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बुधवार, 2 मार्च 2022

घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं? तो जानिए इस दर्द से निजात पाने के दमदार घरेलू उपचार

 घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं? तो जानिए इस दर्द से निजात पाने के दमदार घरेलू उपचार
 

1 रोज सुबह नियमित खाली पेट 1 चम्मच मेथी पाउडर में 1 ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पिएं। इस मिश्रण को चाहें तो दोपहर और रात के भोजन के बाद भी आधा-आधा चम्मच ले सकते है। इससे जॉइंट्स मजबूत होने में मदद मिलेगी।
 2 किसी मुलायम कपड़े को गर्म पानी में भिगोएं और निचोड़ें, अब इस कपड़े से घुटनों की सिकाई करें। ऐसा करने से भी घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

 3 खाने में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी आदि का अधिक इस्तेमाल करें। इनके सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होने में मदद होती है।

 4 मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण को तवे पर अच्छे से भूनें फिर पीसकर पाउडर बना लें। अब इस पाउडर का नियमित सुबह-शाम भोजन के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करें।
 5 हो सके तो सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।
 6 नीम और अरंडी के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर हल्का गर्म करें, फिर इस तेल से सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।

 7 ऐसा माना जाता है कि गेहूं के दाने जितना चूना दही या दूध में मिलाकर दिन में एक बार खाएं। ऐसा नियमित 90 दिनों तक करने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होती है।

 

शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए मालिश क्यो जरूरी?

स्वस्थ बने रहने का प्रावधान

शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए मालिश क्यो जरूरी?

जनिए मालिश के लाभ व विधियां

शरीर के अवयवों को दबाना, उन पर हाथ फेरना तथा मालिश करना हमेशा होता रहता है| शरीर के मर्दन को मालिश या मसाज करना भी कहते हैं। माँ के गर्भ से जन्म लेते ही मालिश व मर्दन का आरंभ सहज रूप से होता है। वह चलता ही रहता है| मां चाहती है कि उसके गर्भ से जन्म लेने वाला शिशु बलवान बने, दृढ़ता प्राप्त करे। दीर्घायु बने। इसीलिए शिशु की वह मालिश करती रहती है। जब तक मनुष्य जिन्दा रहता है, तब तक मालिश आवश्यक है। स्त्री-पुरुष तथा छोटे बड़े सभी सप्ताह में एक बार मर्दन चिकित्सा करा कर, सिर स्नान करें तो कई लाभ होंगे। ये क्रियाएँ लोग स्वयं भी कर सकते हैं।


मालिश के लाभ
मालिश के कारण शरीर में रक्त संचार ठीक तरह से होता है।

शरीर में जमा रहनेवाले व्यर्थ पदार्थ, मल, मूत्र, पसीना और श्वास के रूप में बाहर निकल जाते हैं|


कमजोर और दुबले पतले लोग मर्दन के कारण शक्तिशाली बनते हैं।

शरीर के अवयवों को मालिश से शक्ति मिलती है।

जीर्णकोश, आंतें तथा अन्य ग्रंथियों में चेतना आती है| थकावट दूर होती है।

शरीर में जमा व्यर्थ चरबी पिघल जाती है।

पक्षवात, पोलियो, नसों की कमजोरी, शारीरिक दर्द तथा जोड़ों के दर्द आदि व्याधियों पर मालिश प्रभावशाली काम करती है|


चर्म रंध्र साफ होते हैं। उनके द्वारा शरीर के अंदर का मालिन्य बाहर निकल जाता है।

योगाभ्यास या अन्य व्यायाम करने वाले यदि मालिश करें या करवाएँ तो बड़ा लाभ होगा। कोई व्यायाम न करनेवाले भी मालिश के द्वारा फायदा उठा सकते हैं।

त्वचा में चिकनापन आता है| इससे सुंदरता बढ़ती है।

मालिश की प्रचलित विधियाँ
मालिश की मुख्य 8 विधियाँ हैं।

(1) तेल से मालिश,
(2) क्रीमों से मालिश
(3) शीतलपदार्थों से मालिश
(4) पांव से मालिश
(5) पावडर से मालिश
(6) बिजली के उपकरणों से मालिश
(7) औषधीय पदार्थों से मालिश
(8) चुंवक से मालिश

तिल का तेल, नारियल का तेल, राई का तेल, ऑलिव तेल, घी इन का उपयोग मालिश के लिए कर सकते हैं | शरीर में खराब रक्त नीचे से हृदय में ले जाया जाता है | इसलिए कुछ विशेषज्ञों के कथनानुसार तलुवों से लेकर ऊपर तक मालिश करना उपयोगी है | रोग ग्रस्त अवयवों की मालिश की जाती है। वही सही पद्धति है|


तेल मालिश सब से बढ़िया है। शरीर भर तेल लगा कर मालिश कर हलके गरम पानी से स्नान करना चाहिए। जहाँ दर्द होगा, वहाँ मर्दन करने के बाद इनफ्रारेड लाइट से गरमी पहुँचावें तो दर्द जल्दी कम हो जाएगा।

स्वास्थ्य सुधारने के लिए मर्दन चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए। अनुचित पद्धतियों में शारीरिक अवयवों को उत्तेजित करने के लिए मालिश न करवाएँ।


विशेष प्रक्रिया

प्रात: काल सारे शरीर में तेल लगा कर मर्दन कराने के बाद सूर्य किरणों के बीच थोड़ी देर रह कर स्नान करें तो डी विटमिन की प्राप्ति बड़े परिमाण में होती है। चर्म संबंधी रोग पास नहीं फटकते | हफ्ते में एक बार नासिका रंधों में कुन-कुने स्वच्छ घी या तेल की पाँच छ: बूंदें डालनी चाहिए।

मसाज करने के बाद भाप-स्नान करें तो व्यर्थ चरबी घट जाएगी | श्वास संबंधी व्याधियाँ, सिरदर्द, जुकाम तथा नींद की कमी के कारण होने वाली थकावट आदि में कमी होगी। चुस्ती एवं स्फूर्ति बढ़ेगी।


भाप स्नान करने के पहले एक गिलास पानी पीना चाहिए। सिर पर जल से भीगा कपड़ा डाल लेना चाहए। हफ़्ते में एक या दो बार भाप स्नान कर सकते हैं |

मालिश क्रिया में सावधानिया

अधिक रक्तचापवालों, हृदय दर्दवालों तथा बहुत कमजोर लोगों और गर्भिणी स्त्रीयों  को मर्दन चिकित्सा तथा भाप स्नान से दूर रहना चाहिए

शिव बारात में उमड़े भक्त , आकर्षक का केंद्र रही उज्जैन के महाकाल की डोली - महाशिवरात्रि JODHPUR

 ।। नंदी पर होकर सवार दूल्हा बन महादेव चले बिहाने ।।

 शिव बारात में उमड़े भक्त ,
आकर्षक का केंद्र रही उज्जैन के महाकाल की डोली

जोधपुर । महाशिवरात्रि पर्व पर शिव भक्तों की भक्ति परवान पर थी हर तरफ महादेव भक्त माथे पर चंदन के त्रिपुण्ड बनाये भक्ति में लीन थे । विश्व हिन्दू परिषद सरदारपुरा प्रखंड संचालित शिव बारात महोत्सव समिति के तत्वावधान में भव्य शिव बारात सरदारपुरा के सत्संग भवन से गाजे बाजे के साथ निकली।

समिति के महामंत्री रवि गोस्वामी ने बताया कि पूज्य सन्तो के सानिध्य व समिति अध्यक्ष किन्नर समाज की गादीपति सरोज मासी के नेतृत्व में निकलने वाली विराट बारात के शुभारंभ स्थल पर विशाल मंच बना कर सन्तो मेहमानों व समिति के लोगो का विहिप द्वारा स्वागत किया गया ।

यात्रा संत मनमोहन दास महाराज के सानिध्य में व शहर विधायक मनीषा पंवार , उत्तर की महापौर कुंती परिहार व विहिप प्रान्त अध्यक्ष डॉ राम गोयल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक नंदलाल भाटी महोत्सव समिति वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंकित पुरोहित , आलोक चौरड़िया मितेश जैन मनीष बागरी शुभम जांगिड़ एडवोकेट एशोसिएशन अध्यक्ष नाथूसिंह राठौड़ पूर्व महापौर घनश्याम ओझा अतुल भंसाली संजय अग्रवाल सहित अन्य लोगो के द्वारा भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर प्रारम्भ की गई ।
समिति संयोजक निखिल भाटी ने बताया कि बारात में सजधज कर आये ऊंट घोड़े के साथ नंदी पर दुल्हा बन  विराजे भोलेनाथ लोगो को बहुत भा रहे थे। डीजे पर शिव भजनों पर थिरकते भूत प्रेत राक्षसों की टोली , भस्म रमाती महादेव टोली , अखाड़ों के युवाओ द्वारा आग व अंगारों के साथ हैरतअंगेज प्रदर्शन , बालोतरा की आंगी गेर जो मुख्य स्थानों पर पारम्परिक नृत्य कर देखने वालों को मोहित कर रहे थे ।

ब्रह्मा विष्णु सहित देवी देवताओं की संजीव झांकियों के साथ उज्जैन के बाबा महाकाल की झांकी आकर्षक का केंद्र रही । वही हर कोई बारात के अंत मे दुल्हा बने महादेव व समिति का स्वागत करने को आतुर दिखा । पूरे रास्ते भर में स्वयंसेवी संस्थाओं ने जूस लस्सी के साथ पेय पदार्थ पिला बारात का अभिनंदन कर समिति का साफा माला पहनाकर स्वागत किया गया । बारात बी रोड से गोल बिल्डिंग जालोरी गेट भीतरी शहर के खांडा फलसा आडा बाजार होते हुए कटला बाजार में शहर सबसे पुराने अचलनाथ मन्दिर पर जाकर सम्पन्न हुई जहा मन्दिर ट्रस्ट के लोगो द्वारा अभिनंदन किया गया ।
विहिप के दीपेश भाटी ने बताया कि  प्रांत महानगर सहित प्रखंड के पंकज दुगट , अंकित मालवीय तरुण सोतवाल नवीन मित्तल योगेश खानालिया मंयक सोतवाल रोहित भुवनेश खानालिया सहित सेकड़ो कार्यकर्ता व्यवस्था में लग सहयोग कर रहे थे।



Jodhpur: ढोल नगाड़ों के साथ निकली शिव बारात, आकर्षण का केंद्र रही उज्जैन के महाकाल की डोली, देखें तस्वीरें

मंगलवार, 1 मार्च 2022

187 वर्ष बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में मढ़ा गया सोना, 37 किलो सोने से बढ़ी गर्भगृह की चमक

187 वर्ष बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में मढ़ा गया सोना,
37 किलो सोने से बढ़ी गर्भगृह की चमक




काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में रविवार को एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। 187 वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मंदिर में सोना मढ़ा गया। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की दीवारों पर 30 घंटे के अंदर सोने की परत लगाई गई। सोना लगने के बाद गर्भगृह के अंदर की पीली रोशनी हर किसी को सम्मोहित कर रही है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक 37 किलो सोना लगाया गया है। बचे अन्य कार्यों में 23 किलो और सोना लगाया जाएगा।
*अद्भुत और अकल्पनीय हो गया बाबा का दरबार*

मंदिर के गर्भ गृह में चल रहे स्वर्ण मंडन के कार्य के पूर्ण होने के बाद पहली बार पूजा करने पहुंचे प्रधानमंत्री ने इस कार्य को देखते हुए कहा कि अद्भुत और अकल्पनीय कार्य हुआ है। स्वर्ण मंडन से विश्व के नाथ का दरबार एक अलग ही छवि प्रदर्शित कर रहा है। 
 प्रधानमंत्री शाम करीब 6 बजे मंदिर परिसर पहुंचे विश्वनाथ द्वार से प्रवेश करने के पश्चात मंदिर परिसर के उत्तरी गेट से गर्भगृह में प्रवेश किए। मंदिर के अर्चक सत्यनारायण चौबे, नीरज पांडे और श्री देव महाराज ने बाबा का षोडशोपचार पूजन कराया। पूजन के पश्चात प्रधानमंत्री ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ से जनकल्याण की कामना की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने परिसर के अंदर चारों ओर लगे स्वर्ण के कार्य को देखा। उन्होंने कहा कि दीवारों पर उकेरी गई विभिन्न देवताओं की आकृतियां स्वर्णमंडन के बाद और भी स्पष्ट प्रदर्शित हो रही हैं। स्वर्ण मंडन के बाद गर्भ गृह की आभा कई गुना बढ़ गई है।
*1835 में कराया गया था मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित* 

वर्ष 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। बताया गया कि साढ़े 22 मन सोना लगा था। उसके बाद कई बार सोना लगाने व उसकी सफाई का कार्य प्रस्तावित हुआ, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंचा। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही मंदिर के शेष हिस्से व गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की कार्ययोजना तैयार होने लगी थी। इसी दौरान करीब डेढ़ माह पूर्व बाबा के एक भक्त ने मंदिर के अंदर सोने लगवाने की इच्छा जतायी। मंदिर प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद सोना लगाने के लिए माप और सांचा की तैयारी चल रही थी। करीब माहभर तैयारी के बाद शुक्रवार को सोना लगाने का काम शुरू हुआ।
मंदिर की चारों चौखटें भी सोने की होंगी
मंदिर प्रशासन की मानें गर्भगृह के अंदर सोना लगाने का काम पूरा होने के बाद अब चारों चौखट से चांदी हटाकर उसपर भी सोने की परत लगायी जाएगी। इसके बाद मंदिर के शिखर के नीचे के बचे हिस्से में भी सोने की प्लेटें लगाई जानी है।
हर हर महादेव 
जय जय बाबा विश्वनाथ 
🙏🔱🌹🔱🙏

भगवान महेशजी प्रसन्न जिन पर... उनके साथ होती हैं ये 3 बातें


भगवान महेशजी प्रसन्न जिन पर... उनके साथ होती हैं ये 3 बातें
धर्मशास्त्रों में भगवान महेशजी को गुणातीत कहकर भी पुकारा गया है। यानी भगवान महेशजी अनगिनत गुण व शक्तियों के स्वामी है। इन शक्तियों की महिमा भी अपार है। भगवान महेशजी का ऐसा बेजोड़ चरित्र ही भगवान महेशजी को ईश्वरों का ईश्वर (देवों का देव) यानी महेश्वर या महेश बनाता है। शास्त्रों में उजागर भगवान महेशजी के बेजोड़ चरित्र पर सांसारिक और व्यावहारिक नजरिए से गौर करें तो पता चलता है कि भगवान महेशजी के देवताओं में सर्वश्रेष्ठ होने के पीछे कुछ खूबियां खास अहमियत रखती हैं। जानिए, आख़िर भगवान महेशजी की ऐसी ही 3 अहम शक्तियां कौन सी हैं।

दरअसल, इंसानी जीवन की दिशा व दशा तय करने में दो बातों की अहम भूमिका होती हैं - पहली रचना, उत्पत्ति या सृजन और दूसरी आजीविका। ये दोनों ही लक्ष्य पाने और कायम रखने के लिए यहां बताए जा रहे तीन गुण अहम हैं या यूं कहें कि इनके बिना न सृजन करना, न ही जीवन को चलाना संभव है। भगवान महेशजी का चरित्र भी इन तीन बेजोड़ गुणों से संपन्न है। यहीं वजह है कि जिस भी व्यक्ति के जीवन में इन 3 गुणों से यश, धन व सुख नजर आता है, धार्मिक नजरिए से माना गया है कि ऐसा होना भगवान महेशजी की प्रसन्नता के ही संकेत हैं।

(1) पावनता व वैभव -
शुद्धता, पावनता या पवित्रता के अभाव में मानव जन्म हो या किसी वस्तु की रचना दोषपूर्ण हो जाती है। भगवान महेशजी का चरित्र व उनका निराकार स्वरूप शिवलिंग भी सृजन का ही प्रतीक होकर जीवन व व्यवहार में पावनता और संयम का संदेश देता है। भगवान महेशजी का संयम और वैराग्य दोनों ही तन-मन की पवित्रता की सीख है। यही वजह है कि अचानक दरिद्रता, तंगी, रोग या क्लेशों से घिरे महेशजी या किसी देव भक्त को इन परेशानियों से छुटकारा मिलने लगे, तो धार्मिक आस्था से इसे उस व्यक्ति के जीवन पर भगवान महेशजी कृपा का ही बड़ा संकेत माना गया है।

(2) ज्ञान -
ज्ञान या शिक्षा के अभाव में जीवनयापन संघर्ष और संकट भरा हो जाता है। ज्ञान व बुद्धि के मेलजोल से बेहतर आजीविका यानी जीवन के 4 पुरुषार्थों में एक 'अर्थ' प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं। भगवान महेशजी भी जीवन के लिए जरूरी ज्ञान, कलाओं, गुण और शक्तियों के स्वामी होने से जगतगुरु भी पुकारे जाते हैं, जो धर्मशास्त्र, तंत्र-मंत्र और नृत्य के रूप में जगत को मिले है। कोई भी धर्म व ईश्वर को मानने वाला अगर ज्ञान के जरिए यश व सफलता की बुलंदियों को छूने लगे, तो धार्मिक नजरिए से यह भगवान महेशजी कृपा ही मानी गई है, जिसे कायम रखने के लिए अहंकार से परे रहकर व विवेक के साथ ज्ञान, कला या हुनर को बढ़ाने या तराशने के लिए संकल्पित हो जाना चाहिए।

(3) पुरुषार्थ -
जीवन के लक्ष्यों को पाने के लिए संकल्पों के साथ पूरी तरह डूबकर परिश्रम को अपनाना ही पुरुषार्थ का भाव है। इसे धर्म या अध्यात्म क्षेत्र में साधना या तप के रूप में जाना जाता है तो सांसारिक जगत में कर्म के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव भी महायोगी, तपस्वी माने गए हैं। भगवान महेशजी का योग व तप जीवन में सुख, सफलता व शांति के लिए पुरुषार्थ की अहमियत बताता है। मन व तन के आलस्य से परे श्रम के जरिए जीवन को साधना ही भगवान महेशजी के बेजोड़ तप और योग का संदेश है।

यही वजह है कि व्यावहारिक तौर पर जब भी किसी इंसान को नौकरी, कारोबार में या जीवनयापन के लिए किसी भी रूप में की गई भरसक कोशिशों के सुफल मिलते या सफलता हाथ लगती है, तो यह धर्म के नजरिए से भगवान महेशजी कृपा ही मानी जाती है।

इस तरह भगवान महेशजी के चरित्र की ये तीन खासियत इंसानी जीवन में गहरी अहमियत रखने से भक्तों के मन में श्रद्धा और आस्था पैदा कर भगवान महेशजी की भक्ति और उपासना को सर्वोपरि बनाती है। साथ ही महादेव के महेश स्वरूप को हृदय में बसाए रखती है।

Ψ जय महेश Ψ

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