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मंगलवार, 22 मार्च 2022

इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं - ओम प्रकाश 'आदित्य'


आज कल सोशल मिडिया हो या राजनीति का अखाडा हर जगह गधों की ही चर्चा हैं. और गधों पर लिखी एक हास्य कविता जो इस टाइम सोशल मिडिया की सुर्खिया बना हुआ हैं .


जैसा की आप जानते हैं भारत के युवा कवि और आम आदमी पार्टी के नेता डॉ. कुमार विश्वास इन्ही गधो को लेकर चर्चा में बने हैं. डॉ. ओमप्रकाश ‘आदित्य  द्वारा लिखी गधों पर एक लोकप्रिय हास्य कविता को लेकर.  जिसके बोल हैं  ‘इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं’ इस लोकप्रिय कविता को डॉ. कुमार विश्वास ने अपने आवाज़ में रिकार्ड कर और इस विडिओ को ट्विटर पर शेयर किया है. और ये विडियो बड़ी तेज़ी के साथ वायरल होता जा रहा हैं. इस कविता को सुन लोग लोटपोट हुए जा रहे हैं इसे सुन जुबान ही नहीं दिल भी बोल देता हैं


 इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं
जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं

गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है
हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है

जवानी का आलम गधों के लिये है
ये रसिया, ये बालम गधों के लिये है

ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिये है
ये संसार सालम गधों के लिये है

पिलाए जा साकी, पिलाए जा डट के
तू विहस्की के मटके पै मटके पै मटके

मैं दुनियां को अब भूलना चाहता हूं
गधों की तरह झूमना चाहता हूं

घोडों को मिलती नहीं घास देखो
गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो

यहाँ आदमी की कहाँ कब बनी है
ये दुनियां गधों के लिये ही बनी है

जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है
जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है

जो खेतों में दीखे वो फसली गधा है
जो माइक पे चीखे वो असली गधा है

मैं क्या बक गया हूं, ये क्या कह गया हूं
नशे की पिनक में कहां बह गया हूं

मुझे माफ करना मैं भटका हुआ था
वो ठर्रा था, भीतर जो अटका हुआ था

भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के "रोशनी अधिनियम" को समाप्त कर दिया है

अकल्पनीय
 कश्मीरी पंडित के बारे में
 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 *भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के "रोशनी अधिनियम" को समाप्त कर दिया है!*
 *कल्पना कीजिए कि आज तक, आपके TOI और द इंडियन एक्सप्रेस और पूरे वामपंथी नियंत्रित मीडिया ने हमें "द रोशनी एक्ट" के बारे में कभी नहीं बताया!*
 *अब फेसबुक और व्हाट्सएप की ताकत से आप जानेंगे, समझिए फारूक अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सैयद, गुलाम नबी आजाद और कश्मीरी नौकरशाहों ने क्या किया!*

 *यह "रोशनी एक्ट" फारूक अब्दुल्ला द्वारा बनाई गई एक साजिश थी, जो कश्मीर के मुसलमानों को 1990 में कश्मीर से भागे हिंदुओं के घरों, दुकानों, बगीचों और खेतों को कानूनी रूप से देने के लिए बनाई गई थी, जिसमें कांग्रेस भी अच्छी तरह से थी आरोपित और सीधे तौर पर शामिल!*

  *1990 के दशक में कश्मीर से भागे सभी हिंदुओं को पाकिस्तानी मुसलमानों ने नहीं, बल्कि उनके अपने कश्मीरी पड़ोसियों द्वारा मारा गया, जिनके साथ वे एक साथ नाश्ता और दोपहर का भोजन करते थे, एक साथ त्योहार मनाते थे, एक साथ चाय पीते थे, पीढ़ियों से एक साथ!*

 *उसके बाद जब पूरी कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गई, तब मुसलमानों ने नौकरशाही और फारूक अब्दुल्ला की मदद से याचिका दायर की कि कुछ नियम बनाए जाएं ताकि हिंदुओं के इन घरों, दुकानों, जमीनों, खेतों और खलिहानों को दिया जा सके। मुसलमानों को!*

 *इसलिए फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य मंत्री के रूप में "रोशनी अधिनियम" पर हस्ताक्षर किए और इस "रोशनी अधिनियम" के माध्यम से, किसी भी हिंदू की जमीन, खेत, घर या दुकान सिर्फ ₹ 101 में मुस्लिम की हो गई ( अमरीकी डालर 1.30)!*


 *इस्तेमाल की गई ट्रिक इस प्रकार थी:*

 *चूंकि 1990 में 6 महीने में 3 लाख हिंदुओं का कत्ल, बलात्कार और कश्मीर घाटी से बाहर निकाल दिया गया था, उनके बैग और सामान के साथ और कश्मीर में घर, दुकानों, कार्यालयों और भवन भवनों और खेतों जैसी सभी अचल संपत्तियों को पीछे छोड़ दिया। !*

 *वे अपने घरों को कश्मीर घाटी लौटने पर मौत के डर से बिजली बिल का भुगतान नहीं कर सके और इसलिए बकाया भुगतान न करने के कारण जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पहले उनके खेतों या दुकानों या घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए थे। !*

 *वियोग के आदेशों में यह छूट दी गई कि मुसलमानों के घरों के आसपास रहने वाले हिंदू अब कश्मीर में नहीं हैं!*

 *बिजली के मीटर कटने से इन संपत्तियों के चारों ओर अंधेरा छा गया, जो पड़ोसी मुसलमानों के लिए खतरा था!*

 *इसलिए ऐसे गुणों का प्रकाश करना आवश्यक था!*

 *इस तरह "रोशनी एक्ट" का ताना-बाना फारूक, उमर ने बुना और महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस के स्वाइन जैसे अन्य मुख्यमंत्रियों ने इसका समर्थन किया!*

 *तब फारूक अब्दुल्ला ने राज्य विधानसभा से रोशनी (प्रकाश) अधिनियम पारित करवाया!*

 *इस अधिनियम के द्वारा कोई भी मुसलमान अपने नाम से आवेदन कर उस हिन्दू के खेत, फार्म हाउस या दुकान के लिए मात्र ₹101 शुल्क देकर बिजली कनेक्शन प्राप्त कर सकता है!*

 *इस तरह पहले आवेदन करने वाले मुसलमान के नाम से बिजली का बिल बनता था और उसके बाद कुछ सालों में उस मुसलमान को हिंदू के घर, दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक दे दिया जाता था!*

 *इस प्रकार इस "रोशनी (प्रकाश) अधिनियम" द्वारा मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और ऊपर वर्णित सभी सूअरों ने कश्मीर घाटी के 300,000 हिंदुओं की बहुमूल्य संपत्ति मुसलमानों को सिर्फ 101 रुपये में दी। (आज का 1.30 अमरीकी डालर)! *

 *और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि भारत के वामपंथी मीडिया ने पिछले 30 वर्षों में इस "रोशनी अधिनियम" पर कभी चर्चा नहीं की, और इसलिए आज सोशल मीडिया की शक्ति से मुझे इसके बारे में पता चला!*

 *वैसे, नाजियों और यहूदियों के पड़ोसियों द्वारा मारे गए यहूदियों की संपत्ति के साथ यूरोप में भी ऐसा ही किया गया था!*

 *आपका कर्तव्य है कि इस खबर को साझा करके सभी भारतीयों को इस जानकारी से अवगत कराएं ताकि फारूक, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद और कश्मीरी नौकरशाहों पर मुकदमा चलाया जाए और 10,000 हिंदुओं की हत्या और व्यवस्थित ड्राइविंग के लिए उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाए। अपनी मातृभूमि से 300,000 कश्मीरी हिंदुओं में से !!*
 🙏🙏🙏
 क्या कहेंगे
 हिंदू सो रहा है
 ❤️❤️❤️ शेयर करें ताकि दूसरे भी मेरी तरह जान सकें 🙏
 राधे राधे

भारत में हर हवाई जहाज का नाम VT से शुरू होता है लेकिन आखिर VT क्या है?

क्या आपने कभी गौर किया है कि भारत में सभी हवाई जहाजों के पंखों और बॉडी पर VT से शुरू होने वाला नाम प्रमुखता से लिखा होता है।  भारत में हर हवाई जहाज का नाम VT से शुरू होता है लेकिन आखिर VT क्या है? 

 तरुण विजय ने संसद में बताया VT का मतलब.
 अधिकांश लोगों की तरह हमारे सांसदों को या तो इसका मतलब नहीं पता था या उन्होंने अभी तक इस पर विचार भी नहीं किया है।
 लेकिन मंगलवार को जब बीजेपी सांसद तरुण विजय ने राज्यसभा में इस मामले को उठाया और सांसदों को बताया कि वीटी का मतलब क्या होता है तो ज्यादातर सांसद शर्म से झुक गए.

 दरअसल, दो अक्षर का यह शब्द बताता है कि कैसे हम 68 साल से गुलामी की निशानी लेकर चल रहे हैं और दुनिया को बता भी रहे हैं।
 वीटी का अर्थ है:
 'वायसराय टेरिटरी' का अर्थ है
 वायसराय का क्षेत्र।
 क्या है इस 2 अक्षर के कोड का मतलब..?
 अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक हर विमान पर प्रमुखता से लिखा होना चाहिए कि वह किस देश का है, यानी उसकी पहचान, रजिस्ट्रेशन कोड पांच अक्षरों का है।
 पहले दो अक्षर देश कोड हैं, और बाद के अक्षर इंगित करते हैं कि कौन सी कंपनी विमान का मालिक है।

 देश को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा कोड दिया गया है।
 1929 में VT को ICOA से भारत मिला।
 'वायसराय टेरिटरी' (वीटी) कोड 1929 में खोजा गया था जब अंग्रेजों ने यहां शासन किया था।

 हैरानी की बात यह है कि 87 साल बाद भी भारत अपनी गुलामी की पहचान को बदलने में नाकाम रहा है।
 मंगलवार को जब संसद में यह मामला उठा तो सभी दलों के सांसदों ने सरकार से एक स्वर में मांग की कि इस नाम को जल्द से जल्द हटाया जाए.
 इस मामले को उठाने वाले भाजपा सांसद तरुण विजय ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और फिजी जैसे देशों ने भी अपने देश के कोड बदले और एक नया कोड प्राप्त किया, लेकिन भारत अब तक ऐसा करने में विफल रहा है।  .!!

 ये शायद आप कभी नहीं जानते होंगे...

 अगर आपको यह अच्छा लगा तो इसे साझा करें…।

 यह सभी को पता होना चाहिए।  जय हिन्द!!

सोमवार, 21 मार्च 2022

महायोनि पूजा - मूल तंत्र

******* महायोनि पूजा - मूल तंत्र *******
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    तंत्रमार्गमे दक्षिणाचार , वामाचार , अघोराचार , कौलाचार बिगेरा अनेक गुरुपरम्परा ओर उपासना विधान है । विषय का आधा अधूरा ज्ञान और नकली गुरुओ ओर कुपमेढक संप्रदायों के आचार्यो ने इस विषय का भ्रामक प्रचार किया है । तंत्र तो सद्गुरु के सनिध्यमे पूर्ण अभ्यास ओर सही उपासना से ही समजा जा सकता है । 64 प्रकार के तन्त्र है हर एक आयाम में एक तन्त्र स्थापित है । इस प्रकार 64 आयाम से हर एक तन्त्र जुड़ा है । तन्त्र के 2 रूप भारत में प्रसिद्ध है ।

1 दक्षिण मार्ग
2 वाममार्ग 

परमेश्वर सदाशिवजी के 5 मुख है जिनमें से 3 मुख से 3 अलग अलग तन्त्र मार्ग की उत्पत्ति हुई है 

1 दक्षिण मुख से दक्षिण मार्ग प्रकट हुआ 
2 वामदेव मुख से वाम मार्ग
3 अघोरेश्वर यानी 3 मुख से अघोर पन्थ प्रकट हुआ

तन्त्र में सबसे ऊपर दो ही मार्ग है अघोर मार्ग और कौलमार्ग जिसमें दस महाविद्याओं की साधना की जाती है कालभैरव और उनके अष्ट भैरव रूप कपाल भैरव क्रोध भैरव रुरु भैरव आदि अष्ट भैरवों की साधना महाकाल शिव की साधना महाकाली परमेश्वरी की साधना श्मशान काली उग्र काली वाम काली आदि प्रमुख माताओं की साधना की जाती है ।

सर्वेम्यश्चोत्तमा वेदा-वेदेम्यो बैष्ण्ंवं परम
वैष्णवादुत्तमं शैवं-शैवादक्षिण मुत्तमंम्
दक्षिणात् उत्तमं वामं-वामात् सिद्धान्त उत्तमम्
सिद्धान्तात् उत्तमं कौलं-कौलात् परतरं नहिं।।’’

(वेदाचार से श्रेष्ट वैष्णवाचार है। वैष्णवाचार से श्रेष्ट शैवाचार है। शैवाचार से उत्तम दक्षिणाचार है। दक्षिणाचार से श्रेष्ट वामाचार है। वामाचार से उत्तम सिद्धान्ताचार तथा सिद्धान्ताचार से श्रेष्ट कौलाचार है।)

इन्हीं 64 तन्त्रों में से एक है योनि तन्त्र अर्थात भगवती कामाख्या का तन्त्र क्योंकि देवी कामाख्या काम क्षेत्र में योनि रूप में स्थित है अतएव इन देवी के इस रूप की साधकों द्वारा मन्त्र एवं स्तोत्रों से पूजा अर्चना और जप आदि किया जाता है जिसके फलस्वरूप वो सब सिद्धियां और शक्तियां और ज्ञान साधक को प्राप्त होता है जो 12 वर्षों तक श्मशान में साधनाएं करने से या फिर भगवती या भगवान शिव की 12 वर्षों तक सेवा करने से मिलता है देवी की उपासना से साधक को वो सहज ही प्राप्त हो जाता है चाहे 18 प्रकार की सिद्धियां हो या श्मशान में की गई 24 महा साधनाओं की सिद्धियां  वाक सिद्धि से लेकर पंच तत्व सिद्धि तक पंच कोष सिद्धि से लेकर नव चक्र सिद्धि तक सब साधक को इन परम् माता की कृपा से मिल जाता है ।
   
  सृष्टि में सबसे बड़ी सत्ता मूल ब्रह्म जो है वो ही आदि पराशक्ति देवी है जिनके संकल्प से जिनकी शक्ति से ही ब्रह्मा विष्णु महादेव जी का जन्म हुआ जो स्वयं मणिद्वीप की स्वामिनी है जो स्वयं परमब्रह्म परमपिता परमात्मा महाशिव मदन कामेश्वर भगवान महाकाल की पत्नी है और स्वयं मदन कामेश्वरी मां कामेश्वरी कामाख्या राजराजेश्वरी के रूप में उपस्थित है ये देवी ही महायोनि रूप में सृष्टि में स्थित है जिन्हें कुरु कुल्ला कहा जाता है 
कुरु अर्थात आरम्भ करने वाली या जन्म देने वाली कुल्ला अर्थात कुलो को 

ब्रह्मा कुल
विष्णु कुल
रुद्र कुल
भैरव कुल
शाक्त कुल

इन पांचों कुल और इनके देवताओं को भी जन्म देने वाली यही माता है ये देवी ही महायोनि के रूप में सारी सृष्टि को जन्म देती है और अंत में निगल भी जाती है तब न त्रिदेव शेष रहते है न ही सम्पूर्ण सृष्टि लेकिन परमेश्वरी अपने अर्धांग अपने स्वामी सदाशिव महाकाल सहित तब भी शून्य में स्थित रहती है ।

  देवी माता के इसी महायोनि स्वरूप को कामाख्या में पूजा जाता है और योनि तन्त्र इन्हीं देवी के इस रूप पे टिका है देवी कामाख्या की उपासना और साधनाओं को ही कामाख्या तन्त्र या योनि तन्त्र का नाम दिया गया है भगवान महादेवजी द्वारा और उन्होंने इसका पूरा ज्ञान वर्णन देवी पार्वती से किया है और भैरव जी ने मां भैरवी से किया है । अधूरा ज्ञान लेकर या अधूरी जानकारी लेकर हर जगह काम वासना घुसेड़कर उसे देवी देवताओं से जोड़ना मूर्खता है 84 लाख योनियाँ जिस देवी द्वारा रची गई है और जिनकी शक्ति और सत्ता से सारी सृष्टि चल रही है वही मां कामाख्या मां कामेश्वरी भगवती परमेश्वरी ही इस योनि तन्त्र का मूल है और उनकी सेवा उपासना साधना भक्ति तन्त्र मार्ग से करके परम् मोक्ष प्राप्ति कर परमधाम में स्थित होना यही इस तन्त्र का लक्ष्य है जो लाखों करोड़ों में किसी किसी को ही प्राप्त होता है ।

* माँ कामाख्या योनि स्तोत्र एवं कवच *

वामाचार पूजा में कामख्या योनि स्तोत्र एवं कवच पाठ माता कामख्या देवी की आराधना का अतिसुगम एवं शक्तिशाली पाठ है। सौभाग्य एवं मनोकामना पूर्ति की इच्छा रखने वाले साधक इसका नित्य पाठ करने से कुछ ही समय मे आश्चर्यजनक फल पा सकते है। इसका नित्य यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक पाठ करने से फल शीघ्र मिलने की सम्भवना बढ़ती है। इसका पाठ निष्काम भाव से ही करें सकाम भाव से पाठ करने के लिये श्रीविद्या दीक्षित होना आवश्यक है तथा इसके नियम भी कठिन होते है।
साधक पाठ करने से पहले माता का मणिपुर चक्र में नीचे दिए श्लोकों को पढ़ते हुए मानसिक ध्यान करके पाठ आरम्भ कर सकते है पाठ पूर्ण होने के बाद मानसिक रूप से ही पाठ को अपने गुरु को समर्पण कर आसन के आगे जल छोड़कर उसे माथे पर लगाकर प्राणाम करके एक पाठ सिद्ध कुंजिका के बाद देव्यापराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करें तो माता पाठ की त्रुटियों को क्षमा करके इच्छित फल प्रदान करती है।

मां कामाख्या योनि स्त्रोत :-

ॐभग-रूपा जगन्माता सृष्टि-स्थिति-लयान्विता ।
दशविद्या - स्वरूपात्मा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।१।।

कोण-त्रय-युता देवि स्तुति-निन्दा-विवर्जिता ।
जगदानन्द-सम्भूता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।२।।

कात्र्रिकी - कुन्तलं रूपं योन्युपरि सुशोभितम् ।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।३।।

वीर्यरूपा शैलपुत्री मध्यस्थाने विराजिता ।
ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।४।।

योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ।
सुखदा मदनागारा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।५।।

काल्यादि-योगिनी-देवी योनिकोणेषु संस्थिता ।
मनोहरा दुःख लभ्या योनिर्मां पातु सर्वदा ।।६।।

सदा शिवो मेरु-रूपो योनिमध्ये वसेत् सदा ।
वैवल्यदा काममुक्ता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।७।।

सर्व-देव स्तुता योनि सर्व-देव-प्रपूजिता ।
सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं योनिर्मां पातु सर्वदा ।।८।।

सर्व-तीर्थ-मयी योनि: सर्व-पाप प्रणाशिनी ।
सर्वगेहे स्थिता योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।९।।

मुक्तिदा धनदा देवी सुखदा कीर्तिदा तथा ।
आरोग्यदा वीर-रता पञ्च-तत्व-युता सदा ।।१०।।

योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्तं य: पठेत् योनि-सन्निधौ ।
शक्तिरूपा महादेवी तस्य गेहे सदा स्थिता ।।११।।

।। मां कामाख्या देवी कवच।।

महादेव उवाच

शृणुष्व परमं गुहयं महाभयनिवर्तकम्।कामाख्याया: सुरश्रेष्ठ कवचं सर्व मंगलम्।।यस्य स्मरणमात्रेण योगिनी डाकिनीगणा:।राक्षस्यो विघ्नकारिण्यो याश्चान्या विघ्नकारिका:।।क्षुत्पिपासा तथा निद्रा तथान्ये ये च विघ्नदा:।दूरादपि पलायन्ते कवचस्य प्रसादत:।।निर्भयो जायते मत्र्यस्तेजस्वी भैरवोयम:।समासक्तमनाश्चापि जपहोमादिकर्मसु।भवेच्च मन्त्रतन्त्राणां निर्वघ्नेन सुसिद्घये।

ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा कामरूपनिवासिनी।आग्नेय्यां षोडशी पातु याम्यां धूमावती स्वयम्।।नैर्ऋत्यां भैरवी पातु वारुण्यां भुवनेश्वरी।वायव्यां सततं पातु छिन्नमस्ता महेश्वरी।। 
कौबेर्यां पातु मे देवी श्रीविद्या बगलामुखी।ऐशान्यां पातु मे नित्यं महात्रिपुरसुन्दरी।। 
ऊध्र्वरक्षतु मे विद्या मातंगी पीठवासिनी।सर्वत: पातु मे नित्यं कामाख्या कलिकास्वयम्।। 
ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्वविद्यामयी स्वयम्।शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा भालं श्री भवगेहिनी।। 
त्रिपुरा भ्रूयुगे पातु शर्वाणी पातु नासिकाम।चक्षुषी चण्डिका पातु श्रोत्रे नीलसरस्वती।। 
मुखं सौम्यमुखी पातु ग्रीवां रक्षतु पार्वती।जिव्हां रक्षतु मे देवी जिव्हाललनभीषणा।। 
वाग्देवी वदनं पातु वक्ष: पातु महेश्वरी।बाहू महाभुजा पातु कराङ्गुली: सुरेश्वरी।। 
पृष्ठत: पातु भीमास्या कट्यां देवी दिगम्बरी।उदरं पातु मे नित्यं महाविद्या महोदरी।।
उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु।गुदं मुष्कं च मेदं च नाभिं च सुरसुंदरी।। 
पादाङ्गुली: सदा पातु भवानी त्रिदशेश्वरी।रक्तमासास्थिमज्जादीनपातु देवी शवासना।। 
।महाभयेषु घोरेषु महाभयनिवारिणी।पातु देवी महामाया कामाख्यापीठवासिनी।। 
भस्माचलगता दिव्यसिंहासनकृताश्रया।पातु श्री कालिकादेवी सर्वोत्पातेषु सर्वदा।। 
रक्षाहीनं तु यत्स्थानं कवचेनापि वर्जितम्।तत्सर्वं सर्वदा पातु सर्वरक्षण कारिणी।। 
इदं तु परमं गुह्यं कवचं मुनिसत्तम।कामाख्या भयोक्तं ते सर्वरक्षाकरं परम्।। 
अनेन कृत्वा रक्षां तु निर्भय: साधको भवेत।न तं स्पृशेदभयं घोरं मन्त्रसिद्घि विरोधकम्।।
जायते च मन: सिद्घिर्निर्विघ्नेन महामते।इदं यो धारयेत्कण्ठे बाहौ वा कवचं महत्।। 
अव्याहताज्ञ: स भवेत्सर्वविद्याविशारद:।सर्वत्र लभते सौख्यं मंगलं तु दिनेदिने।। 
य: पठेत्प्रयतो भूत्वा कवचं चेदमद्भुतम्।स देव्या: पदवीं याति सत्यं सत्यं न संशय:।। 

    योग्य सद्गुरु से पूर्ण भाव समझकर उनकी आज्ञा से ये स्तोत्र पाठ नित्य  किया जाय तो किसी भी प्रकार की तंत्रक्रिया , भूत प्रेत राक्षस बाधा नष्ट हो जाती है । और साधक धन धान्य ऐश्वर्य प्राप्त करता है । महामाया भगवती माँ कामाख्या सभी धर्मप्रेमी जनो पर कृपा करें यही प्रार्थना सह अस्तु .. श्री मात्रेय नमः

रविवार, 20 मार्च 2022

चैत्र कृष्ण चतुर्थी/भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी

*************** *संकष्टी चतुर्थी* ***************

     *(चैत्र कृष्ण चतुर्थी/भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी)*
                  चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. चतुर्थी व्रत के पालन से संकट से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है.
                 संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं, शान्ति बनी रहती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं.
                  संकष्टी चतुर्थी की चार व्रत कथाएं बहुचर्चित हैं. जिनमें से एक कथा इस प्रकार है. एक बार सभी देवी-देवता संकटों में घिरे हुए थे, तो वे समाधान के लिए भगवान शिव के पास आए. तब उन्होंने भगवान गणेश और कार्तिकेय से संकट का समाधान करने के लिए कहा, तो दोनों भाइयों ने कहा कि वे इसका समाधान कर सकते हैं.
                  अब शंकर जी दुविधा में पड़ गए. उन्होंने कहा कि जो भी इस पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले आएगा, वह देवताओं के संकट के समाधान के लिए जाएगा. भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है, वे उस पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. गणेश जी की सवारी मूषक है, उसके लिए मोर की तुलना में पहले परिक्रमा कर पाना संभव नहीं था.
                  गणेश जी बहुत ही बुद्धिमान हैं. वे जानते थे कि चूहे पर सवार होकर वह पहले पृथ्वी की परिक्रमा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने एक उपाय सोचा. वे अपने स्थान से उठे और दोनों हाथ जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती की 7 बार परिक्रमा की, फिर अपने आसन पर विराजमान हो गए.
                  उधर भगवान कार्तिकेय जब पृथ्वी की परिक्रमा करके आए, तो उन्होंने स्वयं को विजेता घोषित किया क्योंकि गणेश जी को वे वहां पर बैठे हुए देखे. तब महादेव ने गणेश जी से पूछा कि वे पृथ्वी परिक्रमा क्यों नहीं किए और उनकी परिक्रमा क्यों की?
                  इस पर गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही पूरा संसार है. इस कारण से उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर दी. गणेश जी के इस उत्तर से भगवान शिव और माता पार्वती बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने गणेश जी को देवताओं के संकट दूर करने को भेजा.
                  साथ ही भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन करेगा और चंद्रमा को जल अर्पित करेगा, उसके सभी दु:ख दूर हो जाएंगे. उसके संकटों का समाधान होगा और पाप का नाश होगा. उसके जीवन में सुख एवं समृद्धि आएगी.
                  चैत्र माह की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक माह में दो बार चतुर्थी पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में. चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और विघ्नहर्ता लोगों के सारे कष्ट हर लेते हैं. भगवान गणेश के भक्त भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. संकष्टी चतुर्थी व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से भक्तों की सभी परेशानियां और दुख दूर होते हैं. 
           *भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त*
                  भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थ- 21 मार्च 2022 (सोमवार) पूजा का शुभ मुहूर्त- 21 मार्च प्रातः 8 बजकर 20 मिनट से 22 मार्च प्रातः 6 बजकर 24 मिनट तक चन्द्रोदय- रात्रि 8 बजकर 23 मिनट पर.
                  हिन्दू धर्म में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. भगवान् श्री गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय देव माना गया है. यही कारण है कि हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. व्रत करने और सच्चे मन से उनकी अराधना करने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश की पूजा-अर्चना से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है. इस दिन पूरा दिन उपवास रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को शुभ फल देते हैं.

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