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शनिवार, 16 मार्च 2024

घर से भागी हुई बेटियों का पिता हो या ससुराल से भागी पत्नी का पति...इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है,


हिन्दुत्व की व हिन्दु सभ्यता की बर्बाद करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय षडयंत्र का खेल खेला जा रहा है -- सावधान रहें!!

दुबई में हिंदू लड़कियों के हालात पर अशोक भारती की रिपोर्ट
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        "मैने दुबई भ्रमण के दौरान होटलों ; रेस्तरां व नाचघरों में हजारों लड़कियों को काम करते हुए देखा, जब भी मैंने उनसे बात करने के लिए प्रयास किया, वह सहम जाती थी, रात को बाहर जाते समय उनके साथ 1- 2 अफ्रीका नीग्रो Body-Guard होते थे, मैने कई बार प्रयास किया, लेकिन विफल रहा, फिर मैंने एक पठान टैक्सी ड्राईवर की मदद से नीग्रो को कुछ पैसे देकर बात करवाने पर राजी किया -- --!!"
          और हमारी भेट १ भारतीय रेस्टोरेंट सागर रत्न में हुई । सभी लड़कियां भारत के अलग अलग भागों से, व नेपाल, भूटान, सिकिम एवं खानदानी सुन्दरता व अच्छे परिवारों से है , और कुछ एक ने तो अपने परिवार से विद्रोह करके , अपने ही घर से चोरी करके गहने-कैश लेकर अपने मुस्लिम प्रेमी के साथ भाग कर विवाह किया था । और कुछ महीने वह प्रेमी हबस के साथ बिताने के बाद, हलाला के चक्रव्यूह से दुखी होकर दुबई घूमने आयी थी, और वह मुस्लिम लड़कों ने उनके साथ ऐश करने के बाद ब्लू-फिल्म वनाकर उन्हें बेच दिया था । कुछ ने बताया कि उनका मुस्लिम पति दुबई में ही जॉब करता है और साथ रहने के लिए आई थी , पर यहाँ हमें बेच दिया गया--!! 
          उनमें से 6 लड़कियां तो ऐसी थी, जिन्हे एक ही मुस्लिम लड़के ने अलग अलग स्थानों पर विवाह कर के यहाँ लाकर बेचा था, उन लड़कियों ने बताया कि हमारे अलावा भी बहुत सी लड़कियां है , जो अलग अलग होटलों नाच घरों में नरक भोग रही है । अधिकतर लड़कियों ने बताया कि उन्होंने बहुत बड़ा अपराध किया, माता-पिता के साथ धोखा करके भागी है । और उसकी सजा के रूप में आज यहाँ नरक भोग रही है । 😭😭
         मैने उन्हें वापिस भारत अपने घर लौटने के लिए कहा तो लगभग सभी ने मना कर दिया , क्योंकि अब उनके लिए भारत में कुछ नहीं है , हम न तो परिवार और समाज को अपना मुँह दिखाने लायक रही और न हमारे पास कोई दूसरा सोर्स है--- जिससे अपने रहने खाने की व्यवस्था कर सके , अब तो इसी नरक में ही रहना है और फिर भगवान् जाने आगे क्या होगा जब आयु ढल जाएगी !!??
         लगभग सभी लड़कियों ने अपने पढाई पूरी नहीं की थी , स्कूल- कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही प्यार हुआ और भागकर विवाह किया था , वैसे तो पूरे भारत से एक लाख हर साल लड़कियां इस इस्लामिक जिहादियों के जाल में फसंती है । पर सबसे अधिक केरल, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल, बंगाल से आई हुई थी । 3 लड़कियां तो दिल्ली के पंजाबी परिवार की सरकारी अफसर की बेटी थी , और सब लड़कियां हिन्दू स्ववर्ण समाज से ही थी , वैसे नाम के लिए तो ये सभी लड़कियां होटल-रैस्टोरेंट बार में काम करती थी, पर वहाँ आने वाले ग्राहकों को खुश रखने के लिए देह व्यापार करने पर भी बाध्य थी । लाखों रुपये दीनार की धंदा चलता है, जिसने भी प्रतिबाद किया, उनको सामुदायिक स्थलों पर नग्न करके एक एक अंगों को तलवार से काटकर जानवरों को खिला दिया, बहुत सारे वीभत्स प्रताड़ना जातनायें दि जाती है, आखिर वह मजबूर लडकी क्या करते !!?? 😭😭
        
मेरे बहुत अधिक आग्रह करने पर दिल्ली की 5 लड़कियों ने अपने परिवार का पता और फोन नंबर देने पर राजी हुई । में ने उन्हें समझाया था कि--- मैं अपनी और से प्रयास करूँगा कि -- आपका परिवार आपको स्वीकार करें और आप इस नर्क से निकल कर वापिस भारत अपने परिवारों के साथ रहें । मेंने दिल्ली में उनके परिवारों से मिलने के लिए गया भी । और उनकी बेटीओ की स्थति अवगत कराया, पर वह परिवार भी नहीं चाहते कि -- लड़कियां वापिस आएं । वे अब उनके लिए मर गई है । आत्मा तो मर ही गई है । पर देह अभी भी जीवित है नारकीय जातनायें भोगने के लिए । 😭😭
          में अपनी और से हिन्दू-सिक्ख व भारतीय भाई बहनों से निवेदन है कि -- अपने घरों में बच्चों के आसपास मंडराते हुए कुछ सक्स देंखे तो खुद भी सचेत हो जायें और बच्चों को भी जागरूक करें , ताकि हमारी बेटियां इन जिहादियों के जाल में न फंस सके ।। 

        पोस्ट को शेयर जरूर करें क्या पता आप के एक पोस्ट्स किसी की भीस जिंदगी बच जाए और मुस्लिमों के नकली प्रेम जाल में फंसने वाली हिंदू लड़कियों की आंखें खुल जाए ।


घर से भागी हुई बेटियों का पिता हो या ससुराल से भागी पत्नी का पति...इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है, 
पहले तो वो महीनों तक घर से निकलता ही नही और फिर जब निकलता है तो हमेशा सिर झुका कर चलता है, आस पास के मुस्कुराते चेहरों को देख उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हों, जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, डरता है कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले, जीवन भर डरा रहता है, अंतिम सांस तक घुट घुट के जीता है, और अंदर ही अंदर रोता रहता है।

जानते हैं भारतीय समाज अपनी बेटियों को लेकर इतना संवेदन शील क्यों है,
भारतीय इतिहास में हर्षवर्धन के बाद तक अर्थात सातवीं आठवीं शताब्दी तक बसन्तोत्सव मनाए जाने के प्रमाण मौजूद हैं, बसन्तोत्सव बसन्त के दिनों में एक महीने का उत्सव था जिसमें विवाह योग्य युवक युवतियाँ अपनी इच्छा से जीवनसाथी चुनती थीं और समाज उसे पूरी प्रतिष्ठा के साथ मान्यता देता था,
 आश्चर्यजनक है ना आज उसी देश में कुछ गांवों की पंचायतें जो प्रेम करने पर कथित रूप से मृत्यु दण्ड तक दे देती थी, पता है क्यों? इस क्यों का उत्तर भी उसी इतिहास में है, वो ये कि भारत पर आक्रमण करने आया मोहम्मद बिन कासिम भारत से धन के साथ और क्या लूट कर ले गया था जानते हैं, सिंधु नरेश दाहिर की दो बेटियां... उसके बाद से आज तक प्रत्येक आक्रमणकारी यही करता रहा है.. गोरी, गजनवी, तैमूर सबने एक साथ हजारों लाखों बेटियों का अपहरण किया, प्रेम के लिए...? नहीं... बिल्कुल नही... उन्होंने अपहरण किया सिर्फ और सिर्फ बलात्कार व यौन दासी बनाने के लिए,

जबकि भारत ने किसी भी देश की बेटियों को नहीं लूटा, भारत की बेटियाँ सब से अधिक लूटी गई हैं, कासिम से ले कर गोरी तक, खिलजी से ले कर मुगलों तक, अंग्रेजों से ले राँची के उस रकीबुल हसन ने राष्ट्रीय निशानेबाज तारा सहदेव को, आफताब ने श्रद्धा को, सबने भारत की बेटियों को लूटा;

भारत का एक सामान्य पिता अपनी बेटी के प्रेम से नहीं डरता, वह डरता है अपनी बेटी के लूटे जाने से!

भागी हुई लड़कियों के समर्थन में खड़े होने वालों का गैंग अपने हजार विमर्शों में एक बार भी इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाहता कि भागने के साल भर बाद ही उसका कथित प्रेमी अपने दोस्तों से उसके साथ दुष्कर्म क्यों करवाता है, उसे कोठे पर क्यों बेंच देता है या उसे अरब देशों में लड़की सप्लाई करने वालों के हाथ क्यों बेंच देता है, आश्चर्य हो रहा है न, पर सच्चाई यही है..!!

देश के हर रेडलाइट एरिया में सड़ रही प्रत्येक बेटी जिहादियों द्वारा प्रेम के नाम पर फँसा के यहां लाई जाती है,

उन बेटियों पर, उस "धूर्त प्रेम" पर कभी कोई चर्चा नहीं होती, उनके लिए कोई मानवाधिकार वादी, कोई स्त्री वादी विमर्श नहीं छेड़ता।

यही एक पिता की आज्ञा ना मान कर कसाई के साथ भागी हुई बेटियों का सच है,
प्रेम के नाम पर "पट" जाने वाली मासूम बेटियां नहीं जानती कि वे अपने व अपने पिता के लिए कैसा अथाह दुःख का सागर खरीद रही हैं जानता और समझता है तो बस उनका बेबस निरीह पिता।

मंगलवार, 5 मार्च 2024

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के ठीक सामने यह मस्जिद जैसी गुंबद वाली एक संरचना आपको देखने को मिलेगी

 

जब आप औरंगाबाद के पास दौलताबाद से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस भव्य ज्योतिर्लिंग जिसे घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है यहां जाएंगे तब ज्योतिर्लिंग के ठीक सामने यह मस्जिद जैसी गुंबद वाली एक संरचना आपको देखने को मिलेगी

जब मैंने इस संरचना के बारे में वहां के एक स्थानीय इतिहासकार से पूछा तब उन्होंने बताया कि जब औरंगजेब ने दक्षिण यानी डक्कन पर विजय प्राप्त किया और औरंगाबाद शहर का नाम जो जिसे उस वक्त खिरकी कहा जाता था अपने नाम पर औरंगाबाद रखा और यहां पर अपना एक सूबेदार नियुक्त किया तो पहले औरंगजेब ने इस ज्योतिर्लिंग को तोड़ने का आदेश जारी किया

लेकिन वह सूबेदार समझता था कि यदि इस प्राचीन ज्योतिर्लिंग को तोड़ा गया तब मराठे और भड़क जाएंगे मराठों को आम जनता का और सहयोग मिलेगा और डेक्कन की राह इतनी आसान नहीं होगी

तब औरंगजेब ने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं से तुम पैसे वसूलो

और फिर घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के ठीक दरवाजे पर यह जो गुंबद जैसी संरचना है यहां पर औरंगजेब द्वारा नियुक्त एक मुगल अधिकारी बैठता था जो यहां दर्शन के लिए आने वाले हिंदू श्रद्धालुओं से 1.50 आना फीस या जजिया कर लेता था उसके बाद उन्हें ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने जाने देता था

धूर्त वामपंथी इतिहासकारों ने हमें इतिहास की हमें इतिहास की खासकर दरिंदे मुगलों के इतिहास की बहुत सी बातें नहीं बताई हैं


1911 में ब्रिटेन के महाराजा और महारानी भारत आए थे और दिल्ली में एक विशाल दरबार लगा था जिसे दिल्ली दरबार के नाम से जाना जाता है

 

1911 में ब्रिटेन के महाराजा और महारानी भारत आए थे और दिल्ली में एक विशाल दरबार लगा था जिसे दिल्ली दरबार के नाम से जाना जाता है

इस दिल्ली दरबार में भारत के तमाम रियासतों के राजा नबाब और कुछ बड़े लोगों ने ब्रिटेन के राजा के आगे झुक कर उनके तरफ वफादार रहने की शपथ खाई थी

यह तीन फोटो है

पहली फोटो में हैदराबाद का निजाम ब्रिटेन के राजा के आगे झुक कर वफादारी की कसम खा रहा है दूसरी फोटो में उस जमाने के जाने-माने वकील मोतीलाल नेहरू अंग्रेजी वेशभूषा में गए थे और उन्होंने भी ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादारी की कसम खाई और तीसरी फोटो में भोपाल की महिला नवाब है उन्होंने भी ब्रिटिश साम्राज्य की वफादारी की कसम खाई

इसी तरह के रामपुर के नवाब अवध के नवाब बरेली के नवाब, बहावलपुर जो अब पाकिस्तान में है वहां के नवाब लरकाना के नवाब सहित तमाम मुस्लिम नवाबों ने अंग्रेजों के सामने झुक कर वफादारी की कसम खाई

लेकिन कोई इन्हें गद्दार नहीं कहता

भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में जाएंगे तो वहां हजारों गाड़ियां सड़ती हुई आपको दिख जाएंगी।

 

भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में जाएंगे तो वहां हजारों गाड़ियां सड़ती हुई आपको दिख जाएंगी।




यह गाड़ियां पूरी तरह से सड़ जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत को हर साल इससे लगभग 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो जाता है।

ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1872 में ब्रिटिश एविडेंस एक्ट 1872 पारित किया था। इसके अनुसार अपराधी के पास बरामद सारी चीजें एविडेंस के तौर पर पेश की जाएंगी। उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और अदालत में पेश किया जाएगा।

1872 में साइकिल का भी आविष्कार नहीं हुआ था। फिर जब यही कानून ब्रिटिश सरकार ने भारत पर लागू कर दिया तो यह भारतीय एविडेंस एक्ट 1872 बन गया।

यानी कि कोई अपराधी यदि पकड़ा जाता है तो वो जिस गाड़ी में होगा उस गाड़ी को भी एविडेंस बना लिया जाता है। किसी गाड़ी में अपराध हुआ है तो उसे भी एविडेंस एक्ट के तहत जप्त कर लिया जाता है। या फिर दो गाड़ियों का एक्सीडेंट हुआ है तब दोनों गाड़ियों को एविडेंस एक्ट में जप्त कर लिया जाता है।

मुझे आश्चर्य होता है कि सरकारी वाहनों को इनसे मुक्त क्यों रखा गया है ? अगर ट्रेन में अपराध होता है तो मैंने आज तक नहीं देखा कि पुलिस पूरी ट्रेन को जप्त कर के थाने में खड़ी की हो या किसी सरकारी बस में कोई अपराध हुआ हो या सरकारी बस या विमान में कोई मुजरिम पकड़ा गया हो तो पुलिस ने एविडेंस एक्ट के तहत सरकारी बस या विमान को उठाकर थाने में रखा हो ?

जितने भी वाहन पकड़े जाते हैं, यह जब तक केस का फाइनल फैसला नहीं आ जाता तब तक थाने में पड़े रहते हैं। गर्मी बारिश सब झेलते हैं।

और आपको तो पता ही है कि भारत में 50 से 60 साल मुकदमे की सुनवाई में लग जाते हैं। तब तक यह वाहन पूरी तरह से सड़ जाते हैं। जब केस का निपटारा होता है तब यह वाहन कबाड़ तो छोड़िए, सड़कर खाद बन चुके होते हैं।

मोदी जी ने एक बार कहा था कि हमने ब्रिटिश जमाने से चले आ रहे बहुत से कानूनों में बदलाव किया है,,, लेकिन अब इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में भी बदलाव करने की जरूरत है।

सोचिए कि एक वाहन बनाने में कितने घंटे की मजदूरी कितनी पावर कितना कच्चा माल लगा होगा,, और वह सब कुछ सड़ जाता है किसी के काम नहीं आता।

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