आज का थ्रेड - कांग्रेस राज में G20
कुंठित पत्रकारों की सभा हो रही थी। सभी आदि इत्यादि पत्रकार रोनी सूरत बनाकर बैठे हुए थे। बैठे-बैठे सामूहिक सपना देखने लगे। कांग्रेस की सरकार आ गई है और राह–उल–गान्ही प्रधानमंत्री बन गए हैं। जी–२० का आयोजन हो रहा है।
तैयारियों के नाम पर एक लाख करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जिसे मंत्री खा गए हैं। सबको हिस्सा मिला है। गान्ही बाबा ने कहा है कुछ तैयारी की जरूरत नहीं है। जो जैसा है वैसा ही दिखाएंगे।अपनों से क्या छिपाना?
एक पत्रकार ने सपने में देखा राष्ट्राध्यक्ष आ रहे हैं। उन्हें लेने कोई नहीं गया।
सब रिक्शा कर के जनवासे में जा रहे हैं। सबको एक स्कूल में ठहराया गया है। स्कूल के कमरे अलग अलग देशों को दे दिए गए हैं। सारी डेस्क उठाकर एक कोने में एक के ऊपर एक चढ़ा कर रख दी गई हैं। कमरों में दरी बिछी है। दरी पर सफेद चादर में लिपटे गद्दे हैं। साथ में काले कंबल भी रखे हैं।
सफेद कवर डले हुए तकिए भी हैं। ब्लैक बोर्ड पर रंगीन चॉक से वेलकम लिखा है। क्लासरूम के बाहर दो के बीच में एक मटका रखा है, जिसपर एक प्लास्टिक का डंका है। साथ ही डिस्पोजल ग्लास लटक रहे हैं। ग्लास फेकने के लिए एक बाल्टी रखी है। सामने टेंट लगा है जिसपर पोहे-जलेबी-चाय के स्टाल लगे हैं।
प्रधानमंत्री गान्ही स्वयं व्यवस्था संभाल रहे हैं। रोंदू पत्रकार डिस्पोजल प्लेट में पोहे सजा रहे हैं। दूसरे उसपर जलेबी रख रहे हैं। तीसरा पत्रकार बिस्कुट के पैकेट खोल खोल कर दो दो बिस्कुट गिन कर हर प्लेट में रख रहे हैं।
कोई परेशान एक्टिविस्ट ने नमकीन संभाल रखा है।
गठबंधन के नेता लोग ट्रे में चाय लेकर सब मेहमानों के कमरों में देने जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति अपना तकिया बदलवाने के लिए लड़ रहे हैं, कह रहे हैं तकिए पर दाल लगी है। बिस्तर तो साफ देते कम से कम।
इटली के मेहमानों को ऊपर वाला कमरा दिया गया है। जिसमें कूलर लगा है।
गान्ही जी की माताजी स्वयं वहीं कुर्सी डाल के व्यवस्था देख रही हैं। भानेजन जो आई है। चिदंबरम, अय्यर दोनों दोपहर के खाने की व्यवस्था देख रहे हैं। चिदंबरम अपने गमलों से ताज़ी गोभी तोड़कर लाए हैं। आलू गोभी मेनू में तय है। अय्यर कुर्सी पर बैठकर सलाद काटने वालों को निर्देश दे रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सफेद कलफ वाली धोती कुर्ता पहन के द्वार पर बैठे हैं। उनके पुत्र पानी की व्यवस्था देख रहे हैं। टैंकर वाला देर कर रहा है तो उसे हड़का रहें हैं। कह रहे हैं वहीं आके मारूंगा अगर दस मिनट में टैंकर नहीं आया तो।
केजरीवाल और संजय सिंह बीच में कुर्सी डाल के बैठे हैं।
पोहा जलेबी खा चुके हैं। हर मेहमान को पकड़ कर बता रहे हैं, बढ़िया शीशमहल बनाया है। चलो दिखाते हैं। लाल किले के बाद दिल्ली में कुछ बना है तो बस यही। कनाडा के प्रधानमंत्री तो उनका घर देखने को तैयार भी हो गए। बोले चलो दिखाओ वहीं फ्रेश भी हो लेंगे। वे दूर के रिश्ते में साढ़ू लगते हैं।
जब पहुंचे तो भाभी जी चिढ़कर कहने लगीं आज पानी नहीं आ रहा। स्कूल में व्यवस्था है भाई साहब वहीं जाइए। अपने पति को कोने में ले जाकर बोलीं चार लाख का लगवाया है खराब कर देंगे ये लोग। भतेरे लोग आए हैं। किस किस को बुलाइएगा? स्कूल में रहने दीजिए सबको।
इधर गान्ही बाबा अब सब्जी की कड़ाही पर कर्छुल चला रहे हैं। अनुभवी लालू जी भी पहुंच गए हैं और मसाले बता रहे हैं कितना डालो।
ए प्याज भुनने दीजिए जी फिर टमाटर डालिए। अभिये डाल देंगे तो ऊ स्वाद नहीं न आएगा।
सब्जी की खुशबू लेते हुए पुष्पेश जी भी पहुंच गए हैं।
कह रहे हैं मुगलों के बाद कहीं सब्जी की ऐसी खुशबू आई है तो यहीं आई है। पडाइन बार बार आने जाने वालों पूछ रही हैं, ऊ बिडेनवा आवा कि नहीं? सब बार बार मना कर देते।
मंडल जी ज्ञानी बने बैठे हैं, सबके बीच में संसार भर की चर्चा कर रहे हैं। कह रहे हैं, वो फलां का लड़का मजिस्ट्रेट हो गया।
उसकी शादी में बढ़िया भोज हुआ। भेज भी नॉन भेज भी। सब भेज जी बनाईएगा तो कैसे चलेगा। कुछ हम लोगों की जुगाड़ पानी है कि नाही? एक कांग्रेसी कह रहा है बिरयानी बन रही है। ओवैसी साहब पीछे बकरा ही काट रहे हैं। लेकिन शाम तक बनेगी।
इधर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पहुंच गए हैं।
सिद्धारमैया खुद उनकी अटैची लेकर चल रहे हैं। आगे आगे डीके चल रहे हैं, और उनके सामने आने वालों को हटा रहे हैं। उनको देखते ही पडाइन, कविता, वृंदा करात मंगल गान गाने लगी हैं।
... लालाजू पधारे,
धन भाग हमारे
आरती लियाओ रे
मंगल गाओ री
आए हैं पई पावने,
बता दियो सब गांव में।
महिला पत्रकार छुप छुप कर देख रही हैं। एक ने छेड़ भी दिया जीजा जी लगता है दीदी खाने नहीं देती दुबरा गए हो।
इतने में दो कुत्ते लड़ पड़े। किसी ने पोहे की प्लेट छोड़ दी थी जिसपर दो कुत्तों में काटा–भौकी हो गई। पेंचकस बाबू लट्ठ लेकर दौड़े।
पत्रकारों को भरपूर रसद मिल गई है। सब अफर कर बैठे हैं। अब एक पत्रकार पंडाल के पीछे झाँकने जाता है कि दोपहर के खाने की क्या व्यवस्था है। लालूजी कह रहे हैं कि अब हल्दी डाल दो मसाला होने वाला है। हल्दी का पैकेट नही मिल रहा था। एक पत्रकार हल्दी लेने दुकान की तरफ दौड़ा।
दूसरे ने स्कूटी की चाबी उसे फेंक कर दी और कहा स्कूटी से चला जा जल्दी आ जाएगा और चाबी छिटक के नाली में गिर गई। उधर ये चल रहा था, इधर एक परेशान सा दौड़ा जा रहा था।
पड़ाईन ने फिर टोका, का हो बाइडेनवा आ गइल का?
वो बोला उसी का तो लफड़ा हो गया। उनको ऊपर वाला कमरा दे दिया।
अब कह रहे हैं दादा से सीढ़ी चढ़ते न बनेगी। नीचे फ्रांस वाले चाचा को ढूंढने जा रहे हैं, बे मान जाएं तो उनसे कमरा बदलवा दे।
टेंट में अब सफाई हो रही है। खाना लगने वाला है। सलाद कर गया है। दाल भात तैयार है। पूडियां निकलने लगी हैं।
बाइडेन दादा कह रहे भूख लगी है। नाश्ता लाओ।
इधर खड़गे जी उनको समझा रहे बड़े भाई पंद्रह मिनट रुक जाओ खाना तैयार हो रहा है। खान खा लो सीधा। बाइडेन कह रहे हैं, हमे तो प्लेट लगवा के यहीं दे जाओ। खाने पर फूंक मारने सारुक और आमिर आए हैं। दोपहर के खाने में आमिर फूंकेंगे और रात की बिरयानी में शारूक।
गैलरी में दरी बिछ गई है।
जादूगर नेता ने सब मेहबानों को जेवने का न्यौता दे दिया है। सब आकार बैठने लगे हैं। दो तीन नीचे बैठने से आनाकानी कर रहे हैं। कह रहे हैं घुटने पिराउत हैं। उनके लिए टेबल की व्यवस्था की जा रही है। बाकी मेहमान पंगत में बैठ गए हैं। सबके सामने पहले पत्तल डाली गई। पत्तल पर पानी छिड़का गया।
दो दो दोने रखे गए। यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि फुर्ती से परस करवा रहे हैं। एक ने नमक उठा लिया। एक ने सलाद। एक ने सब्जी और एक ने पूड़ी। एक दोने में दाल भरी गई। दूसरे में रायता। किसी किसी ने रायता सीधा ग्लास में ही भरवा लिया। साउदी वाले दाऊ का दोना लीक कर गया।
उनका झबला पीला पड़ गया। बाइचारों के लिए दूसरी मंजिल पर पंगत बैठाई गई। महिला कार्यकर्ताओं ने परस की जिम्मेदारी उठाई।
जिनपिंग जो अभी भी बाइडेन के पास बैठे थे, उन्होंने एक लड़के को बुलाया। बोला वो दो कुत्ते जो लड़ रहे थे कहां गए?
लड़का बोला वे तो भाग गए।
जिनपिंग कहने लगे ढूंढ लाओ यार। ऐसे ही मजबूत चार कुत्ते। अगले महीने हमारे यहां दावत है। काम आ जाएंगे। उनके लिए कुत्ते ढूंढे जाने लगे। कुत्तों को भी शाम के भोज में आमंत्रित किया गया। चार कुत्ते ऑनसाइट जाने वाले थे। कुत्ता समाज में खुशी की लहर दौड़ गई।
इधर खाना हो रहा था, उधर पंडाल के बाहर कुछ लोग बर्तन लेकर खाना मांगने आ गए थे। कुछ देर बैठने को कहा गया।
नीतीश जी खाना खाकर भूल गए कि उन्होंने खाना खा लिया है।वे दोबारा खाना मांगने लगे। उन्हें समझाने के लिए तीन सचिव लगाए गए। पंगत समाप्त हुई सब तृप्त होकर उठे। कुछ नहीं भी उठ पाए।
ज्यादा खाने की वजह से वहीं पसर गए।
वहीं गैलरी में ही दरी बिछाकर गप्पों का दौर चल गया। चार पांच उत्साही प्रधानमंत्री लोग ताश लेकर बैठ गए। दहला पकड़ का दौर चल निकला जो चाय के समय तक चला। तब एक कार्यकर्ता आया और कहने लगा चलो सब जने बैठक का समय हो गया। तैयार हो लो जब तक चाय आ रही।
गान्ही बाबा कहने लगे चलो सबको देश दिखाएं।
वो जो खाना मांगने आए थे उनको दिखाकर कहने लगे देखो ये हमारा देश है। भूखा। गरीब। नंगा। काला। धूल में लिथरा। असहाय।
सारे राष्ट्राध्यक्ष दया से भर गए। सबने सहायता का वादा किया।
फिर गान्ही बाबा सबको नाली के पास ले गए
जहां अभी भी लोग चाबी निकालने का प्रयास कर रहे थे।
कहने लगे ये देखो हमारा देश। गंदा। नाली। ये देखो हमारे देश का लोग, नाली में लोरता है।
उसके बाद गान्ही उनको वहां ले गए जहां कुत्ते और ढोर मिलकर पत्तल चाट रहे थे। बाबा बोले ये देखो हमारे देश का असलियत। ये हमारे आवारा कुत्ते और ढोर।
जिनपिंग बोले कुत्तों की जिम्मेदारी हमारी। हम उनको खिलाएंगे पिलाएंगे।पालेंगे।जी२० की सभा में तालियां।जिनपिंग जिंदाबाद के नारे। गान्ही बाबा जिन्नाबाद के नारे। गान्ही जी एक बड़ी समस्या सुलझा दिए थे। ओवैसी तब तक बिरयानी चढ़ा चुके थे। गान्ही बाबा ने मिलवाया ये हमारे यहां को माइनोरिटी।
देखिए हमारे राज में कितनी खुश है। बिरयानी खाती है। शेरवानी पहनती है।
वहीं पास में मांस के टुकड़े, कचरे का ढेर पड़ा है, गान्ही बाबा गर्व से दिखाते हैं ये देखिए हमारे इहां का कचरा, गंदगी। मेहमान खुश होते हैं। वाह वाह करते हैं।
गान्ही कहते हैं ये तो कुछ नहीं सुबह हम तुमको रेल की पटरी दिखाएंगे। कृष्णन, तीस्ता, स्वरा, राणा आदि सब प्रसन्न होती हैं।
रात के भोज में मेहमान, पत्रकार, कुत्ते और ढोर एक साथ भोजन करते हैं। पत्रकार बिरयानी पर टूट पड़े हैं। भीड़ में कुछ बाहरी लोग भी घुस आए हैं। बिरयानी खतम हो गई है।
एक मेहमान को खाना नहीं मिल पाया है। वे रूठ कर बैठ गए हैं। उन्हें दो लड़के बाइक में बीच में फंसा कर ढाबे पर खाना खिलाने ले जा रहे हैं।रसिक मेहमानों के लिए आर्केस्ट्रा हो रहा है।जादौजी एक लड़का भी लाए हैं जो लाल टोपी लगा के बाइडेन के कमरे में नाच रहा है।साथ जादौ जी आनंद ले रहे हैं।
सरकार और पत्रकारों ने विदेशों से आर्थिक पैकेज की मांग की।व्यवहार लिखने के लिए स्वयं राजदीप टेबल पर मौजूद। सौंफ-मिश्री का डब्बे से सौंफ उठा कर मुंह में डालते मेहमान अपना अपना व्यवहार लिखवा रहे हैं। मेहमान अपने-अपने कमरों में सो जाते हैं।कुछ आधी रात से ही निकलना शुरू हो जाते हैं।
बहुत अच्छा लगा आके। बहुत दिन में सबसे मिले नहीं तो कहां निकलना हो पाता है।
सुबह पत्रकारों का हिसाब किताब किया जाता है। सबको पर्याप्त मेहनताना मिलता है। पैकिट मिले हैं। बोतल मिली हैं। लेख लिखे जाते हैं G 20 सफल। गान्ही बाबा ने सबको वो इंडिया दिखाया जो दुनिया देखनी चाहती है।
लेख में आगे लिखा है - भारत ने अपना लोहा मनवाया। G-२० में अफ्रीका यूनियन सफल। प्रधानमंत्री ने सब मेहमानों को नालंदा के विषय में बताया। भोज में कटहल और बाकरखानी। भारत सही मायनों में विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर।
पत्रकार चौंके। विश्वगुरु? ऐसे कैसे? ये हमारा कीवर्ड नहीं हैं। उनकी नींद टूटी। सामुहिक सपना टूटा। उफ्फ ! दुःख, तकलीफ, पीड़ा। अब भी सरकार नहीं बदली। पत्रकारों ने विदेशों से मांग की - सरकार बदलवा दो तो हमारे दिन फिरें।
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