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शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

Think on That..

Think on That!..









































Think on That!..

 
"Live today like there is no tommorow"

मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं '


रोजाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ? 

थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ? 
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नहीं ???

ओके ......... पास्ता ?

नहीं ?? ..
इसके बारे में क्या सोचते हैं ?

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आज ये खाने का भी मन नहीं ? ...
ओके ..
क्या इस मेक्सिकन खाने को आजमायें ? 
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दुबारा नहीं ?

कोई समस्या नहीं ....

हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं........ 
    
ह्म्म्मम्म्म्म ...
चाइनीज ????? ?? 

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बर्गर्सस्स्स्सस्स्स्स ? ??????? 

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ओके ..

हमें भारतीय खाना देखना चाहिए ....... 
?


दक्षिण भारतीय व्यंजन 
ना ???

उत्तर भारतीय ? 

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जंक फ़ूड का मन है ? 

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हमारे  पास अनगिनत विकल्प हैं ..... .. 
 

 
टिफिन  ? 

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मांसाहार  ? 

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ज्यादा मात्रा ? 

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या केवल पके हुए मुर्गे के कुछ  टुकड़े ?

आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं ...

या इन सब में से थोड़ा- थोड़ा  ले सकते हैं  ...

अब शेष  बची मेल के लिए  परेशान मत होओ....



मगर .. इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है ...
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इन्हें तो बस थोड़ा सा खाना चाहिए ताकि
ये जिन्दा रह सकें ..........
इनके बारे में  अगली बार तब सोचना जब आप किसी केफेटेरिया या होटल में यह कह कर खाना फैंक रहे होंगे कि यह स्वाद नहीं है !! 

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इनके बारे में अगली बार सोचना जब आप यह कह रहे हों  ...यहाँ की रोटी इतनी सख्त है कि खायी ही नहीं जाती.........

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कृपया खाने के अपव्यय को रोकिये 
 
अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 
 1098 (केवल भारत में )पर फ़ोन करें  - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे। 
कृप्या इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें इससे उन बच्चों का पेट भर सकता है 
 
कृप्या इस श्रृंखला को तोड़े नहीं ..... 

हम चुटकुले और स्पाम मेल अपने दोस्तों और अपने नेटवर्क में करते हैं ,क्यों नहीं इस बार इस अच्छे सन्देश को आगे से आगे मेल करें ताकि हम भारत को रहने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें - 
  
'मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं ' - हमें अपना मददगार हाथ देंवे 

सभी मित्रों को आगे से आगे यह सन्देश भेजें …

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

एक बचपन का जमाना होता था

एक बचपन का जमाना होता था
वक्त बिताने का अपना एक बहाना होता था,
जब खेल -खेल मे घर बनाना होता था,
गुडडे - गुडियो से घर सजाना होता था,
बिन एहसास के पुतलो को खाना खिलाना होता था,
इन पलो मे खुशियो का चुराना होता था,
पढाई कर बहार खेलने जाना होता था,
मम्मी को इसके लिये मनाना होता था,
पापा की डाट से पहले घर मे घुस जाना होता था
दीदी- भैया से लडाई पर रो जाना होता था,
रो कर मम्मी के बांहो मे सो जाना होता था
मोसम बदलने का अपना एक नजराना होता था,
बारिश मे अपनी नांव बनाकर दुर तक पहुंचाना होता था,
कभी नांव को पानी मे से उठाकर ले आना होता था,
अपनी दुर नांव पंहुच जाने पर जीत का जश्न मनाना होता था,
अपनी मस्ती अपना एक तराना होता था,
खेल कुद कर रात को थककर सो जाना होता था,
डरावने सपने आने पर मम्मी से लिपट जाना होता था,
जब सुबह उठ स्कूल जाना होता था,
दादा -दादी से पेसे कमाना होता था
उस एक रुपये का अपना एक फंसाना होता था,
छोटी-छोटी खुशियो मे जिंदगी को पाना होता था,
सच बचपन का अपना ही एक तराना होता था………
 
 
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!

मत बहाना सस्ते आंसू, FACEBOOK की दीवालों पर..
फिर भड़केगी ज्वाला शायद, मुर्दों की मशालों पर..!!!
वतन की वेदी पे जिसने, बेटा अपना खोया है..
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!

60 बरस की काठी लेकर, फिर आज मातम मनाता..
जलती चिता संग बैठा, मैं बुझता आफताफ हूँ..
मत पूछो गांव मेरा, क्या नाम है मेरा..
शहीद-ए-हिंद फौजी का, मैं वो बूढा-बाप हू..
CCD में ही तुम बैठो यारों, तुमने कब-कुछ खोया है..
गप्पों में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!

गोली खायी थी सीने में, जिस माटी के लाल ने..
देखो कैसे सो रहा वो, मोक्ष के अंतिम चौपाल में..
माँ घर पे विलख रही है, बच्चे झूठ संग सो जायेंगे..
बीवी"बेवा"बन गयी अब, हर वादे मुर्दा हो जायेंगे..
Macdonlds में तुम बर्गर खाते, तुमने कब कुछ खोया है..
शहीद हुआ वो लाल था मेरा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!

कल तलक ये अंगारे भी, राख में ढल जायेंगे..
माटी से आये थे फिर माटी में मिल जायेंगे..
जिस जिस्म की जान, फकत वतन से होती है..
तपती वेदी संग दुखियारी, वो राख अभी से रोती है..
XXX पे तुम कसक मिटाते..तुमने कब क्या खोया है..
नंगे-जिस्मो में क्या पता पड़ेगा, क्यूँ आज तिरंगा रोया है..!!!

मत देना सोने के तमगे और उम्मीदों के गलियारे..
जब वो जिगर का टुकड़ा चला गया..करके बे-सहारे..
मत देना कोई ईनाम, उसकी शहादत के ईमान का..
वीर बेटा था जो मरा, क्या गया हिन्दुस्तान का..
Incentive की बातों में, तुमने कब कुछ खोया है..
तुमको क्या फरक पड़ेगा, फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!!!
....फिर आज तिरंगा रोया है..!!!


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

सोमवार, 23 जुलाई 2012

लाल किताब : दोषों को शांत करने के अचूक टोटके - पंडित राजीव कौशिक


लाल किताब : दोषों को शांत करने के अचूक टोटके - पंडित राजीव कौशिक 

लालकिताब है ज्योतिष निराली, जो सोई किस्मत जगा देती है
फरमान पक्का दे के आखिरी, दो लफ्जों से ज़हमत हटा देती है

‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी अपनी कुछ निजी विशेषताएँ हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। ज्योतिष के इस महाग्रन्थ को पंडित रूपचंद जोशी द्वारा वर्ष १९३९ से १९५२ के दौरान पांच भागों में लिखी गई थी। उन्होंने लाल किताब में हस्त रेखाओं, सामुद्रिक शास्त्र, मकान की हालत और जन्मकुंडली के ग्रहों को मिला कर भविष्य कथन और ग्रहों के दोष निवारण के लिए उपाय बताये हैं। यह पुस्तक मूलतः उर्दू में लिखी गयी थी।

हाथ रेखा को समुद्र गिनते, नजूमे फलक का काम हो
इल्म क्याफा ज्योतिष मिलते, लालकिताब का नाम हो

कुछ लोग लाल किताब को टोनो और टोटको की किताब समझते हैं, तो कुछ लोग इस को तंत्र की किताब मानते हैं। सच्चाई ऐसी नहीं है, लाल किताब से हम किसी का भी कोई नुक्सान नहीं बल्कि केवल भलाई ही कर सकते है। इसमें धर्माचरण और सदाचरण पर जोर दिया है। लाल किताब में बहुत जगह सदाचार, कानून का पालन करना, विधवा सेवा, नेत्रहीन की सेवा और कन्या सेवा के लिए कहा गया है। वास्तव में लालकिताब जीना सीखने की किताब है।

लाल किताब के द्वारा पिछले जन्म और अगले जन्म का हाल बखूबी बताया जा सकता है । किसी भी जातक के जन्म की तिथि या समय के अभाव में उस व्यक्ति के चेहरे, हाथो की रेखा और शरीर के अंगो जैसे कान,होंठ, आंखे इत्यादि देख कर भी बहुत कुछ बताया जा सकता है ।

लाल किताब में पूर्व जन्म में किये गए पाप कर्मो को धोने के भी उपाय बताये गए हैं। उदहारण के तौर पर यदि जन्मकुंडली के दूसरे या सातवें घर में यदि शुक्र के शत्रु ग्रह ( राहू , सूर्य , चंद्रमा) बैठे हैं, तो उस जातक को वैवाहिक जीवन में असंतुष्टि हो सकती है, जिसका एक कारण ये भी हो सकता है कि उस व्यक्ति ने पूर्व जन्म में किसी गर्भवती स्त्री या गाय को स्वार्थवश सताया होगा। उपाय के तौर पर लालकिताब बताती है कि उस व्यक्ति को १०० स्वस्थ गायो को एक ही दिन में हरा चारा खिलाना चाहिए और किसी भी स्त्री या गाय को सताना नहीं चाहिए।

लाल किताब में वास्तु ज्ञान का भी वर्णन किया गया है। यहाँ तक कि मकान की हालत देख कर उसमें रहने वालो के बारे में बताया जा सकता है ।लालकिताब के अनुसार पांच कोण वाला मकान नहीं बनाना चाहिए। इस तरह का भवन उसमें रहने वाले निवासियों के लिए हानिकारक ही होता है ।

लाल किताब की सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को उपायों का सहारा लेने का संदेश देना है। ये उपाय इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है जैसे, काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि । इन उपायों के सहारे जातक कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि) में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय इन उपायों के सहारे कम खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है। लेकिन, लालकिताब में कहीं भी ऐसा दावा नहीं किया गया है की ज्योतिष द्वारा या किसी भी उपाय द्वारा हम मृत्यु को जीत सकते है बल्कि इसके उपायों द्वारा हम बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। लालकिताब में साफ़ साफ़ लिखा है -

बिमारी का तो बगैर दवा इलाज है, मौत का कोई इलाज नहीं
ज्योतिष दुनियावी हिसाब किताब है , कोई दावा-ऐ -खुदाई नहीं है

यहां लाल किताब के कुछ उपाय हैं, जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपनी भलाई के लिए कर सकता है -

अपने भोजन में से कुछ हिस्सा गाय, कुत्ते और कौवे को देना, विधवाओं की सेवा करना और उनका आशीर्वाद लेना, पक्षियों को दाना ड़ालना, सूर्य की अराधना करना, बिजली के मीटर में गड़बड़ न करना और बिल पूरा भरना
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