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मंगलवार, 26 सितंबर 2023

डाक्टर साहब मेरा हिसाब कर दीजिये।

 

एक महिला भागी भागी डाक्टर के क्लिनिक पर गईं, वी थोड़ी घबराई और सहमी हुई थी।

डाक्टर साहब की नज़र उस खूबसूरत महिला पर पड़ी तो उसे नंबर से पहले बुलवा लिया।

"जी, क्या प्राब्लम है आपकी?" डाक्टर ने पूछा। (डॉक्टर थोड़े दिलफेंक किस्म के थे)

महिला: "जी मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. प्राब्लम मेरे हसबैंड की है मुझे लगता है कि वो मानसिक रोगी होते जा रहे हैं।"

डाक्टर: "अच्छा, क्या करते हैं? आप पर हाथ उठाते हैं या आपके साथ मिसबिहेव करते हैं?"

महिला: "नहीं नहीं, धमकियां देते हैं और ये भी कहते हैं कि "मेरा हिसाब कर दो".. *"मेरा हिसाब कर दो।"*

डाक्टर: "आप परेशान न हों, कहां हैं आपके हसबैंड साथ नहीं लाए आप उनको?"

महिला: "डाक्टर साहब, मैं उनको साथ नहीं ला सकती थी, वो घर पर हैं"।

डाक्टर: "जी, मैं समझ सकता हूँ।"

डाक्टर साहब हर खूबसूरत औरत के साथ गहरा रिश्ता बना लेते थे।

महिला: अगर आप अपनी गाड़ी और ड्राइवर मेरे साथ भिजवा दें तो मैं अपने हसबैंड को आसानी से ले आऊंगी।"

डाक्टर ने अपने ड्राइवर को आदेश दिया कि मैडम के साथ जाओ.. अब महिला क्लिनिक से निकलकर गाड़ी में बैठ गईं और ड्राइवर से कहा कि फलां ज्वैलरी शाॅप ले चलो।

ज्वैलरी शाॅप आते ही महिला काफी नाज़ो अंदाज से उतरीं और शाॅप में चली गईं.. एक बहुत ही महंगा सा सेट पसंद किया पैक करवाया और जब पेमेंट की बारी आई तो...

महिला बोलींः "मैं फलां डाक्टर की वाइफ हूँ अभी मुझे ये सेट लेना बहुत जरूरी था इसलिये जल्दी में आ गई मेरे पास पूरे पैसे भी नहीं हैं और न ही कार्ड है.. आप मेरे साथ अपने शाॅप के किसी आदमी को भेज दीजिये और डाक्टर साहब पेमेंट दे देंगे।"

ज्वैलरी शाॅप के मालिक ने सोचा कि बड़ा अमाउंट है मुझे ही जाना चाहिए इस बहाने घूम भी लूंगा और वो जाकर गाड़ी में बैठ गये..पर महिला गाड़ी में नहीं बैठीं और ड्राइवर से कहा कि इनको डाक्टर साहब के पास ले जाओ..

ड्राइवर ज्वेलरी शाॅप के मालिक को लेकर क्लिनिक पहुंचा और डाक्टर से बोला कि "मैडम नहीं आईं मगर उन्होंने इन साहब को भेजा है।"

डाक्टर साहब ने धीरज रखते हुए ड्राइवर के साथ आए सज्जन को देखा और इंतज़ार करने को कहा .. जब उनकी बारी आई तो डाक्टर साहब बड़े नरम लहजे में बोलेः "हां तो बताइये जनाब, कैसे हैं आप?

ज्वेलरी शाॅप के मालिक ने जवाब दियाः "जी डाक्टर साहब, मैं ठीक हूँ।"

डाक्टर साहबः "तो क्या परेशानी और तकलीफ है आपको?"

ज्वेलरी शाॅप का मालिक: *"डाक्टर साहब"*

*"मेरा हिसाब कर दीजिये।"*...😎😜..

सुबह आपकी आँख खुलने के बाद अगर आपको पता चलता है की आप राहुल गाँधी है तो आप क्या करेंगे?

 सुबह आपकी आँख खुलने के बाद अगर आपको पता चलता है की आप राहुल गाँधी है तो आप क्या करेंगे?

परकाया प्रवेश विद्या के बारे में कल तक सुना ही था, पर क्वेरा से आये एक बाबाजी ने कल इस विद्या का ज्ञान इस तुच्छ प्राणी को अपना सेवक जानकार दे ही दिया| कल जबसे इस विद्या को सीखा कई प्राणियों का जीवन जीकर देख चुका हूँ| कल रात सोते समय राहुल बाबा पर एक टीवी रिपोर्ट देखते हुये सो गया| सुबह उठाते ही अपनी आत्मा को राहुल बाबा के शरीर में फंसा हुआ पाया| फिर क्या था चल पड़ा मैं राहुल गाँधी का जीवन जीने|

बिस्तर से उठते ही मम्मी ने खबर दी कि मुझे पार्टी का प्रेसिडेंट बनना पड़ेगा, वैसे तो पार्टियाँ मुझे बहुत अच्छी लगती है,खूब एन्जॉय करने को मिलता है, पर ये पार्टी प्रेसिडेंट तो कुछ नई सी बात लगी, आखिर मैंने पूछ ही लिया- ओके पर पार्टी है कब? और कहाँ होगी? उसमें झूले और बैलून और आइसक्रीम का तो भरपूर इन्तेजाम होगा ना…… अब ये मत पूछना मम्मी कितनी खुश हुई…

बस मम्मी ये कहकर ना जाने क्यों परेशान सी हो गई…..

मुझे लगा कि फिर वाड्रा जीजाजी ने मम्मी से मेरे पोगो और कार्टून नेटवर्क देखने की शिकायत कर दी है | लगता है कि मुझे भी जीजा को जेलों में ले जाने वाले खेलों की शिकायत मम्मी से करनी होगी….

मम्मी ने बोला पप्पू… संसद भी तो चलना है.. अब जब मैंने जेब फटा वाला कुरता पहन लिया तो फिर से मम्मी की डांट गई— अरे पप्पू अब इलेक्शन ख़तम …. नाटक ख़तम कर 70000 वाली जैकेट पहन और मोदी सरकार को सूट बूट की सरकार बोल….

मै बोला मम्मी जो तूने कहा मैंने सब किया फिर भी हार गया…पर तभी मैंने सोंचा कोई बात नही नेशनल चैम्पियन से हारा हूँ..तो सिल्वर मैडल तो पक्का..

अब संसद जाना मुझे अच्छा तो लगता नही …. बात बात पे लोग मुझे पप्पू बोलते है… अब लोकसभा अध्यक्ष ने जब मेरे एड्रेस की बात की तो मुझे एड्रेस देना ही था…

अब लोकसभा में मैं प्रिया वरियार की नक़ल करू तो बुरा क्या

और अब अगर मेरे चमचे मुझसे भी ज्यादा पप्पू है तो इसमें मैं क्या करू…

मैं तो सालों से कहता ही हूँ कि बहुत हो गई पोलिटिक्स चलो चिडिया उड़ कौवा उड़ खेलते हैं…

पर मेरी सुनते ही नही…

इसीलिये तो कहता हूँ कि राहुल ही बनना है तो राहुल द्रविड़ बनो.. राहुल बजाज बनो…. कुछ भी बनो … पर राहुल gandu…. soooooryyyy… गाँधी.. ना बनना…

सो मैं जल्दी से राहुल बाबा का शरीर छोड़ के जल्दी से भागा…..

उस कुत्ते का क्या हुआ जो अंतरिक्ष में छोड़ा जाने वाला पहला कुत्ता था?

 

ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार

लाईका डाइमंड इन द स्काई

जी वह कुत्ता नहीं कुतिया थी, और उसका नाम था - लाईका

अब वह आसमान में हीरा बनकर हमेशा के लिए अमर हो गयी है। उसके नाम पर बच्चे बच्चे की फ़ेवरिट ये पोयम है।

ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार

लाईका डाइमंड इन द स्काई

शनिवार, 23 सितंबर 2023

राधा अष्टमी आजहिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

*राधाकृष्ण*

     *एकबार कृष्ण अपनी राधासे कहते है,"अच्छा राधै, एकबात तुम बताओ.. अगर मैं कृष्ण ना होकर कोई वृक्ष होता तो? .तब तुम क्या करती..?*

*श्री राधे ने अपने गुस्से को ठंडा करते हुए कहा," तब मैं लता बनकर तुम्हारे चारों ओर लिपटी रहती…" कृष्णा ने राधे को मनाने वाली बच्चों की मुस्कान देकर कहा," और अगर मैं यमुना नदी होता तो ?"*

*श्री राधे ने उत्तर दिया, “हं.. तब मैं लहर बनकर तुम्हारे साथ साथ बहती रहती मेरे श्यामसुंदर.. !” अब श्री राधे का गुलाबी रंग वापिस लौट आया… वे ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखकर अगले प्रश्न की प्रतीक्षा करने लगीं..कृष्ण निकट घास चरती एक गौ की ओर संकेत करके बोले “अच्छा..! यदि मैं उस गौ की तरह होता तो तुम क्या करती..?"*

*श्री राधा हंसते हुए कान्हा जी के गाल खींचती हुई बोलीं," तो मैं घंटी बनकर आपके गलेमें झूमती रहती प्राणनाथ .. परन्तु आपका पीछा नहीं छोड़ती…" फिर अगले कुछ पलों तक वहां शान्ति छाई रही.. केवल यमुना की लहरें और मोर की आवाज़ ही सुनाई दे रही..*

 *श्री राधे ने चुप्पी तोड़ते हुए कान्हा जी से पूछा, “आप मुझसे कितना प्रेम करते हो मेरे प्राणनाथ..? मेरा तात्पर्य यदि हमारे प्रेम को अमर करने के लिए कोई वचन देना हो तो आप क्या वचन देंगे…?”*

*कृष्णने राधाके कर कमलों को स्पर्श करते हुए कहा… “मैं तुम्हे इतना प्रेम करता हूँ राधे… ईतना, कि जो भी भक्त तुम्हें स्मरण करके ‘रा…’ शब्द बोलेगा… उसी पल मैं उसे अपनी अविरल भक्ति प्रदान कर दूंगा.. और पूरा ‘राधे’ बोलते ही मै स्वयं उसके पीछे पीछे चल दूंगा.." राधाने कहा, सचमुच कान्हा तुम मुझसे - मेरे नामसे ईतना प्रेम करते हो..?".. कृष्ण कहते है, "हां री राधा.. तुम्हारा नाम लेते हि अंगमे रोमांच उठता है, मन मे कंप होने लगता है और क्षण मे हि ध्यान लग जाता, है तुम्हारे प्रेममे.. क्या करू राधे.."*

*ईतना सुनतेहि श्री राधाकी  नैनोंसे प्रेम के अश्रु बहने लगे.. कृष्ण के हातोंको अपने हातों मे लेते हुए राधाने कहा, "..और मैं.. मै आज ये वचन देती हूँ मेरे कान्हा, की मेरे भक्त को कुछ बोलने की भी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.. जहाँ भी जिस किसी भक्त के हृदय में आपके प्रती, आपके "श्रीकृष्ण" नाम के प्रति सच्चा प्रेम होगा.. मै स्वयं ज़बरन आपको, साक्षात जगतके मालिक को, लेकर उस भक्तके पीछे पीछे चल दूँगी.. जीवन भर उसके कल्याण हेतू.. !!"*

*सही कहा गया है.. "धन्य है वो कृष्ण, धन्य है राधा और धन्य धन्य है उनके भक्त..!!*

राधा अष्टमी आज

हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा अष्टमी पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। बता दें कि राधा अष्टमी पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से श्री किशोरी जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

राधा अष्टमी की तिथि
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हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, राधा अष्टमी पर 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाएगा। इस दिन मध्यान्ह पूजा समय सुबह 10 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त
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पंचांग में बताया गया है कि राधा अष्टमी पर्व के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ इस दिन रवि योग भी बन रहा है। बता दें कि सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। साथ ही रवि योग दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है कि इन शुभ योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

राधा अष्टमी की पूजा विधि 
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राधा अष्टमी पर्व के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सबसे पहले प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा करें। अब राधारानी की पूजा की तैयारी करें। एक तांबे या मिट्टी का कलश स्थापति करें और तांबे के पात्र में राधाजी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं। इसके बाद फूल, श्रृंगार के सामान, भोग आदि अर्पित करें और राधाजी के मंत्रों का जाप करें। आखिर में आरती करें और भक्तजानों व परिवार वालों में प्रसाद बांटें।

राधा अष्टमी का महत्व
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जिस तरह श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उपवास रखा जाता है ठीक उसी प्रकार राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। यह पर्व श्री किशोरी जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन राधा रानी की उपासना करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, आयु एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

राधा अष्टमी की कथा
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पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब माता राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। जब राधा ने यह सब देखा तो नाराज हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया। आहत व‍िरजा नदी बनकर बहने लगी। राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से नाराज हो गए। सुदामा के इस तरह के व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गईं और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। इसके बाद सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने, बाद में इसका वध भगवान शिव ने किया। वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं और उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।

कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म ल‍िया, ठीक उसी तरह उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थीं। ब्रह्म वैवर्त पुराण की मानें तो राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था।

रविवार, 17 सितंबर 2023

रावण के जन्म की कथा....

रावण के जन्म की कथा....
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राम को रावण के जन्म की कथा सुनाते हुए अगस्त्य मुनि ने कहना जारी रखा......पिता की आज्ञा पाकर कैकसी विश्रवा के पास गई और उन्हें अपने अभिप्राय से अवगत कराया। उस समय भयंकर आँधी चल रही थी। आकाश में मेघ गरज रहे थे। कैकसी का अभिप्राय जानकर विश्रवा ने कहा कि भद्रे! तुम इस कुबेला में आई हो। मैं तुम्हारी इच्छा तो पूरी कर दूँगा परन्तु इससे तुम्हारी सन्तान दुष्ट स्वभाव वाली और क्रूरकर्मा होगी। मुनि की बात सुनकर कैकसी उनके चरणों में गिर पड़ी और बोली कि भगवन्! आप ब्रह्मवादी महात्मा हैं। आपसे मैं ऐसे दुराचारी सन्तान पाने की आशा नहीं करती। अतः आप मुझ पर कृपा करें। कैकसी के वचन सुनकर मुनि विश्रवा ने कहा कि अच्छा तो तुम्हारा सबसे छोटा पुत्र सदाचारी और धर्मात्मा होगा।

“इस प्रकार कैकसी के दस मुख वाले पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम दशग्रीव रखा गया। उसके पश्‍चात् कुम्भकर्ण, शूर्पणखा और विभीषण के जन्म हुये। दशग्रीव और कुम्भकर्ण अत्यन्त दुष्ट थे, किन्तु विभीषण धर्मात्मा प्रकृति का था। दशग्रीव ने अपने भाइयों सहित ब्रह्माजी की तपस्या की। ब्रह्मा के प्रसन्न होने पर दशग्रीव ने माँगा कि मैं गरुड़, नाग, यक्ष, दैत्य, दानव, राक्षस तथा देवताओं के लिये अवध्य हो जाऊँ। ब्रह्मा जी ने ‘तथास्तु’ कहकर उसकी इच्छा पूरी कर दी। विभीषण ने धर्म में अविचल मति का और कुम्भकर्ण ने वर्षों तक सोते रहने का वरदान पाया।

“फिर दशग्रीव ने लंका के राजा कुबेर को विवश किया कि वह लंका छोड़कर अपना राज्य उसे सौंप दे। अपने पिता विश्रवा के समझाने पर कुबेर ने लंका का परित्याग कर दिया और रावण अपनी सेना, भाइयों तथा सेवकों के साथ लंका में रहने लगा। लंका में जम जाने के बाद अपने बहन शूर्पणखा का विवाह कालका के पुत्र दानवराज विद्युविह्वा के साथ कर दिया। उसने स्वयं दिति के पुत्र मय की कन्या मन्दोदरी से विवाह किया जो हेमा नामक अप्सरा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। विरोचनकुमार बलि की पुत्री वज्रज्वला से कुम्भकर्ण का और गन्धर्वराज महात्मा शैलूष की कन्या सरमा से विभीषण का विवाह हुआ। कुछ समय पश्‍चात् मन्दोदरी ने मेघनाद को जन्म दिया जो इन्द्र को परास्त कर संसार में इन्द्रजित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

“सत्ता के मद में रावण उच्छृंखल हो देवताओं, ऋषियों, यक्षों और गन्धर्वों को नाना प्रकार से कष्ट देने लगा। एक बार उसने कुबेर पर चढ़ाई करके उसे युद्ध में पराजित कर दिया और अपनी विजय की स्मृति के रूप में कुबेर के पुष्पक विमान पर अधिकार कर लिया। उस विमान का वेग मन के समान तीव्र था। वह अपने ऊपर बैठे हुये लोगों की इच्छानुसार छोटा या बड़ा रूप धारण कर सकता था। विमान में मणि और सोने की सीढ़ियाँ बनी हुई थीं और तपाये हुये सोने के आसन बने हुये थे। उस विमान पर बैठकर जब वह ‘शरवण’ नाम से प्रसिद्ध सरकण्डों के विशाल वन से होकर जा रहा था तो भगवान शंकर के पार्षद नन्दीश्‍वर ने उसे रोकते हुये कहा कि दशग्रीव! इस वन में स्थित पर्वत पर भगवान शंकर क्रीड़ा करते हैं, इसलिये यहाँ सभी सुर, असुर, यक्ष आदि का आना निषिद्ध कर दिया गया है। नन्दीश्‍वर के वचनों से क्रुद्ध होकर रावण विमान से उतरकर भगवान शंकर की ओर चला। उसे रोकने के लिये उससे थोड़ी दूर पर हाथ में शूल लिये नन्दी दूसरे शिव की भाँति खड़े हो गये। उनका मुख वानर जैसा था। उसे देखकर रावण ठहाका मारकर हँस पड़ा। इससे कुपित हो नन्दी बोले कि दशानन! तुमने मेरे वानर रूप की अवहेलना की है, इसलिये तुम्हारे कुल का नाश करने के लिये मेरे ही समान पराक्रमी रूप और तेज से सम्पन्न वानर उत्पन्न होंगे। रावण ने इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया और बोला कि जिस पर्वत ने मेरे विमान की यात्रा में बाधा डाली है, आज मैं उसी को उखाड़ फेंकूँगा। यह कहकर उसने पर्वत के निचले भाग में हाथ डालकर उसे उठाने का प्रयत्न किया। जब पर्वत हिलने लगा तो भगवान शंकर ने उस पर्वत को अपने पैर के अँगूठे से दबा दिया। इससे रावण का हाथ बुरी तरह से दब गया और वह पीड़ा से चिल्लाने लगा। जब वह किसी प्रकार से हाथ न निकाल सका तो रोत-रोते भगवान शंकर की स्तुति और क्षमा प्रार्थना करने लगा। इस पर भगवान शंकर ने उसे क्षमा कर दिया और उसके प्रार्थाना करने पर उसे एक चन्द्रहास नामक खड्ग भी दिया।”

अगस्त्य मुनि ने कथा को आगे बढ़ाया, “एक दिन हिमालय प्रदेश में भ्रमण करते हुये रावण ने ब्रह्मर्षि कुशध्वज की कन्या वेदवती को तपस्या करते देखा। वह उस पर मुग्ध हो गया और उसके पास आकर उसका परिचय तथा अविवाहित रहने का कारण पूछा। वेदवती ने अपने परिचय देने के पश्‍चात् बताया कि मेरे पिता विष्णु से मेरा विवाह करना चाहते थे। इससे क्रुद्ध होकर मेरी कामना करने वाले दैत्यराज शम्भु ने सोते में उनका वध कर दिया। उनके मरने पर मेरी माता भी दुःखी होकर चिता में प्रविष्ट हो गई। तब से मैं अपने पिता के इच्छा पूरी करने के लिये भगवान विष्णु की तपस्या कर रही हूँ। उन्हीं को मैंने अपना पति मान लिया है।

“पहले रावण ने वेदवती को बातों में फुसलाना चाहा, फिर उसने जबरदस्ती करने के लिये उसके केश पकड़ लिये। वेदवती ने एक ही झटके में पकड़े हुये केश काट डाले। फिर यह कहती हुई अग्नि में प्रविष्ट हो गई कि दुष्ट! तूने मेरा अपमान किया है। इस समय तो मैं यह शरीर त्याग रही हूँ, परन्तु तेरा विनाश करने के मैं अयोनिजा कन्या के रूप में जन्म लेकर किसी धर्मात्मा की पुत्री बनूँगी। अगले जन्म में वह कन्या कमल के रूप में उत्पन्न हुई। उस सुन्दर कान्ति वाली कमल कन्या को एक दिन रावण अपने महलों में ले गया। उसे देखकर ज्योतिषियों ने कहा कि राजन्! यदि यह कमल कन्या आपके घर में रही तो आपके और आपके कुल के विनाश का कारण बनेगी। यह सुनकर रावण ने उसे समुद्र में फेंक दिया। वहाँ से वह भूमि को प्राप्त होकर राजा जनक के यज्ञमण्डप के मध्यवर्ती भूभाग में जा पहुँची। वहाँ राजा द्वारा हल से जोती जाने वाली भूमि से वह कन्या फिर प्राप्त हुई। वही वेदवती सीता के रूप में आपकी पत्‍नी बनी और आप स्वयं सनातन विष्णु हैं। इस प्रकार आपके महान शत्रु रावण को वेदवती ने पहले ही अपने शाप से मार डाला। आप तो उसे मारने में केवल निमित्तमात्र थे।

“अनेक राजा महाराजाओं को पराजित करता हुआ दशग्रीव इक्ष्वाकु वंश के राजा अनरण्य के पास पहुँचा जो अयोध्या पर राज्य करते थे। उसने उन्हें भी द्वन्द युद्ध करने अथवा पराजय स्वीकार करने के लिये ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ किन्तु ब्रह्माजी के वरदान के कारण रावण उनसे पराजित न हो सका। जब अनरण्य का शरीर बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया तो रावण इक्ष्वाकु वंश का अपमान और उपहास करने लगा। इससे कुपित होकर अनरण्य ने उसे शाप दिया कि तूने अपने व्यंगपूर्ण शब्दों से इक्ष्वाकु वंश का अपमान किया है, इसलिये मैं तुझे शाप देता हूँ कि महात्मा इक्ष्वाकु के इसी वंश में दशरथनन्दन राम का जन्म होगा जो तेरा वध करेंगे। यह कहकर राजा स्वर्ग सिधार गये।

“रावण की उद्दण्डता में कमी नहीं आई। राक्षस या मनुष्य जिसको भी वह शक्‍तिशाली पाता, उसी के साथ जाकर युद्ध करने करने लगता। एक बार उसने सुना कि किष्किन्धापुरी का राजा वालि बड़ा बलवान और पराक्रमी है तो वह उसके पास युद्ध करने के लिये जा पहुँचा। वालि की पत्‍नी तारा, तारा के पिता सुषेण, युवराज अंगद और उसके भाई सुग्रीव ने उसे समझाया कि इस समय वालि नगर से बाहर सन्ध्योपासना के लिये गये हुये हैं। वे ही आपसे युद्ध कर सकते हैं। और कोई वानर इतना पराक्रमी नहीं है जो आपके साथ युद्ध कर सके। इसलिये आप थोड़ी देर उनकी प्रतीक्षा करें। फिर सुग्रीव ने कहा कि राक्षसराज! सामने जो शंख जैसे हड्डियों के ढेर लगे हैं वे वालि के साथ युद्ध की इच्छा से आये आप जैसे वीरों के ही हैं। वालि ने इन सबका अन्त किया है। यदि आप अमृत पीकर आये होंगे तो भी जिस क्षण वालि से युद्ध करेंगे, वह क्षण आपके जीवन का अन्तिम क्षण होगा। यदि आपको मरने की बहुत जल्दी हो तो आप दक्षिण सागर के तट पर चले जाइये। वहीं आपको वालि के दर्शन हो जायेंगे।

“सुग्रीव के वचन सुनकर रावण विमान पर सवार हो तत्काल दक्षिण सागर में उस स्थान पर जा पहुँचा जहां वालि सन्ध्या कर रहा था। उसने सोचा कि मैं चुपचाप वालि पर आक्रमण कर दूँगा। वालि ने रावण को आते देख लिया परन्तु वह तनिक भी विचलित नहीं हुआ और वैदिक मन्त्रों का उच्चारण करता रहा। ज्योंही उसे पकड़ने के लिये रावण ने पीछे से हाथ बढ़ाया, सतर्क वालि ने उसे पकड़कर अपनी काँख में दबा लिया और आकाश में उड़ चला। रावण बार-बार वालि को अपने नखों से कचोटता रहा किन्तु वालि ने उसकी कोई चिन्ता नहीं की। तब उसे छुड़ाने के लिये रावण के मन्त्री और अनुचर उसके पीछे शोर मचाते हुये दौड़े परन्तु वे वालि के पास तक न पहुँच सके। इस प्रकार वालि रावण को लेकर पश्‍चिमी सागर के तट पर पहुँचा। वहाँ उसने सन्ध्योपासना पूरी की। फिर वह दशानन को लिये हुये किष्किन्धापुरी लौटा। अपने उपवन में एक आसन पर बैठकर उसने रावण को अपनी काँख से निकालकर पूछा कि अब कहिये आप कौन हैं और किसलिये आये हैं?

“रावण ने उत्तर दिया कि मैं लंका का राजा रावण हूँ। आपके साथ युद्ध करने के लिये आया था। वह युद्ध मुझे प्राप्त हो चुका है। मैंने आपका अद्‍भुत बल देख लिया। अब मैं अग्नि की साक्षी देकर आपसे मित्रता करना चाहता हूँ। फिर दोनों ने अग्नि की साक्षी देकर एक दूसरे से मित्रता स्थापित की।”
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शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

ये ढाई फीट की गाय देती है तीन लीटर दूध, 14 साल की मेहनत से तैयार हुई अनूठी 'ब्रीड'


ये ढाई फीट की गाय देती है तीन लीटर दूध, 14 साल की मेहनत से तैयार हुई अनूठी 'ब्रीड'

पुंगनूर गाय का रेट अभी एक लाख से पांच लाख तक है, जो कि रेट मिनिएचर पुंगनूर का है. लेकिन डॉ. राजू ने अभी तक मिनिएचर पुंगनूर किसी को बेचा नहीं है बल्कि मुफ्त में दिया है. कई विदेशी लोग मिनिएचर पुंगनूर गाय उनसे मांग रहे हैं, लेकिन डॉ. राजू ने किसी विदेशी को यह गाय अभी तक नहीं दिया है.

ढाई फीट की गाय मिनिएचर पुंगनूर
आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में एक वैद्य ने 14 साल के अथक परिश्रम के बाद पुंगनूर गाय में नस्ल सुधार किया है. पुंगनूर को सबसे छोटी गाय का दर्ज प्राप्त है. इस वैद्य ने नस्ल सुधार के बाद ढाई फीट की पुंगनूर गाय विकसित की है. इस गाय का नाम उन्होंने मिनिएचर पुंगनूर रखा है. वैसे पुंगनूर की सामान्य ऊंचाई तीन से पांच फीट के बीच होती है. जबकि मिनिएचर पुंगनूर की ऊंचाई ढाई फीट तक है. नस्ल सुधार के बाद तैयार इस ब्रीड को विकसित करने वाले वैद्य का नाम है डॉ. कृष्णम राजू. डॉ. राजू गौशाला चलाते हैं और इस गौशाला का नाम नाड़ीपति गोशाला है. 

'किसान तक' से एक बातचीत में डॉ. राजू कहते हैं, पुंगनूर जब पैदा होती है तो उसकी हाईट 16 इंच से 22 इंच तक होती है. लेकिन मिनिएचर पुंगनूर की ऊंचाई 7 इंच से 12 इंच तक होती है. पुंगनूर 112 साल पुरानी ब्रीड है जबकि मिनिएचर पुंगनूर को 2019 में विकसित किया गया है. डॉ. राजू के मुताबिक, असली पुंगनूर वैदिक काल में वशिष्ट और विश्वामित्र ऋषि के समय में हुआ करती थी. लेकिन जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन हुआ, स्थान बदला, वैसे-वैसे पुंगनूर की ऊंचाई बढ़ती गई. पहले पुंगनूर की ऊंचाई ढाई से तीन फीट होती थी जिसे ब्रह्मा ब्रीड कहते थे.

डॉ. राजू बताते हैं कि अभी पूरे देश में गायों की केवल 32 नस्ल बच गई है, जबकि प्राचीन काल में 302 के आसपास नस्ल की गायें हुआ करती थीं. डॉ. राजू ने पुंगनूर की ऊंचाई कम करने में कैसे सफलता पाई? इसके बारे में वे कहते हैं.

पुंगनूर की हाईट अभी तीन से पांच फीट होती है, लेकिन डॉ. राजू ने इसे घटाकर दो-ढाई फीट तक किया है. इसके बारे में वे बताते हैं, आंध्र प्रदेश के लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन, पलमानेर से पुंगनूर सांड का वीर्य लिया. यह वीर्य उस सांड का लिया गया जो पुंगनूर में सबसे छोटा था. इस वीर्य से पुंगनूर गाय में कृत्रिम गर्भाधान किया गया. इससे पैदा हुए छोटे से छोटे सांड का वीर्य लिया, उसे फिर पुंगनूर गायों में कृत्रिम गर्भाधान कराया. यह कोशिश लगातार कई साल तक चलती रही और अंत में डॉ. राजू को दो फीट तक छोटी गाय तैयार करने में सफलता हासिल हो गई. सबसे छोटी मिनिएयर पुंगनूर की ऊंचाई 2.5 फीट है जिसे 17 दिसंबर 2019 को विकसित किया. 14 साल की मेहनत के बाद डॉ. राजू को सफलता मिली और इसके लिए कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. डॉ. राजू अभी दुनिया के सबसे छोटी गाय की नस्ल सुधार करने के लिए जाने जाते हैं.
इसके लिए डॉ. राजू ने 1600 गायों पर रिसर्च की. पुंगनूर गाय को छोटी करने के पीछे डॉ. राजू का तर्क है कि पहले गायों को घर में ही रखा जाता था. लेकिन तब एक एकड़ तक में घर होते थे. तब बड़ी गायें घर में रखी जाती थीं क्योंकि घर के अहाते में जगह की कमी नहीं होती थी. अब घर छोटी जगहों में बनाए जाते हैं. इसलिए छोटे घर में छोटी गाय होनी चाहिए. छोटी गाय का खर्च भी कम आएगा. डॉ. राजू कहते हैं, गाय की सांस से कई बीमारियों का इलाज शास्त्रों में बताया गया है. इसी लिहाज से घरों में गायों को रखने के लिए छोटी नस्ल विकसित की गई. 

मंगलवार, 12 सितंबर 2023

'छाप तिलक सब छीनी' पर सूफी संगीत क्यों होता है ? 'दाढ़ी टोपी छीनी तोसे नैना मिलाइके' ये लाइन क्यों नहीं होती । छाप तिलक पर ही निशाना क्यों ?

*निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर आने वाले हिंदुओं की संख्या 60% घटी* 

'छाप तिलक सब छीनी' पर सूफी संगीत क्यों होता है ? 'दाढ़ी टोपी छीनी तोसे नैना मिलाइके' ये लाइन क्यों नहीं होती । छाप तिलक पर ही निशाना क्यों ? 

बहुत लंबे समय से गले कटने और पिटने के बाद आखिरकार हिंदुओं को अब दरगाहों पर जाने से भय लगने लगा है ! मान्यता प्राप्त न्यूज वेबसाइट ऑप इंडिया में 18 जुलाई 2022 को एक लेख छपा है । इस लेख में दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के दीवान का बयान छपा है । दीवान का नाम है मूसा निजामी... मूसा निजामी ने बयान दिया है कि निजामुद्दीन की दरगाह पर आने वाले हिंदुओं की संख्या में सालभर के भीतर करीब 60 फीसदी गिरावट आई है । 

-निजामी ने बताया कि पहले यहाँ खूब हिंदू आते थे। हर रोज दोपहर के 2 बजे से रात के 11 बजे तक दरगाह पर आने वालों में खूब सबसे ज्यादा होते थे। लेकिन अब इक्का-दुक्का हिंदू ही आते हैं। उन्होंने बताया कि पहले यहाँ हिंदू भंडारे भी करते थे । करीब-करीब रोज औलिया की दरगाह पर हिंदू अन्न-पैसा बाँटते थे। लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं रही।

- दरगाह के औलिया मूसा निजामी की उम्र 84 साल है । निजामी के मुताबिक उन्होंने कई दौर देखे पर ऐसा बुरा दौर नहीं देखा । उनके मुताबिक ये ‘नफरत’ अभी और बढ़ेगी । उनका दावा है कि इसी नफरत के प्रचार ने दरगाह पर आने वाले हिंदू कम कर दिए हैं ।
(राइटर नोट- वो नफरत नहीं जागरूकता होती है)

-निजामी की बात की पड़ताल करने के लिए 17 जुलाई 2022 को ऑपइंडिया की टीम दरगाह पर गई तो निजामी की बात भी सही नजर आई ।  मुख्य सड़क से उतरकर ऑफ इंडिया की टीम ने जब दरगाह का रास्ता पकड़ा तो चहल-पहल थी लेकिन हिंदू नजर नहीं आ रहे थे । ना रास्ते में, ना दरगाह के अंदर । दरगाह में करीब 2 घंटे बिताने के बाद जब ऑप इंडिया की टीम लौट रही थी तब भी कहीं हिंदू नजर नहीं आए । 

- निजामी के अनुसार दरगाह पर आने वाले हिंदुओं की संख्या में गिरावट अचानक नहीं हुई है। करीब सालभर से ऐसा दिख रहा है। उनका कहना है कि हिंदुओं के बीच प्रचार किया जा रहा है कि ये कब्र है। यहाँ सजदा करने से कुछ नहीं होता इसलिए मंदिर जाओ ।

-निजामी आगे बताते हैं कि हिंदू में नफरत पैदा की जा रही है। जब ऑप इंडिया ने उनसे नूपुर शर्मा को लेकर हुए हालिया विवाद, उदयपुर में कन्हैया लाल की निर्मम हत्या, अजमेर दरगाह से जुड़े लोगों की भड़काऊ बयानबाजी के असर को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि ये सब होता रहता है। यानी आम बात है ।

सबसे बड़ी बात ये है कि सूफीवाद ने हमेशा हिंदुओं को छलने का ही काम किया है । एक मशहूर सूफी गीत है छाप तिलक सब छीनी तोसे नैना मिलाइके । अब छाप तिलक तो हिंदू धर्म का प्रतीक है । ये सूफी संगीत इस तरह से भी तो हो सकता था कि दाढ़ी टोपी सब छीने तो से नैना मिलाइके लेकिन हिंदुओं को ठगने के लिए ही सूफीवाद का निर्माण किया गया । और यही बात अब धीरे धीरे हिंदुओं को भी समझ में आने लगी है

 *धन्यवाद! जागरूकता के लिए शेयर करें*

सोमवार, 11 सितंबर 2023

आज का थ्रेड - कांग्रेस राज में G20 - व्यंग्य

आज का थ्रेड - कांग्रेस राज में G20
कुंठित पत्रकारों की सभा हो रही थी। सभी आदि इत्यादि पत्रकार रोनी सूरत बनाकर बैठे हुए थे। बैठे-बैठे सामूहिक सपना देखने लगे। कांग्रेस की सरकार आ गई है और राह–उल–गान्ही प्रधानमंत्री बन गए हैं। जी–२० का आयोजन हो रहा है।
तैयारियों के नाम पर एक लाख करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जिसे मंत्री खा गए हैं। सबको हिस्सा मिला है। गान्ही बाबा ने कहा है कुछ तैयारी की जरूरत नहीं है। जो जैसा है वैसा ही दिखाएंगे।अपनों से क्या छिपाना?
एक पत्रकार ने सपने में देखा राष्ट्राध्यक्ष आ रहे हैं। उन्हें लेने कोई नहीं गया।
सब रिक्शा कर के जनवासे में जा रहे हैं। सबको एक स्कूल में ठहराया गया है। स्कूल के कमरे अलग अलग देशों को दे दिए गए हैं। सारी डेस्क उठाकर एक कोने में एक के ऊपर एक चढ़ा कर रख दी गई हैं। कमरों में दरी बिछी है। दरी पर सफेद चादर में लिपटे गद्दे हैं। साथ में काले कंबल भी रखे हैं।
सफेद कवर डले हुए तकिए भी हैं। ब्लैक बोर्ड पर रंगीन चॉक से वेलकम लिखा है। क्लासरूम के बाहर दो के बीच में एक मटका रखा है, जिसपर एक प्लास्टिक का डंका है। साथ ही डिस्पोजल ग्लास लटक रहे हैं। ग्लास फेकने के लिए एक बाल्टी रखी है। सामने टेंट लगा है जिसपर पोहे-जलेबी-चाय के स्टाल लगे हैं।

प्रधानमंत्री गान्ही स्वयं व्यवस्था संभाल रहे हैं। रोंदू पत्रकार डिस्पोजल प्लेट में पोहे सजा रहे हैं। दूसरे उसपर जलेबी रख रहे हैं। तीसरा पत्रकार बिस्कुट के पैकेट खोल खोल कर दो दो बिस्कुट गिन कर हर प्लेट में रख रहे हैं। 
कोई परेशान एक्टिविस्ट ने नमकीन संभाल रखा है।
गठबंधन के नेता लोग ट्रे में चाय लेकर सब मेहमानों के कमरों में देने जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति अपना तकिया बदलवाने के लिए लड़ रहे हैं, कह रहे हैं तकिए पर दाल लगी है। बिस्तर तो साफ देते कम से कम।
इटली के मेहमानों को ऊपर वाला कमरा दिया गया है। जिसमें कूलर लगा है।
गान्ही जी की माताजी स्वयं वहीं कुर्सी डाल के व्यवस्था देख रही हैं। भानेजन जो आई है। चिदंबरम, अय्यर दोनों दोपहर के खाने की व्यवस्था देख रहे हैं। चिदंबरम अपने गमलों से ताज़ी गोभी तोड़कर लाए हैं। आलू गोभी मेनू में तय है। अय्यर कुर्सी पर बैठकर सलाद काटने वालों को निर्देश दे रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सफेद कलफ वाली धोती कुर्ता पहन के द्वार पर बैठे हैं। उनके पुत्र पानी की व्यवस्था देख रहे हैं। टैंकर वाला देर कर रहा है तो उसे हड़का रहें हैं। कह रहे हैं वहीं आके मारूंगा अगर दस मिनट में टैंकर नहीं आया तो। 
केजरीवाल और संजय सिंह बीच में कुर्सी डाल के बैठे हैं।
पोहा जलेबी खा चुके हैं। हर मेहमान को पकड़ कर बता रहे हैं, बढ़िया शीशमहल बनाया है। चलो दिखाते हैं। लाल किले के बाद दिल्ली में कुछ बना है तो बस यही। कनाडा के प्रधानमंत्री तो उनका घर देखने को तैयार भी हो गए। बोले चलो दिखाओ वहीं फ्रेश भी हो लेंगे। वे दूर के रिश्ते में साढ़ू लगते हैं।
जब पहुंचे तो भाभी जी चिढ़कर कहने लगीं आज पानी नहीं आ रहा। स्कूल में व्यवस्था है भाई साहब वहीं जाइए। अपने पति को कोने में ले जाकर बोलीं चार लाख का लगवाया है खराब कर देंगे ये लोग। भतेरे लोग आए हैं। किस किस को बुलाइएगा? स्कूल में रहने दीजिए सबको।
इधर गान्ही बाबा अब सब्जी की कड़ाही पर कर्छुल चला रहे हैं। अनुभवी लालू जी भी पहुंच गए हैं और मसाले बता रहे हैं कितना डालो।
ए प्याज भुनने दीजिए जी फिर टमाटर डालिए। अभिये डाल देंगे तो ऊ स्वाद नहीं न आएगा।
सब्जी की खुशबू लेते हुए पुष्पेश जी भी पहुंच गए हैं।
कह रहे हैं मुगलों के बाद कहीं सब्जी की ऐसी खुशबू आई है तो यहीं आई है। पडाइन बार बार आने जाने वालों पूछ रही हैं, ऊ बिडेनवा आवा कि नहीं? सब बार बार मना कर देते। 
मंडल जी ज्ञानी बने बैठे हैं, सबके बीच में संसार भर की चर्चा कर रहे हैं। कह रहे हैं, वो फलां का लड़का मजिस्ट्रेट हो गया।
उसकी शादी में बढ़िया भोज हुआ। भेज भी नॉन भेज भी। सब भेज जी बनाईएगा तो कैसे चलेगा। कुछ हम लोगों की जुगाड़ पानी है कि नाही? एक कांग्रेसी कह रहा है बिरयानी बन रही है। ओवैसी साहब पीछे बकरा ही काट रहे हैं। लेकिन शाम तक बनेगी।
इधर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पहुंच गए हैं।
सिद्धारमैया खुद उनकी अटैची लेकर चल रहे हैं। आगे आगे डीके चल रहे हैं, और उनके सामने आने वालों को हटा रहे हैं। उनको देखते ही पडाइन, कविता, वृंदा करात मंगल गान गाने लगी हैं।

... लालाजू पधारे, 
धन भाग हमारे
आरती लियाओ रे 
मंगल गाओ री
आए हैं पई पावने, 
बता दियो सब गांव में।
महिला पत्रकार छुप छुप कर देख रही हैं। एक ने छेड़ भी दिया जीजा जी लगता है दीदी खाने नहीं देती दुबरा गए हो।
इतने में दो कुत्ते लड़ पड़े। किसी ने पोहे की प्लेट छोड़ दी थी जिसपर दो कुत्तों में काटा–भौकी हो गई। पेंचकस बाबू लट्ठ लेकर दौड़े।
पत्रकारों को भरपूर रसद मिल गई है। सब अफर कर बैठे हैं। अब एक पत्रकार पंडाल के पीछे झाँकने जाता है कि दोपहर के खाने की क्या व्यवस्था है। लालूजी कह रहे हैं कि अब हल्दी डाल दो मसाला होने वाला है। हल्दी का पैकेट नही मिल रहा था। एक पत्रकार हल्दी लेने दुकान की तरफ दौड़ा।
दूसरे ने स्कूटी की चाबी उसे फेंक कर दी और कहा स्कूटी से चला जा जल्दी आ जाएगा और चाबी छिटक के नाली में गिर गई। उधर ये चल रहा था, इधर एक परेशान सा दौड़ा जा रहा था।
पड़ाईन ने फिर टोका, का हो बाइडेनवा आ गइल का?
वो बोला उसी का तो लफड़ा हो गया। उनको ऊपर वाला कमरा दे दिया।
अब कह रहे हैं दादा से सीढ़ी चढ़ते न बनेगी। नीचे फ्रांस वाले चाचा को ढूंढने जा रहे हैं, बे मान जाएं तो उनसे कमरा बदलवा दे।
टेंट में अब सफाई हो रही है। खाना लगने वाला है। सलाद कर गया है। दाल भात तैयार है। पूडियां निकलने लगी हैं। 
बाइडेन दादा कह रहे भूख लगी है। नाश्ता लाओ।
इधर खड़गे जी उनको समझा रहे बड़े भाई पंद्रह मिनट रुक जाओ खाना तैयार हो रहा है। खान खा लो सीधा। बाइडेन कह रहे हैं, हमे तो प्लेट लगवा के यहीं दे जाओ। खाने पर फूंक मारने सारुक और आमिर आए हैं। दोपहर के खाने में आमिर फूंकेंगे और रात की बिरयानी में शारूक।
गैलरी में दरी बिछ गई है।
जादूगर नेता ने सब मेहबानों को जेवने का न्यौता दे दिया है। सब आकार बैठने लगे हैं। दो तीन नीचे बैठने से आनाकानी कर रहे हैं। कह रहे हैं घुटने पिराउत हैं। उनके लिए टेबल की व्यवस्था की जा रही है। बाकी मेहमान पंगत में बैठ गए हैं। सबके सामने पहले पत्तल डाली गई। पत्तल पर पानी छिड़का गया।
दो दो दोने रखे गए। यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि फुर्ती से परस करवा रहे हैं। एक ने नमक उठा लिया। एक ने सलाद। एक ने सब्जी और एक ने पूड़ी। एक दोने में दाल भरी गई। दूसरे में रायता। किसी किसी ने रायता सीधा ग्लास में ही भरवा लिया। साउदी वाले दाऊ का दोना लीक कर गया।
उनका झबला पीला पड़ गया। बाइचारों के लिए दूसरी मंजिल पर पंगत बैठाई गई। महिला कार्यकर्ताओं ने परस की जिम्मेदारी उठाई।
जिनपिंग जो अभी भी बाइडेन के पास बैठे थे, उन्होंने एक लड़के को बुलाया। बोला वो दो कुत्ते जो लड़ रहे थे कहां गए? 
लड़का बोला वे तो भाग गए।
जिनपिंग कहने लगे ढूंढ लाओ यार। ऐसे ही मजबूत चार कुत्ते। अगले महीने हमारे यहां दावत है। काम आ जाएंगे। उनके लिए कुत्ते ढूंढे जाने लगे। कुत्तों को भी शाम के भोज में आमंत्रित किया गया। चार कुत्ते ऑनसाइट जाने वाले थे। कुत्ता समाज में खुशी की लहर दौड़ गई।
इधर खाना हो रहा था, उधर पंडाल के बाहर कुछ लोग बर्तन लेकर खाना मांगने आ गए थे। कुछ देर बैठने को कहा गया।
नीतीश जी खाना खाकर भूल गए कि उन्होंने खाना खा लिया है।वे दोबारा खाना मांगने लगे। उन्हें समझाने के लिए तीन सचिव लगाए गए। पंगत समाप्त हुई सब तृप्त होकर उठे। कुछ नहीं भी उठ पाए।
ज्यादा खाने की वजह से वहीं पसर गए।
वहीं गैलरी में ही दरी बिछाकर गप्पों का दौर चल गया। चार पांच उत्साही प्रधानमंत्री लोग ताश लेकर बैठ गए। दहला पकड़ का दौर चल निकला जो चाय के समय तक चला। तब एक कार्यकर्ता आया और कहने लगा चलो सब जने बैठक का समय हो गया। तैयार हो लो जब तक चाय आ रही।
गान्ही बाबा कहने लगे चलो सबको देश दिखाएं। 
वो जो खाना मांगने आए थे उनको दिखाकर कहने लगे देखो ये हमारा देश है। भूखा। गरीब। नंगा। काला। धूल में लिथरा। असहाय। 
सारे राष्ट्राध्यक्ष दया से भर गए। सबने सहायता का वादा किया। 
फिर गान्ही बाबा सबको नाली के पास ले गए
जहां अभी भी लोग चाबी निकालने का प्रयास कर रहे थे।
कहने लगे ये देखो हमारा देश। गंदा। नाली। ये देखो हमारे देश का लोग, नाली में लोरता है।
उसके बाद गान्ही उनको वहां ले गए जहां कुत्ते और ढोर मिलकर पत्तल चाट रहे थे। बाबा बोले ये देखो हमारे देश का असलियत। ये हमारे आवारा कुत्ते और ढोर।
जिनपिंग बोले कुत्तों की जिम्मेदारी हमारी। हम उनको खिलाएंगे पिलाएंगे।पालेंगे।जी२० की सभा में तालियां।जिनपिंग जिंदाबाद के नारे। गान्ही बाबा जिन्नाबाद के नारे। गान्ही जी एक बड़ी समस्या सुलझा दिए थे। ओवैसी तब तक बिरयानी चढ़ा चुके थे। गान्ही बाबा ने मिलवाया ये हमारे यहां को माइनोरिटी।
देखिए हमारे राज में कितनी खुश है। बिरयानी खाती है। शेरवानी पहनती है।
वहीं पास में मांस के टुकड़े, कचरे का ढेर पड़ा है, गान्ही बाबा गर्व से दिखाते हैं ये देखिए हमारे इहां का कचरा, गंदगी। मेहमान खुश होते हैं। वाह वाह करते हैं।
गान्ही कहते हैं ये तो कुछ नहीं सुबह हम तुमको रेल की पटरी दिखाएंगे। कृष्णन, तीस्ता, स्वरा, राणा आदि सब प्रसन्न होती हैं।
रात के भोज में मेहमान, पत्रकार, कुत्ते और ढोर एक साथ भोजन करते हैं। पत्रकार बिरयानी पर टूट पड़े हैं। भीड़ में कुछ बाहरी लोग भी घुस आए हैं। बिरयानी खतम हो गई है।
एक मेहमान को खाना नहीं मिल पाया है। वे रूठ कर बैठ गए हैं। उन्हें दो लड़के बाइक में बीच में फंसा कर ढाबे पर खाना खिलाने ले जा रहे हैं।रसिक मेहमानों के लिए आर्केस्ट्रा हो रहा है।जादौजी एक लड़का भी लाए हैं जो लाल टोपी लगा के बाइडेन के कमरे में नाच रहा है।साथ जादौ जी आनंद ले रहे हैं।
सरकार और पत्रकारों ने विदेशों से आर्थिक पैकेज की मांग की।व्यवहार लिखने के लिए स्वयं राजदीप टेबल पर मौजूद। सौंफ-मिश्री का डब्बे से सौंफ उठा कर मुंह में डालते मेहमान अपना अपना व्यवहार लिखवा रहे हैं। मेहमान अपने-अपने कमरों में सो जाते हैं।कुछ आधी रात से ही निकलना शुरू हो जाते हैं।
बहुत अच्छा लगा आके। बहुत दिन में सबसे मिले नहीं तो कहां निकलना हो पाता है।
सुबह पत्रकारों का हिसाब किताब किया जाता है। सबको पर्याप्त मेहनताना मिलता है। पैकिट मिले हैं। बोतल मिली हैं। लेख लिखे जाते हैं G 20 सफल। गान्ही बाबा ने सबको वो इंडिया दिखाया जो दुनिया देखनी चाहती है।
लेख में आगे लिखा है - भारत ने अपना लोहा मनवाया। G-२० में अफ्रीका यूनियन सफल। प्रधानमंत्री ने सब मेहमानों को नालंदा के विषय में बताया। भोज में कटहल और बाकरखानी। भारत सही मायनों में विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर।
पत्रकार चौंके। विश्वगुरु? ऐसे कैसे? ये हमारा कीवर्ड नहीं हैं। उनकी नींद टूटी। सामुहिक सपना टूटा। उफ्फ ! दुःख, तकलीफ, पीड़ा। अब भी सरकार नहीं बदली। पत्रकारों ने विदेशों से मांग की - सरकार बदलवा दो तो हमारे दिन फिरें।

बुधवार, 6 सितंबर 2023

नेहरू जी के कुत्ते पर एक दिन में 3 रूपए तक खर्च होते थे... मतलब नेहरू जी के कुत्ते पर होने वाले खर्च में 15 भारतीय पल जाते.

 आजादी के बाद जब देश में जबरदस्त गरीबी थी... तब लगभग 60% भारतीयों का एक दिन का औसत खर्च हुआ करता था 3 आना (1 आना =6.25 पैसा)... मतलब लगभग 19 पैसे रोजाना एक भारतीय का खर्च हुआ करता था... मतलब उनके जीवन यापन का खर्च.




वहीं नेहरू जी के कुत्ते पर एक दिन में 3 रूपए तक खर्च होते थे... मतलब नेहरू जी के कुत्ते पर होने वाले खर्च में 15 भारतीय पल जाते.

ऐसे समय में नेहरू जी पर रोजाना का खर्च हुआ करता था 25-30 हजार रूपए... यानी महीने का खर्च लगभग 10 लाख रूपए.

मतलब... नेहरू जी के रहने सहने खाने पीने पर जितना खर्च होता था.. उतने में 50 लाख भारतीयों का गुजारा होता था.

यह योजना आयोग के आंकड़े थे... जो नेहरू जी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले राम मनोहर लोहिया जी ने on record बताये थे.

अभी आपको महात्मा गाँधी पर होने वाले खर्च का तो पता ही नहीं.... सरोजिनी नायडू जो कांग्रेस की ही नेता थीं... उन्होंने ही एक बार कहा था... महात्मा गाँधी के सादा जीवन यापन को दिखाने के लिए, उनकी Image को maintain करने पर ही बहुत खर्चा हुआ करता था.

प्रेरक प्रसंग - "My bad Habits" यानि मेरी बुरी आदतें।

 प्रेरक प्रसंग 🌹🌹

एक शाम एक एक मित्र के निवासस्थान पर जाना हुआ। हमारे मित्र की अर्धांगिनी यानि हमारी भाभी जी उनके सुपुत्र को पढा रही थी। हम पहुंचे तो भाभी जी किचेन में चाय बनाने चली गयी और हमारा भतीजा मेरी बगल में आ कर बैठ गया। बच्चे के हाथ में एक कॉपी और पेंसिल थी। कॉपी पर 1 से लेकर 10 तक क्रमांक लिखा हुआ था और पन्ने के श्रीर्ष पर लिखा था "My bad Habits" यानि मेरी बुरी आदतें। मैंने बच्चे से पूछा के कॉपी पर क्या लिख रहा है तो वह मायूस होकर बोला के मम्मी ने मुझे अपनी 10 बुरी आदतें लिखने को कहा है ताकि मैं उन्हें सुधार सकूं। 10 में 3 तीन बुरी आदतें वह लिख चुका था। जैसे कि वह सुबह देर से उठता है। लंच बॉक्स में  खाना छोड़ देता है आदि इत्यादि......

मैंने उससे कॉपी ली। इरेज़र से कॉपी पर लिखा सब कुछ मिटा दिया। दो कॉलम बनाये। एक ओर लिखा "My good habits" यानि मेरी अच्छी आदतें और दूजी ओर लिखा "My bad Habits " यानि मेरी बुरी आदतें। मैंने बच्चे से कहा के अपनी 10 बुरी आदतें लिखने की बजाय अपनी 5 अच्छी आदतों के बारे में लिखे और 5 बुरी आदतों के बारे में भी लिखे।

लड़का खुश हो गया। पहले झट से अच्छाई वाला कॉलम भर दिया। स्व्च्छता का ध्यान रखने से लेकर अपनी सुंदर लेखनी को उसने अपनी अच्छी आदतों में शुमार कर लिया। फिर झट से अपनी बुरी आदतें भी लिख डाली।


बगल में हमारे मित्र विराजमान थे और इतने में हमारी आदरणीय भाभी जी चाय लेकर आ गयी। मैंने भाभी जी से पूछा के केवल इसे अपनी बुरी आदतें लिखने का कार्य क्यों दिया गया। भाभी जी ने तपाक से शिकायतों की झड़ी लगा दी। सुस्त है , कामचोर है , बहानेबाज है, टाइमपास करता रहता है आदि इत्यादि। सोचा के अगर खुद अपनी बुरी आदतें कागज़ पर लिखेगा तो आत्ममंथन करेगा।

मैंने तुरंत ही भाभी जी पर एक और सवाल दाग दिया। मैने कहा के यह तो बुरी आदतें हो गयी .....अब आप मुझे इसकी 10 अच्छी आदतें गिनवा दीजिये।

भाभी जी ने मौन साध लिया .....
मैं अपने मित्र की ओर पलटा। मैंने कहा तू तो लड़के का बाप है....चल तू ही बता लड़के की खासियत क्या है।

हमारे भाई ने भी मौन साध लिया....

फिर दोनों ने कुछ समय मंथन करने के बाद कुछ अच्छी आदतें गिनवाने की प्रक्रिया शुरू की। जैसे भाभी जी ने बताया के सुबह उठ कर सभी के चरणस्पर्श करता है। हमारा मित्र बोला के साफ सफाई के प्रति जागरूक है। कई बार मुझे भी कचरा फेंकने से टोक चुका है। फिर हमारी भाभी बोली के इसकी मेंटल केलकुलेशन बड़ी तेज़ हैं। इसी तरह बहुत सोच विचार के बाद दोनों ने बच्चे की कई अच्छी आदतें गिनवा दी।

कुल 10 मिनट के अंतराल में मेरा बच्चे के प्रति नज़रिया बदल चुका था। पहले मैं कॉपी पर लिखी उसकी 10 बुराइयां पढ़ कर उसके प्रति एक धारणा बना चुका था परंतु जब मुझे उसकी विशेषताओं के विषय में पता चला तो मेरी धारणा कांच के शीशे की तरह चकनाचूर हो गयी।

अच्छाई और बुराई या हीरो और विलेन का कॉन्सेप्ट अपनी समझ से बाहर है। मैं तो अब तक के जीवन में इतना समझ पाया हूँ के हर इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद हैं। गुड़ हैबिट्स भी हैं और बैड हैबिट्स भी हैं।

परंतु जब भी हम किसी के प्रति धारणा बनाते हैं तो आदतन हम अपने मन की कॉपी पर पहले उसकी 10 बैड हैबिट्स यानि बुराईयां लिख डालते हैं।
यह वास्तविकता है के बहुत कम लोग किसी व्यक्ति में वास कर रहे "राम " को ढूंढते हैं। हमें पहले रावण दिखाई देता है।

ईश्वर के बनाये हर माटी के पुतले में कुछ अच्छाइयाँ हैं ......विशेषताएं हैं ....हुनर है .......काबिलियत है...... हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ खासियत है।

बस फर्क नज़र और नज़रिये का है। जब हम व्यक्ति , समाज और राष्ट्र की बुराइयों तक सीमित रह जाते हैं तब हम एक संकीर्ण दायरे में फंस जाते हैं ........और जब हम व्यक्ति समाज और राष्ट्र में छिपी अच्छाइयों को पहचानते हैं तो हमें इन अच्छाइयों के दम पर समाज में व्याप्त बुराइयों का विनाश करने का बल मिलता है। किसी को गलत नजरिए से देखने के पहले खुद ये तय जरूर करना चाहिए के कही में तो गलत नही ।

नकारात्मक खबरों से भरे अखबार , न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया का एक अंश कॉपी पर लिखी बैड हैबिट्स के समान है , जबकि स्वतंत्र होकर समाज का सकारात्मक और रचनात्मक चेहरा देखते ही लगता है

🙏🙏

जो प्राप्त है-पर्याप्त है
जिसका मन मस्त है
उसके पास समस्त है!!


हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्

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