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शनिवार, 1 सितंबर 2012
मोटापे को कम करने के लिए
मोटापे को कम करने के लिए खाने के सम्बंध में कुछ दिशा-निर्देश नीचे दिये गए हैं जो इस प्रकार से हैं-
दिशा-निर्देश
6.00 बजे शहद मिला हुआ एक गिलास नींबू का रस। सुबह
8.00 बजे सुबह एक फल और छाछ
12.00 से 1.00 बजे के बीच - 100 ग्राम कच्चा सलाद, 300 ग्राम सब्जियां, 3
चपाती, 200 ग्राम चावल, दलिया, खिचड़ी, एक दिन छोड़कर दाल, छाछ, सूप।
शाम 4.00- फल का रस, कोई रसीला फल
शाम 7.00 बजे - 2 या तीन तरह के फल और इनमें से प्रत्येक 100 ग्राम की
मात्रा में लें। 200 ग्राम सब्जियां भाप में पकी हुई लें। एक बड़ा चम्मच
अंकुरित दाल और सूप लें।
8.00 बजे सुबह एक फल और छाछ
12.00 से 1.00 बजे के बीच - 100 ग्राम कच्चा सलाद, 300 ग्राम सब्जियां, 3 चपाती, 200 ग्राम चावल, दलिया, खिचड़ी, एक दिन छोड़कर दाल, छाछ, सूप।
शाम 4.00- फल का रस, कोई रसीला फल
शाम 7.00 बजे - 2 या तीन तरह के फल और इनमें से प्रत्येक 100 ग्राम की मात्रा में लें। 200 ग्राम सब्जियां भाप में पकी हुई लें। एक बड़ा चम्मच अंकुरित दाल और सूप लें।
पेट के सभी रोग : विभिन्न औषधियों के द्वारा रोग का उपचार :
पेट के सभी रोग
विभिन्न औषधियों के द्वारा रोग का उपचार :
1. फिटकरी : भूनी हुई फिटकरी 10 ग्राम, भूना हुआ सुहागा 10 ग्राम, नौसादर
ठीकरी 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम और भूनी हुई हींग 5 ग्राम को अच्छी तरह
पीसकर चूर्ण बना लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम भोजन के साथ सेवन करने
से पेट का सभी रोग समाप्त होता है।
2. असंगध : 100 ग्राम असंगध को
बारीक पीसकर 5-5 ग्राम की मात्रा में देशी घी व चीनी मिलाकर गर्म दूध के
साथ दिन में 2 बार सेवन करने से प्रसूता (डिलीवरी) का दर्द और पेट का दर्द
ठीक होता है।
3. त्रिफला : त्रिफला का 100 ग्राम चूर्ण में 65
ग्राम चीनी मिलाकर रख लें और यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार
पानी के साथ सेवन करें। इसके उपयोग से पेट की सभी बीमारियां समाप्त होती
हैं।
4. तुलसी :
* 10 ग्राम तुलसी का रस पीने से पेट की मरोड़ व दर्द ठीक होता है।
* तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त रोग ठीक होता है। तुलसी के
पत्तों का 10 ग्राम रस प्रतिदिन पीने से पेट की मरोड़ और कब्ज दूर होती है।
* तुलसी के 4 ताजे पत्ते प्रतिदिन पानी के साथ खाने से पेट की बीमारीयां
दूर होती है। इससे हृदय, फेफड़ों, रक्त एवं कैंसर में लाभ मिलता है।
5. जामुन : पेट की बीमारियों में जामुन लाभदायक होता है। जामुन खाने से
दस्त का बार-बार आना बंद होता है। यह पेट दर्द, दस्त रोग, अग्निमांद्य आदि
में जामुन के रस में सेंधानमक मिलाकर पीना चाहिए।
6. केला :
* किसी भी कारण से उत्पन्न पेट दर्द में केला खाना लाभकारी होता है। केला
बच्चे व कमजोर रोगी के लिए पोषक आहार होता है। केले का सेवन से पेट दर्द,
आंतों की सूजन और आमाशय का जख्म ठीक होता है।
7. अनार : अधपका
अनार खाने से मेदा, तिल्ली, यकृत की कमजोरी, संग्रहणी (पेचिश), दस्त, उल्टी
और पेट का दर्द ठीक होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ता है और पेशाब की रुकावट
को दूर करता है।
8. गाजर : गाजर खाने या इसका रस पीने से भोजन न
पचना, पेट में वायु बनना, ऐंठन, सूजन एवं घाव ठीक होता है। गाजर का रस पीने
से पेट में पानी भरना, एपेण्डीसाइटिस, वृहादांत्र शोथ (कोलाइटिस), दस्त की
बदबू, मुंह की बदबू और खराश ठीक होती है।
9. मूली : खाना खाते
समय मूली की चटनी, अचार और सब्जी या मूली पर नमक, कालीमिर्च का चूर्ण डालकर
खाने से पेट के सभी रोग जैसे- पाचनक्रिया का मंदा होना, अरुचि, पुरानी
कब्ज और गैस आदि दूर होती है।
10. ग्वारपाठा :
*
ग्वारपाठा के गूदे को पेट पर लेप करने से पेट नर्म होकर आंतों में जमा मल
ढीला होकर निकल जाता है। इसके सेवन से पेट की गांठे गल जाती हैं।
* 5 चम्मच ग्वारपाठे का ताजा रस, 2 चम्मच शहद और आधे नींबू का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार के पेट के रोग ठीक होते हैं।
11. चौलाई : चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेट की बीमारियां समाप्त होती है।
12. बथुआ : बथुआ की सब्जी मौसम के अनुसार खाने से पेट, जिगर एवं तिल्ली का
रोग ठीक होता है। इसके सेवन से गैस का बनना, कब्ज, पेट के कीड़े और बवासीर
ठीक होती है।
13. मसूर : मसूर की दाल को खाने से पेट की पाचनक्रिया ठीक होती है और कब्ज नहीं बनती।
14. सौंठ :
* पिसी हुई सौंठ एक ग्राम, थोड़ी सी हींग और सेंधानमक पीसकर चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ खाने से पेट का दर्द दूर होता है।
* सौंठ का 1 चम्मच चूर्ण और सेंधानमक को एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट की पीड़ा समाप्त होती है।
* सौंठ, हरीतकी, बहेड़ा और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बना लें और
इसे गाय का घी, तिल का तेल ढाई किलो, दही का पानी ढाई किलो के साथ मिलाकर
विधिपूर्वक घी का पाक बना लें। इसके बाद इसे छानकर 10 से 20 ग्राम की
मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पेट के सभी रोग दूर होते हैं।
15. अदरक : अदरक के टुकड़े को देशी घी में सेंककर इसमें नमक मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से पेट का दर्द शांत होता है।
16. आक : 10 ग्राम आक की जड़ की छाल कूटकर 400 ग्राम पानी में डालकर काढ़ा
बनाएं और जब यह काढ़ा 50 ग्राम बच जाए तो छानकर पीएं। इसका उपयोग पेट के सभी
रोग के लिए बेहतर होता है।
17. गिलोय : ताजी गिलोय 18 ग्राम,
अजमोद, छोटी पीपल 2-2 ग्राम, नीम की 2 सींकों को पीसकर रात को 250 पानी के
साथ मिट्टी के बर्तन में रख दें और सुबह इसे छानकर सेवन करें। इसका सेवन 15
से 30 दिनों तक करने से पेट के सभी रोग ठीक होते हैं।
18. प्याज :
* प्याज खाने से भूख का न लगना ठीक होता है, जिगर (यकृत), तिल्ली तथा
पित्त का रोग ठीक होता है। इसके सेवन से पेट की गैस बाहर निकाल जाती है और
जलवायु के बदलाव के कारण होने वाला रोग ठीक होता है।
* प्याज को आग में गर्म करके रस निकाल लें और इस रस में नमक मिलाकर पीएं। इससे अम्लपित्त और पेट का दर्द ठीक होता है।
* नींबू का रस, प्याज का रस और नमक मिलाकर 1-2 चम्मच की मात्रा में पीने से पेट के सभी रोग दूर होते हैं।
19. अकरकरा :
* छोटी पीपल और अकरकरा की जड़ का चूर्ण बराबर मात्रा में पीसकर आधा चम्मच
शहद के साथ सुबह-शाम भोजन करने के बाद सेवन करने से पेट सम्बंधी सभी समाप्त
होते हैं।
* पेट रोग से पीड़ित रोगी को अकरकरा की जड़ का चूर्ण और छोटी
पिप्पली का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर आधे चम्मच की मात्रा में भोजन
करने के बाद सुबह-शाम करना चाहिए।
20. अमलतास : 4 से 12 वर्ष के
बच्चे को यदि पेट में जलन हो रही हो और दस्त बंद हो गया हो तो अमलतास के
बीच के भाग को 2-4 मुनक्के के साथ सेवन करना चाहिए।
21. अमरबेल :
* अमरबेल के बीजों को पानी में पीसकर पेट पर लेप करके कपड़े से बांधने से पेट की गैस, डकारें, मरोड़ व दर्द ठीक होता है।
* अमरबेल को उबालकर पेट पर बांधने से डकारें व अपच दूर होता है।
* अमरबेल के आधे किलो रस में एक किलो मिश्री मिलाकर धीमी आग पर पका लें।
यह 2 ग्राम की मात्रा में 2 ग्राम पानी मिलाकर सेवन करने से शीघ्र ही गुल्म
(वायु का गोला) और पेट का दर्द ठीक होता है।
22. पोदीना : 2 चम्मच पुदीने का रस, 1 चम्मच नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के सभी रोग दूर होते हैं।
23. अनन्नास :
* पके अनन्नास का 10 ग्राम रस, भुनी हुई हींग एक चौथाई ग्राम, अदरक का रस
आधा ग्राम और सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेट का दर्द और पेट
में गैस का गोला बनना ठीक होता है।
* अनन्नास के सेवन से पेट की पीड़ा
नश्ट होती है। अनन्नास में जीरा, नमक और चीनी डालकर खाने से अरुचि दूर होती
है, तिल्ली की सूजन एवं पीलिया समाप्त होता है।
* अनानास के रस में
यवक्षार, पीपल और हल्दी का चूर्ण आधा-आधा ग्राम मिलाकर सेवन करने से प्लीहा
(तिल्ली), पेट के रोग रोग ठीक होता है।
24. पपीता : कब्ज, भोजन का न पचना व खूनी बवासीर आदि रोगों में पका हुआ पपीता खाना बेहद लाभकारी होता है।
25. अंगूर :
* 10-20 बीज निकाले हुए मुनक्के को 200 ग्राम दूध में अच्छी तरह उबालकर सेवन करने से दस्त खुलकर आता है।
* 10-20 मुनक्का, 5 अंजीर और सौंफ, सनाय, अमलतास का गूदा व गुलाब का फूल
3-3 ग्राम को मिलाकर काढ़ा बनाकर गुलकन्द मिलाकर पीने से कब्ज और गैस समाप्त
होती है।
* रात में सोने से पहले 10-20 मुनक्के को घी में भूनकर सेंधानमक मिलाकर खाने से पेट का रोग ठीक होता है।
* 7 मुनक्का, 5 कालीमिर्च, 10 ग्राम भुना हुआ जीरा, 6 ग्राम सेंधानमक, आधा
ग्राम टाटरी को मिलाकर चटनी बनाकर खाने से कब्ज व अरुचि दूर होती है।
26. पंचकोल : पंचकोल को पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में एक गिलास छाछ में
मिलाकर भोजन करते हुए घूंट-घूंट करके पीने से पेट के सभी रोग समाप्त होते
हैं।
27. बबूल : बबूल के पेट के अंदर की छाल का काढ़ा बनाकर 1-2
ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पीने से जलोदर और अन्य पेट का रोग समाप्त
होता है।
28. ताड़ : ताड़ के जटा का एक ग्राम भस्म गुड़ के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से उदर रोग नष्ट होता है।
29. अरनी :
* अरनी की 100 ग्राम जड़ को आधा किलो पानी में 15 मिनट तक उबालकर दिन में 2 बार पीने से पाचनशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
* अरनी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से पेट का फूलना और पाचनशक्ति की गड़बड़ी दूर होती है। इससे आमाशय का दर्द ठीक होता है।
30. गुलाब : भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकंद लेने से पेट का रोग समाप्त होता है।
31. सौंफ :
* सौंफ को नींबू के रस में मिलाकर खाना खाने के बाद खाने से भूख का न लगना दूर होता है और मल साफ होता है।
* सौंफ को शहद के साथ मिलाकर हल्के गुनगुने पानी के साथ लेने से वायु के कारण होने वाले रोग ठीक होता है।
अन्य उपचार :
* खाना खाते समय और मल त्याग के समय दाईं नाक से सांस लेना चाहिए और पेशाब
करते समय बाईं नाक से सांस लेना चाहिए। इससे कब्ज और पेट की बीमारी नहीं
होती है।
* खाना खूब चबा-चबाकर और भूख से कम और नियमित समय पर खाना चाहिए।
नीम :
• नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
• नीम के तेल का दिया जलाने से मच्छर भाग जाते है और डेंगू , मलेरिया जैसे रोगों से बचाव होता है
• नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
• इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया, दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
• नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
• नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है।
• नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने
से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है
और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
• चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
• नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
• नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस
वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के
पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर
(मलेरिया) से बचाव होता है।
• नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
• नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
• नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें, ठंण्डा होने पर इससे बाल,
धोयें स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने बन्द हो जायेगें व
बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
• नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
• नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में
फ़ायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फ़ायदा होता
है।
• नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से
ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
• नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
• नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें
कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें
मज़बूत बनती है।
• गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग
(फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का
प्रभाव शांत हो जाता है।
• बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
• नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी, घाव आदि में उपयोग रहता है।
• गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
• नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
• नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता है।
• निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
• नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
• नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
• छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय
शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय
तुलसी : 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं,
फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5
ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे
यौन दुर्बलता दूर होती है।
लहसुन : 200 ग्राम लहसुन पीसकर
उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी
भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में
40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है।
जायफल : एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन करने से कुछ
दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है। दालचीनी : दो ग्राम दालचीनी का
चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर
होती है।
खजूर : शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर
नियमित खाएं, ऊपर से इलायची- शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन
शक्तिवर्धक है।
गोखरू: का महीन पिसा चूर्ण 3 ग्राम, कतीरा गोंद
पिसा हुआ 3 ग्राम और शुद्ध घी दो चम्मच, यह एक खुराक है। घी में दोनों पिसे
द्रव्य मिलाकर आग पर रख कर थोड़ा पका लें और चाटकर ऊपर से एक गिलास मीठा
गर्म दूध पी लें।
जायफल : एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन करने से कुछ दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है। दालचीनी : दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर होती है।
खजूर : शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर नियमित खाएं, ऊपर से इलायची- शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन शक्तिवर्धक है।
गोखरू: का महीन पिसा चूर्ण 3 ग्राम, कतीरा गोंद पिसा हुआ 3 ग्राम और शुद्ध घी दो चम्मच, यह एक खुराक है। घी में दोनों पिसे द्रव्य मिलाकर आग पर रख कर थोड़ा पका लें और चाटकर ऊपर से एक गिलास मीठा गर्म दूध पी लें।
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