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सोमवार, 17 जनवरी 2022

पेड़ में एक लाख सत्रह हजार तीन सौ अड़तालिस लीटर पानी स्टोरेज करने की क्षमता है।

 

इस पेड़ का नाम बाओबाब है और इसे हिन्दी में गोरक्षी कहते हैं। लगभग 30 मीटर ऊंचे और 11 मीटर चौड़े इस वृक्ष की बनावट बड़ी ही अजीब होती है क्योंकि इन्हें देखने से लगते है कि इनकी जड़े ऊपर और तना नीचे है। बाओबाब में केवल साल के 6 माह ही पत्ते लगे रहते हैं। इसे लोग बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष तथ उल्टा पेड़ के नाम से भी बुलाते हैं। हालांकि अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहते हैं जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़'।

बता दें कि अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है औरतो और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। मेडागास्कर में स्थित कुछ बाओबाब वृक्ष बहुत ही पुराने हैं। यहां कुछ वृक्ष तो रोमनकाल से ही खड़े हैं। एक ऐसा ही वृक्ष इफेती शहर के पास भी स्थित है और इस पेड़ का नाम टी-पॉट बाओबाब है।

ऐसे नाम के पीछे कारण ये है कि इसके मुख्य तने से एक तना और निकला है। आपको बता दें कि ये पेड़ 1200 साल पुराना है। विशेषज्ञों का इस बारे में कहना है कि इस पेड़ में एक लाख सत्रह हजार तीन सौ अड़तालिस लीटर पानी स्टोरेज करने की क्षमता है।

परशुराम टांगीनाथ धाम कैसे पहुचे


टांगीनाथ धाम, झारखंड राज्य मे गुमला शहर से करीब 75 km दूर तथा रांची से करीब 150 km दूर घने जंगलों के बीच स्थित है। यहाँ पर आज भी भगवान परशुराम का फरसा ज़मीं मे गड़ा हुए है। झारखंड में फरसा को टांगी कहा जाता है, इसलिए इस स्थान का नाम टांगीनाथ धाम पड़ गया। धाम में आज भी भगवान परशुराम के पद चिह्न मौजूद हैं।

माना जाता है कि परशुराम ने यहीं पर घोर तपस्या की थी।

टांगीनाथ धाम मे भगवान विष्णु के छठवें अवतार परशुराम ने तपस्या कि थी। परशुराम टांगीनाथ कैसे पहुचे इसकी कथा इस प्रकार है। जब राम, राजा जनक द्वारा सीता के लिये आयोजित स्वयंवर मे भगवान शिव का धनुष तोड़ देते है तो परशुराम बहुत क्रोधित होते हुए वहा पहुँचते है और राम को शिव का धनुष तोड़ने के लिए भला – बुरा कहते है।

सब कुछ सुनकर भी राम मौन रहते है, यह देख कर लक्ष्मण को क्रोध आ जाता है और वो परशुराम से बहस करने लग जाते है। इसी बहस के दौरान जब परशुराम को यह ज्ञात होता है कि राम भी भगवान विष्णु के ही अवतार है तो वो बहुत लज्जित होते है और वहाँ से निकलकर पश्चाताप करने के लिये घने जंगलों के बीच आ जाते है। यहां वे भगवान शिव की स्थापना कर और बगल मे अपना फरसा गाड़ कर तपस्या करते है। इसी जगह को आज सभी टांगीनाथ धाम से जानते हैं।

यहाँ पर गड़े लोहे के फरसे कि एक विशेषता यह है कि हज़ारों सालों से खुले मे रहने के बावजूद इस फरसे पर ज़ंग नही लगी है। और दूसरी विशेषता यह है कि ये जमीन मे कितना नीचे तक गड़ा है इसकी भी कोइ जानकारी नही है। एक अनुमान 17 फ़ीट का बताया जाता है।

फरसे से जुडी किवदंती

कहा जाता है कि एक बार क्षेत्र मे रहने वाली लोहार जाति के कुछ लोगो ने लोहा प्राप्त करने के लिए फरसे को काटने प्रयास किया था। वो लोग फरसे को तो नही काट पाये पर उनकी जाति के लोगो को इस दुस्साहस कि कीमत चुकानी पड़ी और वो अपने आप मरने लगे। इससे डर के लोहार जाति ने वो क्षेत्र छोड़ दिया और आज भी धाम से 15 km की परिधि में लोहार जाति के लोग नही बसते है।

भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है टांगीनाथ का सम्बन्ध

कुछ लोग टांगीनाथ धाम मे गड़े फरसे को भगवान शिव का त्रिशुल बताते हुए इसका सम्बन्ध शिवजी से जोड़ते है। इसके लिए वो पुराणों कि एक कथा का उल्लेख करते है जिसके अनुसार एक बार भगवान शिव किसी बात से शनि देव पर क्रोधित हो जाते है। गुस्से में वो अपने त्रिशूल से शनि देव पर प्रहार करते है। शनि देव त्रिशूल के प्रहार से किसी तरह अपने आप को बचा लेते है। शिवजी का फेका हुआ त्रिशुल एक पर्वत को चोटी पर जा कर धस जाता है। वह धसा हुआ त्रिशुल आज भी यथावत वही पडा है। चुकी टांगीनाथ धाम मे गडे हुए फरसे की उपरी आकर्ति कुछ-कुछ त्रिशूल से मिलती है इसलिए लोग इसे शिव जी का त्रिशुल भी मानते है।

राजस्थान की कोबरा (जिप्सी) जनजाति के बारे में

 राजस्थान की कोबरा (जिप्सी) जनजाति के बारे में

राजस्थान की कोबरा जनजाति को स्थानीय रूप से कलाबेलिया जनजाति के रूप में जाना जाता है। सामान्य तौर पर, यह राजस्थान की एक आवारा जिप्सी जनजाति में से एक है। वे आम तौर पर गाँव के मेलों में फ्लैमेन्को जिप्सी नृत्य करते हैं, और साँपों के आकर्षण हैं।

इसी तरह की एक जनजाति है, वह है भोपा जिप्सी जनजाति। वे अपने आदिवासी नृत्य, गाने करते हैं और आजीविका चलाने के लिए अपने अद्वितीय संगीत वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन करते हैं।

अतीत में, इन समुदायों को संगीत, नृत्य और गायन में उनके कौशल के लिए राजस्थान के राज्यों द्वारा संरक्षण दिया गया था, लेकिन राजस्थान से रॉयल्टी समाप्त होने के बाद, ये लोग दिन में दो बार भोजन बनाने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करने आते हैं।

इन लोगों को समाज में अछूत माना जाता है और सामाजिक स्पेक्ट्रम के सबसे कम सामाजिक आर्थिक समूह से संबंधित हैं। जीवन दुख से भरा है, रोटी के लिए संघर्ष करना है, सिर पर छत नहीं है, ये लोग थार के रेगिस्तान में आवारा के रूप में चरम जीवन जीते हैं।

और आंखों के हिस्से में आना, रंगीन आँखें इन समुदायों में बहुत आम हैं। इन जिप्सियों में लगभग हर तरह की आंखें हैं। उनके आंखों के रंगों के कुछ कारण हैं जो मैं इस संग्रह के बाद आपको बताना चाहूंगा।

राजस्थान में इस तरह की आंखों पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता हैं, ज्यादातर गांवों में क्योंकि वे इन आंखों को देखने के अभ्यस्त हो गए हैं क्योंकि ये लोग प्रदर्शन करने के लिए गांव के इलाकों में आते थे।

मैं बचपन से इन लोगों को देख रहा हूं क्योंकि ये लोग हमारे इलाकों में प्रदर्शन करने आते हैं और आज भी ये लोग अलग-अलग समारोहों में प्रदर्शन करते हैं।

इन लोगों के अलावा, कुछ सामान्य लोगों के पास चमकीली बनावट के साथ रंगीन आँखें हैं, लेकिन यह जिप्सी समुदाय में उतना आम नहीं है।

अजीब नज़रों से थार का बूढ़ा आदमी

अम्बर पर एक राजस्थानी

इन रहस्यमयी रंगीन आंखों के पीछे सदियों की कहानी है, ये जनजाति हजार से अधिक वर्षों से थार के निवासी हैं। ये लोग युगों से आवारा हैं। मध्ययुगीन समय में जब यूरोपीय, यूनानी और अफगान जैसे आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किया, ये लोग सबसे पहले पीड़ित थे, इन लोगों को नरसंहार, बलात्कार और लूटपाट किया गया था। और इस सारे चक्र के परिणामस्वरूप विभिन्न नस्लों का प्रजनन हुआ और परिणामस्वरूप इन लोगों की आंखों के रंग में बदलाव आया, कुछ आक्रमणकारियों ने उन्हें अलग-अलग स्थानों पर दास के रूप में ले लिया और बाद में वे रोमा जिप्सियों के रूप में चले गए।

हाँ, ये राजस्थानी आदिवासी रोमा लोगों के पूर्वज हैं और यह भूमि रोमा जिप्सियों की पैतृक भूमि है।

बच्चों को कम उम्र में सिखाने की जरूरत है:

 

यहां उन चीजों की एक सूची दी गई है, जिन्हें आपको अपने बच्चों को कम उम्र में सिखाने की जरूरत है:

1- जब वह 2 साल का हो तो अपने बच्चे के सामने कपड़े पहनने से बचें। उन्हें या खुद को बहाना सीखें।

2- कभी भी किसी वयस्क को अपने बच्चे को 'मेरी पत्नी' या मेरे पति के रूप में संदर्भित करने की अनुमति न दें।

3- जब भी आपका बच्चा दोस्तों के साथ खेलने के लिए बाहर जाता है तो सुनिश्चित करें कि आप यह जानने का तरीका खोजते हैं कि वह किस तरह का खेल खेले क्योंकि युवा लोग अब यौन शोषण करते हैं।

4- कभी भी अपने बच्चे को किसी ऐसे वयस्क के पास जाने के लिए मजबूर न करें जो उसके साथ सहज नहीं है और अगर आपका बच्चा किसी विशेष वयस्क से बहुत ज्यादा प्यार करता है तो वह भी चौकस न हो।

5- एक बार बहुत ही हँसमुख बच्चा अचानक वापस ले लिया जाता है, तो आपको अपने बच्चे से बहुत सारे सवाल पूछने की ज़रूरत है।

6- सेक्स के सही मूल्यों के बारे में अपने बड़े होने की सावधानीपूर्वक शिक्षा दें। यदि आप नहीं करते हैं, तो समाज उन्हें गलत मूल्य सिखाएगा।

7- अपने 3 साल के बच्चों को सिखाएं कि कैसे अपने प्राइवेट पार्ट्स को अच्छी तरह से धोएं और उन्हें चेतावनी दें कि कभी भी किसी को भी उन क्षेत्रों को छूने की अनुमति न दें और जिसमें आप भी शामिल हों।

8- कुछ ऐसी सामग्रियों / सहयोगियों को ब्लैकलिस्ट करें जिन्हें आप सोचते हैं कि आपके बच्चे की पवित्रता को खतरा हो सकता है (इसमें संगीत, फिल्में और यहां तक ​​कि दोस्त और परिवार शामिल हैं)।

9- अपने बच्चे (नाम) को भीड़ से बाहर खड़े होने के मूल्य को समझने दें।

10- एक बार जब आपका बच्चा किसी विशेष व्यक्ति के बारे में शिकायत करता है, तो उसके बारे में चुप न रहें। मामला उठाएं और उन्हें दिखाएं कि आप उनका बचाव कर सकते हैं।

> याद रखें, हम या तो माता-पिता हैं और याद रखें "दर्द के समय एक जीवनकाल"।

यह बैंक ऑफ चिल्ड्रन राइट फाउंडेशन (CPCR) के संरक्षण के लिए बैंकॉक स्थित केंद्र की तस्वीर है, जो एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य थाईलैंड में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार को रोकना है, जिसमें एक युवा लड़के और एक लड़की का यौन शोषण किया जाता है, जिसमें पीछे खुद के बुजुर्ग संस्करण दिखाई देते हैं, कैसे आघात वयस्कता और बुढ़ापे में जारी रहता है।
पी.एस.-मुझे पता है कि आप में से कई लोग इस तस्वीर को परेशान कर पाएंगे, लेकिन मेरे अनुसार, यह तस्वीर वास्तविकता को चित्रित करने के लिए है, जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं और जागरूकता फैलाने का मतलब है जो जीवन के लिए बहुत आवश्यक है।

क्या रोज मेथी के दाने खाना अच्छा है?

 

मेथीदाना एक गर्म ओषधि है, इसे केवल सर्दी के मौसम में सेवन करना हितकारी है। गर्मी में मेथीदाना खाने से कब्ज की शिकायत हो सकती है। कामशक्ति वृद्धिकारक भी होती है मेथी।

हजारों वर्ष प्राचीन एक ग्रन्थ में मैथी का संस्कृत में एक श्लोक लिखा है-

मेथिकामेथिनी मेथी दीपनी बहुपत्रिका।

बोधिनी बहुबीजा च ज्योतिर्गन्धफला तथा।।

वल्लरी चंद्रिका मन्था मिश्रपुष्पा च कैरवी।

कुञ्चिका बहुपर्णी च पीतबीजा मुनिच्छदा।।

मेथिका वात शमनी श्लेष्मध्नी ज्वरनाशिनी।

ततः स्वल्पगुणावन्या वाजिनां सा तु पूजिता।।

अर्थात-मेथी को मेथिनी, मेथिका, दीपनी, बहु पत्रिका, बोधिनी या दिमाग तेज करने वाली, चंद्रिका, मन्था, मिश्रपुष्पा आदि कहते कहते हैं।

मेथी उदर की वायु का तुरन्त शमन करती है। कफ तथा ज्वर को दूर करने में चमत्कारी है।

ज्योतिष चिंतामणि में लिखा है कि राहु-केतु या शनि के नक्षत्रों में ज में जातक अगर घोड़ों को रोज मेथी खिलाएं तो रुकावट दूर होती है। रोग-दोष, पाप क्षीण होने लगते हैं।

मेथी में प्रोटीन 16 फीसदी, गंधक 8 फीसदी, लेसिथिन 3 फीसदी, फाइबर, विटामिन एA, विटामिन बी६-B 6, विटामिन सीC, नियासिन, पोटेशियम, लौहतत्व यानि आयरन, और एल्कलॉयड आदि शमिल है|

मेथीदाने में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस तथा लोहा भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये सब शरीर के लिए बहुत जरूरी है।

मेथीदान 24 घण्टे तक सादे जल में भिगोकर अंकुरित करके सुबह खाली पेट खाना लाभकारी रहता है।

मेथी के परांठे, सब्जी बनाकर या भी खा सकते हैं।

मेथीदाने के 13 बेहतरीन फायदे

  1. मेथीदाना शरीर की सूक्ष्मतम नाड़ियों की शुद्धिकरण करने तथा एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए लाभकारी है।
  2. स्तनों को सुडौल बनाये मेथी…मेथी या मेथीदाना भीगा हुआ 5 से 7 दाने रोज खाली पेट चबाचबा कर खाने से छोटे स्तन के बड़ा कर सुडौल बनाता है। मैथी में एस्ट्रोजेन हार्मोन स्तन के आकार को बढ़ाने में सहायक होता है।
  3. मेथीदाना रक्त-संचार को सही रखता है।
  4. मेथीदाने को रोज कम मात्रा में यानी 5 से 8 दाने गलाकर खाने से बिगड़ा हुआ, अनियमित कोलेस्ट्रॉल ठीक होने लगता है।
  5. गर्भवती महिलाएं भूलकर भी मेथीदाने का सेवन न करें।
  6. मेथीदाना देह के सभी विषैले दुष्प्रभाव को दूर कर खूबसूरती बढ़ाता है।
  7. मेथीदाना अम्लपित्त, एसिडिटी, सीने की जलन कादि समस्याओं से राहत देता है।
  8. मेथी दाना हमारे शरीर के एसिड एलक्लाइन बैलेंस को संतुलन बनाये रखता है। करता है।
  9. मेथीदाना मोटापा, चर्बी और वजन कम करने में श्रेष्ठ कारगर ओषधि है। लेकिन एक दिन में 2 ग्राम से ज्यादा न लेवें।
  10. किसी किसी को मेथीदाना नुकसान देता है। खासकर जिनकी तासीर गर्म प्रवृति की होती है।
  11. मेथी खाने से पेट संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे- पेट में जलन होना, गैस बनना, कब्ज होना, भूख कम लगना, खट्टी डकार आना एवं पाचनशक्ति कमजोर होना आदि। इससे बचने के लिए इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें और यदि मेथीदाना हितकारी न हो, तो इसका उपयोग कदापि न करें।
  12. हरी मेथी के पत्तो का एक से 2 चम्मच रस सुबह शाम पीने से मधुमेह यानि डाइबिटीज सन्तुलित रहती है।
  13. मेथीदाना अधिक खाने से त्वचा संबंधी या स्किन प्रॉब्लम समस्याएं भी हो सकती हैं। त्वचा पर सूजन या दर्द जैसी समस्या भी इसका सेवन करने से हो सकती हैं। चेहरे पर दाने, काले निशान भी आ सकते हैं।

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