महेश जयंती का उत्सव
महेश
नवमी : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी या महेश जयंती का
उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की
आराधना को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर की कृपा से
माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई इसलिए माहेश्वरी समाज में यह उत्सव बड़ी ही
धूम-धाम से मनाया जाता है। आप सब को ये जानकारी देते हुए हर्ष हो रहा हे
की इस बार महेश नवमी का पर्व दिनांक 30 / 5 / 2012 (बुधवार) को है।
मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वज पूर्वकाल में क्षत्रिय
(राजपूत) वंश के थे, किसी कारणवश उन्हें ऋषियों ने श्राप दे दिया। तब इसी
दिन भगवान शंकर-पार्बती ने उन्हें शाप से मुक्त किया व अपना नाम भी दिया।
यही भी प्रचलित है कि भगवान शंकर (महेश) की आज्ञा से ही इस समाज के
पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य या व्यापारिक कार्य को अपनाया।
माहेश्वरी समाज के उपनाम व गोत्र का संबंध भी इसी प्रसंग से है।
वैसे तो महेश नवमी का पर्व सभी समाज के लोग मनाते हैं लेकिन माहेश्वरी
समाज द्वारा इस पर्व को बहुत ही भव्य रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव की
तैयारी पहले से ही शुरु हो जाती है। धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम किए
जाते हैं। यह पर्व भगवान शंकर और पार्वती के प्रति पूर्ण भक्ति और आस्था
प्रगट करता है।
आप सभी से विनम्र अनुरोध है की अपने घर,गाँव,
अंचल, व प्रदेश में इस पावन पर्व को हर्षउल्लास व धूम धाम से मनाये. महेश
नवमी उत्सव का पालन करना प्रत्येक माहेश्वरी का कर्त्तव्य है और समाज उथान व
एकता के लिए अत्यंत आवश्यक भी है.......
*माहेश्वरी युवा मंडल /
मंच / युवा संगठन से विनम्र अनुरोध.....प्रभात फेरी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा
ले. ध्वज, सिम्बोल छपे हुए टी-शर्ट, राजस्थानी पगड़ी, जय भवानी.....जय महेश
के नारे के साथ इस पावन पर्व को हर्षउल्लास व धूम धाम से मनाये.
जय भवानी ! जय महेश !
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