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शनिवार, 18 सितंबर 2021

NFC क्या है और कैसे काम करता है ?

NFC क्या है और कैसे काम करता है ?

NFC क्या है?


NFC Kya Hai (What is NFC in Hindi)

जब हम कही सुनते है जैसे Samsung Pay मे.आज बहुतों लोग ऐसे है जिनके फोन मे NFC होता है पर उन्हे पता नहीं होता की NFC क्या है और NFC का स्तेमाल क्या है ?

वैसे तो Bluetooth का नाम हम सब ने सुना है और शायद आपने इसका उपयोग भी कीया हो पर उसी से मिलता झूलता एक वायरलेस technology है NFC जिसके फायदे अनेक है और इसका भविष्य मे उपयोग भी बड़ने वाले है.

NFC के द्वारा किसी भी दो डिवाइस के बीच सिर्फ एक दूसरे से टच कर के छोटे Data को एक दूसरे डिवाइस मे पाया और भेजा जा सकता है.

NFC के कुछ फायदे है तो नुकसान भी है जिसे हम आगे पड़ेंगे तो जानते है विस्तार से NFC क्या है?
(What is NFC in Hindi)
और कैसे काम करता है.making a payment with a debit card


NFC क्या है? (What is NFC in Hindi)

NFC का पूरा नाम है Near Field Communication इसका उपयोग बहुत ही कम दूरी मे दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकते है वो भी बिना किसी वायर के इसका उपयोग छोटे डेटा का आदान प्रदान करने के लिए कीया जाता है.

NFC मे Electromagnetic Radio Field का इस्तेमाल कीया जाता है किसी भी दो डिवाइस के बीच डेटा का आदान प्रदान करने मे जिसके लिए हमे दोनों NFC डिवाइस को आपस मे पास रखना होता है.

NFC 106kbps से लेके 424kbps तक डेटा सपोर्ट करता है.और अगर बात करे इसकी रेंज की तो यह 4cm से लेकर 6c के दूरी तक दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकता है.

सीधी भाषा मे समझे तो अगर आपका मोबाईल NFC को सपोर्ट करता है तो यही आप अपने डिवाइस के NFC को ऐक्टिव कर देते है तो उस डिवाइस के नजदीक मे Communication field बन जाता है और एसा होने पर आप यदि दूसरे NFC डिवाइस को उसके पास टच करते है तो दोनों ही आपस मे जुड़ जाते है.

Connection जुडते ही आप एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस मे किसी भी तरह का फाइल या डेटा का आदान पप्रदान कर सकते है.

NFC को काम करने के लिए कसी भी तरह की पावर की जरूरत नहीं होती क्यू की किसी भी चालू NFC के पास आटे ही यह  electromagnetic field produced करता है और अपने काम जितना पावर उत्तपन होजता है.

जो की बहुत जी कम होता है.अगर हम बात करे इसकी डेटा transmission frequency की तो यह 13.56 megahertz होती है.

NFC के प्रकार (Types of NFC in Hindi)

NFC क्या है आपने जाना पर एनएफसी  दो प्रकार के होते है.

  1. Active NFC
  2. Passive NFC 
  • Active NFC

Active NFC डिवाइस का स्तेमाल किसी भी स्मार्टफोन और  touch payment जैसे जगह कीया जाता है Active NFC को ऐक्टिव रहने के लिए पावर की जरूरत पड़ती है और यह डेटा को पाने और भजने दोनों मे ही सकछम रहता है.

  • Passive NFC 

वही अगर हम बात करे Passive NFC की तो यह किसी भी NFC डिवाइस को डेटा भेज सकता है इसे काम करने के लिए किसी भी तरह का कोई पॉवर की जरूरत नहीं होती है इसका एक बेहतरीन उदाहरण है NFC tag.

crop man using card to enter city subway gate

NFC tag क्या है ?

भले ही आप नअ जानते हो की NFC tag क्या है पर अपने जीवन मे आपने इसका स्तेमाल कभी ना कभी जरूर कीया होगा यह तो भविष्य मे करेंगे.


NFC tag एक छोटा सा माइक्रोचिप होता है जिसमे किसी छोटे डेटा या इनफार्मेशन स्टोर कीया जाता है.ताकि आप जब भी उस टैग को किसी भी NFC डिवाइस के पास रखे तो वो कमांड रिसीव करले.

उदाहरण से जाने जैसे मेट्रो टोकन क्या है हम सभी जानते है जी हाँ मेट्रो टोकन Passive NFC डिवाइस होता जिसे Active NFC डिवाइस यानि मेट्रो स्टेशन मे दाखिल होने के लिए मेट्रो टोकन टच करते ही गेट खुल जात है.

क्यू की उस मेट्रो टोकन मे आप की स्टेशन से यत्रा कर रहे है और कहा जक जाएंगे यह डेटा स्टोर रहता है और Active NFC डिवाइस उसे पड़ लेता है.

NFC Modes क्या है

NFC क्या है ?
आपने जाना अब NFC Modes के बारे मे जानते है

NFC Modes को तीन पार्ट मे बात जाता है जिनके नाम है


  1. Peer-to-peer
  2. Reader/writer
  3. Card emulation 
  • Peer-to-peer

Peer-to-peer मोड मे डेटा को ट्रांसफर होने के लिए दोनों ही NFC डिवाइस का ऐक्टिव होना जरूरी होता है इसका स्तेमाल आपको स्मार्टफोन मे देखने को मिलता है जब भी हम किसी डेटा को ट्रांसफर करते है दोनों डिवाइस के NFC को ऐक्टिव करना होता है.

  • Reader/writer

Reader/writer मोड की बात करे तो इसका सबसे अच्छा उदाहरण है NFC टैग यह one-way होता है जिसके से इसमे स्टोर डेटा पड़ा या लिखा जा सकता है.

  • Card emulation 

Card emulation मोड मे हम NFC को किसी कार्ड के रूप मे स्तेमाल कर सकते है
जैसे क्रेडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड.

NFC कैसे काम करता है

NFC क्या है यही आप जान गए तो आगे जानते है यह काम कैसे करता है जैसा की आपने ऊपर जाना NFC को दो भागों मे बात गया है पहला Active NFC डिवाइस और दूसरा Passive NFC डिवाइस जैसा की आप जान चुके है Active NFC डिवाइस को पावर की जरूरत होती है

इसे ऐक्टिव करते ही यह आपने आस पास electromagnetic field produced करता और Passive NFC इसके संपर्क मे आटे ही ऐक्टिव हो जाता है और Passive NFC मे स्टोर डेटा को Active NFC पड़ पाता है.इसलिए NFC को Near Field Communication कहा जाता है.


Android फोन से NFC टैग मे डेटा कैसे स्टोर करे

यही आप भी चाहते है की आपने कामों को आसान बनाने के लिए NFC tag का स्तेमाल करना चाहते है यह बेहद ही आसान है इसके लिए आपका डिवाइस NFC से लैस होना छिए और आपके पास NFC Tag होना चाहिए.

अपने Android  फोन से NFC टैग मे डेटा स्टोर करने के लिए सबसे पहले अपने प्ले स्टोर मे जाए और एक application डाउनलोड जिसका नाम है NFC task.

इसे खोलते ही आपको इसमे पहला ऑप्शन दिखेगा जिसमे आपको NFC tool डाउनलोड करने को कहा जाएगा आपको यह कर लेना है.

आप अपने NFC टैग मे इसी टूल की मदद से डेटा राइट कर सकते है. इसे राइट करने के बाद डेटा को पड़ा जाता है और NFC task की मदद से टास्क परफॉर्म होता है.

यहाँ आपको कई ऑप्शन देखने को मिलेगा आप अपने काम के हिसाब से डेटा राइट कर सकते है.

यदि आप अपने टैग मे स्टोर डेटा को मिटाना चाहते है तो आपको इसमे मिटाने का भी ऑप्शन मिल जाता जिसे मिटाकर नया डेटा स्टोर कीया जाता है.

NOTE – NFC tag मे स्टोर डेटा किसी और डिवाइस से भी मिटाया जा सकता है यानि कोई भी अगर आप इसे हमेशा के लिए स्टोर रखना चाहते है तो आपको NFC टूल मे Lock Tag का विकल्प मिलता है उसे लॉक कर देना और हाँ एक बार लॉक हो जाने के बाद इसे दुबारा मिटाया नहीं जा सकता चाहे वो आप खुद क्यू ना हो.
NFC का स्तेमाल

NFC के वैसे बहुत सारे स्तेमाल है पर हम उनमे से कुछ के स्तेमाल जानते है.

  • Data transfer

आप इसके मदद से किसी भी दो दो फोन के बीच डेटा ट्रांसफर कर सकते है वो भी सिर्फ टच कर के इसमे ब्लूटूथ और wi-fi की तरह pairing करने की जरूरत नहीं पड़ती.

  • Device pairing

इसके द्वारा आप किसी भी NFC सपोर्ट डिवाइस के द्वारा बस एक दूसरे से टच कर के कनेक्ट कर सकते है जैसे ब्लूटूथ डिवाइस.

  • Payment

आप इसमे मदद से बिना कार्ड की जानकारी बताए आप अपने फोन मे कार्ड की जानकारी स्टोर करके फोन को पेमेंट टर्मिनल से टच कर के पेमेंट कर सकते है.

  • NFC Tag

यह एक छोटा स टैग होता है जिसमे आप अपनी चोटी जानकारी इसमे स्टोर कर सकते है जैसे आप की टेबल पर बैठे है और आप अपने फोन मे जिस भी किसी ऐप का सबसे ज्यादा स्तेमाल करते है.

आप उसका डेटा अपने NFC टैग मे स्टोर कर टेबल मे पेस्ट कर देंगे आप आप जब भी उस टैग से अपने फोन को टच करेंगे वह एप आपके फोन मे खुल जाएगा.

इसमे आप अपने वाईफाई ले पसवॉर्ड इत्यादि स्टोर कर सकते है जिसे टच करते ही वह डिवाइस वाईफाई से जुड़ जाएगा बिना पिन किसी को बताए.

  • Smart Business Card

Smart business card  business card NFC से लैस होता है जिसमे आप कार्ड के ऊपर लिखे डेटा के आलवा NFC मे स्टोर कर सकते है जिसे अपने मोबाईल से टच करते ही वो इनफार्मेशन हमे अपने फोन पर धिक जाती है.

  • Theft Control

यह आपके किसी भी बहुमूल्य समान इत्यादि को चोरी होने से बचा सकता है जहां RFID proximity की मदद से इसके पास से गुजरने वाले NFC tags के रेंज मे आले जी अलार्म बजने लगता है

  • Manufacturing Industries

इसका इस्तेमाल Manufacturing Industries मे काफी कीया जाता है जहां किसी भी निर्माण हो रहे सामानों के पार्ट्स इत्यादि को ट्रैक करने मे मदद करता है जहा इसके अंदर स्टोर unique identification number के द्वारा कसी भी समान इत्यादि को ट्रैक कीया जाता है.

  • Keyless Access

इसके स्तेमाल से आपको किसी भी तरह के चाभी की जरूरत नहीं होती जहां आप एक टच से लॉक खोल सकते है चाहे वह कोई गाड़ी का दरवाजा हो या घर का यह NFC tag के मदद से होता है वही identification badges के मदद से आप किसी भी गाड़ी को एक्सेस करने मे यह आपकी मदद करता है.

  • इसके अलावा भी NFC उपयोग अनेकों फील्ड मे अलग अलग कार्यों के लिए कीया जाता है.
NFC के Advantages
  • NFC कसी भी cashless payment मे हमारे पेमेंट को आसान बनाता है.
  • इसके द्वारा हम बिना अपना कार्ड नंबर इत्यादि बताए पेमेंट कर सकते है वह भी सिर्फ एक टच से.
  • इसके स्तेमाल से हम दो NFC डिवाइस को बिना किसी झंझट के एक दूसरे से कनेक्ट कर सकते है.
  • NFC के जरिए हम Smart Business Card बना सकते है जहां सिर्फ एक टच से आप अपनी card की जानकारी किसी से भी शेयर कर सकते है.
  • इसके उपयोग से आप किसी को भी अपनी वाईफाई पसवॉर्ड बताने से बच सकते है.
  • यह उपयोग मे काफी आसान है जिसमे किसी भी तरह की झंझट वाली सेटिंग नहीं होती है.
  • इसमे हम किसी भी प्रकार का डेटा स्टोर बड़े ही आसानी से कर सकते है.
NFC के Disadvantages
  • यह हमे हर तरह के स्मार्ट फोन मे देखने को नहीं मिलता जिसके कारण हमे इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है.
  • यह बहुत ही कम दूरी पर डेटा ट्रांसफर करता है.
  • यह पावर अधिक खपत करता है.
  • इसके स्तेमाल के लिए दोनों ही डिवाइस मे NFC होना आवश्यक है.
  • इसकी data transfer rate काफी धीमी होती जिसके कारण आप चीड़ सकते है वही इसमे हम बड़े डेटा को नहीं ट्रांसफर कर सकते है क्यू की समय काफी लग सकता है.
NFC से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल के जवाब (FAQ)

NFC devices की Read Range कितनी होती है?

क्यू की NFC Magnetic field के द्वारा काम करता है इस कारण इसकी range 1cm से लकर 10 cm तक हो सकती है.

NFC का पूरा नाम क्या है ?

NFC का पूरा नाम Near Field Communication होता है.


मुझे उम्मीद है NFC क्या है?/NFC Kya Hai (What is NFC in Hindi) या NFC मोड क्या है आप पूरा समझ चुके होंगे NFC का स्तेमाल बहुत सारे फील्ड मे है और आने वाले दिनों मे यह सभी स्मार्ट फोन मे हमे देखने को मिलेगा मैंने बहुत ही आसान सबद्धो मे आपको NFC क्या होता है बताया है

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कैसे पता करें कि हमारी आई. डी. पर कुल कितने मोबाइल नंबर चालू हैं?

हाल ही में भारत सरकार के संचार विभाग (DOT) की तरफ से एक ऐसा वैब पोर्टल (Web Portal) तैयार किया गया , जिसके माध्यम से आप पता कर सकते है कि आपके सरकारी आई. डी. (पहचान पत्र) पर कितने मोबाइल नंबर हाल में चालू है | पहचान पत्र जैसे कि आधार कार्ड, चुनाव आयोग से मिला वोटर पहचान पत्र , ड्राईविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि कुछ कुछ भी हो सकता है |

यह पोर्टल है -

TAF COP Consumer Portal

इस पर जाकर आपको आपना कोई भी चालू मोबईल नंबर डालना होगा जिससे आपके उस मोबाईल नंबर पर आपको ओ. टी. पी. प्राप्त होगा | आपको वह ओ. टी. पी. डालना होगा |

ऐसा करते ही आपको, आपके पहचान पत्र पर जितने भी मोबाईल नंबर निकले हुए है, वो सब दिखने लगेगें | यहीं पर आपको यह विकल्प भी उपलब्ध होगा जो हर मोबाईल नंबर के सामने दिया गया होगा, जिस पर आप क्लिक करके उस नंबर को बंद करने की रिक्वेस्ट ( प्राथना ) दे सकते है | यह नंबर वह भी हो सकता होगा जो आपके पहचान पत्र पर अवैध तरीके से आपको बिना बताए निकलवाया गया हो |

Updated on(अद्यतन किया गया) :- 01–06–2021 —

  • पहले संपूर्ण डेटा अपलोड नहीं हुआ था, इसलिए मोबाईल नंबरों की संपूर्ण जानकारी नहीं मिल रही थी | अगर आपको भी आपके सभी मोबाईल नंबर नहीं दिखते तो आप कुछ दिनों के बाद दोबारा देख सकते है | तब आप निश्चित ही पूरी जानकारी मिलेगी |

धन्यवाद |

असली और नकली वेबसाइट में अंतर कैसे करें ?

आजकल साइबर अपराधी वेबसाइट्स की नकल बनाकर लोगों को ठग रहे हैं, बिलासपुर के तीन मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों को फर्जी कस्टमर केयर की वेबसाइट के माध्यम से लूटा गया। पीड़ितों ने गूगल सर्च करके कस्टमर केयर का जो फ़ोन नंबर निकाला जो कंपनी का नहीं ठगों का था।

इससे बचने के लिए असली और फर्जी वेबसाइट में अंतर करना आना चाहिए इसके लिए सबको तकनीकी विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, बस हमें कुछ बातें पता होनी चाहिए , जैसे-कि ये

वेबसाइट का यूआरएल जाँचें

मैंने कई बार देखा है कि व्हाट्सप्प समूहों पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के नाम से कई प्रकार के आकर्षक ऑफर्स आते रहते हैं, यहाँ पर मैं फ्लिपकार्ट का उदाहरण ले रहा हूँ। फ्लिपकार्ट के नाम पर बहुत से यूआरएल लोगों को ठग रहे हैं कुछ उदाहरण देखिए

चित्र स्रोत[1]

नकली वेबसाइट में प्रायः अनावश्यक अक्षर होते हैं जो असली वेबसाइट में नहीं होते तथा कई बार डोमेन नेम अलग होता है .com की जगह .biz .info .org .me जैसे डोमेन देखने को मिलते हैं।

लोग बस शुरू के अक्षर देखते हैं और मान लेते हैं कि यह वेबसाइट असली ही होगी इनसे बचने के लिए हमें ज्ञात होना चाहिए कि फ्लिपकार्ट का असली डोमेन "flipkart.com" है इसी प्रकार अमेज़न का डोमेन यूएस में "amazon.com" और भारत में "amazon.in" है, खरीदी करनी हो तो इसी से कीजिए इससे मिलती जुलती किसी दूसरी साईट से नहीं और हाँ यदि सामान घर तक पहुँचने में कोई समस्या आए तो इसी वेबसाइट के हेल्प सेण्टर पर अपनी शिकायत दर्ज करें गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें नहीं तो बिलासपुर वालों के समान आप भी ठगे जाएँगे।

डोमेन नेम देखकर असली या नकली वेबसाइट का पता लगाया जा सकता है इसके लिए हमें मालूम होना चाहिए कि अलग-अलग काम के लिए डोमेन नेम भी अलग दिए जाते हैं।

  • भारत में पंजीकृत वेबसाइट्स का डोमेन नेम ".in" होता है, यह भारत का कंट्री कोड है। सभी देशों का अपना कोड होता है।
  • भारतीय सरकारी साइट्स के अंत में "gov.in" डोमेन होता है।
  • शैक्षणिक संस्थाएँ ".edu" का उपयोग करती हैं।
  • व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए ".com" डोमेन है।
  • ".org" डोमेन किसी संगठन के वेबसाइट के लिए होता है।

असली और नकली वेबसाइट में भेद करने का दूसरा सरल तरीका

एड्रेस बार को ध्यान से देखें

प्रतिष्ठित वेबसाइट्स "https" का उपयोग करती हैं। "http" एक प्रोटोकॉल है जो वेब पर डाटा संचार सुगम बनाता है, इसके आगे लिखे अक्षर "s" से पता चलता है कि वेबसाइट पर विजिट करना सुरक्षित है। वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में बाईं ओर कोने में हम https लिखा हुआ देख सकते हैं या इसके स्थान पर ताले का चिह्न बना होता है। नकली वेबसाइट में यह चिह्न नहीं होता और कई बार ब्राउज़र भी not secure लिख कर चेतावनी देता है। ताले के चिह्न पर क्लिक करके वेबसाइट को सर्टिफिकेट किसने दिया और यह कब तक वैध है इन सबकी विस्तृत जानकारी मिल जाती है।

चित्र स्रोत[2]

तीसरा तरीका

वेबसाइट चेकर पर जाएँ

इंटरनेट पर कुछ ऐसी वेबसाइट्स हैं जो नकली वेबसाइट की पहचान करने में सहायता करती हैं। इन चेकर वेबसाइट से हम किसी भी वेबसाइट की संभावित सुरक्षा खामियों, उसकी वैधता इत्यादि के बारे में जान सकते हैं। नीचे दिए गए चित्र में जिस वेबसाइट चेकर पर मैं गया उसने फ्लिपकार्ट धमाका के बारे बताया कि इसे गूगल सेफ ब्राउज़िंग द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है, अर्थात धमाका करने वाली यह वेबसाइट नकली है।

चित्र स्रोत [3]

नकली वेबसाइट की पहचान के लिए इन तीनों के अतिरिक्त वेबसाइट की साइट सील, ट्रस्ट सील, प्राइवेसी पॉलिसी इत्यादि से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि वेबसाइट असली है अथवा नकली।


फुटनोट

[2] How to Identify Fake Websites[3] Sucuri Security

फिशिंग के खतरे को कैसे पहचाना जा सकता है?

लगभग रोज ही कोई न कोई फिशिंग का शिकार बन रहा है। लोगों में जागरूकता की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह लेख लिखा गया है। इसका उद्देश्य आपकी जानकारी को बढ़ाना है जिससे आप फिशिंग से अपने और अपने चाहने वालों को बचा सकें।

फिशिंग ( Phishing )अर्थात - व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर, ऑनलाइन प्रकट करने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए प्रतिष्ठित कंपनियों से ईमेल भेजने की धोखाधड़ी की प्रथा।

जिस प्रकार मछली को चारा डाल कर फँसाया जाता है ठीक वैसे ही ठगबुद्धि वाले लोग अपने शिकार को स्पैम सन्देश, नकली विज्ञापन, नकली वेबसाइट्स या कभी-कभी फ़ोन कॉल्स के माध्यम से भी फँसाते हैं। अधिकतर मामलों में लोगों का डर उनके फँसने की वजह बनता है।

फिशिंग के कई तरीके प्रचलन में हैं और ये बिलकुल विश्वसनीय स्रोतों से आए हुए लगते हैं यदि इन्हें समय रहते पहचान लिया जाए तो आप नुकसान से बच सकते हैं। आईए अब देखें फिशिंग के कुछ सामान्य तरीके और कैसे उनकी पहचान की जाए :-

ईमेल के माध्यम से फिशिंग - ईमेल के माध्यम से धोखाधड़ी करने का तरीका काफी समय से चल रहा है। किसी जानी-मानी कंपनी या किसी बैंक के नाम का इस्तेमाल करके लोगों को फँसाया जाता है, प्रायः इनमें निजी या वित्तीय जानकारी मांगी जाती है। इन मेल्स के साथ किसी वेबसाइट का लिंक होता है जो कि लोगों को असली लगती है , ऐसे किसी लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक करने पर लोग चोरों के जाल में फँस जाते हैं। अनुमान है कि ९७ % लोग असली और नकली ईमेल एड्रेस की पहचान नहीं कर पाते।

बचाव के उपाय

  • अज्ञात स्रोत से आने वाले ईमेल के साथ के लिंक पर क्लिक न करें और अटैचमेंट्स को डाउनलोड न करें।
  • जिस ईमेल अड्रेस से मेल आया है उसकी स्पेलिंग जाँच करें, अधिकाँश मामलों में देखा गया है फर्जी एड्रेस की स्पेलिंग गलत होती है और हाँ ईमेल में व्याकरण की गलतियों की भी जाँच करें, एक-एक अक्षर ध्यान से पढ़ें।
  • अपनी निजी और वित्तीय जानकारी जैसे कि आपका एटीएम कार्ड नंबर; cvv, पिन इत्यादि किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विशेषकर सोशल मीडिया में शेयर नहीं करें।
  • बैंक के कर्मचारी आपसे कभी भी आपके एटीएम या क्रेडिट कार्ड की जानकारी नहीं मांगते , यदि ईमेल में आपकी जानकारी मांगी गई है तो अपने बैंक की शाखा से सम्पर्क कीजिए।
  • आपका बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है, आपके नेट बैंकिंग अकाउंट में किसी ने अनाधिकृत लॉग इन किया। यदि ईमेल के सब्जेक्ट में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ है तो ऐसे मेल्स को तुरंत स्पैम रिपोर्ट कर दीजिए।
  • याद रखें , वैध व्यवसाय हमेशा संपर्क विवरण प्रदान करते हैं, जबकि फर्जी ईमेल में सम्पर्क विवरण नहीं दिया जाता।

फ़ोन कॉल के माध्यम से - भारत में अक्सर लोग फर्जी कॉल्स के शिकार होते रहते हैं। ईमेल फिशिंग और इसमें केवल माध्यम का अंतर है बाकि इसमें भी जालसाज अपने शिकार को फोन के द्वारा सम्पर्क करके निजी या वित्तीय जानकारी की मांग करते हैं। ऐसा करने के लिए या तो लोगों को डर दिखाया जाता है जैसे कि यदि आपने अपने बैंक खाते की जानकारी नहीं दी तो आपका खाता बंद हो सकता है; आपको जुर्माना देना पड़ सकता है आदि-आदि। आपकी लॉटरी लगी है अपने बैंक खाते की जानकारी दीजिए ताकि हम राशि आपके खाते में जमा कर सकें , कभी-कभी इस प्रकार का लालच देकर धोखेबाज अपना काम कर जाते हैं। मुझे हैरानी तब होती है जब बैंक में काम करने वाले लोग भी इनका शिकार हो जाते हैं।

इनसे कैसे बचें

  • कभी भी फोन पर अपनी वित्तीय जानकारी न दें, उसे बातों में उलझा कर इंटरनेट पर उसकी कंपनी के बारे में पता करें। यदि किसी असली कंपनी के नाम पर कॉल आया है तो उनसे सम्पर्क कर इस कॉल के बारे में बताएं। कोई अपने को बैंक का कर्मचारी बताता है तो अपने बैंक से तत्काल सम्पर्क करें।
  • ऐसे कॉल्स में जालसाजों द्वारा दिए गए नंबर पर कॉल न करें और न ही कोई रिचार्ज करें।

पॉप-अप मैसेज के माध्यम से - इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय कभी-कभी अनचाहे संदेश प्रकट हो जाते हैं ज्यादातर में किसी प्रकार की चेतावनी होती है

सावधान आपका ऑपरेटिंग सिस्टम पुराना हो गया है हैकर्स के निशाने पर है तुरंत अपग्रेड करें।

सावधान आपके कंप्यूटर में वायरस घुस आए हैं, इन्हें हटाने के लिए हमसे सम्पर्क करें।


सावधान ………..

सावधान ………..

इन पॉप-अप्स पर क्लिक करने पर ये आपको किसी अन्य वेबसाइट पर ले जाएंगे जो कि आपको फँसाने के लिए बनाई होती है।

पॉप-अप मैसेज की धोखधड़ी से खुद को बचाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं -

  • संदेशों को ध्यान से पढ़ें। खराब वर्तनी, अव्यवसायिक चित्र और खराब व्याकरण जैसे धोखाधड़ी के स्पष्ट संकेत देखें।
  • कभी भी इन पॉप-अप्स पर क्लिक न करें।
  • संदेह होने पर एंटीवायरस द्वारा पुरे सिस्टम को स्कैन करें।

फिशिंग के द्वारा धोखाधड़ी से स्वयं को बचाने के लिए सतर्कता और जागरूकता कारगर उपाय हैं।

मिलावटी खून या खून में मिलावट


*नकली खून बनाने का गिरोह एसटीएफ ने पकड़ा, डाक्टर, हास्पिटल और लैब शामिल, मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रफेसर सहित दो गिरफ्तार कई राज्यों में करते थे सप्लाई।*

*September 17, 2021

लाल खून के काले कारोबार में लगे ये सफेदपोश......*

*मिलावटी खून या खून में मिलावट, विश्वासघात करने वाले, धोखेबाज और छल प्रपंच करने वाले षड्यंत्रकारियो सहित कपटियो के बारे कहा जाता है कि इनके खून में मिलावट है या इनका खून मिलावटी है, परन्तु इन सफेदपोश लालचियो ने पैसे की भूख में जीवनदायी खून में भी मिलावट करनी शुरू कर दी है और ये वो लोग है जिन्हे आम अवाम ने धरती का भगवान या दूसरे जीवनदाता का दर्जा दे रखा है अब इनके खून को क्या कहा जाए।*

*एसटीएफ ने गुरूवार को देश के कई राज्यों में नकली खून की सप्लाई करने वाले एक गिरोह का खुलासा किया, यह गिरोह पंजाब, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों में मिलावटी खून सप्लाई करने का काम करता था। एसटीएफ ने मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर अभय प्रताप सिंह व उसके साथी अभिषेक पाठक को 100 यूनिट खून के पैकेट सहित गिरफ्तार किया है, एसटीएफ की टीम इनसे पूछताछ कर रही है, कई ब्लडबैंक, पैथोलॉजी तथा हास्पिटल सहित डाक्टरों और इनके साथियों के नाम सामने आए हैं।*

*ज्ञात हो कि दो वर्ष पूर्व यूपी एसटीएफ ने 26 अक्टूबर 2018 को मानव रक्त में मिलावट के बाद दोगुना कर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लखनऊ में मानव रक्त तस्करी के गिरोह के फिर सक्रिय होने की सूचना पर यूपी एसटीएफ ने एक टीम गठित कर तप्तीश बढ़ाई और मुखबिर की सूचना पर लखनऊ आगरा टोल प्लाजा के पास  एक कार काे रोका, कार की तलाशी में गत्ते में रखे 45 यूनिट खून के पैकेट बरामद किए, कार में डाक्टर अभय सिंह सवार था जिसने वर्ष 2000 में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था। डाक्टर अभय ने एसटीएफ को बताया कि वह राजस्थान, हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रांतों से ब्ल्ड डोनर द्वारा डोनेट खून को लखनऊ ला रहा है, हालांकि इसके सत्यापन में वह कोई भी दस्तावेज नहीं दिखा सका और कुछ समय देने पर सभी दस्तावेज दिखाने की बात कही तो पुलिस टीम उसके साथ अवध विहार योजना स्थित गंगोत्री अपार्टमेंट गई जहां डाक्टर अभय ने बताया कि वह बी-3 मकान नंबर 105 में रहता है वहां डा. अभय ने एसटीएफ को कई तरह के दस्तावेज दिखाए जो औषधि निरीक्षकों की छानबीन में फर्जी पाए गए।* एसटीएफ को डाक्टर अभय के घर की तलाशी में फ्रिज में रखे 55 यूनिट ब्लड के साथ पीछे के कमरे में अभिषेक पाठक नाम का युवक मिला।*

*एसटीएफ जांच मे खुलासा हुआ कि डॉ. अभय प्रताप सिंह सरदार पटेल डेंटल कॉलेज रायबरेली रोड का रहने वाला है। वह वर्तमान में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल कॉलेज सैफई इटावा में तैनात है। वहीं अभिषेक पाठक सिद्घार्थनगर के जमुनी का रहने वाला है।एसटीएफ को उन्होंने बताया कि मिलावट कर बनाये व तस्करी कर लाए गये खून को लखनऊ के कई नामी अस्पतालों में सप्लाई करते थे, इमसें अवध हॉस्पिटल आलमबाग, वर्मा हॉस्पिटल काकोरी, काकोरी हॉस्पिटल, लखनऊ निदान ब्लड बैंक, बंथरा व मोहनलालगंज स्थित अस्पताल, सुषमा हॉस्पिटल के अलावा कई अन्य अस्पताल शामिल हैं। इस गिरोह के अन्य सदस्यों में कमल सत्तू, दाताराम, हरियाणा का लितुदा, केडी कमाल, डॉ. अजहर राव, दिल्ली के नीलेश सिंह, हरियाणा व दिल्ली में मदद करते हैं। लखनऊ में इनके एजेंट के रूप में बृजेश निगम, सौरभ वर्मा, दीपू चौधरी, जावेद खान, धीरज तवंर शामिल हैं।*
*एसटीएफ के अनुसार आरोपियों ने कुबूल किया है कि एक यूनिट मिलावटी खून 1200 रुपये में खरीदकर 4 से 6 हजार रुपये में सप्लाई करते हैं जरूरत के मुताबिक स्लाइन वाटर मिलाकर खून को एक से दो यूनिट तक आवश्यकता अनुसार बनाते, वहीं तस्करी के खून की वैधता बताने के लिए फर्जी तरीके से लगाए गये रक्तदान शिविर के आयोजन व उसकी फोटोग्राफी का प्रयोग करते हैं। आरोपियों के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, लोगों के जिंदगी से खिलवाड़ करने की धारा में मुकदमा दर्ज कराया गया है।*

*अक्टूबर 2018 में मिलावटी खून बनाने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी*
*एसटीएफ की जांच जारी है कई और हैरतअंगेज खुलासे होने की उम्मीद है।*

भक्त ओर कमबख्त


भक्त.. ओर . कमबख्त
चौकीदार चोर होता तो गुजराती जनता भी इतनी बेवकुफ़ नहीं थी कि 4बार CM बनाये रखती....

चौकीदार को चोर कहने वालो ने
*अभी तक बताया नहीं कि इस चौकीदार ने चुराया क्या है?*

ये लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस की नहीं रही,
ये लड़ाई अब भक्तो और कम्बख्तों के बीच है..!!

ये पहला चुनाव है जिसमें अब तक कांग्रेसी जामा मस्जिद के शाही इमाम का सजदा करने नहीं गए और न ही इमाम ने कोई फतवा जारी किया..!!!!   मोदी है तो मुमकिन है।

मोदी जी के 4 भाई 5 चाचा ओर 18 पारिवारिक बच्चे.... सभी मेहनत करके खाते है कोई नेता नहीं किसी को टिकिट नहीं !!!
बताओ मोदी भक्ति क्यों न करें ????

मोदी जी अगर 2024 तक प्रधान मंत्री बने रहे तो ये तय है कि भारतीय सेना विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना होगी :- जनरल बिपित रावत

हर घर से अफजल निकल रहा था तब तो कोई आपत्ति नहीं की थी.. अब हर घर से चौकीदार निकल रहा है तो मिर्ची लग रही है कम्बख्तों को!

प्रजातंत्र का गला इंदिरा ने घोंटा था लेकिन हिटलर मोदी है! और विश्व की चौथी सबसे अमीर महिला सोनिया गांधी है लेकिन चोर मोदी है!
यह बातें गले नहीं उतरती कम्बख्तों की ।

मुसलमानों के जीतने पर बेल्जियम को इस्लामिक देश घोषित करने के लिए आंदोलन शुरू ; कोंग्रेस जीती तो आगे भारत की बारी हैं....

*धर्मयुद्ध मे निमंत्रण नही भेजे जाते , जो वीर होते है वो खुद रणभूमि मे धर्म ध्वजा की रक्षा के लिए चले आते है.....*

एक योगी और सन्यासी होने के नाते मैं धर्म का चौकीदार हूँ। और प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में संविधान व जनता का चौकीदार हूँ ..... 
योगी बाबा ज़िंदाबाद

*कोई भी कोंग्रेसी मनमोहन सिंह के 10 वर्षों के शासन पर वोट क्यों नहीं मांगते?*  जब देखो दादी के नाक को लेकर क्यों दौड़ रहे हो कम्बख्तों

मुझे मेरे हिन्दू धर्म से परिचय कराया में उन मोदीजी का बहुत बडा कर्ज दार हूं.... अब में भी चोकीदार हूं....

60 साल में देश का पहला इलेक्शन है , जिसमे बिजली, पानी, गैस, यूरिया खाद, मुद्दा नहीं ; सिर्फ मोदी हटाओ....  
क्या यह अच्छे दिन नहीं है!!!!

हिंदुत्व की शक्ति का प्रभाव देखो, कल तक दरगाह-मजारों से     चुनाव प्रचार शुरू करते थे ; 
आज मंदिर-मंदिर, नदी-नदी भटकने शुरू हो गए....

*है शौक जिन्हें तलवे चाटने का वो चाटुकार हो गए,*
*है मुहब्बत जिन्हें मुल्क से वो सभी चौकीदार हो गए।।*

🇮🇳 भारत माता की जय
वन्दे मातरम
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

मनुष्य को गुरु के आदेश के अनुसार ही चलकर के अपना कल्याण करना है। अपनी बुद्धि नहीं लगाना है


*"सोचो! कितनी बड़ी नासमझी है"*

*अब तक हमारा मन हरि गुरु की ओर और अधिक खिंचा कि नहीं। नहीं खिंचा? हमने बहुत गलतियाँ की, लापरवाही की, साधना नहीं की, हमारे पाप बढ़ गये, फील करो और फिर सावधान हो जाओ, नहीं तो ऐसे ही पाप बढ़ते जायँगे और मानवदेह छिन जायगा एक दिन। फिर कुत्ते, बिल्ली, गधे की योनियों में जाना होगा। तब याद आयेगी हाँ। हमको ये उपदेश मिला था, हमने नहीं माना, बुद्धि के अहंकार से। बुद्धि ने ही तो अनन्त जन्मों से हमें चौरासी लाख में घुमाया है।*

*जैसे कोई अपढ़ गँवार व्यक्ति मुकदमे में एक वकील करता है, उसको सौ, दो सौ, पाँच सौ देकर के लॉ की नॉलेज प्राप्त करता है। वकील कहता है ऐसे-ऐसे कोर्ट में बोलना, इसके अलावा कुछ नहीं बोलना। तो उसी को याद कर लेता है उतना सा हिस्सा लॉ का, और कोर्ट में डट करके जो वकील साहब ने कहा है वही बोलता है तो मुकदमा जीत जाता है और अपनी बुद्धि जरा भी लगा दी बीच में, एक सेंटेन्स भी गलत बोल गया बीच में अपनी अकल से, तो सारा मुकदमा डाउट का हो गया और डाउट का फायदा मुल्ज़िम को हो गया। तो सारी बात बिगड़ जाती है।*

*तो जैसे वो वकील के शरणागत रहता है, उसकी ही बात अनुसार चलता है, ऐसे मनुष्य को गुरु के आदेश के अनुसार ही चलकर के अपना कल्याण करना है। अपनी बुद्धि नहीं लगाना है।*

*डॉक्टर ने कहा- ये दवा खाओ इतनी, दो बूँद, एक चम्मच पानी में बस ! बुद्धि मत लगाओ कि दो बूँद दवा से क्या होगा? एक शीशी पी लो।*

*देखो ! पढ़ने जाते हो, ए. बी. सी. डी., क. ख. ग. घ., तो मास्टर कहता है ये 'क' है, तुम उसको मान लेते हो, वहाँ तो तुम्हें, डाउट नहीं होता कि ये 'क' क्यों है जी? इसको 'क' क्यों कहते हैं? इंग्लिश भाषा में कितने सारे साइलेन्ट होते हैं। अब आप कहें कि ये साइलेन्ट क्यों होता है? मैं नहीं इसको लिखूँगा, तो आप नहीं पढ़ सकते इंग्लिश। आपको मानना होगा।*

ऐसे ही-

*श्रद्धत्स्व तात! श्रद्धत्स्व।*

*वेद कहता है- श्रद्धा करो, विश्वास करो, वेद और गुरु की वाणी पर, और उसी प्रकार चलाओ बुद्धि को। सरैण्डर करो बुद्धि का, तब लक्ष्य प्राप्त होगा। अपनी बुद्धि तो मायिक है, तीन गुण की है तो अपनी बुद्धि के अनुसार चलकर मनुष्य भगवद् विषय का लाभ कैसे लेगा, जब संसार ही का लाभ नहीं ले सकता?*

*अरे! तुमने अपनी माँ को माँ बाप को बाप कैसे कह दिया, तुम्हारे पास कोई सबूत है ? माँ ने कहा था, बाप ने कहा था हम तुम्हारे मम्मी-डैडी हैं। बस ! यही सबूत ? तो क्योंजी ! तुम्हारे माँ-बाप दिन में सौ झूठ बोलते हैं, उनकी बात तो तुमने मान लिया और वेद की बात, भगवान् की बात, महापुरुष की बात मानने में बुद्धि लगाते हो?*

*सोचो ! कितनी बड़ी नासमझी है। तो इस नासमझी को हटाना है और हृदय को शुद्ध करना है।*

श्री शिवाय नमस्तुभ्यम

बुधवार, 15 सितंबर 2021

तीसरी रोटी किस की होती है..


*रोटी*   

      *रामेश्वर ने पत्नी के स्वर्ग वास हो जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह शाम पार्क में टहलना और गप्पें मारना, पास के मंदिर में दर्शन करने को अपनी दिनचर्या बना लिया था।*

       *हालांकि घर में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी। सभी उनका बहुत ध्यान रखते थे, लेकिन आज सभी दोस्त चुपचाप बैठे थे।* 

*एक दोस्त को वृद्धाश्रम भेजने की बात से सभी दु:खी थे" आप सब हमेशा मुझसे पूछते थे कि मैं भगवान से तीसरी रोटी क्यों माँगता हूँ? आज बतला देता हूँ। "*

      *कमल ने पूछा  "क्या बहू तुम्हें सिर्फ तीन रोटी ही देती है ?"*

       *बड़ी उत्सुकता से एक दोस्त ने पूछा? "नहीं यार! ऐसी कोई बात नहीं है, बहू बहुत अच्छी है।* 

       *असल में  "रोटी, चार प्रकार की होती है।"*
 
      *पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।*

       *एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।" उन्होंने आगे कहा  "हाँ, वही तो बात है।*

        *दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।", क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।* 

      *फिर तीसरी रोटी किस की होती है....?" एक दोस्त ने सवाल किया।*

      *"तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है", थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।*

     *"लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?" मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-* 

        *"चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का "पेट" भरता है न ही "मन" तृप्त होता है और "स्वाद" की तो कोई गारँटी ही नहीं है", तो फिर हमें क्या करना चाहिये यार?*

      *माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।*

        *यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, बड़ी खामोशी से सब दोस्त सोच रहे थे कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं।*
*।।जय जय श्री राम।।*

    *।।हर हर महादेव।।*

सोमवार, 13 सितंबर 2021

ऋषि पंचमी और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन में एक खास फर्क है

*माहेश्वरीयों की विशिष्ट पहचान*
*"ऋषी पंचमी"* के दिन रक्षाबंधन

*जय महेश*

*सभी स्वजनों को माहेश्वरी रक्षाबंधन पर्व ऋषि पंचम की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं...*

आम तौर पर भारत में रक्षाबंधन का त्योंहार श्रावण पूर्णिमा (नारळी पूर्णिमा) को मनाया जाता है, लेकिन माहेश्वरी समाज (माहेश्वरी गुरुओं के वंशज जिन्हे वर्तमान में छः न्याति समाज के नाम से जाना जाता है अर्थात पारीक, दाधीच, सारस्वत, गौड़, गुर्जर गौड़, शिखवाल आदि एवं डीडू माहेश्वरी, थारी माहेश्वरी, धाटी माहेश्वरी, खंडेलवाल माहेश्वरी आदि माहेश्वरी समाज) में रक्षा-बंधन का त्यौहार ऋषिपंचमी के दिन मनाने की परंपरा है. इस परंपरा का सम्बन्ध माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से जुड़ा हुवा है.

विदित रहे की माहेश्वरी समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार मनाने की परंपरा चली आई है. एक मान्यता यह है की जब माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई तब जो माहेश्वरी समाज के गुरु थे जिन्हें ऋषि कहा जाता था उनके द्वारा विशेष रूप से इसी दिन रक्षासूत्र बांधा जाता था इसलिए इसे 'ऋषि पंचमी' कहा जाता है. रक्षासूत्र मौली के पचरंगी धागे से बना होता था और उसमें सात गांठे होती थी. वर्तमान समय में इसी रक्षासूत्र ने राखी का रूप ले लिया है और इसे बहनों द्वारा बांधा जाता है.

प्राचीनकाल में शुभ प्रसंगों में, प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन तथा 'ऋषि पंचमी' के दिन गुरु अपने शिष्यों के हाथ पर, पुजारी और पुरोहित अपने यजमानों के हाथ पर एक सूत्र बांधते थे जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था, इसे ही आगे चलकर राखी कहा जाने लगा. वर्तमान समय में भी रक्षासूत्र बांधने की इस परंपरा का पालन हो रहा है.

आम तौर पर यह रक्षा सूत्र बांधते हुए ब्राम्हण "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।" यह मंत्र कहते है जिसका अर्थ है- "दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं. हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो" लेकिन तत्थ्य बताते है की माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र बांधते समय जो मंत्र कहा जाता था वह है-

*स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु,*
*विद्याविवेककृतिकौशलसिद्धिरस्तु।*

*ऐश्वर्यमस्तु विजयोऽस्तु गुरुभक्ति रस्तु,*
*वंशे सदैव भवतां हि सुदिव्यमस्तु।।*

(अर्थ- आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें. विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें. ऐश्वर्य व सफलता को प्राप्त करें तथा गुरु भक्ति बनी रहे. आपका वंश सदैव दिव्य गुणों को धारण करनेवाला बना रहे. इसका सन्दर्भ भी माहेश्वरी उत्पत्ति कथा से है. माहेश्वरी उत्पत्ति कथा में वर्णित कथानुसार, निष्प्राण पड़े हुए उमरावों में प्राण प्रवाहित करने और उन्हें उपदेश देने के बाद महेश-पार्वती अंतर्ध्यान हो गये. उसके पश्चात ऋषियों ने सभी को "स्वस्त्यस्तु ते कुशलमस्तु चिरायुरस्तु...." मंत्र कहते हुए सर्वप्रथम (पहली बार) रक्षासूत्र बांधा था. माना जाता है की यही से माहेश्वरी समाज में रक्षासूत्र (रक्षाबंधन या राखी) बांधने की शुरुवात हुई. उपरोक्त रक्षामंत्र भी मात्र माहेश्वरी समाज में ही प्रचलित था/है. गुरु परंपरा के ना रहने से तथा माहेश्वरी संस्कृति के प्रति समाज की अनास्था के कारन यह रक्षामंत्र लगभग विस्मृत हो चला है लेकिन माहेश्वरी संस्कृति और पुरातन परंपरा के अनुसार राखी को बांधते समय इसी मंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए.

कुछ माहेश्वरी समाजबंधु रक्षाबंधन का पर्व माहेश्वरी परंपरा के अनुसार "ऋषि पंचमी" को मनाने के बजाय श्रावण पूर्णिमा को ही मना रहे है तो कुछ समाजबंधु यह पर्व मनाते तो ऋषि पंचमी के हिसाब से ही है लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार 2-4 दिन आगे-पीछे रक्षाबंधन कर लेते है जो की उचित नहीं है. शास्त्रों और परम्पराओं के अनुसार कुछ विशेष दिनों का, कुछ विशेष स्थानों का अपना एक महत्व होता है. दीवाली 'दीवाली' के दिन ही मनाई जाती है, किसी दूसरे दिन नहीं. क्या अपनी सुविधा के अनुसार 'गुढी' गुढीपाडवा के बजाय 2-4 दिन आगे-पीछे लगाई (उभारी) जाती है? तो रक्षाबंधन ऋषिपंचमी के दिन के बजाय किसी और दिन कैसे मनाया जा सकता है? यदि माहेश्वरी हैं तो रक्षा बंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाकर गर्व महसूस करें. यदि माहेश्वरी हैं तो... रक्षाबंधन का त्योंहार "ऋषी पंचमी" के दिन ही मनाये.

*दूसरी एक बात...*

आम तौर पर रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार श्रावणी पूर्णिमा (राखी पूर्णिमा) के दिन मनाया जाता है लेकिन माहेश्वरी समाज में परंपरागत रूपसे रक्षाबंधन का त्योंहार ऋषि पंचमी के दिन मनाया जाता है. "ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन" यह बात दुनियाभर में माहेश्वरी संस्कृति (माहेश्वरीत्व) की, माहेश्वरी समाज की विशिष्ठ पहचान बनी है; यह हम माहेश्वरीयों की सांस्कृतिक धरोहर है, विरासत है. माहेश्वरी रक्षाबंधन के इस त्योंहार को भाई-बहन के गोल्डन रिलेशनशिप के पवित्र धार्मिक त्योंहार के रूपमें परंपरागत विधि-विधान और रीती-रिवाज के साथ मनाया जाता है, मनाया जाना चाहिए लेकिन विगत कुछ वर्षों से, कई बहने राखी बांधने के बाद भाई को श्रीफल (नारियल) के बजाय रुमाल या कोई दूसरी चीज दे रही है. क्या भगवान के मंदिर में नारियल फोड़कर चढाने के बजाय रुमाल फाड़ कर चढ़ाया जा सकता है...? हर चीज का अपनी जगह एक महत्व होता है इस बात के महत्व को समझते हुए श्रीफल की जगह 'श्रीफल' ही दिया जाना चाहिए (हाँ, इसे कुछ विशेष सजावट के साथ या ले जाने में सुविधा हो इस तरह से पैकिंग करके दिया जा सकता है). भाईयों को भी चाहिए की बहन की मंगलकामनाओं और दुवाओं के प्रतिक के रूपमें दिए जानेवाले श्रीफल को अपने साथ अपने घर पर ले जाएं और इसे घर के सभी परिवारजनों के साथ प्रसाद के रूपमें ग्रहण करें.

जिन्हे सगी बहन ना हो वे अपने चचेरी बहन से राखी बांधे लेकिन माहेश्वरी संस्कृति के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन केवल माँ-जाई (सगी) बहन से राखी बांधना पर्याप्त है. जीन भाईयोको माँ-जाई बहन और चचेरी बहन ना हो वह, मित्र की बहन से या अपने कुल के पुरोहित से अथवा मंदिर के पुजारी से राखी बंधाए, और यदि कोई बहन को भाई ना हो तो वह भगवान गणेशजी को राखी बांधे.

*ऋषि पंचमी और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन में एक खास फर्क है :*

श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधकर बहन अपने भाई से स्वयं की रक्षा करते रहने की प्रार्थना करती है ।
जबकि ऋषि पंचमी के दिन बहन उपवास कर भाई को राखी बांधकर भगवान से हमेशा अपने भाई की कुशल-मंगल की कामना करती है ।

आजकल राखी का त्यौहार हाईटेक हुआ जा रहा है जबकि यह विशुद्ध परंपरागत पर्व है और रक्षा के सम्बन्धित है।

*संकलन✍️*


*🙏राम राम सा🙏*

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