त्र धौति

*धौति क्रिया के लाभ*
आमाशय साफ होता है | 
गैस, अजीर्ण पेट में जलन, सिर दर्द तथा शरीर का बढ़ा हुआ वजन कम हो जाते हैं 
नियमित यह क्रिया करें तो पीलिया रोग पास नहीं फटकेगा | 
श्वास संबंधी बीमारियाँ तथा मधुमेह दूर होंगे। 
सभी प्रकार के ज्वर से बचाव होगा |

*1. जल धौति – गज करणी – कुंजल या वमन धौति क्रिया*

धौति का अर्थ है धुलाई | योग विद्या में इसे उदरशुद्धि कहते हैं | हाथी को ज्वर आवे तो वह यह क्रिया करता है | इसीलिए यह क्रिया गज करणी या कुंजल क्रिया भी कहलाती है | हाथी को देख कर मनुष्यने यह क्रिया सीखी।

*जलधौति क्रिया की विधि*

मल विसर्जन करते समय जिस प्रकार बैठते हैं पानी पेट भर पी लें । पानी पीने के बाद खड़े होकर पेट और कमर को इधर-उधर आगे पीछे, ऊपर नीचे तथा गोल घुमाएँ । इस तरह हिलाने , व घुमाने से एसिड़, श्रलेष्म तथा गैस आदि मलिन पदार्थ उदर में भरे उस पानी में मिल जाते हैं। इसके बाद बाये हाथ से पेट को दबा कर दायें हाथ की तर्जनी तथा मध्यम उंगलियों को गले में डाल कर अलिजिह्वा को थोड़ा दबा कर उसे इधर-उधर हिलाएँ। ऐसा करने से पेट में जो पानी है वह वमन के द्वारा मलिन पदार्थों के साथ बाहर निकल जाता  है |

पेट का पानी जब तक पूरा बाहर निकल नहीं जाता, तो वह मूत्र के रूप में बाहर निकल जायेगा। 

नमक के बदले नीम्बू का रस मिला कर हलका गरम जल पी सकते हैं। 

इस क्रिया को करते समय लाल रंग का पानी बाहर निकल सकता है | वह रक्त नहीं है | इस क्रिया के बाद हलका गरम दूध या आरोग्यामृतम् औषध का सेवन करना चाहिए। इसके बाद थोड़ी देर आराम करना चाहिए | 

*जलधौति क्रिया में सावधानिया*
यह क्रिया बिना विशेषज्ञ की सहमति नही की जानी चाहिए
दोनों उंगलियों के नाखून बढ़े हुए न हों, इस पर ध्यान देना जरूरी है
छाती दर्द और अलसर हो, या पेट का आपरेशन हुआ हो तो यह क्रिया नहीं करनी चाहिए | गर्भिणी स्त्रियों को इस क्रिया से दूर रहना चाहिए।
इस क्रिया के करते ही मिर्च मसालों से बनों चीजें जैसे, पकोड़ो आदि ना खाएँ । मांस न खाएं | हफ्ते में एक बार यह क्रिया की जा सकती है।

*2. वस्त्र धौति क्रिया*

3 इंच चौड़े 4-7 मीटर लम्बे महीन शुद्ध मलमल कपड़े को शक्कर या नमक से मिले हल्के गरम पानी में भिगोना चाहिए | बाद धीरे-धीरे उसे निगलना चाहिए | इसके बाद उसे वापस मुँह के द्वारा बाहर निकालना चाहिए| इसी को वस्त्र धौतिक्रिया कहते हैं। विशेषज्ञों की सहायता से यह क्रिया सावधानी से करनी चाहिए | दूध या शहद में भी भिगो कर वस्त्र निगल सकते हैं । प्रथम दिन एक फुट वस्त्र ही निगलें । धीरे धीरे 8 या 10 दिनो में इसका पूरा अभ्यास हो जायेगा | कपड़े के सिरे को हाथ की उंगली से बांध लें । तब उस सिरे की सहायता से आहिस्ते-आहिस्ते निगला हुआ वस्त्र बाहर निकल सकता है |

वस्त्र धौतिक्रिया के बाद फिर जल धौतिक्रिया करें | इस क्रिया के समाप्त होते ही हलका गरम दूध पीना चाहिए। उस दिन हलका भोजन करो |

सात दिन लगातार जलधौति क्रिया करनेके बाद ही वस्त्र धौति क्रिया शुरु करनी चाहिए |

इस क्रिया से खाँसी, कफ, आस्थमा तथा गैस आदि रोग दूर होते हैं । सिरदर्द, ज्वर, चर्म रोग जैसे कोढ़, खाज़ तथा एक्झीमा आदि भयानक रोग दूर होते हैं | जठराग्नि बढ़ती हैं |

योगी, मुनि लकड़ी का टुकड़ा भी निगल कर धौति क्रिया किया करते थे।

इसे दंड धौति क्रिया कहते थे | अब यह क्रिया करनेवाले कम हैं |

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः*

टोल टैक्स के बदलेंगे नियम, आपको होगा फायदा, 10 सेकंड से ज्यादा समय लगे तो नही देना होगा टोल

टोल टैक्स के बदलेंगे नियम, आपको होगा फायदा, 10 सेकंड से ज्यादा समय लगे तो नही देना होगा टोल



भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआईए) ने देशभर में टोल नाकों पर वाहनों का प्रतीक्षा समय कम करने को लेकर टोल प्लाजों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किये है. उसने कहा है कि प्रत्येक वाहन को 10 सैकिंड में सेवा दे दी जानी चाहिये. राजमार्ग पर वाहनों के दबाव के शीर्ष समय में भी यह समयसीमा अपनाई जानी चाहिये ताकि वाहनों को कतार में कम से कम समय प्रतीक्षा करनी पड़े.

एनएचआईए ने बुधवार को एक बयान में कहा कि नए निर्देशों में टोल प्लाजा पर वाहनों की 100 मीटर से अधिक कतार नहीं लगने को लेकर यातायात के सुचारु प्रवाह को भी सुनिश्चित किया जाएगा.

उसने कहा, ''फ़ास्टैग के अनिवार्य किये जाने के बाद हालांकि ज्यादातर टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय बिल्कुल भी नहीं है. यदि टोल पर किसी कारण वाहनों की कतार 100 मीटर से अधिक होती है तो, उस स्थिति में सभी वाहनों को बिना टोल दिए जाने की अनुमति होगी जब तक टोल नाके से वाहनों की कतार वापस 100 मीटर के अंदर नहीं पहुंच जाती.''

एनएचआईए ने कहा कि सभी टोल नाको पर 100 मीटर की दूरी का पता लगाने के लिए पीले रंग से एक लकीर बनाई जायेगी. यह कदम टोल प्लाजा ऑपरेटरों में जवाबदेही की एक और भावना पैदा करने के लिए है.

एनएचआईए के अनुसार उसने फरवरी 2021 मध्य से 100 प्रतिशत कैशलेस टोलिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. एनएचएआई के टोल नाकों पर फास्टैग की उपलब्धता कुल मिलाकर 96 प्रतिशत और इनमें कईयों में तो 99 प्रतिशत तक पहुंच गई है.

उसने कहा, ''देश में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बढ़ते टोल संग्रह को ध्यान में रखते हुए अगले दस वर्षों के दौरान यातायात के अनुमान को ध्यान में रखते हुये टोल प्लाजों के आकार और निर्माण पर जोर दिया जाएगा ताकि टोल संग्रह प्रणाली को कुशल बनाया जा सके.''

🇮🇳 वन्दे मातरम

SBI में खोले बच्चों का खाता मिलेगी खास सुविधाएं, साथ ही ऑनलाइन भी खोला जा सकता है खाता

SBI में खोले बच्चों का खाता मिलेगी खास सुविधाएं, साथ ही ऑनलाइन भी खोला जा सकता है खाता

पहला कदम तथा पहली उड़ान संपूर्ण बैंकिंग उत्पादों के समूह हैं, ये न केवल बच्चों को पैसे की बचत का महत्व सीखने में मदद करते हैं, बल्कि वे धन की ‘क्रय शक्ति’ के संबंध में भी सीखते हैं।

दोनों बचत खाते इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग इत्यादि विशेषताओं से परिपूर्ण हैं, जो न केवल बच्चों आधुनिक बैंकिंग से परिचित करवाती हैं बल्कि उन्हें व्यक्तिगत वित्तपोषण की बारीकियों से भी अवगत करवाती हैं। ये सभी विशेषताएँ ‘ दैनिक सीमाओं’ के साथ हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे पैसे का खर्च समझदारी से करें।
अगर आप अपने बच्चों का ऑनलाइन अकाउंट खुलवाना चाहते हैं तो देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) आपके लिए यह सुविधा लेकर आया है.


SBI ने माइनर के लिए पहला कदम (Pehla Kadam) और पहली उड़ान (Pehli Udaan) नाम से सेविंग एकाउंट खुलवाने की सुविधा ऑनलाइन उपलब्‍ध करवाई है. इसके साथ ही इन एकाउंट में बच्चों के लिए रोजाना पैसे निकालने की लिमिट भी तय की गई है. आइए जानते हैं कैसे खुलवाएं अकाउंट और इसके फायदे.

मासिक औसत अधिशेष (एमएबी) आवश्यकता : लागू नही
अधिकतम अधिशेष : 10 लाख रुपए
चैक बुक पहला कदमः चैक बुक उपलब्ध है।
खाता धारक का मोबाइल नंबर रिकॉर्ड किया जाता है।
विशेष रूप से डिजाइन की गई वैयक्तिकृत चेकबुक (10 चैकक पन्नों के साथ), अवयस्क के नाम से अभिभावक को जारी की जाएगी।

पहली उड़ान : चैक बुक उपलब्ध है।
खाता धारक का मोबइल नंबर रिकार्ड किया जाता है। विशेष रूप से डिजाइन की गई वैयक्तिकृत चेकबुक (10 चैकक पन्नों के साथ), अवयस्क के नाम से अभिभावक को जारी की जाएगी।
फोटो एटीएम सह डेबिट कार्ड

पहला कदमः 5,000/- रु. की आहरण/पीओएस सीमा के साथ बच्चे की फोटो लगा एटीएम सह डेबिट कार्ड
कार्ड अवयस्क तथा अभिभावक के नाम पर जारी किया जाएगा।

पहली उड़ानः 5,000/- रु. की आहरण/पीओएस सीमा के साथ बच्चे की फोटो लगा एटीएम सह डेबिट कार्ड अवयस्क के नाम पर जारी किया जाएगा।

मोबाइल बैंकिंग
पहला कदमः खाता देखने के अधिकार तथा सीमित लेनदेन अधिकार के साथ जैसे बिल भुगतान, टॉप अप। 2,000/- रु. की दैनिक लेनदेन सीमा।
पहली उड़ान :खाता देखने के अधिकार तथा सीमित लेनदेन अधिकार के साथ जैसे बिल भुगतान, टॉप अप, आईएमपीएस। 2,000/- रु. की दैनिक लेनदेन सीमा।
20,000/- रु. की न्यूनतम प्रारंभिक सीमा के साथ ऑटो स्वीप सुविधा। न्यूनतम 10,000/- के साथ 1,000/- रु. के गुणकों में स्वीप ।

इंटरनेट बैंकिंग
पहला कदमः पूछताछ तथा सीमित लेनदेन के अधिकार के साथ जैसे - बिल भुगातन, ई-मियादी जमा (ई-टीडीआर)/ ई-विशेष मियादी जमा (ई-एसटीडीआर)/ ई-आवर्ती जमा (ई-आरडी) खोलना, अंतर बैंक निधि अंतरण (केवल एनईएफटी), तथा मांग पत्र जारी करना।
5,000/- रु. की दैनिक लेनदेन सीमा

पहली उड़ानः पूछताछ तथा सीमित लेनदेन के अधिकार के साथ जैसे बिल भुगातन, ई-मियादी जमा (ई-टीडीआर)/ ई-विशेष मियादी जमा (ई-एसटीडीआर)/ ई-आवर्ती जमा (ई-आरडी) खोलना, अंतर बैंक निधि अंतरण (केवल एनईएफटी), तथा मांग पत्र जारी करना।
5,000/- रु. की दैनिक लेनदेन सीमा

1. Pehla Kadam Saving Account विशेषताएँ

>> इस अकाउंट के तहत किसी भी उम्र के नाबालिग बच्चों के साथ माता-पिता या गार्जियन ज्‍वॉइंट एकाउंट खोल सकते हैं.
>> इसे पैरेंट्स या गार्जियन या बच्‍चा खुद सिंगल रूप से ऑपरेट कर सकत है.>> यह कार्ड नाबालिग और अभिभावक के नाम से जारी किया जाएगा.

पहला कदम सेविंग अकाउंट के फायदे

>> इस अकाउंट पर मोबाइल बैंकिंग सुविधा मौजूद है, जिसमें सभी प्रकार के बिल का पेमेंट भी किया जा सकता है. इसमें 2,000 रुपये तक
>> रोजाना ट्रांजैक्शन करने की लिमिट है.
>> बच्चों के नाम से बैंक एकाउंट खोलने पर ATM-डेबिट कार्ड सुविधा भी मिलती है. यह कार्ड नाबालिग और अभिभावक के नाम से जारी किया जाएगा. इसमें 5,000 रुपये तक निकाल सकते हैं.
>> इंटरनेट बैंकिंग सुविधा में रोजाना 5,000 रुपये तक ट्रांजैक्शन करने की लिमिट है. इससे आप सभी प्रकार के बिल जमा कर सकते हैं.
>> पैरेंट्स के लिए पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस कवर भी मिलता है.


2. Pehli Udaan Saving Account 
>> इस अकाउंट को 10 साल से अधिक उम्र के बच्चे जो अपने साइन कर सकते हैं वो पहली उड़ान के तहत खाता खुलवा सकते हैं.
>> यह एकाउंट पूरी तरह से नाबालिग के नाम से होगा.
>> वही उसको अकेले ऑपरेट कर सकता है.

मिलेगी ये खास सुविधाए
>> इसमें भी ATM- डेबिट कार्ड सुविधा मिलती है और रोजाना 5000 रुपये तक पैसे निकाल सकते हैं. इसके साथ ही मोबाइल बैंकिंग सुविधा भी मिलती है. जिसमें रोजाना 2000 रुपये तक ट्रांसफर कर सकते हैं.
>> इसके साथ तमाम तरह के पेमेंट भी कर सकते हैं.
>> इंटरनेट बैंकिंग सुविधा में रोजना 5,000 रुपये तक ट्रांसफर कर सकते हैं.
>> इसमें चेक बुक की वही सुविधा मिलती है जो पहला कदम में मिलती है.
>> पहली उड़ान में नाबालिग को ओवर ड्रॉफ्ट की कोई सुविधा नहीं मिलती है.

ऐसे खुलवाएं बच्चों का खाता
>> पहले आप एसबीआई की ऑफिशियल वेबसाइट sbi.co.in पर जाएं. इसके बाद पर्सनल बैंकिंग पर क्लिक करें.
>> अब अकाउंट्स टैब पर क्लिक कर सेविंग अकाउंट ऑफ माइनर्स का विकल्प चुनें.
>> इसके बाद अप्लाई नाउ पर क्लिक करें. फिर आपको डिजिटल और इंस्टा सेविंग अकाउंट का एक पॉप-अप फीचर्स दिखाई देगा.
>> अब आपको Open a Digital Account के टैब में क्लिक करना है.
>> इसके बाद Apply now क्लिक करके अगले पेज में जाएं.
>> अकाउंट ओपन करने के लिए अपनी पूरी जानकारी दर्ज करें.
>> यहां पर ध्यान दें कि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक बार SBI के ब्रांच में जाना जरूरी है.
>> इसके अलावा आप ऑफलाइन तरीके से SBI के ब्रांच में भी जाकर अकाउंट ओपन कर सकते हैं.

वन्दे मातरम

षष्टकर्म प्रक्षालयन क्रिया : वस्ति (एनिमा) क्रिया : पचित भोजन को मल द्वार द्वारा विसर्जित करने की क्रिया

षष्टकर्म प्रक्षालयन क्रिया : वस्ति (एनिमा) क्रिया : पचित भोजन को मल द्वार द्वारा विसर्जित करने की क्रिया

स्वास्थ्य की रक्षा में मल विसर्जन का महत्व अधिक है। जो खाना खाया जाता है उसका पचना तथा अजीर्ण का न होना आवश्यक है। प्राचीन काल में जल से भरी नाँद, नदी या तालाब में बैठ कर साधक मल रंध्र से पानी अंदर खींच कर अधोजठर में भरते थे | इसमें मन:शक्ति बड़ी सहायता करती थी | यह वस्ति क्रिया कर सकनेवाले अब बहुत कम हैं | आधुनिक काल में एनिमा की सहायता लेकर इसे सरल बनायी गयी है |

इसके लिए मलरंध्र के द्वारा जल को अधो जठर में भर कर, थोड़ी देर वहीं रहने देना चाहिए | बाद अधों जठर पर हाथ फेर कर बाद को संचित मल के साथ उस जल को विसर्जित करना चाहिए |

*एनिमा क्रिया*
हलके गरम पानी में थोड़ा सा नींबू का रस या नमक या त्रिफला चूर्ण मिला कर, उस पानी को एनिमा के डिब्बे में भरें | रबर की नली की मदद से वह पानी मल रंध्र के द्वारा अधोजठर में भेजें । थोड़ी देर बाद उस पानी को मल द्वार के द्वारा बाहर विसर्जित करें | उस पानी के साथ मल, श्रलेष्म तथा आम्ल बाहर निकल जाते हैं | महीने में एक बार आवश्यक हो तो अधिक बार यह क्रिया की जा सकती है | इस के बाद साधक को थोड़ी देर आराम कर, उसके बाद हल्का भोजन करना चाहिए।

*शंख प्रक्षालन क्रिया*
मुँह से लेकर मलद्वार तक की पूर्ण पाचन प्रणाली की शुद्धि के लिए शंख प्रक्षालन क्रिया की जाती है

पाचन के में सहयोग देने वाली योग की क्रिया ही शंख प्रक्षालन है। मल द्वार शंख के रूप में रहता है| उसका प्रक्षालन कर उसे धोकर साफ करने की यह क्रिया है। अत: इसका नाम शंख प्रक्षालन पड़ा |

शंख प्रक्षालन शारीरिक शुद्धि से संबंधित यौगिक क्रियाओं में श्रेष्ठ है। यह बड़ी सावधानी से की जानेवाली क्रिया है। इससे संबंधित 4 आसन हैं। उन्हें आचरण में लाकर फायदा उठाना जरूरी है। 

इन सभी आसनों के पहले नमकीन जल पीना चाहिए। उस जल के द्वारा मुँह से लेकर मल द्वार तक का 30 – 40 फुट लंबा मार्ग शंख प्रक्षालन की क्रिया के द्वारा शुद्ध होता है।

टेढ़े-मेढ़े नाल को साफ करना हो तो जैसे ज्यादा जल आवश्यक है, वैसे ही हमारे पेट के अंदर जो टेढ़ा-मेढ़ा मार्ग है उसे साफ करने के लिए अधिक जल आवश्यक होता है।

यह जल मुँह से पेट में, पेट से छोटी आंत में, छोटी आंत से बड़ी आंत में और बड़ी आंत से मल द्वार तक जबर्दस्ती भेजा जाता है| इस जल के साथ अपच व्यर्थ पदार्थ भी बाहर निकल जाता है। इस क्रिया के आरंभ के पूर्व थोड़ा नमक या चारपाँच नींबुओं का रस मिला कर पाँच छ: लीटर हलका गरम पानी तैयार कर रखना चाहिए। शंख प्रक्षालन की क्रिया करने के लिए निम्नलिखित चार आसन क्रम से करने पड़ते हैं |
1. सर्पासन
2. ऊर्ध्वं हस्तासन
3. कटि चक्रासन
4. उदराकर्षणासन

इन चार आसनों के ग्रुप से शंख प्रक्षालन क्रिया की जाती है। जिनका विस्तृत अध्धयन हम आगे के अंकों के अवश्य ही करेंगे।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

भिगोकर खाने से ये खाद्य पदार्थ देते है आश्चर्यजनक लाभ क्या आपने कभी आजमाया है

भिगोकर खाने से ये खाद्य पदार्थ देते है आश्चर्यजनक लाभ क्या आपने कभी आजमाया है

अगर इन 6 चीजों को रातभर भिगोकर खाएंगे, तो ये देंगे फायदा भरपूर जिससे आप बीमारियों से रहेंगे कोसों दूर
 
1. मुनक्का -इसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम और आयरन काफी मात्रा में होते हैं। मुनक्के का नियमित सेवन कैंसर कोशिकाओं में बढ़ोतरी को रोकता है। इससे हमारी स्किन भी हेल्दी और चमकदार रहती है। एनीमिया और किडनी स्टोन के मरीजों के लिए भी मुनक्का फायदेमंद है। 

2. काले चने -इनमें फाइबर्स और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होती हैं जो कब्ज दूर करने में सहायक होते है। 

3. बादाम -इसमें मैग्नीशियम होता है जो हाई बीपी के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि नियमित रूप से भीगी हुई बादाम खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है। 

4. किशमिश -किशमिश में आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। भीगी हुई किशमिश को नियमित रूप से खाने से स्किन हेल्दी और चमकदार बनती है। साथ ही शरीर में आयरन की कमी भी दूर होती है। 

5. खड़े मूंग -इनमें प्रोटीन, फाइबर और विटामिन बी भरपूर मात्रा में होता है। इनका नियमित सेवन कब्ज दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है। इसमें पोटेशियम और मैग्नेशियम भी भरपूर मात्रा में होने की वजह से डॉक्टरस हाई बीपी के मरीजों को इसे रेगुलर खाने की सलाह देते है। 

6.  मेथीदाना -इनमें फाइबर्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो कब्ज को दूर कर आंतों को साफ रखने में मदद करते हैं। डायबिटीज के रोगियों के लिए भी मेथीदाने फायदेमंद हैं। साथ ही इनका सेवन महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करता हैं।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

षष्ठ कर्म प्रक्षालयन क्रियाएं: नौलि क्रियाएं, पेट की वायु को नियंत्रित कर स्वस्थ बनाने के लिए

षष्ठ कर्म प्रक्षालयन क्रियाएं: नौलि क्रियाएं, पेट की वायु को नियंत्रित कर स्वस्थ बनाने के लिए

नौलि क्रियाएँ
षष्ठ कर्म योग का चतुर्थ सोपान है नौलि क्रियाएँ , ये क्रियाए मुख्यतः वायु से संबंधित हैं | वायुदाब को पेट के भीतर नियंत्रित रख इस क्रिया को किया जाता है। इसके पूरक, कुंभक और रेचक नामक तीन विभाग इसमें महत्व रखते हैं | 

नौलि क्रियाओं के तीन स्तर हैं – 
1अग्निसार क्रिया,
2 उड़ियान क्रिया,
3 नौलि क्रिया ।

ये सभी क्रियाएं संवेदनशील और जटिल होती है इसलिए किसी विशेषज्ञ के सानिध्य में ही इन्हें किया जाना चाहिए

*नौलि क्रियाओं के लाभ*

शरीर के अंदरूनी अंगों पर अच्छा नियंत्रण रहता है
शरीर शुद्धि की ये लाभदायक प्रक्रिया है
पेट मे जमा मल आसानी से निकल जाता है
नौलि क्रिया से पेट का अच्छा मंथन होता है जिससे पेट मे स्फूर्ति आती है
पाचन क्रिया नियमित और स्वास्थ्य वर्धक बनती है
इससे नाभि, लिवर तथा उदर संबंधी रोग दूर होते हैं। 
नौलि क्रिया से भूख अधिक लगती है |
इस क्रिया से वीर्य संबंधी दोष दूर होते हैं ।

*नौलि क्रियाओ की विधि*

सर्व प्रथम आप एक शांत , समतल और स्वच्छ स्थान पर एक आसन लगाकर सुखासन या पद्मासन में बैठ जावे। आप चाहे तो ये सभ क्रियाए खड़े रहकर भी कर सकते है। फिर नीचे दिखाए अनुसार क्रम से क्रियाए करे

*इन सभी क्रियाओं में 3 क्रिया पूरक, कुम्भक, और रेचक का बड़ा महत्व है*

किसी भी प्रकार का प्राणायाम करते समय तीन क्रियाएँ की जातीं हैं- पूरक, कुम्भक और रेचक। 

सांस लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं ।

सास को रोके रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं और

सास को छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं ।

कुम्भक भी दो प्रकार का होता है- आन्तरिक कुम्भक और वाह्य कुम्भक। श्वास को अन्दर रोकने की क्रिया को आन्तरिक कुम्भक तथा श्वास को बाहर रोकने की क्रिया को बाहरी कुम्भक कहते हैं। कुम्भक करते समय श्वास को अन्दर खींचकर या बाहर छोड़कर रोककर रखा जाता है।

आन्तरिक कुम्भक- इसके अन्तर्गत नाक के छिद्रों से वायु को अन्दर खींचकर जितनी देर तक श्वास को रोककर रखना सम्भव हो, उतनी देर रखा जाता है और फिर धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़ दिया जाता है।

वाह्य कुम्भक - इसके अन्तर्गत वायु को बाहर छोड़कर जितनी देर तक श्वास को रोककर रखना सम्भव हो, रोककर रखा जाता है और फिर धीरे-धीरे श्वास को अन्दर खींचा लिया जाता है।

अब मूल विषय नौति क्रिया की विधि जाने

*1. अग्निसार क्रिया*
आप सर्वप्रथम वज्रासन की स्थिति में बैठकर पूरक करें। श्वास को अंदर लें । इसके बाद रेचक करें। श्वास को बाहर निकालें । श्वास को बाहर रोक कर, मन की सहायता से, पेट-नाभि को आगे पीछे करते रहें । फिर धीमे से श्वास लें । यह एक चक्र है | ऐसे तीन चार चक्र करना चाहिए।| यह अग्निसार क्रिया खड़े रह कर भी उसी तरह की जा सकती है ।

*2. उड़ियान क्रिया*
सुखासन या पद्मासन में रह कर पूरक करें । इसके बाद रेचक तथा कुंभम करें। पेट को अंदर की ओर इस प्रकार पिचकाएं कि वह मानो पीठ के भीतरी भाग का स्पर्श कर रहा हो । थोड़ी देर रुक कर सांस लें । यह क्रिया खड़े रह कर भी की जा सकती है ।

*3. नौलि क्रिया*
अग्निसार एवं उड़ियान क्रियाओं के अभ्यास के बाद नौलिक्रिया कर सकते हैं । इस क्रिया में पेट के मध्य भाग को छड़ की भांति बनाकर साधक खड़ा रहे । दोनों हाथ दो जांघों पर रखे। पूरक करते हुए साँस अंदर ले। फिर रेचक करते हुए साँस बाहर छोड़ दे । पेट को अंदर की ओर इस तरह पिचकाएँ कि पीठ के अंदर के भाग से पेट मानों स्पर्श कर रहा हो । इसके बाद दोनों हाथों को जांघो के ऊपर से एक-एक उठावें और छड़ जैसे बने पेट को इधर-उधर हिलाएँ ।

*नौति क्रियाओं में सावधानियां*
सबेरे मल मूत्र विसर्जन के बाद खाली पेट नौलिक्रिया करनी चाहिए । 
भोजन के बाद नौलि क्रिया नहीं करनी चाहिये  
14 बरस तक की अवस्था के बच्चों, रोगियों, रक्तचाप वालों तथा अलसर एवं हर्निया वालों, तथा गर्भिणी स्त्रियों को नहीं करनी चाहिए ।
सभी क्रियाए विशेषज्ञ की सलाह पर और उनके दिशानिर्देशों के अनुरूप ही की जानी चाहिए।

भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

नौलि क्रियाओं में मध्य नौलि, दक्षिण नौलि तथा वाम नौलि जैसी क्रियाएं निपुण व्यक्तियों की सहायता लेकर की जा सकती है |

आपदा में अवसर , काढा बेचकर बचाई अपनी गृहस्ति, मन की लगन ने बनाया उद्योगपति

आपदा में अवसर , काढा बेचकर बचाई अपनी गृहस्ति, मन की लगन ने बनाया उद्योगपति




लखनऊ की सरोजनीनगर ब्लॉक की परवल पश्चिम निवासी प्रियंका के पति फास्ट फूड का ठेला लगाते थे। कोरोना संक्रमण के चलते लाॅकडाउन हुआ तो ठेला तो छोड़िए सुरक्षा के चलते घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित हो गया। दो बच्चों के साथ घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। उन्हाेंने उप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से जुड़कर काढ़ा बनाना शुरू कर दिया। उनकी जिंदगी ही बदल गई। काढ़ा ही नहीं वह मास्क भी बनाती हैं। एक महीने में आठ से 10 हजार रुपये कमा रही हैं। अकेली प्रियंका ही नहीं रसूलपुर की संगीता व हबीबुल निशा समेत लखनऊ की 427 ग्रामीण महिलाएं मास्क, काढ़ा व सिलाई करके अपना परिवार चला रही हैं।
लखनऊ ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों की महिलाएं समूह से जुड़कर लाॅकडाउन में अपनी गृहस्थी चला रहीं हैं।

*एक पैकेट पर मिलते हैं 15 रुपये*
काढ़ा बनाने के राज्य परियोजना प्रबंधक आचार्य शेखर ने बताया कि लखनऊ समेत मुजफ्फरनगर, हरदोई, लखनऊ, देवरिया और सोनभद्र बड़े स्तर पर काढ़ा बनाया जा रहा है। अन्य जिलों में जैसे उन्नाव, प्रयागराज, कानपुर देहात, शामली, बुलंदशहर, सुलतानपुर, अंबेडकर नगर, चंदौली, वाराणसी, झांसी, बांदा, चित्रकूट, कन्नौज, ललितपुर में महिला सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। अन्य जिलों में मास्क सैनिटाइजर बनाकर महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। 100 ग्राम के एक पैकेट पर 15 रुपये मिलते हैं। 50 रुपये की लागत आती है और 65 रुपये में काढ़ा बिकता है।

*ऐसे बनता है काढ़ा*
दालचीनी, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च व सोंठ को उचित मात्रा में मिलाकर 100 ग्राम का एक पैकेट तैयार किया जाता है जिसे गरम पानी में उबालकर लगभग सात ग्राम का मिश्रण एक बार के काढ़े के लिए प्रयोग में लाया जाता है। उसमे शहद और नींबू मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। एक समूह द्वारा दिन भर में 10 से 15 किलो का मिश्रण तैयार होता है और 150 पैकेट बनते हैं।

🇮🇳 वन्दे मातरम

जय हिन्द 🇮🇳

होम लोन लेते समय रखे ध्यान , होम इन्शुरन्स से मिलता है संकट के सहारा नही चुकाना पड़ता ऋण

होम लोन लेते समय रखे ध्यान , होम इन्शुरन्स से मिलता है संकट के सहारा नही चुकाना पड़ता ऋण


लोग घर खरीदने या बनवाने के लिए लोन लेते हैं लेकिन अधिकतर लोग होम लोन का इंश्योरेंस नहीं करवाते हैं. होम लोन का इश्योरेंस लेने के कई फायदे होते हैं. होम लोन चुकाना किसी बोझ से कम नहीं है खासकर उन परिवारों के लिए जहां कमाने वाला सिर्फ एक ही व्यक्ति हो. यह एकमात्र कमाने वाला शख्स अगर किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाए, नौकरी चली जाए या फिर किसी दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो जाए तो लोन चुकाना परिवार के लिए बहुत भारी पड़ जाता है. ऐसी स्थिति में होम लोन इंश्योरेंस आपके काम आती है.

*होम इंश्योरेंस और होम लोन इंश्योरेंस में अंतर*



घर और उसमें मौजूद समानों की चोरी, प्राकृतिक आपदाओं आदि से होने वाले नुकसानों से होम इंश्योरेंस में कवर मिलता है. वहीं अगर किसी किसी वजह से होम लोन लिए हुए व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो होम लोन इंश्योरेंस ईएमआई चुकाने में मदद करता है.

*यह ध्यान रखें कि होम लोन के साथ इंश्योरेंस*
 प्लान खरीदने या नहीं खरीदने का फैसला पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर करता है. लोन लेने वाले को कवर खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

*होम लोन इंश्योरेंस लेने के फायदे*
होम लोन लेने वाले की आकस्मिक मृत्यु होने पर बाकी की किस्त इसी बीमा के जरिए जमा हो जाती है. बीमा कवर होने से यह बोझ दूसरों पर नहीं पड़ता है. लोन लेने वाले व्यएक्ति की दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी रूप से पूर्ण विकलांग होने पर होम लोन इंश्योरेंस कवर मिलता है.

*लोन लेने वाले व्योक्ति की गंभीर बीमारी में भी इंश्योरेंस कवर मिलता है.*
 अगर किसी वजह से लोन लेने वाले व्य क्ति की नौकरी छूट जाती है, तो तीन मासिक किस्तों का भुगतान बीमा कंपनी करती है. होम लोन प्रोटेक्शन स्कीम एक टर्म इंश्योरेंस की तरह है, यानी बीमा की अवधि आप खुद तय कर सकते हैं. बीमा की अवधि के हिसाब से आपका प्रीमियम तय होता है.

*कब नहीं मिलेगा फायदा?*
होम लोन किसी और के नाम शिफ्ट करते हैं या समय के पहले बंद करते हैं तो बीमा कवर खत्म हो जाता है. स्वाभाविक मृत्यु या आत्महत्या के मामले भी होम लोन प्रोटेक्शन प्लान के दायरे में नहीं आते हैं. हालांकि अगर आप लोन को दूसरे बैंक में ट्रांसफर कराते हैं, प्री-पेमेंट या रिस्ट्रक्चर कराते हैं तो होम लोन इंश्योरेंस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

*कहां से ले सकते हैं लोन इंश्योरेंस?*
जिस बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NEFC) से आप लोन लेते हैं तो वो भी आपको होम लोन इश्योरेंस उपलब्ध कराती हैं. आप इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनियों से भी होम लोन इंश्योरेंस ले सकते हैं.

बीमा कंपनियां इंश्योरेंस का प्रीमियम लोन की रकम, लोन की अवधि, लोन लेने वाले व्योक्ति की आयु और आय को देखकर तय करती हैं. इंश्योरेंस का प्रीमियम कुल कर्ज की राशि का 2 से 3 फीसदी होता है.

🇮🇳 वन्दे मातरम

जय हिन्द 🇮🇳

केंद्र का निर्णय कोरोना से मृत्यु पर पत्रकारों के परिवार को मिलेगा 5 लाख

केंद्र का निर्णय कोरोना से मृत्यु पर पत्रकारों के परिवार को मिलेगा 5 लाख, अन्य राज्यो के भी देखे मुआवजा एलान


कोरोना वायरस से अब तक देश में तीन लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। पहली लहर के मुकाबले लाखों लोगों ने कोविड की दूसरी लहर में दम तोड़ दिया। इसमें सिर्फ आम जनता ही नहीं बल्कि हमारे फ्रंट वॉरियर्स, सुरक्षाकर्मी, सरकारी कर्मचारी, सेलिब्रिटी और कई पत्रकारों ने भी अपनी जानें गंवाई। 

*पत्रकार की मृत्यु पर देय 5 लाख*
आपको बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक पत्रकार महामारी की चपेट में आए जिसमें से कई जिंदगी की जंग हार गए। केंद्र सरकार ने कोविड से अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों के परिजनों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए अब प्रत्येक परिवार के लिए 5-5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। 

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने कोविड से जान गंवाने वाले पत्रकारों के 67 परिवारों के लिए वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। गुरुवार यानी 27 मई को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपए दिए जाने का ऐलान किया गया।

*आन्ध्रप्रदेश में कोरोना मृत्यु पर परिवार को मिलेगा 10 लाख*

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाइ एस जगन मोहन रेड्डी ( YS Jagan Mohan Reddy) ने गुरुवार को COVID-19 के कारण अपने माता-पिता को खो देने वाले बच्चों को सहायता के रूप में 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने एक बयान में बताया कि इस योजना का लाभ केवल 18 साल के कम उम्र के वो बच्चे उठा सकते हैं जिनका परिवार गरीबी रेखा से नीचे आता है.

बयान में कहा गया कि “सरकार को उम्मीद है कि वो प्रति बच्चा 10 लाख का फिक्स डिपोजिट कर देंगे जिसका इस्तेमाल बच्चे पढ़ाई- लिखाई के लिए कर सकते है. यह राशि तब तक फिक्स डिपोजिट (FD) के तहत रहेगी जब तक कि बच्चा 25 साल का नहीं हो जाए.” वहीं उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक एक सप्ताह के भीतर 34 अनाथ बच्चों की पहचान कर उनमें से प्रत्येक के नाम पर फिक्स डिपोजिट बांड जारी किया गया है.

*राजस्थान सरकार का फैसला अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार तक मुफ्त बस की सेवा*

*झारखंड सरकार उठाएगी कोरोना मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार और कफन का खर्च*

*दिल्ली सरकार देगी कोरोना मृतक यदि हिन्दू है तो दाह संस्कार के लिए लकड़ी का खर्च*

*दिल्ली सरकार भी देगी ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मृत्यु पर 5 लाख*
केजरीवाल सरकार ने ऑक्सीजन की कमी या इसकी लापरवाही के चलते जान गंवाने वालों के परिजनों को 5 लाख रुपए तक देने का फैसला किया है। इसके लिए आप सरकार एक पैनल का गठन करेगी, जो हर मामले को देखने के बाद मुआवजे को लेकर फैसला देगा।

*केरल सरकार देगी 3 लाख और शिक्षा खर्च*
केरल सरकार उन बच्चों के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज का प्रावधान करेगी, जिन्होंने कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है। इस विशेष पैकेज के तहत सरकार उन्हें एकमुश्त तत्काल सहायता, मासिक सहयोग राशि और निशुल्क शिक्षा देगी।

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने घोषणा की कि केरल सरकार की ओर से कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के बच्चों को ₹3,00,000 तत्काल राहत के रूप में दिया जाएगा और ₹2,000 की मासिक राशि उन बच्चों के 18वें जन्मदिन तक जारी की जाएगी।

*योगी सरकार देगी कोरोना मृत्यु पर 50 लाख की आर्थिक मदद व सरकारी नॉकरी*
कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में अधिकारी और कर्मचारी लगातार अपनी ड्यूटी निभाने का काम कर रहे हैं। ड्यूटी के दौरान कई अधिकारी व कर्मचारी की मौत भी हो चुकी है। इसलिए राज्य सरकार ने बीते दिनों ऐसे सभी कर्मियों के परिवारों के जीवन यापन के लिए उनके आश्रितों को नौकरी देने तथा अनुमन्य राशि दिए जाने की घोषणा कर दी है।

सूबे की योगी सरकार ने कोरोना वायरस काल में ड्यूटी के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की हुई मौतों पर बड़ा कदम उठाया है। यूपी सरकार ने घोषणा की है कि ऐसे सभी कर्मचारियों के आश्रितों को 50 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।

🇮🇳 वन्दे मातरम

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