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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

गोबर को बनाये आमदनी का जरिया, मिलेगा रोजगार, आत्मिक सुख और धन का दरिया

गोबर को बनाये आमदनी का जरिया, मिलेगा रोजगार, आत्मिक सुख और धन का दरिया

गोबर से उपले (कंडे), बिजली और खाद्य बनने की जानकारी तो है लेकिन बहुत कम लोगों को इसके जरिए बड़ा बिजनेस (business) करने के बारे में पता होगा. फिर चाहें आप शहर में हो या फिर गांव में. बस आपके पास पर्याप्त गोबर एकत्रित करने का लिंक होना चाहिए और एक खुली जगह, जहां आप इनके प्रोडक्ट्स को धूप में सुखा सकें. साथ ही ऐसा मार्केट, जहां से सेल ऑर्डर मिल सके. यह बिजनेस (business) आपको ‌कम समय में मालामाल बना सकता है. हालांकि, पहला सवाल मन में आता है, कैसे? इसी सवाल पर हम आपको यहां दे रहे हैं पूरी जानकारी

*एक साथ या अलग अलग बिजनेस*
लकड़ी, धूप और अगरबत्ती.

यह तीनों बिजनेस (business) एकसाथ या अलग अलग कर सकते हैं. सभी के लिए कम इन्वेस्टमेंट और स्पेस चाहिए होता है. इनकी मशीनें ऑनलाइन भी मिलती हैं। लकड़ी बनाने की मशीन करीब 40 से 70 हजार और धूप-अगरबत्ती के लिए मशीन एक से दो लाख रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है. रॉ मैटेरियल के लिए आपको चारकोल या बुरादा चाहिए होता है जो आसानी से मिल भी जाता है. इस बिजनेस (business) से पर्यावरण भी बचेगा और अध्यात्म का मार्केट भी मिलेगा. हम दिल्ली को ही लें तो यहां मंदिर, पूजा-अर्चना के अलावा श्मशान घाट में भी गोबर से बनी लकड़ी की मांग है.

*अकेले लकड़ी से कमाएं 50 हजार*
शुरुआत में लकड़ी बनाने का यह बिजनेस आपको चार या पांच हजार रुपये ही कमाई देता है लेकिन छह महीने बाद यह कमाई 10 गुना तक बढ़ जाती है. सबसे अच्छी बात है कि इस बिजनेस (business) में आपके पास खुला मार्केट है और कंपटीशन भी न के बराबर है. यानी आप जितना चाहें उतना बिजनेस (business) बढ़ा सकते हैं और उतनी कमाई भी कर सकते हैं, इसलिए यह अनिलिमिटेड कमाई वाला बिजनेस है. अकेले लकड़ी का व्यापार एक लाख रुपये से कम में शुरू हो सकता है.

*ऐसे समझें मुनाफा*
अनुमान के मुताबिक 50 गाय-भैंस से 2.5 क्विटंल गोबर मिलता है जिनसे 500 से 600 किलो तक लकड़ी बन जाती है. पांच सेंकड में एक किलो और एक मिनट में तीन फुट लंबी लकड़ी तक बन जाती है. गोबर की लकड़ी 600 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर बिकती है. अलग-अलग मार्केट में यह कीमत भी अलग हो सकती है लेकिन गोबर से बनी लकड़ी की कीमत प्राकृतिक लकड़ियों की तुलना में काफी कम होती हैं. इसलिए भी यह अच्छा बिजनेस (business) हो सकता है क्योंकि यहां आपके पास बड़ी डिमांड को कवर अप करने का मौका मिलेगा. गोबर से बन‍ी लकड़ी की खासियत यह है क‍ि मजबूत होने के साथ इसमें कभी

*धूप-अगरबत्ती*
गोबर से धूप और अगरबत्ती भी बनाई जाती है. मार्केट में एक से दो लाख रुपये की कीमत में मशीनें उपलब्ध हैं. ये मशीनें आमतौर पर एक घंटे में 400 किलोग्राम तक प्रोडक्ट्स तैयार कर सकती हैं. ये मशीनें पूरी तरह से ऑटोमैटिक होती हैं जिसके लिए बहुत अधिक मैनपॉवर की जरूरत नहीं होती है. साथ ही बिजली बचत के लिहाज से भी यह किफायती हैं.

मोबाइल से ठगी और गोपनीय जानकारी चुराने व निजी वीडियो फ़ोटो चैट के लीक होने से बचने के लिए करे ये उपाय:

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चेतावनी जारी

सभी एप्पल आईफोन, एंड्रॉइड मोबाइल फोन विंडोज डिवाइस यूजर्स के लिए मोदी सरकार ने एक अलर्ट जारी किया है. नोडल साइबर सुरक्षा एजेंसी, CERT-In ने एप्पल के सॉफ्टवेयर ईकोसिस्टम, गूगल एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में कमियों को लेकर चेतावनी दी है. इन यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी कीमत पर इसे अवाइड न करें. दरअसल, इन कंपनियों के ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद कमियों या खामियों का लाभ उठाकर साइबर क्रिमिनल्स इन डिवाइसेस को हैक कर सकते हैं, इसलिए इससे बचने के लिए एप्पल, विंडोज एंड्रॉइड यूजर्स को अपने ऑपरेटिंग सिस्टम का लेटेस्ट वर्जन डाउनलोड करने की सलाह दी जाती है.

*Android यूजर्स के लिए जानें क्या है सलाह?*

CERT-In के अनुसार, एंड्रॉइड डिवाइसेस के *सिग्नल एप्लिकेशन में एक कमी पाई गई है. इसके चलते कुछ तस्वीरें खुद-ब-खुद सेंड हो जाती है*. इस तरह से यूजर्स की प्राइवेसी भी लीक हो सकती है. इस लेकर एजेंसी ने सलाह दी है कि गूगल प्ले स्टोर से यूजर्स शीघ्र ही Signal ऐप का वर्जन 5.17.3 डाउनलोड कर लें।

*जानें Apple यूजर्स को क्या करना चाहिए?*

साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी ने iOS iPadOS में कमी पाई है, जिससे आपके डिवाइस को हैकर्स कंट्रोल कर सकते हैं. इस बग ने 11.5.1 से पहले के वर्जन पर चलने वाले Apple macOS Big Sur डिवाइसेस, iPhone 6s बाद के डिवाइस, 14.7.1 से पहले वर्जन पर चलने वाले Apple iOS iPadOS डिवाइसेस, iPad Pro (सभी मॉडल), iPad Air 2 बाद के डिवाइस, 5वीं उससे बाद की जेनरेशन के iPad, iPad mini 4 बाद के डिवाइस, iPod touch (7वीं जेनरेशन) को प्रभावित किया है. हाल ही में एप्पल ने इससे जुड़ा सिक्यॉरिटी अपडेट जारी किया है.

वसीयत क्यो है जरूरी, क्या है नियम वसीयत के और क्या हो जब नही हो वसीयत

वसीयत क्यो है जरूरी, क्या है नियम वसीयत के और क्या हो जब नही हो वसीयत,

वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें यह बताया जाता है कि अपना धन या अपनी संपत्ति मृत्यु के बाद किसे मिलेगी. यानी कि प्रॉपर्टी का उत्तराधिकारी या वारिस कौन होगा, वसीयत में इसकी जानकारी डिटेल में दी जाती है. अगर रुपये-पैसे की सेविंग करते हैं, अंत समय के लिए बचाते हैं तो वसीयत भी उतना ही जरूरी है. क्या पता बिना वसीयत के ही दुनिया छोड़नी पड़े. ऐसी स्थिति में उस सेविंग का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. पूरा परिवार कमाई से वंचित रह जाएगा. यह सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है क्योंकि वसीयत शब्द जुबान पर आते ही मृत्यु का खयाल आता है. लेकिन वसीयत सच्चाई है क्योंकि इसके बिना उत्तराधिकारी या वारिस को प्रॉपर्टी लेने में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. 

*वसीयत कब होती है लागू*

यहां जानना जरूरी है कि वसीयत तभी वैध होता है जब उसे लिखने वाला व्यक्ति इस दुनिया को छोड़ जाता है. वसीयत में लोग यह भी लिखते हैं कि उनकी दिली इच्छा क्या है और वे किस इच्छा की पूर्ति अपने वारिस या उत्तराधिकारी से कराना चाहते हैं. उदाहरण के लिए कई लोग चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा दान-पुण्य के काम में लगा दिया जाए. अगर वसीयत में इस बात का जिक्र न हो तो वारिस को पता नहीं चलेगा और वह चैरिटी का काम हो सकता है कि न करे.

*कौन बना सकता है वसीयत*

सुनने में यह शब्द बहुत पेचीदा लगता है, लेकिन वाकई में है नहीं. कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 21 साल से ज्यादा हो, वह वसीयत लिख सकता है. अच्छा तो यही माना जाता है कि किसी वकील की सहायता से ही वसीयत लिखा जाए ताकि कोई खामी या त्रुटी न रह जाए. वसीयत को टाइप करके या हाथ से लिख सकते हैं. हाथ से लिखने पर साफ अक्षरों का ध्यान रखना होता है ताकि वारिस को पढ़ने-समझने में दिक्कत न हो. ध्यान रहे कि वसीयत पर दस्तखत जरूर होना चाहिए. ऑनलाइन भी वसीयत बनता है, लेकिन उसकी एक कॉपी रखना जरूरी है जिस पर हस्ताक्षर हो.

*वसीयत लिखते समय इन बातों का रखें ध्यान*

सेल्फ डिक्लेरेशन से शुरू करें जिसमें नाम, पता, उम्र और वसीयत लिखने के समय का जिक्र हो. इसमें बताएं कि किसी के दबाव में वसीयत नहीं लिख रहे बल्कि परिवार की भलाई में यह काम कर रहे हैं

जितना हो सके अपनी प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी दें. स्टॉक, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड, बैंक अकाउंट और कैश की जानकारी दें. वसीयत लिखते समय इन सभी इनवेस्टमेंट की क्या कीमत है, ये भी बताना चाहिए

जूलरी, आर्टिफैक्ट्स के साथ अचल संपत्ति के बारे में विस्तार से बताएं. वसीयत से जुड़े जो भी कागजात हैं उन्हें बैंक लॉकर जैसे सुरक्षित स्थान पर रखें और इसकी जानकारी दें

जब प्रॉपर्टी की जानकारी दे दें तो वारिस के बारे में बताएं कि किसे कितना परसेंट हिस्सा देना है. वारिस का पूरा नाम लिखना चाहिए ताकि बाद में कोई कानूनी अड़चन न आए. आधार या पासपोर्ट में जो नाम हो, वारिस के उसी नाम का जिक्र करें. वारिस अगर नाबालिग है तो उसके साथ किसी और को सह उत्तराधिकारी बनाएं

वसीयत पर दो गवाहों के दस्तखत चाहिए जो कि हर पेज पर होने चाहिए. हस्ताक्षर के साथ दिनांक और स्थान का भी जिक्र हो

*सादे कागज पर हस्ताक्षर के साथ भी वसीयत मान्य होता है,* लेकिन इसे और मजबूत बनाने के लिए लोकल सब रजिस्ट्रार के ऑफिस से रजिस्टर करा लें. वसीयत पर स्टांप ड्यूटी नहीं लगती लेकिन रजिस्टरिंग फीस देनी होती है

ओरिजिनल वसीयत की एक से ज्यादा कॉपी बना लें और उसे अलग-अलग जगहों पर रखें. एक कॉपी हमेशा वसीयत लिखने वाले के पास होनी चाहिए

*वसीयत में कभी भी बदलाव संभव है लेकिन अंत में जो बदलाव होगा, वही मान्य होगा. बदलाव के साथ ये भी बताना चाहिए कि पिछली बातें अब मान्य नहीं रहेंगी

रसोई गैस से संबंधित बातो को जानिये, क्या है सरकारी नियम और क्या है फायदे आपको

📌 *_रसोई गैस से संबंधित बातो को जानिये, क्या है सरकारी नियम और क्या है फायदे आपको_*

जागरूक रहिये नुकसान से बचिए

लगभग हर घर में गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है। सरकार की उज्जवला योजना के अंतर्गत अधिकतर घरों में गैस कनेक्शन उपलब्ध हुए हैं। लेकिन, ज्यादातर एलपीजी उपभोक्ताओं को गैस कनेक्शन से जुड़ा ये नियम नहीं पता होगा। अगर कोई गैस एजेंसी आपको सिलेंडर की होम डिलिवरी देने में कभी भी आनाकानी करती है और आपको सिलेंडर लेने के लिए एजेंसी गोडाउन जाना पड़ेगा। कई बार ऐसा होता है जिस चीज का उपयोग हम लोग करते हैं उसके फायदे के बारे में हमें कम ही पता होता है। आज हम भारत के गैस उपभोक्ताओं को गैस कनेक्शन से संबंधित कई ऐसी जानकारी बता रहे हैं जो उपभोक्ताओं को पता ही नहीं होती हैं।
 
*गोडाउन से आप सिलेंडर खुद लाते हैं तो*

अगर आपके पास किसी भी गैस एजेंसी का कनेक्शन है और उसके गोडाउन से आप सिलेंडर खुद लाते हैं तो आप एजेंसी से 19 रुपए 50 पैसा वापस ले सकते हैं।

कोई भी एजेंसी यह राशि देने से इनकार नहीं करेगी। बता दें कि, यह राशि बतौर डिलिवरी चार्ज आपसे ली जाती है। सभी कंपनियों के सिलिंडर के लिए यह राशि तय है। हालांकि, कुछ समय पहले ही इस राशि को बढ़ाया गया है। पहले डिलिवरी चार्ज 15 रुपए था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 19 रुपए 50 पैसा किया गया है।

कोई भी एजेंसी संचालक आपको यह राशि देने से मना करता है तो आप टोल फ्री नंबर 18002333555 पर शिकायत कर सकते हैं। अभी ग्राहकों को सब्सिडी वाले 12 सिलिंडर दिए जाते हैं। यह कोटा पूरा होने के बाद मार्केट रेट पर सिलिंडर खरीदना होता है।

*फ्री में चेंज होता है रेगुलेटर*

अगर आपके सिलेंडर का रेगुलेटर खराब हो गया है तो आप इसे फ्री में एजेंसी से बदल सकते हैं। इसके लिए आपके पास एजेंसी का सब्सिक्रिप्शन वाउचर होना चाहिए। आपको लीक रेगुलेटर को अपने साथ लेकर एजेंसी जाना होगा। सब्सक्रिप्शन वाउचर व रेगुलेटर के नंबर को मिलाया जाएगा। दोनों का नंबर मैच होने पर रेगुलेटर बदल दिया जाएगा। इसके लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा।

अगर आपका रेगुलेटर किसी कारण से डैमेज हो जाता है तो भी एजेंसी इसे बदलकर देगी। लेकिन, इसके लिए एजेंसी कंपनी टैरिफ के हिसाब से आप से राशि जमा करवाएगी। यह राशि 150 रुपए तक होती है।

 *हर LPG उपभोक्ता का होता है 50 लाख का इंश्योरेंस*

आपको बता दें कि संबंधित कंपनी की तरफ से हर LPG उपभोक्ता का 50 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस होता है। इस इंश्योरेंस की दो स्थिति होती हैं। आपको यह भी बता दें कि इसके लिए किसी भी उपभोक्ता को कोई अतिरिक्त मासिक प्रीमियम नहीं भरना होता। यदि गैस सिलेंडर से कोई हादसा होता है तो पहली कंडीशन के तहत 40 लाख और दूसरी कंडीशन के तहत 50 लाख रुपए संबंधित एजेंसी को देने होते हैं।

LPG सिलेंडर से यदि आपके घर या प्रतिष्ठान में कोई हादसा होता है तो आप 40 लाख तक का इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं। वहीं सिलिंडर फटने से यदि किसी व्यक्ति की मौत होती है तो 50 लाख रुपए तक का क्लेम किया जा सकता है। इस तरह के एक्सीडेंट में प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को 10 लाख रुपए तक की क्षतिपूर्ति राशि का नियम है।

*फ्री कनेक्शन के लिए*

नई सुविधा में इंडियन ऑयल का एलपीजी कनेक्शन लेने के लिए 8454955555 पर मिस्ड कॉल करना होगा। साथ ही इंडेन के वर्तमान ग्राहक पंजीकृत फोन नंबर से मिस्ड कॉल करके एलपीजी रिफिल भी बुक करा सकेंगे। जल्द ही चरणबद्ध तरीके में यह सुविधा पूरे देशभर में उपलब्ध होगी। इस सुविधा से ग्रामीण उपभोक्ताओं का जीवन भी आसान होगा।

आयकर रिटर्न भरने के फायदे, अंतिम तिथि से पहले भरे अन्यथा आयकर विभाग की पेनल्टी से नही बचेंगे आप

अंतिम तिथि तक इन्तेजार करना पड़ सकता है भारी, आयकर विभाग की पेनल्टी से नही बचेंगे आप

अगर आप ये सोच रहे हैं कि आईटीआर फाइलिंग (itr filing) की अंतिम तारीख आने में वक्त है, इसलिए आराम से रिटर्न फाइल करेंगे तो यह गलत सोच है. इनकम टैक्स रिटर्न जितनी जल्दी भरेंगे, उतना आपको फायदा होगा. इस काम को जितना लटकाएंगे, उतना नुकसान होगा. सीधी सी बात है कि आईटीआर जल्द भरेंगे तो जल्द रिफंड होगा. रिटर्न फाइल में देरी का मतलब है रिफंड मिलने में देरी. इसलिए आपको तय करना है कि जल्द भरने में भलाई है या देर से.
मान लें कि आपको कुल आय की गणना में व्यवसाय और पेशे से घाटा हुआ है. यदि आपने निर्धारित तारीख से पहले आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो इसे बाद के एसेसमेंट ईयर में आगे ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इसलिए बाद के वर्षों में ‘कैरी फॉरवर्ड और सेट ऑफ लॉस’ का लाभ उठाने के लिए नियत तारीख से पहले अपना आईटीआर फाइल करें.

*1-जुर्माने से बच जाएंगे*
निर्धारित तारीख के बाद आईटीआर फाइल करने के कई घाटे हैं. इसे बिलेटेड रिटर्न कहते हैं. इस पर ब्याज और शुल्क दोनों चुकाना होता है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234ए के तहत आपको ब्याज भरना पड़ सकता है. यह ब्याज हर महीने 1 प्रतिशत के हिसाब से देना होगा. फी के रूप में 10,000 रुपये तक देने पड़ सकते हैं.

*2-जल्द मिलेगा टैक्स रिफंड*
जब आपको पहले से पता है कि आईटीआर भरने के बाद रिफंड मिलना है तो इसमें देरी क्या करना. अंतिम तारीख के आसपास रिटर्न फाइल करेंगे तो रिफंड में देरी होगी क्योंकि टैक्स डिपार्टमेंट पर काम का बोझ बढ़ जाता है. टैक्स रिफंड जल्द मिल जाए तो उस पैसे को कहीं बिजनेस या फंड में लगाकर लाभ कमा सकते हैं. इस पैसे के निवेश में जितनी देरी करेंगे, किसी स्कीम या फंड में मिलने वाला रिटर्न भी उतना ही लेट चलेगा.

*3-लोन, क्रेडिट कार्ड मिलने में आसानी होगी*
आईटीआर आपका इनकम प्रूफ भी होता है. यह बताता है कि किसी वित्तीय वर्ष में आपने कितने रुपये की कमाई की है या कितना खर्च किया है. जब आप क्रेडिट कार्ड, होन या वीजा आदि के लिए अप्लाई करते हैं तो आईटीआर आपका अनिवार्य दस्तावेज बन जाता है. आपको यह दस्तावेज जमा कराना होता है. अगर समय से आईटीआर फाइल नहीं करेंगे तो इसे सर्टिफिकेट के तौर पर जमा नहीं कर सकेंगे. इसलिए लोन या वीजा के लिए अप्लाई करने वाले हैं तो जल्द आईटीआर भर दें.

*4- बड़े मूल्य का लाइफ कवर खरीद सकते हैं*
आईटीआर के कई फायदों में एक लाइफ कवर भी है. जब आप ज्यादा मूल्य के लाइफ इंश्योरेंस खरीदने जाते हैं तो उसमें आईटीआर आपकी मदद कर सकता है. लाइफ इंश्योरेंस आज की तारीख में सबसे जरूरी निवेश है, खासकर जब आप परिवार में अकेले कमाने लायक हैं. ऐसे में आईटीआर से बहुत मदद मिल सकती है. अगर आप अधिक कीमतों की जैसे 50 लाख या उससे ऊपर के लाइफ कवर लेने जाएंगे तो आईटीआर देना ही होगा. कंपनियां आपके पिछले कुछ साल का आईटीआर मांगती हैं.

*5- अंत समय में फंस सकता है काम*
आईटीआर फाइलिंग का जैसे-जैसे अंतिम दिन नजदीक आता है, हो सकता है कि टैक्स फाइलिंग पोर्टल का काम धीमा हो जाए. चूंकि पोर्टल पर एक साथ कई रिक्वेस्ट आती हैं, इसलिए ऐन समय पर कुछ गड़बड़ी हो सकती है. रिटर्न फाइलिंग प्रोसेस में कुछ तकनीकी खराबी आ सकती है. अंत समय की भीड़ और चिंताओं से मुक्त होना है तो समय पर रिटर्न फाइल करनी चाहिए. ऐसा भी नहीं है कि आप इससे बच सकते हैं. यह सभी लोगों के लिए अनिवार्य है जो लोग कमाई करते हैं. टैक्स डिपार्टमेंट को कोई कार्रवाई न करनी पड़े, इससे बचने का उपाय है कि समय पर रिटर्न फाइल कर चैन की सांस लें.

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