वसीयत क्यो है जरूरी, क्या है नियम वसीयत के और क्या हो जब नही हो वसीयत,
वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें यह बताया जाता है कि अपना धन या अपनी संपत्ति मृत्यु के बाद किसे मिलेगी. यानी कि प्रॉपर्टी का उत्तराधिकारी या वारिस कौन होगा, वसीयत में इसकी जानकारी डिटेल में दी जाती है. अगर रुपये-पैसे की सेविंग करते हैं, अंत समय के लिए बचाते हैं तो वसीयत भी उतना ही जरूरी है. क्या पता बिना वसीयत के ही दुनिया छोड़नी पड़े. ऐसी स्थिति में उस सेविंग का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. पूरा परिवार कमाई से वंचित रह जाएगा. यह सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है क्योंकि वसीयत शब्द जुबान पर आते ही मृत्यु का खयाल आता है. लेकिन वसीयत सच्चाई है क्योंकि इसके बिना उत्तराधिकारी या वारिस को प्रॉपर्टी लेने में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं.
*वसीयत कब होती है लागू*
यहां जानना जरूरी है कि वसीयत तभी वैध होता है जब उसे लिखने वाला व्यक्ति इस दुनिया को छोड़ जाता है. वसीयत में लोग यह भी लिखते हैं कि उनकी दिली इच्छा क्या है और वे किस इच्छा की पूर्ति अपने वारिस या उत्तराधिकारी से कराना चाहते हैं. उदाहरण के लिए कई लोग चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी प्रॉपर्टी का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा दान-पुण्य के काम में लगा दिया जाए. अगर वसीयत में इस बात का जिक्र न हो तो वारिस को पता नहीं चलेगा और वह चैरिटी का काम हो सकता है कि न करे.
*कौन बना सकता है वसीयत*
सुनने में यह शब्द बहुत पेचीदा लगता है, लेकिन वाकई में है नहीं. कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 21 साल से ज्यादा हो, वह वसीयत लिख सकता है. अच्छा तो यही माना जाता है कि किसी वकील की सहायता से ही वसीयत लिखा जाए ताकि कोई खामी या त्रुटी न रह जाए. वसीयत को टाइप करके या हाथ से लिख सकते हैं. हाथ से लिखने पर साफ अक्षरों का ध्यान रखना होता है ताकि वारिस को पढ़ने-समझने में दिक्कत न हो. ध्यान रहे कि वसीयत पर दस्तखत जरूर होना चाहिए. ऑनलाइन भी वसीयत बनता है, लेकिन उसकी एक कॉपी रखना जरूरी है जिस पर हस्ताक्षर हो.
*वसीयत लिखते समय इन बातों का रखें ध्यान*
सेल्फ डिक्लेरेशन से शुरू करें जिसमें नाम, पता, उम्र और वसीयत लिखने के समय का जिक्र हो. इसमें बताएं कि किसी के दबाव में वसीयत नहीं लिख रहे बल्कि परिवार की भलाई में यह काम कर रहे हैं
जितना हो सके अपनी प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी दें. स्टॉक, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड, बैंक अकाउंट और कैश की जानकारी दें. वसीयत लिखते समय इन सभी इनवेस्टमेंट की क्या कीमत है, ये भी बताना चाहिए
जूलरी, आर्टिफैक्ट्स के साथ अचल संपत्ति के बारे में विस्तार से बताएं. वसीयत से जुड़े जो भी कागजात हैं उन्हें बैंक लॉकर जैसे सुरक्षित स्थान पर रखें और इसकी जानकारी दें
जब प्रॉपर्टी की जानकारी दे दें तो वारिस के बारे में बताएं कि किसे कितना परसेंट हिस्सा देना है. वारिस का पूरा नाम लिखना चाहिए ताकि बाद में कोई कानूनी अड़चन न आए. आधार या पासपोर्ट में जो नाम हो, वारिस के उसी नाम का जिक्र करें. वारिस अगर नाबालिग है तो उसके साथ किसी और को सह उत्तराधिकारी बनाएं
वसीयत पर दो गवाहों के दस्तखत चाहिए जो कि हर पेज पर होने चाहिए. हस्ताक्षर के साथ दिनांक और स्थान का भी जिक्र हो
*सादे कागज पर हस्ताक्षर के साथ भी वसीयत मान्य होता है,* लेकिन इसे और मजबूत बनाने के लिए लोकल सब रजिस्ट्रार के ऑफिस से रजिस्टर करा लें. वसीयत पर स्टांप ड्यूटी नहीं लगती लेकिन रजिस्टरिंग फीस देनी होती है
ओरिजिनल वसीयत की एक से ज्यादा कॉपी बना लें और उसे अलग-अलग जगहों पर रखें. एक कॉपी हमेशा वसीयत लिखने वाले के पास होनी चाहिए
*वसीयत में कभी भी बदलाव संभव है लेकिन अंत में जो बदलाव होगा, वही मान्य होगा. बदलाव के साथ ये भी बताना चाहिए कि पिछली बातें अब मान्य नहीं रहेंगी
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