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रविवार, 28 अप्रैल 2024

सामान्य तौर पर एकादशी के दिन चावल नहीं खाई जाती है परंतु…… जगन्नाथ पुरी में एकादशी को लेकर यह नियम मान्य क्यों नहीं…….

 

क्या हमें एकादशी के दिन अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए ?

सामान्य तौर पर एकादशी के दिन चावल नहीं खाई जाती है परंतु……

जगन्नाथ पुरी में एकादशी को लेकर यह नियम मान्य क्यों नहीं…….

और क्या एकादशी के दिन चावल खाने का पाप जगन्नाथ पुरी के लोगों को नहीं लगता तो बता दें कि सिर्फ एकादशी के दिन चावल खाना ही नहीं बल्कि व्रत में चावल खाना भी यहां मान्य है….

इसके पीछे एक पौराणिक कथा जिसके अनुसार, एक बार ब्रह्म देव स्वयं जगन्नाथ पुरी भगवान जगन्नाथ का महा प्रसाद खाने की इच्छा से पहुंचे लेकिन तब तक महाप्रसाद समाप्त हो चुका था। मात्र एक पत्तल में थोड़े से चावल के दाने थे जिसे एक कुत्ता चाट-चाटकर खा रहा था…

ब्रह्मदेव

भक्ति भाव में इतने डूब गए थे कि जगन्नाथ भगवान का महाप्रसाद खाने की लालसा में उन्होंने उस कुत्ते के साथ बैठकर ही चावल के बचे-कुचे चावलों को खाना शुरू कर दिया। जिस दिन यह घटना घटित हुई उस दिन संयोग से एकादशी थी।

ब्रह्म देव का भक्ति भाव देख जगन्नाथ भगवान स्वयं प्रकट हुए और ब्रह्म देव को इस तरह बिना किसी ऊंच-नीच के कुत्ते के साथ उनके महाप्रसाद का चावल खाते देख बोले कि आज से मेरे महाप्रसाद में एकादशी का नियम लागू नहीं होगा….

बस उसी दिन से जगन्नाथ पुरी में एकादशी हो या कोई अन्य तिथि भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद पर किसी भी व्रत या तिथि का प्रभाव नहीं पड़ता है….

यह मैंने स्वयं देखा अपनी आंखों से वृंदावन में एकादशी के दिन भगवान को महाप्रसाद लगता है फल और अन्न का

तो क्या उसे दिन भगवान का प्रसाद फल अन्नन्के रूप में खाना भी वर्जित है???? कैसी लगी कहानी ???

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