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शनिवार, 1 सितंबर 2012

आलू के औषधीय प्रयोग



1.बेरी-बेरी:-बेरी-बेरी का सरलतम् सीधा-सादा अर्थ है-”चल नहीं सकता” इस रोग से जंघागत नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर या दबाकर रस निकालें, एक चम्मच की मात्रा के हिसाब से प्रतिदिन चार बार पिलाएं। कच्चे आलू को चबाकर रस निगलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

2.रक्तपित्त :-यह रोग विटामिन “सी” की कमी से होता है। इस रोग की प्रारिम्भक अवस्था में शरीर ए
वं मन की शक्ति कमजोर हो जाती है अर्थात् रोगी का शरीर निर्बल, असमर्थ, मन्द तथा पीला-सा दिखाई देता है। थोड़े-से परिश्रम से ही सांस फूल जाती है। मनुष्य में सक्रियता के स्थान पर निष्क्रियता आ जाती है। रोग के कुछ प्रकट रूप में होने पर टांगों की त्वचा पर रोमकूपों के आसपास आवरण के नीचे से रक्तस्राव होने (खून बहने) लगता है। बालों के चारों ओर त्वचा के नीचे छोटे-छोटे लाल चकत्ते निकलते हैं फिर धड़ की त्वचा पर भी रोमकूपों के आस-पास ऐसे बड़े-बड़े चकत्ते निकलते हैं। त्वचा देखने में खुश्क, खुरदुरी तथा शुष्क लगती है। दूसरे शब्दों में-अति किरेटिनता (हाइपर केराटोसिस) हो जाता है। मसूढ़े पहले ही सूजे हुए होते हैं और इनसे खून निकलने लगता है बाद में रोग बढ़ने पर टांगों की मांसपेशियों विशेषकर प्रसारक पेशियों से रक्तस्राव होने लगता है और तेज दर्द होता है। हृदय मांस से भी स्राव होकर हृदय शूल का रोग हो सकता है। नासिका आदि से खुला रक्तस्राव भी हो सकता है। हडि्डयों की कमजोरी और पूयस्राव भी बहुधा विटामिन “सी” की कमी से प्रतीत होता है। कच्चा आलू रक्तपित्त को दूर करता है।

3.त्वचा की झुर्रियां:-सर्दी से ठंडी सूखी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियां पड़ने पर कच्चे आलू को पीसकर हाथों पर मलना गुणकारी हैं। नींबू का रस भी इसके लिए समान रूप से उपयोगी है। कच्चे आलू का रस पीने से दाद, फुन्सियां, गैस, स्नायुविक और मांसपेशियों के रोग दूर होते हैं।

4.गौरवर्ण, गोरापन:-आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है।

5.आंखों का जाला एवं फूला:-कच्चा आलू साफ-स्वच्छ पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम आंख में काजल की भांति लगाने से पांच से छ: वर्ष पुराना जाला और चार वर्ष तक का फूला तीन महीने में साफ हो जाता है।

6.मोटापा:-आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी है। सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि सूखे चावलों में 6-7 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इस प्रकार आलू में अधिक प्रोटीन पाया जाता है। आलू में मुर्गियों के चूजों जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आयु वालों के लिए प्रोटीन आवश्यक है। आलू की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाली और वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने वाली होती है।

7.बच्चों का पौष्टिक भोजन:-आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।

आलू का रस निकालने की विधि :
आलू को ताजे पानी से अच्छी तरह धोकर छिलके सहित कद्दूकस करके इस लुगदी को कपड़े में दबाकर रस निकाल लें। इस रस को 1 घंटे तक ढंककर रख दें। जब सारा कचरा, गूदा नीचे जम जाए तो ऊपर का निथरा रस अलग करके काम में लें।"

8.सूजन:-कच्चे आलू को सब्जी की तरह काट लें। जितना वजन आलू का हो, उसके लगभग 2 गुना पानी में उसे उबालें। जब मात्र एक भाग पानी शेष रह जाए तो उस पानी से चोट से उत्पन्न सूजन वाले अंग को धोकर सेंकने से लाभ होगा।

नोट : गुर्दे या वृक्क (किडनी) के रोगी भोजन में आलू खाएं। आलू में पोटैशियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है और सोडियम की मात्रा कम। पोटैशियम की अधिक मात्रा गुर्दों से अधिक नमक की मात्रा निकाल देती है। इससे गुर्दे के रोगी को लाभ होता है। आलू खाने से पेट भर जाता है और भूख में सन्तुष्टि अनुभव होती है। आलू में वसा (चर्बी) यानि चिकनाई नहीं पाई जाती है। यह शक्ति देने वाला है और जल्दी पचता है। इसलिए इसे अनाज के स्थान पर खा सकते हैं।"

9.उच्च रक्तचाप (हाईब्लड प्रेशर):-इस बीमारी के रोगियों को आलू खाने से रक्तचाप को सामान्य बनाने में अधिक लाभ प्राप्त होता है। पानी में नमक डालकर आलू उबालें। (छिलका होने पर आलू में नमक कम पहुंचता है।) और आलू नमकयुक्त भोजन बन जाता है। इस प्रकार यह उच्च रक्तचाप में लाभ करता है क्योंकि आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है।

10.अम्लता (एसीडिटी):-आलू की प्रकृति क्षारीय है जो अम्लता को कम करती है। जिन रोगियों के पाचन अंगों में अम्लता की अधिकता है, खट्टी डकारें आती है और वायु (गैस) अधिक बनती है, उनके लिए गरम-गरम राख या रेत में भुना हुआ आलू बहुत ही लाभदायक है। भुना हुआ आलू गेहूं की रोटी से आधे समय में पच जाता है। यह पुरानी कब्ज और अन्तड़ियों की दुंर्गध को दूर करता है। आलू में पोटैशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

11.गुर्दे की पथरी (रीनल स्टोन):-एक या दोनों गुर्दों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से रोकता है।

12.त्वचा का सौंदर्य:-जले हुए स्थान पर कच्चा आलू पीसकर लगाएं तथा तेज धूप, लू से त्वचा झुलस गई हो तो कच्चे आलू का रस झुलसी त्वचा पर लगाने से सौंदर्य में निखार आ जाता है।

13.हृदय की जलन:-*इस रोग में आलू का रस पीएं। यदि रस निकाला जाना कठिन हो तो कच्चे आलू को मुंह से चबाएं तथा रस पी जाएं और गूदे को थूक दें। आलू का रस पीने से हृदय की जलन दूर होकर तुरन्त ठंडक प्रतीत होती है।
*आलू का रस शहद के साथ पीने से हृदय की जलन मिटती है।"

14.गठिया या जोड़ों का दर्द:-गर्म राख में चार आलू सेंक ले और फिर उनका छिलका उतारकर नमक मिर्च डालकर नित्य खाएं। इस प्रयोग से गठिया ठीक हो जाती है।

15.आमवात:-पैंट, पाजामे या पतलून की दोनों जेबों में लगातार एक छोटा-सा आलू रखें तो यह प्रयोग आमवात से रक्षा करता है। आलू खाने से भी बहुत लाभ होता है।

16.कटि वेदना (कमर दर्द):-कच्चे आलू के गूदे को पीसकर पट्टी में लगाकर कमर पर बांधने से कमर दर्द दूर हो जाता है।

17.विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल):-यह एक ऐसा संक्रामक रोग है जिसमें सूजनयुक्त छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, त्वचा लाल दिखाई देती है तथा साथ में बुखार भी रहता है। इस रोग में पीड़ित अंग पर आलू को पीसकर लगाने से फुन्सियां ठीक हो जाती हैं और लाभ होता है।

18.सब्ज मोतियाबिंद :-कच्चे आलू को ऊपर से छीलकर साफ पत्थर पर घिस लें और सलाई के सहारे आंखों में लगायें इससे आराम आता है।

19.पेट की गैस बनना:-कच्चे आलू को पीसकर उसका रस पीने से आराम मिलता है।
कच्चे आलू का रस आधा-आधा कप दो बार पीने से पेट की गैस में आराम मिलता है"

20.मुंह का सौंदर्य:-कच्चे आलू का रस निकालकर आंखों के काले घेरों पर लगाने से आंखों के नीचे की त्वचा का कालापन दूर हो जाता है।

21.चोट लगने पर:-चोट लगने पर उस स्थान पर नीले रंग का निशान पड़ जाता है। उस नीली पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगायें।

22.अम्लपित्त (एसिडिटिज़) होने पर:-भुने हुऐ आलू को खाने से अम्लता से पीड़ित रोगी को जल्दी आराम मिलता है क्योंकि आलू की प्रकृति क्षारीय है। इसमें पोटैशियम साल्ट (नमक) होता है जो अम्लता (एसिडिटी) को कम करता है। अम्लता (एसिडिटी) के रोगी को भोजन में रोजाना आलू खाकर अम्लता (एसिडिटी) को दूर कर सकते हैं।

23.शीशा खा लेने पर:-उबला हुआ आलू खा सकते हैं।

24.घाव (व्रण):-आलू को पत्थर पर पीसकर घाव पर लेप करने से जलने से हुए फफोले नहीं होते हैं और दर्द और जलन दूर होती है।
आलू को पीसकर घाव पर लगाने से घाव की जलन दूर हो जाती है।"

25.एलर्जी होने पर:-कच्चे आलू का रस जहां पर एलर्जी हो उस स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

26.बिवाई के फटने पर:-सूखे और फटे हुए हाथों को ठीक करने के लिए आलू को उबाल लें, फिर उसका छिलका हटाकर पीसकर उसमें जैतून का तेल मिलाकर हाथों पर लगायें तथा लगाने के 10 मिनट बाद हाथों को धोने से लाभ होता है।

27.चेहरे की झांई के लिए:-अगर चेहरे पर चेचक या मुंहासों के दाग या झांइयां हो तो कच्चे आलू को पीसकर 3-3 बूंद ग्लिसरीन, सिरका और गुलाब का रस मिलाकर फेस पैक बना लें। इसे रोजाना तीन मिनट तक चेहरे पर अच्छी तरह रगड़-रगड़ कर लगाने से चेहरे के दाग और झांइयां बहुत ही जल्दी दूर हो जाती हैं।

28.पीलिया का रोग:-आलू या उसके पत्तों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर पिलाने से पीलिया दूर हो जाता है।

29.दाद के रोग में:-कच्चे आलू का रस पीने से दाद ठीक हो जाता है।

30.हाथों की झुर्रियां:-कच्चे आलू के रस से मालिश करने से हाथों पर झुर्रियां (सिलवटें) नहीं पड़ती हैं।

31.जलने पर:-आलू को बारीक पीसकर शरीर में जले हुए भाग पर मोटा-मोटा सा लेप कर दें जिससे कि जले हुए भाग पर हवा न लगे। ऐसा करने से जलन मिट जाती है और आराम आ जाता है।

32.शारीरिक सौंदर्यता के लिए:-*आलू को पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की त्वचा चमकदार हो जाती है। उबाले हुए आलू के पानी से शरीर को साफ करने से त्वचा सुन्दर और साफ हो जाती है।
*कच्चे आलू का छिलका हटाकर उसका रस निकालकर चेहरे पर मलें या कपड़े पर लगाकर चेहरे पर रातभर लगा रहने दें। सवेरे उठने पर चेहरा साफ कर लें। चेहरे का रंग गोरा हो जायेगा।"

33.सिर का दर्द:-सिर के दर्द में आलू के बीज खाने से आराम मिलता है।

34.शरीर में सूजन:-*आलू को पानी में उबालकर आलू को पानी से अलग करके इसके पानी से सूजन वाले भाग या अंग की सिकाई करने से सूजन दूर हो जाती है।
*500 ग्राम जल में 250 ग्राम कच्चे आलू को उबालकर सूजन वाले अंग को सेंककर आलू का लेपकर देने से चोट के कारण होने वाली सूजन दूर हो जाती है।"

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