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शनिवार, 23 सितंबर 2023

राधा अष्टमी आजहिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

*राधाकृष्ण*

     *एकबार कृष्ण अपनी राधासे कहते है,"अच्छा राधै, एकबात तुम बताओ.. अगर मैं कृष्ण ना होकर कोई वृक्ष होता तो? .तब तुम क्या करती..?*

*श्री राधे ने अपने गुस्से को ठंडा करते हुए कहा," तब मैं लता बनकर तुम्हारे चारों ओर लिपटी रहती…" कृष्णा ने राधे को मनाने वाली बच्चों की मुस्कान देकर कहा," और अगर मैं यमुना नदी होता तो ?"*

*श्री राधे ने उत्तर दिया, “हं.. तब मैं लहर बनकर तुम्हारे साथ साथ बहती रहती मेरे श्यामसुंदर.. !” अब श्री राधे का गुलाबी रंग वापिस लौट आया… वे ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखकर अगले प्रश्न की प्रतीक्षा करने लगीं..कृष्ण निकट घास चरती एक गौ की ओर संकेत करके बोले “अच्छा..! यदि मैं उस गौ की तरह होता तो तुम क्या करती..?"*

*श्री राधा हंसते हुए कान्हा जी के गाल खींचती हुई बोलीं," तो मैं घंटी बनकर आपके गलेमें झूमती रहती प्राणनाथ .. परन्तु आपका पीछा नहीं छोड़ती…" फिर अगले कुछ पलों तक वहां शान्ति छाई रही.. केवल यमुना की लहरें और मोर की आवाज़ ही सुनाई दे रही..*

 *श्री राधे ने चुप्पी तोड़ते हुए कान्हा जी से पूछा, “आप मुझसे कितना प्रेम करते हो मेरे प्राणनाथ..? मेरा तात्पर्य यदि हमारे प्रेम को अमर करने के लिए कोई वचन देना हो तो आप क्या वचन देंगे…?”*

*कृष्णने राधाके कर कमलों को स्पर्श करते हुए कहा… “मैं तुम्हे इतना प्रेम करता हूँ राधे… ईतना, कि जो भी भक्त तुम्हें स्मरण करके ‘रा…’ शब्द बोलेगा… उसी पल मैं उसे अपनी अविरल भक्ति प्रदान कर दूंगा.. और पूरा ‘राधे’ बोलते ही मै स्वयं उसके पीछे पीछे चल दूंगा.." राधाने कहा, सचमुच कान्हा तुम मुझसे - मेरे नामसे ईतना प्रेम करते हो..?".. कृष्ण कहते है, "हां री राधा.. तुम्हारा नाम लेते हि अंगमे रोमांच उठता है, मन मे कंप होने लगता है और क्षण मे हि ध्यान लग जाता, है तुम्हारे प्रेममे.. क्या करू राधे.."*

*ईतना सुनतेहि श्री राधाकी  नैनोंसे प्रेम के अश्रु बहने लगे.. कृष्ण के हातोंको अपने हातों मे लेते हुए राधाने कहा, "..और मैं.. मै आज ये वचन देती हूँ मेरे कान्हा, की मेरे भक्त को कुछ बोलने की भी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.. जहाँ भी जिस किसी भक्त के हृदय में आपके प्रती, आपके "श्रीकृष्ण" नाम के प्रति सच्चा प्रेम होगा.. मै स्वयं ज़बरन आपको, साक्षात जगतके मालिक को, लेकर उस भक्तके पीछे पीछे चल दूँगी.. जीवन भर उसके कल्याण हेतू.. !!"*

*सही कहा गया है.. "धन्य है वो कृष्ण, धन्य है राधा और धन्य धन्य है उनके भक्त..!!*

राधा अष्टमी आज

हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा अष्टमी पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। बता दें कि राधा अष्टमी पर्व श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से श्री किशोरी जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

राधा अष्टमी की तिथि
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हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, राधा अष्टमी पर 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाएगा। इस दिन मध्यान्ह पूजा समय सुबह 10 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त
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पंचांग में बताया गया है कि राधा अष्टमी पर्व के दिन सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ इस दिन रवि योग भी बन रहा है। बता दें कि सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। साथ ही रवि योग दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों में बताया गया है कि इन शुभ योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

राधा अष्टमी की पूजा विधि 
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राधा अष्टमी पर्व के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सबसे पहले प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा करें। अब राधारानी की पूजा की तैयारी करें। एक तांबे या मिट्टी का कलश स्थापति करें और तांबे के पात्र में राधाजी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र पहनाएं। इसके बाद फूल, श्रृंगार के सामान, भोग आदि अर्पित करें और राधाजी के मंत्रों का जाप करें। आखिर में आरती करें और भक्तजानों व परिवार वालों में प्रसाद बांटें।

राधा अष्टमी का महत्व
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जिस तरह श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उपवास रखा जाता है ठीक उसी प्रकार राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। यह पर्व श्री किशोरी जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन राधा रानी की उपासना करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, आयु एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

राधा अष्टमी की कथा
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पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब माता राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर गई थीं, तभी भगवान श्रीकृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। जब राधा ने यह सब देखा तो नाराज हो गईं और व‍िरजा का अपमान कर द‍िया। आहत व‍िरजा नदी बनकर बहने लगी। राधा के व्‍यवहार पर श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को गुस्सा आ गया और वह राधा से नाराज हो गए। सुदामा के इस तरह के व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गईं और उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का श्राप दे दिया। इसके बाद सुदामा ने भी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। राधा के श्राप की वजह से सुदामा शंखचूड़ नामक दानव बने, बाद में इसका वध भगवान शिव ने किया। वहीं सुदामा के दिए गए श्राप की वजह से राधा जी मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर आईं और उन्हें भगवान श्री कृष्ण का वियोग सहना पड़ा।

कुछ पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म ल‍िया, ठीक उसी तरह उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रूप में पृथ्वी पर आई थीं। ब्रह्म वैवर्त पुराण की मानें तो राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थीं और उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था।

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