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मंगलवार, 10 अगस्त 2021

गोबर गणेश मुहावरे का मतलब

ऐसा प्रतीत होता है सनातन धर्म को अधिकाधिक जानने की आवश्यकता है क्योंकि इसी प्रकार ये क्रम चलता रहा तो सभी एकसाथ इस धर्म के विषय मे अनर्गल प्रलाप करते रहेंगे, सहिष्णु होने का अर्थ सभी कुछ सहन करना नही है ,

आपको इस मुहावरे को नकारत्मक अर्थ अधिक प्रिय लगता है क्योंकि इसमें सनातन धर्म का अपमान दॄष्टिगत होता है, परन्तु आज आपको इसका वास्तविक अर्थ ज्ञात होने का समय आ गया है।

  • गोबर गणेश मुहावरे का संदर्भ पुराणों से जुड़ा है,

प्रथम कथा के अनुसार

  • देवों-दानवों में हुए अमृतमंथन के दौरान नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला पांच कामधेनुएं भी निकली थीं। देवों को दानवों के संत्रास से मुक्ति दिलाने के लिए आदिशक्ति दुर्गा ने सुरभि गाय के गोबर से गणेशजी की रचना की। उन्हें शक्तियां प्रदान कर स्वयं का वाहन सिंह प्रदान किया, गोबर से गणेश की रचना एक महान उद्धेश्य के निमित हुई, देवी दुर्गा ने अपनी शक्तियों का संचार कर उसे समर्थ बनाया। गणेशजी ने दानवों का संहार किया और गणनायक या गणपति की उपाधि प्राप्त की।

द्वितीय कथा के अनुसार

  • हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है उसके वर्णन को लिपिबद्ध करना उनके वश का नहीं था। अतः उन्हें एक लेखक की आवश्यकता थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे. क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी. अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की, गणेश जी ने कहा कि मैं महाभारत लिख तो दूंगा। आपको अनवरत कथा बताते रहना होगा, यदि आपकी कथा रुकी तो मेरी लेखनी तो रुकेगी ही साथ ही मैं लेखन का कार्य भी छोड़ दूंगा, आपकी कथा पूर्ण हो या अपूर्ण। व्यासजी ने इसे मान लिया और गणेशजी से अनुरोध किया कि वे भी मात्र अर्थपूर्ण और सत्य बातें, समझ कर लिखें। इसके पीछे उनकी धारणा यह थी कि महाभारत और गीता सनातन धर्म के सबसे प्रामाणिक पाठ के रूप में स्थापित हो  गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, परन्तु उन्हें जल पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर गोबर और मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। ऐसा माना जाता है कि व्यासजी जो भी श्लोक बोलते थे, गणेशजी उसे शीघ्रतापूर्वक लिख लेते थे। अतः व्यासजी ने गणेशजी की गति को मंद करने के लिए सरल श्लोकों के पश्चात एक कठिन श्लोक बोलते थे। महाभारत का लेखन कार्य गणेश चतुर्थी को आरम्भ हुआ और अनन्त चतुर्दशी को सम्पन्न हुआ था। उस दिन गणेश जी के शरीर के तापमान को अल्प करने के लिए और उनके लेप को हटाने के लिए जल अर्पण किया । समीप के एक जलकुंड में उन्हें बैठाया अतः उस दिन से गणेश विसर्जन का आरम्भ माना जाता है।

गोबर गणेश के प्रचलित नकारत्मक अर्थ

  • गोबरगणेश मुहावरे में यह संदर्भ दॄष्टिगत नही हो पाता है परन्तु नकारत्मक अर्थवत्ता पूर्णतया दिख रही है।
  • लौकिक अर्थों में किसी व्यक्ति को गोबरगणेश कहने के पीछे यही आशय है कि वह मूर्ख है और पौराणिक गोबरगणेश की तरह उसमें अलौकिक क्षमता नहीं हैं, वह निरा मिट्टी का माधौ है।
  • कुछ मूर्ख देसी गौ के गोबर में उभरी रेखाओं में नजर आती विभिन्न आकृतियों में भी गणेश का रूपाकार देखते हुए गोबरगणेश को इससे जोड़ते हैं।
  • धन्यवाद

सनातन (हिंदू धर्म) धार्मिक ग्रंथ जैसे वेद, पुराण, शास्त्र, उपनिषद इत्यादि पवित्र ग्रंथ के नाम और इनकी संख्या

बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा अपने। इस प्रश्न की आवश्यकता इसलिए भी अधिक है क्योंकि आज का समाज अपने गौरवपूर्ण इतिहास को भूलता जा रहा है। इसीलिए सबसे पहले तो आपके इस प्रश्न के लिए आपका धन्यवाद। इस उत्तर के लिए बहुत शोध करना पड़ा है, अतः यदि अच्छा लगे तो औरो के साथ भी साझा करें। अब आइये इसके विषय में जान लेते हैं:

हिन्दू धर्मग्रंथ मुख्यतः दो भागों में बटें हैं - श्रुति एवं स्मृति। इस उत्तर में इन दोनों के विस्तार में नही जाऊंगा, संक्षेप में श्रुति में केवल वेद आते हैं और जो श्रुति में नही है, अर्थात वेदों के अतिरिक्त सब कुछ, वो स्मृति में आते हैं।

श्रुतियाँ:

  1. ऋग्वेद - 10 मंडल, 10552 श्लोक
  2. सामवेद - 6 अध्याय, 1875 श्लोक
  3. यजुर्वेद - 40 अध्याय, 1975 श्लोक
  4. अथर्ववेद - 20 कांड, 5977 श्लोक

स्मृतियाँ:

  1. मूल स्मृतियाँ - कुल 18 हैं पर और भी स्मृतियाँ बाद में जोड़ी गयी जिनमें मनुस्मृति सबसे प्रसिद्ध है। मूल स्मृतियाँ हैं:
    1. वशिष्ठ स्मृति
    2. अत्रि स्मृति
    3. औषनस स्मृति
    4. हरिता स्मृति
    5. विष्णु स्मृति
    6. अंगिरा स्मृति
    7. यम स्मृति
    8. आपस्तम्ब स्मृति
    9. सम्वर्त स्मृति
    10. कात्यायन स्मृति
    11. बृहस्पति स्मृति
    12. व्यास स्मृति
    13. पराशर स्मृति
    14. शंख स्मृति
    15. लिखित स्मृति
    16. दक्ष स्मृति
    17. गौतम स्मृति
    18. शातातप स्मृति
  2. रामायण - 6 कांड, 24000 श्लोक, इसके अतिरिक्त अलग से उत्तर रामायण (उत्तर कांड नही) जो वास्तव में काकभुशुण्डि और गरुड़ संवाद है। महर्षि वशिष्ठ ने भी रामायण लिखा था, कुछ लोग उसे योगवासिष्ठ कहते हैं। महाबली हनुमान ने भी हनुमद रामायण लिखी थी जिसे उन्होंने स्वयं समुद्र में डुबा दिया। इसके अतिरिक्त वाल्मीकि रामायण के कई अनुवाद हैं, कुछ प्रमुख हैं:
    1. रामचरितमानस (अवधी) - 7 कांड, 10902 दोहे
    2. अध्यात्म रामायण (संस्कृत) - 7 खंड, 4500 श्लोक
    3. आनंद रामायण (संस्कृत) - 7 कांड
    4. अद्भुत रामायण (संस्कृत) - 27 सर्ग
    5. कम्ब रामायण (तमिल) - 6 कांड, 123 अध्याय, 12000 श्लोक
    6. रंगनाथ रामायण (तेलुगु) - 17290 द्विपद
    7. भावार्थ रामायण (मराठी)
    8. जगमोहन रामायण (उड़िया)
    9. रामचंद्र चरित्र पुराण (कन्नड़)
    10. कृतिवास रामायण (बंगाली)
  3. महाभारत - 18 पर्व, 100000 श्लोक। इसके भी कई अन्य संस्करण हैं।
    1. श्रीमद्भगवद्गीता - महाभारत का ही एक भाग, 18 अध्याय, 700 श्लोक
    2. ऋषि अष्टावक्र द्वारा लिखा गया अष्टावक्र गीता भी बहुत प्रसिद्ध है।
  4. महापुराण - महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित। ये कुल 18 हैं जिनमें कुल 409500 श्लोक हैं, ये भी अधूरे हैं क्योंकि अधिकतर लुप्त हो चुके हैं:
    1. ब्रह्म पुराण - 10000 श्लोक
    2. पद्म पुराण - 55000 श्लोक
    3. विष्णु पुराण - 23000 श्लोक
    4. शिव पुराण - 24000 श्लोक
    5. भागवत पुराण - 18000 श्लोक
    6. नारद पुराण - 25000 श्लोक
    7. मार्कण्डेय पुराण - 9000 श्लोक
    8. अग्नि पुराण - 15400 श्लोक
    9. भविष्य पुराण - 14500 श्लोक
    10. ब्रह्मवैवर्त पुराण - 18000 श्लोक
    11. लिंग पुराण - 11000 श्लोक
    12. वाराह पुराण - 24000 श्लोक
    13. स्कन्द पुराण - 81100 श्लोक
    14. वामन पुराण - 10000 श्लोक
    15. कूर्म पुराण - 17000 श्लोक
    16. मत्स्य पुराण - 14000 श्लोक
    17. गरुड़ पुराण - 19000 श्लोक
    18. ब्रह्मांड पुराण - 12000 श्लोक
  5. उप पुराण - वेदव्यास एवं अन्य ऋषियों द्वारा लिखा गया। ये भी मूल रूप से 18 हैं किंतु बाद में कुछ और भी जोड़े गए। मुख्य 18 उप पुराण हैं:
    1. आदि पुराण - लेखक सनत्कुमार
    2. नृसिंह पुराण - लेखक वेदव्यास
    3. नंदी पुराण - लेखक कार्तिकेय
    4. शिवधर्म पुराण - लेखक वेदव्यास
    5. आश्चर्य पुराण - लेखक महर्षि दुर्वासा
    6. नारदीय पुराण - लेखक देवर्षि नारद
    7. कपिल पुराण - लेखक कपिल मुनि
    8. मानव पुराण - लेखक देवर्षि नारद
    9. उष्णासा पुराण - लेखक ऋषि उष्णस
    10. ब्रह्मांड पुराण - लेखक वेदव्यास
    11. वरुण पुराण - लेखक वरुण देव
    12. कालिका पुराण - लेखक वेदव्यास
    13. माहेश्वर पुराण - लेखक कार्तिकेय
    14. साम्ब पुराण - लेखक सूर्यदेव
    15. सौर पुराण - लेखक सूर्यदेव
    16. पराशर पुराण - लेखक महर्षि पराशर
    17. मरीचि पुराण - लेखक महर्षि मरीचि
    18. भार्गव पुराण - लेखक महर्षि भृगु
  6. उप वेद
    1. आयुर्वेद
    2. धनुर्वेद
    3. गन्धर्ववेद
    4. शास्त्रार्थ
  7. संहिता - मूल 18 संहितायें हैं, किन्तु कुछ अन्य संहिताओं का भी वर्णन आता है। मुख्य संहिता है - भृगु, चक्र, देव, गर्ग, घेरन्द्र, कश्यप, शिव, वृहद, सुश्रुत, याज्ञवल्क इत्यादि।
  8. आरण्यक - ये मूल रूप से 10 हैं किंतु अन्य भी माने जाते हैं।
  9. ब्राह्मण - हर वेद से जुड़े कई ब्राह्मण (ग्रंथ) हैं। इसके अतिरिक्त 40 से अधिक ब्राह्मण ऐसे हैं जो अब लुप्त हो चुके हैं। कुछ मुख्य उपलब्ध ब्राह्मण हैं:
    1. ऋग्वेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - ऐत्रेय, कौशिक, सांख्य
    2. सामवेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - पंचविश, ताण्ड्य, सद्विष, संविधान, द्वैत, संहितोपनिषद, आर्षेय, वंश, जैमनिय, चंडयोग, मंत्र
    3. यजुर्वेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - शतपथ (शुक्ल), तैत्रेय (कृष्ण)
    4. अथर्ववेद में वैसे तो कई बरखमं हैं किंतु गोपथ सबसे प्रसिद्ध है।
  10. उपनिषद - ऐसी मान्यता है कि इनकी संख्या 300 से भी अधिक थी किन्तु अब केवल 108 ही उपलब्ध हैं, शेष लुप्त हो चुके हैं। इन्हें भी वेदों के ही अंतर्गत बांटा गया है।
  11. सांख्य - कई हैं किंतु कुल 7 माने जाते हैं।
  12. अगम - कई हैं किन्तु मुख्यतः 3 भागों में बातें हैं:
    1. शिव अगम - कुल 28
    2. शाक्त अगम - कुल 77
    3. वैष्णव अगम - कुल 108
  13. दर्शन - कई हैं किंतु मुख्य 6 माने जाते हैं:
    1. न्याय दर्शन
    2. वैशेषिका दर्शन
    3. सांख्य दर्शन
    4. योग दर्शन
    5. मीमांसा दर्शन
    6. वेदांत दर्शन
  14. योग - अत्यंत वृहद, महर्षि वशिष्ठ एवं पतंजलि योग प्रसिद्ध हकन। इसके अतिरिक्त भी कई हैं।
  15. धर्म शास्त्र - कई हैं
  16. धर्म सूत्र - कई हैं
  17. रहस्य शास्त्र - कई हैं
  18. वास्तु शास्त्र - बहुत वृहद
  19. शिल्प शास्त्र - कई हैं
  20. कर्म कांड - अनेकानेक हैं
  21. तंत्र - मुख्य 77 माने जाते हैं
  22. मंत्र - असंख्य

इसके अतिरिक्त भी अनेकानेक ग्रंथ हैं जिसके तो नाम भी लोगों को पता नही है। इन सभी ग्रंथों का एक साथ मिलना तो लगभग असंभव है किंतु फिर भी "गीताप्रेस" में पता करें। अधिकतर तो शुद्ध रूप में वहाँ मिल ही जाएंगे।

इस उत्तर को लिखने में बहुत अधिक शोध और श्रम लगा है। यदि पसंद आया हो तो औरों के साथ भी साझा करें।
जय माँ सरस्वती।
🙏🚩

चित्र स्रोत: गूगल

एकादशी के दिन किस अनाज को खाने तथा किस अनाज को वर्जित करने का प्रावधान है?

एकादशी के दिन किस अनाज को खाने तथा किस अनाज को वर्जित करने का प्रावधान है?

सनातन धर्म मे व्रत उपवास का महत्व

आध्यात्मिक रूप से माना जाता है कि व्रत का प्रभाव और उसका पूर्णरूप से लाभ प्राप्त होने पर मानसिक शुद्धि एवं सात्विक विचारों का उन्नयन होता है।
अतः सभी को शारीरिक क्षमता के अनुसार सप्ताह में एक दिन या एक पक्ष में एक दिन उपवास या व्रत अवश्य रखना चाहिए।

आदिकाल में देवर्षि नारद ने एक हजार साल तक एकादशी का निर्जल व्रत करके भगवान विष्णु की भक्ति प्राप्त की थी।



वैष्णव के लिए यह सर्वोत्तम व्रत है एकादशी के व्रत में भी कुछ विधान का पालन किया जाता है इसमे वर्जित और पारण योग्य खाद्य पदार्थों का विशेष महत्व है जो कि निम्लिखित हैं

एकादशी के व्रत में वर्जित खाद्य पदार्थ

एकदशी के व्रत में शरीर मे जल की मात्रा जितनी अल्प होगी उतना उत्तम माना जाता है,व्रत पूरा करने में उतनी ही अधिक सात्विकता रहेगी और इस से मन नियंत्रित होता है अतः वर्ष में एक निर्जला एकादशी भी होती है।

एकादशी के व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकदशी के व्रत में बैगन का सेवन करने से सन्तान कष्ट प्राप्त करती हैं।

इसमे अन्न किसी भी प्रकार का जैसे चावल, जौ, दाल, चना, गेंहू राजमा , मसूर, उर्द , सेम इत्यादि पूर्णतया वर्जित है।(चावल और जौ के विषय मे एक कथा भी है)

चावल जौ या अन्न के विषय में वैज्ञानिक तथ्य ये भी है कि इनके उपापचय में जल अधिक चाहिए और एकदशी में जल अल्प पीना चाहिए तो इनका सेवन न करना श्रेयस्कर है।

चंद्रमा मन को अधिक चलायमान न कर पाएं, अतः चावल खाने वर्जित है।
चावल को हविष्य अन्न कहा गया है, अर्थात ये देवताओं का भोजन है अतः साधारण मनुष्य को इसका सेवन नही करना चाहिए।

भगवान विष्णु को तुलसीदल प्रिय है अतः एकादशी को कभी भी तुलसीदल का सेवन नही करना चाहिए,।

पान को विलासिता से जोड़कर देखा जाता है और इसे खाने से विचार दूषित हो जाते है अतः इसका सेवन भूलवश भी न करना चाहिए।

एकादशी के दिन मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसी तामसी चीजों का सेवन व्रतधारी और उसके परिवार को कदापि नही करना चाहिए।

इस दिन किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दिया गया अन्न भी ग्रहण नहीं करें, इससे पुण्य नष्ट हो जाते है।

एकादशी में ग्रहण योग्य खाध पदार्थ

सर्वप्रथम ये प्रयास करना चाहिए कि कुछ न खाया जाए परन्तु सभी की शारिरिक क्षमता उतनी नही होती ,अतः व्रत में कुछ पदार्थ का सेवन सम्पूर्ण दिवस में एक बार किया जा सकता है।

केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।
दुग्ध का सेवन किया जा सकता है।

आलू ,शकरगन्दी, अरबी , कद्दू उबाल कर नमक डालकर ग्रहण कर सकते हैं

पौराणिक कथा

माता के क्रोध से रक्षा के लिए महर्षि मेधा ने देह छोड़ दी थी, उनके शरीर के भाग धरती के अंदर समा गए, कालांतर में वही भाग जौ और चावल के रुप में जमीन से पैदा हुए। कहा गया है कि जब महर्षि की देह भूमि में समाई, उस दिन एकादशी थी।
अतः प्राचीन काल से ही यह परंपरा शुरु हुई, कि एकादशी के दिन चावल और जौ से बने भोज्य पदार्थ नहीं खाए जाते हैं।

एकादशी के दिन चावल का सेवन महर्षि की देह के सेवन के बराबर माना गया है।

अंततः
पूजा में, व्रत या उपवास में या आध्यात्मिक क्रिया का फल लेने के लिए आप के भाव की महत्ता है यदि आपके भाव उत्तम है तो फल भी उत्तम प्राप्त होगा अन्यथा कोई फल न मिलेगा

भूत, प्रेत, निशाचर, यक्ष, जिन्न में क्या अंतर होता है?

भूत, प्रेत, निशाचर, यक्ष, जिन्न में क्या अंतर होता है?

इसका विस्तृत वर्णन गरुण पुराण में मिल जाता है परन्तु सभी गरुण पुराण नही पढ़ सकते है ये किसी की मृत्यु के पश्चात ही पढा जाता है,

हम सभी को ज्ञात है, जीवन न अतीत है और न भविष्य, वह सदा वर्तमान है।
जो वर्तमान में रहता है वही मोक्ष की प्रप्ति के लिए प्रयास कर सकता है।



तो उसके अनुसार किसी जीव की आत्मा को श्रेणीबद्ध किया गया है, इसमे भी पुरुष और स्त्री वर्ग की आत्मा के भिन्न नाम है।

पुरुषों में जो श्रेणियां है वो निम्नलिखित है:-

भूत
इसकी उत्तपत्ति भूतकाल शब्द से हुई है अर्थात जिसका कोई वर्तमान न हो, केवल अतीत ही हो वही भूत कहलाता है, अतीत में उलझी आत्मा भूत बन जाती है।

जो आत्मा ज्यादा स्मृतिवान या ध्यानी है, और उसे मृत्यु का ज्ञान होता है, वह भी भूत बन सकती है।

भूत अदृश्य होते हैं, इनका कोई शरीर नही होता अतः इन्हें सूक्ष्म शरीर भी कहा जा सकता है, इन्हें वायु या धुंध के समान अनुभव किया जा सकता है।
कुछ भूत स्वयं की शक्ति को जागृत कर सकते है किंतु सभी भूत स्वयं की शक्ति को प्रयोग नही कर सकते हैं।

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी चतुर्दशी और अमावस्या को इनकी सक्रियता अधिक देखी जा सकती है।

ये मुख्यतः उस स्थल पर विचरण करते है जिसमे जीवनकाल में उनका कोई सम्बन्ध रहा हो, और ये प्रायः निर्जन स्थलों पर निवास करते हैं।

प्रेत
प्रेत योनि में अदृश्य और शक्तिशाली हो जाते हैं, ऐसा आवश्यक नही है की मृत्यु के पश्चात सभी प्रेत बन जाये और ये भी आवश्यक नही कि सभी शक्तिशाली होंगे।

प्रेतों स्पर्श करने की शक्ति होती है, तो में कुछ नही, जिसमे शक्ति होती है वह बड़े से बड़े वस्तुएं उठाकर फेंक सकता है

ऐसे प्रेत यदि नकारात्मक हैं, तो वो हानि भी पहुंचा सकते है, ये किसी देहधारी के मस्तिष्क को नियंत्रित कर सकते हैं।

कभी कभी वो किसी की देह को अपने प्रयोजन सिद्ध करने के लिए नियंत्रित कर लेते हैं ये बड़ी भयावह स्थिति होती है उस व्यक्ति का शरीर उस प्रेत का क्रीड़ास्थल बन जाता है।

ब्रह्मराक्षस
सनातन धर्म मे जिन्न का उल्लेख नही है अतः मुझे ब्रह्मराक्षस के विषय मे लिखना होगा।

उच्चकुल में जन्म ले कर जीवन मे दुष्कर्म करते है और स्वयं के ज्ञान का लाभ कुकर्म में लगाते हैं, अतः दण्डस्वरूप उन्हें मृत्यु पश्चत उस योनि को प्राप्त करते हैं।

इस योनि में बहुत शक्तिशाली होते है पीपल इनके प्रिय वृक्ष है और यदि किसी देह में आ जाये तो इनको निकालना कठिन है,

जिस व्यक्ति में ब्रह्मराक्षस आ जाते है वो बहुत शांत और अनुशासन में जीवन यापन करते है भोजन बहुत अधिक कर सकते है और एक ही अवस्था घन्टो तक रह सकते हैं।

इनका ज्ञान अप्रतिम होता है, इन्हें स्वयं के पूर्वजन्म स्मरण रहते है, वेद पुराण कंठस्थ रहते है।

निशाचर
धर्मग्रंथों में मान्य वे दुष्ट आत्माएँ जो धर्म विरोधी कार्य करती हैं तथा देवताओं, ऋषियों आदि की शत्रु हैं

ये रात्रि में विचरण कर के भोजन ढूंढते है।


यक्ष
प्राचीन काल में कुछ जातियों को रहस्यमयी शक्तियों के स्वामी होने के कारण ये विशेष माने जाते थे ये सभी मानवों से कुछ अलग थे,परन्तु ये सभी मानवों की किसी न किसी रूप में सहायता ही करते थे।

इनकी प्रमुख जातियां थीं देव,दैत्य,दानव, राक्षस,यक्ष,गंधर्व,अप्सराएं, पिशाच, किन्नर, वानर, रीछ, भल्ल, किरात, नाग आदि।



देवताओं के बाद दैवीय शक्तियों के विषय मे यक्ष का ही स्थान आता है।

यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है जादू की शक्ति ये एक अर्ध देवयोनि (नपुंसक लिंग) अर्ध देवता अर्ध कोई अन्य जाति है,जिसका उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है।
'यच' सम्भवत: 'यक्ष' का ही एक प्राकृत रूप है, ये मानव के विरोधी नही थे वरन ; जो धनसम्पदा,पृथ्वी के भीतर स्थित निधियो एवम यज्ञ की रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये।

कुबेर उत्तर के दिक्पाल तथा स्वर्ग के कोषाध्यक्ष कहलाते हैं,अथर्ववेद में कुबेर की प्रजा को यक्ष कहा गया है।

यक्षिणी को शिव जी की दासियां भी कहा जाता है, यक्षिणियां सकारात्मक शक्तियां हैं तो पिशाचिनियां नकारात्मक।

बहुत व्यक्ति यक्षिणियों को भी किसी भूत-प्रेतनी के समान मानते हैं,जो कि सत्य नही ये तो साधना करने के पश्चात कई प्रकार की सिद्धियों का स्वामी बना देती हैं।

रामायण में महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा पुत्र रावण का सौतेला भाई कुबेर एक यक्ष था वो इलविला या इडविडा का पुत्र था, एवम रावण एक राक्षस ये कैकसी का पुत्र था, इसके विभीषण और कुम्भकर्ण भाई हुए।

महाभारत में भी युधिष्ठिर जी और उनके भाइयों के साथ यक्ष प्रश्न का एक प्रसंग आया है जिसमें सब भाइयों ने यक्ष की चेतावनी अनसुनी कर के जल पिया और अचेत हुए ततपश्चात युधिष्ठिर जी ने समस्त प्रश्नों के उत्तर दिए और अपने भाइयों को चेतन किया।



जिस तरह प्रमुख 33 देवता होते हैं, उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं।

सभी के रहने के लिए विभिन्न लोक है जैसे देवताओं का देवलोक राक्षसो का पाताल लोक पितृ का पितृलोक इसी प्रकार यक्षलोक हमारे बहुत समीप है किसी सुपात्र को यदि सदगुरु मिल जाये तो थोड़े प्रयास ही इन्हें प्रसन्न किया जा सकता है,

इनकी सिद्धियां करने से जीवन मे बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है ये साधना बहुत कठिन है और प्रत्येक व्यक्ति इन्हें नही कर सकता, इन में कुछ निम्न हैं।

सुर सुन्दरी यक्षिणी यह सिद्ध होने के बाद साधक को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति आदि प्रदान करती है।

मनोहारिणी यक्षिणी ये सिद्ध होने पर साधक के व्यक्तित्व को ऐसा सम्मोहक बना देती है, कि हर व्यक्ति को सम्मोहित पाश में बंध जाता है।
 

कनकावती यक्षिणी सिद्ध करने पर साधक में तेजस्विता आ जाती है। यह साधक की हर मनोकामना को पूरा करने में सहायक होती है।

पद्मिनी यक्षिणी यह अपने साधक को आत्मविश्वास व स्थिरता प्रदान करती है और हमेशा उसे मानसिक बल प्रदान करती हुई उन्नति की ओर अग्रसर करती है।

नटी यक्षिणी
को विश्वामित्र ने भी सिद्ध किया था। यह अपने साधक की पूर्ण रूप से सुरक्षा करती है।
धन्यवाद
 

लेख के तत्व धार्मिक पुस्तकोँ से समझकर लिखे गए कुछ बिन्दु

स्त्रियों की श्रेणियां

इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्यभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है.

चुड़ैल
कोई प्रसूता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुडैल बन जाती है।

देवी
कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं।

डायन या डाकिनी
जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी कहते हैं।

अंततः
जिस व्यक्ति ने जीवन मे बहुत हिंसा की है वह भूत या प्रेत बन कर भटकता रहता हैं।

अकालमृत्यु अर्थात आत्महत्या हत्या और दुर्घटना में मृत भी इस योनि को प्राप्त करते हैं।

अतृप्त इच्छाएं वाला व्यक्ति भी मृत होकर इस योनि को प्राप्त करते हैं।

भूत प्रेत में शरीर न होने से उन्हें कोई अस्त्र शस्त्र से कोई भय नही होता उनमें सुख या दुःख की भावना तो होती है।

अन्तःकरण में मन बुद्धि या चित्त संज्ञाशून्य माना जाता हैं, वही भावना प्रधान होगी जिस भावना में मृत्यु हुई है।

ये आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं।

गाय को ही माता क्यों कहा जाता है, जबकि दूध तो भैंस, बकरी आदि भी देते हैं और इनका दूध भी मनुष्य पीता है?


गाय को ही माता क्यों कहा जाता है, जबकि दूध तो भैंस, बकरी आदि भी देते हैं और इनका दूध भी मनुष्य पीता है?

सर्वप्रथम आपको स्प्ष्ट कर दूँ अन्य पशु दुग्ध देते है और गौमाता "अमृत" देती हैं और उनके अमृत की तुलना पशुओ के दुग्ध से करने का दुःसाहस मुझसे न होगा ।


उन्हें प्राचीनकाल से ही माता का स्थान दिया गया है उसके मुख्य कारणों की संक्षिप्त वर्णन करना आवश्यक है।

गौमाता के विषय मे धार्मिक वर्णन
शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सर्वप्रथम गौमात ही पृथ्वी पर आयी थी।
दोनो सींग के निचले भाग में भगवान विष्णु जी और भगवान ब्रह्मा जी और सींग के मध्य में भगवान शिवजी और ललाट में माता गौरी का वास माना जाता है नसिका में भगवान कार्तिकेय का वास है।

गौ पालन से सम्बंधित विभिन्न उपाधियां

ये सारी उपाधियां जहां व्यक्ति की आर्थिक संपन्नता की प्रतीक है, वहीं इस बात को भी स्पष्ट करती हैं कि प्राचीन काल में गायें हमारी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार थी।
गोपाल:- जो सदैव घेरों में गौओं का पालन करते हैं, गौ से ही अपनी आजीविका चलाते हैं, उनको गोपाल कहा जाता था ।
नन्द :- जो सहायक ग्वालों के साथ नौ लक्ष् गौ का पालन करे।
उपनन्द :- पांच लक्ष् गौ को पाले वह उपनंद कहलाता है।
वृषभानु :- जो दस लक्ष् गौओं का पालन करे उसे वृषभानु कहा जाता है ।
वृषभानुवर:- जिसके घर में 50 लक्ष् गायें पाली जाएं उसे वृषभानुवर कहा जाता है।
नन्दराज :- जिसके घर में एक करोड़ गायों का संरक्षण हो उसे नंदराज कहते हैं।

गौमाता के विषय मे महत्वपूर्ण तथ्य

गौ की श्वासों के द्वारा किसी भी स्थल की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेती हैं और वो जहां बैठती है वहां सम्पूर्ण वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण कर देती हैं।
सभी पशुओ में मात्र गाय ही ऐसा पशु है जो "मां" शब्द का उच्चारण करता है, अतः मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई मानी जाती है।

गौ को माता मानने के मुख्य तथ्य

आयुर्वेद के अनुसार भी मातृदुग्ध के उपलब्ध न होने पर बालक के लिए गौदुग्ध सर्वोत्तम माना जाता है, इस दुग्ध के सेवन से बालक शांत प्रकृति का मनुष्य बनता है अतः गौ को माता का स्थान दिया जाता है।
प्राचीन काल में दुर्भिक्ष या अकाल पडना सामान्य सी बात थी, यदि किसी घर मे गौमाता होती तो वहाँ बालक जीवित रहते थे क्योंकि गौदुग्ध से उन्हें पोषित किया जाता था।
प्रत्येक भारतीय कभी न कभी किसी न किसी रूप में भोज्य पदार्थ और पोषण के लिए गौदुग्ध पर निर्भर रहा हैं अतः गौदुग्ध बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि ये मानव जीवन को पोषण देता हैं।

गौ से प्राप्त होने वाले पदार्थ
गौ से पंच गव्य की प्राप्ति होती है इनके गोबर से उपले बना कर ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं गोबर को मिट्टी के साथ मिला कर ग्राम के घरों की धरती पर लीप दिया जाता ताज गौमूत्र रोगाणुनाशक माना जाता है इसे अनेको औषधियों में उपयोग किया जाता है।
हवन के लिये धरती को शुद्ध करने के लिए गौबर और गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है।
गौ दुग्ध उससे बना दधि और उससे प्राप्त नवनीत और उससे निकला गौघृत अत्यधिकः शुद्ध माना जाता है इस से हवन में आहुति भी दी जाती है, इन पदार्थों को पंचामृत के लिए मुख्यतः प्रयुक्त किया जाता है।

अंततः
गौ के पालन से दुर्बल भी हष्ट पुष्ट और श्रीहीन भी सुश्रीक, सुंदर, शोभायमान हो जाते हैं , गौ को मनुष्य अपना धन मानता था, अतः उसे गौधन भी कहा जाता था।
गौमाता शांति और धैर्य की मूर्ति मानी जाती हैं, वो तभी किसी पर सींग से आक्रमण करती है जब उनका बछड़ा कष्ट में आया समझेंगी या उन्हें अकारण कष्ट पहुँचाया जाए।
गौ में मनुष्य के भाव या कठिनाई को ज्ञात करने की क्षमता होती है वो उसके पालक के कष्ट में होने पर अश्रु भी बहाने लगती है।
गौ कभी भी बालको को कष्ट नही पहुँचाती है उसके सींग से कभी भी नवजात को कोई हानि नही होतीहै।
प्राचीन धर्मग्रन्थों में लिखा है कि जिस दिन गौ संसार से समाप्त हो जाएंगी उसी दिन सृष्टि का अंत हो जाएगा..आजकल गौ माता सरलता से नही मिलती तो क्या हमने सृष्टि के अंत की ओर अग्रसर है…


क्या देसी गाय के दूध और जर्सी गाय के दूध के बीच पौष्टिकता में कोई अंतर है?


भारतीय संस्कृति में गाय का बेहद उच्च स्थान है,इसे माता और कामधेनु कहा गया है, इसका दुग्ध बालको के लिए बहुत पौष्टिक , लाभदायक और बुद्धि के विकास में महत्वपूर्ण भी।
माता - अर्थात जीवन देने वाली और प्राणों की रक्षा करने वाली, जन्मदात्री माता के पश्चात बालक/ मनुष्य जिसका दूध पीकर जीवन का रक्षण करता है वह गाय होती है। देशी गाय के दूध में औषधीय गुण स्वतः होते हैं।

भारतीय गाय में क्या गुण होते हैं जो उसके दुग्ध का इतना महत्व होता है??

गाय करीब 3 से 4 लीटर दूध देती हैं, इन गायों को प्रजनन करने में 30 से 36 महीने लगते हैं, गाय सम्पूर्ण जीवनकाल में 10 से 12 बछड़ों को जन्म दे सकती है।
ये दुग्ध ए2 प्रकार का होता है।
इन के दूध में वसा, प्रोटीन और ( 148) कैलोरी की मात्रा अल्प होती है. जिस कारण से यह सुपाच्य है।
गाय के दूध में स्वर्ण तत्व होता है जो शरीर के लिए काफी शक्तिदायक और आसानी से पचने वाला होता है।
गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होती है जो ऊपर की ओर उठी और शिवलिंग के आकार जैसी होती है
इस कूबड़ में एक सूर्यकेतु नाड़ी होती है, यह सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती है, जिससे गाय के शरीर में स्वर्ण उत्पन्न होता रहता है।
भारतीय गायों के शरीर में एक सूर्य ग्रंथि पाई जाती है अतः यह उसके दुग्ध को बेहद गुणकारी और अमूल्य औषधी के रूप में बदल देती है
गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए होता है, यह शरीर को सुदृढ़ करता है, आंतों की रक्षा करता है और मस्तिष्क भी तीव्र करता है।
अपने भार को नियंत्रित करने के लिए गाय का दुग्ध एक उत्तम विकल्प हैं।
जिन शिशुओं को जन्म के बाद से 15 दिन तक उनकी मां गाय का दूध पिलाती हैं उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।

जर्सी गाय कैसे अस्तित्व में आई???

एक यूरोप का उरूस नामक जंगली पशु था, जिसका कि यूरोपीय आखेट किया करते थे, चूंकि जंगली पशु होने के नाते शिकार करना कठिन होता था, इसलिए कई पशुओ के साथ इसका प्रजनन करवाया गया, अंत में देसी गाय के साथ प्रजनन के बाद जर्सी प्रजाति का विकास हुआ।

जर्सी गाय के मुख्य गुण

दो प्रमुख विदेशी नस्लें हैं, जर्सी और होल्स्टीन ये अधिक मात्रा में दुग्ध देती हैं।
जर्सी गाय लगभग 12 से 14 लीटर दूध देती हैं, प्रजनन में जर्सी गायों को 18 से 24 माह लगते है, ये अधिक बछड़ों को जन्म नहीं दे पाती है, अतः दूध की मात्रा ज्यादा होती है।
इनके दुग्ध ए1 प्रकार का होता है।
इसमें कैसोमोर्फीन नामक एक रसायन पाया जाता है, जो एक धीमा विष है
विश्व मे,जन्मोपरान्त बालको में जो ऑटिज़्म, बोध अक्षमता और टाइप1 मधुमेह जैसे रोग बढ रहे हैं , उन का स्पष्ट कारण ए1 दूध का बीसीएम7 पाया गया है.
समस्त शरीर के स्वजन्य रोग जैसे उच्च रक्त चाप , हृदय रोग तथा मधुमेह का प्रत्यक्ष सम्बंध बीसीएम 7 वाले ए1 दूध से स्थापित हो चुका है।
साथ ही वृद्धवस्था के मानसिक रोग भी बालपन में ए1 दूध का प्रभाव के रूप में भी देखे जा रहे हैं.

दुग्ध में पाए जाने वाले लाभदायक या हानिकारक प्रोटीन
दुग्ध में दो प्रकार का प्रोटीन होता है एक वेह प्रोटीन (whey protein) और दूसरा केसिन प्रोटीन (casein protein)। केसीन प्रोटीन भी दो रूपों में मिलता है अल्फा केसीन और बीटा केसीन।
आधुनिक युग मे 15 भिन्न भिन्न बीटा केसीन के विषय मे ज्ञात है, सर्वाधिक महत्वपूर्ण ए1 और ए2 हैं, बीटा केसीन A1 जिसे दोषपूर्ण प्रोटीन माना जाता है उसमें और A2 प्रोटीन में सिर्फ 1 अमीनो एसिड का फर्क है।
ए1 में 67वीं स्थान पर हिस्टीडीन नाम का अमीनो एसिड होता है, जबकि ए2 प्रोटीन में उसी स्थान पर प्रोलीन होता है,
ए1 बीटा केसिन पेट में पचकर एक नया प्रोटीन बना लेता जिसे बीटा केज़ोमोर्फिन कहते हैं, यही प्रोटीन A1 दूध से जुड़ी हुई बीमारियों का एक मुख्य कारक माना जाता है।

अंततः
अमृत और दूध में कोई तुलना करूँ ऐसी मेरी तुच्छ बुद्धि के द्वारा कठिन होगा, परन्तु उत्तर देना आवश्यक है जिस से सभी देशी गाय के दुग्ध की महत्ता से अवगत हो जाएं।
धन्यवाद

अगर जिंदगी में बहुत कष्ट हों तो करें ये उपाय । pandit sri pradeep m...

जीभ से किसी की चमड़ी को उसकी हड्डियों से अलग कर दे -बाघ

बाघ के बारे में रोमांचक तथ्य

मिलिए उस जानवर से, जिसकी जीभ इतनी सख्त और खुरदरी होती है, कि वह किसी की चमड़ी को उसकी हड्डियों तक अलग कर दे।

बाघ

बाघ की जीभ सैकड़ों छोटे, किन्तु नुकीले व पीछे-की-ओर मुड़े हुए उभारों से भरी होती है, जिन्हें पॉपीलय कहते हैं। यह पॉपीलय उनकी जीभ को उसका खुरदरी, रेतीली संरचना देते हैं और यह उनके शिकार के शरीर से पंख, फ़र और माँस को अलग करने में उनकी मदद करते हैं। यह जीभ एक दीवार से पेंट को अलग कर पाने में सक्षम होती है।

एक बाघ की भयभीत कर देने वाली गर्जना में, उसे सुनने वाले जानवर को "लकवा मार देने" की क्षमता है और इसमें वह इंसान भी शामिल हैं, जो उन्हें प्रशिक्षित करते हैं। उनकी इस विशिष्ट गर्जना का कारण उनकी मोटी और सुगठित वोकल-कॉर्डस हैं।

बाघों के शरीर पर फ़र होती है और डिज़ाइन के रूप में धारियां होती हैं। यह धारियां उनकी चमड़ी में गहराई तक होती हैं क्योंकि आप इन धारियों को उनकी फ़र को शेव करने के बाद भी देख सकते हैं।

किन्हीं भी दो बाघों के शरीर पर एक जैसी धारियां नहीं होतीं। बिलकुल इंसानों की उँगलियों के निशानों की तरह ही, उनके शरीर की धारियां प्रत्येक जीव में अलग तरह की होती हैं।


वे अद्भुत और खूबसूरत जीव हैं।

सोमवार, 9 अगस्त 2021

कहानी धारा 370 और 35 A के हटने की (Behind the scenes)

 कहानी धारा 370 और 35 A के हटने की (Behind the scenes)



4 अगस्त 2019 का दिन था, पार्लियामेंट्री काम्प्लेक्स में जबरदस्त हलचल थी, गृह मंत्री ने एक Confidential और High-level की मीटिंग बुलाई थी, जिसमे NSA अजीत डोभाल, होम सेक्रेट्री, RAW और IB के चीफ को बुलाया गया था.


मीटिंग की शुरुआत हुई थी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के 2 अगस्त 2019 को दिए गए एक statement से, जिसमे उन्होंने कहा था कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं.......इस statement के कई strategic और Diplomatic मायने थे....क्योंकि एकाएक अमेरिका का कश्मीर मुद्दे पर बोलना शाह और डोभाल को नही पच रहा था।


IB और RAW चीफ से कुछ जरूरी बातें की गई, और फिर मीटिंग खत्म हो गयी।


मीडिया में और सोशल मीडिया में पिछले 3-4 दिनों से हल्ला मचा हुआ था, कि 'कश्मीर में कुछ बड़ा होने वाला है'


अगले दिन, 5 अगस्त 2019 को सुबह 9:30 बजे CCS (कैबिनेट कमिटी of सिक्योरिटी) की बैठक प्रधानमंत्री निवास पर हुई......उसके बाद करीब 10:30 बजे गृह मंत्री वहां से संसद के लिए निकले.......मीडिया और विपक्ष को लग रहा था कि लोकसभा में कुछ होगा, लेकिन अमित शाह Brown कलर की जैकेट पहने राज्य सभा में प्रविष्ट हुए.....किसी को पता नही था कि आज क्या होने वाला है.


और फिर लगभग 11 बजे अमित शाह खड़े हुए, और उन्होंने पहले तो धारा 370 और 35 A के विवादित हिस्सो को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया, और उसके बाद उन्होंने जम्मू और कश्मीर राज्य को 2 नए केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का प्रस्ताव भी पेश कर दिया।


विपक्ष, मीडिया और यहां तक कि सरकार के समर्थकों को समझ नही आया कि ये हुआ क्या। विपक्ष ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया, वहीं कुछ experts ने इस कदम को Knee Jerk रिएक्शन या बिना तैयारी के लिया गया कदम बताया.......लेकिन 5 अगस्त 2019 को जो हुआ, उसकी तैयारी पिछले कई सालों से चल रही थी.......आज हम इसकी तैयारी की बात करेंगे, क्या हुआ, कैसे हुआ, किसने किया.....सब जानेंगे।



जम्मू कश्मीर आजादी के बाद से ही हमारे लिए परेशानी का कारण रहा है, युद्ध भी कश्मीर के कारण ही हुए, उसके बाद आतंकवाद का कारण भी यही क्षेत्र ही रहा है। जम्मू कश्मीर में 2 ही परिवारों का राज चला है, मुफ़्ती और अब्दुल्लाह..... इनके अलावा कांग्रेस ने भी सत्ता हासिल की, लेकिन उनका प्रभाव बहुत ज्यादा नही रहा। इन सभी पार्टियों ने एक अनकहा सा सिस्टम बना रखा था, कि कोई बाहर की पार्टी राज्य में फलफूल नही सकती थी, हर बार सत्ता में यही लोग जोड़ तोड़ करके आ जाते थे। कश्मीर घाटी के पास ज्यादा सीट होती हैं, इसलिए जो कश्मीर जीत जाता था, शासन उसी का चलता था।


लेकिन ये सब बदलने वाला था, और बदलाव शुरू हुआ 1 मार्च 2015 को....जब चुनावो के बाद बीजेपी और पीडीपी एक साथ आये और सरकार बनाई गयी.....धारा 370 हटाने की बुनियाद जोरावर सिंह स्टेडियम में उस दिन पड़ी, जब महेबुबा मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और वहीं साथ मे प्रधानमंत्री मोदी भी बैठे थे।


दोनों आपस मे गले लगे, और इसी के साथ बीजेपी का विरोध भी शुरू हो गया, खासकर उन्ही के समर्थकों द्वारा। जाहिर भी था कि पीडीपी एक ऐसी पार्टी है जिसको पाकिस्तान को ले कर थोड़ा सॉफ्ट stand रहा है, आतंकवाद फैलाने वाले लोगो को support करना भी इन्ही लोगो का काम था।


लेकिन कुछ तो बदलाव अब आने लगा था, जम्मू कश्मीर में बीजेपी की एंट्री के साथ ही कुछ काम ऐसे हुए, जिसकी वजह से 5 अगस्त 2019 वाला बड़ा काम हुआ।


सबसे पहला काम हुआ था 2016-2017 के बीच NIA की कश्मीर घाटी में धुंआधार एंट्री। NIA ने कश्मीरी अलगाववादियों और आतंकी समर्थकों, Over Ground workers की फंडिंग के स्रोतों पर प्रहार किया, और साथ ही दशकों से कश्मीर में चल रहे हवाला पर चोट करनी शुरू की।


सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेज को खुली छूट दे दी गयी थी, आतंकियों के खिलाफ एक्शन लेने की....अगर आप डेटा देखेंगे तो पाएंगे कि सेना ने काफी encounters किये और नित नए तरीकों से आतंकियों को मारना शुरू किया।


राम माधव के नेतृत्व में आरएसएस ने भी कश्मीर में जगह बनाना शुरू कर दिया था, धीरे धीरे ही सही, लेकिन उनका connect आम जनता से होने लगा था। आरएसएस ने पंचायत के स्तर पर काम किया, जिसका फायदा आगे आने वाले पंचायत चुनावों में दिखा।


इन सब घटनाओं से पीडीपी और बीजेपी के बीच दरार आने लगी, इसी बीच कांग्रेस और NCP ने भी पीडीपी के साथ सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी। अब अगर ऐसी कोई सरकार बन जाती, तो बीजेपी फिर से system से बाहर हो जाती, और धारा 370 हटाने का ख्वाब कभी पूरा नही होता।


असल खेल 20 जून 2018 को हुआ, जब गवर्नर वोहरा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर दी। विपक्षी पार्टियां अवाक थी, हैरान थी।


उसके बाद कुछ Key Positions पर appointments किये गए, BVR सुब्रमनियम को Chief सेक्रेटरी बना दिया गया....नक्सल एक्सपर्ट विजय कुमार और जम्मू कश्मीर के पूर्व चीफ सेक्रेट्री BB व्यास को राज्यपाल का सलाहकार बना दिया गया। इसके बाद सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर का नया राज्यपाल बना दिया गया। ये सारी appointments ऐसे ही हवाबाजी में नही हुई थी।


इसी दौरान रमजान पर ceasefire नही लगाया गया और जम कर आतंकियों का सफाया किया गया। हजारो की संख्या में पैरामिलिट्री फोर्सेज कश्मीर घाटी में भेजी गई, यहां तक कि NSG को भी सिक्योरिटी Grid का हिस्सा बना कर भेजा गया, ट्रेनिंग के नाम पर।


अक्टूबर 2018 में ही J&K बैंक पर एक्शन शुरू हुआ, जहां भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी के काफी सबूत भी मिले। महबूबा मुफ्ती को भी नोटिस थमाया गया।


तैयारी चल रही थी, और विपक्ष को भी इसकी भनक थी कि कश्मीर पर कुछ बड़ा कदम 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उठाया जा सकता है। इसकी बाकायदा तैयारी भी शुरू हो गयी थी, और सरकार के कुछ मंत्री और उच्च अधिकारियों को एक ड्राफ्ट बनाने का काम दिया गया था, ये ड्राफ्ट धारा 370 और 35 A हटाने के लिए ही था।


लेकिन उससे ठीक पहले 14 फरवरी को पुलवामा हमला हुआ, और पूरा dynamics ही बदल गया कश्मीर का। हमारे जवानों की हत्या हुई थी, और सरकार पर दबाव था इसका बदला लेने की। इसके बदले में बालाकोट पर हमला किया गया, और 1971 के बाद पहली बार हमारी एयरफोर्स ने LOC और इंटरनेशनल बॉर्डर पार किया।


बालाकोट के बाद बदली हुई स्थिति में सरकार ने इस ड्राफ्ट को वहीं रोकने का मन बनाया और चुनावो में बेहतर सीट्स जीतने के बाद इस मुद्दे पर कोई एक्शन लेने का सोचा।


2019 में बेहतर जनादेश के साथ फिर से मोदी प्रधानमंत्री बने, और इस बार अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया था, जैसे किसी खास मिशन को अंजाम देना हो।


जून महीने में ही 5 teams का निर्माण किया गया, पुराने ड्राफ्ट पर फिर से काम शुरू हुआ.....आपको जानना चाहिए कि इस खास टीम में आख़िर थे कौन लोग


पहली टीम थी प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की, इसमे प्रधानमंत्री कैप्टेन थे, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह इस टीम के खास मेंबर थे। इस टीम में जो भी निर्णय होते थे, उसके बारे में बस इन तीनो को ही पता होता था।


दूसरी Political टीम बनाई गई, इसमे 6 अन्य नेता, जिनमे पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, प्रह्लाद जोशी, जितेंद्र कुमार और हेमंत बिश्वा सरमा थे, जिनका काम था विपक्ष को साधना और ऐसी किसी स्थिति में राज्यसभा में बहुमत का जुगाड़ करना, क्योंकि अभी भी राज्यसभा में बीजेपी या NDA के पास simple मेजोरिटी नही थी। इन नेताओं को 5 अगस्त की सुबह 10:30 बजे ही पता लगा कि आज ही ये कानून राज्यसभा में लाया जाएगा......such was the secrecy 😊😊


तीसरी थी एक Executive टीम, जिसका काम था कानून में बदलाव करने का और On-ground repurcusions को साधने का....इस टीम के मेंबर्स थे NSA डोभाल, RAW चीफ समंत गोयल, IB डारेक्टर अरविंद कुमार, होम सेक्रेट्री राजीव गौबा, ज्ञानेश कुमार (एडिशनल सेक्रेट्री-जम्मू और कश्मीर प्रभार).....इन सभी अफसरों का काम था law and order व्यवस्था को संभालना, पाकिस्तान या चीन की तरफ से होने वाले किसी कदम को रोकना, आतंकवादी घटनाओं पर लगाम लगाना, Logistics support देना, और जम्मू कश्मीर की हर जरूरत को पूरा करना।


चौथी थी Legal टीम, इसमे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल, Law and Justice सेक्रेट्री आलोक श्रीवास्तव, और एडिशनल सेक्रेटरी (law) RS Verma थे। इनके अलावा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस टीम के कानूनी सलाहकार थे, इस टीम का काम था, कानूनी रूप से मजबूत ड्राफ्ट बनाना, ताकि उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी हटाया ना जा सके। इस टीम ने जून और जुलाई के दौरान अनगिनत मीटिंग की होंगी, घंटो घंटो एक एक लाइन, एक एक शब्द पर मंथन किया, और final draft बना कर तैयार किया। इस टीम का काम मुख्यतः 370 और 35 A हटाने के बाद होने वाले कानूनी backlash से लड़ने का था, क्योंकि विपक्ष के पास वकीलों की भीड़ थी, साथ ही Judiciary में भी कुछ लोग थे जो ऐसे किसी भी मामले में तुरंत दखल दे सकते थे।


पांचवी और आखिरी टीम थी विदेश मंत्रालय की, जिसमे विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन थे। इनका काम था दुनिया को इस बदलाव के बारे में बताना, भारत का पक्ष रखना, और किसी भी तरह के डिप्लोमेटिक Assault को ध्वस्त करना।


मई में सरकार बनने के बाद, NSA डोभाल ने कश्मीर घाटी के कई चक्कर लगा लिए थे, और तमाम तरह के inputs उनके पास थे। सरकार ने प्लान किया था कि इस कानून को अगले सत्र में लाया जाएगा, लेकिन उसी बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के कुछ बयान आ चुके थे, जिस वजह से सरकार को लग रहा था कि कहीं जल्दी ना करना पड़े। इसी वजह से 25 जुलाई को मानसून सेशन को 7 अगस्त तक बढ़ाने का आदेश भी दे दिया गया.....लेकिन अभी तक ये निश्चित नही था कि हम ये करने ही वाले हैं।


2 अगस्त के दिन बड़ा महत्वपूर्ण था, क्योंकि ट्रम्प ने अप्रत्याशित रूप से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात की, ये बात भारतीय सरकार और इंटेलिजेंस एजेंसीयों के गले नही उतर रही थी। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की एक कॉल होती है, और Go-Ahead मिल जाता है।


पांचों टीम सक्रिय हो चुकी थी, अमित शाह का War Room बनाया गया था पार्लियामेंट आफिस में, जहां से वे PMO और सॉलिसिटर जनरल के साथ 24*7 Open लाइन पर थे। 


जम्मू कश्मीर की तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) शालीन काबरा से गृह मंत्रालय की बात हुई और तुरंत अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी गयी, सभी यात्रियों को तुरंत वापस लौटने को कहा गया। सिविल सर्विस और सेना को यात्रियों की मदद को कहा गया।


LOC और इंटरनेशनल बॉर्डर पर सेना और अन्य अर्धसैनिक बलों को High अलर्ट पर रहने को कहा गया, कई टुकड़ियां कश्मीर घाटी के sensitive इलाको में पोजीशन ले चुकी थी। इसके साथ ही LOC पर बड़े हथियारों की positioning भी की जा रही थी, उत्तर भारत के सभी एयरफोर्स स्टेशन्स high अलर्ट पर थे, वहीं नेवी के कई युद्ध पोत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में पोज़िशन्स ले चुके थे। एक तरह से युद्ध के लिए सेना तैयार थी।


2 अगस्त को गृह मंत्रालय और PMO सुबह 3 बजे तक काम करते रहे। यही प्रक्रिया 3 और 4 अगस्त को भी दोहराई गयी। और शुक्रवार को ये संदेश काफी महत्वपूर्ण लोगो को दिया जा चुका था कि 5th August is the Day.


बीजेपी लीडरशिप को कहा गया कि 3 और 4 अगस्त को सभी MP की ट्रेनिंग कराई जाए, कि ऐसे किसी बदलाव के बाद संसद में, मीडिया के सामने और सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर क्या बोलना है, कैसे पक्ष रखना है, और ये ट्रेनिंग हुई भी, जिसमे कुछ महत्वपूर्ण MP ने भाग भी लिया।


शुक्रवार के अमरनाथ यात्रा को रोकने के आदेश के बाद सोशल मीडिया में माहौल गर्म हो चुका था। सभी को अंदेशा हो चुका था कि कुछ तो होने वाला है, अलग अलग तरह की theories और मास्टरस्ट्रोक वाली कहानियां सामने आ रही थी।


संडे 4 अगस्त की रात को सारी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया, और फ़ोन पर प्रधानमंत्री, अमित शाह और अजित डोभाल की बात हुई, और अगले दिन सुबह CCS की मीटिंग के बाद इस बिल को राज्य सभा मे पेश करने पर सहमति बनी.....क्योंकि Team No. 2 ने बता दिया था कि Opposition को मैनेज कर लिया गया है....अब बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, लोकसभा में तो पूर्ण बहुमत है ही।


4 अगस्त की रात विदेश मंत्रालय के लिए भी कठिन थी, पूरी रात communication draft पर काम हुआ, दुनिया के हर देश की सरकार से संपर्क की तैयारी कर ली गयी थी। कुछ बड़े देशो की सरकारों को इत्तिला दे दी गयी थी, कि हम एक खास एक्शन लेने वाले हैं, और समर्थन का आश्वासन भी ले लिया गया था।


CCS की मीटिंग के बाद अमित शाह राज्यसभा पहुँचे, और 11 बजे के आस पास उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दे कर इन प्रावधानों को हमेशा के लिए बदल दिया, और इस 70 साल पुरानी बीमारी को खत्म कर दिया।


जैसे ही अमित शाह ने इस मुद्दे पर भाषण देना शुरू किया, विदेश मंत्रालय हरकत में आया, और सभी देशों को Communication भेजे जाने लगे। बड़े देशो को बाकायदा कॉल्स करके सूचित किया गया, इस कानून के हर पहलू पर जानकारी दी गयी, ताकि किसी भी तरह के डिप्लोमेटिक Backlash से खत्म किया जाए।


वहीं टीम 3 को आदेश दिए गए, जम्मू कश्मीर में इंटरनेट पर रोक लगाई गई, धारा 144 लागू की गई, अजित डोभाल कुछ दिनों के लिए कश्मीर घाटी में ही रहे। सर्दियों की तैयारी कर ली गयी, logistics, rationing आदि के लिए तैयारी शुरू कर दी गयी थी। वहीं पोलिटिकल लीडर्स को गिरफ्तार किया जाने लगा, जिन लोगो से दंगे फसाद का खतरा था, उन्हें गिरफ्तार कर के हरियाणा और उत्तर प्रदेश की जेल में डाल दिया गया....इसी वजह से 5 अगस्त के बाद कश्मीर घाटी में कोई हो हल्ला नही मचा।


वहीं Team 5 के प्रयास भी रंग लाये, क्योंकि सभी बड़े देशो, UN के 5 परमानेंट मेंबर्स, NATO देश, यूरोपियन यूनियन के देश, OIC और अन्य इस्लामिक देशो ने भी इस मामले पर भारत या तो समर्थन किया, या फिर चुप रहे।


टीम 4 की कानूनी तैयारी इतनी पुख्ता थी, कि इस कानून के खिलाफ कोई कुछ नही कर पाया, ज्यूडिशरी तक इस कानून में कोई कमी नही ढूंढ पाई।


टीम 2, जिसका काम था पोलिटिकल सपोर्ट लेने का, उसने बेहतरीन काम किया, और कुछ पार्टियों को छोड़ कर लगभग हर पार्टी ने इन बिल के समर्थन में वोट किया। यहां तक कि आम आदमी पार्टी तक की हिम्मत नही हुई इनका विरोध करने की 😊


तो ये तैयारी थी धारा 370 और 35 A को हटाने की, ये कोई knee jerk reaction नही था, जो रातों रात लिया गया, इसके पीछे बहुत बड़ी प्लानिंग थी, जिसे मूर्त रूप लेने में 3-4 साल लगे, इस बीच मे प्रधानमंत्री पर भी सवाल उठाए गए, पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर भी सवाल उठे, लेकिन उन्हें पहले दिन से पता था कि इस समस्या को कैसे खत्म करना है, और उन्होंने वही किया भी।


अब इसे कूटनीति कहो, मास्टरस्ट्रोक कहो या कुछ और कहो, लेकिन एक बात तो तय है, कि इतने precision से प्लानिंग करने और उसको execute करना सिर्फ मोदी के बस की बात थी.....वरना पिछले 70 सालों में किसी की हिम्मत क्यों नही हुई ये करने की??? वाजिब सवाल है।


इस पोस्ट में लिखी बातें कोई कपोल कल्पना नही है, 2015 से 2019 के बीच की हजारो खबरो का निचोड़ है, आप भी रिसर्च कर के ये सभी जानकारियां ले सकते हैं।

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नमस्कार दोस्तों अगर आप भी बार-बार बैंक के चक्कर काट रहे हैं |और आपका कोई काम नहीं बन रहा है बैंक के कर्मचारी आपकी बात नहीं सुनते हैं| और आपको बार-बार डाल देते हैं तो इस पर आप ऑनलाइन कंप्लेंट डाल सकते हैं| क्योंकि बैंक के कर्मचारियों द्वारा सभी ग्राहकों को सभी प्रकार की सेवाएं देने का प्रावधान है|

लेकिन अगर बैंक कर्मचारी अपनी सर्विस से देने से मना करते हैं| या भारतीय रिजर्व बैंक के नियम और शर्तों को नहीं मानते हैं |और उनके द्वारा बनाई गई शर्तों के अनुसार कार्य नहीं करते हैं| जिससे ग्राहक को परेशानी होती है |

तो ग्राहक बैंकिंग लोकपाल के तहत अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है आइए जान लेते हैं आप अपनी शिकायत किस तरीके से करेंगे और किन किन कारणों पर आप बैंकिंग लोकपाल की शरण ले सकते हैं और आप को ऑनलाइन शिकायत कैसे करनी है

बैंकिंग लोकपाल मैं शिकायत कैसे करें

आप निम्नलिखित प्रकार से बैंक में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं !! 

जब भी आपको बैंक की तरफ से कोई भी समस्या होती है या बैंक के कर्मचारी आपकी नहीं सुनते हैं तो आप पहले स्तर पर बैंक में ही अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं इसमें बैंक के पास आपको शिकायत पत्र देना है जिसमें आपकी सारी शिकायतें लिखी होनी चाहिए अगर आपका यहां से कोई भी समाधान नहीं होता है तो आप नीचे दिया गया दूसरा तरीका अपना सकते हैं
All Bank customer care online complaint

अगर आपका पहले बताए गए तरीके से बैंक की समस्या का निराकरण नहीं होता है तो आप उस बैंक के कस्टमर केयर को संपर्क करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और साथ में आपको उनसे कंप्लेंट नंबर भी ले लेना है और यह कंप्लेंट नंबर आप भविष्य में हमेशा संभाल कर रखें जिससे कि आपको बार-बार बैंक को अपनी समस्या नहीं बतानी होंगी अगर आप का समाधान इन दोनों तरीकों से नहीं होता है तो आप बैंकिंग लोकपाल की शरण ले सकते हैं
banking ombudsman online complaint

बैंक लोकपाल भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा सभी Bank के ग्राहकों को समस्या का समाधान करने के लिए बनाया गया है| जिसमें अगर किसी बैंक के ग्राहक को बैंक की तरफ से कोई भी समस्या होती है| तो वह यहां पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है|

जिसका समाधान उसको 30 से 45 दिन के अंदर कर दिया जाएगा चलिए नीचे जान लेते हैं आप किन-किन कारणों को लेकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं

यह सभी समस्याओं पर शिकायत कर सकते हैं:-
अगर आपको चेक ड्राफ्ट बिल आदि के भुगतान में देरी हो रही है तो आप बैंकिंग लोकपाल की शरण ले सकते हैं
अगर बैंक रिजर्व बैंक की ब्याज दरों के निर्देशों का पालन नहीं करती है तो आप बैंकिंग लोकपाल शरण ले सकते हैं
अगर बैंक रिज़र्व बैंक / सरकार द्वारा आवश्यक करों के भुगतान को स्वीकार करने में स्वीकार करने या देरी से इनकार करता है तू अब बैंकिंग लोकपाल कि सरन ले सकते हैं
अगर आपके बैंक खाते में से आपको बिना सूचना दिए पैसे निकाल लिए जाते हैं तो भी आप बैंकिंग लोकपाल की शरण ले सकते हैं
अगर आपको बिना नोटिस दिए बिना बताए आपका बैंक खाता बंद कर दिया है तो भी आप बैंकिंग लोकपाल की शरण ले सकते हैं
अगर आप लोन लेने के योग्य हैं और आपको बैंक लोन देने से मना कर रहा है और रिशपत की मांग कर रहा है तो भी आप बैंकिंग लोकपाल की शरण दे सकते हैं
एटीएम / डेबिट कार्ड संचालन या क्रेडिट कार्ड संचालन पर रिज़र्व बैंक के निर्देशों के लिए बैंक या सहायक कंपनियां इसका पालन नहीं करती हैं तो भी आप बैंकिंग लोकपाल जा सकते हैं
बैंकिंग लोकपाल उन मामलों को भी निपटाता है जो कि रिजर्व बैंक समय-समय पर नियम को लागू करती रहती है
Banking Lokpal online complaint process

Banking Lokpal online complaint दर्ज करने के लिए नीचे बताई गई प्रक्रिया को अपनाएं और बैंकिंग लोकपाल कंप्लेंट प्रक्रिया पूरी करें
बैंकिंग लोकपाल के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए आपको नीचे दी गई वेबसाइट को ओपन करना होगा |


सफलतापूर्वक वेबसाइट खुल जाने के बाद आपके सामने ऊपर दिखाया गया पेज आएगा |
आपको यहां पर File a Complaint पर क्लिक करना होगा
यहां क्लिक करने के बाद आपके सामने एक और नया पेज खुल जाएगा|
सबसे पहले आपको यहां पर शिकायत का प्रकार चुनना होगा इसके बाद आपको अपनी सभी समस्या का विवरण यहां पर देना होगा|
इसके बाद आपको पूरा फॉर्म स्टेप बाय स्टेप भरना होगा और अपनी शिकायत दर्ज करनी होगी|
शिकायत दर्ज करते समय आपको फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारी को सही-सही भरना है
इसके बाद 30 से 45 दिन के अंदर आपकी समस्या का निराकरण कर दिया जाएगा | 
इसके बाद आपसे यहां पर पूछा जा रहा है कि अगर आपने बैंक में लिखित रुप से शिकायत दी है तो Yes करें और अगर आप ने शिकायत नहीं दी है तो No के आगे बढ़े

इस फार्म को भरने के बाद आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना है सबमिट पर क्लिक करते ही आपकी शिकायत बैंकिंग लोकपाल के पास चली जाएगी और आपकी समस्या का समाधान कर दिया जाएगा|
Banking Lokpal online complaint status check

बैंकिंग लोकपाल में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के बाद आप banking ombudsman online complaint status check कर सकते हैं कि आपकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की जा रही है शिकायत की स्थिति देखने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएं |
सबसे पहले बैंकिंग लोकपाल की अधिकारिक वेबसाइट पर जाएं|
वेबसाइट खोलने के बाद ट्रेक योर कंप्लेंट के ऊपर क्लिक करें इसके बाद आपके सामने एक और नया पेज खुल जाएगा
यहां पर अपना कंप्लेंट नंबर डालें और कैप्चा कोड भरकर सबमिट करें |
सफलतापूर्वक सबमिट करने के बाद आपके द्वारा की गई शिकायत की स्थिति नजर आएगी |
अब आप यहां पर जान सकते हैं कि बैंकिंग लोकपाल द्वारा आपकी की गई शिकायत पर क्या समाधान किया गया है |
अगर आपको यह समाधान अच्छा नहीं लगता है तो आप दोबारा से अपील कर सकते हैं
All Bank complaint online list ( banking ombudsman )

State Bank Of India – Click Here
Allahabad Bank – Click Here
Allahabad UP Gramin Bank – Click Here
Band Of Baroda – Click Here
Union Bank Of India – Click Here
Canara Bank – Click Here
Punjab National Bank – Click Here
Aryavart Gramin Bank Click Here
Baroda UP Gramin Bank – Click Here
Indian Bank – Click Here
Uttar Bihar Gramin Bank Click Here
HDFC Bank Click Here
Axis Bank Click Here

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