इस गुफा में आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा हुआ असली सिर
यहां और भी हैं कई रहस्य
भगवान का कटा सिर धरती पर एक गुफा में रखा है.
आइये आपको बताते हैं इस पवित्र गुफा के और भी कई रहस्य.
गणेश के सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं
कटने के बाद कहां गिरा था भगवान गणेश का सिर?
पाताल भुवनेश्वर की गुफा से जुड़ी जाने रोचक बातें
इस गुफा में कई अद्भुत करने वाले तथ्य नजर आते हैं। यहां पौराणिक कथाओं के अनुसार कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो गणपति जी के सिर कटने से जुड़ी घटना की जानकारी देते हैं।
सर्वप्रथम पहली बार इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी और तब यह पता चला था कि गणपति जी का सिर यही कट कर गिरा था।
मान्यता है कि इस गुफा में पाया जाने वाले चार पत्थर चारों युगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि चौथा पत्थर कलयुग का प्रतीक है।
दिनो दिन ये चौथा पत्थर बढ़ता रहता है। पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन चौथा पत्थर गुफा की दीवार को छू लेगा, उस दिन कलयुग का अंद हो जाएगा।
गुफा के अंदर पाताल में माना जाता है कि बहुत से पौराणिक रहस्य छुपे हैं। यहां आने वाले भक्त इस पौराणिक साक्ष्यों का अपनी आंखों से देखते हैं।
गुफा के अंदर भगवान गणेशजी का कटा हुआ सिर मूर्ति के रूप में स्थापित है। माना जाता है कि गणपति जी का सिर इसी पाताल में आ कर गिर गया था।
गणेशजी के सिर के ऊपर 108 पंखुड़ियों का ब्रह्मकमल भी नजर आता है और इस
ब्रह्म कमल से गणेशजी के कटे मस्तक पर जल की बूंदें सदा टपकी तरती हैं। इसे इस ब्रह्मकमल इसलिए कहा जाता है क्योंकि मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी।
पाताल भुवनेश्वर गुफा में बद्रीनाथ, केदारनाथ और अमरनाथ की प्रतिमाएं भी विराजित हैं। यह पहला स्थान हैं जहां दिनों प्रतिमाएं एक साथ नजर आती हैं।
गुफा के अदंर शेषनाग और तक्षक नाग के प्रतीक भी नजर आते हैं। साथ ही बद्री पंचायत में लक्ष्मी-गणेश, यम-कुबेर, तथा वरुण-गरूड़ भी विराजित हैं।
गुफा में अमरनाथ की भी गुफा है, शिवजी की जटाएं पत्थर पर फैली नजर आती हैं वहीं इस गुफा के पास कालभैरव की जिह्वा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
आभार — शिव पुराण