जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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शनिवार, 19 मई 2012
जिंदगी तुझसे हर एक मोड पर समझौता करूँ, शौक जीने का है मुझको मगर इतना भी नहीं
प्रिय सांसदों,
(आदरणीय लिखना चाहता हूँ पर चाह कर भी नहीं लिख पाता हूँ...इस बात के लिए खेद प्रकट करता हूँ )
जब आप संसद में चुन कर आते हैं तो आप क्या सोच कर आते हैं ? ज्यादातर का मानना होगा कि इतना पैसा खर्च करके आते हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि सबसे पहले तो उसे ही ब्याज समेत वसूलना चाहेंगे ही !!....चलो मान लेते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं है..
फिर परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, बंधू, ठेकेदार, कार्यकर्ताओं,इत्यादि को ऊपर उठाने की चिंता...
फिर स्विस बैंक को घाटे से बचाने की चिंता...
फिर भरष्टाचार, काले धन, आतंकवाद, घोटालों, वसूली , माफिया इत्यादि को बचाने की चिंता....
हर वक्त बस चिंता ही चिंता !!
पर आप लोगों की इन चिंताओं में यह देश, यह मातृभूमि, यह जननी कहाँ है? क्यूँ नहीं अपना मुँह खोलते वहाँ पर, संसद में ? क्यूँ तुम्हारे बदन को लकवा मार जाता है जब सड़कों पर चलते देश हित के मुद्दे उठाए जाते हैं संसद में ? क्यूँ तुम संसद के बाहर तो रौब दिखाते फिरते हो आम आदमी पर, अफसरों पर, पुलिस पर, मीडिया पर और संसद के अंदर तुम्हारी ज़बान से एक शब्द भी नहीं निकलता....तुम्हारा वजूद ही नहीं दिखाई देता है जनहित के मुद्दों पर ?
यह प्रश्न हैं उन सांसदों से जो सिर्फ और सिर्फ अपनी पार्टी के कुछ चुनिन्दा नेताओं की हाँ में हाँ मिलते हैं? क्यूँ अन्धों की तरह पार्टी व्हिप के नाम पर एक रबर स्टाम्प की तरह इस्तेमाल होते हो ?
क्या आप लोगों का दिमाग नहीं है ?
क्या आपके मुँह में ज़बान नहीं है ?
क्या आप सोचने और समझने के काबिल नहीं है ?
क्या आप में ज़मीर नाम की कोई चीज़ नहीं है ?
अगर है, तो फिर क्यों आप लोगों को गाय और भेड़- बकरियों की तरह हांका जाता है किसी भी मुद्दे पर वोट देने के लिए.....
क्यों इस देश को अपने सभी सांसदों के नाम नहीं पता हैं ?क्यूँ सिर्फ आठ-दस नेता ही हर पार्टी में चमकते हैं टी.वी ,अखबार, संसद के अंदर और बाहर? क्यूँ यही आठ-दस तथाकथित " बुद्धिजीवी" नेता ही इस देश को चलाते हैं अपने इशारों पर ? क्यों हर मुद्दे पर हमें इनकी ही राय सुनने को मिलती है ? क्यूँ ये आठ - दस लोग ही अहम कमेटियों और पैनलों में जगह पाते हैं ?
क्या आप सभी बाकि सांसदों को हमने संसद में इसलिए चुन कर भेजा था कि आप लोग ध्रितराष्ट्र और भीष्म पितामह की तरह इस देश का चिर- हरण होते हुए देखते रहें? क्या आप अपनों के बीच में ही मौज़ूद दुर्योधन, दुशाशन, शकुनी के कुकृत्यों को यूँ ही मूक समर्थन देते रहेंगे?
आप कुछ भी राय रखिये.... किसी भी मुद्दे के पक्ष में या विरोध में...पर कम से कम एक राय रखिये तो सही !!
"जिंदगी तुझसे हर एक मोड पर समझौता करूँ,
शौक जीने का है मुझको मगर इतना भी नहीं".......
आप ऐसा नहीं करते हैं तभी तो मैं आपके लिए आदरणीय लिखना चाहता हूँ पर चाह कर भी नहीं लिख पाता हूँ................
आपका शुभाकांक्षी,
(आदरणीय लिखना चाहता हूँ पर चाह कर भी नहीं लिख पाता हूँ...इस बात के लिए खेद प्रकट करता हूँ )
जब आप संसद में चुन कर आते हैं तो आप क्या सोच कर आते हैं ? ज्यादातर का मानना होगा कि इतना पैसा खर्च करके आते हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि सबसे पहले तो उसे ही ब्याज समेत वसूलना चाहेंगे ही !!....चलो मान लेते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं है..
फिर परिवार, रिश्तेदार, दोस्त, बंधू, ठेकेदार, कार्यकर्ताओं,इत्यादि को ऊपर उठाने की चिंता...
फिर स्विस बैंक को घाटे से बचाने की चिंता...
फिर भरष्टाचार, काले धन, आतंकवाद, घोटालों, वसूली , माफिया इत्यादि को बचाने की चिंता....
हर वक्त बस चिंता ही चिंता !!
पर आप लोगों की इन चिंताओं में यह देश, यह मातृभूमि, यह जननी कहाँ है? क्यूँ नहीं अपना मुँह खोलते वहाँ पर, संसद में ? क्यूँ तुम्हारे बदन को लकवा मार जाता है जब सड़कों पर चलते देश हित के मुद्दे उठाए जाते हैं संसद में ? क्यूँ तुम संसद के बाहर तो रौब दिखाते फिरते हो आम आदमी पर, अफसरों पर, पुलिस पर, मीडिया पर और संसद के अंदर तुम्हारी ज़बान से एक शब्द भी नहीं निकलता....तुम्हारा वजूद ही नहीं दिखाई देता है जनहित के मुद्दों पर ?
यह प्रश्न हैं उन सांसदों से जो सिर्फ और सिर्फ अपनी पार्टी के कुछ चुनिन्दा नेताओं की हाँ में हाँ मिलते हैं? क्यूँ अन्धों की तरह पार्टी व्हिप के नाम पर एक रबर स्टाम्प की तरह इस्तेमाल होते हो ?
क्या आप लोगों का दिमाग नहीं है ?
क्या आपके मुँह में ज़बान नहीं है ?
क्या आप सोचने और समझने के काबिल नहीं है ?
क्या आप में ज़मीर नाम की कोई चीज़ नहीं है ?
अगर है, तो फिर क्यों आप लोगों को गाय और भेड़- बकरियों की तरह हांका जाता है किसी भी मुद्दे पर वोट देने के लिए.....
क्यों इस देश को अपने सभी सांसदों के नाम नहीं पता हैं ?क्यूँ सिर्फ आठ-दस नेता ही हर पार्टी में चमकते हैं टी.वी ,अखबार, संसद के अंदर और बाहर? क्यूँ यही आठ-दस तथाकथित " बुद्धिजीवी" नेता ही इस देश को चलाते हैं अपने इशारों पर ? क्यों हर मुद्दे पर हमें इनकी ही राय सुनने को मिलती है ? क्यूँ ये आठ - दस लोग ही अहम कमेटियों और पैनलों में जगह पाते हैं ?
क्या आप सभी बाकि सांसदों को हमने संसद में इसलिए चुन कर भेजा था कि आप लोग ध्रितराष्ट्र और भीष्म पितामह की तरह इस देश का चिर- हरण होते हुए देखते रहें? क्या आप अपनों के बीच में ही मौज़ूद दुर्योधन, दुशाशन, शकुनी के कुकृत्यों को यूँ ही मूक समर्थन देते रहेंगे?
आप कुछ भी राय रखिये.... किसी भी मुद्दे के पक्ष में या विरोध में...पर कम से कम एक राय रखिये तो सही !!
"जिंदगी तुझसे हर एक मोड पर समझौता करूँ,
शौक जीने का है मुझको मगर इतना भी नहीं".......
आप ऐसा नहीं करते हैं तभी तो मैं आपके लिए आदरणीय लिखना चाहता हूँ पर चाह कर भी नहीं लिख पाता हूँ................
आपका शुभाकांक्षी,
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
शनिवार, 14 अप्रैल 2012
वो है माँ का प्यार
एक जवान बेटा अपनी बुढी माँ के पास बेठा था...!
उसकी माँ ने एक पेड के ऊपर बैठे पक्षी की तरफ
इशारा करके पुछा: बेटा..! वो क्या है..? बेटा:
माँ वो कौवा है.. एक बार फिर माँ पुछा: बेटा वो क्या है...??
बेटा: माँ वो कौवा है कौवा..! एक बार फिर माँ ने पुछा:
बेटा वो क्या है...??? बेटा गुस्सा होकर: माँ तु बुढी हो गई
हो...! अब तुम्हारे दिमाग को जंग लग गया है..! तुम पागल
हो गई हो.. मैनेँ कितनी बार बोला की वो कौवा है..!! फिर
भी तुम पुछती जा रही हो..?? माँ की आँखो से आँसु निकल
आये..!!! फिर माँ ने आँसु पोछकर भारी आवाज मेँ बोली:
बेटा..! जब तु छोटा था ना तो, तुने मुझे 30 बार
पुछा कि माँ वो क्या है...? तो मैनेँ तीस बार तेरा सर चुमकर
कहा बेटा वो कौवा है कौवा है..कौवा है...!!!
मित्रो दुनिया मेँ सबसे मीठा कोई है तो वो है माँ का प्यार
और सबसे कडवा माँ के आँसु इस बात का हमेशा ध्यान
रखना....!!!!
उसकी माँ ने एक पेड के ऊपर बैठे पक्षी की तरफ
इशारा करके पुछा: बेटा..! वो क्या है..? बेटा:
माँ वो कौवा है.. एक बार फिर माँ पुछा: बेटा वो क्या है...??
बेटा: माँ वो कौवा है कौवा..! एक बार फिर माँ ने पुछा:
बेटा वो क्या है...??? बेटा गुस्सा होकर: माँ तु बुढी हो गई
हो...! अब तुम्हारे दिमाग को जंग लग गया है..! तुम पागल
हो गई हो.. मैनेँ कितनी बार बोला की वो कौवा है..!! फिर
भी तुम पुछती जा रही हो..?? माँ की आँखो से आँसु निकल
आये..!!! फिर माँ ने आँसु पोछकर भारी आवाज मेँ बोली:
बेटा..! जब तु छोटा था ना तो, तुने मुझे 30 बार
पुछा कि माँ वो क्या है...? तो मैनेँ तीस बार तेरा सर चुमकर
कहा बेटा वो कौवा है कौवा है..कौवा है...!!!
मित्रो दुनिया मेँ सबसे मीठा कोई है तो वो है माँ का प्यार
और सबसे कडवा माँ के आँसु इस बात का हमेशा ध्यान
रखना....!!!!
अगर किसी इन्सान में आगे दी हुयी पांच खूबियाँ हों , तो वह स्कूली शिक्षा हासिल किये बिना कामयाब हो सकता है-
एक आदमी सड़क के किनारे समोसे बेचा करता था| अनपढ़ होने की वजह से वो अख़बार नहीं पढ़ता था| ऊँचा सुनने की वजह से वह न्यूज़ नहीं सुनता था और आँखें कमजोर होने की वजह से उसने कभी टेलीविजन नहीं देखा था| इसके बावजूद वह काफी समोसे बेच लेता था| उसकी बिक्री और नफे में काफी बढ़ोतरी होती गयी| उसने और ज्यादा आलू खरीदना शुरू किया| साथ ही पहले वाले चूल्हे से और बड़ा बढ़िया चूल्हा खरीद लिया| उसका व्यापार लगातार बढ़ रहा था| तभी हाल ही मैं कॉलेज से MBA की डिग्री हासिल कर चूका उसका बेटा पिता का हाथ बटाने के लिए चला आया|
उसके बाद एक अजीबोगरीब घटना घटी| बेटे ने उस आदमी से पूछा"पिता जी क्या आपको मालूम है की हम लोग एक बड़ी मंदी का शिकार बनने वाले हैं|"पिता ने जवाब दिया,"नहीं, लेकिन मुझे उसके बारे में बताओ|"बेटे ने कहा"अंतराष्ट्रीय परिस्तिथितियाँ बड़ी गंभीर हैं| घरेलूं हालत तो और भी बुरे हैं| हमें आने वाले बुरे हालत का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए|"उस आदमी ने सोचा की उसका बेटा कॉलेज जा चूका है, अख़बार पढता है, और न्यूज़ सुनता है, इसलिए उसकी राय को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए| दुसरे दिन से उसने आलू की खरीद कम कर दी, और अपना साइनबोर्ड निचे उतार दिया| उसका जोश ख़त्म हो चूका था| जल्दी ही उसकी दुकान पर आने वालों की तादात घटने लगी और उसकी बिक्री तेजी से गिरने लगी| पिता ने अपने बेटे से कहा"तुम सही कह रहे थे| हम लोग मंदी के दौर से गुजर रहे हैं| मुझे ख़ुशी है की तुमने वक्त से पहले ही सचेत कर दिया|"
इस कहानी से हमे क्या सिख मिलती है? इससे ये नतीजे निकलते हैं-
१- हम अपनी सोच के मुताबिक, खुद को आत्मसंतुष्ट करने वाली भविष्य वाणियाँ कर देते हैं|
२- कई बार हम बुद्धिमत्ता को अच्छा फैसला मानने की गलती भी कर बैठते हैं|
३- एक इन्सान ज्यादा बुद्धिमान होने के बावजूद गलत फैसले ले सकता है|
४- अपने सलाहकार सावधानी से चुनिए, लेकिन अमल अपने ही फैसले पर करिए|
५- कई लोग ज्यादा ज्ञानी हैं| उन्हें चलता फिरता विश्वकोष (encyclopedia) माना जा सकता है, पर दुःख की बात है की इसके बावजूद वे नाकामयाबी की जीती जागती मिसाल हैं|
६- अगर किसी इन्सान में आगे दी हुयी पांच खूबियाँ हों , तो वह स्कूली शिक्षा हासिल किये बिना कामयाब हो सकता है-
चरित्र ( character )
प्रतिबद्धता ( commitment )
दृढ विश्वास ( conviction )
तहजीब ( courtesy )
सहस ( courage )
विंस्टन चर्चिल ने सही ही कहा था"यूनिवर्सिटी की पहली जिम्मेदारी ज्ञान देना और चरित्र निर्माण होता है, न कि व्यापारिक और तकनिकी शिक्षा देना|"
पता नहीं भारतीय शिक्षा मंत्रालय और सरकार कब इस बात को समझेगी|
जय श्री राम|
उसके बाद एक अजीबोगरीब घटना घटी| बेटे ने उस आदमी से पूछा"पिता जी क्या आपको मालूम है की हम लोग एक बड़ी मंदी का शिकार बनने वाले हैं|"पिता ने जवाब दिया,"नहीं, लेकिन मुझे उसके बारे में बताओ|"बेटे ने कहा"अंतराष्ट्रीय परिस्तिथितियाँ बड़ी गंभीर हैं| घरेलूं हालत तो और भी बुरे हैं| हमें आने वाले बुरे हालत का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए|"उस आदमी ने सोचा की उसका बेटा कॉलेज जा चूका है, अख़बार पढता है, और न्यूज़ सुनता है, इसलिए उसकी राय को हल्के ढंग से नहीं लेना चाहिए| दुसरे दिन से उसने आलू की खरीद कम कर दी, और अपना साइनबोर्ड निचे उतार दिया| उसका जोश ख़त्म हो चूका था| जल्दी ही उसकी दुकान पर आने वालों की तादात घटने लगी और उसकी बिक्री तेजी से गिरने लगी| पिता ने अपने बेटे से कहा"तुम सही कह रहे थे| हम लोग मंदी के दौर से गुजर रहे हैं| मुझे ख़ुशी है की तुमने वक्त से पहले ही सचेत कर दिया|"
इस कहानी से हमे क्या सिख मिलती है? इससे ये नतीजे निकलते हैं-
१- हम अपनी सोच के मुताबिक, खुद को आत्मसंतुष्ट करने वाली भविष्य वाणियाँ कर देते हैं|
२- कई बार हम बुद्धिमत्ता को अच्छा फैसला मानने की गलती भी कर बैठते हैं|
३- एक इन्सान ज्यादा बुद्धिमान होने के बावजूद गलत फैसले ले सकता है|
४- अपने सलाहकार सावधानी से चुनिए, लेकिन अमल अपने ही फैसले पर करिए|
५- कई लोग ज्यादा ज्ञानी हैं| उन्हें चलता फिरता विश्वकोष (encyclopedia) माना जा सकता है, पर दुःख की बात है की इसके बावजूद वे नाकामयाबी की जीती जागती मिसाल हैं|
६- अगर किसी इन्सान में आगे दी हुयी पांच खूबियाँ हों , तो वह स्कूली शिक्षा हासिल किये बिना कामयाब हो सकता है-
चरित्र ( character )
प्रतिबद्धता ( commitment )
दृढ विश्वास ( conviction )
तहजीब ( courtesy )
सहस ( courage )
विंस्टन चर्चिल ने सही ही कहा था"यूनिवर्सिटी की पहली जिम्मेदारी ज्ञान देना और चरित्र निर्माण होता है, न कि व्यापारिक और तकनिकी शिक्षा देना|"
पता नहीं भारतीय शिक्षा मंत्रालय और सरकार कब इस बात को समझेगी|
जय श्री राम|
बन के अच्छी सी एक खबर निकलो
'दुःख लिए मत डगर- डगर निकलो ,
बन के अच्छी सी एक खबर निकलो
जेसे चिंगारिया निकलती हे वेसे ,
तुम भी पत्थर को तोड़कर निकलो
गर उजाला लियो हो तुम साथ ,
जिस तरफ रात हो ,उधर निकलो
चीत्कारों से भर गई दुनिया ,
अच्छी खबर बनकर नगर नगर निकलो '''.
बन के अच्छी सी एक खबर निकलो
जेसे चिंगारिया निकलती हे वेसे ,
तुम भी पत्थर को तोड़कर निकलो
गर उजाला लियो हो तुम साथ ,
जिस तरफ रात हो ,उधर निकलो
चीत्कारों से भर गई दुनिया ,
अच्छी खबर बनकर नगर नगर निकलो '''.
कन्या भ्रूणहत्या
एक माँ ने सामाजिक दबाब में आकर कन्या भ्रूणहत्या के लिए दवा खा ली है
अब कन्या भ्रूण के पास जो थोड़ा सा समय शेष है
उसमें वह अपनी माँ से कुछ दिन की बात कहती है वो कया हैॽ
मैं आती तो घर के अंदर ... गुड़िया घर बनवाती माँ
मैं आती तो संग तेरे ... पूजा की थाल सजवाती माँ
चूड़ी कंगन पहन के मैं ...खन खन खन खनाती माँ
मैं आती तो पैरो मैं पायल ... छन छन छन छनकाती माँ
साड़ी तेरी तह करके ... आलमारी में रखवाती माँ
रंग बिरंगी रंगोली से ... घर आँगन सजवाती माँ
दीवाली में दियों में बाती ... तेरे संग लगवाती माँ
परेशानी में सहेली बनकर ... तुझको में समझती माँ
नाना-नानी कौन कहेगा ... मामा-मामी के संग रहेगा
जब कन्या भ्रूण मारी जायेगी ... तब रिश्ते भी मर जायेगे
ये शब्द अनसुने रह जायेंगे ... खैंर छोड़ इन बातों को
तूझे मैं ये बतलाती माँ... तेरे लिये सब से लड़ती
मेरे लिये कौन लड़ेगा ... माँ तेरा आँचल क्यूँ भीगा है
तूँ अब क्यूँ रोती है ... छोड़ स्वप्न की बातें
तेरी बिटिया अब ... चिर निद्रा में सोती है..… :'( :'( .. such a emotionally or truth :'(
अब कन्या भ्रूण के पास जो थोड़ा सा समय शेष है
उसमें वह अपनी माँ से कुछ दिन की बात कहती है वो कया हैॽ
मैं आती तो घर के अंदर ... गुड़िया घर बनवाती माँ
मैं आती तो संग तेरे ... पूजा की थाल सजवाती माँ
चूड़ी कंगन पहन के मैं ...खन खन खन खनाती माँ
मैं आती तो पैरो मैं पायल ... छन छन छन छनकाती माँ
साड़ी तेरी तह करके ... आलमारी में रखवाती माँ
रंग बिरंगी रंगोली से ... घर आँगन सजवाती माँ
दीवाली में दियों में बाती ... तेरे संग लगवाती माँ
परेशानी में सहेली बनकर ... तुझको में समझती माँ
नाना-नानी कौन कहेगा ... मामा-मामी के संग रहेगा
जब कन्या भ्रूण मारी जायेगी ... तब रिश्ते भी मर जायेगे
ये शब्द अनसुने रह जायेंगे ... खैंर छोड़ इन बातों को
तूझे मैं ये बतलाती माँ... तेरे लिये सब से लड़ती
मेरे लिये कौन लड़ेगा ... माँ तेरा आँचल क्यूँ भीगा है
तूँ अब क्यूँ रोती है ... छोड़ स्वप्न की बातें
तेरी बिटिया अब ... चिर निद्रा में सोती है..… :'( :'( .. such a emotionally or truth :'(
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
पाँव में घुंघरु बाँध के नाचे !
रामजी का नाम इसे प्यारा लागे !!
राम ने भी देखो इसे खूब पहचाना !
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का !
लगता है पहरा वह वीर हनुमान का!!
राम के चरणों में इनका ठिकाना !
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
नाच नाच देखो राम को रिझाये !
'बनवारी' रत दिन देखो नाचता ही जाये !!
बख्तो में भक्त बड़ा दुनिया ने माना!!
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
पाँव में घुंघरु बाँध के नाचे !
रामजी का नाम इसे प्यारा लागे !!
राम ने भी देखो इसे खूब पहचाना !
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
जहाँ जहाँ कीर्तन होता श्री राम का !
लगता है पहरा वह वीर हनुमान का!!
राम के चरणों में इनका ठिकाना !
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
नाच नाच देखो राम को रिझाये !
'बनवारी' रत दिन देखो नाचता ही जाये !!
बख्तो में भक्त बड़ा दुनिया ने माना!!
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना !
कहते है लोग इसे राम का दीवाना !!
कुत्ते के तेज दिमाग का कारनामा
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया तभी उसने देखा एक शेर उसकी तरफ आ रहा है कुत्ते की सांस रुक गयी!
उसने सोचा आज तो काम तमाम है मेरा फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखी वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर जोर से बोलने लगा:
वाह शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जाएगी और उसने जोर से डकार मारा!
इस बार शेर सकते में आ गया उसने सोचा ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है जान बचा कर भागो और शेर वहां से चम्पत हो गया!
पेड़ पर बैठा एक बन्दर ये सब तमाशा देख रहा था उसने सोचा ये मौका अच्छा है शेर को सारी कहानी बता देता हूँ शेर से दोस्ती हो जाएगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जायेगा!
वो फटाफट शेर के पीछे भागा कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है!
उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवक़ूफ़ बनाया है शेर जोर से दहाड़ा, चल मेरे साथ अभी उसकी लीला खत्म करता हूँ और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ लपका!
क्या आप कुत्ते के तेज दिमाग का कारनामा जानना चाहेंगे.......
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कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया, और जोर जोर से बोलने लगा, इस बन्दर को भेज के एक घंटा हो गया, साला एक शेर फाँसकर नही ला सकता!
उसने सोचा आज तो काम तमाम है मेरा फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखी वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर जोर से बोलने लगा:
वाह शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जाएगी और उसने जोर से डकार मारा!
इस बार शेर सकते में आ गया उसने सोचा ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है जान बचा कर भागो और शेर वहां से चम्पत हो गया!
पेड़ पर बैठा एक बन्दर ये सब तमाशा देख रहा था उसने सोचा ये मौका अच्छा है शेर को सारी कहानी बता देता हूँ शेर से दोस्ती हो जाएगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जायेगा!
वो फटाफट शेर के पीछे भागा कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है!
उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवक़ूफ़ बनाया है शेर जोर से दहाड़ा, चल मेरे साथ अभी उसकी लीला खत्म करता हूँ और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ लपका!
क्या आप कुत्ते के तेज दिमाग का कारनामा जानना चाहेंगे.......
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कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया, और जोर जोर से बोलने लगा, इस बन्दर को भेज के एक घंटा हो गया, साला एक शेर फाँसकर नही ला सकता!
मोर और मोरनी की प्रेम कहानी ::-
इक दिन मोरनी बोली मुझे छोड़ कर कभी तुम उड़ तो नहीं जाओगे ,मोर ..उड़ जाऊ तो तुम पकड़ लेना ,,मोरनी बोली ..मै तुम्हे पकड़ सकती हु पर पा नहीं सकती ,,मोर की आँखों में आंसू आ गए ,,उसने अपने सारे पंख तोड़ दिए ,और बोला हम हमेशा साथ रहेंगे ,इक दिन जोर से हवा चली .मोर ने सोचा तूफान आने वाला है ,,तभी मोर बोला तुम उड़ जाओ मै नहीं उड़ सकता ,,मोरनी :-अपना ख्याल रखना कहकर उड़ गयी ,जब तूफान थमा और मोरनी वापस आई तो उसने देखा की मोर मर चूका था ,और इक डाली पर लिखा था ,काश वो इक बार तो कहती की मैं तुम्हे छोड़ के नहीं जा सकती तो सायद में तूफान आने से पहले नहीं मरता ...
चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक|
तुम कायर बनकर बहना, कभी भाग न जाना, जीवन साथी चुनने में पूरा ही विवेक जगाना|
चिकनी चुपड़ी बातों में बहना, तु कभी न आना, अपने कृत्यों से माँ बाप का, सिर न कभी लजाना||
माँ बाप कभी तुम्हारे दुश्मन हो नहीं सकते, तुम्हारे जीवन में वे कभी कांटे बो नहीं सकते|
कैसे भूल सकती हो तुम, उनके सारे एहसान, जीते जी कैसे पहुंचाओगी, तुम उन्हें शमशान||
जब से सोलह बसंत, तूने किये पार, जब से कालेज का देखा तुमने द्वार|
क्यों छाया दिमाग पर, प्यार का बुखार, अब भी वक्त है समय रहते उसे उतार||
प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है बहना,ये तुम्हारी काया,ऐसे कपडे मत पहनो कि,शरमा जाये तुम्हारा साया|
फीका सौन्दर्य तुम्हारा, फीकी सारी इसकी माया, आत्मा के आभूषण से यदि, इसे तुने नहीं सजाया||
अपने ही हाथों तुम जीवन में,जहर घोल रही हो,जवानीके नशे में तुम बेसुध होकर डोल रही हो|
हिरोईन की अदाओं से,तुम खुद को तौल रही हो,क्यों कुमार्ग पर चलकर बर्बादीके पट खोल रही हो||
वासना का कुत्ता जब जब,सिर पर चढकर भौंका,तब तब हर लड़की ने,जीवन में खाया है धोखा|
धर लेता विकराल रूप, जब जब यौवन का सागर, मुश्किलमें पड जाती है, तब तब जीवनकी नौका||
नारी के रोम रोम में, भरी मादकता अपार है, इसीलिए तो चारो ओर फिरते चाटुकार है|
घास कभी ना डालना, अगर तु जरा भी समझदार है, वासना के दानव तुझे नौंचने को तैयार है||
जो जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर आंसू बहाती है|
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है, हुई भयानक भूल सोचकर पछताती है||
यौवन के नशे में मत करना, तु कोई भी पाप, वरना सहना होगा तुम्हे उम्र भर संताप|
अपने हाथों मत करना क्रिया कर्म खुशियों का, नहीं तो खुद ही दोगी तुम खुद को अभी शाप||
बाबुलकी बगियामें जब तू , बनके कलि खिली, तुम्हे क्या मालूम कि उनको कितनी खुशी मिली|
उस बाबुलको मारकर ठोकर, जब तुम घरसे भाग जाती!जिनका प्यारा हाथ पकड़कर तुम पहली बार चली||
माँ बाप ने बड़े प्यार से तेरा जीवन बाग सींचा, कैसे दिखा सकती हो तुम, उनको समाज में नीचा|
परिवार कि खुशियों का, जो तुमने फाड़ा दामन, सूख जायेगा तेरे सुखों का, हरा भरा बगीचा||
संस्कार कि चुनरी से बदन को पूरा ढांक,लाज का घूंघट खोल, तू इधर उधर मत झांक|
बिन सोचे समझे बहना,तू कुछ भी मत फांक,चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक||
चिकनी चुपड़ी बातों में बहना, तु कभी न आना, अपने कृत्यों से माँ बाप का, सिर न कभी लजाना||
माँ बाप कभी तुम्हारे दुश्मन हो नहीं सकते, तुम्हारे जीवन में वे कभी कांटे बो नहीं सकते|
कैसे भूल सकती हो तुम, उनके सारे एहसान, जीते जी कैसे पहुंचाओगी, तुम उन्हें शमशान||
जब से सोलह बसंत, तूने किये पार, जब से कालेज का देखा तुमने द्वार|
क्यों छाया दिमाग पर, प्यार का बुखार, अब भी वक्त है समय रहते उसे उतार||
प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है बहना,ये तुम्हारी काया,ऐसे कपडे मत पहनो कि,शरमा जाये तुम्हारा साया|
फीका सौन्दर्य तुम्हारा, फीकी सारी इसकी माया, आत्मा के आभूषण से यदि, इसे तुने नहीं सजाया||
अपने ही हाथों तुम जीवन में,जहर घोल रही हो,जवानीके नशे में तुम बेसुध होकर डोल रही हो|
हिरोईन की अदाओं से,तुम खुद को तौल रही हो,क्यों कुमार्ग पर चलकर बर्बादीके पट खोल रही हो||
वासना का कुत्ता जब जब,सिर पर चढकर भौंका,तब तब हर लड़की ने,जीवन में खाया है धोखा|
धर लेता विकराल रूप, जब जब यौवन का सागर, मुश्किलमें पड जाती है, तब तब जीवनकी नौका||
नारी के रोम रोम में, भरी मादकता अपार है, इसीलिए तो चारो ओर फिरते चाटुकार है|
घास कभी ना डालना, अगर तु जरा भी समझदार है, वासना के दानव तुझे नौंचने को तैयार है||
जो जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर आंसू बहाती है|
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है, हुई भयानक भूल सोचकर पछताती है||
यौवन के नशे में मत करना, तु कोई भी पाप, वरना सहना होगा तुम्हे उम्र भर संताप|
अपने हाथों मत करना क्रिया कर्म खुशियों का, नहीं तो खुद ही दोगी तुम खुद को अभी शाप||
बाबुलकी बगियामें जब तू , बनके कलि खिली, तुम्हे क्या मालूम कि उनको कितनी खुशी मिली|
उस बाबुलको मारकर ठोकर, जब तुम घरसे भाग जाती!जिनका प्यारा हाथ पकड़कर तुम पहली बार चली||
माँ बाप ने बड़े प्यार से तेरा जीवन बाग सींचा, कैसे दिखा सकती हो तुम, उनको समाज में नीचा|
परिवार कि खुशियों का, जो तुमने फाड़ा दामन, सूख जायेगा तेरे सुखों का, हरा भरा बगीचा||
संस्कार कि चुनरी से बदन को पूरा ढांक,लाज का घूंघट खोल, तू इधर उधर मत झांक|
बिन सोचे समझे बहना,तू कुछ भी मत फांक,चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक||
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